पूरे नौ वर्षों तक लगातर टीवी काम करते हुए मौनी रौय ने ‘कसम से’, ‘देवो के महादेव’ और ‘नागिन’ जैसे कई सीरियलों में अभिनय कर जबरदस्त शोहरत बटोरी. उसके बाद अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘गोल्ड’ में अभिनय कर फिल्मों में कदम रखा. ‘गोल्ड’ को अच्छी, खासी सफलता मिली, जिसके चलते वह जौन अब्राहम के संग फिल्म ‘रा’ में नजर आयीं. अब वह राज कुमार राव के साथ मिखिल मुसाले निर्देशित ‘मेड इन चाइना’ में नजर आने वाली हैं. जो कि 25 अक्टूबर को प्रदर्शित होगी. इसके अलावा मौनी रौय इन दिनों आलिया भट्ट, रणबीर कपूर व अमिताभ बच्चन के साथ ‘ब्रम्हास्त्र’ के अलावा दूसरी फिल्में भी कर रही हैं.
प्रस्तुत है मौनी रौय के संग हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश…
पिछली फिल्म ‘‘रा’’ को कैसा रिस्पांस मिला?
बहुत अच्छा रिस्पांस मिला. लोगों ने मेरे किरदार को काफी सराहा. पहली बार लोगों ने मुझे एकदम अलग किरदार में देखा, पहली बार लोगों ने मुझे अंडरस्टेटेड किरदार में देखा, जहां मै चुलबुली नहीं थी. यह एकदम साफ और फोकस्ड किरदार रहा. जिस तरह से एक भारतीय डिप्लोमेट को होना चाहिए. इसी तरह के भारतीय डिप्लोमेट सत्तर के दशक में हुआ करते थे. मैं काफी यात्राएं करती रहती हूं. यात्रा के दौरान भी लोगों से अच्छे रिस्पांस मिले. दुबई मे एक प्रशंसक ने कहा कि मेरा किरदार इम्पावरिंग और एकदम सटीक था. लोगों ने मुझे इस तरह के किरदार में देखने की उम्मीद नहीं की थी. उन्हें लगा था कि मैं नाचते गाते या चुलबुली लड़की के ही किरदार में नजर आउंगी.
आपको नहीं लगता कि ‘‘रा’’ से आपकी ईमेज में बदलाव आया?
मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं. टीवी पर भी मुझे विविधतापूर्ण किरदार निभाने का मौका मिले. टीवी पर मैं नौ वर्ष से काम करती आयी हूं. मैंने देवों के देव महादेव, नागिन, झलक दिखला जा जैसे कई सीरियल किए. इसीलिए मैं लगातार काम कर रही हूं. अब मैं ‘मेड इन चाइना’ को लेकर अति उत्साहित हूं.
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फिल्म ‘‘मेड इन चाइना’’ से जुड़ने की कोई खास वजह?
फिल्म की कहानी, स्क्रिप्ट और निर्देशक बहुत खास हैं. इसके अलावा इस फिल्म का निर्माण कर रही कंपनी ‘मैडाक फिल्मस’ ने अब तक अमेजिंग विषयों पर अमेजिंग फिल्मों का निर्माण किया है. जब उन्होंने मुझे यह कहानी सुनायी तो मै एक्साइटेड हो गयी. मैं मूलतः बंगाली हूं और मुझे इसमें गुजराती हाउस वाइफ का किरदार निभाना था, यह सुनकर मैंने कहा कि मुझे यह फिल्म करनी है. मेरे लिए यह किरदार काफी चुनौतीपूर्ण लगा.
अपने किरदार के लिए आपने किस तरह का होमवर्क किया?
बहुत कुछ करना पड़ा.सबसे हम सभी के लिए किरदार के सही लुक को पकड़ना आवश्यक था. जब किरदार के अनुरूप लुक सही हो जाए, तो आधा काम हो जाता है. लुक को अंतिम रूप देने में स्टाइलिश शीतल के अलावा निर्देशक सहित पूरी टीम ने काफी योगदान दिया. शीतल ने मुझे एकदम गुजराती बना दिया. उसके बाद लेखकों ने बैठकर मुझे संवाद का एक एक वाक्य समझाया.
गुजरातियों की अपनी एक अलग भाषा के साथ बौडी लैंग्वेज भी अलग है. उसे आपने कैसे पकड़ा?
मैंने अहमदाबाद जाकर कई गुजराती घरेलू महिलाओं से मुलाकात की. इसके अलावा सेट पर भी हमेषा एक गुजराती लड़की हमारे साथ होती थी,जो कि मुझे मैनेरिजम की बारीकियों से अवगत कराती थी.दूसरी बात निर्देषक नहीं चाहते थे कि मेरा किरदार पूरी तरह से गुजरातियों का कैरीकेचर नजर आए.इसके अलावा मेरा किरदार काफी अलग है.रूक्मणी गुजराती होते हुए भी मुंबई या दिल्ली जैसे महानगर में रही है और उसकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं, वह अपनी जिंदगी में काफी कुछ करना चाहती है. फिर जब उसे रघु से प्यार हो जाता है, तो वह किस तरह सब कुछ छोड़कर रघु के साथ अहमदाबाद में रहती है. इसलिए वह गुजराती एसेंट मे कम सामान्य हिंदी में ही ज्यादा बात करती है.
दर्शक फिल्म क्यों देखना चाहेगा?
यह फिल्म एक मध्यमवर्गीय दंपति की यात्रा है. यह कहानी उस इंसान की है जो कि लूजर है, पर हर बार वह नई नई आइडिया लेकर आता है और व्यापार में सफल होना चाहता है. अंततः एक मोड़ पर उसे सफलता मिलती है. इसके साथ ही काफी फन एलीमेंट है. अंडररेटेड जोक्स हैं. यह पूरी तरह से एक पारिवारिक फिल्म है. इसमें राज कुमार राव, बोमन ईरानी, गजराज राव,सुमित व्यास व परेश रावल जैसे दिग्गज कलाकार हैं.
राजकुमार राव, बोमन ईरानी व परेश रावल के साथ आपकी यह पहली फिल्म है. क्या अनुभव रहे?
परेश रावल के साथ मेरे सीन नही है. बोमन ईरानी के साथ सिर्फ गाने में हूं. राज कुमार राव साथ काम करके काफी कुछ सीखा. वह ब्रीलिएंट कलाकार हैं. जबकि शुरूआत में मैं थोड़ा सा हिचक रही थी कि मैं राज कुमार राव के साथ कैसे काम करुंगी. क्योंकि जब आप किसी बेहतरीन कलाकार के साथ काम करते हैं, तो आपके सीन को भी वह बेहतर बना देते हैं. आपको उसके साथ काम करके काफी कुछ सीखने को मिलता है. राज कुमार राव से मैने बहुत कुछ सीखा.
पर आप डरी हुई क्यों थी?
बात डर की नहीं, बल्कि आपको अंदर से लगता है कि आप एक ऐसे क्लेबर के कलाकार के साथ काम करने जा रहे है, तो आप क्या कर पाएगी. फिर नर्वसनेस होना अच्छी बात होती है. मैं हर सीरियल या फिल्म के सेट पर पहले दो दिन नर्वस रहती हूं क्योंकि तब हमारे दिमाग में किरदार को लेकर कई चीजे चल रही होती हैं. जब किरदार का टोन तय हो जाता है, तब सब कुछ ठीक हो जाता है. नर्वसनेस का होने का मतलब है कि आप अपने काम को गंभीरता से लेते हैं.
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मेकअप/लुक सही हो तो उसका फायदा अभिनय में मिलता है?
बिलकुल..लेकिन आपको उतनी ही इमानदारी के संग काम भी करना पड़ता है. मसलन, जब हमें राजस्थानी किरदार निभाना है और हमने राजस्थानी घाघरा व चोली पहनी है, पूरी तरह से राजस्थानी लग रही हूं, तो वह अभिनय में मददगर साबित होता है. ऐसा ही रूक्मणी के किरदार के साथ हुआ. मैं लुक वाइज गुजराती लग रही थी.