कोटा, राजस्थान का जानामाना जिला. इसे कौन नहीं जानता. चम्बल नदी के किनारे राज्य की राजधानी से 240 किलोमीटर दूर यह शहर. वैसे तो कोटा मशहूर है किलों, महलों, संग्रालयों, बगीचों और मंदिरों के लिए, लेकिन अब यह जाना जाता है कोचिंग सेंटरों के चलते. इस शहर की भीड़भाड़ में आपको घुमने वालों से ज्यादा जीवन की राहें बनाने वाले युवाओं की दिख जाएगी. यह एक ऐसी जगह है जहां पैसों में सपने बुने जाते हैं सुनहरे भविष्य के. जहां से देश के मेडिकल, इंजीनियरिंग, सीए, बिसनेस मनेजमेंट के लिए दरवाजे खुलते हैं.

कोटा में क्या हुआ?

14 अप्रैल को जब प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने लाकडाउन को 3 मई के लिए बढाया तो “#ब्रिंगबैकअसहोम” और “#हेल्पकोटा_स्टूडेंट्स” के नाम से हैशटेग बड़ी तेजी से ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा. यह इतनी तेजी से ट्रेंड हुआ कि दिन होते होते इस हैशटेग से 80000 ट्वीट किये जा चुके थे. यह हैशटेग टॉप ट्रेंडिंग में दिखने लगा, पता चला कि ये कोटा के कोचिंग सेंटरों में पढने वाले छात्रों के द्वारा किया जा रहा है जो अलग अलग राज्यों से आईआईटी, जेईई, सीए, आईआईएम के एंट्रेंस पास करने की तैयारी के लिए यहां आए हुए हैं. इस हैशटेग की इतनी ताकत थी की इसने पुरे देश का ध्यान अपनी और खींच दिया. राजस्थान की सरकार में हलचल होने के बाद यह हैशटेग सीधा दिल्ली जा पंहुचा, और फिर वंहा से होते हुए उत्तर प्रदेश में इसने कार्यवाही को अंजाम दिया. छात्रों की समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्पेशल पास से राज्य के छात्रों को वापस लाने के लिए शुक्रवार देर रात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. जिसमें ख़बरों की माने तो लगभग 8000 छात्रों को वापस अपने गृह राज्य लाने के लिए 300 बसों को कोटा रवाना किया गया.

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