विशेषज्ञों ने कह दिया है कि हमें कोरोना के साथ ही रहने की आदत डालनी होगी. हो सकता है इसका वैक्सीन बन जाए और हो सकता है कभी ना बन पाए. ऐसे में इंसानी जीवन को बचाना है तो जीने के तौर-तरीकों में बहुत सारे बदलाव करने होंगे. कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की चूलें हिला दी हैं. सभी देशो को अब अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की चिंता है. इसलिए सब जल्दी ही एक नार्मल ज़िंदगी की तरफ बढ़ना चाहते हैं. इसमें भारत भी शामिल है. यहाँ भी धीरे-धीरे लॉक डाउन हटाया जा रहा है. लोग घर से बाहर निकल रहे हैं. थोड़े ही दिनों में ऑफिस, दूकान, फैक्ट्री, मॉल फिर से लोगो से गुलज़ार होने लगेंगे. आखिर हमें काम धंधा तो शुरू करना ही है. घर बैठे-बैठे तो ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी नहीं हो सकती हैं. बच्चे स्कूल जाएंगे. माता पिता अपने-अपने दफ्तरों को जाएंगे. मजदूर मीलों-फैक्टरियों में लगेंगे, लेकिन सब के दिलों में बीमारी और मौत का खौफ बना रहेगा.
कोरोना ने इंसान को उसी दिशा में धकेलना शुरू कर दिया है, जहाँ से निकल कर आधुनिक बनने में सैकड़ों साल लग गए. पश्चिमी देश जो आधुनिकता का पर्याय बन गए हैं और जो मुस्लिम देशो की भर्त्सना करते नहीं थकते थे कि वो आज भी लबादा, बुर्का, हिजाब जैसे वस्त्रों में अपनी औरतों को गुलाम बना कर रखते हैं. देखिये आज कोरोना ने पश्चिमी सभ्यता को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को लबादे और हिजाब में लिपट जाने को मजबूर कर दिया है. अब औरतें ही नहीं मर्द भी अपना मुँह ढंकने को मजबूर हैं. अब सरदारों की पगड़ियाँ, मुस्लिम औरतों का बुर्का, शेखों का लबादा पश्चिमी सोच रखने वालों के लिए हास्य का विषय नहीं होगा. दिन में पांच से सात बार खुले पानी से वज़ू करने जैसी सदियों पुरानी मुस्लिम रीति को भी अपनाना पडेगा जिसमे हाथ, पैर, मुँह, नाक, आँख, कान सब पानी से साफ किये जाते हैं. कोरोना काल में इंसान को घर से बाहर निकलने और अपनी जीविका चलाने की आज़ादी अब इन्ही बंधनो के साथ मिलेगी. कोरोना वायरस से अपनी जान बचानी है तो इन बंधनो को स्वीकार करना होगा और इनको अपनी आदत बनानी होगी.
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भारत अनलॉक के पहले चरण में है और कोरोना केसेस में भारी उछाल देखा जा रहा है. ये संख्या आने वाले समय में बहुत तेज़ी से बढ़ेगी और डराएगी. लेकिन डर के आगे जीत है. अब जब कोरोना के साथ ही रहना है तो उसको अपने से दूर रखने के रास्ते भी तैयार करने होंगे बिलकुल वैसे ही जैसे हमने एचआईवी, इबोला, एवियन इन्फ्लूएंजा, सार्स और मर्स जैसी बीमारियों के साथ रहते हुए उनसे बचाव के रास्ते बना लिए हैं. इन बीमारियों के भी आजतक कोई वैक्सीन नहीं बन पाए हैं. इन बीमारियों के वायरस इस दुनिया में हमारे साथ, हमारे आस पास ही रहते हैं मगर हमने इनसे बचने के तरीके सीख लिए हैं. कोरोना के साथ भी हमें ऐसा ही करना होगा.
कोरोना के बारे में सभी को ये पता चल चुका है कि इसका वायरस छींकने, खांसने से फैलता है. ये विषाणु मुंह और नाक से निकले पानी की नन्ही बूंदो में रहता है और हवा के माध्यम से चलता है. ये किसी भी स्वस्थ शरीर में आँख, नाक, मुँह के ज़रिये घुस कर उत्पात मचाता है. ऐसे में इसके प्रवेश के रास्तों में ही व्यवधान उत्पन्न करना होगा.
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कोरोना काल में ऑफिस जाने को लेकर आपको बहुत ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होगी और आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि इस माहौल में ऑफिस, मिल, फैक्ट्री या अन्य कार्यस्थलों पर जाते वक़्त क्या सावधानियां बरतने और क्या बदलाव लाने की जरूरत है.
हाथ रहें वायरस मुक्त
सबसे ज़रूरी है कि आपके हाथ साफ़ और वायरस मुक्त रहें. इसके लिए सेनिटाइज़र का भरपूर इस्तेमाल शुरू हो गया है. आजकल सेनिटाइज़र की बहुत बड़ी खेप मार्किट में उतर चुकी है. हर दुकानदार सेनिटाइज़र बेच रहा है. रंग-बिरंगे पैक में तमाम कंपनियों ने सेनिटाइज़र आपको लुभा रहे होंगे. हरेक के बारे में दुकानदार बढ़ चढ़ कर बताते हैं कि ये सबसे अच्छा है या वो सबसे अच्छा है. खैर आप जो भी खरीदें मगर ध्यान रहे कि सिर्फ इसके भरोसे ना रहें, साबुन और पानी का इस्तेमाल भी करते रहें. हम बताते हैं कि क्यों ?
हैंड सैनिटाइजर को बनाने में कई प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं यह कीटाणुओं को अच्छी तरह से मार सके इसलिए इसमें अल्कोहल की मात्रा भी बहुत अधिक होती है. हाथों को विषाणु मुक्त करने के लिए लोग हाथो पर सेनिटाइज़र की चंद बूंदे ही काफी समझते हैं. ये बात ठीक है कि सेनिटाइज़र में उपस्थित अल्कोहल विषाणु को ख़त्म कर देता है, लेकिन सिर्फ सेनिटाइज़र की इस्तेमाल कुछ दूसरी परेशानियों को जन्म दे सकता है. इसलिए सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करने के बाद हाथों को साबुन वाले पानी से धोना और साफ़ तौलिये से पोछना भी आवश्यक है. कुछ खाने से पहले तो ये बहुत ज़रूरी होगा.
दरअसल सेनिटाइज़र में उपस्थित अल्कोहल और अन्य केमिकल की मात्रा यदि ज़्यादा है तो ये रोटी, सलाद, बिस्कुट आदि के साथ हमारे मुँह और पेट में जाएगा. इससे फूड प्वाइजनिंग का खतरा बढ़ता है और आपको पेट से जुड़ी कई बीमारियां भी हो सकती हैं. कुछ लोग सेनिटाइज़र को हाथों में लगाने के बाद वही हाथ अपने मुँह और गर्दन आदि जगहों पर फिरा लेते हैं. इससे खुजली की समस्या पैदा हो सकती है. संवेदनशील त्वचा पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है और घमौरियों की तरह छोटे दाने उभर सकते हैं. हाथों में भी लगातार सेनिटाइज़र का इस्तेमाल त्वचा को रूखा और रैशेज़ युक्त बना सकता है. इसलिए सेनिटाइज़र का इस्तेमाल वायरस को ख़त्म करने के लिए अवश्य करें मगर उसके बाद हाथों को अच्छे साबुन और पानी से भी धोएं. मॉइश्चराइज़र का भी प्रयोग करते रहें. अच्छा होगा कि आप ग्लीसरीन युक्त सेनिटाइज़र यूज़ करें. ऐसा सेनिटाइज़र आप घर पर भी बना सकते हैं. स्पिरिट, ग्लीसरीन और गुलाबजल से ऐसा सेनिटाइज़र आसानी से घर में बन सकता है जिसमे हानिकारक रासायनिक तत्व नहीं होंगे.
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हर वक़्त सेनिटाइज़र का इस्तेमाल खतरनाक है. यह तो हम सभी को पता है कि हमारे शरीर में अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के बैक्टीरिया रहते हैं. ठीक उसी तरह हमारे हाथों पर भी कुछ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो हमें एंटीबॉडीज से बचाने का काम कर सकते हैं. लगातार हैंड सैनिटाइजर से हाथ साफ करने के कारण हाथों पर मौजूद अच्छे बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे. इसके बाद कई प्रकार के गंभीर और खतरनाक बैक्टीरिया जब हाथों पर चिपकेंगे तो उनको ख़तम करने वाले बैक्टीरिया वहां नही होने से वो हमारी सेहत को नुक्सान पहुचायेंगे. खराब बैक्टीरिया को मारने के लिए आपको बार-बार हैंड सैनिटाइजर की ही जरूरत पड़ने लगेगी. इसलिए हैंड सैनिटाइजर को लगातार इस्तेमाल करते रहने से अच्छा रहेगा कि अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं.खासकर जब आप घर में रहे तो हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल ना करके साबुन और पानी से हाथ साफ़ करें.
हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहना कुछ लोगों के लिए मजबूरी है. यह लोग दुकानदार हो सकते हैं या फिर ऐसे लोग जो लगातार एक दूसरे से किसी भी सामान का आदान प्रदान कर रहे हैं. ऐसे लोगों को हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल करना जरूरी ही है. इस स्थिति से गुजर रहे लोग अपने हाथों में सैनिटाइजर लगाने के बाद किसी भी चीज को खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए और किसी साफ तौलिए से अपने हाथ के पानी को साफ करना चाहिए.
महिलायें हाथों में सेनिटाइज़र लगा कर तुरंत आग के पास हरगिज़ ना जाएँ क्योंकि सेनिटाइज़र में उपस्थित अल्कोहल आग पकड़ सकता है. चूल्हे पर खाना बनाने जा रही हों तो सेनिटाइज़र नहीं, बल्कि साबुन और पानी से ही हाथ धोएं.
मास्क लगाना जरूरी
कोरोना से जान बचानी है तो मुँह छिपाना होगा. बेहतर होगा की सर को भी ढंका जाए. आप अपने चेहरे को फेस शील्ड से भी ढंक सकते हैं. घर से बाहर निकलते ही मास्क लगाना और ऑफिस या कार्यस्थल पर मास्क पहनना ही बीमारी से बचे रहने का उपाय है. हालांकि घर में रहने के दौरान मास्क पहनने की ज़रूरत नहीं है. इसी तरह अगर आप मॉर्निंग वाक के लिए जा रहे हैं तो पार्क आदि में पहुंचने पर यदि आपके आसपास लोग नहीं हैं तो आप मास्क थोड़ी देर के लिए उतार सकते हैं. मास्क इसलिए ज़रूरी है ताकि हवा में उपस्थित पानी की नन्ही बूंदों में अगर वायरस आपके आसपास घूम रहा है तो सांस के साथ वो आपके मुँह या नाक के ज़रिये शरीर में प्रवेश ना कर जाए. लिहाज़ा मुँह छिपा लीजिये दुनिया से.
मास्क के बारे में भी कुछ सावधानिया रखने की ज़रूरत है. बाजार में मिलने वाले मास्क सेनिटाइज़ करने के बाद ही पहने क्योंकि उनमे सैकड़ों लोगों के हाथ लगे हैं. आजकल सड़कों पर बहुतेरे फेरी वाले अपनी डंडियों पर मास्क लटका कर बेच रहे हैं. गरीब आदमी तो यही 10 या 20 रूपए वाला मास्क खरीद कर पहन रहा है. ये खतरनाक है. इस मास्क को डेटोल के पानी से धोने और सुखाने के बाद ही इस्तेमाल करें.
बाजार से खरीदा गया मास्क दो या तीन बार से ज़्यादा यूज़ ना करें. बेहतर होगा घर पर सूती कपडे के कुछ मास्क बना कर रख लें और उन्हें ही धो धो कर इस्तेमाल करें. घर में बना सूती मास्क चेहरे को गरम नहीं करेगा, जबकि बाजार का सिंथेटिक मास्क चेहरे को गरम करता है. इसको लगाने पर अंदर पसीना आता है, सांस घुटती है और इसे बार-बार चेहरे से हटा कर रुमाल से चेहरा साफ़ करना पड़ता है. ये तरीका आपको बीमारी से कितने दिन बचा पायेगा ? फिर सिंथेटिक मास्क चेहरे की नरम त्वचा पर रैशेज़ पैदा कर सकते हैं. जो चीज़ आपको दिन भर लगाए रखनी है वो आपकी त्वचा को आराम देने वाली होनी चाहिए. मास्क ऐसा होना चाहिए जिसमे से हवा आसानी से निकल सके और नाक द्वारा छोड़ी गयी गन्दी गर्म कार्बनडाईऑक्साइड एवं अपनी सांस की दुर्गन्ध से आप बचे रहें.
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कार्यस्थलों पर पडेगा आर्थिक बोझ
कोरोना से बचना है तो दफ्तरों को सेनिटाइज़ करवाने का अतिरिक्त खर्चा मालिकों को वहन करना होगा. कई दफ्तरों में तो एडमिन स्टाफ की ड्यूटी रात की कर दी गयी है जो रात भर ऑफिस को सेनिटाइज़ करते हैं ताकि सुबह लोग संक्रमण रहित स्थानों पर बैठ कर काम कर सकें.
ऑफिस, मिलों, फैक्टरियों आदि में थर्मल स्कैनिंग और सैनिटाइजेशन कम्पलसरी होंगे. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखना होगा. पहले जहां लोगों के कंप्यूटर पास-पास रखे होते थे या जहाँ सीटिंग अरेंजमेंट पास-पास था, वहां दूरी बढ़ानी होगी. छोटे दफ्तरों में ये काम आसान नहीं होगा. उन्हें या तो अपने स्टाफ में कटौती करनी पड़ेगी, शिफ्टों में काम करवाना पडेगा अथवा बड़ी जगह देखनी होगी. शिफ्टों में काम करवाने पर बिजली, इंटरनेट का अतिरिक्त भुगतान करना होगा. ये अतिरिक्त परेशानी मालिकों की टेंशन बढ़ाएगा. स्कूल-कॉलेज, कोचिंग क्लासेज खुलने पर ये सारी अतिरिक्त सावधानियां और खर्चे वहन करने ही होंगे. हो सकता है इसका बोझ स्टूडेंट्स के माता-पिता की जेबों पर ही पड़े.
कार्यस्थलों और स्कूल-कॉलेज में शौचालयों को साफ़ और सेनिटाइज़ करना, वहां भरपूर मात्रा में हैंड सेनिटाइज़र, पेपर सोप, डेटोल और पानी का इंतज़ाम रखना होगा. इसमें काफी अतिरिक्त खर्चा आएगा.
अपनी चीज़ें साथ ले कर चलें
पहले जहाँ आप अपने ऑफिस में मोबाइल चार्जर, ईयर फ़ोन आदि मांग कर इस्तेमाल कर लेते थे, अब आपको इस आदत को बदलना होगा. अपना ईयरफोन, चार्जर, पॉवर बैंक और लैपटॉप का चार्जर आदि आपको साथ लेकर चलना होगा, क्योंकि कोरोना काल में दूसरों की चीज़ें आपको वायरस के संपर्क में ला सकती हैं. इसके अलावा अपना लंच बॉक्स, पानी की बोतल और ज़रूरी दवाएं भी हर वक़्त साथ रखनी होंगी. अगर आपको ऑफिस में चाय और कॉफी पीने की आदत है तो अपने साथ घर से ही टी बैग्स वगैरह लेकर निकलें. ऑफिस की पैंट्री की चीजें इस्तेमाल ना करें. अपना कप अपना चम्मच ही इस्तेमाल करें. यही नहीं पार्किंग स्थल पर भी आपको पूरी सावधानी रखने की ज़रूरत है. आपकी कार या स्कूटर के जिन हिस्सों पर लोगों का हाथ सबसे ज्यादा लगने की संभावना है, उन्हें छूने से पहले साफ जरूर करें.
इन तमाम बड़ी सावधानियों के साथ कुछ छोटी सावधानिया भी रखनी होंगी, जैसे –
– ऑफिस की लिफ्ट कम ही इस्तेमाल करें क्योंकि उसके बटन पर बहुत सारे लोगों के हाथ लगते हैं. फिर लिफ्ट में किसी ने छींका हो या खाँसा हो तो पानी की नन्ही बूंदो में कोरोना वायरस भी हवा में हो सकते हैं, जो आपको संक्रमित कर सकते हैं.
– घर पहुंचते ही अपने सारे कपड़े वॉशिंग मशीन में डाल दें.
– नहाने से पहले किसी को भी छुएं या बात न करें.
– घर आने के बाद आप गरारे और भाप भी ले सकते हैं.
– अगले दिन नया फेस मास्क इस्तेमाल करें.
– अपने लंच बैग, मोबाइल फोन और लैपटॉप आदि को घर आने के बाद सैनिटाइज जरूर करें.