आम तौर पर हर भारतीय फिल्मकार एक ही रट लगाए रहता है कि दर्शक सिर्फ मनोरंजन के लिए ही फिल्में देखता है. ‘विक्की डोनर’, ‘मद्रास कैफे’के बाद अब ‘परमाणुः ए स्टोरी आफ पोखरण’के निर्माता व अभिनेता जौन अब्राहम भी मानते हैं कि भारतीय दर्शक सिनेमा में मनोरंजन देखना चाहता है. पर वह इरानी फिल्मकार माजिद मजीदी के इस कथन से भी सहमत नजर आते हैं कि भारतीय फिल्मकार मनोरंजन के नाम पर भारत की गलत छवि विदेशो में पेश कर रहे हैं.

जब हमने जौन अब्राहम से माजिद मजीदी के कथन का जिक्र किया, तो ‘‘सरिता’’ पत्रिका से एक्सक्लूसिव बात करते हुए जौन अब्राहम ने कहा- ‘‘जब हम हर फिल्म में सिर्फ नाच गाना दिखाएंगे, तो विदेशों में हमारी इन फिल्मों को देखकर लोग यही सोचेंगे कि हम सिर्फ नाच गाना ही करते रहते हैं. इसलिए ‘मद्रास कैफे’ और‘परमाणु’जैसी फिल्में बननी चाहिए. वास्तव में इंसान दिन भर काम कर, कई तरह की समस्याओं से जूझने के बाद जब घर पहुंचता हैं, तो डिप्रेस्ड हो जाता है. उस वक्त उन्हें मनोरंजन की चाहत होती है. इसलिए हर किसी का अपना नजरिया होता है.

मेरा मानना है कि यदि हम लोग एक ही तरह की फिल्म बनाते रहेंगे, तो बाहर उसकी गलत छवि तो जाएगी ही. मैं आपको बताता हूं. जब मैं अमरीका के लौस एंजिल्स जाता हूं, तो वह लोग सबसे पहले बौलीवुड बोलते हैं. पर मैं बौलीवुड की जगह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री कहता हूं. फिर वह कहते हैं कि ‘सांग एंड डांस’तो वह सही कहते हैं. क्योंकि हम अपनी फिल्मों में सिर्फ यही देते हैं. तो जब तक हम मरेंगे नहीं, तब तक नाचते रहेंगे. हमारे फिल्मी हीरो तो शादियों में भी नाचते हैं. हर जगह नाचते हैं. पैसे के लिए किसी की भी शादी में नाचने चले जाते हैं.’’

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