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मानवीय मूल्यों का पाठ

यूनिवॢसटी ग्रांट कमीशन के चैयरमैन जगदीश कुमार ने कहा है भारतीय जनता पार्टी की भारतीय संस्कृति के पौराणिकवाद की थोपने वाली नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अब मानवीय मूल्यों को भी पढ़ाया जाएगा और यह बाकायदा कोर्स होता था. अब तक समाज में मानवीय मूल्यों को सिखाने का काम ङ्क्षचतक करते थे, लेखक करते थे, कवि करते और कभीकभार नेता करते थे. अब इसे कोर्स की तरह पढ़ाया जाएगा.

सवाल बड़ा तो यह है कि मानवीय मूल्यों का पाठ इस पुरानी संस्कृति का राग रातदिन पीटने वाले समाज में जरूरी क्यों है? क्या हमारे लाखों नहीं करोड़ों पंडेपुजारी, साधू, प्रवचक, गुरू उपदेशक रातदिन जो कुछ बोलते रहते हैं वह मानवीय मूल्यों का पाठ नहीं है? हमें रात दिन ङ्क्षहदू संस्कृति का गुणगान कररने को कहा जाता है तो क्या उस में मानवीय भूल नहीं है? अगर नहीं है तो क्यों हम अपने गाल पीटते हैं और क्यों विश्वगुरू बनने का दावा हर सोस में करते हैं? क्यों हर समय कहते है कि विश्व को ज्ञान देने वाली बातें इस भारतभूमि से ही गई थी और दुनिया के हर अविष्कार, हर भवन निर्माण, हर खोज में अपना श्रेय लेते हैं.

जिस दिन प्रोफेसर जगदीश कुमार ने मानवीय मूल्यों की शिक्षा को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का बयान जारी किया उसी दिन अखबार की और सुॢखयां देखें तो पता चल जाएगा कि इस देश में आज मानवीय मूल्यों की क्या स्थिति.

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एक खबर है गुंडगांव के सैक्टर 109 में ङ्क्षचटक पारादीसो की जिस के 18 मंजिले टावर के 6वें फ्लोर से नीचे छत ढह गई और 2 लोगों की मौत हो गई और वजह थी छत की स्लैब में जंग लगा सरिया लगाना. जिस ठेकेदार ने यह काम किया वह क्या नास्तिक था, जो प्रवचन नहीं सुनता था?

दूसरी खबर है दिल्ली के एक होटल के द्वारा जम्मू कश्मीर के युवक को कमरा न देने की. यह मानवीय मूल्य है कि औन लाइन बुक हुआ कमरा भी देना मना कर दिया गया क्योंकि युवक जम्मू कश्मीर का यानी होटल के अनुसार या तो विदेशी है या आतंकवादी है.

एक खबर है एक महिला से फोन छीन कर भागने की. एक मोहित ने एक हिना का फोन उस्मानपुर इलाके में झपट लिया पर महिला राइफल शूङ्क्षटग की कोच थी तो उस ने दौड़ कर भाग रहे बदमाश को पकड़ लिया. यह मानवीय मूल्य है क्या?

ये अवगुण आखिर इस देश में आए कहां से जहां हर समय रामायण व महाभारत की कहानियां सुनाई जाती हैं और ऐसा दर्शाया जाता है कि जो कुछ भी खराब हो रहा है वह किन्हीं विधॢमयों के कारण हो रहा है जिन को वीभत्स बढ़ाचढ़ा कर कश्मीर फाइल्स फिल्म में दिखाया गया है जिसे सरकार जोरशोर से प्रचारित कर रही है और जिस में पंडितों पर हुए जुल्मों की कथाएं.

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कहीं ऐसा तो नहीं जिसे महान संस्कृति के आधार पर मानवीय मूल्य पढ़ाएं जाएंगे वहीं मानवीय मूल्य नहीं हैं. अंग्रेजी में लिखी अनुजा चंदुमौली की पुस्तक ‘अर्जुन’ ऐसे प्रसंगों से भरी है जिन में मानवीय मूल्यों को औंधे मुंह पटक दिया गया है. लाक्षा गृह में दुर्योधन ने अपने चचेरे भाईयों को जला कर मार डालने का प्रयास किया, यह कौन  सा मानवीय मूल्य था. उस के बाद पांडव गांवगांव भटकते रहे और फिर दुपर्द की राज में पहुंचे जहां द्रौपदी का स्वयंवर होना था और ब्राह्मïण जो दानदक्षिणा के लालच में क्षत्रियों के साथ द्रौपदी स्वयंवर स्थल पर पहुंचे, क्या यह मानवीय मूल्य पढ़ाया जाएगा. इसी स्वयंवर में द्रौपदी कक्ष में स्वयंवर की शर्त को पूरा करने के लिए आगे आए कर्ण को प्रतियोगिता में भाग लेने से मना कर देती है क्योंकि कुंती का ही विवाह पूर्व हुआ पुत्र कर्ण एक सूद्र के यहां पला बढ़ा था और वह कहती है ‘मैं सूद्र से विवाह नहीं करूंगी.’

अगर प्रोफेसर इस समाज को जहां खबरों के अनुसार मानवीय मूल्य बह रहे हैं, महाभारत वाले मानवीय मूल्भ्य पढ़ाएंगे तो देश क्या सुधार होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है.

लेखक की पत्नी: भाग 1

‘‘मैडम, नमस्कार,’’ प्रतिभा ने अनु के हाथों में मिठाई का पैकेट रखा और कंधे पर शाल ओढ़ा दी, ‘‘मैडम, मुझे एमफिल की डिगरी मिली, विशिष्टता के साथ. यह देखो, मेरा प्रबंध. सर की अचानक मृत्यु हो गई, जीवित होते तो उन्हें कितनी खुशी होती. उन्होंने मुझे समय दे कर मेरा अच्छा मार्गदर्शन किया था.’’

प्रतिभा ने अनु के हाथों में सुनहरे अक्षरों में मढ़ा, मखमली वस्त्र में लिपटा प्रबंध रखा. अनु ने चश्मा लगा कर पढ़ा, ‘राम सहाय की कथाएं और समग्र अभ्यास.’

‘‘अच्छा पिंट है और साजसज्जा भी अच्छी है.’’

‘‘मैडम, आप दोनों ने बहुत मदद की. इसलिए काम शीघ्र ही पूरा हुआ. सर ने शोध सामग्री सहर्ष दी थी जो ठीकठाक और तिथिवार थी.’’

‘‘प्रतिभा, तुम ने भी प्रयास किया, घंटों साथ चर्चा की.’’

‘‘सर मुझ पर खुश थे, पूरा समय दिया. दूसरा मार्गदर्शक कोई भी इतना ज्यादा सहयोगी नहीं सिद्ध होता.’’

‘‘प्रबंध मेरे पास छोड़ दो. आराम से पढ़ूंगी.’’

‘‘यह प्रति आप के लिए ही है. अब पीएचडी के लिए ‘राम सहाय साहित्य का समग्र अध्ययन’ विषय चुना है, सो मुझे सर के उपन्यास, नाटक, ललित लेखन, निबंध, वृत्तपत्रीय लेखन और आत्मकथन सब का सम्यक अनुशीलन करना पड़ेगा. सो, आप को फिर से तकलीफ देनी है. सर के पत्र, पाठक और संपादक के आए हुए खत, साक्षात्कार सब देखना पड़ेगा. आत्मकथन से लेखक की जिंदगी का सही अंदाज लगता है. सर की निजी डायरी पढ़नी पड़ेगी. आप को कोई आपत्ति तो नहीं?’’

‘‘डायरी में दैनंदिन काम की जंत्री होगी,’’ अनु ने असमंजस में पड़ कर कहा.

‘‘मैडम, साक्षात्कार में मुझ से एक प्रश्न पूछा गया था,’’ प्रतिभा ने बताया.

‘‘क्या?’’

‘‘सहाय सर के साहित्य में करुण रस की प्रधानता क्यों?’’

‘‘फिर तुम ने क्या जवाब दिया?’’

‘‘उन का व्यक्तिगत जीवन दुखी था, ऐसा नहीं लगता क्योंकि मैं उन को करीब से जानती थी.’’

‘‘हां, हमारा जीवन सुखी था.’’

‘‘फिर परीक्षक ने पूछा, ‘यही लेखक आप ने प्रबंध के लिए क्यों चुना?’ मैं ने जवाब दिया, ‘करुण रस मुझे भाता है, भावना का उद्वेग दिल को छूता है.’’’

‘‘जवानी में करुण रस आकर्षित करता है?’’ अनु का प्रश्न था.

‘‘करुण रस और अवस्था का परस्पर संबंध है क्या?’’

अनु, प्रतिभा को देखने लगी. सुयोग्य पति और होनहार पुत्र के सान्निध्य के बावजूद खुद अच्छी पढ़ाई कर अब पीएचडी कर रही है. नियमबद्ध जीवन के सर्वोच्च शिखर पर गतिशील होते हुए भी करुण रस की ओर रुझान है.

प्रतिभा कह रही थी, ‘‘पीएचडी के माध्यम से सर के दिल का दर्द समझ सकी तो समीक्षक को एक दृष्टिकोण मिलेगा. आप मुझे सहयोग करेंगी? साहित्य में जीवन का प्रतिबिंब रहता है, क्योंकि लेखक ने वह भोगा है, दर्द सहा है, तो वह प्रतिक्रिया उस के साहित्य में व्यक्त होगी ही. सर की मन की व्यथा आप से ज्यादा कौन जानेगा?’’

कुछ रुक कर वह बोली, ‘‘अच्छा, चलती हूं. प्रबंध पढ़ कर राय दीजिएगा. फिर मिलूंगी तकलीफ देने के लिए.’’

‘‘इस में तकलीफ काहे की. रचनाएं सर्वत्र बिखरी पड़ी हैं, उन्हें संवारना होगा.’’

‘‘यह काम जरूरी है. मैं इस काम में आप की मदद करूंगी. विषयवार रचनाओं की फाइल बनानी होगी. सर के साहित्य का अभी तक यथेष्ठ मूल्यांकन नहीं हुआ है.’’

‘‘मूल्यांकन मौत के बाद होता है क्या? वे थे तब तक आलोचना हुई, कभी उन्हें संतोष नहीं मिला.’’

‘‘उन की किताबें विद्यापीठ में चल रही हैं.’’

‘‘हां, किंतु किताबें कोर्स में चलें, यह उच्च साहित्य का निष्कर्ष नहीं है.’’

‘‘मैडम, मुझे लगता है पाठक, सर को ठीक से समझे नहीं.’’

‘‘हो सकता है.’’

प्रतिभा चली गई. अनु वैसे ही प्रबंध के पन्ने पलटती रही. मन सैकड़ों मील दूर तक भटक रहा था. पति को क्या सुलभ था. जिंदगी में कुछ कमी नहीं थी, कमाऊ लड़का, सुशील बहू, होनहार पोतापोती, सब परदेश में बसे हुए थे.

वहां कुछ समय जा कर परकीय साहित्यकारों से पहचान बनी. उन के साहित्य का, संस्कृति का परामर्श हुआ. उन की रचनाओं के पुस्तकालय संस्करण निकले. विपुल मानधन और प्रतिष्ठा मिलते देख कर दिल बागबाग हुआ. कितने लेखक पीछे लगे थे आंग्लभाषा में अनुवाद करने की सहमति के लिए, पर एक न सुनी. रौयल्टी अच्छी मिलती, साथ में प्रसिद्धि भी, पर नहीं माने. उन का दिल पाश्चात्य संस्कृति में रमा नहीं, बोले, ‘अनु, तुम्हें रहना है बेटे के पास तो रहो, मैं चला.’ उन को अकेलापन भाता था. वे आत्मकेंद्रित थे. उन की दुखती रग मेरी पकड़ में नहीं आई और वे दूर चले गए.

अनु को याद आई उन की एक लंबी विरहकथा. उस कथा की नायिका असंतुष्ट थी. कालेज का प्रेमी बिछड़ गया था. विरहव्यथा हृदयभेदक शब्दों में व्यक्त की थी. यह खुद के दिल की व्यथा थी या यों ही कल्पना विलास? इतने साल साथ बिताए लेकिन मन की टोह लगा नहीं पाई. कहते हैं, आत्मकथन साहित्य का केंद्रबिंदु होता है.

माफ करना अलका

अलका औफिस में सब के लिए जिज्ञासा का विषय बनी हुई थी. वह किस से, क्यों, कहां जाती है, इस बारे में सब अटकलें लगाते थे लेकिन असलियत कुछ और ही थी.     अलका को जैसे ही यह खबर लगी कि उस का तबादला फिर भोपाल होने का मेल हैडऔफिस से आया है, तो उस की आंखें छलक पड़ीं. वह तो फिर से भोपाल जाने के लिए जैसे रातदिन बाट ही जोह रही थी.उस के तबादले पर इंदौर कार्यालय के उस के सहकर्मियों ने उस का बाकायदा विदाई समारोह आयोजित किया. विदाई समारोह के भाषण में वह अपने बारे में बहुतकुछ कहना चाहती थी, लेकिन यह सोच कर उस ने कुछ नहीं कहा कि बनर्जी साहब को सबकुछ पता चल ही गया है, तो अब सारी बात बाकी के लोगों को भी पता चल ही जाएगी.

तब, यह सबकुछ जान कर शायद किसी के दिल में यह बात आ जाए कि‘माफ करना अलका,’ हम तुम्हें समझ नहीं पाए.वह जल्दी से घर आई. उस ने अपने 2 सूटकेसों में सारा सामान भरा और रेलवे स्टेशन पहुंची. भोपाल जाने के लिए  2 साल पहले किन हालात से गुजर कर उसे भोपाल से इंदौर कार्यालय में आना पड़ा. जब वह इंदौर आई, तब इस शहर से पूरी तरह अनजान थी.इंदौर कार्यालय में जब वह पहुंची तो उस ने एक मैडम से कहा, ‘मुझे बनर्जी साहब से मिलना है,’ वह मैडम उस के सौम्य रूप को देख कर उस पर एकदम से मुग्ध सी हो गई. फिर बोली, ‘मैडम, आप किसलिए उन से मिलना चाहती हैं?’ जवाब में वह बोली, ‘मैं अलका हूं और भोपाल कार्यालय से ट्रांसफर हो कर यहां आई हूं और मुझे अपनी जौइनिंग रिपोर्ट देनी है.’‘सामने वाला केबिन बनर्र्जी साहब का है और मैं उन की पीए श्वेता शर्मा हूं.

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आप उन से जा कर मिल सकती हैं,’ उस के केबिन में जाने के 5 मिनट बाद बनर्र्जी साहब ने अपनी पीए श्वेता को केबिन में बुलाया और कहा, ‘मैडम, ये अलका हैं, आज ही भोपाल दफ्तर से आई हैं. आप इन्हें आज अपने साथ बैठाइए और कविता जोकि मैटरनिटी लीव पर हैं. उन की सीट का काम इन्हें समझा दीजिए.’‘देखिए अलकाजी, मिसेस कविता की डिलिवरी हुई है, इसलिए शायद वे 6 माह तक अवकाश पर रहेंगी. इस सीट का कार्यभार आप को संभालना है,’ श्वेता ने कहा.‘देखिए, कृपया आप मुझे अलकाजी और आप वगैरह मत कहिए. हम एक ही दफ्तर में काम करते हैं, इसलिए हम सब एकदूसरे के कलीग हैं. यदि तुम मुझे अलका कहोगी तो ज्यादा अच्छा लगेगा,’ फिर श्वेता ने उसे उस सीट के कार्यभार की पूरी जानकारी दी. अब लंच होने को था, इसलिए उस ने कहा, ‘अलका, लंच के लिए टिफिन लाई हो या रैस्टोरैंट में जाने का इरादा है?’‘मैं तो भोपाल की बस से उतरी और सीधे यहां औफिस में आ गई, इसलिए मेरे पास लंच की व्यवस्था नहीं है.’‘‘देखो अलका, आज तुम मेरे साथ लंच लो, फिर कल से व्यवस्था कर लेना.’

’लंच करने के दौरान श्वेता ने सहज ही पूछ लिया, ‘अलका, भोपाल से तुम्हारे साथ कोई आया है और तुम्हारे रहने की क्या व्यवस्था है?’‘मैं अकेली ही भोपाल से आई हूं और मेरे पास रहने का अभी कोई इंतजाम नहीं है. सोच रही हूं कि आज किसी होटल में स्टे कर लूं और फिर किसी की सहायता से कहीं मकान किराए पर ले लूंगी.’‘ठीक है, तो फिर आज रात तुम मेरी मेहमान बन कर मेरे घर चलो. कल कहीं तुम्हारे लिए मकान की व्यवस्था कर लेंगे.’ अगले दिन श्वेता ने एक मकान उसे दिखाया, जो उसे पसंद आ गया और वह उसी दिन उस में शिफ्ट भी हो गई. जब अलका उस मकान से शिफ्ट होने के लिए श्वेता के घर से निकली तब वह बोली, ‘अलका, तुम अलग मकान में शिफ्ट हो रही हो, इस का मतलब यह नहीं कि हमारी दोस्ती खत्म हो गई. तुम मेरी एक अच्छी सहेली हो और हमेशा रहोगी. यदि तुम्हें कभी भी मेरी सहायता की जरूरत पड़े तो मुझे जरूर बताना.’कुछ ही दिनों में अलका को इंदौर कार्यालय का माहौल भा गया. वह रोजाना नियत समय पर दफ्तर जाने लगी. लेकिन उस की एक बात पर दफ्तर के सहकर्मियों की नजर थी कि कभीकभी वह अचानक सीट से उठ कर बाहर जाती है और किसी से मोबाइल पर देर तक बातें करती रहती है. यह सिलसिला तकरीबन रोजाना ही होता है.

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वह इतनी देर तक किस से, क्या बातें करती है, यह सब के लिए चौंकाने वाली बात थी.चूंकि वह जवान है, बेहद सुंदर है और कदकाठी बहुत आकर्षक है, इसलिए सब के मन में एक भ्रम यह था कि यह किसी लड़के से प्यार करती है और उसी से इतनी देर तक बातें करती है. दफ्तर में 5 दिन का सप्ताह है और हर शनिवाररविवार अवकाश रहता है, इसलिए वह शनिवाररविवार को अवकाश के दिन क्या करती होगी, यह उन सब के लिए जिज्ञासा का विषय था.एक दिन रात 11 बजे वह उठी और अपने मकान की बालकनी में जा कर किसी से धीमी आवाज में बातें करने लगी. अब दफ्तर में अचानक अपनी सीट से उठ कर उस का किसी से देर तक बातें करना और देररात एक बालकनी में खड़े हो कर धीमी आवाज में बातें करना कुछ रहस्यमय सा लगने लगा था.दफ्तर के कुछ सहकर्मियों के मन में यह बात आई भी कि अलका से पूछा जाए कि सीट पर से अचानक उठ कर बाहर जा कर वह इतनी देर तक किस से, क्या बातें करती है? लेकिन किसी से मोबाइल पर बातें करना एक पर्सनल मामला है,

इसलिए किसी ने उस से यह पूछने की हिम्मत नहीं की. हां, उस के इस बरताव से सब के मन में एक शंका अवश्य हो गई कि वह किसी लड़के के प्रेमजाल में पड़ी हुई है. अब अलका हर शनिवाररविवार अवकाश के दिन भोपाल जाने लगी. अकसर शुक्रवार की शाम दफ्तर छूटते ही वह वहां से ही रिकशा पकड़ कर बसस्टैंड चली जाती और भोपाल पहुंच जाती. वह इंदौर में नौकरी अवश्य कर रही थी, लेकिन उस का मन और ध्यान भोपाल में ही लगा रहता था. हर महीने वह अपनी पगार की राशि का अधिकांश हिस्सा भोपाल भिजवा देती थी.एक दिन जैसे ही वह भोपाल से इंदौर लौटी, कार्यालय में आते ही उस ने कार्यालय की सोसाइटी से 10 हजार रुपए का कर्ज लिया और वे रुपए तत्काल भोपाल भिजवा दिए.

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वह अपनी पगार की राशि का अधिकांश हिस्सा भोपाल में किसे भेजती है और दफ्तर की सोसाइटी से लिए 10 हजार रुपए के कर्ज की राशि उस ने किसे भेजी, यह रहस्य ही था.एक दिन वह दफ्तर आई और उस ने अपने भविष्यनिधि खाते में से 20 हजार रुपए निकलवाने के लिए आवेदन दिया. कैशियर ने उसे 20 हजार रुपयों का भुगतान उसी दिन दोपहर को कर दिया. कैशियर से रुपए ले कर सीधे बनर्जी साहब के केबिन में गई और अगले एक दिन का अवकाश स्वीकृत कराते हुए वह भोपाल चली गई.उस के द्वारा बारबार इतनी बड़ी राशि का इंतजाम करना और फिर तत्काल भोपाल रवाना हो जाने की बात अब एक गहरे रहस्य को जन्म देने लगी थी. दफ्तर के सहकर्मियों के दिल में कई बार यह विचार भी कौंध गया कि जवानी के इस दौर में उस से कोई गलती तो नहीं हो गई? क्योंकि वह दिखने में बहुत सुंदर थी. कहीं कोई उस का एमएमएस (वीडियो) बना कर उसे ब्लैकमेल तो नहीं कर रहा है? क्योंकि कहते हैं न कि जब कहीं प्रकाश होता है तो परछाईं भी उस के साथसाथ रहती है. वह सुंदर है, गोरीचिट्टी है, सो, संभव है कुछ ‘काला’ उस के आसपास मंडरा रहा हो?’अलका भोपाल से वापस लौटी तो बहुत गुमसुम थी. उस के मन के भीतर का दर्द अब उस के चेहरे पर साफ नजर आने लगा था.

वह दफ्तर में अपनी सीट पर बैठी थी. लेकिन उस का मन काम में नहीं लग रहा था. वह ठीक से निर्णय नहीं कर पा रही थी कि ऐसी स्थिति में वह क्या करे? वह तत्काल उठ कर बनर्जी साहब के केबिन में गई और उन से बोली, ‘सर, मैं आज फिर भोपाल जाना चाहती हूं, प्लीज, मेरी कुछ दिनों की छुट्टी स्वीकृत कर दीजिए.’‘लेकिन मैडम, दफ्तर में औडिट पार्टी आई है, इसलिए किसी को भी छुट्टी नहीं दी जा रही है, तब मैं आप को छुट्टी कैसे दे सकता हूं?’जब साहब ने उसे छुट्टी देने में असमर्थता व्यक्त की तो वह असमंजस में पड़ गई कि अब क्या करे? वह फिर बनर्जी साहब के केबिन में गई और उस ने सविनय निवेदन किया, ‘सर, मेरा रुपए ले कर भोपाल जाना बहुत जरूरी है. यदि रुपए समय पर भोपाल नहीं पहुंच सके तो मेरे जीने का मकसद ही खत्म हो जाएगा.’‘सौरी मैडम, मैं आप को छुट्टी नहीं दे सकता, लेकिन मानवीयता के नाते इतना कर सकता हूं कि भोपाल में मेरे एक मित्र हैं, उन को संदेश दे कर आप के रुपए भिजवाने का इंतजाम करवा सकता हूं.’ अलका ने तत्काल एक कागज पर नाम व पता लिख कर बनर्जी साहब के हाथ में दिया और कहा, ‘इस स्थान पर 20 हजार रुपए तत्काल पहुंचाने हैं.’

बनर्जी साहब ने तत्काल मोबाइल पर अपने मित्र से बात की कि ‘मैं तुम को एक मैसेज कर रहा हूं, कृपया उस के अनुसार बताए नियत स्थान पर रुपए तत्काल पहुंचवा दें.’बनर्जी साहब के मित्र ने भी रुपए तत्काल नियत स्थान पर पहुंचा दिए और फिर मोबाइल पर उन को बताया कि, ‘जहां मैडम ने रुपए पहुंचाने के लिए कहा था, वास्तव में वह एक निजी हौस्पिटल है. जब मैं ने हौस्पिटल के काउंटर पर आप के बताए नाम का जिक्र किया तो उन्होंने मुझे एक प्राइवेट रूम में पहुंचा दिया. उस रूम में पहुंचते ही मैं ने देखा कि 4-5 वार्ड बौय मिल कर एक आदमी को पकड़ कर रस्सी से बांध रहे हैं. मुझे उस रूप में देखते ही एक नर्स ने पूछा, ‘सर, आप को किस से मिलना है, क्या आप अभिषेक से मिलने आए हैं?’

मेरे ‘हां’ कहते ही उस ने मुझे बताया कि इन का 3 वर्षों से यहां इलाज चल रहा है. ये एक भयंकर मानसिक रोगी हैं. सर, अभिषेक की हालत देख कर तो मुझ जैसे पत्थर दिल की आंख भी नम हो गई. डाक्टरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि ऐसे मरीज कब ठीक होंगे, यह कहना बहुत मुश्किल होता है.’यह सारी बात जान कर बनर्जी साहब भी स्तब्ध रह गए.अगले दिन उन्होंने अलका को अपने केबिन में बुलवाया और कहा, ‘मैडम, आप के बताए हौस्पिटल में मेरे मित्र ने रुपए जमा करा दिए हैं और उस ने अभिषेक की स्थिति के बारे में जो मुझे बताया उसे सुन कर मुझे भी बहुत दुख हुआ,’ बनर्जी साहब उस से कुछ पूछते उस के पहले ही वह बोल पड़ी, ‘सर, अभिषेक और मैं ने लवमैरिज की है.

हमारी शादी को 5 साल हो गए. अभिषेक का बिल्ंिडग कंस्ट्रक्शन का व्यवसाय था. उस का एक पार्टनर था. उस का नाम कैलाश था. उस ने अभिषेक को विश्वास में ले कर चालाकी से सारा व्यवसाय अपने नाम कर लिया और उस को बाहर का रास्ता दिखा दिया.‘बिल्ंिडग कंस्ट्रक्शन के व्यवसाय में अभिषेक के भी 2 करोड़ रुपए लगे हुए थे. पार्टनर द्वारा इतनी बड़ी रकम अचानक हड़पने का सदमा वह सह नहीं पाया और उस के दिलोदिमाग पर इतना बुरा और गहरा असर हुआ कि वह पागल हो गया. सर, चूंकि मैं ने और अभिषेक ने लवमैरिज की थी, इसलिए हम दोनों के परिवार हम पर नाराज हैं और उन्होंने हम से रिश्ता तोड़ दिया है. ‘वे हैं या नहीं,’ यह हमारे लिए कोई माने नहीं रखता. रही बात मेरे द्वारा मोबाइल पर देर तक बातें करने की, तो मैं अभिषेक के इलाज के लिए पूरी तरह डाक्टरों और वहां की नर्सों पर निर्भर हूं. ‘

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मैं ने उन को अपना मोबाइल नंबर दे रखा है. जब भी कोई सीरियस बात होती है तो वे मुझे समयअसमय मोबाइल पर सूचित करते हैं और मुझे तत्काल सीट से उठ कर उन से बात करनी पड़ती है. चूंकि अभिषेक का इलाज एक निजी हौस्पिटल में चल रहा है. इसीलिए आप समझ सकते हैं कि निजी हौस्पिटल में इलाज कराना कितना महंगा होता है.‘सर, मैं भोपाल दफ्तर में काम करते हुए उस का इलाज करा रही थी. मेरी यह कहानी अपने दफ्तर के डिप्टी डायरैक्टर को पता चल गई. एक दिन, रात को वे मेरे घर आए और उन्होंने अपनी बुरी नियत का साया मेरे पर डालने की कोशिश की, तब मैं ने गुस्से में लालपीली होते हुए उन के गाल पर चारपांच थप्पड़ जड़ दिए. उन के गाल पर थप्पड़ों की झड़ी लगते वे बौखला उठे. उन्होंने अपनी जेब से रुपयों की गड्डी निकाली और कमरेभर में रुपए उड़ाते हुए जोरजोर से चिल्लाने लगे कि एक तो धंधा करती है उस पर भी मारपीट करती है.‘यह सब देख कर मैं बुरी तरह घबरा गई,

उस पर भी उन की चिल्लाहट सुन कर हमारी बिल्ंिडग के सारे रहवासी इकट्ठा हो गए और वे मेरे विरुद्ध ही बातें करने लगे कि अब यह पति का इलाज कराने के लिए रुपए जुटाने के चक्कर में धंधा भी करने लगी है.’‘पुरुषप्रधान व्यवस्था में अकसर लोग पुरुषों का ही साथ देते हैं. सर, मैं चाहती भी थी कि उन डिप्टी डायरैक्टर के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराऊं. लेकिन जब हमारे बिल्ंिडग वाले ही मेरे खिलाफ बोलने लगे तो मैं पुलिस के सामने गवाह या साक्ष्य के रूप में किन लोगों को पेश करती? मैं वहां अकेली पड़ गई. इसीलिए यह बदनामी सह कर मुझे चुप रहना पड़ा. मैं मन ही मन समझ गई थी कि अब भोपाल दफ्तर में काम करना मेरे लिए मुश्किलोंभरा होगा, इसीलिए मैं ने अपना तबादला इंदौर करा लिया. इस के बाद यहां जौइनिंग देने के बाद की सारी कहानी आप के सामने है ही.’करीब 2 वर्षों बाद भोपाल के उस डिप्टी डायरैक्टर का तबादला नई दिल्ली हो गया. इसलिए अलका ने भी अपना तबादला फिर भोपाल करवा लिया.अंत में बनर्जी साहब बोले, माफ करना अलका, मैं ने भी तुम्हें गलत समझा था. शायद सारा स्टाफ ऐसा ही गलत समझता था क्योंकि डिप्टी डायरैक्टर के सूत्र यहां हैं जो तुम्हारे बारे में बहुतकुछ बताते रहते थे. तुम्हें अपने ध्येय में सफलता मिले, यही मेरी कामना है.

Summer Special: गरमी में करें प्याज का सेवन

प्याज के बिना कोई भी खाना अधूरा होता है. स्वाद के लिए प्याज जरूरी होता है इसके साथ में अच्छी सेहत का भी राज है ये. गरमी में कच्चे प्याज का सेवन किसी दवाई से कम नहीं है. आपको बता दें कि प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा प्याज में जीवाणुरोधी, तनावरोधी, दर्द निवारक, मधुमेह को कंट्रोल करने वाला, पथरी हटाने वाले गुण भी होते हैं.

गरमी में लोगों को लू लगने की समस्या बेहद आम है, इसमें भी प्याज काफी लाभकारी होता है.

दूर होती है पेशाब की समस्या

प्याज के रस को पानी में उबाल कर निममित रूप से सेवन करने से पेसाब संबंधित बहुत सी परेशानियां दूर होती हैं. अगर पेशाब आना बंद हो जाए तो प्याज दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें, इसे गर्म कर के रख लें और पेट पर इसका लेप लगाएं. ऐसा करने से आपकी समस्या दूर हो जाएगी.

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डायबिटीज में

इसके अलावा अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो इसका सेवन काफी लाभकारी होगा. कच्चा प्याज खाने से शरीर में इंसुलीन का स्तर समान्य रहता है. शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी इसका सेवन किया जाता है.

सेक्स की बहुत सी परेशानियों में भी प्याज काफी लाभकारी होता है. खास कर के पुरुषों के लिए ये काफी असरदार नुस्खा होता है.

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दूर होती है पेट की परेशानियां

बहुत से लोगों को गरमी में पाचन की समस्या होती है. इन परेशानियों में प्याज काफी लाभकारी होता है. प्‍याज में मौजूद रेशा पेट के अंदर के चिपके हुए भोजन को निकालता है जिससे पेट साफ हो जाता है.

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दांतों के रोग में है असरदार

दांत की बहुत सी परेशानियों में प्याज काफी असरदार होता है. अगर आपको पायरिया की परेशानी है तो प्‍याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म करके दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लें. ऐसा करने से आपके मुंह में लार इकट्ठी हो जाएगी. उसे कुछ देर मुंह में रखने के बाद बाहर निकाल दें. ऐसा कुछ दिन, दिन में 4-5 बार करने से पायरिया की समस्‍या समाप्‍त हो जाएगी.

बेचारे: दिलफेंक पतियों की शामत- भाग 1

मायके में एक महीना मौजमस्ती से बिताने के बाद हम पिछली रात घर लौटे थे. रवि के औफिस जाने के सिर्फ 15 मिनट बाद ही सविता और मधु मुझ से मिलने आ पहुंचीं. वे दोनों उत्तेजना का शिकार बनी हुई थीं और अजीब से बावले अंदाज में उन्होंने वार्तालाप आरंभ किया.

“वंदना, मेरे साहब तो गए काम से,” सविता ने माथे पर पीट कर अपने पति के बारे में जानकारी दी.

“इश्क के बुखार ने तो मेरे साहब का भी दिमाग खराब कर दिया है,” सविता के ऐक्शन की नकल करते हुए मधु ने भी अपना चेहरा लटका लिया.

मेरी ये दोनों खुशमिजाज पड़ोसनें बिना नौटंकी किए अकसर कुछ कहतीसुनती नहीं हैं. मैं ने अपनी हंसी को काबू में रखते हुए पूछा, “अब किस के चक्कर में आ गए हैं तुम दोनों के दिलफेंक पति?”

“मृगनयनी,” सविता ने आंखें मटका कर एक शब्द मुंह से निकाला.

“चंद्रमुखी,” मधु आज सविता की कार्बन कौपी बनी हुई थी.

“मनमोहिनी.”

“जादूगरनी.”

“क्या चाल है उस की.”

“क्या बाल हैं उस के.”

“जो कहना है साफसाफ कहो, नहीं तो मैं आराम करने जा रही हूं,” मैं ने उन्हें धमकी दी.

‘‘वंदना, तेरे ऊपर वाले फ्लैट में जो नई छम्मकछल्लो आई है, हम उसी के बारे में बता रहे हैं,” सविता ने मजाकिया अंदाज में गंभीर दिखने का प्रयास किया.

“और हम वही बता रहे हैं, जो हम दोनों के पतिदेव उस के बारे में कहते हैं.”

“क्या नाम है नई पड़ोसन का?”

“चंद्रमुखी.”

“मृगनयनी.”

“चुप करो, नहीं तो मैं चली आराम…”

“नाराज मत हो, हम दोनों बहुत दुखी हैं,” सविता ने मेरा हाथ पकड़ कर वापस बैठा लिया.

“जादूगरनी शालिनी ने हमारे पतियों को अपने बस में कर लिया है. वे दोनों काठ के उल्लू बन गए हैं,” दुखी दिखने का प्रयास करते हुए मधु मुसकरा रही थी.

“पटेल साहब ने बाल डाई कर लिए हैं.”

“मेरे गुर्जर साहब प्रिंटेड कमीजें पहनते हैं.”

“सरसों के तेल से मालिश करने वाले पटेल साहब के पास आज 4 तरह के सैट हैं.”

“गुर्जर साहब तो शीशे के सामने से हटने का नाम ही नहीं लेते.”

“पूरी कालोनी हम पर हंस रही है सहेली.”

“तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं, मुझ को उठा ले…” मधु टूटा दिल दर्शाने वाला यह गाना मेरी डांट सुन कर आगे नहीं गा पाई.

कुछ देर बाद सारा मामला मेरी समझ में आ ही गया. पटेल और गुर्जर हमारी नई पड़ोसन शालिनी के रूपजाल में फंस कर इश्क के बीमार बन गए थे. शालिनी और उस का पति अरुण मिलनसार स्वभाव वाले लोग थे. वे दोनों अकसर शाम को पटेल या गुर्जर के यहां मिलने पहुंच जाते थे. अपने घर लंच और डिनर पर भी वे इन्हें कई बार आमंत्रित कर चुके थे.

पटेल और गुर्जर दोनों रोमांटिक किस्म के इनसान हैं. हम सब उन के दिलफेंक स्वभाव से परिचित हैं. सविता और मधु कभी उन के आशिकाना मिजाज पर हंसती हैं, तो कभी खूब किलसती और नाराज होती हैं. वे दोनों भी अपनी आदत से मजबूर सुधरने में नहीं आते.

“हमें शालिनी से खास शिकायत नहीं है. बस, थोड़ा बनतीसंवरती ज्यादा है, पर वह चलेगा,” सविता ने अंत में अपनी राय व्यक्त की.

“अरुण भोलाभाला इनसान है. उसे शालिनी को कुछ कंट्रोल में रखना चाहिए, पर चलेगा,” मधु ने सविता के सुर में सुर मिलाया.

“फिर भी वंदना, तुम मृगनयनी को समझाना कि हमारे शूरवीरों को ज्यादा शह न दे.”

“वे न उंगली पकड़ने लायक हैं, न पौंहचा, पर अपनी कल्पनाशक्ति को बेलगाम छोड़ फिल्मी हीरो बन कर वे हमारा जीना जरूर मुश्किल कर देंगे.”

“यार, सारा महल्ला हम पर हंस रहा है.”

“हम दोनों सिर उठा कर नहीं चल पा रही हैं.”

उन दोनों को मातमी अंदाज में सिर झुका कर बैठी देख मैं ने एक बार जो हंसना शुरू किया, तो फिर हंसी ने रुकने का नाम ही नहीं लिया.

शक: भाग 3- क्या शादीशुदा रेखा किसी और से प्रेम करती थी?

रेखा का रोना देख कर राकेश खामोश हो गया, फिर बोला, ‘‘देखो, मैं तुम्हारा अपमान नहीं कर रहा, सिर्फ तुम से सचाई जानना चाहता हूं. अगर तुम मु?ो नहीं बताओगी तो मैं दीदी को फोन कर के पूछता हूं.’’

यह कहते हुए राकेश ड्राइंगरूम में रखे फोन की तरफ बढ़ गया.

इस से पहले कि राकेश अपनी दीदी का फोन नंबर मिलाता, रेखा ने पति का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘नहीं, तुम दीदी से कुछ मत पूछो, मैं ही तुम्हें सब बता देती हूं,’’ कह कर रेखा फिर रोने लगी.

कुछ देर बाद संयत हो कर रेखा बोली, ‘‘मैं ने सोचा था कि इंदू का विवाह शांतिपूर्वक हो जाए और दीदी के साथ किया मेरा वादा पूरा हो जाए कि मैं कभी किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, पर तुम्हारे शक के आगे मैं हार गई हूं.’’

‘‘दीदी की बेटी इंदू के साथ क्या हुआ, तुम साफसाफ बताती क्यों नहीं?’’ हैरानपरेशान स्वर में राकेश ने कहा.

रेखा कुछ देर चुप रही. फिर धीरेधीरे बोली, ‘‘इंदू और राजीव एकदूसरे से प्रेम करते थे. इंदू राजीव पर बहुत भरोसा करती थी. एक साल तक उन दोनों के संबंध औपचारिक रहे थे, फिर धीरेधीरे अंतरंग बनते हुए दोनों के बीच पत्रव्यवहार, घूमनाफिरना, फिल्में देखना और सैरसपाटा चलता रहा. राजीव ने इंदू के साथ अपनी तरहतरह की तसवीरें भी खिंचवाई थीं.’’

‘‘अरे,’’ राकेश आश्चर्यचकित था.

‘‘इंदू, राजीव के प्रेम और विश्वास में पूरी तरह डूबी हुई थी कि राजीव उस से ‘प्यार’ के नाम पर शारीरिक सुख की मांग करने लगा. इंदू द्वारा बारबार मना करने पर वह भड़क गया और इंदू को धमकी देने लगा कि वह उस का विवाह अपने अलावा और कहीं नहीं होने देगा और अगर इंदू ने उस की बात मानने से इनकार किया तो वह उसे बदनाम कर देगा.

‘‘जब राजीव ने इंदू को घर पर धमकीभरे फोन करना शुरू किया और फोन दीदी ने सुना तो उन्होंने इस बारे में इंदू से बात की तथा उस की गंभीरता को सम?ा. दीदी ने राजीव से मिलने का फैसला किया. उन्होंने सोचा था कि राजीव उन के सम?ाने और कुछ धमकाने पर मान जाएगा.’’

‘‘फिर?’’ राकेश ने पूछा.

‘‘लेकिन राजीव से मिलने के बाद दीदी उस के तेवर देख कर सहम गईं. उन्हें वह अपराधी प्रवृत्ति का युवक जान पड़ा. उन्होंने शांत चित्त से इस पर गहराई से सोचा और राजीव की पूरी खोजबीन की. जैसे ही उन्हें पता चला कि राजीव मेरे ही बैंक की शाखा में काम करता है, उन्होंने मु?ा से संपर्क किया.’’

रेखा की बात सुन कर राकेश हैरान था कि इंदू जैसी पढ़ीलिखी लड़की राजीव जैसे युवक के जाल में कैसे फंस गई? राजीव न गंभीर है, न सौम्य है, न ही परिपक्व विचारों का युवक है. वह तो प्यार को महज युवावस्था में आनंद लेने का साधन मान कर चल रहा है. वह यह सोचने के लिए तैयार नहीं है कि इस से लड़की पर क्या गुजरेगी? राकेश ने रेखा से कहा, ‘‘लड़का जब नौकरी करता है और इंदू से प्रेम भी करता है तो तुम्हें राजीव को शादी के लिए तैयार कर लेना चाहिए था.’’

‘‘तुम्हारा सोचना ठीक है, परंतु

राजीव ने तो कई महीने

पहले रंजना के साथ विधिवत अपनी सगाई कर ली थी. वह तो इंदू से सिर्फ प्रेम का नाटक कर रहा था,’’ रेखा ने राकेश को बताया.

‘‘तब तो वह जरूर ब्लैकमेल करेगा.’’ राकेश ने सोचसम?ा कर कहा, ‘‘लेकिन खुद भी तो इस से बदनाम होगा.’’

‘‘अब वह ब्लैकमेल नहीं कर सकेगा क्योंकि राजीव को विश्वास में ले कर मैं उस से इंदू के सभी प्रेमपत्र, फोटो के नैगेटिव ले चुकी हूं. राजीव ने इंदू को जो लौकेट, अंगूठी, ब्रौच, मोतियों के बटन भेंट में दिए थे वे भी मैं ने इंदू से ले लिए हैं.’’

‘‘हां, यह हिंदुस्तानी लड़की की इज्जत का सवाल था, जिसे सिर्फ तसवीर और भावुकता में लिखे गए प्रेमपत्रों के सहारे बदनाम किया जा सकता था,’’ रेखा ने कहा.

‘‘अब तुम क्या करोगी?’’ राकेश ने पूछा.

‘‘कुछ नहीं, वे सारे सुबूत जिन से वह इंदू को ब्लैकमेल कर सकता था मैं ने इंदू को दे दिए हैं. आज उस ने उन्हें नष्ट भी कर दिया है. जो चीजें राजीव ने इंदू को उपहार में दी थीं वे मैं ने राजीव को वापस कर दी हैं और उसे सम?ा भी दिया है.’’

‘‘यह तो तुम ने बहुत बड़ा काम कर दिखाया, रेखा. तुम ने इंदू को बिखरने से बचा लिया. एक मां की तरह उसे समेट लिया वरना राजीव से मिले अपमान और उपेक्षा से वह टूट जाती,’’ राकेश गंभीर स्वर में बोला.

‘‘इस काम को अंजाम देने में मैं ने तुम्हारे शक की कितनी पीड़ा ?ोली है, कितना अपमान सहा है, यह मैं ही जानती हूं,’’ रेखा रोंआसे स्वर में बोली.

‘‘मु?ो माफ कर दो, रेखा,’’ राकेश का स्वर भी भीग गया था.

‘‘एक शर्त पर,’’ रेखा संयत हो कर गंभीर स्वर में बोली, ‘‘तुम दीदी या इंदू के सामने जीवनभर यह जाहिर नहीं करोगे कि तुम्हें राजीव के बारे में सबकुछ पता है क्योंकि लड़की के बीते हुए प्रेमप्रसंग का अर्थ है उस के चरित्र की सफेद चादर पर सैकड़ों धब्बे.’’

राकेश ने रेखा के दोनों हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘मैं वादा करता हूं, रेखा.’’

दोनों काफी देर तक चुप बैठे रहे. उन के हृदय में चल रही हलचल धीरेधीरे शांत हो रही थी. रेखा के मन में संतोष था कि उस ने, चाहे जैसे भी, एक लड़की का जीवन नरक बनने से बचा लिया. अब वह अपनी गृहस्थी में सुखी रहेगी.

समय काफी बीत गया था. आसपास के घरों की बत्तियां बंद होने लगी थीं. राकेश ने पत्नी को उठाते हुए कहा, ‘‘चलो, अब जल्दी गरमगरम खाना खिला दो, बहुत जोर की भूख लगी है.’’

‘‘चलो,’’ रेखा, मानो सपने से जागी हो, बोली और रसोई की तरफ चल पड़ी.     द्य

इन्हें आजमाइए

अगर आप के बरामदे में सिर्फ सुबह ही धूप रहती है तो एक बड़े तसलेनुमा पात्र में सकुलैंट पौधों को अत्यंत आकर्षक ढंग से लगा कर बीच में रंगीन बजरी या पत्थर लगा कर सुंदर दृश्यावली बना सकते हैं. इस में पानी और देखभाल नाममात्र की होती है.

यदि हर दिन एक परीक्षा की आदत हम पहले से ही डाल लें तब हमें परीक्षा के दिन भी टैंशन नहीं होगी क्योंकि हम परीक्षा देदे कर इतना अभ्यस्त हो गए होंगे कि यह परीक्षा भी हमें आम परीक्षा की तरह प्रतीत होगी.

हमें अपने खानपान को हैल्दी और बैलेंस्ड रखना चाहिए ताकि इस से हमारी नींद और शक्ति में अस्थिरता न हो. ऐसा होने से पूरे दिन हमारे शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी जिस से हम अपना काम बखूबी कर सकेंगे.

पढ़ाई करते हुए जब भी कोई महत्त्वपूर्ण जानकारी दिख जाए तो उसे अंडरलाइन करना न भूलें और उसे अपनी नोटबुक में लिख लें.

कमरे की दीवार का नया रूप देने के लिए दीवार का कलर बदल दें या फिर आजकल थ्रीडी वौल डिजाइन का चलन है जिस से कमरे को एक नया लुक मिलता है.

रचनात्मक लोगों को अपने आसपास रखें जिस से आप के ज्ञान का स्तर भी बढ़ता रहे.

नेहा कक्कड़ ने मांगी अपने पति की प्रॉपर्टी, देखें Video

बॉलीवुड की पॉपुलर सिंगर नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन अपने पति के साथ फोटोज और वीडियोज शेयर करती रहती हैं. फैंस को भी नेहा कक्कड़ के पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है. अब एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें नेहा अपने पति रोहन से प्रॉपर्टी की डिमांड कर रही हैं. आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला.

नेहा और रोहनप्रीत का एक लेटेस्ट वीडियो ने फैंस को चौंका दिया है. दरअसल इस वीडियो में नेहा, रोहनप्रीत से प्रॉपर्टी की बात करती सुनाई दे रही हैं.

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दरअसल रोहनप्रीत सिंह ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो गाना गाते नजर आ रहे हैं और नेहा उनका गाल पकड़ कर कह रही हैं कि वो अपनी प्रॉपर्टी अपने नाम कर दें.

 

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इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि रोहनप्रीत गा रहे होते हैं ‘हम तो दिल दे ही चुके’, नेहा इसी बीच उनके गाल खिंचती हैं और कहती हैं, अब अपनी प्रापर्टी भी दे दो. इससे रोहनप्रीत चौंक जाते हैं. इस वीडियो में दोनों का मस्ती भरा अंदाज नजर आ रहा है. वीडियो के अंत में रोहन खिलखिला कर हंसते नजर आते हैं.

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रोहनप्रीत ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘व्याह अपनी रिस्क ते ही करवायो’. तो वहीं नेहा ने कमेंट किया है कि ‘यार बेबी आपके प्रॉपर्टी के बिना कैसे चलेगा.’ रोहनप्रीत के इस मजेदार वीडियो को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं.

फैंस को नेहा और रोहनप्रीत की जोड़ी को काफी पसंद करते हैं. नेहा को अक्सर अपने पति रोहनप्रीत के साथ स्पॉट किया जाता है.

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अनुपमा-काव्या से पहले वनराज के लाइफ में थी एक और गर्लफ्रेंड?

टीवी शो ‘अनुपमा’ (Anupamaa) का प्रीक्वल सुर्खियों में छाया हुआ है. दर्शकों को इस प्रीक्वल का बेसब्री से इंतजार है. 17 साल पहले अनुपमा के जीवन में क्या हुआ था, अब आप इस शो में देख पाएंगे. डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आ रहे ‘अनुपमा- नमस्ते अमेरिका’ के एपिसोड्स में  कई दिलचस्प मोड़ देखने को मिलेगा.

शो में कई ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिलेगा. अनुपमा प्रीक्वल (Anupamaa) का पहला प्रोमो सामने आया है. इस प्रोमो में अनुपमा अपनी नई यात्रा को दिखने के लिए सभी का स्वागत करती दिख रही है. अनुपमा की कहानी कहां से शुरू हुई, अनुपमा को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा औऱ भी शो से जुड़े दिलचस्प मोड़ देखने को मिलेगा.

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शो में आप देखेंगे कि 17 साल पहले अनुपमा की जिंदगी में क्या हुआ? 28 साल की अनुपमा के जीवन का क्या था टर्निंग प्वाइंट? शो में कौन थी मोटी बा, शाह परिवार का बेटा वनराज क्या हमेशा से गुस्सैल मिजाज का ही था.. शो में आपको इंटरेस्टिंग मोड़ देखने को मिलेगा.

 

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खबरों के अनुसार, प्रीक्वल में वनराज का लवलाइफ भी देखने को मिलेगा. पॉपुलर एक्ट्रेस पूजा बनर्जी भी अनुपमा- नमस्ते अमेरिका में नजर आएंगी. वह वनराज की गर्लफ्रेंड की भूमिका निभाएंगी. शो में दिखाया जाएगा कि अनुपमा-काव्या से पहले भी वनराज की एक और गर्लफ्रेंड थी.

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शो में आप देखेंगे कि शुरू से ही अनुपमा के लाइफ में प्यार की कमी रही है. भले ही उसके तीन बच्चे हैं. प्रीक्वल में फिर से वनराज और उनकी एक्स गर्लफ्रेंड का पुराना प्रेम देखने को मिलेगा.

 

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अनुपमा प्रीक्वल शो 25 अप्रैल से डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर देखने को मिलेगा. शो का नाम नमस्ते अमेरिका अनुपमा 2007 बताया जा रहा है. अनुपमा की ये यात्रा अमेरिका में शुरू होने वाली है जहां 17 साल पहले उनका पूरा जीवन बदल गया था जब वह सिर्फ 28 साल की थी.

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प्रीक्वल में आप देख सकेंगे कि शादी के 10 साल बाद अनुपमा के साथ क्या हुआ था. वह और वनराज साथ कैसे रहते थे. खबरों की मानें तो सीरियल ‘अनुपमा’ के प्रीक्वल में टीवी अदाकारा सरिता जोशी भी नजर आएंगी. प्रीक्वल में सरिता जोशी एक खास किरदार निभाने वाली हैं.

GHKKPM: सई से नौकरों की तरह बिहेव करेगा विराट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ में हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि सई विराट को मनाने के लिए हर तरह से कोशिश करती है लेकिन विराट ता गुस्सा कम नहीं हुआ. शो के आने वाले एपिसोड में कुछ ऐसा होने वाला है कि विराट सई के अहसानों को पैसे से तौलने वाला है.

शो में दिखाया गया कि. नशे में विराट होली एंजॉय करता है लेकिन सुबह होते ही वह अपनी आई पर भांग वाली गुझिया जान-बूझकर खिलाने का इल्जाम लगाता है.

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तो दूसरी तरफ सई वहां आकर सच बता देती है. जिसके बाद विराट उसे  खरी-खोटी सुनाता है. इतना ही नहीं विराट सई से परेशान होकर अपना ट्रांसफर करने का फैसला करता है. इसके बाद सई परिवार वालों की मदद से विराट को रोकने में कामयाब हो जाती है.

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शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि सई विराट की डॉक्टर बनकर उसका इलाज करेगी. इलाज के दौरान सई और विराट एक दूसरे के काफी करीब आ जाएंगे. लेकिन विराट पीछे हटने की कोशिश करेगा. ऐसे में वह सई को डॉक्टर की तरह देखभाल करने के लिए उसका एहसान चुकाएगा. विराट सई को पैसे देगा और कहेगा कि तुम्हारी ट्रिक काम कर गई और मैं ठीक हो गया. विराट का ये बर्ताव देखकर सई का दिल टूट जाएगा.

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