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मेरी उम्र 25 साल है. मेरे पड़ोस में रहने वाली 38 वर्षीया महिला मेरी तरफ आकर्षित होने लगी हैं. मैं क्या करूं.

सवाल
मेरी उम्र 25 साल है, मैं ऐक्टर बनना चाहता हूं. मैं अपने पड़ोस में रहने वाली 38 वर्षीया महिला से ऐक्टिंग सीखने लगा क्योंकि वे ऐक्टिंग सिखाने में माहिर हैं. लेकिन अब वे मेरी तरफ आकर्षित होने लगी हैं. यह सब देख कर मुझे लगता है कि कहीं मैं ने वहां ऐक्टिंग कोर्स जौइन कर के गलती तो नहीं की है?

जवाब
आप ने अपने ऐक्टिंग के शौक को पूरा करने के लिए अपने पड़ोस वाली महिला से ऐक्टिंग सीखने का फैसला लिया. तब आप को नहीं पता था कि वे आप की तरफ आकर्षित होने लगेंगी. ऐसे में उस महिला को समझाने से बेहतर है कि आप खुद की भावनाओं पर काबू रखें क्योंकि ऐसी महिलाएं अकसर पति से प्यार या फिर टाइम नहीं मिलने की वजह से बाहर प्यार ढूंढ़ने लगती हैं. पड़ोस का मामला होने के कारण इन से बदतमीजी करने का कोई फायदा नहीं है. इसलिए खुद को कंट्रोल में रख कर अभी आप अपना कैरियर बनाने पर ज्यादा ध्यान दें.

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कहानी : अनाम रिश्ता

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गरमियों की छुट्टियों में जब इंदु मायके आई तो सबकुछ सामान्य प्रतीत हो रहा था. बस, एक ही कमी नजर आ रही थी, गोपी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था. वह इस घर का पुराना नौकर था. इंदु को तो उस ने गोद में खिलाया था, उस से वह कुछ अधिक ही स्नेह करता था.इंदु के आने की भनक पड़ते ही वह दौड़ा आता था. वह हंसीहंसी में छेड़ भी देती, ‘गोपी, जरा तसल्ली से आया कर… कहीं गिर गया तो मुझे ही मरहमपट्टी करनी पड़ेगी. वैसे ही इस समय मैं बहुत थकी हुई हूं.’

‘अरे बिटिया, हमें मालूम है तुम थकी होगी पर क्या करें, तुम्हारे आने की बात सुन कर हम से रहा नहीं जाता.’

इंदु मन ही मन पुरानी घटनाओं को दोहरा रही थी और सोच रही थी कि गोपी अब आया कि अब आया. परंतु उस के आने के आसार न देख कर वह मां से पूछ बैठी, ‘‘मां, गोपी दिखाई नहीं दे रहा, क्या कहीं गया है?’’

‘‘वह तो मर गया,’’ मां ने सीधे सपाट स्वर में कहा.

एक क्षण को तो वह सन्न रह गई. उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, बोली, ‘‘पिछली बार जब मैं यहां आई थी तब तो अच्छाभला था. अचानक ऐसा कैसे हो गया, अभी उस की उम्र ही क्या थी?’’

‘‘दमे का मरीज तो था ही. एक रात को सांस रुक गई. किसी को कुछ पता नहीं चला. सुबह देखा तो सब खत्म हो चुका था.’’

गोपी के बारे में जान कर मन बड़ा अनमना सा हो उठा, सो वह थकान का बहाना कर के कमरे में जा कर लेट गई और गोपी की स्मृतियों में खो गई.

अभी गोपी की उम्र ही क्या थी, मुश्किल से 45 साल का था. 15-16 साल का था जब गांव से भाग कर आया था. खेतीबाड़ी में मन नहीं लगता था, इसलिए बाप रोज मारता था. एक दिन गुस्से में आ कर घर छोड़ दिया. वह दादी के गांव के पास के ही गांव का था. सो, पिताजी ने जब बाजार में घूमते हुए देखा तो सारा किस्सा जान कर घर लिवा लाए. तब से वह इस घर में आया तो यहीं का हो कर रह गया. दादी ने उसे अपने बेटे की तरह रखा.

अतीत की घटनाएं चलचित्र की भांति इंदु की आंखों के आगे घूमने लगीं.

वह छोटी सी थी तो उस के सारे काम गोपी ही किया करता था, जैसे स्कूल छोड़ने जाना, खाना देने जाना, स्कूल से वापस घर ले कर आना, शाम को घुमाने ले जाना वगैरहवगैरह. अकसर खेलखेल में वह अध्यापिका बनती थी और गोपी उस का शिष्य. पढ़ाई ठीक से न करने पर वह उसे मुरगा भी बनाती थी और स्केल से हथेलियों पर मार भी लगाती थी.

इसी तरह दिन बीतते जा रहे थे. इस बीच इंदु के और बहनभाई भी हो गए थे, परंतु गोपी उसी से विशेष स्नेह करता था. इसलिए उस के सारे काम वह बड़ी मुस्तैदी और प्रेम से करता था. चाहे और किसी का कोई काम हो न हो, इंदु का हर काम वक्त पर होता था. वह नियम गोपी सालों से निभाता आ रहा था. उस के पीछे तो वह घरवालों से झगड़ भी लेता था.

अगर पिताजी कुछ कहते तो नाराज हो कर कहता, ‘तुम किसी को डांटो, चाहे मारो, मुझे कुछ नहीं, पर मेरी बिटिया को कुछ मत कहना, जो कहना हो मुझ से कहो.’

10वीं कक्षा में पहुंचने तक उस को कुछकुछ समझ आने लगी थी. चंचलता का स्थान गंभीरता ने ले लिया था. इसीलिए उड़तीउड़ती खबरों से समझ आने लगा था कि गोपी का अपने गांव की किसी कमला नाम की औरत से इश्क का चक्कर चल रहा है. पूरी बात तो उसे मालूम नहीं थी क्योंकि न तो वह किसी से कुछ पूछने की हिम्मत कर पाती थी, न ही उसे कोई कुछ बताता था.

एक दिन दोपहर में सब लोग बड़े वाले कमरे में लेटे हुए थे कि अचानक बाहर किसी के जूते चरमराने की आवाज आई. सब समझ गए कि गोपी होगा. जब वह परदा हटा कर अंदर आया तो उसे नए कुरतेपाजामे में देख कर सब समझ गए कि आज कमला आई होगी. उसी से मिलने जनाब जा रहे हैं, सजधज कर.

‘भाभी, ओ भाभी, जरा सा खुशबू वाला तेल तो देना,’ गोपी खुशामदी लहजे में बोला.

उसे जब कोई मतलब होता था तो मां को ‘भाभी’ कहता था वरना तो हमेशा ‘बीबीजी’ ही कहता. मतलब उसे तभी होता था जब कमला आती थी.

इंदु ने अलमारी से तेल की शीशी निकाल कर थोड़ा सा तेल उसे दे दिया जिसे उस ने बालों में चुपड़ लिया. फिर वहीं पास में रखे एक पुराने कंघे से खूब जमाजमा कर बाल संवारे और शीशे में स्वयं को अच्छी तरह निहार कर जांचापरखा कि सब ठीक है या कुछ कसर है. जब संतुष्ट हो गया तो बाहर की ओर चल दिया पर दरवाजे तक जा कर रुक गया.

हम सब समझ गए कि अब पैसों का नंबर है.

‘भाभी, सो गईं क्या?’ वह बड़े लाड़ से बोला.

‘नहीं, बोल, क्या है?’ मां ने जानबूझ कर अनजान बनते हुए कहा.

‘थोड़े से पैसे चाहिए थे,’ गोपी ने धीरेधीरे अपनी बात पूरी की.

‘क्यों, क्या करेगा पैसों का? अभी कल ही तो ले गया था हजामत बनवाने को. अब क्या जरूरत आन पड़ी?’ मां ने झुंझला कर कहा.

इस पर वह खुशामदी हंसी हंसने लगा और बोला, ‘तुम जानती तो हो भाभी, फिर क्यों हमारे मुंह से कहलवाना चाहती हो?’

उस की बात सुन कर मां को गुस्सा आ गया. वे बोलीं, ‘अब मेरे पास पैसे नहीं हैं. इस महीने तू 2 बार पैसे ले चुका है. अब क्या मुसीबत आ पड़ी? हजामत भी बनवा ली, अपनी चहेती को फिल्म भी दिखा लाया. अब क्या रह गया?’

मां को क्रोधित देख कर गोपी थोड़ा उदास हो गया, रुक कर बोला, ‘कमला का लड़का बीमार है, उसे डाक्टर को दिखाना है.’

‘तू तो पूरा पागल है. वह किसी न किसी बहाने तुझ से पैसे ऐंठती रहती है और तू भी मूर्ख बना उस की हर बात पर आंखें मूंद कर भरोसा कर के लुटता रहता है.’

‘नहीं, भाभी, वह सच कह रही है,’ गोपी दृढ़तापूर्वक बोला.

‘कितने पैसे चाहिए?’ मां ने हथियार डालते हुए पूछा क्योंकि मालूम था कि वह मानने वाला तो है नहीं.

‘बस, 20 रुपए दे दो, ज्यादा नहीं चाहिए,’ गोपी शीघ्रतापूर्वक बोला कि कहीं मां का इरादा न बदल जाए.

‘जा इंदु, इसे रुपए दे दे,’ मां बोलीं.

इंदु ने उसे 20 रुपए ला कर दे दिए और शरारत से बोली, ‘क्यों गोपी भैया, डाक्टर के यहां कौन से शो में जाओगे, दोपहर वाले या शाम वाले?’

वह खिसियानी हंसी हंस कर बोला, ‘अच्छा बिटिया. उड़ा लो तुम भी मजाक हमारा,’ कह कर वह तेजी से बाहर चला गया. जैसा कि अनुमान था वह हमेशा की तरह शाम को 6 बजे लौटा, कमला को फिल्म दिखा कर व चाट खिला कर.

मां ने पूछा, ‘क्यों रे गोपी, कैसा है कमला का लड़का? दिखा दिया डाक्टर को?’

‘उसे तो मामूली सा बुखार था. डाक्टर बोला कि मौसमी बुखार है, अपनेआप ठीक हो जाएगा. बस, 2 रुपए की दवा दे दी.’

‘अच्छा, तो ला मेरे बाकी के रुपए,’ मां बोलीं.

वह जोर से हंस पड़ा और बोला, ‘वे तो खर्च हो गए.’

‘कैसे खर्च हो गए?’ मां ने बनते हुए पूछा.

‘कमला कहने लगी कि ‘गंगाजमुना’ लगी है सो उसे दिखा लाए.’

इंदु सोचने लगी, ‘60 रुपए माहवार पाने वाला यह बेवकूफ नौकर 40 रुपए तो अब तक खर्च कर चुका है. क्या है उस कालीकलूटी में जो यह उस के पीछे दीवाना है. वह तो कभी बच्चों की बीमारी के बहाने तो कभी अपनी बीमारी के बहाने इसे मूंड़ती रहती है. यह कैसा रिश्ता है इन के बीच?’

एक दिन उस ने मां से पूछ ही लिया, ‘कमला तो शादीशुदा है, 2 बच्चों की मां है. फिर यह गोपी की क्या लगती है?’

‘लगने को तो कुछ नहीं लगती पर सबकुछ है,’ मां ने टालने वाले अंदाज में कहा.

‘क्या मतलब?’ इंदु ने उत्सुकतापूर्वक गरदन ऊपर उठा कर कहा.

‘अभी तेरी उम्र नहीं है यह सब समझने की. चल, उठ कर अंगीठी जला,’ मां ने डांट लगाई.

इंदु को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी जिज्ञासा कैसे शांत करे. परंतु एक दिन उस ने पड़ोस की भाभी को पटा लिया.

भाभी ने जो कहानी बताई उस का सार कुछ इस प्रकार था :

गोपी और कमला के घर गांव में साथसाथ थे. जब कमला बहू बन कर आई तो पड़ोसी के नाते गोपी उसे भाभी कहने लगा. और कभीकभी उस के घर भी जाने लगा. बस, फिर वह कालीकलूटी उसे इतनी भा गई कि वह रोजरोज उस के घर जाने लगा.

कमला के घरवाले किसना जो छोटी जाति का था, ने भी कभी इस बात को गंभीरता से नहीं लिया था क्योंकि गांव वाले सीधेसरल स्वभाव के होते हैं. पर कमला आई थी शहर से सो उसे अपना सीधासादा पति पसंद नहीं आया. शक्लसूरत में भी वह साधारण ही था. धीरेधीरे ये दोनों एकदूसरे की ओर आकृष्ट हो गए और अब तो इन्हें समाज की भी परवा नहीं है.

पूरी कहानी सुनने के बाद कमला को देखने की इंदु की उत्सुकता और भी बढ़ गई. एक दिन मां को प्रसन्न मुद्रा में देख कर वह बोली, ‘मां, क्या तुम ने कमला को देखा है?’

‘नहीं, मैं ने नहीं देखा. वह तो जब भी आती है, सड़क पर ही खड़ी रहती है. किसी के जरिए खबर भेज कर गोपी को बुलवा लेती है.’

‘मां, किसी दिन गोपी से कह कर कमला को यहां बुलवा लो. हम भी उसे देखें कि कैसी है,’ इस बार इंदु की भाभी ने भी कमला प्रकरण में रुचि दिखाई.

मां को भी शायद जिज्ञासा थी, सो उन्होंने उन की बात मान ली.

एक दिन जब गोपी फिर से खुशबू वाला तेल मांगने आया तो मां बोलीं, ‘गोपी, आज तो हमारा भी मन हो रहा है तेरी ‘कमली’ को देखने का.’

गोपी कमला को ‘कमली’ कहता था.

पहले तो वह नानुकुर करता रहा कि वह घर नहीं आएगी. पर फिर काफी समझाने के बाद मान गया और उसे लिवाने चल ही दिया क्योंकि उस दिन मां भी अड़ गईं कि आज तुझे पैसे तभी दूंगी जब तू उसे यहां ले कर आएगा.

लगभग 5 मिनट बाद बाहर से छमछम की आवाज आई. सब समझ गए कि कमला आ रही है. जो बच्चे सो गए थे उन्हें भी जगा दिया गया, ‘उठोउठो, कमला आ रही है.’ मानो कोई फिल्मी हस्ती हमारे घर पधार रही हो.

जैसे ही वह दरवाजे पर आ कर रुकी, सब एकदम चुप हो गए. गोपी परदा हटा कर अंदर आया और बोला, ‘लो भाभी, आ गई तुम्हारी कमला.’ फिर उस ने वहीं से आवाज दी, ‘अरी, बाहर क्यों खड़ी है. अंदर आ जा,’ कह कर वह स्वयं कमरे से बाहर चला गया.

कमला आई तो उसे देख कर सब की आंखें खुली की खुली रह गईं. मुंह से आवाज नहीं निकली.

एकदम काला रंग, माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, मांग में खूब गहरा सिंदूर और हरे रंग की साड़ी. साथ में 4-5 वर्ष की एक बच्ची थी जबकि दूसरा शिशु पेट में था.

आखिर मां ने ही उस चुप्पी को तोड़ने की पहल की, ‘जा इंदु, शरबत बना ला और कुछ बिस्कुट वगैरह भी लेती आना.’

इंदु ने शरबत का गिलास कमला को पकड़ा दिया. मां ने पूछा कि कुछ पढ़ीलिखी भी हो तो वह बोली, ‘हां, 5वीं तक.’

उस जमाने में 5वीं की पढ़ाई काफी माने रखती थी.

मां ने 2-3 सवाल उस से और किए. फिर गोपी आ कर उसे बाहर ले गया. चलते समय मां ने कमला को 5 रुपए दिए और दोबारा आने को कहा.

अब तो कमला जब भी गांव से आती, सीधे घर ही आ जाती. मां को ‘जीजी’ कहने लगी थी और आते ही उन के पैर छूती थी.

मां के मना करने पर एक दिन बोली, ‘मेरी सास तो हैं नहीं, आप के पास आ कर मुझे अच्छा लगता है. दूसरी बात जो मुझे कल ही पता चली कि आप का और मेरा पीहर एक ही शहर में है. हम भी लखनऊ के हैं.’

अपने पीहर का तो हर जीव प्यारा लगता है, सो उस दिन से मां भी कमला पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गईं.

इंदु को भी वह अच्छी लगने लगी थी. एक तो शहर की लड़की, ऊपर से थोड़ी पढ़ीलिखी, सो बातचीत में सलीका भी था. हालांकि रंग काला था पर नैननक्श बहुत तीखे थे.

एक दिन गोपी लड्डू ले कर आया और इंदु के हाथ में लिफाफा थमा कर बोला, ‘लो बिटिया, मिठाई खाओ.’

‘कैसी मिठाई? क्या बात है, बड़े खुश नजर आ रहे हो, गोपी?’ इंदु ने हैरानी से पूछा.

‘तुम्हारी चाची के लड़का हुआ है.’

इंदु हैरान कि कौन सी चाची की बात कर रहा है.

मां ने पूछा, ‘गोपी, क्या कह रहा है, ठीक से बता?’

वह झिझकते हुए बोला, ‘कमला के लड़का हुआ है.’

‘तू तो ऐसे नाच रहा है जैसे तेरे ही हुआ हो,’ मां हंसी उड़ाते हुए बोलीं.

‘ऐसा ही समझ लो,’ धीरे से कह कर गोपी चला गया.

उस के बाद 1 साल तक कमला नहीं आई क्योंकि बच्चा छोटा था. एक दिन अचानक पायल की छमछम सुनाई दी तो मां बोलीं, ‘लगता है कमला आई है.’

हमारी नजरें उत्सुकतावश द्वार पर ही लगी हुई थीं कि उधर से एक हाथ से लड़की की उंगली थामे और दूसरे से लड़के को गोद में उठाए कमला का पदार्पण हुआ. लड़के को देखते ही सब लोग मुसकराने लगे. भाभी ने फुसफुसा कर मां से कहा था, ‘यह तो गोपी का हमशक्ल है.’

अब की बार तो कमला में गजब का परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहा था. आंखें तो पहले ही बड़ीबड़ी थीं, मां ने जो अपनी पुरानी लिपस्टिक और साड़ी दे दी थी, उन के इस्तेमाल के बाद तो उस का रूप ही निखर आया था. कोई नहीं कह सकता था कि यह किसी छोटी जाति के घर की बहू है. काले रंग में भी इतना आकर्षण होता है, यह इंदु ने उस दिन जाना था. अब समझ आया कि क्या था उस कालीकलूटी में जो गोपी जैसा बांका नौजवान उस पर मरता था.

एक दिन मां कुछ हलकेफुलके मूड में थीं. किसी काम से गोपी उन के पास आया तो बोलीं, ‘क्यों रे गोपी, तेरी उम्र निकली जा रही है, तू शादी कब करेगा?’

‘बीबीजी, शादी तो हमारी हो गई.’

‘शादी हो गई? और हमें पता भी नहीं चला?’ मां ने हैरानी से पूछा.

गोपी ने नजर उठा कर इंदु की तरफ देखा. वह समझ गई कि गोपी उस के सामने बात करने में झिझक रहा है, सो वह वहां से उठ तो गई पर बात सुनने का लोभ संवरण न कर पाई, इसलिए बराबर वाली कोठरी में छिप कर खड़ी हो गई.

‘हां, अब बोल,’ मां ने उस की ओर देखा.

‘तुम्हें मालूम नहीं चला तो मैं क्या करूं. तुम्हारे पास तो वह रोज आती है,’ गोपी सिर झुका कर बोला.

‘किस की बात कर रहा है तू?’ मां को समझ नहीं आया.

‘कमला की,’ गोपी धीरे से बोला, ‘हम तो उसे ही अपनी दुलहन मानते हैं. दुनिया के सामने सात फेरे नहीं हुए तो क्या, मन से तो हम दोनों एकदूजे को मियांबीवी समझते हैं.’

‘वह एक शादीशुदा औरत है. तुम्हारे गांव वाले उसे कुछ नहीं कहते? किसना भी जानता है यह सब?’

‘हां, जानता है. उस ने तो कई बार कमला को पीटा भी है पर उस ने भी साफसाफ कह दिया कि मैं गोपी को चाहती हूं, उसे नहीं छोड़ सकती, चाहे तो तू मुझे छोड़ दे. पर वह बेचारा भी क्या करे, एक तो गरीबी, ऊपर से शक्लसूरत भी मामूली. पहली शादी ही मुश्किल से हुई थी. इसे छोड़ दिया तो दूसरी तो होने से रही. सो, यही सोच कर चुप रह जाता है कि चलो, जैसी भी है, घर तो संभाल रही है, बच्चे पाल रही है.

पूरी बात सुनने पर भी मां कुछ  असंतुष्ट सी थीं. बोलीं, ‘वह औरत तो शहर की है, बड़ी चालाक है. एकसाथ दोदो आदमियों को बेवकूफ बना रही है. पर तू क्यों अक्ल के पीछे लट्ठ लिए भाग रहा है. उसे तो घर भी मिल गया. कहने को पति भी है, बच्चे भी हैं और पैसा लुटाने को तू है, पर तुझे क्या मिला? शादी कर ले तो तेरा भी घर बस जाएगा, बच्चे होंगे, समाज में इज्जत होगी,’ मां ने अपने स्तर पर उसे ऊंचनीच समझाने की चेष्टा की.

पर उस ने जो दलील पेश की उसे सुन कर तो मां के साथ इंदु का मुंह भी हैरानी से खुला का खुला रह गया. सिर झुकाएझुकाए ही वह बोला, ‘ठीक है, भाभी, तुम्हारी बात. चलो, हम शादी कर भी लें. पत्नी हमें पसंद न आई तो क्या होगा? किसी की जिंदगी खराब करने से क्या फायदा? कमला मुझे अच्छी लगती है, और मैं उसे. हमारे लिए तो इतना ही बहुत है. रहा सवाल बच्चों का, सो मुझे लगता ही नहीं कि वे बच्चे सिर्फ कमला के ही हैं. जब वह हमें अच्छी लगती है तो उस की हर चीज हमें प्यारी है.

‘तुम्हें लगता होगा कि हम अकेले हैं पर हमारी नजरों से देखो तो पता चलेगा कि हमारे पास सबकुछ है. मन का संतोष सब से बड़ी चीज है, बाकी तो सब दिखावा है.’

वह आगे बोला, ‘कमला के पास भी सबकुछ है, आदमी है, बच्चे हैं. अगर इन चीजों से खुशी मिलती तो वह हमें क्यों चाहती?’

मां को निरुत्तर कर गोपी चला गया. इंदु मन ही मन सोचती रही कि यह गांव का अनपढ़ आदमी कितनी सरल भाषा में जीवन की कितनी बड़ी सचाई कह गया है.

सब लोग सोचते थे कि यह कुछ दिन का खुमार है, समय बीततेबीतते उतर जाएगा. फिर यह भी अपना घर बसा लेगा और कमला को भूल जाएगा. कमला पर भी जब जिम्मेदारियों का बोझ पड़ेगा तो दुनियादारी समझने लगेगी. पर इन दोनों ने तो सब के गणित को अंगूठा दिखा दिया.

इसी बीच, इंदु का विवाह भी हो गया. वह जब भी मायके आती, कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर नजर आता. कभी भाभी के बच्चा होने को होता, कभी महल्ले में किसी की मृत्यु की खबर सुनने को मिलती तो कभी किसी की शादी की अथवा भागने की.

पर गोपी और कमला की प्रेम कहानी बिना किसी परिवर्तन के उसी प्रकार आगे बढ़ रही थी. हमेशा वह अपने बच्चों को साथ लिए गोपी से मिलने आती. उसी प्रकार गोपी उसे घुमाने ले जाता. कभी कपड़े दिलवाता और कभी खाने का सामान. इस नियम में जरा भी बदलाव नहीं आया था. हां, इतना जरूर हुआ था कि बच्चे अब

2 के स्थान पर 3 हो गए थे.

अब तो समाज ने भी उन के प्यार को स्वीकार कर लिया था. उन के उस रिश्ते को मान लिया था जिस का कोई नाम न था.

अचानक कोई कमरे में आया तो इंदु की विचारतंद्रा भंग हो गई और वह अतीत से वर्तमान में लौट आई. भाभी चायनाश्ता लाई थीं.

चाय पी कर उस ने भाभी से पूछा, ‘‘गोपी की खबर सुन कर कमला आई थी क्या?’’

‘‘हां, आई थी. आते ही उस की लाश पर गिर कर फूटफूट कर रोई, अपनी चूडि़यां भी तोड़ दीं, लोगों ने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया. क्रियाकर्म का सारा खर्चा उसी ने किया. हालांकि पिताजी ने कहा था, ‘यह हमारे यहां इतने दिन से नौकरी कर रहा था, इतना तो हम इस के लिए कर ही सकते हैं.’

‘‘पर वह मानी नहीं. बोली, ‘मैं भी तो सारी उम्र इस की कमाई खाती रही. भैयाजी, मेरे पास तो जो कुछ है, सब इसी का दिया है. जब यही नहीं रहा तो मैं इन गहनों का क्या करूंगी,’ कह कर उस ने अपनी अंगूठी उतार कर पिताजी के हाथ में दे दी और कहा कि इसे बेच कर क्रियाकर्म कर दीजिए.

‘‘जब मुखाग्नि देने का समय आया तो वह बोली, ‘मेरा रामू यह काम करेगा. भैयाजी, आप सब को तो मालूम है, गोपी इसे कितना चाहता था और यह तो इस का फर्ज भी है.’

‘‘यह एक ऐसी सचाई थी जिसे सब जानते थे पर कहने की हिम्मत किसी ने नहीं की थी, इसीलिए सब ने कमला की यह बात मान ली.’’

रात को भी मेरे दिमाग में बचपन की बातें घूमती रहीं. मैं सोचने लगी कि प्यार भी क्या चीज है. जो इनसान बाप की मार के डर से गांव छोड़ कर भागा था उसे गांव के नाम से ही नफरत हो गई थी. बहुत समझानेबुझाने के बाद कभीकभी मांबाप से मिलने चला जाता था. लेकिन रात को जाता था और सुबह ही वापस आ जाता था.

परंतु पता नहीं, कौन सी डोर थी जिस ने उसे ऐसे बांध लिया कि वह हर हफ्ते गांव जाने लगा. फिर धीरेधीरे यह अंतराल घटता ही गया. कभी 4 दिन में तो कभी

3 दिन में वह गांव जाने लगा. शाम को भी जल्दी चला जाता था और अगले दिन भी थोड़ी देर से आता था. बाप भी बूढ़ा हो चला था, सो उस की भी जिम्मेदारी सिर पर थी, इसलिए कोई कुछ नहीं कहता था.

गोपी का बाप अब बीमार भी रहने लगा था, सो उस के ब्याह के लिए जोर देने लगा. पर उस ने ब्याह के लिए इनकार कर दिया था. हां, यह जरूर कर दिया कि बापू की दोनों समय की रोटी का इंतजाम कमला को सौंप दिया. कुछ दिन तक तो पिता ने उस के घर का खाना खाने से मना कर दिया, पर अंत में परिस्थिति से उन्हें समझौता करना ही पड़ा.

इंदु की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या नाम दे उस रिश्ते को जिसे वे दोनों जिंदगीभर निभाते रहे. कितनी हिम्मती है वह औरत जो अपने प्यार के लिए दुनिया से लड़ती रही, हार न मानी.

आखिरी वक्त पर भी उस ने जिस बहादुरी से अपने बेटे का परिचय दिया, क्या वह पढ़ेलिखे और समझदार कहे जाने वाले लोगों के बस की बात है?

अगले दिन इंदु ने अपनी मां से पूछा कि क्या कमला अब भी आती है यहां? तो उत्तर मिला, ‘‘नहीं, अब नहीं आती.’’

‘‘मां, किसी दिन उसे बुलवा लो, बड़ा मन है उसे देखने का,’’ इंदु ने अपनी इच्छा मां के आगे व्यक्त की.

मां ने एक आदमी के जरिए गांव में खबर भेज कर कमला को बुलवा लिया.

हलके नीले रंग की किनारीदार सूती धोती, हाथों में कांच की दोदो चूडि़यां और मांग में सिंदूर की हलकी सी रेखा, बिंदी जो पहले चवन्नी के आकार की हुआ करती थी, अब एक बिंदु का आभास भर दे रही थी.

इंदु को देख कर अपनी वही मनमोहिनी हंसी हंस कर कमला बोली, ‘‘अच्छा, इंदु बिटिया आई है. बड़े दिनों में आई बिटिया, अच्छी तो हो?’’

‘‘मैं तो अच्छी हूं पर तुम्हें क्या हो गया ?है? पहचानी ही नहीं जा रही हो. बड़ी कमजोर दिख रही हो,’’ इंदु बोली.

उस की आंखों में आंसू भर आए पर फिर भी हंस कर बोली, ‘‘तुम्हें सब पता चल गया होगा, बिटिया. अब बताओ, क्या अब हम वैसे ही रहेंगे?’’

उस का उत्तर सुन कर इंदु से कुछ कहते न बना. सिर झुका कर हाथ से यों ही निरुद्देश्य कुछ आड़ीतिरछी लकीरें बनाती रही. आंखें उस की भी भीग गईं. जिस औरत को लोग भलाबुरा कहते रहे, उस को ‘चालू’ समझ कर उस का अपमान, तिरस्कार करते रहे, उस को इस रूप में देख कर मन एक अनजानी श्रद्धा से भर गया और अपनी सोच से घृणा सी होने लगी.

कमला तो थोड़ी देर बाद उठ कर चली गई पर मन में हमेशा के लिए एक प्रश्न छोड़ गई कि क्या हम सभ्य, शिक्षित कहलाने वाले लोग प्यार की परिभाषा जानते हैं?

आरबीआई की तरफ से घर खरीददारों को बड़ी सौगात, सस्ता होगा होम लोन

अगर आप भी घर खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है. रिजर्व बैंक औफ इंडिया (आरबीआई) ने 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने पर होमलोन की ब्याज दर कम करने की बात कही है. दरअसल, आरबीआई ने सस्ते मकानों के खरीदारों के लिये कर्ज सुविधा को और बेहतर बनाते हुए अब 35 लाख रुपये तक के कर्ज को प्राथमिक क्षेत्र के कर्ज की श्रेणी में शामिल कर दिया है. यह सुविधा 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले मकानों के लिये उपलब्ध होगी. बैंकों से प्राथमिक क्षेत्र का कर्ज आमतौर पर दूसरे कर्जों के मुकाबले सस्ता होता है.

सस्ते आवास मुहैया कराने के प्रयासों को बढ़ावा

आरबीआई ने एक अधिसूचना में कहा ‘आर्थिक रूप से कमजोर तबके और निम्न आय वर्ग के लिये सस्ते आवास उपलब्ध कराने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए होम लोन से जुड़े प्राथमिक क्षेत्र कर्ज के दिशानिर्देशों को सस्ती आवास योजना के अनुरूप किया गया है. इसके लिये प्राथमिक क्षेत्र रिण के तहत अवास रिण सीमा पात्रता को महानगरों के लिये संशोधित कर 35 लाख रुपये और अन्य शहरों के लिये 25 लाख रुपये किया जाएगा.’

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45 लाख से ज्यादा न हो घर की कीमत

हालांकि, इसके लिये शर्त रखी गई है कि 10 लाख और उससे अधिक आबादी वाले महानगरों में ऐसे मकानों की कुल कीमत 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिये वहीं दूसरे शहरों में सस्ती आवास योजना वाले इन मकानों का दाम 30 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये. तभी उन्हें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के दायरे में लोन की सुविधा उपलब्ध होगी.

10 लाख रुपये सीमा बढ़ाई

फिलहाल यह व्यवस्था है कि महानगरों में 35 लाख रुपये और अन्य केंद्रों में 25 लाख रुपये मूल्य तक के मकानों को प्राथमिक क्षेत्र रिण के दायरे में रखा जाता है और इनके लिये लोगों को क्रमश: 28 लाख और 20 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है. आरबीआई की 6 जून को जारी दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति के साथ विकास और नियामकीय नीतियों पर जारी वक्तव्य में इस संबंध में घोषणा की गई है.

आरबीआई की अधिसूचना में यह भी कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की आवासीय परियोजनाओं में पात्रता के लिये पारिवारिक आय सीमा को मौजूदा दो लाख रुपये सालाना से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है. वहीं निम्न आय वर्ग के लिये वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर छह लाख रुपये कर दिया गया है. अधिसूचना में कहा गया है कि यह बदलाव प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए गए आय मानदंड के अनुरूप किया गया है.

वीडियो : जब ब्रेट ली के बाउंसर ने निकाला था द्रविड़ के कान से खून

दुनिया में सबसे तेज गेंदबाजों का जब भी जिक्र होता है तो दो नाम जरूर लिए जाते हैं एक पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर और दूसरा पूर्व आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ब्रेट ली का.

ब्रेट ली का खौफ बल्लेबाजों में हमेशा रहा है. मैदान पर आने वाले बल्लेबाज इसी कोशिश में रहते थे कि उन्हें ब्रेट ली की कम से कम गेंदों का सामना करना पड़े. ब्रेट ली की गेंदों की रफ्तार इतनी होती थी कि वह पलक झपकते ही बल्लेबाज की गिल्लियां उड़ा देते थे. ब्रेट ली अपने बाउंसर्स के लिए जाने जाते थे.

अगर कोई बल्लेबाज उनकी गेंदों पर चौका या छक्का जड़ता तो वह बाउंसर्स से उसका जवाब देते थे. लेकिन उनके बाउंसर्स कई बार इतने खतरनाक साबित होते थे कि अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों को मैदान छोड़कर बाहर जाना पड़ता था. आज ही के दिन इस दिग्गज गेंदबाज का जन्म 1976 के न्यू साउथ वेल्स में हुआ था. ब्रेट ली आज 41 साल के हो गए हैं.

ब्रेट ली ने अपने क्रिकेट करियर में कुछ ऐसे बाउंसर्स डाले जिसने अच्छे-खासे बल्लेबाजों को पवेलियन भेजने का काम किया. इन बल्लेबाजों की लिस्ट में केन्या, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, साउथ-अफ्रीका के साथ-साथ भारत के खिलाड़ी भी शामिल हैं.

भारतीय क्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली से लेकर महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को ली अपनी गेंदबाजी से परेशान कर चुके हैं. ब्रेट ली ने अपने बाउंसर से तेंदुलकर को परेशान किया है तो उन्होंने अपने कवर ड्राइव से ली को शानदार जवाब भी दिया है. ब्रेट ली की एक खतरनाक गेंद हर भारतीय फैन को याद होगी, जब उन्होंने राहुल द्रविड़ के कान से खून निकाल दिया था.

दरअसल, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर 2004 में बार्डर-गावस्कर सीरीज का मैच खेला जा रहा था. पहली पारी में भारत ने 705 रन बनाए थे और आस्ट्रेलियाई पारी 474 रनों पर सिमट गई थी. दूसरी पारी में टीम इंडिया ने 2 विकेट पर 211 रन बना लिए थे और राहुल द्रविड़ 91 रन बनाकर खेल रहे थे. तभी ब्रेट ली ने एक बाउंसर करवाया, जो द्रविड़ के कान पर जा लगी और कान से खून निकलने लगा.

इसके आलावा एक तेज बाउंसर द्रविड़ के सिर पर लगा इसके बाद द्रविड़ ने तुरंत हेलमेट खोला और सिर दबाना शुरू किया और बिना देरी किए मैदान से बाहर चले गए. तभी कप्तान सौरव गांगुली ने उस समय पारी घोषित कर दी थी. अंत में यह मैच ड्रा पर खत्म हुआ था.

ब्रेट ली का क्रिकेट करियर

ब्रेट ली ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में की थी. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के दौरान कई ऐतहासिक रिकार्ड अपने नाम किए. साथ ही आस्ट्रेलिया के साथ-साथ दुनिया के भी सबसे घातक गेंदबाजों की फेहरिस्त में खुद को शामिल किया. पाकिस्तान के शोएब अख्तर के बाद तेज गेंदबाजी में दूसरे नंबर पर ब्रेट ली का नंबर ही आता है.

बता दें कि ब्रेट ली ने 76 टेस्‍ट में 310 विकेट हासिल किए हैं, वहीं 221 वनडे में उनके नाम 380 विकेट दर्ज हैं. इसके अलावा ब्रेट ली ने 25 टी20 मैच भी खेले हैं जिसमें उन्‍होंने 28 विकेट लिए हैं. ब्रेट ली 2012 में वनडे जबकि 2015 में टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लिया था.

मेसी के बंगले के उपर से प्लेन का जाना है सख्त मना, ऐसा क्यों

फुटबौल की दुनिया के कई महान खिलाड़ी हुए हैं लेकिन इन सबमें से एक नाम ऐसा भी है जिसे आज दुनिया का बच्चा बच्चा जानता है, लियोनेल मेसी. मेसी दुनिया के सबसे महान फुटबौल खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हैं.

इंटरनेशनल फुटबौल खिलाड़ी लियोनेल आंद्रेस मेस्सी अपने जादुई खेल के लिए तो जाने ही जाते हैं. साथ ही अपनी आलीशान लाइफस्टाइल के लिए भी मैसी दुनियाभर में पहचाने जाते हैं. अपने खेल से दुनिया को दीवाना बनाने वाले मैसी के शौक भी कम नहीं है. क्या आप जानते हैं, दुनिया में मैसी इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके बंगले के ऊपर से प्लेन गुजरने पर पाबंदी है.

घर के ऊपर से फ्लाइट गुजरने पर है पाबंदी

स्पैनिश एयरलाइन्स के मुताबिक बार्सिलोना के हवाई अड्‌डे का विस्तार संभव नहीं है, क्योंकि उस जगह पर उड़ान भरना संभव नहीं है. हालांकि ऐसा पर्यावरण के नियमों के कारण हैं. लेकिन एयरलाइन्स इसके लिए मेसी को ही दोषी मानती हैं.

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प्रतिबंधित इलाके में है मैसी का घर

बार्सिलोना के गावा में जहां फुटबौल स्टार मेसी रहते हैं, वो इलाका पर्यावरण के लिहाज से प्रतिबंधित एरिया है. इस इलाके में प्लेन के उड़ने पर पाबंदी है.

फुटबौल मैदान के शेप का है मैसी का घर

मेसी का ये घर ऊपर से देखने में फुटबौल के शेप का नजर आता है. मेसी का ये घर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. उनका ये घर पूरी तरह से इन्वायरमेंट फ्रेंडली है. जिसे ऊपर से देखने पर चारों तरफ हरियाली ही नजर आती है.

2017में बचपन की दोस्त से की थी शादी

अर्जेंटीना के खिलाड़ी लियोनेल मेसी ने साल 2017 में अपनी बचपन की दोस्त और गर्लफ्रेंड एंटोनेला रोकोजो से शादी कर ली थी. मैसी और रोकुजो बचपन में पड़ोसी थी. 5साल की उम्र में मैसी ने पहली बार रोकोजो को देखा था. इसके बाद वे 13 साल की उम्र में स्पेन चले गए,जहां उन्होंने फुटबौल क्लब बर्सिलोना को ज्वाइन किया, लेकिन दोनों हमेशा कौन्टेक्ट में रहते थे. जल्द ही ये दोस्ती प्यार में बदल गई और 2008 में मेसी और रोकोजो साथ रहने लगे उनके शादी से पहले दो बेटे भी हैं.

बीमार व्यक्ति कब तक रह सकता है जिंदा, बताएगी गूगल की नई खोज

आज पूरी दुनिया भर में आधुनिकता का बोलबाला है और टेक्नोलोजी के इस दौर में आए दिन नये नये आविष्कार होते ही रहते हैं जिनमें से कुछ लोगों के लिये फायदमंद तथा कुछ लोगों के लिये नुकसानदेय भी होता है. इसी बीच गूगल जल्द ही एक ऐसी तकनीक पेश करने की तैयारी कर रहा है जिसके जरिए यह पता चल सकेगा कि बीमार इंसान के जिंदा रहने की कितनी संभावना है. इस तकनीक को लेकर गूगल ने रिसर्च भी की है. इस तकनीक के आ जाने के बाद डौक्टर तथा मरीज के परिजनों को इस बात का पता चल सकेगा की बीमार व्यक्ति आखिर कब तक जिंदा रहने वाला है. इस तकनीक का इस्तेमाल वैज्ञानिक अपने प्रयोगों के लिये भी कर सकते हैं.

क्या है रिसर्च में

यह रिसर्च जिस महिला के उपर की गई वह महिला पहले से ही स्तन कैंसर से पीड़ित थी. इस दौरान डौक्टर्स की टीम ने महिला का रेडियोलौजी स्कैन किया जिसमें उसके मरने का जोखिम 9.3 फीसद था. जबकि गूगल ऐप से पूछने पर यह संख्या 19.9 फीसद थी. इस रिसर्च के कुछ दिन बाद ही महिला की मौत हो गई. स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर निगम शाह के मुताबिक, फिलहाल यह तकनीक अनुमानित जानकारी देती है. लेकिन जल्द ही इससे सटीक संख्या का पता लगाया जा सकेगा. इस तकनीक पर अभी काम किया जा रहा है.

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आपको बता दें कि इस तकनीक पर आर्टिफशल इंटेलिजेंस के चीफ जेफ डीन की कंपनी मेडिकल ब्रेन काम कर रही है. यह तकनीक बीमार व्यक्ति की बीमारी की जांच कर निष्कर्ष बताएगी. रिसर्च में गूगल की तरफ से महिला के बचने की संभावना को लेकर दिए गए आंकड़ों से विशेषज्ञ हैरान रह गए. विशेषज्ञों ने कहा कि जिन आंकड़ों और रिपोर्ट तक वो नहीं पहुंच पाए वहां तक गूगल पहुंचा और इससे संबंधित रिपोर्ट भी गूगल ने दी.

स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर निगम शाह और गूगल के रीसर्च पेपर के सह-लेखक ने कहा, “आज के अनुमानित मौडल में लगने वाला 80 फीसद टाइम डाटा को प्रेजेंटेबल बनाने में चला जाता है, लेकिन गूगल की यह नई अप्रोच इससे बचाती है।”

बैंक के इन नियमों को नहीं जानते होंगे आप

अगर आपको आपके घर के पास कहीं सेल दिख जाए, तो आपको कितनी खुशी होती है. चाहे वो किसी सलॉन में हो या किसी ग्रोसरी स्टोर में. न चाहते हुए भी और बिना किसी जरूरत के भी आप कुछ जरूरत की और ढेर सारी गैर जरूरती सामान भी उठा लाते हैं. आदतन मजबूरी है या आपकी बेवकूफी इसका फैसला आप खुद ही करें. गौर करने वाली बात यह की इन ‘लुट सके तो लुट’ वाले ऑफर के झांसे में आप बड़ी ही आसानी से फंस जाते हैं. ये भी ध्यान नहीं देते की यहां आपके लुटने की बात लिखी होती है न की ‘लूटने’ की. ये कोई मजाक नहीं पर कई दुकानों की हकीकत है. अगली बार जरा सावधानी से काम लीजिएगा.

आज हम आपको इन दुकानों से सावधानी बरतने का ज्ञान नहीं देंगे, बल्कि कुछ ऐसी बैंकिंग सुविधाओं के बारे में बताएंगे जहां आपका होगा पहले से भी ज्यादा फायदा. बैंक भी सलॉन से ज्यादा दूर तो है नहीं, तो अगली बार जब बैंक का दरवाजा खटखटाएं तो इन सुविधाओं को ध्यान में जरूर रखें.

1. अकाउंट ट्रांसफर करवाने में नहीं लगता कोई शुल्क

कई बार तबादले या फिर नौकरी बदलने के कारण लोगों को शहर भी बदलना पड़ता है. भाग-दौड़ के साथ साथ बैंक के चक्कर भी कई बार काटने पड़ते हैं. पर आरबीआई के नियमों के अनुसार अकाउंट ट्रांसफर करवाना आसाना है. अगर आपको अपना अकाउंट एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच में ट्रांसफर करना है, तो इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा. केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने पर ही आपको यह सुविधा मिलेगी. अगर कोई बैंककर्मी आपको नया अकाउंट खुलवाने की हिदायत दे तो आप बैंक अकाउंट ट्रांसफर करने की डिमांड कर सकते हैं.

2. हिन्दी या स्थानीय भाषा में भी भर सकते हैं चेक

कई बार कम पढ़े-लिखे लोग बैंकों में अंग्रेजी भाषा को लेकर परेशान हो जाते हैं. ऐसे लोग बैंक में मौजूद अन्य लोगों से मदद मांगते मिल जाते हैं. पर आरबीआई के नियमों के अनुसार चैक को हिन्दी या स्थानीय भाषा में भी भरा जा सकता है. बहुत से लोगों को इस नियम के बारे में पता ही नहीं होता. आप बैंक से स्थानीय भाषा में छपी चैकबुक की भी मांग कर सकते हैं.

3. बैंक के पास होने चाहिए तीन भाषाओं वाले फॉर्म

बैंक फॉर्म भरने में बहुत से लोगों को दिक्कत होती है. बहुत से क्षेत्रों में अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषायें ही नहीं बोली जाती. कई बार भाषा की समस्या के कारण भी लोग बैंक आने से कतराते हैं क्योंकि ज्यादातर बैंकों में द्विभाषीय फॉर्म ही मिलते हैं. पर आरबीआई ने स्थानीय निवासियों की सहूलियत के लिए यह साफ तौर पर कहा है कि बैंक के सभी फॉर्म तीन भाषाओं में होने चाहिए.

4. आपकी पर्सनल इनफॉरमेशन का इस्तेमाल करना है गैरकानूनी

बहुत से लोगों को बैंक की अतिरिक्त सेवाओं से जुड़े फोन कॉल आते हैं. कई बार तो फोन करने वाले व्यक्ति के पास आपके अकाउंट से जुड़ी बहुत सारी जानकारियां होती हैं. पर यह गैरकानूनी है. अपनी सर्विसेस के प्रचार के लिए बैंक आपकी निजी जानकारियों का इस्तमाल नहीं कर सकते. अगर अगली बार आपके पास ऐसा कोई फोन कॉल आए तो आपके पास कोर्ट का रास्ता है.

5. एटीएम से जुड़ी समस्या को 7 दिनों के अंदर सुलझाना

आरबीआई की नियमावली के अनुसार आपके एटीएम से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान 7 दिनों के अंदर होना चाहिए. अगर बैंक ने शिकायत दर्ज करने के दिन से 7 दिनों के अंदर आपकी समस्या का समाधान नहीं किया तो बैंक आपको 100 रुपए प्रति दिन के हिसाब से मुआवजा देगा.

6. चैकबुक न मिलना भी है बैंक की जिम्मेदारी

अगर आपको किसी कारणवश चैकबुक नहीं मिला है तो इसकी जिम्मेदारी भी बैंक की होगी न की ग्राहक की. अगर बैंक आपसे चैकबुक खोने पर नए चैकबुक के लिए अतिरिक्त शुल्क मांगे तो आप उन्हें आरबीआई के नियम याद दिला सकते हैं.

बैंकिंग की सुविधा आपके लिए बहुत आवश्यक है. पर उससे भी ज्यादा आवश्यक है कि आप बैंक के नियमों को बारीकि से समझें. फॉर्म वगैरह को अच्छे से पढ़े, जिससे आपके ठगे जाने के आसार कम हो जाएंगे.

यूट्यूब वीडियो डाउनलाडिंग की बेहतरीन साइट्स

वेब पर नियमित आने वालों के लिए और ऑनलाइन वीडियो देखने के लिए यूट्यूब सबसे महत्वपूर्ण साधन है. यूट्यूब न केवल गीत-संगीत बल्कि डॉक्यूमेंट्री, प्रोग्राम ट्यूटोरियल और व्यक्तिगत जानकारियों को शेयर करने के लिए किसी भी दूसरे सोशल नेटवर्क की अपेक्षा अपने यूजर्स को अधिक सुविधाएं देता है.

लेकिन समस्या तब आती है जब हमारे पास नेटवर्क कनेक्शन ना हो और हमें यूट्यूब पर पहले पब्लिश हो चुके वीडियो को फिर से देखना या दिखाना हो और मजे लेना हो. इसका हल आसान नहीं है. चाहे वो हार्ड डिस्क पर यूट्यूब वीडियो डाउनलोड करना हो या अपने पसंदीदा प्लेयर के जरिए इसे विजुअलाइज करना.

कुछ ऐसे उपयोगी सॉफ्टवेयर हैं, जिन्हें आराम से अपने कंप्यूटर पर इंस्टॉल कर यूट्यूब की विडियो आसानी से डाउनलोड सकते है.

1. ट्यूब कैचर: यह वर्तमान में बहुत लोकप्रिय साइट है, हालांकि अपने पीसी पर इसे इंस्टॉल करते समय यह कुछ अतिरिक्त टूल्स का सुझाव देता है उसे लेकर सावधान रहने की जरूरत है. इसकी मदद से यूट्यूब, डेलीमोशन और दूसरे कई विशिष्ट साइट्स से वीडियो डाउनलोड कर सकते हैं. आप चाहे तो अपने पसंद का फॉरमैट चुन सकते हैं.

2. वाइज वीडियो डाउनलोडर: यह इस्तेमाल करने में बहुत आसान है. आपको बस उस वीडियो का ऐड्रेस मालूम करना है जिसे आप डाउनलोड करना या देखना चाहते हैं. यह वीडियो सर्च सेक्शन बनाता है जिससे आपको उस वीडियो के क्लिप्स, जिसे आप पसंद करते हो, वह आसानी से मिल जाएं और आपको किसी ब्राउजर की जरूरत ना पड़े.

3. आईट्यूब स्टूडियो: इसकी मदद से आप तेज गति से यूट्यूब सामग्री को डाउनलोड कर सकते हैं. और जो कनेक्शन में गड़बड़ी के कारण रुक हो गए थे उन्हें फिर से देख सकते हैं. इसमें एक ब्राउजर होता है जिसकी मदद से आप दूसरे वीडियो पोर्टल और अपना पसंदीदा बुकमार्क एक्सप्लोर कर सकते हैं.

4. फ्री यूट्यूब एमपी3 कन्वर्टर: यह सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि जब आप कुछ सुनने में, चाहे यूट्यूब पर पब्लिश किया हुआ संगीत हो, बातचीत या कॉन्फ्रेंस में रुचि रखते हैं. तो यह प्रोग्राम आपके वीडियो को एमपी4 म्यूजिक फाइल के रूप में डाउनलोड करता है.

अब मालिशवाली से भी प्रेरणा अरोड़ा का हुआ विवाद

फिल्म निर्माता और ‘क्रियाज इंटरटेनमेंट’ कंपनी की मालकिन प्रेरणा अरोड़ा धन के मामले में निरंतर लोगों के साथ पंगा लेती जा रही हैं. हाल ही में फिल्म ‘‘परमाणुः ए स्टोरी आफ पोखरण’’ को लेकर प्रेरणा अरोड़ा का जान अब्राहम के साथ जबरदस्त विवाद हुआ था. अंततः अदालत ने प्रेरणा अरोडा के खिलाफ निर्णय सुनाया. जान अब्राहम से मुंह की खाने के बाद प्रेरणा अरोड़ा का अभिषेक कपूर की फिल्म ‘केदारनाथ’ को लेकर विवाद हुआ. अंततः यह फिल्म भी उनके पास से चली गयी. इसी के साथ टी सीरीज की फिल्म ‘‘बत्ती गुल मीटर चालू’’ को लेकर भी प्रेरणा अरोड़ा के संग विवाद हुआ और अब यह फिल्म भी उनके पास नहीं रही. इन सभी फिल्मों के विवादों में कहीं न कहीं मुख्य मुद्दा धन/पैसा ही रहा.

अब प्रेरणा अरोड़ा का नया विवाद पैसे को लेकर एक साठ वर्षीय मालिशवाली के साथ सामने आया है. मुंबई के सांताक्रूज इलाके में रह रही 60 वर्षीय मालिशवाली खैरून मुख्तार अहमद ने प्रेरणा अरोड़ा के खिलाफ मेघवाड़ी पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 323 और सेक्शन 504 के तहत एक शिकायत दर्ज करायी है. इस शिकायत के दर्ज होने के बाद प्रेरणा अरोड़ा ने खैरून मुख्तार अहमद पर चोरी का इल्जाम लगा दिया है.

खैरून की शिकायत के अनुसार प्रेरणा अरोड़ा के बुलावे पर वह हर दिन रात में आठ बजे के बाद प्रेरणा के जोगेश्वरी के घर पर मालिश करने जाया करती थीं. वह अपनी उम्र को देखते हुए हर दिन आटोरिक्शे से ही आया जाया करती थी और आटो रिक्षा का किराया खैरुन खुद ही दिया करती थी. प्रेरणा अरोडा ने उन्हें घर पर आकर मालिश करने के लिए 75000 रूपए प्रति माह देने की बात कही थी. लेकिन पिछले 5 माह से प्रेरणा अरोड़ा ने खैरुन को एक भी पैसा नहीं दिया. इस तरह प्रेरणा अरोडा पर खैरुन का 3 लाख 75 हजार रूपए बाकी हो गए. जब पैसे के लिए खैरून ने दबाव बनाया तो प्रेरणा अरोडा ने उसे 1 लाख 25 हजार का चेक दिया. लेकिन वह चेक भी बाउंस हो गया. 9 जून को जब खैरून मुख्तार अहमद ने प्रेरणा अरोडा के घर जाकर इस बारे में बात की, तो प्रेरणा अरोड़ा ने उसे गंदी गंदी गालियां देने के साथ ही उसकी पिटाई कर घर से बाहर निकालकर दरवाजा बंद कर लिया.

प्रेरणा अरोड़ा के हाथों पिटने के बाद खैरुन मुख्तार अहमद ने मेघवाड़ी पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करायी. पुलिस ने एफआयआर लिखने की बजाए सेक्शन 504 और आईपीसी की धारा 323 के तहत ‘एन ओ सी’ लिखने के बाद कहा कि वह प्रेरणा अरोड़ा से पूछताछ करेगी. पर अब तक कुछ नहीं हुआ.

इधर प्रेरणा अरोड़ा का दावा है कि खैरून मुख्तार अहमद ने उनके घर पर 56000 रूपए चुराने की कोशिश की. उनके बाडीगार्ड ने उसे चोरी करते हुए पकड़ा. तब से उन्होंने खैरून के अपने घर आने पर पाबंदी लगा दी है.

खैरुन के बकाया पैसे के मसले पर प्रेरणा अरोड़ा कहती हैं-‘‘ वह तो न के बराबर छोटी राशि होगी. पर यदि खैरून के पास कोई बिल है, तो लेकर आएं, मैं तुरंत बिल की राशि दे दूंगी.’’

अब सवाल यह है कि मालिश करने वाली बाई खैरून के पास बिल कहां से आएगा? बहरहाल,देखना यह है कि पुलिस इस मामले में क्या कारवाही करती है. तथा धीरे धीरे प्रेरणा अरोड़ा के और कितने विवाद सामने आते हैं.

आनंदी बेन की नजर में कुंवारे हैं नरेंद्र मोदी, देखिए वीडियो

देश का बच्चा बच्चा जानता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं जिनकी शादी साल 1968 में गुजरात की ही जसोदा बेन से हुई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में खुद नरेंद्र मोदी ने जसोदा बेन से अपनी शादी की बात मानी थी. देश का बच्चा बच्चा खासतौर से मोदी भक्त तो और बेहतर जानते हैं कि देश सेवा की खातिर उन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था.

प्रधानमंत्री बनने के बाद अक्सर नरेंद्र मोदी की शादी और पत्नी को छोड़ने को लेकर आरोप प्रत्यारोप होते रहे हैं. मोदी की हर मुमकिन कोशिश जिन दो बातों से बचने की होती है उनमें पहला उनकी डिग्री विवाद और दूसरी शादी है. उलट इसके जसोदा बेन हर कभी पति को याद करते जज्बाती हो उठती हैं और उनकी सलामती और कामयाबी के लिए व्रत, उपवास और पूजा पाठ भी करती रहती हैं. यह उनकी समझदारी और बड़प्पन ही कहा जाएगा कि उन्होंने कभी छोडने के बाबत नरेंद्र मोदी को कोसा और न ही कोई इल्जाम उन पर लगाया.

कई इंटरव्यू में जसोदा बेन बता चुकी हैं की शादी के बाद वे कुछ महीने ही ससुराल रही थीं और पति के साथ तो उन्होंने कुल तीन दिन ही गुजारे. अपने ससुराल वालों की भलमनसाहत की भी वे तारीफ करती हैं और यह भी बता चुकी हैं कि नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि तुम अभी छोटी हो अपनी पढ़ाई जारी रखो,  मैं देश सेवा के लिए जा रहा हूं और इसके बाद वे हिमालय की तरफ चले भी गए थे. बाद में वे आरएसएस से जुड़ गए और फिर कभी पत्नी की सुध नहीं ली कि वह किस हाल में हैं.

इधर परित्यक्ता जसोदा बेन को समझ आ गया था कि पति, घर गृहस्थी और बाल बच्चों का सुख उनके भाग्य में ही नहीं है तो उन्होंने गुजरात के धोलका में पढ़ाई पूरी की और फिर सरकारी स्कूल में टीचर बन गईं. साल 2010 में रिटायर होने के बाद उनका पूरा वक्त भजन पूजन में गुजरने लगा.

पति के प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने खुशी ही जताई थी लेकिन बाद में कई परेशानियों से भी उन्हें रुबरु होना पड़ा था. प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते उन्हे जबरन सिक्योरटी दे दी गई तो वे एक दफा इस बात पर सार्वजनिक रूप से झल्लाईं थीं कि अक्सर सुरक्षाकर्मियों का खर्च भी उन्हे ही उठाना पड़ता है.

कई मौकों पर भावुक होकर उन्होने मीरा की तर्ज पर पति को भक्ति भाव से याद किया लेकिन नरेंद्र मोदी हमेशा खामोशी ओढ़े रहे तो यह उनकी जिद, मजबूरी और आत्मग्लानि (अगर हो तो) ही कही जाएगी लेकिन जसोदा बेन के अपनी पत्नी होने से वे कभी मुकर नहीं पाये. इस बाबत कई लोग उन्हें क्रूर पतियों की श्रेणी में रखने से भी नहीं चूकते. पिछले साल सर्दियों में जसोदा बेन राजस्थान में एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुईं थीं तब भी मोदी ने उनके हालचाल पूछने या जानने की औपचारिकता या शिष्टाचार नहीं दिखाया था.

पर ये कहती हैं …. – पिछले दिनों मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने मध्यप्रदेश के हरदा जिले के टिमरनी में यह कहते सनाका सा खींच दिया कि नरेंद्र मोदी अविवाहित हैं और उन्होंने कभी शादी ही नहीं की. आनंदी बेन का वह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें एक सरकारी कार्यक्रम में वे मौजूद महिलाओं से यह कहती नजर आ रहीं हैं कि, पूरी दुनिया जानती है कि आपके और आपके बच्चों के लिए नरेंद्र भाई ने शादी नहीं की. लेकिन उन्हें यह पता है कि डिलेवरी के वक्त और बाद में महिलाओं और बच्चों को क्या क्या परेशानियां होती हैं, इसलिए उन्होंने महिलाओं के लिए इतनी योजनाएं बनाई हैं.

हर कोई जानता है कि आनंदी बेन नरेंद्र मोदी की चहेती नेताओं में से एक हैं, जिन्हें मोदी ने दिल्ली जाने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी थी. आनंदी बेन का यह सफेद झूठ किसी को हजम नहीं हो रहा है कि जो बात पूरी दुनिया जानती है उसे वे नहीं जानतीं कि नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं. अगर सब कुछ जानते हुये भी वे ऐसा कह रहीं हैं तो मान लेना चाहिए कि सूर्य पश्चिम से उगता है पूर्व से नहीं.

हैरानी इस बात की भी है कि इस झूठ पर हर कोई चुप रहा, यहां तक कि विपक्ष ने भी सुनहरी मौका नहीं भुनाया, जबकि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. अगर आनंदी बेन के कहने से नरेंद्र मोदी शादीशुदा से कुंवारे हो जाते हैं तो सोचना लाजिमी है कि वे क्यों नरेंद्र मोदी की वैवाहिक स्थिति या सच हजम नहीं कर पा रहीं. सार्वजनिक रूप से कही इस बात के अगर कोई व्यक्तिगत माने नहीं हैं तो तकाजा तो यह है कि आनंदी बेन खेद व्यक्त करते लोगों और जसोदा बेन से माफी मांगे और वीडियो अगर फर्जी है जिसकी उम्मीद न के बराबर है तो तो उसकी जांच की मांग करें.

ऐसे शक अक्सर पौराणिक पात्रों को लेकर रहते हैं कि किसकी शादी किससे हुई थी और हुई भी थी या नहीं.  अगर आनदी बेन की मंशा और मकसद नरेंद्र मोदी को भगवान टाइप का आदमी साबित करने की है तो एक जोरदार सेल्यूट की हकदार तो वे हैं. वैसे भी नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी से ताल्लुक रखते इस बाकिए के जिक्र का न कोई मौसम था न दस्तूर था बस एक मौका जरूर था जिसे आनदी बेन  चूकीं नहीं.

तमिलनाडु की अनुकृति ने जीता मिस इंडिया 2018 का खिताब

इस साल भारत में मिस इंडिया 2018 के प्रतियोगिता हुए जिसके रिजल्ट्स का इंतजार कर रहे लोगों का इंतजार खत्म हो गया है. फेमिना मिस इंडिया 2018 का खिताब तमिलनाडु की अनुकृति वास ने अपने नाम किया. अनुकृति ने 29 प्रतियोगियों को हरा कर इस खिताब को जीता. सबसे अच्छी बात तो ये रही की मिस वर्ल्ड 2017 की विजेता मानुषी छिल्लर ने देर रात तक चली इस प्रतियोगिता में अनुकृति को ताज पहनाया.

इसका आयोजन मुंबई में किया गया था, इस कौन्टेस्ट में हरियाणा की रहने वाली मीनाक्षी चौधरी फर्स्ट रनर-अप बनीं और सेकेंड रनर-अप आंध्र प्रदेश की रहने वाली श्रेया राव बनीं. वहीं दिल्ली की रहने वाली गायत्री भारद्वाज, झारखंड की रहने वाली स्टेफी पटेल टौप 5 में शामिल थीं.

फेमिना मिस इंडिया 2018 की यह शाम सितारों से सजी रही. इस दौरान देशभर से चुनकर आईं खूबसूरत कंटेस्टेंट्स ने ताज के अपनी दावेदारी पेश की लेकिन सबको पीछे छो़ड़ते हुए अनुकृति ने ताज अपने नाम किया. अनुकृति पेशे से खिलाड़ी और डांसर हैं. अनुकृति अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए फ्रेंच में बीए कर रही हैं. अनुकृति बाइक चलाना पसंद करती हैं और सुपरमौडल बनना चाहती हैं.

आपको बता दें कि कौन्टेस्ट में जज पैनल में बौलीवुड एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा, एक्टर बौबी देओल, कुनाल कपूर, क्रिकेटर इरफान पठान और के.एल राहुल शामिल हुए थे. इसके अलावा 2017 में मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वालीं मानुषी छिल्लर भी यहां मौजूद थीं. इस कार्यक्रम को बौलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर करण जौहर और एक्टर आयुष्मान खुराना ने होस्ट किया. वहीं माधुरी दीक्षित, करीना कपूर और जैकलीन फर्नांडीज ने इवेंट में जबरदस्त डांस परफौर्मेंस से समा बांधा. आपको बता दें कि अनुकृति 2018 में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी.

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