डाइटिंग पर पैसा खर्चने से हम सदैव पतले रहेंगे, यह जरूरी तो नहीं. मोटापा आधुनिक सभ्यता की देन है. कुछ दशकों पूर्व तक भारतीय कुपोषण के शिकार थे, जबकि मोटापा केवल विकसित देशों में पाया जाता था. किंतु आज भारत में कुपोषण व मोटापा दोनों ही हैं.
देखा जाए तो पिछले कुछ समय में लोगों की सोच, रहनसहन और जीवनशैली में काफी बदलाव आए हैं. समय बड़े रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. इसी के साथ युवाओं के जीने का तरीका बदला है.