बिजली उपकरण बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भेल ने विभिन्न क्षमता की लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण के लिये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया है. जिसके तहत कंपनी अंतरिक्ष स्तर के विभिन्न क्षमता के लिथियम आयन सेल (बैटरी) का विनिर्माण करेगी. जिसमें इसरो की तरफ से विकसित तकनीक का इस्तेमाल होगा और अभी इसरो विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) में इसका इस्तेमाल करता है.

भेल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि इसरो अभी तक इसरो अंतरिक्ष श्रेणी वाली लीथियम आयन बैटरी की सोर्सिंग विदेशी वेंडरों से करता है और बीएचईएल ऐसी आयातित बैटरी का असेंबलिंग व टेस्टिंग करती है और इसका इस्तेमाल उपग्रह व इसे भेजे जाने वाले वाहनों में होता है. इस प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से भेल लिथियम आयन बैटरी इसरो तथा अन्य संबंधित कंपनियों के लिये बना सकेगी. लिथियम आयन प्रौद्योगिकी का उपयोग ऊर्जा भंडारण तथा इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जा सकता है. भेल इस बैटरी के विनिर्माण के लिये बेंगलुरू के कारखाने में आधुनिक संयंत्र लगाएगी.

इसरो के अधिकारी ने कहा तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने अंतरिक्ष श्रेणी वाली लीथियम आयन बैटरी के उत्पादन की तकनीक का कामयाबी के साथ विकास किया है, जिसने विभिन्न जांच परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया है. ऐसी बैटरी का इस्तेमाल अभी विभिन्न उपग्रहों आदि में हो रहा है. उन्होंने आगे कहा, हमें ऐसी बैटरी अपने उपग्रह के लिए काफी संख्या में चाहिए, लेकिन अपने पायलट प्लांट में हम बहुत ज्यादा उत्पादन नहीं कर सकते. हमें बड़ा संयंत्र चाहिए. औटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन औफ इंडिया ने ऐसी बैटरी का इस्तेमाल दोपहिया व चारपहिया वाहनों में कामयाबी के साथ किया है

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