2020 में 2022 पर नज़र. उत्तर प्रदेश में सियासी संग्राम. टारगेट है विधानसभा चुनाव. सीटें हैं 403. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस बाबत 26 जून, 2020 को एक ट्रेलर दिखा दिया है.
बचपन से राजनीति देखतीसुनतीसमझती प्रियंका गांधी अब खुद राजनीति के मैदान में हैं. हालांकि सक्रिय राजनीति में वे डेढ़ साल पहले ही आई हैं और किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं लेकिन परिपक्व हैं. परिपक्वता का यह सुबूत है कि एक ही जुमले से उन्होंने सत्ता के साथ विपक्ष पर बहुत ही करार वार किया है.
कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा कि, “मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं, विपक्ष के कुछ नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं.”
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अपनी पार्टी की ओर से यूपी प्रभारी होने के नाते प्रियंका राज्य सरकार की लापरवाहियों को समयसमय पर जोरशोर से उठाती रहती हैं. वहीं उधर सपा के अखिलेश यादव और बसपा की मायावती को सियासीतौर पर डरा चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में प्रियंका की बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हैं. सो, अब प्रियंका गांधी को डराने की लिए योगी प्रशासन ने उन्हें एक के बाद एक 2 नोटिसें भेज जवाब देने को कहा वरना कार्रवाई किए जाने की बात भी कही.
फेसबुक पोस्ट पर नोटिस :
कानपुर के शेल्टर होम मामले में प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सवाल उठाए थे. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक न्यूज पोर्टल की खबर को शेयर करते हुए लिखा था, ‘फिर से इस तरह की घटनाओं का सामने आना दिखाता है कि जांचों के नाम पर सबकुछ दबा दिया जाता है. जबकि, सरकारी बाल संरक्षण गृहों में बहुत ही अमानवीय घटनाएं घट रही हैं.’
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प्रियंका की इस फेसबुक पोस्ट पर उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उन को नोटिस भेज कर 3 दिनों के भीतर पोस्ट का खंडन करने को कहा था. इस के साथ ही कहा गया था कि समय रहते खंडन न करने पर प्रियंका गांधी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि कानपुर के एक शेल्टर होम में बीते दिनों उस वक्त हड़कंप मच गया था जब वहां 57 लड़कियां नोवल कोरोना वायरस पौजिटिव पाई गई थीं. इस के अलावा उन में से करीब 6 लड़कियां गर्भवती भी थीं. इसी के बाद से प्रियंका गांधी इस मामले को उठा रही थीं.
ट्वीट पर नोटिस :
प्रियंका ने 22 जून को ट्वीट कर कहा था कि आगरा में कोरोना से मृत्युदर डराने वाली है और 28 लोगों की मौत अस्पताल में भरती होने के 48 घंटे में होना बड़ी लापरवाही है. उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री इस मामले में 48 घंटे में जांच रिपोर्ट को जनता के सामने रखें. इस पर डीएम ने उन्हें नोटिस भेज कर उन के द्वारा किए गए ट्वीट का 24 घंटे में खंडन करने के लिए कहा था.
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डीएम की नोटिस के बाद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सख़्त रुख़ अपनाते हुए कहा था कि अगर प्रियंका आगरा के डीएम की नोटिस का जवाब नहीं देती हैं तो उन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. मौर्य ने कहा था कि प्रियंका ने कोरोना से होने वाली मौतों के झूठे आंकड़ों को ट्वीट किया है और वे ओछी राजनीति कर रही हैं.
प्रियंका को मौका :
शासन की नोटिसों के मद्देनजर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मौका मिला और उन्होंने 26 जून को नया ट्वीट कर योगी सरकार व विपक्षी नेताओं सब को आड़ेहाथों ले लिया. अपने ‘मिशन यूपी 2022’ में लगीं प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को तो ललकारा ही, साथ ही, इशारों में बीएसपी चीफ मायावती व एसपी मुखिया अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा, “जनता के सेवक के रूप में मेरा कर्तव्य उत्तर प्रदेश की जनता के प्रति है और वह कर्तव्य सचाई को जनता के सामने रखने का है. किसी सरकारी प्रोपेगंडा को आगे रखना नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार अपने दूसरे विभागों द्वारा उन्हें फुज़ूल की धमकियां दे कर अपना समय बेकार कर रही है. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सरकार जो भी कार्रवाई करना चाहती है, बेशक करे, लेकिन वे सचाई को जनता के सामने रखती रहेंगी. प्रियंका का सब से ज्यादा चुभने वाला वाक्य यह रहा, “मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं. विपक्ष के कुछ नेताओं की तरह बीजेपी की अघोषित प्रवक्ता नहीं.”
प्रियंका ने अपने ट्वीट से यह साफ कर दिया है कि वे योगी सरकार के सामने झुकने वाली नहीं हैं.
विपक्षी नेताओं पर करारा वार :
यह पहला मौक़ा है जब प्रियंका गांधी ने यूपी के विपक्षी नेताओं पर खुल कर इतना करारा वार किया है. हालांकि, कांग्रेस लगातार यह आरोप लगाती रही है कि उत्तर प्रदेश के विपक्षी राजनीतिक दल योगी आदित्यनाथ सरकार के ख़िलाफ़ नहीं बोलते. कांग्रेस नेता प्रियंका का यह कहना कि, वे विपक्ष के कुछ नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं हैं, मायावती और अखिलेश यादव पर गहरी चोट करता है.
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कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा था कि मायावती तो बीजेपी की भाषा बोलती हैं. पुनिया ने कहा था कि ‘ट्विटर बहनजी’ जिस तरह की भाषा और ट्वीट का इस्तेमाल कर रही हैं, उस से साफ पता चलता है कि वे बीजेपी का प्रेसनोट बना कर भेजती हैं.
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विपक्ष का विकल्प बनतीं प्रियंका :
उत्तर प्रदेश की मौजूदा विपक्षविहीन सी राजनीति में प्रियंका गांधी दमदार विपक्षी नेता के तौर पर उभरी हैं. कांग्रेस महासिचव प्रियंका गांधी कोरोना संक्रमण से ले कर कानपुर शेल्टर होम मामले तक योगी सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरने में जुटी हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टियां – सपा और बसपा – कांग्रेस की तर्ज पर योगी सरकार को घेरती नजर नहीं आईं.
मजदूरों की घरवापसी के लिए प्रियंका गांधी और योगी सरकार के बीच बस विवाद में जब मायावती कूदी थीं तो ऐसा लगा मानो वे योगी सरकार का बचाव कर रही हों. अपने ट्वीट की एक पूरी श्रृंखला में मायावती का तीखा हमला योगी सरकार के बजाय कांग्रेस पार्टी पर दिखाई दिया. वहीं, अखिलेश यादव ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में इशारों में कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर दिए थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने बसपा को बाकायदा बीजेपी का सहयोगी दल और मायावती को बीजेपी का प्रवक्ता तक कहा था.
कांग्रेसियों को जगा रहीं प्रियंका :
प्रभारी होने की ज़िम्मेदारी को निभाती हुईं महासचिव प्रियंका गांधी राज्य के कांग्रेसियों को सक्रिय बनाने में एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए हैं. यूपी में कांग्रेस को पुराने तेवर में लाने के मकसद के तहत प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में आदिवासियों के नरसंहार का मामला हो, नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों का मामला हो, उत्तर प्रदेश में बिजलीपानी की क़ीमतें बढ़ने से ले कर शिक्षक भरती मामला या जनहित से जुड़ा कोई और मुद्दा, लगातार आवाज़ उठाई है.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लगातार बढ़ रही पेट्रोलडीजल की कीमतों को ले कर केंद्र की भाजपा सरकार पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भाजपा सरकार ने डीजलपेट्रोल की कीमतें बढ़ा कर यह बात साफ कर दी है कि भाजपा को महामारी संकट के समय भी जनता की जेब काटने में ज्यादा रुचि है. उन्होंने कहा कि जनता इस लूट को बरदाश्त करने के लिए तैयार नहीं है.
प्रियंका ने दावा किया कि इस संकट के समय केंद्र सरकार ने जनता की जेब काटने का इतिहास रचा है. डीजल की कीमत, पेट्रोल की कीमत को पार कर चुकी है, जबकि दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट है.
कोविड-19 संकट सहित तमाम मुद्दों को ले कर प्रियंका गांधी ट्वीट कर योगी सरकार को घेरने में जुटी हैं तो कांग्रेसी कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को 21 दिनों तक जेल में भी रहना पड़ा है.
मिशन यूपी ट्वंटीट्वंटीटू :
कांग्रेस हाईकमान वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में 3 दशकों बाद बड़ी जीत की उम्मीद कर रहा है. पार्टी की इस उम्मीद का सारा बोझ महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी पर है. प्रियंका इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाने की मंशा के साथ पार्टी के प्रदेश संगठन के नटबोल्ट कस रही हैं यानी संगठन को ऊर्जावान बना रही हैं. उन के इस मिशन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू कंधे से कंधा मिलाए हुए हैं.
दशकों से यूपी की राजनीति ऐसे मोड़ पर है कि जब चुनाव का समय होता है तो कांग्रेस को सभी पार्टियां अछूत मानने लगती हैं. सो, अब भावी 2022 में होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस अपने को इस स्थिति में ले आना चाहती है कि उसे किसी पार्टी की दरकार न रहे, बल्कि दूसरी पार्टियां उस से मिल कर अपनी चुनावी नैया पार करने को लालायित दिखें.
वर्ष 2022 तक पार्टी संगठन व पार्टीजनों को ऊर्जावान बनाए रखने में प्रियंका गांधी सफल रहती हैं तो कांग्रेस हाईकमान उम्मीद कर सकता है कि पार्टी राज्य की सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करे. परिस्थितिवश, किन्हीं छोटी पार्टियों के साथ कुछ सीटों के लिए चुनावी समझौता करना पड़े, तो बात दूसरी होगी.