कल हमने आपको बताया था, आप अनिद्रा के शिकार क्यों होते जा रहे हैं. आज आप इस कड़ी में पढ़ें अनिद्रा दूर करने के उपाय.
पार्ट-1: आप भी हैं अनिद्रा के शिकार?
अनिद्रा दूर करने के उपाय
अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को दूध का सेवन करना फायदेमंद होता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीएं. ऐसा करने से रोगी को गहरी नींद आती है.
- पीड़ित रोगी को सोने से करीब दो घंटे पहले रात का भोजन कर लेना चाहिए. याद रखें कभी भी खाना खाने के बाद तुरंत सोना के लिए ना जाएं. सोने से पहले हलके गुनगुने पानी से स्नान करना या पैर धोकर सोना भी अच्छा होता है.
- शराब की लत छोड़ दें. शराब हमारे तन्त्रिका तन्त्र को बुरी तरह प्रभावित करती है. शुरू में जरूर लगता है कि शराब पीने के बाद थकान दूर हो गयी या अच्छी नींद आयी, लेकिन बाद में यह लत आपकी नींद को ग्रस लेती है.
- अन्धेरे कमरे में सोएं. कुछ लोग शयनकक्ष में हल्की लाइट जला कर रखते हैं, यह ठीक नहीं है. इससे नींद में खलल पड़ता है और आप गहरी नींद में जाने से रह जाते हैं.
4. नींद न आने पर खुद ही कोई भी दवा ना खा लें. नींद न आने पर हल्का मनपसंद म्यूजिक सुनें या कोई किताब पढ़ें. इससे धीरे-धीरे आपको नींद आ जाएगी. कभी-कभी सिरहाना बदलने से भी अच्छी नींद आ जाती है.
5. शयनकक्ष न तो बहुत ठंडा होना चाहिए और न ही बहुत गर्म. हल्के ठंडे और अंधेरे कमरे में सोना ही बेहतर होता है.
6. दिन के वक्त न सोएं. ऐसा करने से रात को अच्छी और गहरी नींद नहीं आती है.
7. खुद को काम में बहुत ज्यादा न थकाएं. ऐसा करने से शरीर रात भर दर्द और तनाव में रहता है और नींद नहीं आती है.
8. सुखद सेक्स नींद की गोली की तरह काम करता है. अपने पार्टनर के साथ शारीरिक सुख उठाने के बाद आप आराम से नींद की आगोश में जा सकते हैं.
9. अगर पार्टनर के खर्राटे आपकी नींद में खलल डालते हैं तो अलग कमरे में सोएं.
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सोते समय भी दिमाग काम करता है
अधिकतर लोगों को लगता है कि सोते वक्त उनका शरीर और दिमाग दोनों निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं. लेकिन यह सच नहीं है. जब आप सोते हैं तो आपके शरीर और दिमाग में इतनी सारी गतिविधियां होती रहती हैं कि शायद आपको यकीन ही ना हो. नींद के दौरान शरीर और दिमाग आपकी सेहत के लिए कई जरूरी काम निपटाते रहते हैं. हम सोने-जागने को जितनी आसान प्रक्रिया समझते हैं, यह उतनी सरल नहीं है. नींद के दो चरण होते हैं – रैपिड आई मूवमेंट और नौन रैपिड आई मूवमेंट.
रैपिड आई मूवमेंट स्टेज
इसका नाम ऐसा इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दौरान आपकी आंखों की पुतलियां पलकों के पीछे तेजी से मूवमेंट करती रहती हैं. इस स्टेज में आप सबसे ज्यादा सपने देख रहे होते हैं. आपकी धड़कन, शरीर का तापमान, सांस लेना, ब्लड प्रेशर दिन के स्तर पर आ जाता है. आपका सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम जो स्वत: ही प्रतिक्रिया देता है, सक्रिय हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी आपका शरीर स्थिर ही रहता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि रैपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद दिमाग के कचरे को निकालने का काम करती है. आपका दिमाग नींद की इस अवस्था के दौरान उन सारी जानकारियों को डिलीट करने की कोशिश करता है, जिनकी आपको जरूरत नहीं है. कई कठिन पजल्स का जवाब तब लोग ज्यादा अच्छे से दे पाते हैं जब वे अच्छी नींद लेकर उठते हैं. नींद लेने के बाद लोग चीजें ज्यादा बेहतर ढंग से याद कर पाते हैं और कई काम भी अच्छे से कर पाते हैं. जिन लोगों को नींद की दूसरी अवस्थाओं के मुकाबले पर्याप्त रैपिड आई मूवमेंट स्टेज की नींद नहीं मिलती है, वे लोग इस फायदे से वंचित हो जाते हैं.
नौन रैपिड आई मूवमेंट स्टेज
जब आप सोना शुरू करते हैं तो वह अवस्था नौन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप कही जाती है और आप अपने आराम का ज्यादातर वक्त इसी में गुजारते हैं. सबसे पहले हल्की नींद की एन-1 स्टेज आती है और फिर एन-2 और उसके बाद गहरी एन-3 स्टेज. इस दौरान आपका दिमाग धीरे-धीरे बाहरी दुनिया की तरफ से कम रिस्पौसिंव होता जाता है और एन-3 स्टेज में जगना मुश्किल होता है. इस स्टेज में आपके विचार और शरीर के ज्यादातर काम सुस्त पड़ जाते हैं. आप अपनी नींद का आधे से ज्यादा हिस्सा एन-2 फेज में बिताते हैं, जहां पर वैज्ञानिकों के मुताबिक, आप लौन्ग टर्म मेमोरीज मिटाने का काम करते हैं.
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नींद के चक्र
पूरी नींद के दौरान आप कम से कम 3 से 5 बार सारी स्टेज से होकर गुजरते हैं. पहली बार की रैपिड आई मूवमेंट स्टेज केवल कुछ मिनटों की होती है, लेकिन नये साइकल के साथ यह लम्बी होती जाती है. यह स्टेज करीब डेढ़ घंटे तक लम्बी चल सकती है. जबकि एन-3 स्टेज हर नये साइकल के साथ छोटी होती जाती है. अगर आपकी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप किसी भी वजह से खराब हो जाती है तो आपका शरीर अगली रात में इसकी भरपाई करने की कोशिश करता है. कभी-कभी लोग यह कहते सुने जाते हैं कि आज भी मैंने वही कल रात वाला सपना देखा. तो यह इसी वजह से हुआ क्योंकि आपकी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप किसी वजह से खराब हो गयी थी. जब आप युवा और स्वस्थ होते हैं तो इस दौरान रात की नींद का पांचवा हिस्सा गहरी नींद यानी एन-3 स्टेज में ही खर्च करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है और 65 की उम्र पार कर जाते हैं तो यह स्टेज बहुत कम हो जाती है. ऐसे में व्यक्ति अनिद्रा का शिकार हो जाता है. बहुधा थोड़ी सी अनिद्रा से भी रोगी के मन में चिन्ता उत्पन्न हो जाती है. इससे उसके अन्दर चिड़चिड़ापन और हताशा बढ़ने लगती है. ये महत्त्वपूर्ण है कि आप ऐसे व्यक्ति के साथ धीरज से काम लें और समस्या से निपटने में उनकी मदद करते रहें. उनसे उनकी समस्याओं के बारे में बात करें. अगर उन्हें किसी बात की चिंता है, तो हो सकता है बात करने से उनका मन हल्का हो जाए और बेहतर नींद ले पाएं. इसके अलावा हलके हाथों से सिर और बदन की मालिश उन्हें राहत देती है और वे आराम से सो जाते हैं. अगर समस्या गम्भीर है, तो आप उन्हें डौक्टर के पास चलने की सलाह दे सकते हैं.