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मैं नहीं चाहता की टेस्ट में टौस की परंपरा हो खत्म : सौरव गांगुली

क्रिकेट में इन दिनों टौस होने की प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि टौस से मेजबान टीम को फायदा होता है. इसे खत्म करने या न करने को लेकर आधिकारिक तौर पर विचार किया जाना है. इसी बीच भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि वह टेस्ट क्रिकेट में टौस खत्म करने के विचार से सहमत नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की योजना टेस्ट में टौस की प्रथा खत्म करने की है और पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का फैसला मेजबान टीम के ऊपर छोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

इस विचार के विरोध में भारतीय टीम के दो पूर्व कप्तानों, बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर ने आवाज उठाई थी और अब गांगुली ने भी इन दोनों की बातों को समर्थन किया है. गांगुली ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह देखना होगा की यह प्रयोग लागू होता या नहीं. व्यक्तिगत तौर पर हालांकि मैं टेस्ट में टौस को खत्म करने के समर्थन में नहीं हूं.”

प्रस्ताव के आने के बाद क्रिकेट जगत इसके पक्ष और विपक्ष में बंटा हुआ है. औस्ट्रेलिया के दो पूर्व कप्तान स्टीव वौ और रिकी पोंटिंग ने हालांकि इसका समर्थन किया है. वहीं वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद का मानना है कि इससे प्रतिस्पर्धा में इजाफा होगा. हाल के दिनों में हालांकि इसकी आलोचना हुई है क्योंकि टास जीतने पर घरेलू टीम को काफी फायदा होते देखा गया है. गांगुली ने कहा, ‘‘अगर घरेलू टीम टास हार जाती है तो उसे फायदा नहीं मिलता है.’’

अगर टौस हटाया जाता है तो आईसीसीसी अपनी 140 साल पुरानी परंपरा को खत्म कर देगी. इस विचार को आईसीसी की नई सीमिति ने पेश किया था जिसमें कई पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, कोच और एलिट पेनल के अंपायर शामिल हैं. भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति मुंबई में इसी महीने के अंत में होने वाली बैठक में इस पर चर्चा करेगी. मुंबई में 28 और 29 मई को होने वाली बैठक में टौस की प्रांसगिकता और निष्पक्षता पर चर्चा की जाएगी और इस पर विचार किया जाएगा कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को टौस को अलविदा कह देना चाहिए ताकि दोनों टीमों में से कोई फायदे में नहीं रहे?

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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘टेस्ट क्रिकेट से मूल रूप से जुड़े टौस को खत्म किया जा सकता है. आईसीसी क्रिकेट समिति इस पर चर्चा करने के लिये तैयार है कि क्या मैच से पहले सिक्का उछालने की परंपरा समाप्त की जाए जिससे कि टेस्ट चैंपियनशिप में घरेलू मैदानों से मिलने वाले फायदे को कम किया जा सके.’’

मेजबान टीम को मिलता है अनुचित लाभ?

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिक्का उछालने यानि टौस की परंपरा इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के बीच 1877 में खेले गए पहले टेस्ट मैच से ही चली आ रही है. इससे यह तय होता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करेगी. सिक्का घरेलू टीम का कप्तान उछालता है और मेहमान टीम का कप्तान ‘हेड या टेल’ कहता है. हाल में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. आलोचकों का मानना है कि टौस में मेजबान टीमों को अनुचित लाभ मिलता है.

रिपोर्ट ने पैनल के सदस्यों को भेजे गये पत्र उद्धृत करते हुए लिखा है, ‘‘टेस्ट पिचों की तैयारियों में घरेलू टीमों के हस्तक्षेप के वर्तमान स्तर को लेकर गंभीर चिंता है और समिति के एक से अधिक सदस्यों का मानना है कि प्रत्येक मैच में मेहमान टीम को टौस पर फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. हालांकि समिति में कुछ अन्य सदस्य भी हैं जिन्होंने अपने विचार व्यक्त नहीं किए.’’

2016 की काउंटी में टौस नहीं किया गया था

काउंटी चैंपियनशिप में 2016 में टौस नहीं किया गया और यहां तक कि भारत में भी घरेलू स्तर पर इसे हटाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उसे नकार दिया गया था. इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने दावा किया कि इस कदम के बाद मैच लंबे चले तथा बल्ले और गेंद के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली.

आईसीसी क्रिकेट समिति में पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले, एंड्रयू स्ट्रास, माहेला जयवर्धने, राहुल द्रविड़, टिम मे, न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी डेविड वाइट, अंपायर रिचर्ड केटलबोरोग, आईसीसी मैच रेफरी प्रमुख रंजन मदुगले, शौन पोलाक और क्लेरी कोनोर हैं.

1 जून से 50 हजार तक महंगी हो जाएंगी इस कंपनी की कारें

हुंदई मोटर इंडिया (HMIL) के विभिन्न मौडलों के दाम जून से दो फीसदी तक बढ़ जाएंगे. हालांकि, कंपनी ने कहा है कि उसकी हाल में पेश एसयूवी क्रेटा के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे. कंपनी का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ रहा है. फिलहाल हुंदई एंट्री लेवल की इयौन से लेकर एसयूवी टुस्कौन तक बेचती है. इयौन की दिल्ली शोरूम में कीमत 3.3 लाख रुपये है जबकि टुस्कौन का दाम 25.44 लाख रुपये है.

नहीं बढ़ेगी एसयूवी क्रेटा की कीमत

एचएमआईएल के निदेशक (सेल्स एंड मार्केटिंग) राकेश श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम अभी तक जिंस कीमतों में बढ़ोतरी, ईंधन की कीमतों में इजाफे के कारण ढुलाई में बढ़ोतरी और कुछ कलपुर्जों पर सीमा शुल्क में वृद्धि का बोझ खुद उठा रहे थे. लेकिन अब हमको कुछ बोझ को उपभोक्ताओं पर डालना होगा. जून से हम अपने विभिन्न उत्पादों की कीमत दो प्रतिशत तक बढ़ रहे हैं.’ कंपनी ने कहा है कि एसयूवी क्रेटा के 2018 के संस्करण के दाम नहीं बढ़ेंगे.

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शुरुआती कीमत 9.44 रुपये

आपको बता दें कि हुंदई ने क्रेटा एसयूवी को सोमवार को ही पेश किया है. इसकी दिल्ली में एक्स शोरूम कीमत 9.44 से 15.03 लाख रुपये तक है. यह क्रेटा का अपडेटेड वेरिएंट है. क्रेटा के नए वेरिएंट में इलेक्ट्रिक सनरूफ, 6- वे पावर ड्राइवर सीट, क्रूज कंट्रोल और वायरलैस फोन चार्जिंग समेत कई फीचर्स मौजूद हैं. इस तरह दो प्रतिशत के हिसाब से हुंदई की कारों की कीमत में 7 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की बढ़ोतरी होगी.

लौन्चिंग के मौके पर हुंदई के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ वाई के कू ने कहा, ‘2015 में पेश होने के बाद से क्रेटा एसयूवी श्रेणी में एक स्थापित ब्रांड बनी हुई है. हमें भरोसा है कि नई क्रेटा अपनी श्रेणी में नए मानक बनाएगी.’ क्रेटा के पेट्रोल वेरिएंट की दिल्ली में एक्स-शोरूम कीमत 9.43 लाख से 13.59 लाख रुपये के बीच है. वहीं डीजल वेरिएंट 9.99 लाख से 15.03 लाख रुपये तक है.

पिता की मौत ने सचिन को बना दिया महान

23 मई 1999 का दिन सचिन तेंदुलकर की जिंदगी का बेहद खास दिन है. इसी दिन सचिन तेंदुलकर ने अपने वनडे करियर का 22वां शतक जड़ा था. यह सचिन तेंदुलकर के करियर का सबसे यादगार शतक था. इस शतक को जड़ने के बाद सचिन तेंदुलकर की आंखों में आंसू थे. सचिन ने अपने इस शतक को अपने पिता को समर्पित किया था. सचिन की बेहतरीन पारी के लिए पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा था. स्टेडियम में लोग पोस्टर और बैनर लेकर आए थे, जिनपर लिखा था- हम तुम्हारे साथ हैं सचिन… भारत तुम्हारे साथ है सचिन.

23 मई 1999 वर्ल्ड कप में केन्या के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 140 रनों की पारी खेली थी. इस पारी में सचिन ने 101 गेंदों में 12 चौकों और तीन छक्‍कों के साथ140 रनों की पारी खेलकर भारत को 94 रनों से जीत दिलाई थी. सचिन तेंदुलकर की यह पारी इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि पिता की मौत के बाद चंद दिनों बाद ही सचिन ने यह यादगार पारी खेली थी.

दरअसल, 1999 में वर्ल्ड कप इंग्लैंड में खेला जा रहा था. भारत दक्षिण अफ्रीका से अपना पहला मैच हार चुका था. टीम इंडिया को अगला मैच जिंब्बावे से खेलना था. जिंब्बावे से हार का मतलब था कि भारत पिछड़ जाएगा. देश की उम्मीदें सचिन तेंदुलकर से बंधी हुई थी, लेकिन जिंब्बावे साथ मैच से पहले ही सचिन तेंदुलकर के घर से एक बेहद बुरी खबर आई.

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खबर थी कि सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया है. सचिन की पत्नी अंजलि ने खुद इंग्लैंड आकर उन्हें यह दुखद खबर सुनाई थी. यह खबर सुनते ही सचिन मुंबई के लिए रवाना हो गए. पिता की मौत की खबर से सचिन बुरी तरह से टूट गए थे. अब जिंब्बावे के साथ होने वाले मैच का हिस्सा सचिन नहीं थे और इस मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा था.

जिंब्बावे से हारने के बाद भारत पर वर्ल्ड कप से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा था. इधर, भारत में सचिन अपने पिता की मौत से गहरे सदमे थे. सभी को यही लग रहा था कि शायद अब सचिन इस वर्ल्ड कप का हिस्सा नहीं बनेंगे. भारत का अगला मैच केन्या से होना था. अगर भारत इस मैच को हारता तो वह विश्व कप के सफर से बाहर हो जाता.

सचिन तेंदुलकर अभी भारत में ही थे, लेकिन अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया, जिसके बाद उन्हें महान सचिन तेंदुलकर कहने से कोई इंकार नहीं कर सकता था. सचिन तेंदुलकर पिता के अंतिम संस्कार के बाद सीधे इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए. उन्होंने केन्या के खिलाफ मैच खेला और इस मैच में शानदार शतक जड़कर भारत तो वर्ल्ड कप में बनाए रखा.

केन्या के खिलाफ शतक जड़ने के बाद सचिन तेंदुलकर ने आसमान की तरफ अपने बल्ले को दिखाया और अपने पिता को याद किया. सचिन की आंखें नम थी और उन्होंने अपने इस शतक को अपने पिता को समर्पित कर दिया. जिस वक्त सचिन ने अपना शतक पूरा किया ना सिर्फ उनकी आंखें नम थी, बल्कि दर्शकों की आंखों में भी आंसू आ गए थे.

पिता की मौत के बाद सचिन तेंदुलकर का देश के लिए खेलने ने उन्हें महान बना दिया. बता दें कि सचिन अपने कई इंटरव्यूज में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि उनकी मां ने ही उन्हें पिता की मौत के बाद इंग्लैंड जाकर वर्ल्ड कप खेलने के लिए प्रेरित किया था. इस मैच में भारत ने मैच में दो विकेट पर 329 रन का विशाल स्‍कोर बनाया और मैच 94 रन से जीता.

एसबीआई को हुआ 3 महीने में 7718 करोड़ का नुकसान

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7,718.17 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध घाटा हुआ है. वसूली में फंसे कर्जों (NPA) के लिए नुकसान के ऊंचे प्रावधान करने के कारण इतना बड़ा घाटा हुआ. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में देश के इस सबसे बड़े बैंक ने 2,814.82 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था. दिसंबर 2017 को समाप्त तीसरी तिमाही में बैंक को 2,416.37 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. बैंक की तरफ से मंगलवार को शेयर बाजार में बताया गया कि जनवरी- मार्च तिमाही में उस की कुल आय बढ़कर 68,436.06 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.

पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 57,720.07 करोड़ रुपये थी. इस अवधि में बैंक का सकल एनपीए बढ़कर कर्ज के 10.91 प्रतिशत के बराबर हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 6.90 प्रतिशत था. इस दौरान बैंक का शुद्ध एनपीए बढ़कर 5.73 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान तिमाही में 3.71 प्रतिशत था. बैंक के अनुसार विभिन्न शुल्कों से कमाई वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 7,434 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 की चौथी तिमाही में 8,430 करोड़ रुपये हो गई.

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एसबीआई की तरफ से जनवरी से मार्च 2018 की तिमाही में हुए घाटे के तीन बड़े कारण बताए हैं. बैंक के अनुसार ट्रेडिंग से कम आमदनी और बौन्ड यील्ड्स के बढ़ने के कारण मार्केट टू मार्केट में बड़े घाटे ने उसे तिमाही में शुद्ध घाटे की तरफ धकेला. बैंक की तरफ से यह भी बताया गया कि वेतन वृद्धि एवं ग्रेच्युटी की लिमिट बढ़ने से भी इन मदों में ज्यादा प्रावधान करने पड़े. चौथी तिमाही में एसबीआई का एनपीए 1.99 लाख करोड़ से बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया.

इससे पहले देश के सबसे बड़े बैंक ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत वित्त वर्ष 2017-18 में अपने ग्राहकों से वसूले गए कुल एटीएम व्यवहार शुल्क की जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया था. यह शुल्क एटीएम उपयोग के तय मुफ्त अवसर खत्म होने के बाद वसूला जाता है. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ ने बताया था कि उन्होंने आरटीआई अर्जी दायर कर एसबीआई से 31 मार्च को समाप्त ​वित्त वर्ष में उसके द्वारा अपने ग्राहकों से वसूले गए एटीएम व्यवहार शुल्क की ​तिमाही आधार पर जानकारी मांगी थी.

शादियों में कलाकारों के नाचने के सख्त खिलाफ हैं जौन अब्राहम

आम तौर पर हर भारतीय फिल्मकार एक ही रट लगाए रहता है कि दर्शक सिर्फ मनोरंजन के लिए ही फिल्में देखता है. ‘विक्की डोनर’, ‘मद्रास कैफे’के बाद अब ‘परमाणुः ए स्टोरी आफ पोखरण’के निर्माता व अभिनेता जौन अब्राहम भी मानते हैं कि भारतीय दर्शक सिनेमा में मनोरंजन देखना चाहता है. पर वह इरानी फिल्मकार माजिद मजीदी के इस कथन से भी सहमत नजर आते हैं कि भारतीय फिल्मकार मनोरंजन के नाम पर भारत की गलत छवि विदेशो में पेश कर रहे हैं.

जब हमने जौन अब्राहम से माजिद मजीदी के कथन का जिक्र किया, तो ‘‘सरिता’’ पत्रिका से एक्सक्लूसिव बात करते हुए जौन अब्राहम ने कहा- ‘‘जब हम हर फिल्म में सिर्फ नाच गाना दिखाएंगे, तो विदेशों में हमारी इन फिल्मों को देखकर लोग यही सोचेंगे कि हम सिर्फ नाच गाना ही करते रहते हैं. इसलिए ‘मद्रास कैफे’ और‘परमाणु’जैसी फिल्में बननी चाहिए. वास्तव में इंसान दिन भर काम कर, कई तरह की समस्याओं से जूझने के बाद जब घर पहुंचता हैं, तो डिप्रेस्ड हो जाता है. उस वक्त उन्हें मनोरंजन की चाहत होती है. इसलिए हर किसी का अपना नजरिया होता है.

मेरा मानना है कि यदि हम लोग एक ही तरह की फिल्म बनाते रहेंगे, तो बाहर उसकी गलत छवि तो जाएगी ही. मैं आपको बताता हूं. जब मैं अमरीका के लौस एंजिल्स जाता हूं, तो वह लोग सबसे पहले बौलीवुड बोलते हैं. पर मैं बौलीवुड की जगह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री कहता हूं. फिर वह कहते हैं कि ‘सांग एंड डांस’तो वह सही कहते हैं. क्योंकि हम अपनी फिल्मों में सिर्फ यही देते हैं. तो जब तक हम मरेंगे नहीं, तब तक नाचते रहेंगे. हमारे फिल्मी हीरो तो शादियों में भी नाचते हैं. हर जगह नाचते हैं. पैसे के लिए किसी की भी शादी में नाचने चले जाते हैं.’’

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जब हमने जौन अब्राहम से पूछा कि उद्योगपतियों की शादी में जाकर नाचने को वह कितना जायज मानते हैं?’ तो जौन अब्राहम ने बिना लाग लपेट के कहा- ‘‘जो नाचने जाते हैं, मैं उन पर कुछ कमेंट नही कर सकता. हर किसी का अपना एक नजरिया होता है. पर मैं किसी की शादी में नाचने नहीं जाता. शायद आमिर खान भी नहीं जाते. पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री यह काम करती है. मेरा मानना है कि हम कलाकार हैं. हमारा काम रचनात्मक है. हमें परदे पर आना चाहिए, शादियों में नाचना नहीं चाहिए. खैर, मुझे तो शादियों में जाकर नाचना अच्छा नहीं लगता. यदि मैं किसी शादी में नाचने पहुंच जाउंगा, तो मुझे रात भर नींद नहीं आएगी. लोगों ने मुझे कई बार सलाह दी. मैंने कई बार करोड़ों रुपए छोड़ दिए, पर शादी में नाचने नहीं गया.’’

पेट्रोल-डीजल के दाम छू रहे आसमान

पेट्रोल-डीजल की कीमतें मौजूदा समय में आसमान छू रही हैं. कर्नाटक चुनाव को देखते हुए तेल कंपनियों ने 19 दिन का प्राइस रिवीजन नहीं किया था, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. 14 मई के बाद से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी लगातार जारी है.

सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 76.61 रुपए और डीजल 67.82 रुपए प्रति लीटर तो वहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमत 84.44 रुपए प्रति लीटर और डीजल 72.21 है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने कई पुराने रिकौर्ड तोड़ दिए हैं. पिछले आठ दिनों में पेट्रोल के दाम में 1.61 रुपए जबकि डीजल की कीमत में 1.64 रुपए का इजाफा किया गया है.

कहा जा रहा है कि कीमतें अभी और बढ़ सकती हैं. देखते हैं कि पेट्रोल के दाम आसमान क्यों छू रहे हैं और कैसे तय होती है इनकी कीमत :

तो इसलिए तेल में लग रही आग

कच्चे तेल की कीमत और पेट्रोल-डीजल की बढती मांग इसकी मुख्य वजह है. कच्चे तेल की कीमत हालांकि अभी 70 डालर प्रति बैरल है. याद होगा कि 2013-14 में यह रेट 107 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. उस वक्त जब कीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो गईं तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा. हालांकि इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत घटी है, पर वहीं कई तरह के टैक्स के चलते देश में पेट्रोल-डीजल महंगा होता चला जा रहा है.

किस तरह होती है किमत तय

सबसे पहले खाड़ी या दूसरे देशों से तेल खरीदते हैं, फिर उसमें ट्रांसपोर्ट खर्च जोड़ते हैं. क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को रिफाइन करने का व्यय भी जोड़ते हैं. केंद्र की एक्साइज ड्यूटी और डीलर का कमीशन जुड़ता है. राज्य वैट लगाते हैं और इस तरह आम ग्राहक के लिए कीमत तय होती है.

चार साल में 12 बार बढ़ीं कीमतें

बीते चार साल में सरकार ने कम से कम एक दर्जन बार ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क में इजाफा किया है. इतना ही नहीं 4 मई से अबतक लगातार आठवीं बार कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. नतीजतन मौजूदा सरकार को पेट्रोल पर मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में 2014 में मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी के मुकाबले 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मुनाफा होने लगा. इसी तरह डीजल में सरकार को पिछली सरकार के मुकाबले 11 रुपये प्रति लीटर ज्यादा मिल रहे हैं.

श्वेता बच्चन ने पिता अमिताभ संग की अपनी एक्टिंग पारी की शुरुआत

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के पूरे परिवार का बौलीवुड इंडस्ट्री से कुछ गहरा नाता रहा है. फिर बात चाहें जया बच्चन की हो, बहु ऐश्वर्या की या फिर बेटे अभिषेक बच्चन की. सभी ने अपनी फिल्मों से दर्शकों के दिल पर अपनी अहम छाप छोड़ी है. इस लिस्ट में अगर अब तक किसी का नाम शामिल नहीं था तो वो थीं अमिताभ की बेटी श्वेता बच्चन.

लेकिन अब अमिताभ की बेटी श्वेता का भी एक्टिंग की लिस्ट में जल्द ही नाम जुड़ने वाला है. जी हां, श्वेता जल्द एक्टिंग में डेब्यू करने वाली हैं. हालांकि वो किसी फिल्म में नहीं बल्कि अपने पापा अमिताभ बच्चन के साथ कल्याण ज्वैलर्स की एड में दिखाई देंगी.

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खबरों की मानें तो एडमेकर जीबी विजय द्वारा निर्देशित इस विज्ञापन में बाप-बेटी के प्यार और विश्वास से भरे रिश्ते की कहानी दिखाई जाएगी. इसके साथ ही अपने फैशन सेंस के लिए फेमस श्वेता के स्टाइल की झलक ब्रांड के सिग्नेचर कलेक्शन में भी दिखाई दे सकती है.

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हाल ही में इस विज्ञापन शूट की तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें पिता अमिताभ के साथ बेटी श्वेता नजर आ रही हैं. यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि, श्वेता अपने पिता अमिताभ की चलने में मदद कर रही हैं. खबरों के मुताबिक यह विज्ञापन इस साल जुलाई तक औन एयर हो जाएगा.

मोबाइल की बैटरी लाइफ सुधारने के लिए सुधारें अपनी आदतें

कई बार हम मोबाइल की बैटरी लाइफ से परेशान होकर नया फोन लेते हैं पर कुछ ही समय बाद उसकी बैटरा से भी परेशान होने लगते हैं. ये समस्या आम है और इससे निजात पाने के लिए अब तक आपने तरह-तरह के उपायों के बारे में जाना, सुना और पढ़ा होगा. लेकिन कई बार हमारी खराब आदतों के चलते हमें इस तरह की समस्या का सामना करा पड़ता है. जी हां, घर पहुंचते ही अपने फोन को चार्ज पर लगा देना और अगले दिन सुबह तक उसे चार्ज करते रहना, या फिर फोन चार्जिंग में लगाकर उसका इस्तेमाल करने जैसी आदतों की वजह से ही हमारें फोन में बैटरा की लाइफ को लेकर समस्या आने लगती है. इसलिए हमें अपने फोन की बैटरी लाइफ सुधारने के लिए पहले अपनी आदतों को सुधारना होगा.

अपने फोन को ज्यादा गर्म होने से बचाएं

स्मार्टफोन का ज्यादा गर्म होना लिथियम इयान बैट्रीज के लिए बेहद ही खतरनाक है. आपको अपने फोन को सीधे धूप से बचाना चाहिए. दिन में ड्राइव करते वक्त कार के डैशबोर्ड पर मोबाइल को छोड़ना खतरे से खाली नहीं है.

चार्जिंग के वक्त फोन का इस्तेमाल नहीं करें

चार्जिंग के वक्त फोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए. तकनीकी तौर पर इसे पैरासाइटिक चार्जिंग कहते हैं. हाई ग्राफिक्स वाले गेम्स खेलते वक्त फोन को चार्ज करने से भी बचना चाहिए. क्योंकि फोन को ऐसे इस्तेमाल करना बेहद ही घातक साबित हो सकता है.

नकली चार्जर का इस्तेमाल नहीं करें

फोन को चार्ज करने के लिए कंपनी द्वारा दिए गए चार्जर का ही इस्तेमाल करें. अगर आपके फोन में क्विक चार्जिंग का फंक्शन है तो ऐसा करना बेहद ही अहम हो जाता है. एक मोबाइल कंपनी का कहना है कि हाई कैपिसिटी चार्जर आपकी बैटरी को चंद मिनटों में 70 फीसदी तक चार्ज तो कर देंगे, लेकिन यह आप्टमाइज्ड न हो तो बैटरी को नुकसान भी हो सकता है.

झटपट चार्ज करने के लिए थर्ड पार्टी चार्जर्स के इस्तेमाल से बचें. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कौन सा फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन 50,000 रुपये के स्मार्टफोन के लिए सड़क किनारे से खरीदे 50 रुपये वाले चार्जर का इस्तेमाल करने का कोई तुक नहीं बनता. इससे बैटरी को तो नुकसान पहुंचता ही है और संभव है कि यह किसी दुर्घटना का कारण भी बन जाए.

शून्य और 100, ये कोई जादूई आंकड़ा नहीं

आपको अपने नए फोन को पूरी तरह से चार्ज करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब आप उसे खरीदते हैं तब उसकी बैटरी पहले से ही चार्ज होती है. आप सीधे इसका इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं, एक बार जब बैटरी खत्म हो जाए तो फिर उसे पूरी तरह चार्ज कर लें.

वहीं, दूसरी तरफ अगर संभव हो तो आप अपने फोन की बैटरी को पूरी तरह से खत्म नहीं होने दें. जैसे ही आपके फोन में सिर्फ 10 फीसदी बैटरी बची हो उसे चार्ज पर लगा दें. इससे बैटरी की लाइफ बढ़ती है.

पुलिस कांस्टेबल ने क्रिकेटर की पत्नी संग सरेआम की मारपीट

भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवा से मारपीट करने के मामले में एक पुलिस कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी कांस्टेबल का नाम संजय अहीर है. कांस्टेबल संजय पर सरेआम रीवा को थप्पड़ मारने का आरोप है.

ये है पूरा मामला

सोमवार को रीवा जडेजा अपनी BMW कार में सवार थी और सरु सेक्शन रोड पर शाम के वक्त उनकी गाड़ी एक पुलिसकर्मी की बाइक से जा टकराई. जिसके बाद दोनों के बीच कहासुनी हुई. इस दौरान दोनों के बीच गहमागहमी इतनी बढ़ गई कि पुलिस कांस्टेबल ने रीवा को थप्पड़ मार दिया. बता दें कि गाड़ी खुद रीवा चला रही थीं और उनके साथ एक बच्चा भी था.

इस बवाल के बाद रीवा सीधे जामनगर जिला पुलिस मुख्यालय पहुंच गईं. उनकी शिकायत पर जामनगर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रदीप सेजुल ने आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया. जिसके बाद अब आरोपी की गिरफ्तारी कर ली गई.

एक व्यक्ति ने खुद को इस घटना का चश्मदीद बताते हुए दावा किया कि पुलिसकर्मी ने रीवा जडेजा को बुरी तरह मारा. विजयसिंह चावड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘पुलिसकर्मी ने रीवा को बेरहमी से मारा और बहस के दौरान उसके बाल तक खींचे. हमने उसे (रीवा को) उससे बचाया.’

रुद्राक्ष के हत्यारे को सजा-ए-मौत : दिल दहलाने वाली सच्ची कहानी

26 फरवरी, 2018 की बात है. कोटा शहर की अदालत में उस दिन आम दिनों से कुछ ज्यादा ही भीड़ थी.  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल की अदालत के बाहर सब से ज्यादा भीड़ मौजूद थी. भीड़ में शहर के आम लोगों के अलावा वकील भी शामिल थे.

अदालत में भीड़ जुटने का कारण यह था कि उस दिन कोटा के बहुचर्चित रुद्राक्ष अपहरण हत्याकांड का फैसला सुनाया जाना था. इसलिए रुद्राक्ष के मातापिता के अलावा उन के कई परिचित भी अदालत में आए हुए थे.

भीड़ में इस बात को ले कर खुसरफुसर हो रही थी कि अदालत क्या फैसला सुनाएगी. कोई कह रहा था कि आरोपियों को फांसी होगी तो कोई उम्रकैद होने का अनुमान लगा रहा था. दरअसल, इस मामले से कोटा की जनता का भावनात्मक जुड़ाव रहा था, इसलिए पूरे कोटा शहर की नजरें फैसले पर टिकी हुई थीं.

विशिष्ट न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल समय पर अदालत पहुंच गए. जज साहब ने पहले अदालत के जरूरी काम निपटाए. फिर उन्होंने रुद्राक्ष हत्याकांड की फाइल पर नजर डाली और इस मामले के चारों आरोपियों को दोपहर 2 बजे अदालत में पेश होने का संदेश भिजवा दिया. अदालत के बाहर जमा लोगों को जब पता लगा कि जज साहब ने दोपहर 2 बजे आरोपियों को अदालत में पेश करने को कहा है तो वहां से धीरधीरे भीड़ कम होने लगी.

लंच के बाद अदालत के बाहर फिर से लोग जमा होने लगे. दोपहर 2 बजे पुलिस ने रुद्राक्ष हत्याकांड के आरोपी अंकुर पाडिया और उस के भाई अनूप पाडिया को कोर्टरूम में पेश किया. दोनों भाइयों को जेल से अदालत लाया गया था. तीसरा आरोपी महावीर शर्मा जमानत पर चल रहा था, वह भी कोर्टरूम में आ चुका था. इन तीनों आरोपियों को कटघरे में खड़ा किया गया.

इस बीच विशिष्ट न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल अपने चैंबर से निकल कर कोर्टरूम में अपनी कुरसी पर बैठ गए. कुरसी पर बैठते ही उन्होंने एक नजर कोर्टरूम में मौजूद लोगों पर डाली, फिर अपने साथ लाई फाइल पर नजर दौड़ाने लगे.

इस केस का चौथा आरोपी करणजीत सिंह दिल्ली से नहीं आया था. उस के वकील सतविंदर सिंह ने जज साहब के सामने उस की हाजिरी माफी का प्रार्थनापत्र पेश करते हुए कहा कि करणजीत सिंह के दादा की मृत्यु होने के कारण वह अदालत में हाजिर नहीं हो सका. इस पर जज साहब कुछ नहीं बोले.

जज साहब ने सामने रखी फाइल खोल कर कुछ पन्ने पलटे और रुद्राक्ष की हत्या के चारों आरोपियों अंकुर पाडिया, अनूप पाडिया, महावीर शर्मा और चरणजीत सिंह को दोषी घोषित कर दिया. उन्होंने सजा के आधार बिंदु भी सुनाए.

तभी आरोपियों की पैरवी करते हुए उन के वकीलों ने कहा कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए. विशिष्ट लोक अभियोजक कमलकांत शर्मा ने उन की बात का विरोध करते हुए कहा कि यह रेयरेस्ट औफ रेयर मामला है, इसलिए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए. इन्हें कम से कम फांसी की सजा दी जाए. अपनी दलीलें पेश करते हुए लोक अभियोजक ने अदालत के सामने 3 रूलिंग भी पेश कीं.

वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज साहब ने शाम 5 बजे दोषियों को सजा सुनाने की बात कही. इस के बाद वह फिर से अपने चैंबर में चले गए.

रुद्राक्ष कौन था और उस का अपहरण व हत्या क्यों की गई, इस के लिए हमें करीब सवा 3 साल पीछे जाना होगा.

दरअसल रुद्राक्ष कोटा शहर की तलवंडी कालोनी के रहने वाले पुनीत हांडा का बेटा था. पुनीत हांडा एक बैंक में मैनेजर थे. 7 साल का रुद्राक्ष रोजाना की तरह 9 अक्तूबर, 2014 की शाम करीब 5-साढ़े 5 बजे अपने घर के पीछे हनुमान पार्क में खेलने गया था.

आमतौर पर वह करीब एक घंटे पार्क में खेल कर वापस घर लौट आता था, लेकिन उस दिन वह नहीं लौटा तो परिवार वालों ने उसे पार्क में जा कर ढूंढा. लेकिन वह वहां नहीं मिला.

उसी दिन शाम करीब साढ़े 7 बजे पुनीत हांडा के लैंडलाइन पर फोन आया. फोन करने वाले ने कहा कि तुम्हारा बेटा किडनैप हो गया है. पुनीत ने पहले तो इसे मजाक समझा, लेकिन फोन करने वाले ने गालीगलौज के साथ अपना नाम जफर मोहम्मद बताते हुए कहा कि बच्चे को कश्मीर भेज दिया है. अगर बच्चे को सहीसलामत वापस चाहते हो तो 2 करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो.

पुनीत हांडा ने 2 करोड़ रुपए की रकम देने में असमर्थता जताई तो फोन करने वाले ने कहा, ‘‘तू बैंक मैनेजर है और तेरी बीवी टीचर. जितनी भी रकम हो सकती है, इकट्ठी कर ले. बाकी बात सुबह फोन कर के बताऊंगा और अगर पुलिस को बताने की होशियारी दिखाई तो बच्चे से हाथ धो बैठोगे.’’ कहते हुए उस आदमी ने फोन काट दिया.

फोन सुन कर पुनीत ने सिर थाम लिया. उन की समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. वह सोचने लगे कि उन की तो किसी से दुश्मनी भी नहीं है.

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बेटे के अपहरण होने की बात जब पुनीत की पत्नी श्रद्धा हांडा को पता चली तो वह रोने लगीं. पुनीत ने पत्नी को ढांढस बंधाते हुए कहा कि यह समय रोने का नहीं, बल्कि सोचने का है कि हमें अब क्या करना चाहिए. वह रोते हुए बोलीं, ‘‘मेरे जितने भी गहने हैं, सब बाजार में बेच दो पर मेरे रुद्राक्ष को ले आओ.’’

पुनीत ने पत्नी को हौसला रखने को कहा. बाद में उन्होंने फैसला किया कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. इस के बाद पुनीत ने अपने कुछ परिचितों को फोन कर के बुलाया. परिचितों के साथ उसी रात करीब पौने 9 बजे वह कोटा के जवाहरनगर पुलिस थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी को उन्होंने सारी बातें बताईं. पुलिस ने उसी समय भादंवि की धारा 364ए के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी.

पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया. पूरे शहर में नाकेबंदी करा दी गई. पुलिस ने उस पार्क के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी देखे, जिस में रुद्राक्ष खेलने गया था. फुटेज में सफेद रंग की निसान माइक्रा कार नजर आई, जिस का नंबर साफ नहीं दिख रहा था. पुलिस उस कार की तलाश में जुट गई. रुद्राक्ष और अपहर्त्ताओं की तलाश के लिए रात भर पुलिस का अभियान चलता रहा, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा.

अगले दिन 10 अक्तूबर, 2014 को कोटा के तालेडा थाना इलाके के जाखमुंड स्थित नहर में एक बच्चे की लाश बरामद हुई. बाद में उस की शिनाख्त 7 वर्षीय रुद्राक्ष के रूप में हुई. जवाहरनगर थाना पुलिस ने बच्चे की लाश को जरूरी काररवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और केस में हत्या की धारा भी जोड़ दी.

थोड़ी सी देर में रुद्राक्ष की हत्या की खबर पूरे शहर में फैल गई. जिस के बाद लोग आक्रोश में आ गए. विरोध जताने के लिए लोगों ने बाजार बंद रखे. जगहजगह पुलिस के खिलाफ धरनाप्रदर्शन भी शुरू हो गए. कैंडल मार्च, मौन जुलूस निकाले गए. मानव शृंखला बना कर भी विरोध जताया गया. एक तरह से पूरा शहर इस आंदोलन से जुड़ गया था.

भारी जनाक्रोश को देखते हुए जयपुर से आए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (क्राइम) अजीत सिंह कई दिनों तक कोटा में इसलिए डेरा डाले रहे कि कहीं स्थिति विस्फोटक न हो जाए.

पुलिस ने रुद्राक्ष के अपहर्त्ता और हत्यारोपियों की तलाश में कई टीमें गठित कीं. पुलिस ने रुद्राक्ष के साथ पार्क में खेल रहे बच्चों से भी पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि कई दिन से एक अंकल पार्क में खेल रहे बच्चों को चौकलेट बांटने आते थे. उस दिन भी वह आए. उन के पास की चौकलेट खत्म हो गई थीं. रुद्राक्ष ही चौकलेट के लिए रह गया था. तब वह चौकलेट देने के लिए रुद्राक्ष को अपनी कार के पास ले गए.

पुलिस ने बच्चों के बताए हुलिए के आधार पर अपहर्त्ता के स्केच बनवा कर जारी कर दिए. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदिग्ध कार के मालिक का भी पुलिस ने पता लगा लिया. इस के अलावा पुनीत हांडा के घर के लैंडलाइन टेलीफोन पर जिस फोन नंबर से फिरौती की काल आई थी, उस फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई गई.

5 दिन की लगातार जांचपड़ताल के बाद कोटा शहर के अनंतपुरा थाना इलाके के ओम एनक्लेव के रहने वाले अंकुर पाडिया का नाम सामने आया. पुलिस ने अंकुर पाडिया को तलाशा तो पता चला कि वह कोटा शहर में है ही नहीं. अंकुर के कोटा शहर में ही अलगअलग जगहों पर कई फ्लैट हैं.

पुलिस 14 अक्तूबर को ओम एनक्लेव में स्थित अंकुर के फ्लैट पर पहुंची. लोगों की मौजूदगी में फ्लैट का ताला तोड़ कर तलाशी ली तो वहां एक मोबाइल फोन, अंकुर का पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड मिले.

फ्लैट के नीचे एक निसान माइक्रा कार भी खड़ी मिली. लोगों से पता चला कि वह कार अंकुर की ही है. कार में एक कंबल, कपड़े, चौकलेट, बिसकुट, कैंची, सेलोटेप, नायलौन की डोरी मिली.

अंकुर की बंसल क्लासेज के नजदीक ही स्टेशनरी की दुकान भी है. दुकान की तलाशी लेने पर वहां से एक लैपटाप, हार्डडिस्क, पेन ड्राइव, डोंगल, 2 मोबाइल फोन बरामद हुए. इस के अलावा उस के महालक्ष्मीपुरम स्थित फ्लैट से 3 लाख रुपए नकद, डायरी, मोबाइल फोन आदि जब्त किए. यह वही फोन था, जिस से फिरौती के लिए रुद्राक्ष के घर वालों को काल की गई थी.

जांच में पता चला कि रुद्राक्ष के घर फिरौती के लिए बीएसएनएल की सिम से काल की गई थी. उस की काल डिटेल्स से पुलिस को रिलायंस कंपनी का एक नंबर मिला. जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि वह सिम दिल्ली से लिया गया था.

दिल्ली में करणजीत सिंह नाम के व्यक्ति ने एक साथ 8-10 सिम कार्ड बेचे थे. इन में से एक सिमकार्ड का प्रयोग कर के गुजरात से क्लोरोफार्म मंगाने के लिए ईमेल किया गया था. आईपी एड्रेस से अंकुर का नाम सामने आ गया था.

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पुलिस ने अंकुर का नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. जांच में पता चला कि अनूप पाडिया का फरजी नाम संतोष सिंह है. अनूप की एक नए नंबर पर बारबार बात हो रही थी. उस नए नंबर का मूवमेंट कानपुर स्टेशन के आसपास आ रहा था. उस मोबाइल की आईडी उड़ीसा की थी. कानपुर में तलाश की गई तो पता चला कि अंकुर पाडिया उड़ीसा के किसी व्यक्ति की आईडी पर कानपुर के एक होटल में कमरा ले कर रह रहा है.

लंबी भागदौड़ के बाद पुलिस ने 27 अक्तूबर, 2014 को कानपुर से अंकुर पाडिया और लखनऊ से उस के भाई अनूप पाडिया को गिरफ्तार कर लिया. अनूप पाडिया रुद्राक्ष के अपहरण और हत्या मामले में अंकुर का सहयोगी था.

पूछताछ में पता चला कि अंकुर पाडिया को क्रिकेट मैचों का सट्टा लगाने का शौक था. इस शौक में कुछ समय पहले उस ने लाखों रुपए गंवा दिए थे, जिस से उस पर लाखों रुपए का कर्ज हो गया था, जिस की वजह से उसे कोटा में महालक्ष्मीपुरम का अपना फ्लैट गिरवी रखना पड़ा था.

बैंक का उस पर 39 लाख रुपए का कर्ज था. उस ने गोपाल से 65 लाख रुपए ले रखे थे. इस के अलावा निखिल शर्मा से भी 10 लाख रुपए ले रखे थे. कई अन्य लोगों से भी उस ने मोटी रकम ले रखी थी.

कर्ज से उबरने के लिए अंकुर ने रुद्राक्ष के अपहरण की योजना बनाई. उसे पता था कि रुद्राक्ष का पिता पुनीत हांडा बूंदी सेंट्रल कोऔपरेटिव बैंक में मैनेजर है और मां कौन्वेंट स्कूल में टीचर, इसलिए अंकुर को उम्मीद थी कि उन के बेटे रुद्राक्ष का अपहरण करने पर फिरौती के रूप में मोटी रकम मिल सकती है.

अंकुर ने रुद्राक्ष का अपहरण करने के लिए कई दिन तक पार्क के चक्कर लगाए. वहां खेलने वाले बच्चों को वह चौकलेट देता था. 9 अक्तूबर, 2014 को वह पार्क से रुद्राक्ष को चौकलेट के बहाने ले गया और उसे अपनी सफेद माइक्रा कार में बैठा कर क्लोरोफार्म सुंघा कर बेहोश कर दिया.

बेहोश रुद्राक्ष को ले कर वह कोटा शहर में घूमता रहा. वह कोटा के दशहरा मेले में भी गया. इस के अलावा उस ने उम्मेद क्लब के सिल्वर जुबली कार्यक्रम में भाग लिया. उसी रात अंकुर ने रुद्राक्ष की हत्या कर दी और उस का शव तड़के नहर में फेंक दिया. रुद्राक्ष की हत्या के बाद वह कोटा से भाग कर कई राज्यों में घूमता हुआ कानपुर पहुंचा.

बाद में 30 अक्तूबर को पुलिस ने दिल्ली के तिलकनगर थाना इलाके में कृष्णापुरी के रहने वाले करणजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. करणजीत सिंह दिल्ली के गफ्फार मार्केट में मोबाइल का काम करता था.

उस ने पुलिस को बताया कि उसे एक जगह 10 सिम कार्ड लावारिस हालत में मिले थे. इन में से एक सिमकार्ड उस ने खुद रख लिया और बाकी 9 सिम 23 सितंबर, 2014 को एक आदमी को 1100 रुपए में बेच दिए. पुलिस ने अंकुर पाडिया के नौकर महावीर शर्मा को 7 नवंबर, 2014 को बूंदी जिले के केशोराय पाटन से गिरफ्तार कर लिया.

अंकुर पाडिया ने रुद्राक्ष के अपहरण की योजना पूरी तरह सोचसमझ कर बनाई थी. पुलिस को उस के लैपटाप की जांच के बाद पता चला कि उस ने सितंबर, 2014 में इंटरनेट के द्वारा क्लोरोफार्म मिलने के स्थानों की तलाश की. इस के अलावा एक अंगरेजी अखबार की वेबसाइट पर किडनैपिंग से संबंधित वेबपेज भी देखे.

अंकुर के लैपटाप की एफएसएल जांच रिपोर्ट से पता चला कि पहली सितंबर, 2014 से 14 अक्तूबर, 2014 के बीच उस ने अपराध के लिए इंटरनेट पर कई तरह की खोजबीन की थी. डेढ़ महीने में उस ने 188 तरह के कीवर्ड सर्च किए. इन में वेयर कैन बी गेट क्लोरोफार्म, वेयर कैन बी गेट मेकअप मटीरियल सरदारजी गेटअप, हाउ टू चेंज योर वाइस ओवर द फोन, रिच परसन इन कोटा प्रमुख थे.

अंकुर इतना शातिर था कि उस ने 16 अक्तूबर, 2014 की रात सुशांत राजगंधा नामक व्यक्ति का वोटर आईडी कार्ड चुरा लिया. सुशांत राजगंधा ट्रेन द्वारा बलसाड से राजगंधा जा रहा था. रुद्राक्ष की हत्या के बाद कोटा से फरार हो कर अंकुर भी उसी ट्रेन से कहीं जा रहा था.

इसी दौरान मौका पा कर अंकुर ने सुशांत राजगंधा का वोटर आईडी कार्ड व अन्य दस्तावेज चुरा लिए. सुशांत राजगंधा के वोटर आईडी कार्ड के आधार पर अंकुर कानपुर में होटल में रुका हुआ था. अंकुर के शातिराना दिमाग का अंदाज इस से भी पता चलता है कि जब कानपुर में उसे पकड़ा गया था तो उस के पास उस का लिखा 2 पन्नों का सुसाइड नोट भी था.

इस सुसाइड नोट पर उस के दस्तखत भी थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि अंकुर इस सुसाइड नोट को प्रचारित कर दुनिया की नजर में मर जाता, लेकिन असल में वह नाम बदल कर अपने भाई अनूप पाडिया की तरह कहीं अन्यत्र रहने लग जाता.

पुलिस को यह भी पता चला कि अनूप पाडिया पर कोटा शहर व कई अन्य जगहों पर धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं. कई प्रकरण एनआई एक्ट के विचाराधीन हैं. वह सन 2009 में जयपुर जिले से पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था. तब से वह फरार चल रहा था. बाद में उसे रुद्राक्ष के मामले में लखनऊ से गिरफ्तार किया गया, जहां वह संतोष सिंह के नाम से रह रहा था.

पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि दोनों भाई पैसों के लिए मिल कर अपराध कर रहे थे. रुद्राक्ष की हत्या के तुरंत बाद 12 अक्तूबर, 2014 को अंकुर सीधा अपने भाई अनूप उर्फ संतोष सिंह के पास गया था.

इस मामले में आमजनों की भावना को देखते हुए कोटा के वकीलों ने 2 आरोपियों अंकुर पाडिया और अनूप पाडिया की पैरवी नहीं की थी. इतना ही नहीं, बार असोसिएशन ने परिवादी पुनीत हांडा की तरफ से नि:शुल्क पैरवी के लिए एडवोकेट हरीश शर्मा को नियुक्त कर दिया था.

व्यापक जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने अंकुर पाडिया के खिलाफ भादंसं की धारा 364ए, 302, 379, 419, 420, 120बी व सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 65 व 66क, ख, ग, घ के तहत, अभियुक्त अनूप पाडिया उर्फ संतोष सिंह के खिलाफ भादंसं की धारा 364ए, 302, 419, 420, 212, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ख, ग, घ के अंतर्गत आरोपपत्र पेश किया. अभियुक्त करणजीत सिंह के खिलाफ भादंसं की धारा 109, 364ए एवं 302 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66बी तथा अभियुक्त महावीर शर्मा के खिलाफ भादंसं की धारा 201 एवं 212 के तहत 23 जनवरी, 2015 को अदालत में आरोपपत्र पेश किया. पुलिस ने 1464 पेज और 10 सीडी में चालान पेश किया था.

कोर्ट में करीब 3 सालों तक इस बहुचर्चित मामले की काररवाई चलती रही, जिस में 110 गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए. न्यायालय में पेश हुए साक्ष्यों के आधार पर ही न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल ने आरोपियों को दोषी ठहराया.

सजा सुनाने के लिए जज साहब शाम 5 बजे कोर्ट में पहुंच गए. उस समय आरोपियों के अलावा मामले से जुड़े सभी वकील व रुद्राक्ष के मातापिता भी कोर्टरूम में मौजूद थे.

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जज साहब ने बिना कोई भूमिका बनाए सीधे फैसला सुनाते हुए कहा, ‘अभियुक्त अंकुर ने क्रूरतम, अमानवीय तथा हृदयविदारक जघन्य अपराध किया था. अभियुक्त की अपराध प्रवृत्ति को देखते हुए वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के योग्य नहीं है. अभियुक्त अंकुर समाज के लिए खतरा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे हालात में अभियुक्त अंकुर के साथ नरमी का रुख अपनाए जाने का कोई औचित्य नहीं हो सकता. 7 साल के बच्चे की बर्बरतापूर्वक हत्या के इस मामले को रेयरेस्ट औफ रेयर माना जाना न्यायोचित प्रतीत होता है. इसलिए अभियुक्त अंकुर पाडिया को मृत्युदंड से कम कुछ भी दिया जाना न्यायोचित नहीं है.’

इतना कह कर जज साहब ने एक सरसरी नजर कटघरे में खड़े अभियुक्त अंकुर पाडिया के चेहरे पर डाली.

कुछ क्षण रुक कर जज साहब ने कहा, ‘अभियुक्त अनूप ने नियोजित तरीके से षडयंत्रपूर्वक अपराध किया था. इस तरह के अपराधों में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के लिए नरमी का रुख अपनाया गया तो यह समाज के लिए घातक होगा. पिछले 5 सालों से वह नाम बदल कर और अपनी पहचान छिपा कर संतोष सिंह के नाम से रहता रहा और इसी नाम से आईडी, परिवार कार्ड बनवा लिए, जो उस की आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है. अभियुक्त अनूप का अपराध अतिगंभीर और हृदय विदारक है. उस के खिलाफ नरमी का रुख अपनाया जाना न्यायोचित नहीं होगा.’

जज साहब ने इतना कह कर कटघरे में खड़े अभियुक्त अनूप पाडिया और कोर्टरूम में मौजूद लोगों पर सरसरी नजर डाली. कुछ पलों की चुप्पी के बाद जज साहब ने आगे कहा, ‘अभियुक्त महावीर और करणजीत पर भी आरोपित अपराध गंभीर प्रकृति के हैं. महावीर ने फिरौती के लिए अपहरण व हत्या जैसे गंभीर अपराध में साक्ष्य नष्ट करने और आरोपी अंकुर को बचाने के लिए सहयोग किया. आरोपी चरणजीत ने फरजी सिम बेचने का अपराध किया. ये परिवीक्षा के प्रावधानों के लाभ पाने के अधिकारी नहीं हैं. उन्हें भी समुचित दंड से दंडित किया जाना न्यायोचित होगा.’

इस के बाद जज साहब ने टेबल पर रखे गिलास से पानी पिया. फिर उन्होंने दंडादेश सुनाते हुए कहा, ‘मुख्य आरोपी अंकुर पाडिया को दोषसिद्ध आरोप के अंतर्गत धारा 302 भादंसं में मृत्युदंड और 50 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाता है. इस के अलावा उसे 364ए में मृत्युदंड व 50 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया जाता है.’

अंकुर पाडिया को कई अन्य धाराओं में सजा व अर्थदंड सुनाने के बाद जज साहब ने अभियुक्त अनूप पाडिया को दोषी मानते हुए धारा 302 एवं 120बी और 364ए एवं 120बी भादंसं में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. फिर अभियुक्त महावीर शर्मा को 4 साल और करणजीत सिंह को 2 साल की सजा सुनाई.

अदालत ने अंकुर पाडिया को फांसी की सजा के साथ कुल 3 लाख 60 हजार रुपए, अनूप पाडिया को उम्रकैद के साथ 3 लाख 20 हजार रुपए, महावीर शर्मा को 4 साल की कठोर कैद के साथ 25 हजार रुपए और करणजीत सिंह को 2 साल की कठोर कैद के साथ 1 लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया.

सजा के अन्य बिंदुओं को सुनाने के बाद जज साहब ने फाइल को बंद करते हुए एक बार फिर कोर्टरूम में मौजूद लोगों पर नजर डाली और कुरसी से उठ कर अपने चैंबर में चले गए.

फैसला सुन कर कोर्टरूम में मौजूद रुद्राक्ष की मां श्रद्धा हांडा फफक पड़ीं. फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी कटघरे में खड़े अंकुर पाडिया के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. उस के भाई अनूप पाडिया के चेहरे पर भी मलाल के कोई भाव नहीं थे.

रुद्राक्ष के पिता पुनीत हांडा ने कहा कि मेरी कैसी जीत और कैसी हार. मेरा बेटा तो वापस नहीं मिल सकता. 3 साल तक अदालत की चौखट पर आतेआते मैं खुद को अपराधी समझने लगा था. आरोपी पेशी पर आए या न आए, मैं तो हर बार पेशी पर पहुंचता था.

जेल से जब अंकुर व अनूप कोर्ट में आते तो लगता कि वे किसी ऐशगाह या फाइवस्टार होटल से निकल कर आ रहे हैं. ब्रांडेड जूते, जींस, टीशर्ट, चेहरे पर शिकन तक नहीं. ऐसे में मैं कई बार हैरान हो जाता कि जेल में आखिर चल क्या रहा है. मैं सिस्टम के आगे खुद को अपराधी और हत्यारों को फरियादी समझने लगा था.

अदालत का फैसला आने से करीब एक महीने पहले ही रुद्राक्ष के दादा मदनमोहन हांडा का स्वर्गवास हो गया था. पिता के ड्यूटी पर चले जाने और मां के स्कूल चले जाने के बाद रुद्राक्ष का सब से ज्यादा समय अपने दादाजी के साथ ही बीतता था.

रुद्राक्ष की मौत ने दादा मदनमोहन को भी तोड़ दिया था. जिस पार्क से रुद्राक्ष का अपहरण हुआ था, वहां दादाजी ने पोते की याद में 2 पौधे रोपे थे. वे इन्हीं पौधों को पालपोस कर रुद्राक्ष को याद करते थे.

रुद्राक्ष हत्याकांड में मुख्य आरोपी अंकुर पाडिया को गिरफ्तार कराने में तकनीकी जांच के जरिए सब से अहम भूमिका निभाने वाले हेडकांस्टेबल प्रताप सिंह को फैसला आने के दिन ही एएसआई के पद पर गैलेंटरी पदोन्नति दे दी गई. प्रताप सिंह की विशेष पदोन्नति की सिफारिश तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने की थी.

फैसला सुनाए जाने के बाद कोर्टरूम में मौजूद तीनों मुजरिमों को पुलिस कोटा जेल ले गई.

जेल में भी अनूप पाडिया अपनी फितरत दिखाने से नहीं चूका. उस ने जेल में ही कैदियों से वसूली शुरू कर दी. किसी ने इस की शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कर दी तो ब्यूरो ने 10 अप्रैल, 2017 को प्रोडक्शन वारंट पर कोटा जेल से गिरफ्तार कर लिया.

इस मामले में कोटा जेल के जेलर बत्तीलाल मीणा और 2 दलालों को भी गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट के आदेश पर अनूप पाडिया को अजमेर जेल भेज दिया गया था.

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