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उत्तर प्रदेश उपचुनाव : जिन्ना बनाम गन्ना

उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा का उपचुनाव है. दो सीटों के लिये हो रहा यह चुनाव भाजपा बनाम विपक्षी एकता है. यहां भाजपा के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट है. यहां उत्तर प्रदेश के राजनीतिक भविष्य की एक तस्वीर भी बनेगी. 2 सीटों के उपचुनावों के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव हैं. जहां भाजपा सत्ता में है और उसे सत्ता विरोधी मतों का नुकसान उठाना पड़ेगा.

उत्तर प्रदेश में सपा-लोकदल दोनो सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस और बसपा इनको समर्थन दे रहे हैं. कैराना और नूरपूर दोनों ही सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है. अब भाजपा के लिये इनको जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. विपक्ष के एकजुट होने से भाजपा की हालत खराब हो रही है. ऐसे में विकास की बात करने वाली भाजपा एक बार फिर से हिन्दू – मुसलिम मुद्दों को उठाने के लिये ‘जिन्ना’ की तस्वीर विवाद को हवा दे रही है.

विपक्ष एक जुट होकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की बात कर रहा है. भाजपा गन्ना किसानों पर सवालों के जवाब देने की जगह पर जिन्ना की बात कर रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित और मुसलिम वोटर सबसे अधिक हैं. सहारनपुर कांड होने के बाद से दलित भाजपा से नाराज चल रहा है. वह भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करने जा रहा है. दूसरी तरफ मायावती अपनी बसपा पार्टी के लोगों को भाजपा के खिलाफ विपक्ष के प्रत्याशी को वोट देने की बात कह चुकी हैं. देखने वाली बात यह है कि मायावती की यह अपील कितनी कारगर होती है.

अगर कैराना और नूरपुर में विपक्ष को सफलता मिलती है तो उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की मजबूत घेराबंदी हो सकेगी. उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहली बार विपक्ष भाजपा के खिलाफ लांमबद हुआ है. अब इस के टेस्ट का समय है. गोरखपुर और फूलपुर की हार के बाद भाजपा पूरी तरह से सतर्क है. विपक्षी एकता को तोड़ने के लिये वह हिन्दू-मुसिलम राग गा रही है. भाजपा को लगता है कि अगर वोट का धार्मिक धुव्रीकरण हो सका तो ही वह जीत पायेगी. इस लिये वह विपक्षी एकता को दिखा कर हिन्दुओं को डराने का काम रही है.

भाजपा विपक्ष के गन्ना किसानों के मुद्दे पर चुप है. उसे लगता है कि इससे उसकी राह सरल नहीं होगी. भाजपा अलीगढ़ के एएमयू छात्रसंघ में लगी जिन्ना की तस्वीर को चुनावी अस्त्र की तरह प्रयोग कर रही है. सच बात यह है कि वह मुद्दा पूरी तरह से बेमकसद था. छात्रसंघ के लोग कह चुके हैं कि अगर सरकार कहे तो वह जिन्ना की तस्वीर हटाने को तैयार हैं. भाजपा को जिन्ना की तस्वीर को हटाने से मतलब नहीं है, उसे केवल जिन्ना के नाम पर धार्मिक धुव्रीकरण करना है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में गन्ना बनाम जिन्ना का मामला क्या रंग दिखाता है यह तो चुनाव परिणाम बतायेंगे पर सीधी टक्कर में भाजपा परेशान है. उसके लिये अच्छी बात यही है कि उसके प्रत्याशियों को सहानुभूति वोट मिलने की उम्मीद है. वोट के धार्मिक धुव्रीकरण के लिये सबसे सरल यह है कि यहां दोनों उपचुनाव में विपक्ष ने मुसलिम उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में उतारे हैं. जिससे भाजपा के लिये वोट के धर्मिक धुव्रीकरण की राह सरल हो गई है.

धमकी भरे मैसेज और कौल से खौफ में भाजपा के विधायक

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के विधायक मोबाइल मैसेज और वाट्सएप कौल से खौफ में हैं. धमकी भरे मैसेज और कौल में विधायकों से रंगदारी मांगी जा रही है. आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे विधायकों की संख्या बढ़ती जा रही है. विधायक इस कदर खौफ में हैं कि वह अब समय बेसमय फोन उठाने से बचने लगे हैं. ऐसे विधायकों की संख्या 22 हो गई है. धमकियों का सिलसिला जारी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस विभाग और डीएम को विधायकों की सुरक्षा को सख्त करने का संदेश दिया है. उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग ने इसको गंभीरता से लेकर स्पेशल टास्क फोर्स, एटीएस और दूसरी खुफिया एजेंसियों को जांच का काम सौप दिया है. शुरुआती जानकारी में फोन से पाकिस्तान और माफिया दाउद का संबंध सामने आ रहा है.

विधायकों में बढ़ते खौफ को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि ‘प्रदेश में भय का माहौल और भी बढ़ गया है. जहां विधायकों से खुलेआम रंगदारी मांगी जा रही हो, रिटायर डीजीपी के घर डकैती जैसी घटना घट जाये, वहां आम आदमी का अंदाजा लगाया जा सकता है. प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है.’ रंगदारी के लिये आने वाले मैसेजों में विधायकों को 10 लाख देने के लिये कहा जा रहा है. पुलिस अभी तक किसी भी शिकायत की तह तक नहीं पहुंच पाई है.

माफिया दाउद का नाम रंगदारी मांगने की घटना में आने के बाद विधायकों में खौफ है. कुछ लोगों का मानना है कि योगी राज में भाजपा विधायक बहुत परेशान हैं. उनकी बात सुनी नहीं जा रही. अब इस मामले के चर्चा में आने के बाद पुलिस और डीएम विधायक की बात सुनने लगे हैं. दूसरे कुछ विधायक भी इसकी आड़ में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना चाह रहे हैं. इस मामले में राजनीतिक मुद्दे भी हैं. पाकिस्तान और दाउद का नाम लेकर कैराना और नूरपुर के विधानसभा उपचुनावों में इस बहाने तुष्टीकरण करने की जुगत भी दिखाई दे रही है.

सीमापार और पाकिस्तान से लड़ाई के लिये तैयार विधायक केवल फोन संदेश से ही खौफ में आ गये यह समझने वाली बात है. रंगदारी के तौर पर दाउद केवल 10 लाख की डिमांड करेगा यह सोचने वाली बात है. सरकार को पूरे मामले का पर्दाफाश करना चाहिये. जब तक दूध का दूध और पानी का पानी नहीं होगा विधायकों पर खौफ बढ़ता रहेगा. विधायकों में फैले इस खौफ से प्रदेश सरकार के भरेासे और इकबाल पर असर पडा रहा है.

तो 19 नवंबर को रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण बधेंगे शादी के बंधन में

तमाम विवादों के बाद ‘पद्मावत’ प्रदर्शित हो गयी. इस बात को लगभग चार माह हो गए, मगर दीपिका पादुकोण के पास एक भी फिल्म नही है. तो क्या वह घर पर खाली बैठी है? वास्तव में दीपिका पादुकोण को एक तरफ नई फिल्मों के आफर नहीं मिल रहे हैं, तो दूसरी तरफ वह अपनी निजी जिंदगी के लिए खुद को वक्त दे रही हैं. सूत्र बताते हैं कि दीपिका पादुकोण अपने प्रेमी रणवीर सिंह के साथ समय बिताने के अलावा अपनी शादी की तैयारियों में ही समय गुजार रही हैं.

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दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के अति करीबी सूत्रों के अनुसार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी के कार्यक्रम इसी साल के अंत में 18 नवंबर से बीस नवंबर के बीच संपन्न होंगे. सूत्रों का दावा है कि 19 नवंबर को मुंबई में ही काफी भव्य समारोह में यह शादी संपन्न होगी.

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सूत्रों का दावा है कि दीपिका पादुकोण के मुंबई के प्रभादेवी वाले घर पर दीपिका के पिता प्रकाश पादुकोण ने हाल ही में रणवीर सिंह के माता पिता के साथ बैठक कर शादी से जुड़े मसलों पर विस्तार से बात कर सारे कार्यक्रम तय किए.

हनीमून मनाने ग्रीस जा रही हैं सोनम

आनंद आहुजा के संग शादी करने के बाद हनीमून पर जाने की बजाय सोनम कपूर आहुजा पहले फ्रांस में ‘कौन्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में रेड कारपेट पर शिरकत करने के लिए चली गयी थी. यहां पर उनकी अदाओं का हर कोई कायल हो गया. इसके बाद जब वह वहां से वापस लौटी तो अपनी फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ को प्रमोट करने में व्यस्त हो गयी. व्यस्तता इतनी थी कि उन्हें शादी के बाद अपने पति के साथ समय बिताने का ना तो ज्यादा समय मिल पाया और ना ही वह हनीमून पर जा पाईं.

लेकिन अब खबर है कि एक जून को ‘वीरे दी वेडिंग’के प्रदर्शन के बाद सोनम अपने पति आनंद आहुजा के संग हनीमून मनाने के लिए ग्रीस जाने वाली हैं. हनीमून के लिए ग्रीस जाने की बात सोनम कपूर ने खुद इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर स्वीकार की है. इस वीडियो में उन्होंने अपने फ्रेंड्स और रिलेटिव्स को शादी में आए वेडिंग गिफ्ट के लिए थैंक्यू भी कहा.

सूत्र दावा कर रहे हैं कि हनीमून से वापस आने के बाद सोनम अपनी नई फिल्म‘‘जोया फैक्टर’’की शूटिंग शुरू करेंगी.

माइक्रोवेव खरीदते समय ना करें ये गलतियां

माइक्रोवेव अब लगभग सभी घरों में एक जरूरी होम एप्लायंसेज के रूप में देखा जाने लगा है. इसने रसोई के कई कामों को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है. समय की कमी की वजह से आजकल कामकाजी और शहरी जिंदगी में ओवन या माइक्रोवेव की जरूरत बढ़ती जा रही है, लेकिन सही माइक्रोवेव के लिए सही चयन की आवश्यकता होती है. ऐसे में अगर आप माइक्रोवेव लेने जा रही हैं या उसे खरीदनें का सोच रही हैं तो इसके लिए कुछ बातों को जान लेना आपके लिए बेहद जरूरी है.

माइक्रोवेव के प्रकार

सोलो/कन्वेंशनल माइक्रोवेव: यह माइक्रोवेव छोटा होता है और आसानी से आपरेट किया जा सकता है. इसे बेकिंग और ग्रिलिंग को छोड़कर डिफ्रास्टिंग फूड और खाना गर्म करने जैसे बेसिक कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे खरीदते समय ध्यान रखें कि इसके अंदर रखा खाना अच्छी तरह से दिखे. बनावट ऐसी हो कि आप इसे आसानी से साफ कर सकें. सोलो माइक्रोवेव की कीमत फिलहाल बाजार में साइज और अलग-अलग कंपनियों के आधार पर करीब 4,500 से 8,000 रुपये के बीच है.

ग्रिल माइक्रोवेव

यह सोलो माइक्रोवेव से बिल्कुल अलग बेकिंग, ग्रिलिंग और टोस्टिंग जैसे कई काम करता है. फिलहाल यह बाजार में करीब 5,000 से 15,000 रुपये की कीमत में मिल जाता है.

कंवेक्शन माइक्रोवेव: इस माइक्रोवेव का उपयोग बारबेक्यू सहित बाकी सभी खाना पकाने के कामों में किया जा सकता है. किसी भी खाने को बेहतर बनाने के लिए माइक्रोवेव उसे समान रूप से गर्म करता है. यह सोलो माइक्रोवेव और ग्रिल माइक्रोवेव की तुलना में अधिक महंगा है. यह आपको 9,000 से 25,000 रुपये तक की कीमत में मिल जाएगा.

कन्वेंशनल VS कंवेक्शन

कन्वेंशनल माइक्रोवेव ओवन हौट माइक्रोवेव्स यानी तरंगे पैदा करता है, जो खाने को गर्म करने के लिए ग्लास और स्टील के कंटेनरों से गुजरती हैं. ये बेसिक माइक्रोवेव टेक्नोलाजी को रेडिएंट हीट के साथ जोड़ती हैं और ओवन में रखे खाने को गर्म करने के लिए गर्म हवा छोड़ती है. दूसरी ओर कंवेक्शन माइक्रोवेव के पास गर्म हवा को ओवन में फैलाने के लिए एक हीटिंग एलिमेंट के साथ फैन भी होता है, जिसकी वजह से खाना एकसमान पकता है. इन तीनों माइक्रोवेव में से सोलो माइक्रोवेव और कंवेक्शन माइक्रोवेव फिलहाल बाजार में सबसे लोकप्रिय हैं.

माइक्रोवेव के जरूरी फीचर

आटोमेटिक सेंसर: आटोमेटिक सेंसर वाले माइक्रोवेव ओवन खाना पूरी तरह से पकने या गर्म होने के बाद स्वतः बंद हो जाते हैं. यह खाने को अधिक गर्म होने से रोकता है.

कंट्रोल पैनल: मैकेनिकल और टच कंट्रोल पैनल के साथ माइक्रोवेव खरीदना बेहतर होता है. टच कंट्रोल पैनल को सावधानी से संभालना पड़ता है, क्योंकि इसके फेल होने की संभावना होती है. ज्यादातर कंपनियों ने अपने माइक्रोवेव के लिए मैकेनिकल कंट्रोल पैनल उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं.

चाइल्ड सेफ्टी लौक: यह एक जरूरी फीचर है. माइक्रोवेव ओवन खरीदते समय उन लोगों को इसे ध्यान में रखना चाहिए, जिनके परिवार में छोटे बच्चे हैं. ओवन में इलेक्ट्रिक लौक सिस्टम ओवन से होने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाता है.

पावर रेटिंग

बड़े आकार वाले माइक्रोवेव आमतौर पर 1000-1600 वाट बिजली की खपत करते हैं, जबकि छोटे साइज वाले 800-1000 वाट की खपत करते हैं. खरीदने से पहले यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि उस कंपनी का सर्विस सेंटर आपके शहर में है या नहीं. इसी के साथ आजकल कई स्टार्स वाले माइक्रोवेव बाजार में उपलब्ध है. जितना ज्यादा स्चार रहेगा बिजली की खपत उतनी ही कम होगी. ऐसे में आपके लिए 5 स्टार वाला माइक्रोवेव लेना बेहतर है.

माइक्रोवेव का आकार

माइक्रोवेव का आकार लोगों के हिसाब से चुना जा सकता है, जिनके लिए भोजन बनाया जाना है. मान लीजिए कि आपके परिवार में दो-तीन सदस्य हैं, तो एक छोटे आकार वाला माइक्रोवेव (18-20 लीटर) सबसे अच्छा होगा. इसी तरह बड़े परिवार के लिए खाना पकाना हो, तो हाई पावर के साथ एक बड़े माइक्रोवेव की आवश्यकता होगी. इस वर्ग के लिए बड़े आकार वाले माइक्रोवेव (23-28 लीटर) बाजार में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं.

ये सेंसर आपके फोन को बनाते हैं स्मार्ट..!

आजकल स्मार्टफोन्स में आने वाले तरह-तरह के सेंसर्स हमारे फोन, उसमें मौजूदा डाटा और वीडियो ऐप्स को और भी अधिक स्मार्ट और आधुनिक बनाते हैं. आप सेंसर को सीधा सीधा ऐसे समझ सकते हैं कि इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट में यदि कोई काम अपने आप हो जाता है, तो उसमें सेंसर का ही हाथ होता है. आपने कभी गौर किया होगा तो जब आप अपने मोबाइल से कौल करने के बाद उसे अपने कान के पास ले जाते हैं, तो उसकी स्क्रीन अपने आप बंद हो जाती है. दरअसल, इसमें भी सेंसर ही काम करता है.

हमारे फोन में कई तरह के सेंसर इस्तेमाल किए जाते हैं, जो अलग-अलग काम करते हैं. स्मार्टफोन में लगे कई तरह के सेंसर्स की मदद से विभिन्न प्रकार के ऐप आसानी से काम करते हैं. कुछ महत्वपूर्ण सेंसर हैं, जो लगभग सभी तरह के स्मार्टफोन में इस्तेमाल होते हैं-

स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाले सेंसर्स

प्रोक्सिमिटी सेंसर: जब कोई वस्तु स्मार्टफोन के समीप होती है, तो यह सेंसर उसकी मौजूदगी का पता लगा लेता है. यह सेंसर मुख्य रूप से स्मार्टफोन के ऊपरी हिस्से में फ्रंट कैमरे के पास लगा होता है. आमतौर पर जब आप कौल आने या कौल करने के लिए स्मार्टफोन को कान के पास ले जाते हैं, तो यह सेंसर स्मार्टफोन के डिस्प्ले की लाइट को स्वत: औफ कर देता है.

एंबिएंट लाइट सेंसर: यह सेंसर स्मार्टफोन के डिस्प्ले की ब्राइटनेस को रोशनी के हिसाब से एडजस्ट तो करता ही है साथ ही डिस्प्ले की ब्राइटनेस को स्वत: कम या ज्यादा करने में भी मदद करता है.

एक्सीलरोमीटर और जाइरोस्कोप सेंसर: यह सेंसर मुख्य रूप से स्मार्टफोन किस दिशा में घूमा हुआ है, उसके बारे में बताता है. जब भी हम कोई वीडियो स्मार्टफोन में देख रहे होते हैं, तो उसे पोर्ट्रेट मोड की जगह लैंडस्केप मोड में में देखने के लिए अपना फोन घुमाते हैं तो एक्सीलरोमीटर और जाइरोस्कोप सेंसर की मदद से वीडियो फुल स्क्रीन पर आ जाता है. ध्यान रहे, यह सेंसर तभी काम करता है, जब आपने फोन में औटो-रोटेशन इनेबल किया हो. आपको बता दें कि स्मार्टफोन में रोटेशन के लिए दो सेंसर्स की जरूरत होती है, जिसमें एक्सीलरोमीटर इसके रेखीय त्वरण को और जाइरोस्कोप इसके घूर्णी कोण की गति को निंयत्रित करता है.

बायोमैट्रिक सेंसर: इसका इस्तेमाल आजकल लगभग सभी तरह के मिड रेंज और हाई रेंज के स्मार्टफोन्स में किया जा रहा है. इसकी मदद से स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिए दिया गया फिंगरप्रिंट सेंसर काम करता है. यह सेंसर स्मार्टफोन में दर्ज किए गए अंगूठे या उंगली को स्कैन करके डाटा इकट्ठा कर लेता है. दूसरी बार, उसी अंगूठे या उंगली को इस सेंसर के पास रखा जाता है, तो वह इसकी जानकारी को इकट्ठा की गई जानकारी में मिलाकर सही अंगूठे या उंगली की पहचान कर लेता है. बायोमैट्रिक सेंसर में फिंगरप्रिंट के अलावा रेटिना स्कैनर भी आता है, जो फ्रंट कैमरे के साथ जुड़ा होता है. इसकी मदद से स्मार्टफोन के लौक को रेटिना के स्कैन की मदद से भी लौक-अनलौक किया जा सकता है.

डिजिटल कम्पास: इसमें मैग्नेटोमीटर सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है, जो जमीन के चुंबकीय क्षेत्र के अनुसार काम करता है. इस सेंसर की मदद से स्मार्टफोन में इंस्टौल डिजिटल कम्पास सही दिशा के बारे में जानकारी देता है.

बैरोमीटर: यह सेंसर मूलरूप से स्मार्टफोन में इनबिल्ट जीपीएस चिप की मदद से काम करता है. इसकी मदद से ऊंचाई पर त्वरित गति से स्थान को लौक करके डाटा इकट्ठा किया जा सकता है.

वर्चुअल रियलिटी सेंसर: वर्चुअल रियलिटी सेंसर मूलरूप से स्मार्टफोन के कैमरे के साथ मिलकर रियलिटी ऐप्स के साथ काम करता है. यह सेंसर स्मार्टफोन में कैमरा ऐप्स की मदद से एनिमेटेड तस्वीर भी निकाल सकता है. इसी के साथ यह सेंसर कई तरह के मोबाइल गेम्स खेलने में भी मददगार है.

जीपीएस सेंसर: यह सेंसर आमतौर पर सभी स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया जाता है. जीपीएस का मतलब होता है, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी भूमंडलीय स्थिति निर्धारण प्रणाली. इस सेंसर की मदद से डिवाइस की लोकेशन पता करने में मदद मिलती है. यह सेंसर कई तरह के सैटेलाइट के साथ जुड़कर काम करता है. इस सेंसर के लिए स्मार्टफोन में इंटरनेट कनेक्टिविटी होना जरूरी है. यानी अगर आपके स्मार्टफोन में इंटरनेट डाटा बंद होता है, तो यह सेंसर काम नहीं करेगा.

क्या करें अगर आपका जीमेल हो जाए हैक?

गूगल का ई मेल सर्विस जीमेल दुनिया में मेल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला सबसे बड़ा सर्विस है. लेकिन इतने यूजर्स होने के कारण ये हैकर्स की भी पसंदीदा जगह है. अगर आप जीमेल का इस्तेमाल कर रहे हैं और अचानक आपके अकाउंट में कुछ ऐसी हरकत होने लगे जिससे हैक होने का खतरा हो या फिर आपका अकाउंट ही हैक हो जाए तो ऐसे में आपको क्या करना चाहिए, इस बारें में आपको हम इस लेख में बताने जा रहे हैं

तो ये रहें वो तरीके जिसकी मदद से आप अपने अकाउंट को हैक होने से बचा सकते हैं.

– इसके लिए सबसे पहले आपको अपने गूगल अकाउंट के रिकवरी पेज पर जाना होगा.

– अगर आपको अपना पासवर्ड याद नहीं आ रहा है तो दूसरे सवालों का इस्तेमाल करें.

– रिकवरी ई मेल या फिर किसी फोन नंबर का इस्तेमाल करें.

– इसके बाद जी मेल आपको एक रिकवरी कोड भेजेगा जिससे आप अपने अकाउंट की पुष्टि कर सकते हैं.

– इन सब चीजों से काम न बनने पर आप सिक्योरिटी सवालों का सहारा लें. इससे आपको रिकवरी कोड मिल जाएगा. एक बार रिकवरी कोड मिलने पर आपको उस कोड को जीमेल में डालना होगा. जिसके बाद गूगल आपसे आपके अकाउंट का पासवर्ड बदलने को कहेगा.

– साइन इन होने के बाद जीमेल सिक्योरीटि चेक से होकर गुजरेगा. इस प्रक्रिया में आपको अपने सिक्योरिटी इंफोर्मेशन को बदलने का ध्यान रखना होगा.

बंद लैपटौप से करें अपना फोन चार्ज, यह है ट्रिक

कई बार जब हमारे फोन की बैटरी खत्म होती है तो उस समय हमारे पास लैपटौप तो होता है पर फोन का चार्जर नहीं. ऐसे में हम लैपटौप को औन करके अपना फोन चार्ज करते हैं. पर आप भी जानते होंगे कि बिना मतलब लैपटौप औन रखने का कोई मतलब नहीं है. क्या आप जानते हैं कि आप बंद कंप्यूटर या लैपटौप से भी मोबाइल चार्ज कर सकते हैं? आप में से कई लोग इसके बारे में नहीं जानते होंगे. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि बंद लैपटौप से मोबाइल कैसे चार्ज किया जा सकता है.

बंद लैपटौप से करें मोबाइल चार्ज

ऐसा करने के लिए सबसे पहले जिस लैपटौप से आपको अपना फोन चार्ज करना है उसे औन करें. इसके बाद अपने कंप्यूटर या लैपटौप के ‘My Comuter’में जाएं. अब फाइल मैनेजर में जाएं. अब बाईं ओर सबसे ऊपर कोने में दिख रहे टिक या ‘Properties’ पर क्लिक करें.

अब सामने खुली विंडो में ‘Device Manager’ पर क्लिक करें.

इसके बाद ‘Device Manager’ पर क्लिक करें.

अब सामने खुली विंडो पर आपको कई सारे विकल्प दिखाआ देंगे. इनमें से आपको ‘ USB Root Hub’ वाले विकल्प पर क्लिक करना है.

अब आपके सामने एक नई विंडो खुलेगी जिसमें ‘USB Root Hub’ की Properties वाली एक बौक्स खुलेगी. इसमें आपको सबसे अंत में दिख रहे ‘Power Management’ पर क्लिक करना है.

फिर ‘Allow The Computer To Turn Off This Device To Save The Power’ के विकल्प पर पहले से Tick लगा होगा उसे हटा दें और Ok पर क्लिक करें. ऐसा करने से आप लैपटौप या कंप्यूटर बंद होने पर भी आसानी से मोबाइल यूएसबी केबल के जरिए मोबाइल चार्ज कर सकते हैं.

‘भारत’ में हुई तब्बू की एंट्री

कई सुपरस्टार्स को सिल्वर स्क्रीन पर एक साथ देखने का अपना ही मजा है. बौलीवुड में इनदिनों कई मल्टीस्टारर फिल्में बनाई जा रही है, इन्ही फिल्मों में से एक है सलमान खान की फिल्म ‘भारत’. इस फिल्म में सलमान के साथ प्रियंका चोपड़ा नजर आएंगी. ये जोड़ी 10 साल बाद बड़े पर्दे पर दिखेगी. सलमान और प्रियंका को एक साथ देखने की एक्साइटमेंट खत्म हुई नहीं थी कि मेकर्स ने इस फिल्म में दिशा पाटनी का भी नाम जोड़ दिया.

लेकिन अब इस फिल्म को लेकर एक्साइटमेंट का लेवल एक कदम और आगे बढ़ गया है. क्योंकि इस फिल्म में सलमान, प्रियंका और दिशा के बाद अब बौलीवुड की बेहतरीन अदाकारा तब्बू का नाम भी जुड़ गया है. जी हां,फिल्म के निर्माता अली अब्बास जफर ने हाल ही में अपने सोशल अकाउंट पर तब्बू की खूबसूरत तस्वीर शेयर करते हुए यह साझा किया है कि तब्बू उनकी फिल्म ‘भारत’ में शामिल होने वाली हैं और तब्बू के साथ काम करने के लिए वो बहुत उत्सुक हैं. गौरतलब है कि तब्बू और सलमान पिछली बार साल 2014 में फिल्म ‘जय हो’ में नजर आए थे. लेकिन तब्बू और प्रियंका को हमने इससे पहले कभी किसी फिल्म में साथ में नहीं देखा है.

अली अब्बास जफर और सलमान ने इससे पहले ‘सुलतान’ और ‘टाइगर जिंदा है’ में भी साथ काम किया है. बात की जाए फिल्म ‘भारत’ की तो यह फिल्म साउथ कोरियन फिल्म ‘An Ode To My Father’ की आफिशियल रीमेक है. ‘भारत’ को सलमान के जीजा और एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर अतुल अग्निहोत्री प्रोड्यूस कर रहे हैं.

‘भारत’ की शूटिंग की तैयारियां शुरू हो गई हैं और इसे यूरोप के अलावा भारत की कई जगहों पर फिल्माया जाएगा. इस फिल्म का ज्यादातर हिस्सा पंजाब में शूट होगा. कहा जा रहा है कि सलमान इस फिल्म में 18-19 साल के लड़के के रोल में भी दिखेंगे जो कहानी के साथ बड़ा होता जाएगा और 60 की उम्र तक भी पहुंचेगा. इस रोल के लिए सलमान प्रोस्थेटिक मेकअप का भी सहारा लेंगे, जो उन्हें पर्सनली पसंद नहीं है मगर, उनका कहना है कि प्रोस्थेटिक मेकअप के लिए यह उनकी पहली और आखरी फिल्म होगी. वैसे, इस फिल्म में कामेडियन सुनील ग्रोवर भी दिखाई देंगे.

मैं नहीं चाहता की टेस्ट में टौस की परंपरा हो खत्म : सौरव गांगुली

क्रिकेट में इन दिनों टौस होने की प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि टौस से मेजबान टीम को फायदा होता है. इसे खत्म करने या न करने को लेकर आधिकारिक तौर पर विचार किया जाना है. इसी बीच भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि वह टेस्ट क्रिकेट में टौस खत्म करने के विचार से सहमत नहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की योजना टेस्ट में टौस की प्रथा खत्म करने की है और पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का फैसला मेजबान टीम के ऊपर छोड़ने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

इस विचार के विरोध में भारतीय टीम के दो पूर्व कप्तानों, बिशन सिंह बेदी और दिलीप वेंगसरकर ने आवाज उठाई थी और अब गांगुली ने भी इन दोनों की बातों को समर्थन किया है. गांगुली ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह देखना होगा की यह प्रयोग लागू होता या नहीं. व्यक्तिगत तौर पर हालांकि मैं टेस्ट में टौस को खत्म करने के समर्थन में नहीं हूं.”

प्रस्ताव के आने के बाद क्रिकेट जगत इसके पक्ष और विपक्ष में बंटा हुआ है. औस्ट्रेलिया के दो पूर्व कप्तान स्टीव वौ और रिकी पोंटिंग ने हालांकि इसका समर्थन किया है. वहीं वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद का मानना है कि इससे प्रतिस्पर्धा में इजाफा होगा. हाल के दिनों में हालांकि इसकी आलोचना हुई है क्योंकि टास जीतने पर घरेलू टीम को काफी फायदा होते देखा गया है. गांगुली ने कहा, ‘‘अगर घरेलू टीम टास हार जाती है तो उसे फायदा नहीं मिलता है.’’

अगर टौस हटाया जाता है तो आईसीसीसी अपनी 140 साल पुरानी परंपरा को खत्म कर देगी. इस विचार को आईसीसी की नई सीमिति ने पेश किया था जिसमें कई पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी, कोच और एलिट पेनल के अंपायर शामिल हैं. भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति मुंबई में इसी महीने के अंत में होने वाली बैठक में इस पर चर्चा करेगी. मुंबई में 28 और 29 मई को होने वाली बैठक में टौस की प्रांसगिकता और निष्पक्षता पर चर्चा की जाएगी और इस पर विचार किया जाएगा कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को टौस को अलविदा कह देना चाहिए ताकि दोनों टीमों में से कोई फायदे में नहीं रहे?

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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘टेस्ट क्रिकेट से मूल रूप से जुड़े टौस को खत्म किया जा सकता है. आईसीसी क्रिकेट समिति इस पर चर्चा करने के लिये तैयार है कि क्या मैच से पहले सिक्का उछालने की परंपरा समाप्त की जाए जिससे कि टेस्ट चैंपियनशिप में घरेलू मैदानों से मिलने वाले फायदे को कम किया जा सके.’’

मेजबान टीम को मिलता है अनुचित लाभ?

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिक्का उछालने यानि टौस की परंपरा इंग्लैंड और औस्ट्रेलिया के बीच 1877 में खेले गए पहले टेस्ट मैच से ही चली आ रही है. इससे यह तय होता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करेगी. सिक्का घरेलू टीम का कप्तान उछालता है और मेहमान टीम का कप्तान ‘हेड या टेल’ कहता है. हाल में इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. आलोचकों का मानना है कि टौस में मेजबान टीमों को अनुचित लाभ मिलता है.

रिपोर्ट ने पैनल के सदस्यों को भेजे गये पत्र उद्धृत करते हुए लिखा है, ‘‘टेस्ट पिचों की तैयारियों में घरेलू टीमों के हस्तक्षेप के वर्तमान स्तर को लेकर गंभीर चिंता है और समिति के एक से अधिक सदस्यों का मानना है कि प्रत्येक मैच में मेहमान टीम को टौस पर फैसला करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. हालांकि समिति में कुछ अन्य सदस्य भी हैं जिन्होंने अपने विचार व्यक्त नहीं किए.’’

2016 की काउंटी में टौस नहीं किया गया था

काउंटी चैंपियनशिप में 2016 में टौस नहीं किया गया और यहां तक कि भारत में भी घरेलू स्तर पर इसे हटाने का प्रस्ताव आया था लेकिन उसे नकार दिया गया था. इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने दावा किया कि इस कदम के बाद मैच लंबे चले तथा बल्ले और गेंद के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिली.

आईसीसी क्रिकेट समिति में पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले, एंड्रयू स्ट्रास, माहेला जयवर्धने, राहुल द्रविड़, टिम मे, न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी डेविड वाइट, अंपायर रिचर्ड केटलबोरोग, आईसीसी मैच रेफरी प्रमुख रंजन मदुगले, शौन पोलाक और क्लेरी कोनोर हैं.

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