भारत-चीन सेनाओं के बीच हुई हालिया हिंसक झड़प के बाद देशवासियों द्वारा चीनी सामानों के बहिष्कार की उठती मांग पर देश की सरकार का कोई बयान नहीं आया है. उलटे, सरकार ने सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे उस और्डर को पूरी तरह फेक बताया है जिस में दावा किया गया था कि सरकार ने चीन के ऐप्स पर रोक लगाने से जुड़े आदेश दिए हैं. वायरल हो रहे मैसेज में यहां तक कहा गया था कि गूगल और ऐपल को चाइनीज ऐप्स पर रेस्ट्रिक्शंस लगाने के निर्देश सरकार की ओर से दिए गए हैं. पत्र सूचना कार्यालय यानी पीआईबी के औफिशल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा गया है कि यह और्डर पूरी तरह फेक है और ऐसा कोई भी आदेश भारत सरकार या मंत्रालय द्वारा किसी को नहीं दिया गया है.

यह सच है कि आर्थिक व तकनीकी क्षेत्र में भारत और चीन का सहयोग बहुत ज्यादा आगे बढ़ चुका है. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि दोनों देश एकदूसरे की ज़रूरत बन गए हैं. इस समय दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सामरिक स्तर पर गतिरोध पाया जाता है, लेकिन अगर इकोनौमी और टैक्नोलौजी के नजरिए से देखें, तो दोनों देशों के संबंध बहुत मज़बूत नज़र आते हैं.

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सामान के बायकौट पर अंतर्राष्ट्रीय रूल :

बिना सोचेसमझे कुछ भी बकने की भाजपाई अंधभक्तों में परंपरा चली आ रही है. सवाल यह उठता है कि क्या भारत चीनी उत्पादों पर नियंत्रण लगा सकता है? इस का उत्तर है - नहीं,  भारत ऐसा नहीं कर सकता है.

विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) के नियमों के अनुसार, युद्ध की स्थिति और कूटनयिक संबंध नहीं होने पर भी किसी देश के आयात को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.

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