Operation Sindoor : भारतीय जनता पार्टी पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा की गई हत्याओं को उसी तरह भुना रही है जैसे महाभारत में युधिष्ठिर की जुआ खेलने की गलत आदत के नाम पर गीता के उपदेश को देश पर थोप कर की गई थी. पहलगाम में हुई 26 निर्दोष भारतीयों की मौतों की जिम्मेदारी मोदी के कंधे पर न आ जाए, इस के लिए पाकिस्तान पर बमबारी की गई और 4 दिनों में ही बिना वाजिब कारण बताए, बिना कोई ठोस परिणाम के ‘दूसरों’ के कहने पर बंद कर दी.

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम में अपने कुकृत्य से भारतीय औरतों के सिंदूर को मिटा डाला था जिस का औपरेशन सिंदूर को अमल में ला कर बदला ले लिया गया. लेकिन अब पूरी भारतीय जनता पार्टी देश में उन सधवाओं को सिंदूर बांटती फिर रही है जिन के पति सुरक्षित हैं.

युधिष्ठिर का जुआ खेलना गलत था, द्रौपदी का हरण गलत था, मिले राज्य को खोना गलत था पर फिर भी कुरुक्षेत्र का युद्ध धर्मयुद्ध बना डाला गया और दुर्योधन को खलनायक बना डाला जबकि परिवार के सारे बड़ेबूढ़े दुर्योधन के साथ थे.

अपनी गलतियों को छिपाना और उन पर पानी फेरना हमारी संस्कृति का हिस्सा है. शकुंतला का दुष्यंत से प्रेम एक तरह से अनैतिक था पर उन के बेटे को भरत का नाम दे दिया गया. हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को अपनी तरह से चलाना चाहता था पर उस की बहन और नरसिंह अवतार को ला कर उसे मिला राज उस से छीन लिया गया. गलती देवताओं की थी उन्होंने दस्यु राजा के हाथों पराजय क्यों पाई? उस गलती को स्वीकार न कर हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद का महिमामंडन कर डाला गया.

औपरेशन सिंदूर वैसा ही था. सिंदूर लगाना अपनेआप में एक विवादास्पद काम है क्योंकि यह एक औरत की निजता पर सामाजिक प्रहार है. ब्रेनवाश हुई औरतें इसे लगा भी रही हैं तो यह देश केवल हिंदू सधवाओं का तो नहीं है कि देशरक्षा को सिर्फ विवाहित औरतों से जोड़ा जाए. उस से ज्यादा शिकायत की बात यह है कि अब भारतीय जनता पार्टी वाले कमल वाला दुपट्टा डाल कर, कमल वाली टोपी पहन कर सिंदूर बांट रहे हैं जो कोरा चुनावी नारा ही है. 26 लोगों की लाशों पर दुख प्रकट करने के स्थान पर विवाहित औरतों के खोए जीवनसाथियों के नाम पर कमल चुनावचिह्न वाली भाजपा का वोट बटोरना घोर अनैतिकता वाला काम है. महाभारत के युद्ध की तरह यह एक अधर्म युद्ध है.

देश की रक्षा करने के लिए देश का हर व्यक्ति तैयार है. जो लड़ सकता है वह लड़ेगा. जो लड़ नहीं सकता वह टैक्स दे कर हथियारों के खरीदने, सेना को सहायता देने आदि को तैयार है. लेकिन देशरक्षा को जब पार्टीरक्षा बना दिया जाएगा तो आपत्ति होगी ही. औपरेशन सिंदूर अगर सेना ने नाम दिया था तो किसी राजनीतिक पार्टी को कोई हक नहीं कि वह इस को रातदिन भुनाती रहे.

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