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भारतीय टीम को मिली हार के बाद कोहली ने गेंदबाजों का किया बचाव

टीम इंडिया को इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के दूसरे मैच में हार का सामना करना पड़ा. इस मैच में इंग्लैंड 149 रनों का पीछा करते हुए पांच विकेट से जीत हासिल करने में कामयाब हुई. इंग्लैंड की ओर से एलेक्स हेल्स ने केवल 41 गेंदों में 58 रनों की शानदार नाबाद पारी खेली. वहीं टीम इंडिया की बल्लेबाजी शुरुआत से ही दबाव में रही और उसका उच्च क्रम के तीन बल्लेबाज पहले पांच ओवर में ही आउट हो गए जिससे एक बार जो टीम बैकफुट पर आई लौट न सकी. हालाकि दोनों ही टीमों की रन बनाने की गति में ज्यादा अंतर नहीं रहा.

इस हार के बाद टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली कोहली ने कहा, “जब आप पहले छह ओवर में ही 30 रन पर पहले तीन विकेट खो देते हैं तो वापसी करना मुश्किल होता है.  मैंने सोचा था कि एक अच्छी साझेदारी 145 के स्कोर पर पहुंचा देगी जो कि इस पिच पर मुकाबले का स्कोर होता. स्थानीय टूर्नामेंट में यहां का औसत 145 है. इंग्लैंड ने विकेट का अच्छा इस्तेमाल किया जिसमें अतिरिक्त उछाल था और सीमर्स के लिए मदद भी थी. उन्होंने हम पर दबाव डाला हमें विकेट खोने पर मजबूर किया एक रनआउट भी हो गया.”

“हमें करीब 15 रन कम पड़ गए. पहले छह ओवर में हमें पीछे धकेल दिया था. हमारा पावरप्ले अच्छा नहीं रहा था और आखिर का स्कोर बताता है कि हम उतना जोर नहीं लगा सके जितना कि आखिर में लगाना चाहते थे. आपको पिच वगैरह सभी कुछ शामिल करना होता है. हमें अच्छा खेले और हम जानते थे कि इंग्लैंड के लिए 149 रनों का पीछा करके सीरीज बराबर करना कठिन होगा. मुझे लगता है कि हम आखिर में उनकी साझेदारी नहीं तोड़ सके. हम जानते थे कि यह ऐसा था जिसपर उन्हें मेहनत करनी थी”

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गेंदबाजों का बचाव करते हुए कोहली ने कहा, “उन्होंने कुलदीप को वाकई शानदार खेला. चहल शानदार रहे. और दोनों ही मैचों में दोनों ने अपनी भूमिकाएं बदली. उन्होंने कुलदीप पर अपना होमवर्क बढ़िया किया था और इसका उन्हें फायदा भी मिला. यह प्रारूप गेंदबाजों के लिए बेरहम होता है. उमेश भी शानदार थे और भुवी भी लेकिन बदकिस्मती से हम फिनिश नहीं कर सके. 19वें ओवर में उस चौके ने उन्हें वापस ला दिया. टी20 में ये छोटी चीजें काफी मायने रखती हैं जो इसे दिलचस्प बनाता है.”

आखिर में उन्होंने कहा, “हमें इसे भूल कर आगे बढ़ना होगा.  मुझे लगता है कि हमने बढ़िया मुकाबला किया. लेकिन इंग्लैंड हमसे बेहतर टीम थी इसी लिए वे आज मैच जीत पाए.”

पहला मैच भारत ने जीता था

इस सीरीज के पहले टी20 मैच में भारत ने इंग्लैंड को आठ विकेट से हराया था. इस मैच में भी इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने शुरुआत में शानदार बल्लेबाजी की थी जिसकी वजह से पहले 5 ओवर में ही बोर्ड पर 50 रन लग गए थे लेकिन इसके बाद कुलदीप यादव ने कहर ढाया और पांच विकेट लेकर इंग्लैंड को 159 रनों पर रोक दिया था. इसके बाद केएल राहुल ने शानदार शतक लगाते हुए टीम की जीत आसान कर दी थी.

दोनों टीमों के बीच सीरीज का अंतिम मुकाबला रविवार को ब्रिस्टल के काउंटी मैदान पर होगा जो एक तरह से सीरीज का फाइनल मुकाबला होगा.

अंबानी का सस्ता डीटीएच और ब्रौडबैंड तोड़ सकता है अन्य कंपनियों की कमर

देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने सुनील भारती मित्तल के स्वामित्व वाली भारती एयरटेल के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है. टेलिकौम सर्विस सेक्टर में धमाल मचाने के बाद अंबानी की टेलिकौम कंपनी रिलायंस Jio ने गुरुवार को डीटीएच और ब्रौडबैंड सर्विसेस लौन्च कर दीं. इससे डीटीएच और फिक्स्ड लाइन ब्रौडबैंड सर्विसेस में प्राइस वार छिड़ सकती है. इसका सीधा असर भारती एयरटेल पड़ेगा, क्योंकि इन दोनों सर्विसेस में उसकी बड़ी हिस्सेदारी है. बहरहाल इसका सीधा फायदा तो कंज्यूमर को ही होगा, जैसा जियो के मामले में हुआ.

कस्टमर्स को होगा फायदा

रिलायंस जियो ने अपनी डीटीएच सर्विस ने गुरुवार को लौन्च किए गए अपने Jio GigaTV  पर लिए जाने वाले चार्जेस का खुलासा नहीं किया है. हालांकि माना जा रहा कि उसके प्राइस के आगे दूसरी कंपनियों के लिए टिकना आसान नहीं होगा. वहीं इसके माध्यम से 600 चैनल्स का लुत्फ उठाया जा सकेगा. इसमें वौयस कमांड भी होगी, जो कई भाषाओं में काम करेगी.

वहीं जियो की फिक्स्ड लाइन ब्रौडबैंड सर्विस Jio GigaFibre की केबल सीधी आपके घर में पहुंचेगी जो आपकी इंटरनेट स्पीड को कई गुना बढ़ा देगी. हालांकि कंपनी ने जियो की तरह इसे कस्टमर्स को तीन महीने के लिए फ्री में दे रही है, जिसके मौजूदा प्लान के तहत कंपनी 90 दिन के लिए 100 एमबीपीएस की स्पीड दे रही है, जिसमें आप महीने में 100 जीबी तक डेटा खर्च कर सकते हैं. फिलहाल कंपनी कोई भी इंस्टालेशन चार्ज नहीं ले रही है केवल 4,500 रुपए सिक्युरिटी मनी ले रही है जो रिफंडेबल है. ऐसे में दूसरी कंपनियों को अपनी ब्रौडबैंड और डीटीएच सर्विसेस सस्ती करनी पड़ेंगी.

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भारती एयरटेल को लगेगा तगड़ा झटका

  • भारती एयरटेल का डीटीएच और फिक्स्ड लाइन ब्रौडबैंड मार्केट के बड़े हिस्से पर कब्जा है. एयरटेल डीटीएच देश के डीटीएच मार्केट में 20 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर पर है.
  • वहीं फिक्स्ड लाइन ब्रौडबैंड मार्केट में भारती एयरटेल 16 फीसदी हिस्सेदारी के साथ देश में दूसरे नंबर पर है. इससे साफ है कि आने वाले समय में भारती एयरटेल की मुश्किलें और बढ़ने जा रही हैं.

ऐसा ही डीटीएच का मार्केट

दरअसल सितंबर, 2017 में समाप्त क्वार्टर के आंकड़ों के मुताबिक सुभाष चंद्रा की अगुआई वाली डिश टीवी 26 फीसदी हिस्सेदारी के साथ देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी है. इसके बाद 21 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ टाटा ग्रुप की टाटा स्काई है. मित्तल एयरटेल डीटीएच (20 फीसदी) तीसरे, वीडियोकौन डी2एच (17 फीसदी), सन डायरेक्ट (11 फीसदी) और बिग टीवी (5 फीसदी) हैं. हालांकि वीडियोकौन डी2एच को डिश टीवी खरीद चुकी है.

फिक्स्ड लाइन ब्रौडबैंड में टौप पर है बीएसएनएल

भारत में फिलहाल फिक्स्ड ब्रौडबैंड के महज 1.4 फीसदी सब्सक्राइबर हैं. अक्टूबर, 2016 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में महज 1.8 करोड़ सब्सक्राइबर थे. इस प्रकार इस सेक्टर में बिजनेस की काफी संभावनाएं बाकी हैं. वहीं कंपनी वार बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा 57 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल है. इसके बाद भारती एयरटेल (16 फीसदी), एमटीएनएल (14 फीसदी), टाटा (7 फीसदी) का नंबर आता है. इससे साफ है कि सरकारी कंपनियों को छोड़ दें तो भारती एयरटेल को रिलायंस के Jio GigaFibre को तगड़ी टक्कर मिल सकती है.

छोटी केबल टीवी कंपनियों की भी बढ़ेंगी मुश्किलें

Jio GigaTV से सबसे तगड़ा झटका छोटी केबल नेटवर्क कंपनियों को लगने जा रहा है. हैथवे केबल, डेन नेटवर्क और सिटी नेटवर्क छोटी केबल कंपनियों पर इसका असर शुरुआती दो दिन में ही नजर आने लगा. बीते दो दिन में इन कंपनियों के स्टौक्स में 20 से 30 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है.

‘गोल्ड’ के गाने में इश्क फरमाते दिखे अक्षय और मौनी

काफी समय से बौलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म ‘गोल्ड’ को लेकर चर्चा में हैं. पिछले महीने इस फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज किया गया था, जिसे लोगो द्वारा काफी पसंद भी किया गया. अब इस फिल्म का एक नया गाना ‘नैनो ने बांधी’ रिलीज किया गया है. इस गाने में अक्षय कुमार के साथ मौनी रौय नजर आ रही हैं. यू्टयूब पर इस गाने को रिलीज होते ही चंद घंटों में इस वीडियो को 3 लाख से ज्यादा बार देखा गया.

गौरतलब है कि छोटे पर्दें की अदाकारा मौनी रौय ‘गोल्ड’ से बौलीवुड में कदम रखने जा रही हैं. वहीं फिल्म में अमित साध, कुणाल कपूर और विनीत कुमार सिंह जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में है. सूत्रों के मुताबिक फिल्म की कहानी हौकी खिलाड़ी के वास्तविक जीवन पर आधारित है, जिसने स्वतंत्र भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक हासिल करके भारत का नाम गर्व से ऊंचा किया था.

बता दें, देश के लिए ओलंपिक में ‘गोल्ड’ जीतने के लिए इस यात्रा कि शुरुआत 1936 में हुई थी लेकिन गुलाम भारत के वक्त में शुरु हुई इस यात्रा और सपने को पूरा करने में 12 साल का वक्त लगा था. भारत ने 12 अगस्त 1948 को ओलंपिक के दौरान स्वतंत्र भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था और देश का नाम गर्व से ऊंचा किया था.

अक्षय और मौनी रौय के अभिनय से सजी यह फिल्म 15 अगस्त को रिलीज होगी. इस फिल्म का निर्माण फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के एसएल एंटरटेनमेंट के बैनर तले किया गया है और यह पहली बार है जब अक्षय कुमार एसएल एंटरटेनमेंट के साथ काम कर रहे हैं.

देर रात आलिया के घर पहुंचे रणबीर, क्या है माजरा..?

इनदिनों हरतरफ रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के रिलेशनशिप की खबरों का बाजार गर्म है. रणबीर और आलिया को एक साथ कई बार देखा गया है. कभी दोनों एक साथ डिनर डेट पर जाते दिखे तो कभी पार्टियों में एक साथ पहुंचे. लेकिन हाल ही में जो फोटो वायरल हो रही है उन तस्वीरों को देखकर ऐसा ही लगता है कि इन दोनों के रिश्ते के लिए परिवार के सभी लोग राजी हो गए हैं. अरे अरे, ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि रणबीर की आलिया के परिवार के साथ खास मुलाकात इस बात की ओर इशारा कर रही है.

सोशल मीडिया पर रणबीर की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही है जिसे आलिया और रणबीर के रिश्ते से जोड़कर देखा जा रहा है. इन तस्वीरों में रणबीर आलिया के घर देर रात उनके परिवार से मिलने पहुंचे. तस्वीरों को देखकर आपके मन में भी इन दोनों के रिश्ते को लेकर कई सवाल खड़े हो गए होंगे लेकिन जरा अपने ख्यालों को थोड़ा लगाम दीजिए.

सूत्रों की मानें तो रणबीर कपूर, आलिया के घर नीतू कपूर के जन्मदिन की प्लानिंग करने गए थे. कहा जा रहा है कि महेश भट्ट और आलिया नीतू कपूर के जन्मदिन पार्टी में हिस्सा लेने के लिए पेरिस जाएंगे और वहीं पर नीतू के जन्मदिन को सेलिब्रेट किया जाएगा. ऐसे में इतना तो तय है कि रणबीर और आलिया की बढ़ती नजदीकियां दोनों परिवार को भी एक साथ ला रही है.

नीतू कपूर रणबीर को लेकर काफी कौन्शियस रहती हैं ऐसे में लगता है नीतू को भी रणबीर के लिए आलिया पसंद है. यहां तक कि वह इंस्टाग्राम पर पोस्ट हुई आलिया की तस्वीर पर भी एक खूबसूरत सा कमेंट कर चुकी हैं. ऐसे में आलिया का नीतू कपूर की बर्थडे पार्टी के लिए पेरिस जाना इनके रिश्ते पर मुहर लगाता है.

वहीं ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि रणबीर और आलिया साल 2020 तक शादी के बंधन में बंध सकते हैं. फिलहाल तो इस बारे में कोई भी आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है लेकिन इतना तो तय है कि इन दोनों के बीच रिश्ता दोस्ती से कहीं आगे हैं.

इनकम टैक्स रिटर्न में डिजिटल सिग्नेचर हुआ अनिवार्य

आयकर रिटर्न फाइल करते समय व्यक्तिगत, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) का इस्तेमाल अनिवार्य हो गया है. डिजिटल सिग्नेचर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर का इलेक्ट्रौनिक रूप है. इसका इस्तेमाल किसी दस्तावेज को प्रमाणित करने के लिए किया जा सकता है. ये सर्टिफिकेट कंट्रोलर औफ सर्टिफाइंग अथौरिटीज (सीसीए) द्वारा स्वीकृत सर्टिफाइंग अथारिटी जारी करती है.

डिजिटल सर्टिफिकेट ‘यूएसबी टोकन’ के रूप में आता है और आमतौर पर एक या दो साल के लिए वैध रहता है. वैधता समाप्त होने पर इसे रिन्यू कराया जा सकता है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए डिजिटल सिग्नेटर का इस्तेमाल करना आसान है. साथ ही इसके जरिए रिटर्न फाइल करना काफी सुरक्षित भी है.

यदि रिटर्न डिजिटल रूप से साइन किया गया है तो फिर रिटर्न को आधार ओटीपी से वैरीफाई करने की जरूरत नहीं है. साथ ही सीपीसी बेंगलुरू को आईटीआर की हस्ताक्षरित हार्ड कौपी भेजने की जरूरत भी नहीं है. डिजिटल सिग्नेचर को इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर पंजीकृत करना अनिवार्य है.

डिजिटल सिग्नेचर तीन वर्गो में उपलब्ध है – क्लास 1, क्लास 2 और क्लास 3.

क्लास 1 – ये व्यक्तिगत या निजी उपयोग के लिए जारी किया जाता है. इसका इस्तेमाल कम मूल्य के लेनदेन में होता है. इसमें पहचान के सबूत की जरूरत नहीं.

क्लास 2 – इस डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी संस्थानों में दस्तावेज फाइल करने के लिए किया जाता है. जैसे आयकर विभाग, कौरपोरेट मामलों के मंत्रालय आदि. आयकर रिटर्न के लिए इस सिग्नेचर का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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क्लास 3 – इसका इस्तेमाल रेलवे, बैंक, सड़क परिवाहन प्राधिकरण, बिजली बोर्ड जैसे सरकारी विभागों ई-नीलामी या ई-टेंडरिंग के लिए किया जाता है.

ई-फाइलिंग वेबसाइट पर डिजिटल सिग्नेचर को कैसे रजिस्टर करें  

डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट को आयकर विभाग की वेबसाइट पर रजिस्टर करना होता है. सही आदमी की पहचान सुनिश्चित करने के लिए ऐसा जरूरी है. डिजिटल सिग्नेचर को इस तरह रिजिस्टर किया जा सकता है.

स्टेप 1 – www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाइए और रजिस्टर्ड पैन तथा पासवर्ड से लौगइन कीजिए.

स्टेप 2 – लौग-इन करने के बाद मेन मीनू से प्रोफाइल सेटिंग्स में जाइए और फिर रजिस्टर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट पर क्लिक कीजिए.

स्टेप 3 – लैंडिंग पेज पर दिए गए लिंक से डीएससी मैनेजमेंट यूटीलिटी को डाउनलोड कीजिए. जिप फोल्डर से अलग करके डीएससी मैनेजमेंट यूटीलिटी को ओपेन कीजिए.

स्टेप 4 – डीएससी मैनेजमेंट यूटीलिटी में डिजिटल सिग्नेटर का इस्तेमाल करते हुए दूसरे टैब ‘रजिस्टर/रिसेट पासवर्ड’ में जाइए.

स्टेप 5 – कम्प्यूटर/लैपटौप के यूएसबी पोर्ट में डीएससी यूएसबी टोकन लगाइए.

स्टेप 6 – ई-फाइलिंग में पंजीकृत यूजर आईडी और पैन नंबर इंटर कीजिए.

स्टेप 7 – डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के प्रकार को चुनिए और सिग्नेचर फाइल जनरेट कीजिए.

स्टेप 8 – ई-फाइलिंग पोर्टल में दोबारा जाइए और रजिस्टर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के पेज पर स्टेप 7 में जनरेट की गई सिग्नेचर फाइल अटैच कीजिए. अब इसे सब्मिट कर दीजिए.

डीएससी का रजिस्ट्रेशन होने पर एक कन्फर्मेशन ईमेल आपके पंजीकृत ईमेल आईडी पर भेजी जाएगी.

डिजिटल सिग्नेचर के साथ आयकर रिटर्न के वैरीफिकेशन के प्रक्रिया का यह पहला हिस्सा था. एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद अगला कदम है आईटीआर को वैरीफाई करना. वैरीफाई करने के स्टेप ये हैं.

स्टेप 1 – ई-फाइलिंग पोर्टल से नवीनतम डीएससी मैनेजमेंट यूटीलिटी को डाउनलोड कीजिए. जिप फोल्डर से अलग कर यूटीलिटी को ओपन कीजिए.

स्टेप 2 – तीसरे टैब अपलोड एक्सएमएल को सेलेक्ट कीजिए और एक्सेल या जावा रिटर्न फाइलिंग यूटीलिटी से जनरेट की गई एक्सएमएल फाइल को ब्राउज कीजिए. यदि रिटर्न औनलाइन ई-फाइलिंग एकाउंट से तैयार किया जा रहा है, तो चौथे टैब ‘सब्मिट आईटीआर/फार्म औनलाइन’ का उपयोग कीजिए.

स्टेप 3 – डीएससी (यूएसबी टोकन) के प्रकार को चुनिए और सिग्नेचर फाइल को जनरेट कीजिए.

स्टेप 4 – ई-फाइलिंग वेबसाइट पर दोबारा जाइए. आईटीआर एक्सएमएल फाइल को अपलोड करते समय डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के रेडियो बटन को चुनिए.

स्टेप 5 – ई-फाइलिंग के समय एक्सएमएल फाइल के साथ सिग्नेचर को अपलोड कीजिए.

धोनी के जन्मदिन पर साक्षी ने कुछ इस तरीके से दी बधाई

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 7 जुलाई को अपना 37वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. जन्मदिन पर धोनी को उनके फैन्स से ढेरों शुभकामनाएं मिल रही हैं. शुभकामना देने वालों की फेहरिस्त में पहला नाम धोनी की पत्नी साक्षी का है. साक्षी ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम पर धोनी के लिए एक बेहद प्यारा संदेश शेयर किया है. बता दें कि धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची के राजपूत परिवार में हुआ था. अभी 4 जुलाई को महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी ने अपनी शादी की 8वीं सालगिरह सेलिब्रेट की है.

साक्षी ने इंस्टाग्राम पर महेंद्र सिंह धोनी के साथ एक तस्वीर शेयर की है और साथ ही एक बेहद भावुक संदेश भी लिखा है. साक्षी ने लिखा, हैप्पी बर्थ डे टू यू… शब्द भी यह नहीं बता सकते कि तुम कितने शानदार इंसान हो. 10 साल में मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है और अभी बहुत कुछ सीखना है. आपका शुक्रिया, मेरे साथ होने और मुझे प्रैक्टिकल बनाने के लिए. मेरे जीवन को इतना खूबसूरत बनाने के लिए आपका शुक्रिया.

बता दें कि साक्षी की पोस्ट से पता चला कि दोनों को साथ रहते हुए 10 साल हो चुके हैं. धोनी और साक्षी की शादी दो साल की डेटिंग के बाद 4 जुलाई 2010 हुई थी. दोनों की एक बेटी है- जीवा धोनी. धोनी, साक्षी और जीवा फिलवक्त इंग्लैंड में हैं. धोनी इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय टीम के सदस्य हैं. सुरेश रैना ने धोनी को विश करते हुए एक फोटो पोस्ट की. उन्होंने लिखा, हैप्पी बर्थ डे टू लीजेंडे. आपके जैसा कोई नहीं हो सकता.

पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने भी धोनी को विश करते हुए लिखा, हैप्पी बर्थ डे धोनी. आपका जीवन लंबा और सफल हो. आपको हर चीज में खुशी मिले. आपकी स्टंपंपिंग से भी ज्यादा गति से जीवन में खुशियां आएं.

बता दें कि 2004 में भारत के लिए डेब्यू करने के बाद धोनी अपने 37वें बर्थ डे तक 500 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं.

मृत्युदूत बने तांत्रिक : तंत्रमंत्र के चक्कर में गई अनीता की जान

“भैया, दरवाजा खोलो.’’ गेट की कुंडी खटखटाते हुए मोहिनी ने तेज आवाज में कहा.

घर के अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो मोहिनी ने और तेज आवाज लगाते हुए एक बार फिर दरवाजे की कुंडी खटखटाई. इस बार घर के अंदर से किसी पुरुष की आवाज आई, ‘‘कौन है?’’

‘‘भैया, मैं हूं.’’ मोहिनी ने बाहर से जवाब दिया.

इस के बाद घर के अंदर से किसी के चल कर आने की पदचाप सुनाई दी तो मोहिनी आश्वस्त हो गई.

दरवाजा श्याम सिंह ने खोला. गेट पर छोटी बहन मोहिनी को देख कर उस ने पूछा, ‘‘मोहिनी, रात को आने की ऐसी क्या जरूरत पड़ गई. घर पर मम्मीपापा तो सब ठीक हैं न?’’

‘‘भैया, मम्मीपापा तो सब ठीक हैं, लेकिन बड़ी दीदी ठीक नहीं हैं.’’ मोहिनी ने चिंतित स्वर में कहा, ‘‘भैया, अंदर चलो. मैं सारी बात बताती हूं.’’ मोहिनी श्याम सिंह को घर के अंदर ले गई.

श्याम सिंह ने पहले घर का दरवाजा बंद किया, फिर मोहिनी को ले कर अपने कमरे में आ गया. मोहिनी से कमरे में बिछी चारपाई पर बैठने को कह कर वह उस के लिए मटके से पानी का गिलास भर कर ले आया. गिलास मोहिनी के हाथ में देते हुए श्याम सिंह ने कहा, ‘‘मोहिनी, तुम पहले पानी पी लो, फिर बताओ ऐसी क्या बात हुई, जिसे ले कर तुम परेशान हो.’’

मोहिनी एक ही बार में पूरा पानी पी गई. फिर लंबी सांस ले कर कुछ देर चुपचाप बैठी रही. मोहिनी को चुप बैठा देख श्याम सिंह बेचैन हो गया. उस ने मोहिनी के सिर पर स्नेह से हाथ रख कर पूछा, ‘‘आखिर बात क्या है?’’

चुप बैठी मोहिनी की आंखों में आंसू आ गए. वह बोली, ‘‘भैया, आप को यह तो पता ही है कि अनीता दीदी बहुत दिनों से बीमार थीं. दीदी 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन ज्यादा बीमार हो गईं. फिर अगले दिन बेहोश हो गई थीं. उस दिन के बाद से मैं ने दीदी को नहीं देखा, पता नहीं वह जिंदा भी हैं या नहीं?’’

श्याम सिंह ने बहन की आंखों में डबडबा आए आंसू पोंछ कर उस के इस शक की वजह पूछी.

‘‘मुझे शक इसलिए है कि घर में जिन तांत्रिकों ने डेरा जमा रखा है, वे मुझे दीदी के कमरे में जाने तक नहीं देते. दीदी के कमरे से बदबू आती है, लेकिन तांत्रिक दिन भर अगरबत्ती जलाए रखते हैं और इत्र छिड़कते रहते हैं ताकि बदबू न आए.’’

बहन की बातें सुन कर श्याम सिंह चिंता में पड़ गया. उसे पता था कि उस की बड़ी बहन अनीता बीमार रहती है और कुछ तांत्रिक उस का इलाज करने के नाम पर लंबे समय से घर में डेरा जमाए हुए हैं. उन तांत्रिकों ने उस के मातापिता को भी अपने जाल में कुछ इस तरह फंसा रखा था कि वे उन के कहे अनुसार ही चलते थे.

श्याम सिंह ने मोहिनी से पूछा, ‘‘मम्मीपापा को इस बात का पता है या नहीं कि दीदी के कमरे से बदबू आ रही है?’’

‘‘भैया, तांत्रिकों ने तंत्रमंत्र के नाम पर मम्मीपापा को अंधविश्वास में इतना डुबो दिया है कि वे उन की बातों से आगे कुछ नहीं सोचतेसमझते.’’ मोहिनी ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘अब तो तांत्रिक मम्मीपापा को भी दीदी के कमरे में नहीं जाने देते.’’

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कुछ देर चुप रहने के बाद मोहिनी ने कहा, ‘‘भैया, कुछ करो वरना वे तांत्रिक मम्मीपापा और मुझे भी मार देंगे.’’

‘‘तू चिंता मत कर, हम अभी थाने चलते हैं और उन तांत्रिकों की करतूत पुलिस को बता देते हैं.’’

यह बीती 27 फरवरी की रात करीब 9-10 बजे की बात है. श्याम सिंह छोटी बहन मोहिनी को साथ ले कर गंगापुर सिटी थाने जा पहुंचा.

थाने में मौजूद ड्यूटी अफसर को श्याम सिंह ने सारी बातें बताईं. मामला गंभीर था. ड्यूटी अफसर ने सूचना दे कर थानाप्रभारी दीपक ओझा को बुलवाया.

थानाप्रभारी ओझा ने श्याम सिंह से पूरी बात पूछी और लिखित में शिकायत देने को कहा. श्याम सिंह ने पुलिस को लिखित शिकायत दे दी. थानाप्रभारी ओझा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएसपी नरेंद्र शर्मा को सारी जानकारी दी. इस पर डीएसपी ने कहा कि वे गंगापुर सिटी थाने आ रहे हैं और अभी तुरंत काररवाई करेंगे.

कुछ ही देर में डीएसपी नरेंद्र शर्मा थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी दीपक ओझा से सारा मामला समझ कर शर्मा ने कहा कि यह एक लड़की के जीवनमरण से जुड़ा मामला है. पता नहीं कि वह लड़की जिंदा भी है या नहीं. इसलिए हमें अभी रात में ही काररवाई करनी होगी. उन्होंने थानाप्रभारी को तुरंत एक टीम तैयार करने को कहा. इसी के साथ उन्होंने श्याम सिंह को बुला कर उस से तांत्रिकों के बारे में कुछ सवाल पूछे. इतनी देर में पुलिस टीम तैयार हो गई. तब तक रात के करीब 11 बज गए थे. डीएसपी नरेंद्र शर्मा के नेतृत्व में गंगापुर सिटी थानाप्रभारी दीपक ओझा अपनी टीम के साथ श्याम सिंह और मोहिनी को साथ ले कर उन के बताए पते पर रवाना हो गए.

10-15 मिनट में पुलिस टीम इंद्रा मार्केट पहुंच गई. मोहिनी अपने मातापिता के साथ इसी मार्केट में बने मकान में रहती थी. श्याम सिंह ने इंद्रा मार्केट में एक जगह पुलिस टीम को रोक कर एक मकान की ओर इशारा कर के बताया कि यह हमारा मकान है.

पुलिस टीम उस मकान पर पहुंची, लेकिन वहां ताला लटक रहा था. पुलिस को पता लगा कि घर के लोग और तांत्रिक अंदर ही हैं. इस पर पुलिस टीम ने पड़ोस के मकान से हो कर उस घर में प्रवेश किया.

पुलिस टीम जब घर के अंदर पहुंची तो हैरान रह गई. एक कमरे में जमीन पर लगे बिस्तर पर अनीता की लाश पड़ी थी. उस की लाश पर चादर डाली हुई थी. अनीता के शरीर पर कपड़े भी नहीं थे. शरीर पर कई जगह पट्टियां बंधी हुई थीं.

घर में 6 लोग मौजूद थे. इन में मोहिनी के पिता ताराचंद राजपूत और मां उर्मिला देवी के अलावा 4 तांत्रिक थे. पुलिस ने ताराचंद और उस की पत्नी उर्मिला से पूछताछ की तो पता चला कि तांत्रिक उन्हें लगातार डरातेधमकाते रहे, उन्होंने अनीता का इलाज नहीं करवाने दिया. तांत्रिक उन से कहते रहे कि अनीता जीवित है और जल्दी ही ठीक हो जाएगी. इस के लिए तांत्रिक कमरे में तंत्रमंत्र का नाटक करते रहे.

पुलिस रात को ही अनीता के पिता ताराचंद राजपूत, मां उर्मिला के अलावा चारों तांत्रिकों को पकड़ कर गंगापुर सिटी थाने ले आई. पुलिस ने मकान सीज कर के वहां पुलिस कांस्टेबल तैनात कर दिया.

थाने ला कर चारों तांत्रिकों से पूछताछ की गई. पूछताछ में पता चला कि उस दिन रात घिरते ही मोहिनी मौका देख कर बिना किसी को बताए घर से निकल गई थी. वह अपने भाई श्याम सिंह को तांत्रिकों की करतूत बताने के लिए गई थी. तांत्रिकों को जब पता चला कि मोहिनी घर से गायब है तो एक तांत्रिक सपोटरा निवासी गजेंद्र उर्फ पप्पू शर्मा उस की तलाश में घर से निकला.

जाते समय गजेंद्र ने घर के बाहर से ताला लगा दिया था. इसी वजह से वह मौके पर नहीं मिला. बाद में वह फरार हो गया था. पुलिस ने 28 फरवरी को अनीता के मातापिता और चारों तांत्रिकों को गैरइरादतन हत्या और आपराधिक षडयंत्र की धाराओं में गिरफ्तार कर लिया. इन तांत्रिकों में सपोटरा निवासी गजेंद्र उर्फ पप्पू शर्मा की पत्नी मंजू, मथुरा निवासी बंटी उर्फ संदीप शर्मा, महूकलां निवासी नीटू चौधरी और धूलवास निवासी गोपाल सिंह शामिल थे.

उसी दिन पुलिस ने विधिविज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की टीम बुला कर मौके की जांचपड़ताल कराई. इस के बाद अनीता का शव सिविल अस्पताल पहुंचाया गया. शव का पोस्टमार्टम अस्पताल में 3 डाक्टरों के मैडिकल बोर्ड से कराया गया. मैडिकल बोर्ड में डा. बी.एल. बैरवा, डा. कपिल जायसवाल और डा. मनीषा गोयल शामिल थीं.

बाद में डा. बी.एल. बैरवा ने बताया कि शव काफी दिनों पुराना था. जांच के लिए विसरा ले कर विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया. पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने अनीता का शव अंतिम संस्कार के लिए उस के भाई को सौंप दिया.

पुलिस की पूछताछ और जांचपड़ताल में अंधविश्वास की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—

रणथंभौर अभयारण्य बाघों की शरणस्थली के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है. यह बाघ अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर में है. इसी सवाई माधोपुर जिले में गंगापुर सिटी है. गंगापुर सिटी के इंद्रा मार्केट में ताराचंद राजपूत अपनी पत्नी उर्मिला और परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में 3 बेटे श्याम सिंह, गोविंद और नरेंद्र तथा 2 बेटियां थीं अनीता और मोहिनी.

अनीता कई साल पहले से बीमार रहती थी. ताराचंद ने बेटी का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ताराचंद पुराने विचारों के आदमी थे. कुछ लोगों ने उन्हें सयानेभोपों से बेटी का इलाज कराने की बात कही. उस दौरान तांत्रिक गजेंद्र और उस के साथी गोपाल सिंह, नीटू चौधरी और बंटी उर्फ संदीप शर्मा ताराचंद के संपर्क में आए. इन लोगों ने अनीता पर भूतप्रेत का साया बताया और ताराचंद के घर पर ही आ कर तंत्रमंत्र के नाम पर उस का इलाज करते रहे.

उन्होंने अपने अंधविश्वास से ताराचंद को इस कदर वशीभूत कर लिया कि उस की सोचनेसमझने की शक्ति कमजोर पड़ती गई. ताराचंद पूरी तरह उन तांत्रिकों के चंगुल में फंस गया.

कुछ दिन पहले इन तांत्रिकों ने ताराचंद से कहा कि अनीता अब बिलकुल ठीक हो गई है. साथ ही उसे यह भी बताया कि तंत्रमंत्र से उन्होंने अनीता के शरीर में देवी का प्रवेश करवा दिया है. इस के बाद इन तांत्रिकों ने अनीता को मोहरा बना कर ताराचंद के मकान के एक कमरे में मंदिर बना दिया. उस मंदिर में उन्होंने अनीता को एक गद्दी पर बैठा दिया.

बाद में ये तांत्रिक अनीता के शरीर में देवी होने की बात प्रचारित करके तंत्रमंत्र से दूसरे लोगों का इलाज करने लगे. गांवदेहात के नासमझ लोग बहकावे में आ कर ताराचंद के मकान पर इन तांत्रिकों के पास आने लगे. ये लोग इलाज करने के बहाने लोगों से किसी न किसी रूप में जेवर व पैसा आदि वसूलने लगे.

अपने घर में तांत्रिकों का डेरा देख कर ताराचंद के बेटे विरोध करने लगे. उन्होंने मातापिता को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वे नहीं माने. तीनों बेटे बड़े हो गए थे. अनीता भी बड़ी थी.

पहले बीमार रहने और फिर तांत्रिकों के चक्कर में पड़ने की वजह से उस की शादी की उम्र भी निकल गई थी. बड़ी बहन की शादी नहीं होने और मातापिता के लगातार उन तांत्रिकों पर बढ़ते विश्वास के कारण घर में कलह रहने लगी.

रोजरोज की कलह से तंग आ कर तीनों भाई अलगअलग रहने लगे. उन्होंने अपने मातापिता का मकान छोड़ दिया. इन में 2 भाई श्याम सिंह और गोविंद गंगापुर सिटी में ही नहर रोड पर रहने लगे थे. तीसरा भाई नरेंद्र हरियाणा के बल्लभगढ़ में जा कर रहने लगा था. बड़ी बेटी अनीता और छोटी बेटी मोहिनी मातापिता के साथ इंद्रा मार्केट में अपने मकान में ही रहती रहीं.

तांत्रिकों ने ताराचंद को पूरी तरह से अपने प्रभाव में ले रखा था. अनीता के बहाने उन्हें लोगों को ठगने का ठिकाना मिल गया था. हालांकि इन सभी तांत्रिकों के अपने घरपरिवार थे, लेकिन ये दिनरात ताराचंद के मकान पर जब चाहे आतेजाते रहते थे.

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इसी साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर अनीता ज्यादा बीमार हो गई. इन तांत्रिकों ने ताराचंद और उस की पत्नी को डरा दिया कि अगर उसे अस्पताल ले गए तो यह मर जाएगी. इस का इलाज हम ही करेंगे.

ताराचंद पहले से ही तांत्रिकों के अंधविश्वास में डूबा हुआ था. अनीता की मां उर्मिला भी उन तांत्रिकों को बेटी पर तंत्रमंत्र करने से मना नहीं कर सकी. तांत्रिकों ने अनीता पर तंत्रमंत्र किया, लेकिन अगले ही दिन यानी 15 जनवरी को अनीता की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. वह बेहोश हो गई.

इस के बाद उन तांत्रिकों ने अनीता को एक कमरे में बंद कर दिया और तंत्रमंत्र के नाम पर उस का इलाज करने की बात कहते रहे. उस कमरे में केवल ये तांत्रिक ही आतेजाते थे. ये लोग दूसरे लोगों को उस कमरे में नहीं जाने देते थे.

ताराचंद और उर्मिला के बहुत जिद करने पर उन्हें कभीकभार उस कमरे में जाने देते थे. मोहिनी को भी वे लोग अनीता के कमरे में नहीं जाने देते थे. तांत्रिक मोहिनी को घर से बाहर भी नहीं निकलने देते थे.

ताराचंद या उर्मिला जब उस कमरे में जाते तो अनीता उन्हें बिस्तर पर लेटी ही मिलती. कमरे में दिनरात अगरबत्ती जलती रहती थीं. कमरा इत्र की खुशबू से महकता रहता था. तांत्रिक कहते थे कि अनीता जीवित है, लेकिन अभी वह तुम से बात नहीं कर सकती. कुछ दिन ठहर जाओ, वह पूरी तरह ठीक हो जाएगी, तब बात कर लेना. ताराचंद और उर्मिला उन तांत्रिकों की बातों पर भरोसा कर के चुप रह जाते थे.

मोहिनी उसी घर में रह रही थी. वह नहीं समझ पा रही थी कि बहन अगर जीवित है तो कमरे से बाहर क्यों नहीं निकलती? उसे बहन से मिलने क्यों नहीं दिया जाता? कुछ दिनों से उसे अनीता के कमरे से दुर्गंध आने लगी थी. कई बार वह उस कमरे में जाने की कोशिश करती, लेकिन तांत्रिक उसे रोक देते थे. उस कमरे में लगातार सुगंधित अगरबत्ती जलने और इत्र का छिड़काव होने से दुर्गंध इतनी ही थी कि घर में लेगों को महसूस हो जाए. घर से बाहर तक दुर्गंध नहीं जा रही थी.

लगातार कई दिनों तक बदबू आने से मोहिनी को शक हुआ कि दाल में जरूर कुछ काला है. उसे सब से ज्यादा चिंता अपनी बहन अनीता की थी, इसीलिए 27 फरवरी की रात मौका मिलते ही वह घर से निकल कर सीधे नहर रोड स्थित अपने भाई श्याम सिंह के घर पहुंच गई थी.

भाई को तांत्रिकों की सारी करतूतें बता कर उस ने अपना शक जाहिर कर दिया था. इस के बाद श्याम सिंह ने कोतवाली थाने पहुंच कर रिपोर्ट दर्ज कराई और पुलिस ने उस के मातापिता सहित चारों तांत्रिकों को गिरफ्तार कर लिया.

करीब 35 साल की बीमार युवती को इलाज के नाम पर डेढ़ महीने तक कमरे में बंद रखने और इस बीच उस की मौत हो जाने के बाद उस का शव घर में ही रख कर तंत्रमंत्र करने वाले तांत्रिकों को डर था कि मोहिनी उन का भेद खोल सकती है.

इसलिए वे उसे घर से बाहर नहीं निकलने देते थे. एक दिन मोहिनी ने उन तांत्रिकों से अनीता की मौत की आशंका जताई तो उन्होंने पिस्तौल दिखा कर उसे डरायाधमकाया कि उस ने अगर इस बारे में किसी से जिक्र किया तो अच्छा नहीं होगा.

तांत्रिकों ने अनीता के मातापिता और बहन मोहिनी को उन के ही घर में एक तरह से कैद कर के रखा हुआ था. उन के बाहर आनेजाने, किसी को फोन करने, मिलनेजुलने और बाहर की दुनिया से किसी तरह का संबंध रखने की सख्त मनाही थी. तांत्रिकों व उन के साथियों का 24 घंटे उन पर अघोषित पहरा रहता था.

तांत्रिक और उन के साथी अपने लिए कोई सामान खरीदने बाहर जाते तो वे घर के बाहर ताला लगा कर जाते थे ताकि बाहर का कोई आदमी अंदर न आ सके और अंदर से कोई बाहर न जा सके.

पुलिस ने तांत्रिकों से पूछताछ के बाद नीटू चौधरी की निशानदेही पर ताराचंद के मकान में उस कमरे से एक पिस्तौल और 8 जिंदा कारतूस बरामद किए, जिस कमरे में तांत्रिकों ने मंदिर बना रखा था. इसी कमरे की तलाशी में पुलिस को लाखों रुपए के जेवरात भी मिले. ये जेवरात ताराचंद और उस के परिवार के नहीं थे, बल्कि तांत्रिकों ने तंत्रमंत्र के नाम पर लोगों से ठगे थे. पुलिस ने अवैध हथियार मिलने पर नीटू चौधरी और फरार गजेंद्र शर्मा के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत अलग मामला दर्ज किया.

कथा लिखे जाने तक एक तांत्रिक गजेंद्र शर्मा फरार था. गिरफ्तार किए गए चारों तांत्रिक और मृतका अनीता के मातापिता अदालत के आदेश पर न्यायिक हिरासत में जेल में थे. गंगापुर सिटी थाने के सबइंसपेक्टर महेंद्र राठी इस मामले की जांच कर रहे थे.

यह विडंबना ही है कि विज्ञान के इस युग में तंत्रमंत्र के नाम पर ठगों ने अपना ऐसा जाल बिछा रखा है कि नासमझ और गांवदेहात को छोडि़ए, पढ़ेलिखे और अमीर लोग भी अंधविश्वास में फंस कर इन के बहकावे में आ जाते हैं. लेकिन यह अंधविश्वास की पराकाष्ठा है कि करीब एकडेढ़ महीने तक मृत युवती के शव को जीवित करने के नाम पर तांत्रिक कथित तौर पर जादूटोना करते रहे. दूसरों का भविष्य बताने वाले इन तांत्रिकों को खुद के भविष्य का पता नहीं था कि उन्हें जेल जाना पड़ेगा.

तांत्रिकों के जाल में दिल्ली : आखिर इन मामलों में पुलिस क्या करे

लोग चाहे कितने भी जागरूक हो गए हों, भले ही डिजिटल क्रांति आ गई हो लेकिन आज भी समाज में अंधविश्वास कायम है. कुछ अंधविश्वासी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. तांत्रिक भी ऐसे लोगों की अंधी आस्था का लाभ उठाने से नहीं चूकते.

अंधविश्वास में डूबे ऐसे लोग आर्थिक शोषण के साथसाथ शारीरिक शोषण भी करा बैठते हैं. ऐसी बात नहीं है कि केवल अनपढ़ और निम्न तबके के लोग ही तांत्रिकों के पास पहुंचते हैं. सच्चाई तो यह है कि उच्च वर्ग के कई लोग भी तांत्रिकों की शरण में जाते हैं, मामूली पढ़ेलिखे नहीं बल्कि उच्चशिक्षित भी.

तथाकथित तांत्रिकों के चक्कर में फंस कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं, क्योंकि अपने स्वार्थ के लिए ये तांत्रिक कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. दिल्ली के मंदिर मार्ग इलाके में एक तांत्रिक के क्रियाकलाप की ऐसी खौफनाक हकीकत सामने आई कि सुनने वाले का भी कलेजा कांप उठे.

सेंट्रल दिल्ली के थाना मंदिर मार्ग का एक इलाका है कालीबाड़ी, जो प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) के सामने है. वैसे इस इलाके में अधिकांशत: सरकारी फ्लैट बने हुए हैं, जिन में सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

यहीं के एक फ्लैट में 44 साल की के.वी. रमा अपने पति डी.वी.एस.एस. शिव शर्मा (45 साल) और 2 बच्चों के साथ रहती थी. के.वी. रमा शर्मा भारत सरकार के एक मंत्रालय में स्टेनोग्राफर के पद पर नौकरी करती थी. जबकि पति शिव शर्मा डीएलएफ कंपनी में फाइनैंस मैनेजर थे. इस दंपति की बेटी 7वीं कक्षा में और बेटा 5वीं कक्षा में पढ़ रहे थे.

दोनों मियांबीवी कमा रहे थे, इसलिए घर पर हर महीने सैलरी के रूप में मोटी रकम आती थी. कुल मिला कर यह छोटा सा परिवार हर तरह से खुश और सुखी था.

कहते हैं जब किसी व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा पैसा आने लगता है तो उस का दिमाग और ज्यादा सक्रिय हो जाता है. वह उस पैसे से और ज्यादा पैसे कमाने के उपाय खोजता है. शिव शर्मा भी अपने पैसे को और ज्यादा करने के उपाय खोजने लगे.

किसी ने उन्हें बताया कि शेयर मार्केट की कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिन में पैसे लगाने पर अच्छाखासा मुनाफा कमाया जा सकता है. यह बात शिव शर्मा को समझ आ गई. उन्हें शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लिहाजा उन्होंने इंटरनेट से अच्छा लाभांश देने वाली कुछ कंपनियों के बारे में जानकारी हासिल कर ली.

इस के बाद उन्होंने उन कंपनियों के शेयर खरीदने शुरू कर दिए. शुरुआत में उन्हें फायदा हुआ तो उन की दिलचस्पी और बढ़ती गई. उन्होंने शेयर मार्केट में और ज्यादा पैसा लगाया. इस में उन्हें मिलाजुला अनुभव मिलने लगा. कुछ शेयरों ने लाभ दिया तो कुछ में उन्हें नुकसान भी हुआ. हो चुके नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने मोटा निवेश किया.

इस का नतीजा यह निकला कि उन्हें इस में भारी नुकसान हुआ. इस से उन की जमापूंजी तो चली ही गई, साथ ही उन पर कई लाख रुपए का कर्ज भी चढ़ गया. औफिस के लोगों से भी उन्होंने काफी पैसे उधार ले लिए थे. जिन लोगों से शिव शर्मा ने पैसे उधार ले रखे थे, उन के पैसे समय पर नहीं लौटाए तो उन्होंने तकादा करना शुरू कर दिया. कुछ लोग पैसे मांगने उन के फ्लैट तक आने लगे.

फलस्वरूप शिव शर्मा तनाव में रहने लगे. पत्नी के.वी. रमा को भी लोगों की तकादा करने वाली बात अच्छी नहीं लगती थी. शिव शर्मा कर्ज निपटाने के लिए पत्नी से पैसे मांगते थे. उन का कर्ज उतारने में पत्नी भी सहयोग कर देती थी. इन सब बातों को ले कर पतिपत्नी में नोंकझोंक होने लगी. शिव शर्मा तनाव की वजह से चिड़चिड़े हो गए थे, इसलिए वह गुस्से में पत्नी की पिटाई कर देते थे.

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घर में शुरू हो गई कलह

नतीजतन जिस घर में पहले सभी लोग शांति से रहते थे, अब वहां कलह ने डेरा डाल लिया था. पत्नी सरकारी कर्मचारी थी, वह अच्छीखासी सैलरी पाती थी, इसलिए वह पति की तनाशाही सहने के बजाय करारा जवाब दे देती तो पति उस पर हाथ छोड़ देता.

के.वी. रमा महसूस करने लगी कि पति की वजह से ही वह शारीरिक और मानसिक समस्या से जूझ रही है. उधर शिव शर्मा लोगों के तकादे से परेशान थे. वह पत्नी से और पैसे मांगते तो वह मना कर देती कि अब उसे फूटी कौड़ी नहीं देगी.

एक दिन रमा ने अपने एक जानकार से अपने घर की समस्या के बारे में चर्चा की. उस जानकार ने बताया कि आप के पति पर किसी ऊपरी हवा का चक्कर हो सकता है. ऐसे में अगर किसी तांत्रिक से मिला जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है.

रमा इस तरह के अंधविश्वास से दूर रहती थी. हालांकि उस ने कई सार्वजनिक स्थानों पर तांत्रिकों के पैंफ्लेट चिपके देखे थे, जिन में हर तरह की समस्या का समाधान कुछ घंटों में करने की बात लिखी होती थी. इस के अलावा लोकल केबल चैनल पर भी ऐसे तांत्रिकों के विज्ञापन देखे थे.

रमा तंत्रमंत्र, टोनेटोटकों आदि को केवल ढकोसला समझती थी. पर अब जब उन के एक जानकार ने घर की समस्या के बारे में तांत्रिक के पास जाने की सलाह दी तो रमा ने भी सोचा कि अगर घर का तनाव किसी तांत्रिक के पास जाने से ठीक हो जाए तो तांत्रिक के पास जाने में कोई बुराई नहीं है. यानी जिस बात को वह अंधविश्वास और ढकोसला बताती थी, अब जरूरत पड़ने पर वह उसी पर विश्वास करने लगी.

करना पड़ा तंत्रमंत्र पर विश्वास

रमा किसी तांत्रिक को नहीं जानती थी, उस के जानकार ने दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके रहने वाले तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी के बारे में बताया. उस से पता ले कर वह तथाकथित तांत्रिक श्याम सिंह के पास पहुंच गई. तांत्रिक ने सब से पहले बातों बातों में रमा से उस के परिवार की आर्थिक स्थिति को समझा. इस के बाद रमा ने पति के बारे में एकएक बात तांत्रिक को बता दी.

रमा की बात सुनने के बाद तांत्रिक ने अपनी आंखें मूंद लीं और अपनी गद्दी पर बैठेबैठे ही बोला, ‘‘आप के पति के साथ किसी ने कुछ कर दिया है, जिस की वजह से वह घर का एकएक सामान बेच देंगे. यानी वह घर की बरबादी कर के रहेंगे.’’

‘‘भगतजी, इस का उपाय क्या है. मैं चाहती हूं कि वह शेयर बाजार से एकदम दूर हो जाएं. इस शेयर बाजार ने तो हमारे घर की सुखशांति सब छीन ली है.’’ रमा ने कहा.

‘‘देखो, मैं समाधान तो कर दूंगा. वह शेयर में पैसे भी नहीं लगाएंगे, साथ ही बदसलूकी भी नहीं करेंगे. लेकिन इस में करीब एक लाख रुपए का खर्च आएगा.’’ तांत्रिक बोला.

‘‘कोई बात नहीं, हम आप को यह रकम दे देंगे. लेकिन हमें समस्या का समाधान चाहिए.’’ रमा ने कहा.

‘‘आप इस की चिंता न करें. आप हमारे रिसैप्शन पर 30 हजार रुपए जमा करा दीजिए, जिस से हम अपना काम शुरू कर सकें.’’ तांत्रिक ने कहा तो रमा ने पैसे रिसैप्शन पर बैठी लड़की को दे दिए.

वह इस विश्वास से घर चली आईं कि अब समस्या दूर हो जाएगी.

तांत्रिक ने कुछ मंत्र बुदबुदाने के बाद रमा को भभूत देते हुए कहा, ‘‘लो यह भभूत, तुम 7 शनिवार तक पति को शाम के खाने में मिला कर दे देना, सब कुछ ठीक हो जाएगा. ध्यान रखना केवल शनिवार को ही देना. इसे खाने में तब मिलाना जब मिलाते समय कोई टोके नहीं.’’

‘‘ठीक है भगतजी, मैं ऐसा ही करूंगी.’’ कह कर रमा घर चली आई. तांत्रिक के कहे अनुसार रमा ने ऐसा ही किया. वह हर शनिवार को शाम के खाने में पति के खाने में तांत्रिक द्वारा दी गई भभूत मिला कर देने लगी थी. उसे उम्मीद थी कि भभूत अपना असर जरूर दिखाएगी. पर 4-5 सप्ताह बाद भी पति के व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा ने तांत्रिक को फोन किया. जवाब में तांत्रिक ने कहा कि 7 शनिवार होने दो, पूरा असर होगा. इस बीच रमा तांत्रिक से फोन पर बात करती रहती थी.

किसी तरह शिव शर्मा को इस बात का आभास हो गया था कि उस की पत्नी किसी तांत्रिक के पास जाती है. शिव शर्मा ने पत्नी से इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा.

7 शनिवार पति को भभूत खिलाने के बाद भी पति पर कोई असर नहीं हुआ तो रमा तांत्रिक के पास पहुंची. तांत्रिक ने फिर दूसरी भभूत दी.

इतना ही नहीं, तांत्रिक से उस के फ्लैट पर पूजा, हवन भी कराया. निश्चित दिनों तक भभूत खिलाने के बाद भी पति की आदतों में कोई फर्क नहीं पड़ा तो रमा फिर से तांत्रिक से मिली. चूंकि वह पति से अब ज्यादा ही परेशान हो चुकी थी, इसलिए उस ने तांत्रिक से शीघ्र समाधान करने के लिए कहा.

बना लिया मारने का प्लान

इस पर तांत्रिक ने रमा से कहा कि अब तो इस के लिए आरपार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी. रमा ने भी कह दिया कि पति के स्थाई निदान के लिए वह तैयार है. इस के बाद तांत्रिक ने एक बोतल पानी में कुछ घोल कर दे दिया.

तांत्रिक श्याम सिंह उर्फ भगतजी मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. वह दक्षिणपुरी में किराए के मकान में पिछले दोढाई साल से अपना धंधा चला रहा था.

वह पहाड़ों से कुछ जड़ीबूटियां लाता रहता था. उन में से ही कोई बूटी उस ने बोतल के पानी में घोल कर रमा को दे दी थी. घर पहुंच कर रमा ने एक गिलास में बोतल का पानी पति को देते हुए कहा, ‘‘लो, यह बाबाजी का दिया हुआ प्रसाद है. इसे पी लो, सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी.’’

पत्नी के विश्वास पर शिव शर्मा ने वह पानी पी लिया. पानी पीने के बाद उन की हालत बिगड़ने लगी. हालत बिगड़ने पर पत्नी उन्हें डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गई. पति को अस्पताल में भरती कराने के बाद रमा ने जब देखा कि पति की हालत गंभीर है तो वह वहां से घर चली आई. अस्पताल में कुछ देर बाद ही शिव शर्मा की मौत हो गई.

शिव शर्मा की मौत के बाद अस्पताल के लोगों ने रमा को ढूंढा पर वह नहीं मिली. इस पर अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस को खबर दे दी गई. पुलिस ने लाश अस्पताल की मोर्चरी पहुंचवा दी. थाना मंदिर मार्ग के थानाप्रभारी आदित्य रंजन भी वहां पहुंच गए.

पुलिस छानबीन कर रमा के फ्लैट तक पहुंच गई. थाने बुला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि तांत्रिक श्याम सिंह द्वारा दिया गया पानी पीने के बाद ही उन की हालत बिगड़ी थी.

रमा की निशानदेही पर पुलिस ने दक्षिणपुरी से तांत्रिक श्याम सिंह को भी हिरासत में ले लिया. उस ने पूछताछ में स्वीकार कर लिया कि उस ने रमा को दिए गए पानी में जहर मिलाया था. पुलिस तांत्रिक को भी थाने ले आई.

उधर शिव शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहरीले पदार्थ के सेवन से मृत्यु होने की पुष्टि हो गई. तब पुलिस ने आरोपी के.वी. रमा और तांत्रिक श्याम सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

इस तरह एक तांत्रिक के चक्कर में फंस कर रमा ने अपनी गृहस्थी खुद ही उजाड़ ली.

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खजाना मिलने के लालच में गंवाए 17 लाख रुपए

कहते हैं लालच बुरी बला है. ज्यादा लालच हमेशा नुकसानदायक होता है. दिल्ली के मंगोलपुरी के रहने वाले किशनलाल (परिवर्तित नाम) के साथ ऐसा ही हुआ. मंगोलपुरी के वाई ब्लौक में रहने वाले किशनलाल के परिवार में पत्नी के अलावा 5 बच्चे हैं. उन की दवाई की दुकान है. उन का कारोबार अच्छाखासा चल रहा था. करीब 6 साल पहले उन के मकान में जाहिद नाम का एक युवक किराए पर रहता था.

एक दिन जाहिद किशनलाल के घर आया. वह काफी दिनों बाद आया था, इसलिए उन्होंने जाहिद की खूब खातिरतवज्जो की. बातचीत के दौरान जाहिद ने बताया कि वह तांत्रिक है. अपनी तंत्र विद्या से लोगों का भला करता है. उस ने किशनलाल ने कहा, ‘‘आप के इस घर में काला साया है. यह परिवार के लिए अहितकर है. यदि शीघ्र ही इस का समाधान नहीं किया गया तो परिवार में किसी की जान भी जा सकती है.’’

यह सुन कर किशनलाल घबरा गए. वह बोले, ‘‘इस का समाधान कैसे होगा. तुम तो तांत्रिक हो, इसलिए तुम्हीं बताओ.’’

‘‘आप परेशान मत होइए. समाधान हो जाएगा, लेकिन इस की पूजा आदि पर करीब 30 हजार रुपए खर्च होंगे.’’ जाहिद ने बताया.

जाहिद किशनलाल से पूजा के नाम पर 30 हजार रुपए ले गया. करीब 10 दिन बाद जाहिद फिर से किशनलाल के यहां आया. वह बोला, ‘‘10 दिन की पूजा के दौरान मुझे पता चला कि आप के घर में मुगलों की दौलत गड़ी हुई है. यही मुसीबत का साया है. अगर खुदाई कर के दौलत निकाल कर पूजा की जाए तो यह साया दूर हो जाएगा.’’

घर में खजाना गड़ा होने की बात सुन कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने जाहिद से मकान में खुदाई करने को कहा तो जाहिद ने कहा यह काम बड़ा है. इस काम में 2 तांत्रिकों को और लगाया जाएगा. इस के लिए उस ने किशनलाल से 60 हजार रुपए और ले लिए.

जाहिद 2 तांत्रिकों को किशनलाल के घर ले आया. तांत्रिकों ने किशनलाल के घर में पूजा कर के बताया कि वास्तव में इस घर में भारी मात्रा में खजाना दबा हुआ है. यकीन दिलाने के लिए उन तांत्रिकों ने फर्श की खुदाई शुरू कर दी. थोड़ी खुदाई करने पर सोने का एक सिक्का मिला. सिक्का देख कर किशनलाल खुश हो गए. उन्होंने वह सिक्का एक ज्वैलर को दिखाया. ज्वैलर ने सिक्के की जांच कर के बताया कि सिक्का 100 प्रतिशत सोने का है.

इस के बाद किशनलाल को लालच आ गया. उन्होंने और खुदाई कराने को कहा तो जाहिद ने कहा कि आगे की खुदाई से पहले पूजा करनी होगी, वरना वह साया इस कार्य में व्यवधान डालेगा. जाहिद ने उन से 3 लाख रुपए के अलावा 110 लोगों को खाना खिलाने और उन्हें कपड़े दान दिए जाने का खर्च मांगा. किशनलाल ने वह भी दे दिया.

इस के बाद उन तांत्रिकों ने किशनलाल से पूजा आदि के नाम पर 11 लाख रुपए और ऐंठ लिए. किशनलाल ने भी यह सोच कर रकम दे दी कि जो खजाना निकलेगा, उस के मुकाबले यह रकम मामूली है. इसी लालच में उन्होंने इतनी बड़ी रकम उन तांत्रिकों को दे दी थी. जाहिद और उस के साथी किशनलाल से अब तक 17 लाख रुपए ऐंठ चुके थे. किशनलाल ने लालच में आ कर पैसे ब्याज पर ला कर दिए थे.

अगले दिन जाहिद ने किशनलाल को फोन कर के बताया कि उन्हें अशोक विहार थाना पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस 6 लाख रुपए मांग रही है. किशनलाल थाना अशोक विहार गए तो पता चला कि पुलिस ने उन्हें नहीं पकड़ा है. तब उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें ठगा जा रहा है. किशनलाल को अपने साथ हुई ठगी का बड़ा अफसोस हुआ. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस से की.

तांत्रिकों के चक्कर में पड़ कर कई परिवार बरबाद हो चुके हैं. 7 फरवरी, 2018 को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के नेताजी सुभाष पैलेस क्षेत्र में तांत्रिक के बहकावे में आ कर एक व्यक्ति ने अपनी बेटी को ही उस के हवाले कर दिया. पीडि़त लड़की ने पुलिस को बताया कि तांत्रिक बुरी आत्माओं को भगाने के नाम पर पिछले 12 सालों से उस के साथ रेप करता रहा.

18 फरवरी, 2018 को भी एक महिला ने इसलिए खुदकुशी कर ली थी कि बच्चा न होने पर उस के ससुराल वालों ने उसे तांत्रिक के हवाले कर दिया था. पश्चिमी दिल्ली के जखीरा में एक महिला ने बेटे की चाह में अपनी दोनों बेटियों को मार दिया था. तांत्रिक के कहने पर वह महिला अपनी 5 साल और 6 माह की बेटी के ऊपर लेट गई थी, जिस से दोनों बेटियों की मौत हो गई थी.

दिल्ली में ही 22 फरवरी, 2018 को एक दोस्त की इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि तांत्रिक ने आरोपी से कहा था कि तुम्हारी बहन पर दोस्त ने जादू किया था, इसलिए बहन ने आत्महत्या कर ली थी.

आजकल तांत्रिकों ने भी अपने बिजनैस का ट्रेंड बदल दिया है. दिल्ली एनसीआर के तांत्रिकों का बिजनैस फेसबुक, वाट्सऐप और ट्विटर पर भी चल रहा है. तांत्रिक इन माध्यमों पर प्रचार कर के अपनी चमत्कारिक शक्तियों से कुछ ही घंटों में किसी भी समस्या का समाधान करने का दावा करते हैं. कई तांत्रिकों ने तो अपना प्रभाव जमाने के लिए आकर्षक वेबसाइट भी बनवा रखी है.

इन वेबसाइटों पर औनलाइन बुकिंग की भी विशेष सुविधा उपलब्ध करा रखी है. पेमेंट भी ये औनलाइन पहले ही जमा करा लेते हैं. अपनी समस्याओं का समाधान कराने के चक्कर में लोग जब तथाकथित तांत्रिकों द्वारा ठगे जाते हैं तो शर्म की वजह से यह बात किसी को बताने में हिचकते हैं. यानी ठगे जाने के बावजूद भी लोग बदनामी की वजह से चुप रहते हैं.

यही वजह है कि तांत्रिकों का अंधी आस्था के नाम पर ठगी का यह बिजनैस खूब फलफूल रहा है.

घड़े बराबर टैस्टट्यूब

पौराणिकवादियों की बातें भले ही नुकसानदेह हों पर होती बड़ी मजेदार हैं. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक बड़ी दिलचस्प बात यह कही कि माता सीता एक टैस्टट्यूब बेबी थीं जो घड़े से पैदा हुई थीं. सहज समझा जा सकता है कि त्रेतायुग में विज्ञान कितना उन्नत था. सीता का पति राम भी अपनी मां कौशल्या के खीर खाने से पैदा हुआ था जो निसंदेह कोई पुत्रजीवक औषधि रही होगी. रामायण और महाभारत सहित तमाम धर्मग्रंथ ऐसे ही ऊटपटांग व अव्यावहारिक प्रसंगों से भरे पड़े हैं. आजकल राजनेता कुछ और करें न करें पौराणिक बातों को जरूर विज्ञान से जोड़ने से चूकते नहीं.

महाभारत में इंटरनैट का होना और नारद मुनि को पत्रकार करार देना एक साजिश या कुंठा की देन है जिस का मकसद पंडेपुजारियों की दुकान चलाए रखना है. इस बेतुकी और बेहूदी बात को फर्टिलिटी सैंटर वाले चाहें तो भुना सकते हैं. अपने इश्तहारों में वे सीता का फोटो लगाएं तो अब कोई ऐतराज नहीं जता सकता. अब भला जिस विधि या पद्धति से सीता पैदा हुई, उसे प्रोत्साहन तो मिलना ही चाहिए न. बेहतर होता अगर दिनेश शर्मा डाक्टर का और त्रेतायुग के सीता फर्टिलिटी सैंटर का नामपता भी उजागर कर ही देते.

दिल्ली में बिजली की मांग का रिकौर्ड

इस साल मई में दिल्ली में बिजली की मांग सर्वाधिक यानी रिकौर्ड स्तर पर रही. मई में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बिजली की मांग 6,650 मेगावाट से अधिक पहुंच गई है जबकि पिछले वर्ष बिजली की मांग 6,000 से 6,500 मेगावाट तक रही थी. इस बार इस के 7,000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान भी लगाया जा रहा है.

विशेष जरूरत के वक्त यानी पीक आवर में बिजली की मांग दिल्ली में लगातार बढ़ रही है. मांग की तुलना में आपूर्ति के लिए कई राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. दिल्ली सरकार के लिए बिजली खपत एक बड़ी चुनौती बन गई है. राजकोष पर बिजली खपत का बोझ कम करने के लिए बिजली दरों को उचित मूल्य पर लाने के बजाय वोटबैंक की राजनीति और लोकलुभावन फैसलों के तहत निशुल्क बिजलीपानी दिए जाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं.

उपभोक्ता को सस्ती दर पर बिजली मिले, लेकिन यह इतनी सस्ती न हो कि आपूर्तिकर्ता के चिथड़े निकलने लगें. राजनेता अपनी राजनीति के तहत लोकलुभावन फैसले ले कर जनता को फायदा दें, लेकिन कदम ऐसे उठाए जाने चाहिए कि फायदा बारबार और शक्ति के अनुरूप ही दिया जाए. दिल्ली में बिजली की मांग किस कदर बढ़ रही है, इस का एक नमूना यह है कि 1905 में शहर को महज 2 मेगावाट बिजली की जरूरत थी. आज हालत यह है कि मौल जैसे बिजनैस प्रतिष्ठान को इस से तीनगुना ज्यादा बिजली की जरूरत पड़ रही है. बिजली की मांग इतनी जबरदस्त है कि पिछले कुछ सालों से मई में महज एक या

2 दिन ही 6,000 मेगावाट से ज्यादा की मांग रहती थी लेकिन इस बार मई में 8 बार 6,000 मेगावाट से ज्यादा बिजली की मांग आई है. मांग को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा खपत पर ज्यादा मूल्य देने की व्यवस्था की जानी चाहिए और जिन की जरूरत कम है, उन्हें राहत मिलनी चाहिए.

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