Religion : सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई जिस में कुछ मलेशियाई मुसलिम लड़कियां बिना हाथ लगाए निक्कर पहनने की कोशिश करती हुई दिख रहीं हैं. माहौल किसी कम्पटीशन का है. जिस में चार या पांच लड़कियां हिस्सा लेती दिख रही हैं. लड़कियों के चारों ओर अच्छी खासी भीड़ है. लोग तालियां पीट रहे हैं. इस भीड़ में पुरुष भी शामिल हैं. जो सहजता से मुसलिम लड़कियों के इस कम्पिटिशन में उन्हें अप्रिशिएट कर रहे हैँ.
भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश की मुसलिम लड़कियों के बीच क्या इस तरह के कम्पटीशन की कल्पना की जा सकती है? नहीं, क्योंकि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कुछ देशों को छोड़ कर बाकी मुसलिम देशों ने इसलाम को कभी सीरियसली लिया ही नहीं. यही कारण है कि आप तमाम मुसलिम मुल्कों में घूम आइए आप को दाढ़ी का कल्चर कहीं नहीं मिलेगा. यहां तक की सऊदी अरब में भी बिन मूछों की लम्बी दाढ़ी का रिवाज़ नहीं है. तुर्की, ईरान, इराक, यमन, ओमान, जौर्डन और फिलिस्तीन में भी नहीं है.
मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर में भी 95 फीसदी मुसलिम आबादी क्लीन शेव में नजर आएगी. दाढ़ी के बोझ के साथ ही बहुत से इसलामिक रूल्स यहां बेमतलब होते हैं जैसे लाउडस्पीकर पर अजान, पांच वक्त नमाज, कुर्बानी, तिलावत, हकीका, जियारत, मिलाद और कुरानखानी वगैरह लेकिन भारत पाकिस्तान बांग्लादेश वो मुल्क हैं जो नएनए मुल्ला हुए हैं. यहां दाढ़ी के लंबे बोझ के साथसाथ तमाम तरह के इसलामिक अकीदों का भार मुसलमानों ने अपने ऊपर लादा हुआ है यह जानते हुए भी की सऊदी अरब तक अब इन बातों को सीरियसली नहीं लेता क्योंकि इसलाम सऊदी अरब के लिए धर्म बाद में है पहले इकोनोमी का सब से बड़ा साधन है.
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