एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना को रोकने के लिए दिन रात काम करने का दावा कर रहे है, दूसरी तरफ उनके अफसर आधे शहरों में ही फेल होते नजर आ रहे है.असल मे अफसरों को यह लग रहा कि मुख्यमंत्री अपने प्रभाव और शक्तियों के बल पर कोरोना को रोक लेगे उनको काम करने की जरूरत ही नही है. धर्म मे कर्मकांड अगर कोरोना को रोकने में सफल होते तो चर्च, मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों और गुरुद्वारा को बन्द करने की जरूरत ही नही पड़ती .

जिस “लाक डाउन” के बल पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना वायरस को परास्त करने का सपना देख रहा है उसकी जमीनी हकीकत अलग ही है. उत्तर प्रदेश में सभी जिलों की समीक्षा करते समय जो रिपोर्ट जिलाधिकारियों ने भेजी उसका अध्ययन करने के बाद यह पता चला उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में लॉक डाउन का पालन मापदंड के अनुसार नहीं किया जा रहा है. इसका मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश के आधे जिले लॉक डाउन के प्रभाव में नहीं वहां पर लॉक डाउन के बाद भी वह चीजें हो रही हैं जो कोरोनावायरस को बढ़ाने के मददगार हो सकते हैं.

असुरक्षित राजधानी :

यूपी के इन 40 जिलो में राजधानी लखनऊ सहित 39 और शहर शामिल है. लॉकडाउन का पालन न होने से शासन नाराज है. अवनीश अवस्थी ने 40 जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिख कर सरकार की नाराजगी से अवगत कराया है.

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इन जिलों में मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, नोयडा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, शामली, आगरा, मथुरा, सहारनपुर, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, सम्भल, लखनऊ, लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, जालौन, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, बस्ती,गोंडा, बहराइच, बलरामपुर प्रमुख है.

बिना योजना हुआ काम

लॉक डाउन को लागू करने में जिस तरह से जल्दबाज़ी की गई उसकी वजह से यह लोक डाउन पूरी तरह से सफल नही हो सका है.

उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में लॉकडाउन का सही तरीके से उपयोग ना होने से सामान्य नागरिकों के लिए कोरोना वायरस का खतरा बढ़ गया है.  लॉकडाउन के फेल होने की सबसे बड़ी वजह जनता का सड़कों पर होना है.कहीं पर लोग भूखों को खाना खिलाने के नाम पर, कहीं पर दूसरे शहरों से अपने गांव घर को जाने के नाम पर यह भीड़ पहले दिन से सड़कों पर दिखाई दे रही है. अगर सरकार ने भूखे गरीबों और दूसरे शहरों से अपने गांव घर को जाने वाले लोगों को ध्यान में रखकर लॉक डाउन की योजना बनाती तो  सड़कों पर भीड़ दिखाई नहीं देती और लॉक डाउन सही मायनों में सफल हो जाता. सरकार ने इसके लिए कोई भी सही इंतजाम नहीं किया लॉक डाउन का लगभग एक महीना बीत रहा है इसके बाद भी अभी भी बड़ी संख्या में लोग दूसरी जगहों पर फंसे हुए हैं। इनको वहां से लाने के लिए अलग अलग तरीके के प्रयास हो रहे हैं. इन प्रयासों में कोरोना वायरस को फैलने में मदद मिल रही है. अगर एक झटके में लॉक डाउनलोड नहीं किया गया होता और पहले लोगों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए कॉलेज और कोचिंग कर रहे बच्चों को अपने घरों तक पहुंचाने का इंतजाम कर लिया गया होता उसके बाद लॉक डाउन किया जाता तो शायद इससे बेहतर परिणाम सामने आते और लॉक डाउन के जरिए कोरोनावायरस को रोकने में सफलता मिल जाती है.

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