Download App

नादानी में उजड़ गया परिवार : विस्फोटक बन गए अनैतिक संबंध

रेखा ने वीरेंद्र को प्यार से समझाते हुए कहा था, ‘‘देखो वीरेंद्र, बात को समझने की कोशिश करो. जो तुम कह रहे हो वह संभव नहीं है. मेरा अपना एक घरसंसार है, पति है, 2 बच्चे हैं, अच्छीखासी गृहस्थी है हमारी. और तुम कहते हो मैं सब कुछ छोड़छाड़ कर तुम्हारे साथ भाग चलूं. नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. हम दोनों अच्छे दोस्त हैं और हमेशा दोस्त ही रहेंगे. हमारे बीच जो रिश्ता है, जो संबंध है, वह हमेशा बना रहेगा. हां, एक बात का मैं वादा करती हूं कि जो रिश्ता हम दोनों के बीच है, उसे तोड़ने में मैं पहल नहीं करूंगी.’’

‘‘तुम मेरी बात समझने की कोशिश नहीं कर रही हो.’’ वीरेंद्र हताश सा बोला.

‘‘मैं सब समझ रही हूं वीरेंद्र, मैं कोई दूधपीती बच्ची नहीं हूं. तुम चाहते हो मैं अपने पति को, अपने बच्चों को हमेशा के लिए छोड़ कर तुम्हारे साथ चली आऊं. यह मुझे मंजूर नहीं है.’’

‘‘तुम मेरी बात सुनोगी भी या नहीं. तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं, तुम्हारे बिना एक पल रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता. इसीलिए कह रहा हूं कि पति और बच्चों का मोह त्याग कर मेरे साथ चली चलो, हम अपनी एक नई दुनिया बसाएंगे, जहां सिर्फ मैं रहूंगा और तुम होगी. रहा सवाल बच्चों का तो हम दोनों के और बच्चे पैदा हो जाएंगे. तुम नहीं जानती, तुम मेरी कल्पना हो, तुम्हें पाना ही मेरा एकमात्र सपना है.’’

‘‘वाह वीरेंद्र बाबू, वाह.’’ रेखा ने वीरेंद्र का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे सपने और कल्पनाओं को पूरा करने के लिए मैं अपने परिवार की बलि चढ़ा दूं? ऐसा हरगिज नहीं होगा.’’

‘‘अच्छी तरह सोच लो रेखा रानी. मैं तुम्हें बदनाम और बरबाद कर दूंगा.’’ अपनी बात मानते न देख वीरेंद्र ने रेखा को धमकी दी.

‘‘बदनाम करने की धमकी किसे दे रहे हो?’’ रेखा भी गुस्से में आ गई, ‘‘बरबाद तो मैं उसी दिन हो गई थी, जिस दिन मैं ने अपने सीधेसादे पति को धोखा दे कर तुम्हारे साथ संबंध बनाए थे. रहा बदनामी का सवाल तो तुम्हारे साथ संबंधों को ले कर पूरा मोहल्ला मुझ पर थूकता है, यहां तक कि मेरे पति को भी मेरे और तुम्हारे संबंधों के बारे में पता है.

society

‘‘उन की जगह कोई और होता तो मुझे अपने घर से कब का निकाल कर बाहर कर दिया होता. यह उन की शराफत है कि उन्होंने कभी मुझे तुम्हारे नाम का ताना दे कर जलील तक नहीं किया. अरे ऐसे पति के तो पैर धो कर पीने चाहिए और तुम कहते हो कि मैं पति को छोड़ कर तुम्हारे साथ भाग जाऊं.’’

‘‘वाह क्या कहने, नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली है. पतिव्रता और सती सावित्री होने का ढोंग कर के दिखा रही है मुझे. वह दिन भूल गई, जब अपने उसी पति की आंखों में धूल झोंक कर मुझ से मिलने आया करती थी.’’

‘‘अपनी जिंदगी की इस भयानक भूल को मैं कैसे भूल सकती हूं, जब तुम्हारे सपनों के झूठे मायाजाल में फंस कर मैं ने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया था. आज मैं अपनी उसी गलती की सजा भुगत रही हूं.’’ कहते हुए एकाएक रेखा क्रोध से भड़क उठी और उस ने गुस्से में वीरेंद्र से कहा, ‘‘जाओ, निकल जाओ मेरे घर से. अपनी मनहूस शक्ल दोबारा मत दिखाना. तुम्हें जो करना है कर लेना, अब दफा हो जाओ.’’

लोकेश की बैकग्राउंड

रेखा का पति लोकेश मूलत: जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के गांव कंबोह माजरा का रहने वाला था. साल 2006 में उस की शादी देहरादून, उत्तराखंड के गांव दंदोली निवासी ठेपादास की मंझली बेटी रेखा के साथ हुई थी. लोकेश साधारण शक्लसूरत का सीधासादा युवक था, जबकि रेखा खूबसूरत थी.

रेखा जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर लोकेश अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझता था. वह रेखा से बहुत प्यार करता था और रेखा भी उसे प्यार करने लगी थी. कुल मिला कर पतिपत्नी दोनों एकदूसरे से संतुष्ट थे. वक्त के साथ लोकेश और रेखा अब तक 2 बच्चों 10 वर्षीय कार्तिक और 7 वर्षीय कृष के मातापिता बन गए थे.

लोकेश के मातापिता के पास थोड़ी सी खेती थी, जिस से घर खर्च भी बड़ी मुश्किल से चल पाता था, इसलिए 7 साल पहले लोकेश काम की तलाश में लुधियाना चला आया था. अपने पैर जमाने के लिए शुरू में वह छोटीमोटी नौकरियां करता रहा. साथ ही किसी अच्छे काम की तलाश में भी जुटा रहा. आखिर उसे सन 2014 में भारत की प्रसिद्ध साइकिल कंपनी हीरो में नौकरी मिल गई थी. वेतन भी अच्छा था और अन्य सुखसुविधाएं भी थीं.

हीरो साइकिल में नौकरी लगने के बाद लोकेश ने रहने के लिए सुरजीतनगर, 33 फुटा रोड, गली नंबर-1 ग्यासपुरा स्थित एक वेहड़े में किराए पर कमरा ले लिया और गांव से अपनी पत्नी रेखा और बच्चों को भी लुधियाना ले आया.

लुधियाना आने के बाद लोकेश ने अपने दोनों बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवा दिया था. पतिपत्नी दोनों मजे में रहने लगे थे कि अचानक एक दिन वीरेंद्र सिंह उर्फ चाचा की नजर रेखा पर पड़ी. वीरेंद्र भी उसी गली नंबर-1 में लोकेश के घर के सामने ही रहता था.

वीरेंद्र की कामयाब चाल

शातिर वीरेंद्र की नजर जब खूबसूरत रेखा पर पड़ी तो वह उसे पाने के लिए छटपटाने लगा. उस ने रेखा को भी देखा था और उस के पति लोकेश को भी. साधारण शक्लसूरत वाले लोकेश की इतनी खूबसूरत बीवी देख वीरेंद्र के कलेजे पर सांप लोटने लगा था. वह हर हाल में रेखा से संबंध बनाना चाहता था.

इस के लिए 2-4 बार उस ने रेखा को छेड़ने की कोशिश भी की थी, पर रेखा ने उसे घास नहीं डाली तो शातिर दिमाग वीरेंद्र ने रेखा के निकट आने का एक दूसरा रास्ता अपनाया. उस ने रेखा के पति लोकेश के साथ दोस्ती कर ली और दोस्ती की आड़ ले कर वह लोकेश के घर आनेजाने लगा.

जबकि दूसरी ओर वीरेंद्र के नापाक इरादों से अनजान भोलाभाला लोकेश उसे अपना हितैषी समझ रहा था. रेखा को अपने जाल में फंसाने के लिए उस ने लोकेश और उस के बीच ऐसी दरार पैदा की कि घर में अकसर झगड़ा रहने लगा.

लोकेश की अधिकांश नाइट ड्यूटी होती थी, जिस का वीरेंद्र ने जम कर फायदा उठाया. शातिर वीरेंद्र ने रेखा को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उस के साथ अवैध संबंध बना लिए. दोनों के बीच बने अवैध संबंधों ने उस समय गंभीर मोड़ ले लिया, जब वीरेंद्र ने रेखा पर पति व बच्चों को छोड़ कर साथ भागने का दबाव बनाना शुरू किया.

उस की बात सुन कर रेखा को अपनी गलती का अहसास हुआ कि उस ने अपने पति और बच्चों को धोखा दे कर अच्छा नहीं किया. लेकिन अब क्या हो सकता था, अब तो वह शैतान के जाल में फंस चुकी थी.

पहले तो रेखा उसे टालती रही, परंतु जब वह उसे अधिक परेशान करने लगा तो रेखा ने पति व बच्चों को छोड़ कर उस के साथ भागने से साफ इनकार कर दिया था. रेखा के स्पष्ट इनकार करने से वीरेंद्र तड़प कर रह गया. हर तरह के हथकंडे अपनाने के बाद भी जब वह नाकाम रहा तो उस ने रेखा को सबक सिखाने की ठान ली.

society

रेखा द्वारा किए इनकार से गुस्साया वीरेंद्र 2 अप्रैल की सुबह मौका पा कर तब रेखा के घर पहुंचा, जब वह घर में अकेली थी. उस का पति लोकेश ड्यूटी पर व बच्चे स्कूल गए हुए थे. वीरेंद्र ने रेखा से साफ शब्दों में पूछा कि वह उस के साथ भागेगी या नहीं? रेखा के इनकार करने पर वीरेंद्र भाग कर रसोई से चाकू उठा लाया और रेखा के पेट में वार कर दिया.

वीरेंद्र ने खुद भी कोशिश की मरने की

अचानक हुए वार से रेखा घबरा गई. उसे वीरेंद्र से ऐसी उम्मीद नहीं थी. उस ने वीरेंद्र के वार से बचने की कोशिश की, लेकिन बचाव करते समय रेखा की एक अंगुली कट गई. इस के बाद वीरेंद्र ने उसे धक्का दे कर बैड पर गिरा दिया और उस के गले में चुनरी डाल गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद वह अपने घर चला गया. अपने घर पर रखी चूहे मारने की दवा निगल कर उस ने आत्महत्या करने की कोशिश की.

इसी दौरान संदेह होने पर मोहल्ले के लोगों ने तुरंत पुलिस को फोन किया. सूचना मिलते ही एसीपी अमन बराड़ व डाबा थाने के प्रभारी इंसपेक्टर गुरविंदर सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने वीरेंद्र को काबू कर के जब लोकेश के घर जा कर देखा तो बिस्तर पर रेखा का शव पड़ा हुआ था. पुलिस ने शव कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.

लोकेश की तहरीर पर इंसपेक्टर गुरविंदर सिंह ने रेखा की हत्या के अपराध में वीरेंद्र के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया, जहां अदालत के आदेश पर उसे जिला जेल भेज दिया गया था.

रेखा ने जो किया, उस का नतीजा उसे भोगना पड़ा. अपने पति से बेवफाई की सजा रेखा को अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी, पर इस सारे प्रकरण में लोकेश और उस के बच्चों का क्या दोष था, जिस की सजा वे आजीवन भोगते रहेंगे.

यह सच है कि लोकेश के मुकाबले उस की पत्नी रेखा कहीं अधिक खूबसूरत थी. पतिपत्नी के मजबूत रिश्ते में दरार डालने के लिए शातिर वीरेंद्र ने इसी फर्क को मुख्य वजह बनाते हुए हंसतेखेलते परिवार में जहर घोल दिया.

– पुलिस सूत्रों पर आधारित

मुंबई से बेंगलुरु तक

गरमियां शुरू हो गई थीं. मैं उद्यान एक्सप्रेस के सेकेंड क्लास डिब्बे में गुलबर्गा स्टेशन से गाड़ी में सवार हुई. मैं ने देखा डिब्बे में बहुत ज्यादा यात्री भरे हुए थे. मैं बैठ गई और भीड़ की वजह से खिसकतेखिसकते बर्थ के कोने तक पहुंच गई. टिकट कलेक्टर आया और उस ने यात्रियों के टिकट चैक करने शुरू कर दिए. उस ने मेरी ओर देख कर पूछा, ‘‘आप का टिकट मैडम?’’

मैं ने जवाब दिया, ‘‘मैं तो अपना टिकट आप को दिखा चुकी हूं.’’

‘‘आप का टिकट नहीं मैडम, उस लड़की का जो आप की सीट के नीचे छिपी हुई है.’’ टिकट कलेक्टर उस पर चिल्लाया तो डरी हुई लड़की बाहर आई.

पतलीदुबली सी वह लड़की बहुत डरी हुई लग रही थी, मानों बहुत देर से रो रही हो. उस की उम्र लगभग 13-14 साल रही होगी.

टिकट कलेक्टर उसे पकड़ कर जबरदस्ती डिब्बे से बाहर निकालने लगा. तभी मुझे अपने अंदर एक अनोखा अहसास हुआ. मैं ने उस से कहा, ‘‘इस के टिकट के पैसे मैं दे दूंगी.’’

उस ने मेरी ओर देख कर कहा, ‘‘मैडम, अगर आप इस का टिकट खरीदने की बजाय इसे 10 रुपए दे देंगी तो यह खुश हो जाएगी.’’

मैं ने उस की बात अनसुनी कर के उस का टिकट आखिरी स्टेशन बेंगलुरु तक का ले लिया ताकि वह जहां चाहे, चली जाए.

कुछ देर बाद उस ने धीरे से बोलना शुरू किया. उस का नाम चित्रा था. वह बीदर के एक गांव में रहती थी. उस का बाप एक कुली था और उस की मां उस के जन्म के समय ही मर गई थी. उस के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन कुछ महीने पहले उस की भी मौत हो गई थी. उस की सौतेली मां ने उस के साथ बुरा व्यवहार करना शुरू कर दिया तो अच्छे भविष्य के लिए उस ने घर छोड़ दिया.

बात करतेकरते ट्रेन बेंगलुरु पहुंच गई थी. मैं ट्रेन से उतरी तो मैं ने चित्रा की ओर देखा, जो मुझे उदास आंखों से देख रही थी. मैं इंसानियत के नाते उसे अपने एक मित्र राम के घर ले गई. राम ने बेसहारा लड़कों और लड़कियों के लिए एक आश्रम खोल रखा था और उस का प्रबंध वह खुद संभालता था. यह आश्रम इंफोसिस की मदद से चलता था.

चित्रा को एक घर मिल गया और उस के जीवन को एक नई दिशा भी. मैं समयसमय पर फोन से उस के बारे में पूछ लिया करती थी. वह बहुत परिश्रमी थी. मैं उस की शिक्षा के लिए उस की मदद करना चाहती थी. लेकिन उस ने कहा, ‘‘नहीं अक्का, मैं कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा करना चाहती हूं, जिस से मुझे जल्दी नौकरी मिल जाए.’’

उस ने कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा बहुत अच्छे नंबरों से हासिल किया और उसे एक सौफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिल गई. अपने पहले वेतन से उस ने मेरे लिए एक साड़ी और मिठाई का डिब्बा खरीद कर भेजा. एक दिन जब मैं दिल्ली में थी तो उस ने मुझे फोन कर के बताया कि उस की कंपनी उसे अमेरिका भेज रही है. वह मेरा आशीर्वाद लेना चाहती थी, लेकिन उस समय मैं दिल्ली में थी.

सालों बीत गए, चित्रा बहुत मेहनत से काम कर रही थी. साथ ही निरंतर ईमेल से मेरे संपर्क में भी थी. कई साल बाद कन्नड़ बोलने वाला एक परिवार जो कैलिफोर्निया में बसा था, ने सैन फ्रांसिस्को में कन्नड़ कोटा मीटिंग की और उस में मुझे भी आमंत्रित किया. मैं उसी होटल में ठहरी थी, जहां कन्नड़ बोलने वालों की मीटिंग होनी थी.

जब मैं होटल के कमरे से चैकआउट करने के लिए रिसैप्शन पर पहुंची तो रिसैप्शनिस्ट ने कहा, ‘‘आप के सभी बिलों का भुगतान पहले ही किया जा चुका है. अब आप को कुछ नहीं देना है. वह महिला जो सामने खड़ी हैं, उन्होंने आप के सब बिलों का भुगतान कर दिया है.’’

मैं ने मुड़ कर देखा तो चित्रा को एक युवक के साथ खड़े पाया. वह छोटे कटे हुए बालों में बहुत सुंदर लग रही थी. खुशी से उस की आंखें चमक रही थीं. मैं दौड़ कर उस के पास गई. उस ने खुशी से मुझे चिपटा लिया और मेरे पैर छुए. मैं भी बहुत खुश थी. मुझे यह देख कर और भी खुशी हुई कि उस ने अपने भविष्य के लिए अपने जीवन का कितना बेहतरीन चुनाव किया है. लेकिन मैं अपने सवाल पर लौट आई, ‘‘चित्रा, तुम ने मेरे बिलों का भुगतान क्यों किया?’’

उस ने रोते और सिसकियां भरते हुए मुझे लिपटा लिया और कहा, ‘‘क्योंकि आप ने मुंबई से बेंगलुरु तक के मेरे टिकट के पैसे अदा किए थे. अगर आप मेरी मदद न करतीं तो आज मैं यहां तक नहीं पहुंची होती.’’

उलटी पड़ी चाल : कैसे सामने आई काजी वहीद की हकीकत

उस रोज औफिस में काफी भीड़ नजर आ रही थी. मेरा पहला क्लाइंट छोटे कद का गोलमटोल सा आदमी था.

उस के चेहरे पर हलकी सी दाढ़ी थी. अंदर आते ही उस ने झुक कर मुझे सलाम किया. कुरसी पर बैठने के बाद वह बोला, ‘‘बेग साहब, मेरा नाम अली मुराद है. मैं काफी अरसे से आप को तलाश कर रहा था. मुझे आप के दोस्त हमीद बिजली वालों ने भेजा है. बहुत तारीफ कर रहे थे आप की.’’

‘‘अच्छा, आप को हमीद साहब ने भेजा है. वह मेरे अच्छे दोस्त हैं. बताइए आप का क्या मामला है?’’

अली मुराद ने जवाब दिया, ‘‘मसला मेरा नहीं, मेरे दामाद फुरकान का है. वह बहुत अच्छा इंसान है. उस की अच्छाई ही उस के लिए मुसीबत बन गई.’’

‘‘कैसी मुसीबत?’’ मैं ने पूछा.

‘‘फुरकान पर कत्ल का इलजाम है. उसे 2 रोज पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.’’

‘‘किस के कत्ल के इलजाम में गिरफ्तार किया है?’’

‘‘फुरकान के मकान मालिक की बीवी रशीदा के कत्ल के इलजाम में.’’

‘‘आप पूरी बात बताइए, अली मुराद.’’

‘‘रशीदा के शौहर काजी वहीद ने फुरकान को अपने घर में किराएदार की हैसियत से रखा था. कुछ दिनों बाद उन्होंने उसे ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिया. बाद में घर बेचने के बहाने उसे बेदखल कर दिया. जब फुरकान ने हिसाब मांगा तो उसे कत्ल के इलजाम में बंद करवा दिया.’’

‘‘ओह, बहुत अफसोसनाक बात है. आप के कहे मुताबिक 2 दिन पहले यानी 15 अक्तूबर को उसे गिरफ्तार किया गया और 16 अक्तूबर को पुलिस ने फुरकान को अदालत में पेश कर के रिमांड ले लिया होगा. मतलब इस वक्त वह पुलिस कस्टडी में है.’’ मैं ने कागज पर लिखते हुए कहा.

‘‘जी, आप ठीक कह रहे हैं.’’

‘‘अच्छा यह बताइए कौन से थाने में बंद है और हां मुझे सही तरीके से बताएं कि आप के दामाद फुरकान और काजी वहीद के बीच कैसे ताल्लुकात थे. इस मुसीबत के वक्त फुरकान के घर वाले कहां हैं?’’

उस ने ठंडी सांस ले कर कहा, ‘‘घर वालों ने उस का बायकाट कर रखा है. वे लोग फुरकान और मेरी बेटी की शादी के सख्त खिलाफ थे. शादी के मौके पर फुरकान ने खुशामद कर के उन्हें शामिल कर लिया था. शादी के बाद करीब 3 महीने मेरी बेटी असमत ससुराल में रही, पर लड़ाईझगड़े और तनाव इस हद तक बढ़ गए कि उन्हें किराए पर घर ले कर अलग होना पड़ा.’’

‘‘क्या आप की बेटी और फुरकान की लव मैरिज है?’’

‘‘जी हां.’’ उस ने धीरे से कहा.

‘‘क्या आप ने फुरकान के मांबाप को खबर की?’’

‘‘जी हां, उन्हें खबर मिल गई है, पर उन का कहना है कि जब फुरकान ने घर छोड़ा था तभी वह हमारे लिए मर गया था. हमारा उस से कोई ताल्लुक नहीं है.’’ बाद में अली मुराद मुझे फुरकान, असमत और वहीद काजी के बारे में तफसील से बताता रहा. उस का खुलासा यह था.

फुरकान ने यूनिवर्सिटी से कौमर्स में मार्स्ट्स किया था और बैकिंग लाइन जौइन कर ली थी. उस का बाप भी बैंक से रिटायर हुआ था. फुरकान का एक भाई और एक बहन और थे. फुरकान की मुलाकात असमत से अली मुराद के घर पर हुई थी. वह असमत की बड़ी बहन नादिया के साथ पढ़ता था. पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच मोहब्बत की नींव पड़ गई थी.

जब यह बात फुरकान के मांबाप को मालूम हुई तो वे बहुत नाराज हुए. फुरकान की मां उस की शादी अपनी भतीजी से करना चाहती थी. काफी दिन तक इस बात पर बहस चलती रही. नतीजा यह निकला कि उस के मांबाप ने उस से कह दिया, ‘‘यह शादी हमारे घर में नहीं होगी. अगर तुम्हें शादी करनी है तो हमारे घर से निकल जाओ.’’

यह सारी बातें फुरकान ने अली मुराद को बताईं. फिर एक प्लान के तहत अली मुराद ने फुरकान को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवा दिया और मांबाप को इमोशनली ब्लैकमेल कर के यह शादी अंजाम तक पहुंचाई. पर लाख कोशिश के बाद भी वो अपने घर में 3 महीने ही रह सका.

जाते समय उस के बाप ने कहा, ‘‘तुम मेरी औलाद हो पर तुम ने हमारा मान नहीं रखा. याद रखना इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे पर तुम्हारी बीवी के लिए नहीं.’’

इस के बाद मायूस फुरकान बीवी को ले कर अली मुराद के घर पहुंचा और सारा माजरा कह सुनाया. अली मुराद ने कहा, ‘‘अल्लाह ने मुझे 2 बेटियां दी हैं. उन की मां पहले ही मर चुकी है. मैं तन्हा रहता हूं. तुम लोग मेरे साथ रह सकते हो.’’ फुरकान के पास कोई और रास्ता नहीं था. वह वहीं रहने लगा. अली मुराद ने उस पर घर दामाद बनने का दबाव नहीं डाला.

काजी वहीद सिर्फ नाम से काजी था, धंधा वह प्रौपर्टी डीलिंग का करता था. फुरकान ने उसे अपनी जरूरत के बारे में बताया और एक छोटे से फ्लैट की मांग की. काजी ने कहा, ‘‘छोटा फ्लैट तो नहीं है. क्या तुम किसी फैमिली के साथ रह सकते हो? सौ गज के एक घर में आप की ही तरह एक छोटी फैमिली और रहती है. उन के पास एक कमरा खाली है. तुम उन के साथ शेयर कर सकते हो. खर्च कम होगा और तन्हाई भी नहीं रहेगी.’’

जवाब में फुरकान ने कहा, ‘‘आइडिया तो अच्छा है, पर वो फैमिली किस की है?’’ इस पर काजी वहीद हंसते हुए बोला, ‘‘वो फैमिली हमारी ही है. हम मियांबीवी हैं, हमारे बच्चे नहीं हैं. क्योंकि मेरी बीवी बांझ है.’’

‘‘आप ने दूसरी शादी के बारे में नहीं सोचा?’’

‘‘मेरी बीवी ने तो कई बार कहा पर मेरे दिल ने ऐसा जुल्म करने की इजाजत नहीं दी. अब तो हमारी शादी को 25 साल गुजर चुके हैं.’’

फुरकान काजी की बात से प्रभावित हुआ और वह उस के साथ रहने लगा. काजी की बीवी अकसर बीमार रहती थी, इसलिए बहुत कम खाना पकाती थी. ज्यादातर खाना होटल से आता था. फुरकान और असमत के आने से  उन को भी खाने का आराम हो गया. 3 माह में आपस में इतने घुलमिल गए कि हर कोई उन्हें एक ही फैमिली का मेंबर समझता था.

फिर काजी ने फुरकान से कहा, ‘‘अगले कुछ दिनों में अगर कोई अपना घर बना ले तो बहुत फायदे में रहेगा. फुरकान तुम क्यों नहीं कोशिश करते, बहुत फायदा रहेगा.’’ फुरकान ने बेबसी से कहा, ‘‘काजी साहब, 2-4 लाख मेरे लिए सोचना भी नामुमकिन है.’’

काफी देर बहस के बाद काजी ने कहा, ‘‘अगर तुम 50-60 हजार का बंदोबस्त कर दो तो बाकी मैं मिला दूंगा. मेरी ऊपर की छत पर 2 कमरे बन जाएंगे. फिर तुम ऊपर शिफ्ट हो जाना. बाद में किसी अच्छे वकील की मदद से ऊपर की मंजिल तुम्हारे नाम कर दी जाएगी.’’

फुरकान ने सोचते हुए कहा, ‘‘कमरे के लिए मैं खर्च करूंगा पर छत तो आप की होगी.’’ इस पर काजी ने आंखों में आंसू भर के कहा, ‘‘फुरकान, मैं तुम्हें अपना बेटा समझता हूं और असमत को बेटी. मैं अपने बेटे से छत के पैसे कैसे ले सकता हूं. बस तुम लोग मांबाप की तरह हमारा खयाल रखना. इस के लिए कोई एग्रीमेंट नहीं होगा. बस जुबानी मुहायदा होगा.’’

‘‘पर मैं आप को रकम एक साथ नहीं दे सकता.’’

दरअसल, फुरकान बैंक से लोन लेना चाहता था. पर पहले ही वह बाइक के लिए लोन ले चुका था. जिस की एक किस्त बाकी थी. वह सोच रहा था कि यह किस्त पूरी होने के बाद नया लोन ले कर काजी को दे देगा और फिर ऊपर की मंजिल पर 2 कमरे बन जाएंगे. उस के दिल में भी लालच आ गया था कि एक लाख में उस के सिर पर छत आ जाएगी.

उस ने काजी से कहा, ‘‘मैं 2 महीने में आप को 75 हजार दे सकता हूं.’’ काजी ने सोचते हुए कहा, ‘‘मगर 2 माह के अंदर तो बिल्डिंग मैटेरियल के दाम बहुत ऊपर चढ़ जाएंगे. सरिया, सीमेंट रेत के दाम डबल हो जाएंगे. खैर, चलो तुम्हारे लिए मैं अपनी पहचान के सप्लायर्स से सामान अभी बुक कर लेता हूं. पैसे 2 माह बाद माल उठाने पर देंगे.’’

दोनों के बीच में सारे मामलात जुबानी तय हो गए. क्योंकि फुरकान के दिल में काजी के लिए बाप जैसी मोहब्बत थी. अप्रैल में यह मामला तय हुआ. जून के पहले हफ्ते में फुरकान ने बैंक से एक लाख का कर्जा उठाया. 75 हजार उस ने वहीद काजी को दे दिए, बाकी के 25 हजार घर की मेंटनेंस और लकड़ी के काम पर लगा दिए. इस तरह एक लाख में घर बन गया. जुलाई में वो लोग ऊपर के हिस्से में शिफ्ट हो गए.

मियांबीवी जीजान से काजी और उस की बीवी की खिदमत करते, खाना खिलाते और खुश रहते. 2-3 महीने बड़े आराम से गुजरे. वक्त गुजरता रहा. 8-10 महीने बाद काजी जो फुरकान के लिए एक फरिश्ता था, शैतान के रूप में सामने आ गया. अपनी मक्कारी और चालाकी से पहले उस ने फुरकान को घर से बेदखल किया और फिर अपनी बीवी के कत्ल के इलजाम में फंसा दिया.

रिमांड की मुद्दत पूरी होने के बाद पुलिस ने अदालत में चालान पेश कर दिया. मैं ने फुरकान के वकील की हैसियत से अपना वकालतनामा अदालत में पेश कर दिया. मैं ने अपने मुवक्किल के पक्ष में जमानत की अपील करते हुए कहा, ‘‘जनाब, मेरा मुवक्किल एक शरीफ और सीधा सच्चा इंसान है. वह काजी की मक्कारी को समझ नहीं सका और उस की मीठीमीठी बातों के झांसे में आ गया.

‘‘एक लाख दे कर 2 कमरे मिलने पर वह बेहद खुश था, पर काजी ने अपनी मक्कारी और साजिश से उसे कटघरे में खड़ा कर दिया. उस का कसूर बस इतना है कि उस ने काजी की बातों का भरोसा किया. काजी से उसे जज्बात की मार मारी थी, जिस की वजह से वह बिना किसी लिखापढ़ी के इतना बड़ा सौदा कर बैठा.’’

विपक्ष के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा, ‘‘मुलजिम पढ़ालिखा समझदार आदमी है. बैंक में काम करता है. वह इतना बेवकूफ हरगिज नहीं हो सकता कि आंख बंद कर के किसी के बहकावे में एक लाख इनवेस्ट कर दे. यह बेहद चालाक आदमी है. अपनी मजबूरी का रोना रो कर काजी का किराएदार बना. फिर बीमार बीवी की खिदमत कर के उन के दिल में जगह बना ली. काफी दिनतक वह उन के घर में रहा, जब उस का मकसद पूरा हो गया तो उस ने काजी वहीद साहब से घर छोड़ कर जाने की बात की और साथ ही एक लाख रुपए की डिमांड भी की.

‘‘जब काजी ने कहा कि घर पर उस का एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ है, तब वह गुस्से से पागल हो गया. दोनों के बीच काफी झगड़ा हुआ. तभी मुलजिम ने उन्हें खतरनाक अंजाम भुगतने की धमकी दी और 15 अक्तूबर की शाम को धमकी पूरी कर दिखाई.

‘‘मौका पा कर वह ऐसे वक्त पर मकतूला के घर में घुसा, जब उस का शौहर नहीं था. उस ने अलमारी से एक लाख रुपए चोरी किए. मकतूला के विरोध करने पर उस ने उसे गला घोंट कर मार दिया. जब वह घर से फरार हो रहा था, तभी काजी वहां पहुंच गया.

‘‘उस ने उसे जाते देख लिया, काजी फौरन घर में घुसा. हकीकत किसी बम की तरह उस के सिर पर फटी. उस की बीवी बेडरूम में मुर्दा पड़ी थी. उसे गला घोंट कर मार दिया गया था और खुली अलमारी से एक लाख रुपए गायब थे.’’

मैं ने अपने मुवक्किल की जमानत पर जोर देते हुए कहा, ‘‘योर औनर, विपक्ष के वकील सच्चाई को तोड़मरोड़ कर सामने रख रहे हैं. ना तो मेरे मुवक्किल ने उस की बीवी का कत्ल किया और ना ही उस की अलमारी से एक लाख रुपए चुराए.

‘‘मकतूल के शौहर ने मक्कारी और चालबाजी से मुलजिम के एक लाख रुपए अपने घर की ऊपरी मंजिल बनवाने में खर्च करवाए. यह रकम मुलजिम ने बैंक से कर्ज ली थी. जब काजी का मकसद पूरा हो गया तो उस ने एक खूबसूरत साजिश कर के मुलजिम को घर छोड़ने पर राजी कर लिया और फिर अपनी बीवी के कत्ल में फंसा कर पुलिस के हवाले कर दिया.’’

दोनों तरफ से बहस और दलीलें चलती रहीं. जज ने जमानत रद्द करते हुए फुरकान को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. अगली तारीख 15 दिन बाद की थी. मुझे अदालत में फुरकान के घर के लोग नजर नहीं आए.

अली मुराद जीजान से दामाद की मदद कर रहा था. मैं ने अली मुराद से कहा, ‘‘अली मुराद, केस बहुत उलझा हुआ है. फुरकान को तब तक रिहाई नहीं मिल सकती जब तक कि ऊपरी मंजिल बनाने में काजी वहीद झूठा साबित न हो जाए. इस के लिए कई लोगों से तुम्हें अंदर की हकीकत मालूमात करनी पड़ेगी.’’

मैं ने उसे कुछ लोगों के नाम बताए और काम बता दिए. अली मुराद ने मुझ से वादा किया कि वह जरूरी जानकारी ले कर आएगा.

अगली पेशी पर जज ने मुलजिम का जुर्म पढ़ कर सुनाया. मुलजिम ने जुर्म से साफ इनकार कर दिया था. विपक्ष का वकील तरहतरह के सवाल करता रहा, पर फुरकान अपनी बात पर डटा रहा कि वह बेकसूर है. अपनी बारी पर मैं ने जिरह की शुरुआत करते हुए कहा, ‘‘तुम जनवरी से ले कर मार्च तक 3 महीने मकतूला रशीदा के घर किराएदार की हैसियत से रहे. उस के बाद क्या हुआ?’’

‘‘जी हां, यह सही है. हम 3 महीने एक साथ एक परिवार की तरह रहे. मार्च में वहीद काजी ने कुछ रकम खर्च कर के छत पर छोटा सा घर बनाने की औफर दी. मैं ने बैंक से लोन ले कर उस के औफर पर अमल कर डाला.’’

‘‘तुम ने बैंक से कितना कर्ज लिया था?’’

‘‘मैं ने बैंक  से एक लाख कर्ज लिया था. 75 हजार वहीद काजी को 2 कमरे बनाने को दिए. 25 हजार वुडवर्क में खर्च हुए. मुझे 2 कमरे पूरे एक लाख रुपए में पडे़ थे.’’

‘‘तुम कौमर्स पढ़ेलिखे आदमी हो. बैंक में काम करते हो, उस के बावजूद तुम ने इतनी बड़ी डील बिना किसी लिखतपढ़त के कैसे कर ली?’’

‘‘आप सही कह रहे हैं, पर उस वक्त काजी की मोहब्बत भरी बातों ने मेरी अक्ल पर पर्दा डाल दिया था. मैं उस के फ्रौड को समझ नहीं सका और बिना कागजी काररवाई के एक लाख रुपया खर्च कर दिया.’’

उस जमाने में एक लाख रुपए बहुत बड़ी रकम होती थी. मैं वहीद काजी की चालाकी और मक्कारी जज के सामने लाना चाहता था. इसलिए मैं ने अपने सवालों का रुख बदल दिया.

‘‘तुम्हें पहली बार काजी के फ्रौड का अहसास कब हुआ?’’

‘‘सितंबर के आखिर में काजी ने मुझ से कहा कि मकान खरीदने के लिए एक पार्टी मिल गई है, जो 6 लाख रुपए देने को तैयार है. काजी ने मकान पर 2 लाख खर्च किए थे और मैं ने एक लाख. उस ने मुझे 2 लाख देने की औफर दी और मुझे उस की बात माननी पड़ी. क्योंकि ऊपरी मंजिल के मालिकाना हक के कागजात मेरे पास नहीं थे.

‘‘2 कमरों के बारे में काजी ने जितने वादे किए थे, सब जुबानी थे. जब भी मैं लिखित की बात करता वह बहाने बना कर टाल देता. इसलिए उस के औफर को मानने के अलावा मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था.’’

मैं ने देखा जज बहुत ध्यान से सारी बात सुन रहा था और नोट भी करता जा रहा था. मैं ने कहा, ‘‘काजी ने मकान की बिक्री की स्कीम के बारे में क्या कहा?’’

‘‘उस ने मुझे सलाह दी कि मैं कुछ अरसे के लिए अपनी ससुराल में शिफ्ट हो जाऊं. मकान बिकते ही वो मुझे 2 लाख दे देगा, जिस से मैं नए घर का बंदोबस्त कर सकता था.’’

विपक्ष का वकील काफी देर से चुप था. उस ने ऐतराज उठाया, ‘‘अदालत में रशीदा मर्डर केस की सुनवाई हो रही है. मकान की नहीं.’’

मैं ने कहा, ‘‘जनाबे आली, रशीदा मर्डर केस मकान और एक लाख रुपए से इस तरह जुड़ा हुआ है कि उसे अलग नहीं किया जा सकता. यहीं से मर्डर केस का राज खुलेगा.’’ जज ने ऐतराज खारिज कर दिया और तेज लहजे में कहा, ‘‘जिरह जारी रखी जाए.’’

मैं ने आगे पूछा, ‘‘उस के बाद काजी ने क्या कहा?’’

‘‘एक बार फिर काजी ने मुझे धोखा देना चाहा कि हम एक बड़ा मकान खरीद लेंगे और फिर साथ रहेंगे. पर अब मुझे अक्ल आ चुकी थी. मैं ने साफ इनकार कर दिया. अक्तूबर के पहले हफ्ते में मैं अपनी ससुराल में शिफ्ट हो गया. उस के बाद 10-12 दिन तक मैं लगभग रोज ही अपनी रकम की मांग करता रहा. पर काजी टस से मस नहीं हुआ. हर बार कोई न कोई बहाना बना कर टाल देता.

‘‘14 अक्तूबर की शाम मेरी काजी से तेज झड़प हुई. मैं ने उस से 2 लाख की रकम की डिमांड की. काजी ने मुझे पुराने अहसान याद दिलाए और एक तकरीर कर डाली. आखिर तंग आ कर मैं ने कहा, ‘मुझे 2 लाख नहीं चाहिए, आप मेरे पैसे ही लौटा दीजिए.’

‘‘उस ने गुस्से से कहा कि जब तुम खुद अपना नुकसान कर रहे हो और एक लाख छोड़ रहे हो तो कल शाम घर आ जाना. मैं तुम्हें पैसे लौटा दूंगा. आज मेरे पास मेरे मकान का एक लाख रुपया बयाना आने वाला है. क्योंकि मकान का सेल एग्रीमेंट हो जाएगा. कल शाम 8 बजे तुम आ जाओ, तुम्हारे पैसे मैं तुम्हारे मुंह पर दे मारूंगा.’’

‘‘तो क्या दूसरे दिन तुम्हें तुम्हारे पैसे मिल गए थे?’’

‘‘नहीं जनाब, जब 15 अक्तूबर की शाम 8 बजे मैं उस के घर पहुंचा तो वह घर पर नहीं मिला. देर तक घंटी बजाने, दरवाजा पीटने और पुकारने पर भी कोई बाहर नहीं आया. मैं मायूस हो कर वहां से लौट आया.’’

‘‘क्या घंटी बजाते या वापसी पर तुम्हें किसी ने देखा था?’’

‘‘नहीं जनाब, दरवाजा आड़ में है. किसी की नजर नहीं पड़ सकती थी. मैं वहां से वहीद काजी के औफिस गया, लेकिन वहां भी ताला पड़ा था. मैं ने सारा हाल अपने ससुर को सुना दिया. सुन कर वह भी परेशान हुए. हम ने तय किया कि दूसरे दिन थाने जा कर काजी के फ्रौड की रिपोर्ट दर्ज करा देंगे पर बदकिस्मती से 15 अक्तूबर की रात 11 बजे पुलिस ने मुझे रशीदा के कत्ल और एक लाख रुपए की चोरी के इलजाम में गिरफ्तार कर लिया.’’

इसी के साथ अदालत खत्म हो गई और पेशी की अगली तारीख मिल गई.

अगले 2-3 महीनों में इस्तेगासा की तरफ से 5 गवाहों को अदालत में पेश किया गया, जो वहीद काजी के इलाके के थे. इन गवाहों ने काजी की मर्जी के मुताबिक बयान दिए जो, फुरकान को मुजरिम ठहराते थे. ऐसी कोई खास बात नहीं हुई, जो बताई जाए. इस बीच अली मुराद मुझ से बराबर मिलता रहा और मेरी मांगी हुई जानकारी जुटाता रहा. उस का बड़ा दामाद हैदराबाद से मिलने आया और फुरकान के बाइज्जत बरी होने की तरकीबे बताता रहा.

मंजर इसी अदालत का था. आज की पेशी में काजी वहीद गवाह की हैसियत से कटघरे में खड़ा था. उस ने वही बयान दिया जो पहले दिया था. उस का खुलासा उस के वकील के सवालों से हो जाएगा.

वकील ने पहला सवाल पूछा, ‘‘काजी साहब, आप की मुलजिम के बारे में क्या राय है?’’

‘‘खुदगर्ज, नालायक, अहसान फरामोश इंसान है. मैं ने उस के साथ इतनी नेकी की. फिर भी उस ने मेरी बीवी का कत्ल कर दिया.’’ इस्तेगासा के वकील ने बड़ी चालाकी से जिरह को एक खास रास्ते पे डालते हुए पूछा, ‘‘मुलजिम का दावा है कि उस ने एक लाख रुपए आप की छत पर 2 कमरे बनाने में खर्च किए जो उस ने बैंक से लोन लिए थे. क्या यह सच है?’’

‘‘यह सही है कि उस ने बैंक से एक लाख रुपए लोन लिया था, पर मेरी छत पर कमरे बनाने में एक पैसा भी खर्च नहीं किया. घर की ऊपरी मंजिल मैं ने अपनी कमाई से बनवाई. यह शख्स झूठ बोल रहा है.’’

‘‘क्या आप मुल्जिम का झूठ साबित कर सकते हैं?’’

‘‘हां, मैं ने जो रेत, सीमेंट, सरिया की रसीदें अदालत में पेश की हैं, वह मेरे नाम पर है और मार्च महीने की हैं. जबकि मुल्जिम को लोन 25 मई को मिला था. वह कैसे यह सामान खरीद सकता था? आप बेकार की बातें छोड़ कर मेरी बीवी के कातिल को उस के अंजाम तक पहुंचाएं.’’

वकील इस्तेगासा ने अपनी फाइल में से कुछ कागजात निकाल कर जज की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘जनाबे आली काजी वहीद ने ऊपरी मंजिल बनाने के लिए जो भी सामान खरीदा था, यह उस की रसीदें हैं जो उसी के नाम पर मार्च में काटी गई हैं. जबकि इस में मुल्जिम का बैंक रिकार्ड है, जिस में उसे एक लाख का लोन 25 मई को दिया गया. इस से साबित होता है कि उस ने घर बनाने में एक भी पैसा खर्च नहीं किया. उस का दावा झूठा है. यह सब एक साजिश है.’’

जज ने कागज ले कर गौर से देखना शुरू कर दिया. मैं सारी बातें ठंडे दिमाग से सुन रहा था. मेरे पास जवाबी हमला करने के लिए काफी मसाला था. जज ने कहा, ‘‘वकील साहब, जिरह जारी रखें.’’

वकील ने काजी से पूछा, ‘‘काजी साहब, मुल्जिम का दावा है कि कत्ल के एक दिन पहले 14 अक्तूबर को वह आप से आप के औफिस में मिला था. आप ने उस से वादा किया था कि आप उसे एक लाख रुपया 15 अक्तूबर की शाम को अदा कर देंगे. यह क्या किस्सा है?’’

‘‘आप ने खुद किस्सा कह कर बात साफ कर दी. यह सरासर मनघडंत कहानी है. वह सरासर झूठ बोल रहा है. घर की तलाश में वह मेरे औफिस में आता रहता था. 14 अक्तूबर की शाम भी वह आया था. मैं ने उस से कहा था जल्द ही अच्छा घर बताऊंगा.

‘‘बातोंबातों में मैं ने एक लाख का जिक्र किया था कि पार्टी ने एक लाख रुपए की पेमेंट कर के सेल एग्रीमेंट बनवा लिया है, जिस के अनुसार पार्टी एक माह के अंदर बाकी के 5 लाख रुपए अदा कर के मेरे घर का कब्जा ले लेगी. इस बीच बिक्री के पूरे दस्तावेज तैयार हो जाएंगे.’’

‘‘यानी आप ने मुल्जिम को यह बता दिया था कि आप के घर में एक लाख की रकम रखी है?’’ वकील इस्तेगासा ने चालाकी से पूछा.

‘‘जी हां, बिलकुल उसे यह बात खबर हो गई थी. अगले दिन ही शैतान ने मेरे घर पर धावा बोल दिया और ऐसा वक्त चुना जब मैं घर पर नहीं था. उसे मालूम था मेरी बीवी रशीदा कमजोर और बीमार है. उस ने इस का फायदा उठाते हुए मेरे घर से एक लाख उड़ा लिए और जब रशीदा ने उस का विरोध किया तो उस का गला घोंट कर मार डाला.

‘‘इत्तफाक से मैं उस दिन जल्दी घर आ गया और मैं ने उसे तेजी से मेरे घर से जाते हुए देख लिया. मैं समझा अपना कोई बचा हुआ सामान लेने आया होगा, पर जब मैं बेडरूम में दाखिल हुआ, मैं ने अपनी बीवी को मुर्दा हालत में पड़े देखा.’’ काजी ने रोनी आवाज में कहा.

वकील इस्तेगासा ने अपनी जिरह खत्म करते हुए कहा, ‘‘योर औनर, यह इंसान नहीं वहशी दरिंदा है. इसे जितनी सख्त सजा दी जाए कम है.’’

अपनी बारी पर जज से इजाजत ले कर मैं बिटनेस बौक्स के करीब पहुंच गया.

‘‘काजी साहब, मैं आप से सादा सा सवाल पूछूंगा. सच बताइए क्या आप वाकई अपना मकान बेचना चाहते थे?’’ मैं ने चुभते लहजे में पूछा.

‘‘आप का क्या मतलब है? अगर मुझे मकान बेचना ना होता तो मैं पार्टी से एक लाख रुपए वसूल कर के सेल एग्रीमेंट पर दस्तखत क्यों करता?’’ उस ने गुस्से से कहा.

‘‘इस सेल एग्रीमेंट के अनुसार पार्टी को एक माह के अंदर 5 लाख रुपए अदा कर के मकान का कब्जा ले लेना था. क्या आप ने मकान पार्टी के हवाले कर दिया है?’’

‘‘नहीं, मैं अभी तक अपने ही मकान में रह रहा हूं.’’

‘‘एग्रीमेंट के मुताबिक इस शर्त पर आप अमल नहीं करते तो आप को पार्टी को डील कैंसल कर के 2 लाख देने पड़ते क्या आप ने 2 लाख अदा किए?’’

‘‘दुनिया में सब इंसान मुल्जिम की तरह फरेबी और मतलबी नहीं होते. मेरी बीवी के कत्ल और एक लाख की चोरी के बाद पार्टी ने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला और कहा कि अगर मैं घर ना बेचना चाहूं तो उन के एक लाख रुपए सहूलियत से वापस कर दूं. और मैं ने उधार ले कर रकम लौटा दी. इस तरह मामला सेटल हो गया.’’

‘‘इस तरह के मामलात इतनी आसानी से सेटल नहीं होते. सेल एग्रीमेंट की एक नकल जिस में आप ने एक लाख एडवांस लिए थे, अदालत में पेश करते तो यह एक पक्का सबूत होता.’’

‘‘अगर अदालत का हुक्म होगा तो मैं एग्रीमेंट की कौपी ले आऊंगा.’’

‘‘और अगर पार्टी की गवाही की जरूरत पड़ी तो?’’

‘‘तो मैं पार्टी को भी अदालत में ला सकता हूं.’’

‘‘क्या मैं इस पार्टी का नामपता जान सकता हूं?’’

‘‘मैं आप को कोई भी जवाब देने का पाबंद नहीं हूं. अगर अदालत मुझ से कहेगी तो बता दूंगा.’’

‘‘काजी साहब, आप अदालत में ना तो सेल एग्रीमेंट की कौपी पेश कर सकते हैं और ना पार्टी को हाजिर कर सकते हैं. यह बिक्री सिर्फ एक साजिशी ड्रामा था जो आप ने मेरे क्लाइंट को फंसाने के लिए रचा था. हकीकत तो यह है, काजी साहब, आप इस मकान को बेचने का हक ही नहीं रखते. फिर कहां की पार्टी और कहां का सेल एग्रीमेंट?’’

काजी का चेहरा पीला पड़ गया. वह हकलाया, ‘‘यह…यह… आप क्या कह रहे हैं?’’

मैं ने तेज लहजे में कहा, ‘‘मैं हकीकत बयान कर रहा हूं काजी साहब. आप जिस मकान में रह रहे हैं, उस का असली मालिक कबीर वारसी है, जो बदकिसमती से आप जैसे धोखेबाज आदमी का रिश्ते में साला है. कबीर वारसी ने यह मकान अपनी बहन मकतूला रशीदा को रहने के लिए दिया था. फिर अचानक कबीर वारसी की मौत हो गई. क्या मैं गलत कह रहा हूं?’’

काजी के गुब्बारे की पूरी हवा निकल चुकी थी. मेरे सच ने उसे हिला कर रख दिया था. यह सब जानकारी मुझे अली मुराद की मेहनत से मिली थी. काजी की बदलती हुई हालत जज और सारे लोगों से छिपी नहीं रह सकी. उस ने संभलने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘कबीर वारसी, ने अपनी मौत से पहले मकान अपनी बहन यानी मेरी बीवी रशीदा के नाम कर दिया था.’’

‘‘और आप की कोशिश यह थी कि रशीदा अपनी मौत से पहले यह मकान आप के नाम कर दे. जब आप की बीवी ने आप की बात नहीं मानी, आप की सारी कोशिशें बेकार गई तो आप ने क्लाइंट को कुर्बानी का बकरा बना कर बीवी का पत्ता साफ कर दिया?’’

‘‘औब्जेक्शन योर औनर. वकील साहब मेरे क्लाइंट पर संगीन इलजाम लगा रहे हैं जो गलत है.’’

जज जो बहुत ही ध्यान से जिरह सुन रहा था, चौक उठा और मुझ से बोला, ‘‘बेग साहब, आप इस्तेगासा के ऐतराज पर क्या कहेंगे?’’

‘‘जनाबे आली, मैं आप को यकीन दिलाता हूं जो संगीन इलजाम मैं ने काजी वहीद पर लगाया है, मैं उसे अदालत में साबित कर के दिखाऊंगा.’’

जज ने ठहरे हुए लहजे में कहा, ‘‘जिरह जारी रखी जाए.’’

‘‘योर औनर, मैं इस केस के जांच अधिकारी से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं.’’ जांच औफिसर को विटनेस बौक्स में बुलाया गया. मैं ने पूछा, ‘‘आईओ साहब, आप ने रिपोर्ट तो बहुत ऐहतियात से तैयार की होगी. मैं कुछ सवाल पूछूंगा, उस का जवाब आप हां या ना में देंगे. मकतूला रशीदा की मौत 15 अक्तूबर की रात 7 से 9 बजे के बीच हुई थी?’’

‘‘जी हां.’’ आईओ ने जवाब दिया तो मैं ने पूछा, ‘‘उसे गला घोंट कर मारा गया था?’’

‘‘यस.’’

‘‘मकतूला की गरदन पर कातिल की उंगलियों के निशान नहीं मिले, जिस से यह सोचा गया कि कत्ल के वक्त कातिल ने दस्ताने पहन रखे थे?’’

‘‘यस.’’ आईओ का जवाब आया.

‘‘मकतूला की लाश की डाक्टरी जांच से पता चला कि जिस आदमी ने रशीदा का गला घोंटा था, उस ने अपने दाएं हाथ की 2 अंगुलियों में (रिंग फिंगर और मिडिल फिंगर में) हैवी अंगूठियां पहन रखी थीं. अंगुलियों के दबाव के साथ अंगूठियों के दबाव से बनने वाले निशानात मकतूला की गर्दन पर पाए गए थे?’’

‘‘जी हां.’’ आईओ ने कहा.

अंगूठियों के जिक्र पर काजी वहीद ने बेसाख्ता अपने हाथों की तरफ देखा. उस की यह हरकत मुझ से छिपी नहीं रह सकी. मैं ने जांच अधिकारी की आंखों में देखते हुए कहा, ‘‘आईओ साहब, कत्ल की रात लगभग 11 बजे जब आप ने मुल्जिम फुरकान को उस की ससुराल से गिरफ्तार किया तो क्या उस के दाएं हाथ की रिंग फिंगर और मिडिल फिंगर में आप को अंगूठियां नजर आई थीं.’’

‘‘नो.’’ आईओ ने झटके से कहा.

मैं ने एकदम काजी वहीद की तरफ मुंह कर के कहा, ‘‘काजी वहीद, तुम्हारी अंगूठियां कहां हैं?’’

‘‘म…म… मेरी अंगूठियां… मैं ने तो अंगूठियां नहीं पहनी थीं… आप किन अंगूठियों की बात कर रहे हैं?’’

‘‘वह अंगूठियां जो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पहले तुम्हारे दाएं हाथ की 2 अंगुलियों में मौजूद थीं और उस वक्त भी मौजूद थी, जब तुम ने अपने हाथों पर दस्ताने चढ़ा कर अपनी बीवी का गला घोंट कर उसे मौत के घाट उतारा था, जिन के निशान तुम्हारी अंगुलियों पर अभी भी मौजूद हैं.’’

काजी बौखला कर बोला, ‘‘आप झूठ बोल रहे हैं, बकवास कर रहे हैं.’’

‘‘काजी, मैं तुम्हारे जानने वालों में से 10 ऐसे लोगों को गवाही के लिए अदालत में ला सकता हूं जिन्होंने हादसे से पहले कई सालों से तुम्हारी अंगुलियों में चांदी की 2 हैवी अंगूठियां देखी हैं. जिन में से एक अंगूठी में 15 कैरेट का फिरोजा और दूसरी में यमन का अकीक जड़ा हुआ था.’’ मैं ने ड्रामाई अंदाज में अपनी बात खत्म की. और इसी के साथ काजी के हौसले के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी. ‘‘इन बैठे हुए गवाहों में ही 8-10 लोग अंगूठियों की गवाही देने को मिल जाएंगे.’’

इधर मेरी बात खत्म हुई, उधर काजी ने दोनों हाथों से सिर थाम लिया. यह मेरे इस हमले का नतीजा था जो मैं ने अंगूठियों के गवाहों के लिए कहा था. अगले ही पल वह धड़ाम से कटघरे के फर्श पर ढेर हो गया.

पिछली पेशी पर मेरे कड़े सवालात के नतीजे में काजी वहीद के गिरने ने उस का जुर्म साबित कर दिया. अदालत के हुक्म पर जब उसे पुलिस के हवाले किया गया तो उस ने इकबाले जुर्म कर लिया.

काजी की बीवी रशीदा बहुत अच्छी औरत थी. वह फुरकान को बेटा ही समझती थी. जब काजी ने फुरकान के साथ एक लाख का फ्रौड किया तो वह सख्त गुस्सा हुई. उस ने काजी को धमकी दी थी कि अगर उस ने फुरकान की रकम वापस नहीं की तो वह उस के खिलाफ फुरकान के हक में गवाह बन जाएगी.

काजी पहले से ही अपनी बीवी की बीमारी से बहुत तंग था और उसे ठिकाने लगाने की तरकीबे सोच रहा था. ताकि मकान पर उस का अकेले कब्जा हो जाए. रशीदा काजी की नीयत को समझ गई थी. वह अपनी जिंदगी  में किसी भी कीमत पर मकान काजी के नाम करने को राजी नहीं हुई तो काजी ने फुरकान को फंसा कर एक तीर से 2 शिकार करने का मंसूबा बना डाला.

काजी ने 15 अक्तूबर की शाम फुरकान को अपने घर बुलाया ताकि हादसे के दिन उस का वहां आना पक्का हो जाए. वह फुरकान के आने से पहले ही अपनी बीवी को गला घोंट कर मार चुका था और खुद घर के अंदर छिपा बैठा था. उस ने घर को अंदर से लौक कर दिया था ताकि फुरकान यह समझे कि घर के अंदर कोई नहीं है और वह मायूस हो कर वापस लौट जाए.

यह बताने की जरूरत नहीं है कि काजी के इकरारे जुर्म के बाद अदालत ने मेरे क्लाइंट फुरकान को बाइज्जत बरी कर दिया. साथ ही उसे एक लाख देने का भी हुक्म दिया. काजी वहीद ने एक टेढ़ी चाल चली थी, पर वह बुरे अंजाम से बच नहीं सका.

प्रस्तुति : शकीला एस. हुसैन    

नहीं फला राहुल गांधी का पूजापाठ

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कम दुर्गति का शिकार हुई थी पर कर्नाटक में उम्मीद से ज्यादा हुई तो इस की एक अहम वजह राहुल गांधी की मंदिर जाने की बीमारी ही है. मतदाता को धर्म और जाति के नाम पर रिझाने का खानदानी नुस्खा भाजपा के पास ही है, इसीलिए सोशल मीडिया पर अमित शाह के बारे में मजाक में नहीं, बल्कि पूरी गंभीरता से यह कहा जाता है कि सरकार बनाने के लिए वैद्य अमित शाह से संपर्क करें.

कर्नाटक में कांग्रेस की यह कमजोरी तो लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने के साथ ही उजागर हो गई थी, रहीसही कसर वहां के मठाधीशों ने कांग्रेस के पक्ष में फतवे जारी कर पूरी कर दी. मठ हर कोई जानता है दलितों के नहीं होते, इसलिए दलितों में कांग्रेस को ले कर भी असमंजस रहा जिस का फायदा भाजपा को मिला.

राहुल गांधी के पास अब मुकम्मल वक्त यह तय करने के लिए है कि वे आगे भी वैसी ही राजनीति करेंगे जैसी भाजपा चाहती है या फिर वैसी जैसी जनता चाहती है.

वालमार्ट की फ्लिपकार्ट

पहले लोग कंपनी सामान बनाने या सेवा बेचने के लिए बनाते थे पर अब सामान बनाने और सेवा देने के अलावा कंपनी को बेचने के लिए भी बनाते हैं. सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने 11 वर्षों पहले बनाई फ्लिपकार्ट कंपनी को वालमार्ट कंपनी, जो अमेरिका में बड़ेबड़े स्टोर चलाती है, को 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा में बेच डाला है. मुनाफा कंपनी ने अर्जित किया, बंसल बंधुओं ने फायदा उठाया. जब तक फ्लिपकार्ट बिन्नी व सचिन बंसलके हाथों में थी, लगातार नुकसान हुआ पर इन्वैस्टरों के सहयोग से व्यवसाय खूब फैला. फ्लिपकार्ट ने 17 करोड़ ग्राहकों को सामान बेचा था और यही कंपनी का असली उत्पादन है. इन 17 करोड़ ग्राहकों के नाम, पते, बैंक अकाउंट, खरीद की पसंद आज बहुत कीमती हो गए हैं. अगर यह डेटा भारतीय जनता पार्टी को इस्तेमाल करने को मिल जाए (क्या पता वह कर भी रही हो) तो नरेंद्र मोदी को भी जैकेटों, मोबाइलों के साथ बेचा जा सकता है.

ई कौमर्स आज के युग का नया बाजार बन गया है जिस में आप को घर बैठे चीजें या सेवाएं मिल सकती हैं. पर इस ई कौमर्स के कारण देश के छोटे व्यापारी कितना नुकसान सह रहे होंगे, इस का अंदाजा नहीं. आज युवाओं को इस तरह की कंपनियों के सामान को पीठ पर ढोने का काम तो मिल गया है पर वे अपनी छोटी दुकान नहीं चला सकते. सचिन व बिन्नी बंसल ने कमाल किया है पर अपने लिए कंपनी नहीं रखी, सिर्फ बैंक बैलेंस जमा किया है.

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : आमूर जैलपीनो का तंदूरी झींगा

आमूर जैलपीनो का तंदूरी झींगा

सामग्री

– 4 प्रौंस

– 40 ग्राम हंग कर्ड

– 50 ग्राम फ्रैश मैंगो प्यूरी

– 20 ग्राम ताजा क्रीम

– 10 ग्राम अदरक का पेस्ट

– 10 ग्राम कालीमिर्च कुटी हुई

– 10 ग्राम यलो चिली पाउडर

– 10 ग्राम जैलपीनो – गार्निशिंग के लिए चिली औयल

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार

विधि

प्रौंस की ऊपरी परत उतार कर उन्हें दही, अदरक के पेस्ट, क्रीम, मैंगो प्यूरी, कालीमिर्च, व चिली पाउडर के पेस्ट में 1/2 घंटा मैरीनेट करें. फिर इन्हें सीख में सैट कर के तंदूर में पकाएं. पकने के बाद चिली औयल और धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम सर्व करें.

– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा

फ्रूटी एंड टेस्टी बाइट्स : टैको कुल्फी

टैको कुल्फी

सामग्री

– 120 ग्राम पिघला मक्खन

– 45 ग्राम अंडे का सफेद भाग

– 160 ग्राम आइसिंग शुगर

– 100 ग्राम आटा

– 50 ग्राम दूध

– कुल्फी (केसर)

विधि

मक्खन, चीनी और अंडे के सफेद भाग को मिला कर इस में आटा डालें व अच्छी तरह मिक्स करें. अब इस में दूध डाल कर घोल तैयार करें. उसे मोल्ड में डाल कर 180 डिग्री सेंटीग्रेड पर बेक करें. ठंडा कर टुकड़ों में काट लें और टैको शैल में सजा कर सर्व करें.

– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा                     

बैलेंसशीट औफ लाइफ : अनन्या की जिंदगी में कैसे मच गई हलचल

औफिस में अनन्या अपने सहकर्मियों के साथ जल्दीजल्दी लंच कर रही थी. लंच के फौरन बाद उस का एक महत्त्वपूर्ण प्रेजैंटेशन था, जिस के लिए वह काफी उत्साहित थी. इस मीटिंग की तैयारी वह 1 हफ्ते से कर रही थी. उस की अच्छी फ्रैंड सनाया ने टोका, ‘‘खाना तो कम से कम आराम से खा लो, अनन्या. काम तो होता रहेगा.’’

‘‘हां, जानती हूं, पर इस प्रेजैंटेशन के लिए बहुत मेहनत की है, राहुल का स्कूल उस का होमवर्क, उस का खानापीना सुमित ही देख रहा है आजकल.’’ ‘‘सच में, तुम्हें बहुत अच्छा पति मिला है.’’

‘‘हां, उस की सपोर्ट के बिना मैं कुछ कर ही नहीं सकती.’’ लंच कर के अनन्या एक बार फिर अपने काम में डूब गई. पवई की इस अत्याधुनिक बिल्डिंग के अपने औफिस के हर व्यक्ति की प्रशंसा की पात्र थी अनन्या. सब उस के गुणों की, मेहनत की तारीफ करते नहीं थकते थे. आधुनिक, स्मार्ट, सुंदर, मेहनती, प्रतिभाशाली अनन्या

10 साल पहले सुमित से विवाह कर दिल्ली से यहां मुंबई आई थी और पवई में ही अपने फ्लैट में अनन्या, सुमित और उन का बेटे राहुल का छोटा सा परिवार खुशहाल जीवन जी रहा था. अनन्या ने अपने काम से संतुष्ट हो कर घड़ी पर एक नजर डाली. तभी व्हाट्सऐप पर सुमित का मैसेज आया, ‘‘औल दि बैस्ट’, साथ ही किस की इमोजी. अनन्या को अच्छा लगा, मुसकराते हुए जवाब भेजा. अचानक उस के फोन की स्क्रीन पर मेघा का नाम चमका तो उस ने हैरान होते हुए फोन उठा लिया. मेघा उस की कालेज की घनिष्ठ सहेली थी. वह इस समय दिल्ली में थी.

मेघा ने कुछ परेशान सी आवाज में कहना शुरू किया, ‘‘अनन्या, तुम औफिस में हो?’’ ‘‘अरे, क्या हुआ? न हाय, न हैलो, सीधे सवाल तुम ठीक तो हो न?’’

‘‘मैं तो ठीक हूं अनन्या, पर बड़ी गड़बड़ हो गई.’’

‘‘क्या हुआ? कुछ बताएगी भी.’’ ‘‘मार्केट में राघव की आत्मकथा ‘‘बैलेंसशीट औफ लाइफ’’ आई है न. उस ने तेरा और अपना पूरा किस्सा इस में लिख दिया है.’’

‘‘क्या?’’ तेज झटका लगा अनन्या को.

‘‘हां, मैं ने अभी पढ़ी नहीं है पर मेरे पति संजीव को बुक पढ़ कर किसी ने बताया कि किसी अनन्या की कहानी लिख कर तो इस ने शायद उस की लाइफ में तूफान ला दिया होगा. संजीव समझ गए कि शायद यह अनन्या तुम ही हो, आज शायद संजीव यह बुक लाएंगे तो पढ़ूंगी. मेरा तो दिमाग ही घूम गया सुन कर. सुमित जानता है न उस के बारे में?’’

‘‘हां, जानता तो है कि मैं और राघव एकदूसरे को पसंद करते थे और हमारा विवाह उस के महत्त्वाकांक्षी स्वभाव के चलते हो नहीं पाया और उस ने धनदौलत के लिए किसी बड़े बिजनैसमैन की बेटी से विवाह कर लिया था और आज वह भी देश का जानामाना नाम है.’’ मेघा ने अटकते हुए संकोचपूर्वक कहा, ‘‘अनन्या, सुना है तुम्हारे और उस के बीच होने वाले सैक्स की बात उस ने…’’

अनन्या एक शब्द नहीं बोल पाई, आंखें अचानक आंसुओं से भरती चली गईं. अपमान के घूंट चुपचाप पीते हुए, ‘‘बाद में फोन करती हूं.’’ कह कर फोन रख दिया.

मेघा ने उसी समय मैसेज भेजा, ‘‘प्लीज डौंट बी सैड, फ्री होते ही फोन करना.’’ कुछ पल बाद सनाया ने आ कर उसे झंझोड़ा तो जैसे वह होश में आई, ‘‘क्या हुआ अनन्या? एसी में भी इतना पसीना.. तेरी तबीयत तो ठीक है न?’’

‘‘हांहां, बस ऐसे ही.’’ ‘‘टैंशन में हो?’’

‘‘नहींनहीं, कुछ नहीं,’’ अनन्या फीकी सी हंसी हंस दी. यों ही कह दिया, ‘‘प्रेजैंटेशन के बारे में सोच रही थी.’’ ‘‘कोई और बात है जानती हूं, तू इतनी कौन्फिडैंट है, प्रेजैंटेशन के बारे में सोच कर माथे पर इतना पसीना नहीं आएगा. नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं. ले, पानी पी और चल.’’

अनन्या ने उस दिन कैसे अपना प्रेजैंटेशन दिया, वही जानती थी. अतीत की परछाईं से उस ने स्वयं को बड़ी मुश्किल से निकाला था. मन अतीत में पीछे ले जाता रहा था और दिमाग वर्तमान पर ध्यान देने के लिए आगे धकेलता रहा था. तभी वह सफल हो पाई थी. उस के सीनियर्स ने उस की तारीफ कर उस का मनोबल बढ़ाया था. ‘‘तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही,’’ कह कर वह घर के लिए जल्दी निकल गई. राहुल स्कूल से डे केयर में चला जाता था. सुमित आजकल उसे लेता हुआ ही घर आता था, वह चुपचाप घर जा कर बैड पर पड़ गई.

राघव उस का पहला प्यार था. कौलेज में वह उस के प्यार में ऐसे मगन हुई कि यही मान लिया कि जीवन भर का साथ है. राघव एक छोटे से कसबे से दिल्ली में किराए का कमरा ले कर पढ़ता था. राघव के बहुत बार आग्रह करने पर वह एक ही बार उस के कमरे पर गई थी. वहीं भावनाओं में बह कर अनन्या ने पूर्ण समर्पण कर दिया था. आगे विवाह से पहले कभी ऐसा न हो, यह सोच कर फिर कभी उस के कमरे पर नहीं गई थी. पर दिल्ली के मशहूर धनी बिजनैसमैन की बेटी गीता से दोस्ती होने पर राघव को गीता के साथ ही भविष्य सुरक्षित लगा तो कई बहानों से दूरियां बनाते हुए राघव अनन्या से दूर होता चला गया.

अनन्या भी राघव में आए परिवर्तन को भलीभांति भांप गई थी. उस ने पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई, कैरियर पर लगा दिया था और अपने प्यार को कई परतों में दिल में दबा कर यह जख्म समय के ऊपर ही भरने के लिए छोड़ दिया था. कुछ समय बाद मातापिता की पसंद सुमित से विवाह कर मुंबई चली आई और सुमित व राहुल को पा बहुत संतुष्ट व सुखी थी पर आजकल जो आत्मकथा लिखने का फैशन बढ़ता जा रहा है, उस की चपेट में कहीं उस का वर्तमान न आ जाए, यह फांस अनन्या के गले में ऐसे चुभ रही थी कि उसे एक पल भी चैन नहीं आ रहा था. जिस प्यार के एहसास की खुशबू को अपने दिल में ही दबा उस की स्मृति से लंबे समय तक सुवासित हुई थी, आज जैसे उस एहसास से दुर्गंध आ रही थी.

अपनी सफलता, प्रसिद्धि के नशे में चूर राघव ने अपनी आत्मकथा में उस का प्रसंग लिख उस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी. कहीं ससुराल वाले, मायके और राहुल बड़ा हो कर यह सब जान न ले. कितने ही अपने, दोस्त, परिचत, रिश्तेदार उस के चरित्र पर दाग लगाने के लिए खड़े हो जाएंगे. औफिस में जिन लोगों की नजरों में आज अपने लिए इतना स्नेह और सम्मान दिखता है, उस का क्या होगा? राघव ने यह क्यों नहीं सोचा? अपने लालच, फरेब, महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में लिख कर अपनी चालबाजियां दुनिया के सामने रखता, एक लड़की जो अब कहीं शांति से अपने परिवार के साथ जी रही है, उस के शांत जीवन में कंकड़ मार कर उथलपुथल मचाने का क्या औचित्य है?

अनन्या के मन में क्रोध, अपमान की इतनी तेज भड़ास थी कि उस ने मेघा को फोन मिलाया. मेघा ने फोन उठाते ही प्यार से कहा, ‘‘अनन्या, तू बिलकुल परेशान मत होना, पढ़ कर तुझे बताऊंगी क्या लिखा है उस ने.’’

‘‘नहीं, रहने दे मैं कल औफिस जाते हुए खरीद लूंगी, अगर बुक स्टोर में दिख गई तो. पढ़ लूं फिर बताऊंगी उसे, छोड़ूगी नहीं उसे.’’ दोनों ने कुछ देर बातें करने के बाद फोन रख दिया.

सुमित और राहुल के आने तक अनन्या ने प्रत्यक्षतया तो स्वयं को सामान्य कर लिया था, पर अंदर ही अंदर बहुत दुखी व उदास थी. अगले दिन औफिस जाते हुए वह एक मशहूर बुकशौप पर गई. ‘न्यू कौर्नर’ में उसे ‘बैलेंसशीट औफ लाइफ’ दिख गई. उसे खरीद कर उस ने छुट्टी के लिए औफिस फोन किया और फिर घर वापस आ गई.

सुमित और राहुल तो जा चुके थे, बैड पर लेट कर उसने बुक पढ़नी शुरू की. राघव के जीवन के आरंभिक काल में उस की कोई रुचि नहीं थी. उस ने वहां से पन्ने पलटने शुरू किए जहां से उसे अंदाजा था कि उस का जिक्र होगा. उस का अंदाजा सही था. कालेज के दिनों में उस ने स्वयं को अनन्या नाम की क्लासमेट का हीरो बताया था. जैसेजैसे उस ने पढ़ना शुरू किया, क्रोध से उस का चेहरा लाल होता चला गया. लिखा था, ‘मेरा पूरा ध्यान बड़ा आदमी बनने में था. मैं आगे, बहुत आगे बढ़ना चाहता था, पर अनन्या का साथ मेरे पैरों की बेड़ी बन रहा था. मैं उस समय किसी भी लड़की को गंभीरतापूर्वक नहीं सोचना चाहता था पर मैं भी एक लड़का था, युवा था, कोई खूबसूरत लड़की मुझे पूर्ण समर्पण का निमंत्रण दे रही थी तो मैं कैसे नकार देता?

‘कुछ पलों के लिए ही सही, उस के सामीप्य में मेरे कदम डगमगाते तो जरूर पर उस के प्यार और साथ को मैं मंजिल नहीं समझ सकता था. पर हर युवा की तरह मैं भी ऐसी बातों में अपना कुछ समय तो नष्ट कर ही रहा था. एक अनन्या ही नहीं, उस समय एक ही समय पर मेरे 3-4 लड़कियों से शारीरिक संबंध बने, मेरे लिए ये लड़कियां बस सैक्स का उद्देश्य ही पूरा कर रही थीं.’ अनन्या ने इस के आगे कुछ पढ़ने की जरूरत ही नहीं समझी, उन पलों के पीछे इतना कटु सत्य था. उस ने स्वयं को अपमानित सा महसूस किया. आंखों से आंसू बह निकले. प्रेम के जिस कोमल एहसास में भीग कर एक लड़की एक लड़के को अपना सर्वस्व समर्पित कर देती है, उस लड़के के लिए वह कुछ महत्त्व नहीं रखता? किसी पुरुष के लिए लड़कियों की भावनाओं से खेलना इतना आसान क्यों हो जाता है? अनन्या अजीब सी मनोस्थिति में आंखें बंद किए बहुत देर तक यों ही पड़ी रही.

फिर उस ने मेघा को फोन मिलाया, ‘‘मेघा, मैं राघव को सबक सिखा कर रहूंगी. छोड़ूगी नहीं उसे.’’

‘‘क्या करेगी, अनन्या? इस में खुद ही तुम्हें तकलीफ न उठानी पड़े… वह अब एक मशहूर आदमी है.’’ ‘‘होगा बड़ा आदमी. मेरे बारे में लिख कर किसी लड़की की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की सजा तो उसे जरूर दूंगी मैं. उस का नंबर चाहिए मुझे, प्लीज, मेघा इस में हैल्प कर.’’

‘‘अनन्या, दिल्ली में अगले ही हफ्ते हमारे कालेज के एक प्रोग्राम में वह मुख्य अतिथि बन कर आ रहा है, मैं ने यह सुना है.’’ ‘‘ठीक है, थैंक्स, मैं आ रही हूं.’’

‘‘सुन तो.’’ ‘‘नहीं, बस अब वहीं आ कर बात करूंगी.’’

अनन्या ने मन ही मन बहुत देर सोच लिया था कि सुमित से कहेगी कि अपने मम्मीपापा से मिलने का मन कर रहा है. वह दिल्ली जा रही है. राघव को सब के सामने ऐसे लताड़ेगी कि याद रखेगा. मौकापरस्त, लालची? शाम को सुमित और राहुल कुछ जल्दी ही आए. सुमित ने बहुत ही चिंतित स्वर में आते ही कहा, ‘‘उफ अनु, तुम कहां हो? तुम ने आज फोन ही नहीं उठाया. मुझे लगा किसी मीटिंग में होगी और यह चेहरा इतना क्यों उतरा है?’’

सुमित के प्यार भरे स्वर से अनन्या की आंखें झरझर बहने लगीं. राहुल उस से लिपट गया, ‘‘क्या हुआ, मम्मा?’’

‘‘कुछ नहीं, बेटा,’’ कहते हुए अनन्या ने उसे प्यार किया. ‘‘अनन्या, तुम घर कब आईं?’’

‘‘आज औफिस गई ही नहीं?’’ ‘‘अरे, क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है? लंच तो किया था न?’’

‘‘नहीं, भूख नहीं थी. सौरी, सुमित, मेरा फोन साइलैंट था आज.’’ इतने में ही सुमित की नजर बैड पर जैसे फेंकी गई स्थिति में उस बुक पर पड़ी जिस ने अनन्या को बहुत परेशान कर दिया था. सुमित ने बुक उठाई. एक नजर डाली, फिर वापस रख दी कहा, ‘‘मैं अभी आया. तुम आराम करो?’’ सुमित ने खुद फ्रैश हो कर राहुल के हाथमुंह धुला कर कपड़े बदलवाए. इतने में अनन्या 2 कप चाय और राहुल के लिए दूध और नाश्ता ले आई. तीनों ने कुछ चुपचाप ही खायापीया.

राहुल को टीवी पर कार्टून देखने के लिए कह कर सुमित बैड पर अनन्या के पास ही आ कर बैठ गया. अनन्या का मन कर रहा था अपने मन की पूरी बात सुमित से शेयर कर ले पर उस ने कुछ सोच कर स्वयं को रोक लिया. सुमित ने अनन्या का हाथ अपने हाथ में ले कर चूम लिया. फिर कहा, ‘‘अनन्या, राघव की बुक से इतनी टैंशन में आने की जरूरत नहीं है.’’

अनन्या को हैरत का एक तेज झटका लगा. बोली, ‘‘यह सब पता है तुम्हें?’’ ‘‘हां, इस बुक को मार्केट में आए 1 महीना हो चुका है. पैसे से तो बड़ा आदमी बन गया वह, पर मानवीय मूल्यों को समझ ही नहीं पाया. ऐसे लोगों को मैं मानसिक रूप से गरीब ही समझता हूं.’’ अब अनन्या स्वयं को रोक नहीं पाई. सुमित के गले में बांहें डाल कर फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘अरे अनु, तुम्हें रोने की कोई जरूरत नहीं है. मैं अतीत की बात वर्तमान में करने में विश्वास ही नहीं रखता. वह उस उम्र की बात थी. उस का आज हमारे जीवन में कोई स्थान नहीं है.’’ सुमित के गले लगी अनन्या देर तक अपना मन हलका करती रही. सुमित उस की पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसे शांत करता रहा. सुबकियों के बीच भी सुमित जैसा पति पा कर अनन्या स्वयं को धन्य समझती रही थी.

थोड़ी देर बाद अनन्या ने पूछा, ‘‘इस बुक के बारे में तुम्हें कैसे पता चला?’’ ‘‘दिल्ली में मेरा दोस्त, जो किताबी कीड़ा है,’’ मुसकराते हुए कहा सुमित ने, ‘‘अनुज ने इसे पढ़ा था, उस ने मुझ से फोन पर मजाक कर के मुझे छेड़ा कि यह अनन्या कहीं तुम ही तो नहीं, मैं ने उस समय हंसी में टाल दिया था पर मैं अनुज से बातें करने के बाद समझ गया था कि तुम्हारे बारे में ही लिखा गया है पर ऐसी बातों को तूल देने में मैं कोई समझदारी नहीं समझता. जो हुआ सो हुआ. इसलिए, तुम से यह बात नहीं की. तुम भी इस बात को इग्नोर कर दो.’’

‘‘मगर सुमित, मैं ऐसे व्यक्ति को सबक सिखाना चाहती हूं, जो अपनी कहानी की पब्लिसिटी के लिए कई लड़कियों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है. यह तो तुम इतने अच्छे इंसान हो मगर जरा सोचो, कोई और हो तो क्याक्या हो सकता है. मेरे मन को तभी सुकून मिलेगा जब मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगी कि पब्लिसिटी को तरसते लोग आजीवन याद रखे…मैं दिल्ली जाना चाहती हूं, सुमित.’’ ‘‘उस के लिए तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जो तुम्हें उसे कहना है, फोन पर कह लो. वैसे क्या कहना है?’’

‘‘उस का फोन नंबर कहां है हमारे पास? मैं उसे मानहानि के केस की धमकी दे कर उस का अपमान करना चाहती हूं.’’ ‘‘ठीक है, तुम चाहो तो गीता से बात भी कर सकती हो. वैसे हमें सिर्फ डराना और मानसिक परेशानी ही तो देनी है उसे. हमें उस का पैसा तो बिलकुल भी नहीं चाहिए. मुझे आराम से गीता का नंबर मिल सकता है. मेरे बौस की रिश्तेदार है वह. सुना है अच्छे स्वभाव की है. जरा भी घमंड नहीं है.’’

‘‘ठीक है, सुमित, मुझे उस का नंबर दे दो. वह शायद मुझे भी पहचान ही जाए. तुम मेरे साथ हो तो अब मुझे किसी भी बात की चिंता नहीं है.’’ ‘‘पर मेरी एक शर्त है.’’

‘‘क्या?’’ ‘‘मुझे तुम्हारे चेहरे पर दुख या उदासी न दिखे.’’ अनन्या मुसकराती हुई सुमित से लिपट गई अब उस का मन हलका हो गया था. मन पर रखा एक भारी पत्थर जैसे हट गया था.

अगले दिन सुमित ने अनन्या के फोन पर गीता का नंबर भेज दिया. अनन्या ने लंच टाइम में एक शांत जगह जा कर गीता का नंबर मिलाया. गीता ने फोन उठाया तो अनन्या ने कालेज के दिनों का अपना परिचय दिया, गीता को सब याद आ गया. बोली, ‘‘कैसी हो? मेरा नंबर कैसे मिला?’’ ‘‘कहां से मिला, वह छोड़ो गीता, बस यह पूछने का मन हुआ कि अपने पति की आत्मकथा पढ़ी होगी तुम ने कैसी लगी?’’

गीता का स्वर कुछ धीमा हुआ, ‘‘क्यों? अपना नाम आने पर परेशान हो?’’ ‘‘मुझे राघव का नंबर दे सकती हो? इतने सच दुनिया के सामने रखने पर उसे गर्व हो रहा होगा न. बधाई तो बनती है न?’’

‘‘मैं समझी नहीं. वैसे राघव इस समय मेरे सामने ही बैठा है.’’ ‘‘यह तो बहुत अच्छा है. क्या तुम फोन स्पीकर पर कर सकती हो? प्लीज.’’

गीता ने फोन स्पीकर पर कर लिया. अनन्या की ठहरी हुई, गंभीर आवाज स्पीकर पर गूंज उठी, ‘‘मैं ने फोन इसलिए किया है राघव कि तुम्हें पहले स्वयं ही बता दूं कि मैं तुम पर मानहानि का दावा करने जा रही हूं 2 करोड़ का. अपनी कहानी में तुम ने जिस तरह मेरे बारे में लिखा है, मैं तुम्हें छोड़ूगी नहीं. ‘‘गीता तुम्हारे जैसे लालची पति को जीवनसाथी बना कर कितनी खुश है, यह तो वही जानती होगी पर लड़कियों की भावनाओं के साथ खेलने वाले इंसान की पब्लिसिटी पाने की ऐसी आदत पर उसे शर्म तो जरूर आती होगी, तुम ने तो उसे भी शर्मिंदा किया है.

‘‘गीता, तुम तो एक औरत हो, इस हरकत में अपने पति का साथ कैसे दे पाई? वह लेखिका जिस से राघव ने यह किताब लिखवाई है, जानती हो, कौन है? वह भी इस का शिकार रही है, यह आदमी तुम्हारे पैसे से उस का मुंह बंद कर सकता है पर मैं इसे सबक सिखा कर रहूंगी. तुम्हारे पैसे ने राघव को तुम्हारा पति तो बना दिया पर चरित्र?’’

गीता के मुंह से हलकी सी आवाज निकली, ‘‘तुम्हारा पति क्या कहेगा?’’

‘‘उस ने यही कहा कि ऐसे आदमी को सजा मिलनी चाहिए जो लड़कियों के साथ खेले, फिर दुनिया के सामने अपने पौरुष का ऐसा डंका पीटे कि लड़कियां टूट जाएं, यह सर्वथा अनुचित है. और वाह, क्या नाम रखा है, ‘बैलैंसशीट औफ लाइफ’ नफेनुकसान के हिसाबकिताब में माहिर, रुपएपैसे के लालच में उलझा हुआ एक चरित्रहीन व्यक्ति अपनी कहानी को और नाम भी क्या दे सकता था? तुम लोगों के बच्चे तो बड़े हो कर अपने पिता के चरित्र पर बड़ा गर्व करेंगे. वाह.’’

गीता ने कहा, ‘‘अनन्या, मुझे थोड़ा समय दो.’’ अनन्या ने फिर फोन काट दिया. इतनी देर तक राघव सिर पर हाथ रखे ही बैठा रहा. उस में गीता से आंखें मिलाने का साहस नहीं था. गीता ने यह किताब लिखवाने के लिए पहले ही मना किया था पर राघव ने उस की एक न सुनी थी. आज वह एक सफल बिजनैसमैन था, गीता के मातापिता गुजर चुके थे. वह अब सारी प्रौपटी की एकमात्र अधिकारी थी.

गीता ने राघव की छिटपुट गलतियां कई बार माफ की थीं, पर आज गीता ने राघव को जिन जलती नजरों से देखा, राघव उन नजरों को सह न सका. चुपचाप बैठा रहा. गीता नि:शब्द उसे पहले घूरती रही, फिर इतना ही कहा, ‘‘यह बुक मार्केट से तुरंत वापस ले लो. एक भी कौपी कहीं न दिखे और फौरन सब से माफी मांगो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा,’’ कह कर गीता अपना पर्स उठा कर वहां से चली गई. राघव को इस के सिवा कोई और रास्ता सूझ भी नहीं रहा था. गीता उस के साथ बहुत अनर्थ कर सकती है, यह वह जानता था. वह जो भी था, गीता की दौलत के दम पर था. वह गीता को नाराज नहीं कर सकता था. अत: उस ने गीता को फौरन फोन किया, ‘‘आईएम वैरी सौरी, डियर तुम ने जैसा कहा है वैसा ही होगा.’’

राघव ने उसी समय अपने सैक्रेटरी को बुला कर गीता के कहे अनुसार आदेश दिए. अगली सुबह अनन्या राहुल को तैयार कर रही थी. तभी अपने फोन पर कुछ पढ़ता हुआ सुमित हंस पड़ा. अनन्या ने आंखों से ही कारण पूछा तो सुमित ने अपना फोन उस की ओर बढ़ा कर कुछ पढ़ने का इशारा किया. ट्विटर पर राघव का माफीनामा था और लिखा था कि इस बुक को मार्केट से विदड्रा कर रहा है.

सुमित ने अनन्या के कंधे पर हाथ रख कर पूछा, ‘‘खुश?’’ ‘‘थैंक्यू वैरी मच, सुमित. तुम्हारे जैसा जीवनसाथी पा कर मैं धन्य हो गई.’’

सुमित ने उस के माथे को चूम लिया. अचानक अनन्या ने अपने फोन को उठा कर कोई नंबर मिलाया तो सुमित ने पूछा, ‘‘किसे?’’ ‘‘गीता को थैंक्स कहना है कि उस ने एक स्त्री के मन की बात को समझा. उस ने जो गरिमा दिखाई, बहुत अच्छा लगा. वैसे भी ऐसे पति के साथ निभाना आसान तो नहीं होगा. उसे थैंक्स कहना फर्ज है मेरा.’’

‘हां’ में सिर हिलाता हुआ सुमित उसे प्यार भरी नजरों से देख रहा था.

अपनी पत्नी के सामने अवौर्ड लेते हुए भावुक हुए विराट कोहली

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने दो सीजन (2016-17 और 2017-18 ) के लिए खिलाड़ियों को सम्मा के रूप में मिलने वाले अवौर्ड्स दिये हैं. इसमें भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को दोनों साल का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना गया. विराट कोहली बेंगलुरु में हुए इस अवौर्ड शो में अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ आए थें. अफगानिस्तान के खिलाफ हो रहे ऐतिहासिक टेस्ट मैच में भले ही वह नहीं खेल रहे हों, लेकिन विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा बीसीसीआई के सालाना पुरस्कार समारोह में सबसे ज्यादा लाइमलाइट में रहे. इस अवौर्ड शो में विराट कोहली को लगातार दो सत्र के लिए पौली उमरीगर ट्रौफी (वर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर) प्रदान की गई.

शानदार फौर्म में चल रहे टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने 2016-17 और 2017-18 में जबर्दस्त प्रदर्शन किया. बीसीसीआई का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर विश्व कप सितारे हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना को महिला वर्ग में यह पुरस्कार दिया गया. वह फिलहाल आईपीएल 2018 के दौरान गर्दन में लगी चोट का उपचार करा रहे हैं जिसकी वजह से वह सर्रे के लिए काउंटी क्रिकेट भी नहीं खेल सके. विराट कोहली 15 जून को एनसीए में फिटनेस टेस्ट देंगे.

विराट कोहली इस अवौर्ड फंक्शन में पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ आए थे. विराट कोहली को टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री ने अवौर्ड दिया. अवौर्ड लेने के बाद विराट कोहली इमोशनल हो गए जिसके बाद आगे उन्होंने कहा की आज मेरी पत्नी यहां मौजूद है. इसलिये इस अवौर्ड के रूप में मिल रहे सम्मान की अहमियत ज्यादा बढ़ जाती है. वो काफी स्पेशल हैं. मैं खुश हूं कि पिछले साल यह अवौर्ड नहीं दिया गया था. अनुष्का के सामने यह अवौर्ड लेना और भी स्पेशल हैं.” 9 सेकेंड का विराट कोहली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

बता दें कि अनुष्का शर्मा भी वहां विराट कोहली को सपोर्ट करती दिखीं. विराट को जब अवौर्ड दिया गया तब अनुष्का ने खूब तालियां बजाईं और जब विराट ने उनका जिक्र किया तो अनुष्का के चेहरे पर मुस्कान आ गई.

विराट कोहली ने 2016-17 सत्र में 13 टेस्ट में 1332 रन बनाए, जबकि 27 वनडे में 1516 रन बनाए. वहीं 2017-18 में खेले गए छह टेस्ट में कोहली ने 89.6 की औसत से 896 रन बनाए और वनडे में उनका औसत 75.50 रहा. कोहली को हर सत्र के लिए पुरस्कार के तौर पर 15 लाख रुपए दिए गए.

sports

अवौर्ड लेने के बाद विराट और अनुष्का मुंबई वापस लौट आए हैं. विराट और अनुष्का को मुंबई एयरपोर्ट पर हाथों में हाथ डाले स्पौट किया गया.

इस मौके पर पिछले जमाने के और मौजूदा पीढी के भारतीय क्रिकेटर एक ही छत के नीचे मौजूद थे. अंशुमान गायकवाड़ और सुधा शाह को सी के नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान दिया गया. जलज सक्सेना, परवेज रसूल और क्रुणाल पांड्या को घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन का पुरस्कार मिला. जलज और रसूल को रणजी ट्राफी में सर्वश्रेष्ठ हरफनमौला और कृणाल को विजय हजारे वनडे चैम्पियनशिप में उनके प्रदर्शन के लिए पुरस्कार मिले.

जानिए कब, कैसे और कितना करें फोन चार्ज

हर किसी को अपने फोन से बेहद ही लगाव होता है. पर जब उसकी बैटरी खत्म हो जाती है और उसे वापस से चार्ज करना होता है तो हम उसमें लापरवाही बरतते हैं. जिसके कारण कुछ समय बाद ही हमारा स्मार्टफोन खराब होने लगता है. ऐसें में स्मार्टफोन की बैटरी साइंस के मुताबिक कब और कैसे चार्ज करनी चाहिए आज हम आपको बताएंगे.

दरअसल लोगों में ऐसी धारणा बनी हुई है कि स्मार्टफोन की बैटरी को तभी चार्ज करना चाहिए जब वह बिलकुल खत्म होने वाली हो. बार बार चार्ज करने से फोन की बैटरी खराब हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर आप भी चाहते हैं कि आपके स्मार्टफोन की बैटरी लंबे समय तक ज्यादा बैकअप दे, तो इसके लिए आपको कुछ चीजें बदलनी होंगी.

  • बैटरी यूनिवर्सिटी के मुताबिक फोन की बैटरी फुल चार्ज होने के बाद उसे चार्जिंग पर नहीं लगे रहने देना चाहिए. यह बैटरी की लौन्ग लाइफ के लिए खतरनाक होता है. एक बार फोन फुल चार्ज होने के बाद उसे पावर में लगे रहने देने से यह बैटरी को हाई स्ट्रेस में ले जाता है, जिससे बैटरी बैकअप पर सीधा असर पड़ता है.
  • बैटरी यूनिवर्सिटी के मुताबिक फोन की बैटरी को फुल चार्ज न करें. बैटरी को 90 फीसदी तक चार्ज करें. अगर बैटरी वीक होती है तो फोन की बैटरी को आप कभी भी कहीं भी चार्ज कर सकते हैं. आप अपने फोन की बैटरी को 10% वीक होने के बाद चार्ज करते हैं तो यह उसके लिए अच्छा होगा. इससे बैटरी बैकअप अच्छा रहेगा.
  • स्मार्टफोन को ठंडा रखने की कोशिश करें. स्मार्टफोन पर फालतू के कवर न लगाएं. अगर फोन गर्म होता है तो इसका सीधा असर बैटरी पर पड़ता है.
  • मोबाइल फोन यूएसबी पोर्ट की बजाय बिजली से ज्यादा जल्दी चार्ज होता. सबसे अच्छा ये होता है कि हमेशा कंपनी के चार्जर का ही इस्तेमाल करें, जो सुरक्षित तरीके से सबसे अच्छे परिणाम देता है.
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें