क्रिकेट में इन दिनों टौस होने की प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि टौस से मेजबान टीम को फायदा होता है. इसे खत्म करने या न करने को लेकर आधिकारिक तौर पर विचार किया जाना है. इसी बीच भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि वह टेस्ट क्रिकेट में टौस खत्म करने के विचार से सहमत नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की योजना टेस्ट में टौस की प्रथा खत्म करने की है और पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का फैसला मेजबान टीम के ऊपर छोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

इस विचार के विरोध में भारतीय टीम के दो पूर्व कप्तानों, बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर ने आवाज उठाई थी और अब गांगुली ने भी इन दोनों की बातों को समर्थन किया है. गांगुली ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह देखना होगा की यह प्रयोग लागू होता या नहीं. व्यक्तिगत तौर पर हालांकि मैं टेस्ट में टौस को खत्म करने के समर्थन में नहीं हूं.”

प्रस्ताव के आने के बाद क्रिकेट जगत इसके पक्ष और विपक्ष में बंटा हुआ है. औस्ट्रेलिया के दो पूर्व कप्तान स्टीव वौ और रिकी पोंटिंग ने हालांकि इसका समर्थन किया है. वहीं वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद का मानना है कि इससे प्रतिस्पर्धा में इजाफा होगा. हाल के दिनों में हालांकि इसकी आलोचना हुई है क्योंकि टास जीतने पर घरेलू टीम को काफी फायदा होते देखा गया है. गांगुली ने कहा, ‘‘अगर घरेलू टीम टास हार जाती है तो उसे फायदा नहीं मिलता है.’’

अगर टौस हटाया जाता है तो आईसीसीसी अपनी 140 साल पुरानी परंपरा को खत्म कर देगी. इस विचार को आईसीसी की नई सीमिति ने पेश किया था जिसमें कई पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, कोच और एलिट पेनल के अंपायर शामिल हैं. भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति मुंबई में इसी महीने के अंत में होने वाली बैठक में इस पर चर्चा करेगी. मुंबई में 28 और 29 मई को होने वाली बैठक में टौस की प्रांसगिकता और निष्पक्षता पर चर्चा की जाएगी और इस पर विचार किया जाएगा कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को टौस को अलविदा कह देना चाहिए ताकि दोनों टीमों में से कोई फायदे में नहीं रहे?

sports

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘टेस्ट क्रिकेट से मूल रूप से जुड़े टौस को खत्म किया जा सकता है. आईसीसी क्रिकेट समिति इस पर चर्चा करने के लिये तैयार है कि क्या मैच से पहले सिक्का उछालने की परंपरा समाप्त की जाए जिससे कि टेस्ट चैंपियनशिप में घरेलू मैदानों से मिलने वाले फायदे को कम किया जा सके.’’

मेजबान टीम को मिलता है अनुचित लाभ?

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिक्का उछालने यानि टौस की परंपरा इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के बीच 1877 में खेले गए पहले टेस्ट मैच से ही चली आ रही है. इससे यह तय होता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करेगी. सिक्का घरेलू टीम का कप्तान उछालता है और मेहमान टीम का कप्तान ‘हेड या टेल’ कहता है. हाल में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. आलोचकों का मानना है कि टौस में मेजबान टीमों को अनुचित लाभ मिलता है.

रिपोर्ट ने पैनल के सदस्यों को भेजे गये पत्र उद्धृत करते हुए लिखा है, ‘‘टेस्ट पिचों की तैयारियों में घरेलू टीमों के हस्तक्षेप के वर्तमान स्तर को लेकर गंभीर चिंता है और समिति के एक से अधिक सदस्यों का मानना है कि प्रत्येक मैच में मेहमान टीम को टौस पर फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. हालांकि समिति में कुछ अन्य सदस्य भी हैं जिन्होंने अपने विचार व्यक्त नहीं किए.’’

2016 की काउंटी में टौस नहीं किया गया था

काउंटी चैंपियनशिप में 2016 में टौस नहीं किया गया और यहां तक कि भारत में भी घरेलू स्तर पर इसे हटाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उसे नकार दिया गया था. इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने दावा किया कि इस कदम के बाद मैच लंबे चले तथा बल्ले और गेंद के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली.

आईसीसी क्रिकेट समिति में पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले, एंड्रयू स्ट्रास, माहेला जयवर्धने, राहुल द्रविड़, टिम मे, न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी डेविड वाइट, अंपायर रिचर्ड केटलबोरोग, आईसीसी मैच रेफरी प्रमुख रंजन मदुगले, शौन पोलाक और क्लेरी कोनोर हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...