उत्तर प्रदेश के नॉएडा से एक मामला सामने आया है. जिसने मानवता को फिर शर्मशार कर दिया है. मामला एक गर्भवती महिला का है. जिसकी मौत की जिम्मेदार पूरी तरह से सरकारी अव्यवस्था है. घटना यह है कि 5-6 जून की रात नॉएडा में 8 महीने की गर्भवती महिला को लेकर उसका परिवार 13 घंटो तक कई अस्पतालों के चक्कर काटता रहा. लेकिन सभी अस्पतालों ने गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया, जिस कारण अंत में उसकी मौत हो गई.

महिला गाजियाबाद जिले के खोड़ा कॉलोनी की रहने वाली थी. शुक्रवार रात महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी. परिवारजन पीड़ित महिला को ऑटो रिक्शा में बैठा कर नॉएडा के सेक्टर 24 में स्थित बीमा राज्य कर्मचारी निगम के अस्पताल लेकर पहुंचे. वहां डॉक्टरों ने पीड़ित महिला को लेने से इनकार कर दिया. जहां से महिला को एम्बुलेंस में दूसरे निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी अस्पताल ने लेने से साफ़ मना कर दिया.

यही कारण था कि पूरी रातभर परिजन अस्पताल दर अस्पताल के चक्कर काटते रहे. खबर के मुताबिक शुक्रवार रात से लेकर अगली सुबह तक पीड़ित महिला के साथ परिजन ने लगभग 8 अस्पतालों के चक्कर काटे. जिसमें जेम्स, मेक्स, शिवालिक, शारदा और ईएसआईसी जिला अस्पताल इत्यादि शामिल है. लेकिन किसी ने भी महिला को भर्ती नहीं किया. अस्पतालों को महिला के कोरोना होने का डर था.

ये भी पढ़ें-प्रकृति की कद्र करें

परिवार का कहना है कि अस्पताल में भर्ती करने से पहले कई जगह कोविड-19 की रिपोर्ट मांगी जा रही थी. कई जगह बेड की कमी बताई जा रही थी. जिस कारण अस्पताल वाले लेने से मना कर रहे थे. यहां तक कि उनका आरोप है कि उसी रात नॉएडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती करने से पहले उन्होंने टेस्ट करने के लिए 5000 रूपए दिए लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें बिना पैसे लौटाए वहां से भी भगा दिया गया. 13 घंटे इलाज की तलाश में भटकने के बावजूद आखिर में महिला ने अपना दम तोड़ दिया जिसके बाद पेट में पल रहा बच्चे की भी मौत हो गई.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...