शाम को लौटी नेहल कमरे में पहुंची ही थी कि मोबाइल बजा, ‘‘क्लास बंक करना अच्छी बात नहीं है, खासकर आप जैसी लड़की से तो कतई ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती. क्या कोई खास खुशी सैलिबे्रट की जा रही थी?’’
‘‘टु हैल विद यू. मैं क्या करती हूं, कहां जाती हूं तुम से मतलब? क्यों मुझे परेशान कर रहे हो, सामने क्यों नहीं आते?’’ नेहल नाराज हो उठी.
‘‘सौरी, आप को परेशान करना मेरा मकसद नहीं था.’’
इतना कहते ही फोन कट गया.
नेहल ने अपने मोबाइल पर आए नंबरों से उस फोन करने वाले का पता करना चाहा था, पर फोन हर बार किसी नए पीसीओ से किया गया था. उस ने ठीक कहा था, उसे पकड़ पाना कठिन था. कभी नेहल को फिल्मों में देखे गए कुछ पात्र याद आते जो पागल की तरह किसी लड़की के पीछे पड़, उस लड़की को परेशान कर देते थे. नेहल कभी सोचती, कहीं वह भी वैसा ही इंसान तो नहीं, पर उस की किसी भी बात से पागलपन नहीं झलकता था बल्कि बातों से वह पढ़ालिखा व्यक्ति लगता था.
‘‘आप से कोई मिलने आए हैं, विजिटर रूम में बैठे हैं,’’ होस्टल की केयरटेकर ने आ कर नेहल को सूचित किया.
‘‘ठीक है, मैं आती हूं,’’ कह कर नेहल ने सरसरी नजर अपने कपड़ों पर डाली. अब चेंज करने का सवाल नहीं था, निश्चय ही वह इंद्रनील ही होगा. बालों पर हाथ फेर
वह विजिटर रूम की ओर चल दी.
विजिटर रूम में एक सौम्य युवक उस की प्रतीक्षा कर रहा था. नेहल के प्रवेश करते ही वह खड़ा हो गया. एक नजर में ही नेहल समझ गई, उस के व्यक्तित्व से कोई भी प्रभावित हो जाएगा. स्लेटी सूट के साथ सफेद शर्ट में उस का व्यक्तित्व और भी निखर आया था. चेहरे की मुसकान किसी को भी मोहित कर सकती थी.
‘‘प्लीज, बैठिए. मैं नेहल और आप शायद इंद्रनीलजी हैं,’’ मीठी आवाज में नेहल बोली.
‘‘ओह, तो आप मेरे बिग ब्रदर का इंतजार कर रही हैं. सौरी, उन्हें किसी जरूरी काम की वजह से शहर के बाहर जाना पड़ गया. आप उन्हें एक्स्पैक्ट करेंगी इसलिए उन्होंने आप को अप्रूव करने की जिम्मेदारी मुझे दे दी है. हां, अपना परिचय देना तो भूल ही गया, मैं नीलेश, इंद्रनीलजी का छोटा भाई.’’
‘‘कमाल है, आप के भाई ने अपनी जगह आप को भेजा है. कैसे हैं आप के सो कौल्ड बिग ब्रदर?’’ नेहल के शब्दों में व्यंग्य स्पष्ट था.
‘‘अरे, उन के गुणों के लिए तो शब्द कम पड़ जाएंगे. वे बेहद गंभीर, तेजस्वी, मेधावी, स्नेही, योग्य अधिकारी और न जाने क्याक्या हैं. मुझ पर उन्हें अगाध विश्वास है. उन की तुलना में मैं तो उन के पांवों की धूल भी नहीं हूं.’’
‘‘भले ही वे आप के शब्दों में गुणों की खान हों, पर जिस के साथ जीवनभर का साथ निभाना है उस से मिलना भी जरूरी नहीं समझते. यह कैसा विश्वास है? शायद विवाह में उन की ज्यादा रुचि नहीं है,’’ नेहल ने स्पष्ट शब्दों में अपनी राय दे डाली.
‘‘वे जानते हैं कि आप की हर तरह की परीक्षा लेने के बाद ही मैं आप को अप्रूव करूंगा. वैसे मैं दावे के साथ कह सकता हूं, आप उन के लिए बहुत उपयुक्त जीवनसाथी हैं. बिग ब्रदर को भी यही बात समझाई है.’’
‘‘रुकिए, क्या कहा, आप मेरी परीक्षा लेंगे? आप मेरी परीक्षा लेने वाले होते कौन हैं?’’ नेहल का चेहरा तमतमा आया.
‘‘परीक्षा तो हो चुकी, और आप उस में पूरे अंक पा चुकी हैं,’’ फिर वही हंसी.
उस हंसी ने नेहल को किसी और की हंसी और बात करने के तरीके की याद दिला दी. निश्चय ही यह वही था जो फोन कर के उसे परेशान किया करता था. नेहल सोच में पड़ गई, उस जैसी बुद्धिमान लड़की पहले ही उसे क्यों नहीं पहचान गई.
अब शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी.
‘‘तुम…तुम, वही हो न जो मुझे फोन करते थे? क्या यही सब करने को तुम्हारे धीरगंभीर भाई ने इजाजत दी थी? साफसाफ सुन लो, मुझे तुम्हारे भाई या तुम्हारे साथ कोई भी रिश्ता मंजूर नहीं है,’’ नेहल का चेहरा लाल हो उठा.
‘‘भाई न सही, मेरे बारे में क्या राय है? आप की कितनी डांट सुनी है. सच कहता हूं, जिंदगीभर आप का गुलाम बन कर रहूंगा. अच्छीभली नौकरी है, आप को जिंदगी की हर खुशी देने का वादा रहेगा.’’
‘‘अपने आदरणीय बिग ब्रदर को क्या जवाब दोगे? तुम पर उन्हें अगाध विश्वास है. उन का विश्वास तोड़ना क्या ठीक होगा. नहीं मिस्टर नीलेश, आप अपने भाई का दिल नहीं तोड़ सकते. सच कहूं तो मुझे उन से हमदर्दी हो गई है. जो इंसान अपने भाई पर इतना विश्वास रखता है, वह अपनी पत्नी के तो सात खून भी माफ कर देगा. मुझे इंद्रनीलजी के साथ अपना रिश्ता मंजूर है.’’
‘‘शुक्रिया, आप ने मेरी आंखें खोल दीं. मैं सचमुच अपराध करने जा रहा था. अब मेरा मकसद पूरा हो गया. बिग ब्रदर तक आप की स्वीकृति पहुंच जाएगी,’’ फिर उस की मीठी हंसी देखसुन नेहल जैसे चिढ़ गई.
‘‘थैंक्स, मैं इंद्रनीलजी की प्रतीक्षा करूंगी और उन से कहिएगा मैं उन से मिलने को उत्सुक हूं. नमस्ते,’’ हाथ जोड़ नेहल ने अभिवादन किया.
नीलेश को और बात करने का अवसर न दे, नेहल तेजी से कमरे के बाहर चली गई. मुसकराते चेहरे के साथ नेहल पूजा के कमरे में जा पहुंची.
‘‘हाय नेहल, कैसी रही तेरी मुलाकात? लगता है, बात जम गई,’’ पूजा ने उत्सुकता से पूछा.
‘‘मुलाकात की छोड़, आज उस फोन करने वाले का रहस्य खुल गया.’’
‘‘सच, कौन है वह? उसे पुलिस के हवाले क्यों न कर दिया?’’
‘‘अरे, वह तो मेरे लिए मां द्वारा चुना गया उम्मीदवार इंद्रनील था. उस की बातों से समझ गई थी, अपने भाई का नाम ले कर मेरी परीक्षा ले रहे थे, जनाब. मैं ने भी अच्छा जवाब दिया है. देखें, अब उस दूसरे इंद्रनील को कहां से लाते हैं.’’
‘‘वाह, तेरी तो प्रेमकहानी बन गई नेहल. वैसे, कैसा लगा अपना मजनूं?’’
‘‘मुझे तो यही खुशी है, उसे करारा जवाब मिला है. वैसे देखने में खासा हीरो दिखता है. बातें भी अच्छी कर लेता है. पर अब मजा आएगा, मुझे बनाने चले थे और खुद बन गए,’’ नेहल के चेहरे पर शरारतभरी मुसकान थी.
‘‘मुझे तो यकीन है उस ने तेरा दिल चुरा लिया,’’ पूजा हंस रही थी.
‘‘जी नहीं, मेरा दिल यों आसानी से चोरी नहीं हो सकता. चलती हूं, शायद मां का फोन आए,’’ नेहा अपने कमरे में जाने को उठ गई.
किताब खोलने पर नेहल का मन नहीं लग रहा था. नीलेश का चेहरा आंखों के सामने आ रहा था. उस का क्या रिऐक्शन होगा, कहीं वह निराश तो नहीं हो गया, शायद वह हर दिन की तरह फोन करे और कहे, ‘आज आप ने मायूस कर दिया. इतना बुरा तो नहीं हूं मैं.’ देर रात तक कोई फोन न आने से नेहल ही निराश हो गई.
कल रविवार है, देर तक सोने के निर्णय के साथ न जाने कब सोई थी कि मोबाइल की घंटी सुनाई पड़ी. जरूर उसी का फोन होगा, पर दूसरी ओर से एक गंभीर पुरुषस्वर सुनाई दिया.
‘‘हैलो, नेहलजी, मैं इंद्रनील, जयपुर से बोल रहा हूं. माफ कीजिएगा, मैं आप से मिलने खुद नहीं पहुंच सका, बहुत जरूरी काम था, टाला नहीं जा सकता था. आप के बारे में नीलेश ने विस्तृत जानकारी दी है, मानो मैं स्वयं आप से मिला हूं. नीलेश ने आप का संदेश दिया है, जल्दी ही आप से मिलने पहुंचूंगा. मेरे बारे में नीलेश ने बताया ही होगा. और कुछ जानना चाहें तो बेहिचक पूछ सकती हैं.’’
‘‘जी नहीं, आप के भाई ने आप की बहुत प्रशंसा की है. एक बात पूछना चाहती हूं, आप अपने भाई पर इतना विश्वास रखते हैं कि अपनी जगह उसे भेज दिया, पर क्या आप जानते हैं कि आप की जगह वे खुद मेरे साथ अपनी शादी के लिए उत्सुक थे?’’
‘‘अरे, आप उस की बातों को सीरियसली न लें, मजाक करना उस का स्वभाव है. हां, आप ने मेरे साथ अपनी शादी की सहमति दी है, उस के लिए आभारी हूं. जल्द ही हम जरूर मिलेंगे. नीलेश ने जयपुर से आप के मनपसंद रंग की साड़ी लाने को कहा है, वह ला रहा हूं. यहां से और कुछ चाहिए तो बताइए.’’
‘‘थैंक्स, मुझे कुछ नहीं चाहिए, बाय.’’
फोन बंद करतेकरते नेहल का मन रोनेरोने का हो आया. यह क्या हो गया. फोन जयपुर से ही आया था. कौन है यह इंद्रनील, उस से बिना मिले, बिना फोन पर बात किए उस के साथ शादी के लिए स्वीकृति दे बैठी. तभी मां का फोन आ गया, ‘‘आज मेरी चिंता दूर हो गई, बेटी. इंद्रनील जैसा दामाद और तेरे लिए वर, कुदरती तौर पर ही मिलता है. उस ने तुझ से होली के बाद मिलने की इजाजत मांगी है. तेरी परीक्षा के पहले वाली प्रिपरेशन लीव में ही पहुंचेगा.’’
‘‘मां, मुझ से गलती हो गई, मैं इंद्रनील से शादी नहीं कर सकती.’’
‘‘पागल मत बन. तू ने खुद सहमति दी है, किसी ने जबरदस्ती तो नहीं की है?’’
‘‘तुम नहीं समझोगी मां, मैं किसी और से…’’
‘‘मुझे कुछ समझना भी नहीं है. बहुत मनमानी कर ली. हम तेरे दुश्मन तो नहीं हैं, नेहल, इंद्रनील हर तरह से तेरे लिए उपयुक्त है. अब हमें परेशान मत कर, बेटी. बचपना छोड़, किसी को वचन दे कर वचन तोड़ना अक्षम्य अपराध है. मेरा यकीन कर, इंद्रनील के साथ तू बहुत सुखी रहेगी.’’
नेहल की समझ में नहीं आ रहा था, वह क्या करे? यह तो अपने पांव खुद कुल्हाड़ी मारने वाली बात हो गई. पूजा भी परेशान थी, पर उस का एक ही सुझाव था, फोन पर इंद्रनील को सचाई बता दे. जयपुर से इंद्रनील वापस जा चुका था, अब तो उस के फोन का इंतजार करना था.
प्रिपरेशन लीव की छुट्टियां शुरू हो गईं. नेहल का मन बेचैन था. इंद्रनील उस से मिलने कभी भी आ सकता है, क्या वह उस से कह सकेगी कि वह उस से नहीं, उस के छोटे भाई से विवाह करना चाहती है. छुट्टी के 3 दिनों बाद सुबहसुबह कलावती केयरटेकर ने आ कर कहा, ‘‘कोई नील बाबू आप से मिलने आए हैं. उन का पहला नाम याद नहीं रहा.’’
धड़कते दिल के साथ नेहल इंद्रनील से मिलने की हिम्मत जुटा पहुंची थी. सामने खड़े व्यक्ति को देख वह चौंक गई. अपनी उसी मोहक हंसी के साथ नीलेश खड़ा था. नेहल समझ नहीं सकी वह क्या कहे, पर खुद नीलेश आगे बढ़ आया.
‘‘कैसी हैं? चाहता तो था होली पर आ कर आप को रंगता, पर आ नहीं सका. अब तो बस कहना चाहूंगा जिंदगी की सारी खुशियां आप के जीवन में रंग भरती रहें.’’
‘‘इंद्रनीलजी की जगह क्या आज फिर उन की ओर से कोई नया संदेश लाए हैं?’’
‘‘नहीं, उन्होंने अपनी जगह हमेशाहमेशा के लिए मुझे दे दी, आखिर बिग ब्रदर को इतना तो करना ही चाहिए. वैसे भी वे जान गए थे कि आप मुझे चाहती हैं. आप का पीछा करने के लिए पूरे 10 दिन होम किए हैं, नेहलजी. सच कहिए, क्या मेरा फोन करना आप को खराब लगता था? मुझे तो लगता है, आप को मेरे फोन का इंतजार रहता था.’’
‘‘यह तुम्हारा भ्रम है, वैसे भी किसी के विकल्परूप में तुम्हें क्यों स्वीकार करूंगी? मैं ने तो इंद्रनील से मिलने आने का अनुरोध किया था, उन के विकल्प का नहीं.’’
‘‘अगर ऐसा है तो मिस नेहल, मैं किसी का विकल्प नहीं, स्वयं इंद्रनील हूं, अपने मातापिता का बड़ा बेटा. अब कहिए, क्या इरादा है? सौरी, मैं चाह कर भी आप के पास किसी दूसरे इंद्रनील को नहीं ला सकता. अब तो यही नील चलेगा, नेहल.’’
‘‘तुम इतने बड़े चीट हो, इंद्रनील? तुम से तो शादी करने में भी खतरा है.’’
‘‘फिर वही गलती कर रही हैं. मैं धोखेबाज नहीं, जीनियस इडियट हूं और मैं ने कहा था, मुझे आप पकड़ नहीं सकेंगी.’’
‘‘पर मैं ने तो तुम्हें पकड़ ही लिया. तुम्हें पहले दिन ही पहचान लिया था, मुझे फोन करने वाले तुम ही थे.’’
‘‘पर यह तो नहीं समझ सकी थीं कि मैं ही इंद्रनील था, वरना मां से उस इंद्रनील से शादी न करने को क्यों कह रही थीं. धोखा खा गई थीं न? मां को मुझे ही सचाई समझानी पड़ी थी, वरना तुम ने तो उन्हें भी डरा दिया था.’’
‘‘मानती हूं, इस जगह तो मैं धोखा खा ही गई, पर इसे मेरी हार मत समझना. तुम ने मेरी मां को अपने मोहजाल में बांध लिया वरना…’’
‘‘तुम किसी बेचारे इंद्रनील का ही इंतजार करती रहतीं. अब तुम्हारी इस गलती के बदले तुम्हें सजा देने का अधिकार तो मुझे मिलना ही चाहिए,’’ इंद्रनील शरारत से मुसकराया.
‘‘क्या सजा दोगे, नील? इतने दिनों तक फोन कर के परेशान करते रहे, सजा तो तुम्हें मिलनी चाहिए,’’ नेहल ने मानभरे स्वर में कहा.
‘‘अच्छाजी, जैसे मैं जानता नहीं था, मोहतरमा को फोन का कितना इंतजार रहता था.’’
‘‘यह तुम्हारा भ्रम है, अगर पकड़ पाती तो तुम्हारे हाथों में हथकड़ी जरूर पहनवाती,’’ नेहल के चेहरे पर परिहास की हंसी खिल आई.
‘‘तो अब सजा दे दो, पर लोहे की हथकड़ी की जगह तुम्हारे प्यार का बंधन मंजूर है.’’
बात खत्म करते इंद्रनील ने नेहल के माथे पर स्नेह चुंबन अंकित कर दिया. नेहल के गुलाबी चेहरे पर सिंदूरी आभा बिखर गई.