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Summer Special: गर्मी में पौधों का विशेष ध्यान रखेंगे ये गैजेट्स

गर्मियों में घर में लगे पेड़-पौधों का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है. अब कुछ ऐसे स्मार्ट प्लांटर (गमले) ऑनलाइन उपलब्ध हो गए हैं, जो तय समय पर खुद ही पौधों को पानी दे सकेंगे.

इतना ही नहीं, इनमें ऐसे डिजाइन भी उपलब्ध हुए हैं, जिससे आप इनका घर की सजावट के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

कुछ ऐसे स्मार्ट गैजेट्स जो गर्मी में आपके पेड़-पौधों का विशेष ध्यान रखेंगे.

1. प्लांटी

यह एक इंटरनेट से जुड़ा पॉट (गमले) है. स्मार्टफोन ऐप से आप गमले में पानी की स्थिति, तापमान, रोशनी आदि का स्तर जान सकेंगे. अगर आपने ज्यादा धूप में पौधों को रखा है तो आपको प्लांटी की ऐप पर सूचना मिल जाएगी. इसमें आप पानी भी स्टोर कर सकते हैं. केवल ऐप के विकल्प से पौधों को कभी भी पानी दे सकते हैं.

कीमत- 5,123 रुपए

2. रेनी पॉट

कोरिया की एक कंपनी ने घरों में सजावट के लिए “रेनी पॉट” बनाया है. इसमें ऊपर की ओर एक बादल बना है, जिसके जरिए आपको पौधों में पानी डालना होता है. इसमें आप पानी भरकर रख सकते हैं. इसके बाद इसमें से धीरे-धीरे पौधों पर पानी गिरता रहेगा. पानी खत्म होने पर ऐप पर सूचना भी मिल सकती है. इसे दीवारों पर भी लगाया जा सकता है. यह कई रंगों में उपलब्ध है.

कीमत- 1,037 रुपए

3. प्लांट सेंसर

चीन की एक कंपनी कोबाची ने पौधों के लिए खास वाई-फाई सेंसर बनाया है. यह केवल वाई-फाई पर काम करता है. आपको केवल इसे गमलों से जोड़कर रखना होगा. इसके बाद यह अपने आप पौधे की स्थिति का विश्लेषण कर पानी, पौधे की स्थिति और मिट्टी तक की जानकारी दे देगा.

कीमत- 6,420 रुपए

4. स्मार्ट पॉट और एयर प्यूरीफायर

क्लैरी कंपनी ने एक ऐसा स्मार्ट पॉट बनाया है, जो न केवल गमले का बल्कि घर में एयर प्यूरीफायर का भी काम करेगा. इसके स्मार्टफोन ऐप से आप घर में प्रदूषण व वायु गुणवत्ता की भी जांच कर सकते हैं. इसके ऊपरी हिस्से में गमला है जिसमें आप घर की सुंदरता बढ़ाने के लिए कोई भी पौधा लगा सकते हैं.

कीमत- करीब 9 हजार रुपए

5. आईग्रो हर्बल किट

आईग्रो कंपनी ने घरों के अंदर पौधों को लगाने के लिए एक “एलईडी हर्बल किट” बनाई है. इसमें लाल, नीले और सफेद रंग की एलईडी लाइट्स हैं जो तय समय के लिए पौधों को रोशनी देती है. इस किट के साथ में छह अलग प्रकार के पौधे भी उपलब्ध हैं, जिन्हें आप लगा सकते हैं.

कीमत- 20 हजार रुपए से शुरू

अनुपमा के अमेरिका जाने पर लोगों ने उठाई उंगली तो मोटी बा ने दिया ये जवाब

‘अनुपमा’ (Anupamaa) के प्रीक्वल यानी ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) जल्द ही हॉट स्टार पर रिलीज होने वाला है. अनुपमा के जीवन में 17 साल पहले क्या हुआ था, अब आप इस कहानी को 25 अप्रैल से डिज्नी प्लस हॉट स्टार पर देख सकते हैं. ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ का प्रोमो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. हाल ही में एक प्रोमो सामने आया है, जिसमें मोटी बा लोगों को करारा जवाब देती नजर आ रही है.

हाल ही में ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) का एक प्रोमो भी रिलीज हुआ है, जिसने आते ही धमाल मचाकर रख दिया है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि बा, अनुपमा के साथ सब्जी लेने जाती हैं. तभी एक आदमी वहां आकर मोटी बा से कहता है कि अनुपमा को ऐसे डांस सिखाने के लिए बाहर भेजना सही नहीं है.

 

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इस बात पर मोटी बा उन्हें जवाब देती हैं कि उनकी सोच गिरी हुई है. प्रोमो से साफ पता चलता है कि मोटी बा अपनी बहू के सपने को पूरा करने के किसी से भी लड़ जाएंगी.

 

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‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ (Anupamaa Namaste America) का एक प्रोमो सामने आया था.जिसमें दिखाया गया था कि  अनुपमा’ को अमेरिका जाने को लेकर तरह-तरह बात करती दिख रही है. एक महिला कहती नजर आ रही है कि अनुपमा अमेरिका चली जाएगी तो बच्चों को कौन संभालेगा.

 

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ऐसे में मोटी बा ने रिएक्ट किया और कहा कि मां के साथ-साथ बाप को भी बच्चों को देखने की जिम्मेदारी होती है. वह आगे कहती है कि अनुपमा के साथ साथ वनराज की भी कुछ जिम्मेदारियां है. अनुपमा के प्रीक्वल में सरिता जोशी का मोटी बा का किरदार निभा रही है.  ‘अनुपमा नमस्ते अमेरिका’ के प्रोमो ने आते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है.

दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे: शरद केलकर

टीवी से फिल्मों तक शरद केलकर की यात्रा काफी रोचक रही है. लोग उनके अभिनय की तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं मगर लोगों को पता नहीं होगा कि उन्हे पहले टीवी सीरियल से शूटिंग के पहले ही दिन हकलाने का आरोप लगाकर निकाल दिया गया था मगर शरद केलकर ने अपने हकलाने की बीमारी से छुटकारा पाया. फिर कई यादगार किरदार निभाए. वक्त वह भी आया जब फिल्म बाहुबली में प्रभास के किरदार को आवाज देने के लिए शरद केलकर को बुलाया गया. 22 अप्रैल को मोरल पुलिसिंग पर आधारित फिल्म ऑपरेशन रोमियो में वह एक बार फिर खलनायक के किरदार में हैं.

प्रस्तुत है शरद केलकर से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश

Sharad_Kelkar

आपके सत्रह वर्ष के कैरियर के टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?

पहला टर्निंग प्वाइंट्स तो यही था कि मुझे एक सीरियल से महज इसलिए निकाल दिया गया था कि मैं हकलाता था तो इस टर्निंग प्वाइंट्स के चलते मेरी समझ में आया था कि जब मैं हकलाना बंद करुंगा. तभी काम कर पाउंगा. कहीं न कहीं वह रिजेक्शन मेरे लिए बहुत बड़ा टर्निंगं प्वाइंट और सीख थी कि मुझे इस कैरियर को गंभीरता से लेना होगा. यह कोई फन नही है. इसके बाद मैंने एक सीरियल सात फेरे किया था. इस सीरियल के किरदार नाहर सिंह से मुझे काफी शोहरत मिली थी. इसके बाद जब मैंने संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म रामलीला गोलियों की रास लीला में कांजी का किरदार निभाकर बतौर कलाकार एक बहुत बड़ी पहचान मिली. लोगों ने माना कि शरद केलकर बेहतरीन कलाकार हैं. फिर एक टर्निंग प्वाइंट ऐसा आया जब सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष के लोगों ने मेरे काम की तारीफ की. मैं एस. राजामौली निर्देशित फिल्म बाहुबली की बात कर रहा हूं जिसमें मैंने प्रभास के लिए डबिंग की थी. उसके बाद मुझे फिल्म तान्हाजी में छत्रपती शिवाजी महाराज का किरदार निभाने को मिला. मेरे लिए यह गर्व की बात है सिर्फ महाराष्ट्यिन या मराठी ही नहीं बल्कि किसी भी भारतीय के लिए छत्रपती शिवाजी महाराज का किरदार निभाना गर्व की ही बात होगी. ऐसा मौका जिंदगी में बहुत कम लोगो को मिलता है. मुझे यह अवसर मिला जिसके लिए मैं बहुत खुश हूं. इससे भी बड़ी बात यह है कि लोगों ने स्वीकार किया. कैरियर के अलावा कीर्ति गायकवाड़ के साथ मेरी शादी और मेरी बेटी का जन्मण्कीर्ति गायकवाड़ से बेहतर जीवन संगिनी मिल नहीं सकती थी. बेटी ने जन्म लेते ही मुझे बहुत बदला. उसके बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी. यह वह घटनाएं हैं,जिन्होंने एक इंसान व एक कलाकार के तौर पर मुझे काफी बदला.

लोग कहते हैं कि कलाकार जिस किरदार को निभाता है. उसका उसकी जिंदगी पर असर पड़ता है. क्या आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है?

बिलकुल यह बात सही है, हर किरदार से हर इंसान की जिंदगी पर असर पड़ता है. वह कुछ न कुछ उससे सीखता है. अब वह क्या सीखता है अथवा अपने अंदर क्या समेटता है. वह बहुत मायने रखता है. कई बार हम नगेटिव शेड वाले किरदार निभाते हैं पर जरुरी नहीं कि हम नगेटीविटी को अपनाएं. उससे हम यह सीखते हैं कि हमें जीवन में क्या नहीं करना चाहिए. यदि हम नगेटीविटी की बात सोच रहे हैं. तो हमें याद आता है कि फलां फिल्म में हमने फलां किरदार निभाया था. वह किरदार इस तरह से सोचता था, जो कि गलत है तो हम सावधान हो जाते हैं. और हम गलत राह पर जाने से खुद को रोक लेते हैं. देखिए किसी भी सोच या विचार को कितना बढ़ावा देना है. यह आपके हाथ में होता है तो बिलकुल हम हर किरदार से कुछ सीखते हैंण्मुझे लगता है और मेरी पत्नी भी कहती हैं कि मैं अभिनय करते हुए एक इंसान व एक कलाकार के तौर पर ग्रो हुआ हूं तो कहीं न कहीं कलाकार व किरदार एक साथ चलते हैं. जब दोंनो एक साथ यात्रा करते हैं तो एक दूसरे से सीखते रहते हैं. कई बार हम अपने निजी जीवन की कुछ बातें किरदार में पिरोते हैं तो किरदार की कुछ बातें अपनी निजी जिंदगी में डालते हैं विकास के लिए यह एक मिला जुला प्रयास होता है. इन दिनों सभी लोग मुझे शांत देखते हैं पर कभी मैं बहुत ही ज्यादा गुस्सैल हुआ करता था कभी मैं एंग्रीयंग मैन था.

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आपने बताया कि हकलाने के चलते आपको एक सीरियल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था पर इससे छुटकारा पाने के लिए आपने ऐसा क्या किया कि फिर आपको दूसरे कलाकार को अपनी आवाज देने के लिए बुलाया गया.

इसके कई पहलू हैं. सबसे पहले तो मैं हर इंसान से बार बार निवेदन करता हूं कि जो लोग हकलाते हैं या तुतलाते हैं उनका मजाक न बनाएं मेरा बहुत मजाक उड़ा था. मैं नहीं चाहता कि किसी अन्य का मजाक उड़ाया जाए. दूसरी चीज यह भी एक ऐसी बीमारी है. जिसका इलाज संभव है. अगर आप खुद उस पर ध्यान दे. मुझे कई लोगों ने कई तरह के उपाय बताएं. किसी ने कहा कि मुंह में पेंसिल डालकर बोलेए वगैरह वगैरह. मैं यह नहीं कहता कि मैं पूरी तरह से ठीक हो गया हूं. मैं अभी भी 95 प्रतिशत ही ठीक हुआ हूं. अभी भी पांच प्रतिशत हकलाता हूं. लेकिन इतना ठीक होने में समय लगा. बहुत सोचा लोगों को आब्जर्व किया. फिर मेरी समझ में आया कि हकलाहट की वजह मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि शारीरिक है. मेरे हकलाने की वजह सांस लेने का तरीका बहुत गलत था. उदाहरण के लिए आप दो सौ मीटर की दौड़ तेजी से लगाकर आओ. फिर एक वाक्य सही ढंग से बोल कर दिखाएं. आप नही बोल पाएंगे या आपकी सांस नहीं आएगी. यही हकलाहट में होता है. सांस नहीं आती है यीनी कि सांस एक रिदम में नहीं है मैंने फिल्में देखकर ही खुद को ठीक किया. अमिताभ बच्चन से ज्यादा अच्छा सांस लेने का तरीका किसी भी कलाकार का नहीं है. शत्रुघ्न सिंहा जी है तो मैंने ब्रीदिंग तकनीक पर काम किया. योगा किया. प्राणायाम किया. अगर आप यह सब करते है तो सांस लेने के तरीके की वजह से हकलाहट है तो वह दूर हो जाएगी.

जब आपको प्रभास को आपकी आवाज देने के लिए बुलाया गया तो कैसा महसूस हुआ?

बहुत अच्छा लगा. जिस चीज के लिए आपको रिजेक्ट किया गया हो जिस वजह से आपको कई बार अपमानित होना पड़ा हो, ताने पड़े हों फिर वही लोग जब आपको उसी आवाज के लिए बुलाते हैं तो एक अलग तरह की खुशी होती हैं पर मेरी सोच यह है कि मैंने जो सोचा वह मैने किया. मैंने लोगों को साबित किया कि वह गलत थे. पर मैं इसमें उनकी गलती भी नहीं मानता पर मैं यही चाहता हूं कि जो लोग मेरा मजाक उड़ाते थे. वह अब मुझे देखकर दूसरे बच्चों का मजाक उड़ाने की बात सपने में भी न सोचे जब मैंने प्रभास के लिए डबिंग की और उसकी फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की तो मुझे बहुत खुशी मिली. देखिए नब्बे प्रतिशत काम तो उसका है कि उसने उस किरदार को निभाया मगर दस प्रतिशत योगदान मेरा है लोग मुझे जानने लगे दर्शक मेरी प्रशंसा करें. इससे अधिक मुझे कुछ नही चाहिए. दर्शकों के बिना हम कलाकार शून्य हैं.

Sharad_Kelkar

आप एक बार फिर फिल्म ऑपरेशन रोमियो में खलनायक की भूमिका में नजर आएंगे?

जी हां! यह है तो खलनायक मगर मेरा दावा है कि मैंने इस तरह का किरदार अब तक नहीं निभाया है मेरे लिए इसका किरदार मंगेष जाधव अब तक के सबसे असहज लेकिन यथार्थवादी किरदारों में से एक रहा. इससे अधिक बताना संभव नहीं.

वैसे आप मुझे पिछले कुछ वर्षों से एकदम अलग तरह के किरदार में देख चुके हैं पर ऑपरेशन रोमियो का किरदार अनूठा है फिल्म में मेरा किरदार मगेश जाधव वास्तविक जीवन में मेरे जैसा नहीं है और मुझमें इस तरह के कोई रंग नहीं हैं. मैं एक बेटी का पिता हूं. मैं एक भावुक इंसान हूं. यह फिल्म एक सत्य घटनाक्रम पर आधारित है. इसकी जानकारी होते हुए भी इसकी शूटिंग के दौरान मेरे मन में बार बार सवाल उठ रहा था कि क्या ऐसा इंसान हो सकता है? फिल्म की कहानी के केंद्र में नैतिक पुलिसिंग है.   इसे देखते हुए लोग अहसास करेंगे कि कभी उनके साथ या उनके किसी जानने वाले के साथ ऐसा हो चुका है.

नैतिक पुलिसिंग की घटनाओं के बढ़ने की वजहें क्या हो सकती है?

मुझे लगता है कि कहीं न कहीं वीडियो रिकॉर्डिंग, अर्धसत्य का प्रक्षेपण और सोशल मीडिया पर सब कुछ डालने से लोगों की छवि खतरे में पड़ जाती है. मसलन, गले लगाना भी अभिवादन का एक तरीका है और यह एक सामाजिक इशारा है लेकिन हमने देखा है कि जब एक लड़का और लड़की एक.दूसरे को सामाजिक रूप से गले लगाते हैं, और उस तस्वीर को संदर्भ से हटकर सोशल मीडिया पर डालते हुए हैं. आसानी से इसकी एक कहानी बनाते हैं. मगर इस तसवीर से यह पता नहीं चलता कि यह शादी के पहले की है या शादी के बाद की.

देवयानी का धक्का मार प्यार

सौजन्य: मनोहर कहानियां

लेखक- शाहनवाज

भाजपा नेत्री सुधारानी की बेटी देवयानी पति को छोड़ कर अपने प्रेमी शिबू के साथ लिवइन रिलेशन में रह रही थी. फिर वह शिबू के दोस्त कार्तिक चौहान के संपर्क में आ गई.

19फरवरी, 2022 की रात के करीब 10 बज रहे थे. दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अंबेडकर नगर थाने में हर दिन की तरह सभी पुलिसकर्मी अपनेअपने काम में व्यस्त थे. कुछ पुलिसकर्मी डेली रुटीन की तरह इलाके में गश्त पर निकले थे, कुछ थाने में अपनी पहले की पेंडिंग रिपोर्ट को पूरा कर रहे थे, कुछ रात का डिनर कर के आराम कर रहे थे. लेकिन उसी समय थाने में फोन की घंटी बजी. वेलकम डेस्क पर बैठी महिला पुलिसकर्मी ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘हैलो, अंबेडकर नगर थाना. बताइए.’’

फोन पर दूसरी तरफ से एक लड़की ने हांफते हुए स्वर में कहा, ‘‘मैडम, जल्दी मेरे घर पर आ जाइए. मेरी मदद कीजिए. 2 बदमाश मेरे घर में घुस आए. उन्होंने मेरी मां का गला ब्लेड से चीर मार दिया है. मैडम जल्दी मदद कीजिए.’’

उस लड़की की आवाज में डर और घबराहट को साफ महसूस किया जा सकता था. यह सब बताते हुए वह लगातार रोए जा रही थी. यह सुन कर महिला पुलिसकर्मी ने तुरंत हरकत करते हुए लड़की से जरूरी डिटेल्स मांगी.

वह बोली, ‘‘मुझे अपना नाम और घर का पता बताओ. हम जल्दी से टीम को आप के घर पर भेजते हैं. हौसला रखो. हम जल्द ही आप के घर पर पहुंचेंगे.’’

दूसरी तरफ से लड़की ने फफकफफक कर रोते हुए महिला पुलिसकर्मी को जवाब दिया, ‘‘मेरा नाम देवयानी है. घर का पता, बीएच 82, मदनगीर है. आप जल्दी से घर पर आ जाइए. मुझे बहुत डर लग रहा है.’’

फोन पर देवयानी का हौसला बंधा कर महिला पुलिसकर्मी ने काल डिसकनेक्ट की और तुरंत मामले की जानकारी थानाप्रभारी मुकेश कुमार को दी.

थानाप्रभारी मुकेश कुमार ने तुरंत ही थाने में मौजूद एक टीम जिस में इंसपेक्टर (इनवैस्टीगेशन) बहादुर सिंह गुलिया, एसआई अवधेश दीक्षित और अन्य पुलिसकर्मियों को तुरंत मदनगीर में देवयानी के घर भेज दिया.

पुलिस टीम जब देवयानी के घर के पास पहुंची तो देखा कि मकान के बाहर कुछ लोग इकट्ठे हो गए थे. वे शायद अड़ोसपड़ोस के लोग ही रहे होंगे. भीड़ को छांटते हुए पुलिस टीम देवयानी के घर में पहुंची.

खून से लथपथ मिली लाश

अंदर जाते ही सब से पहले पुलिस ने देखा कि कमरे में मौजूद डबल बैड पर एक महिला की लाश पड़ी थी. उस का गला कटा हुआ था, जिस से चादर खून से सनी हुई थी. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह थी कि खून की एक बूंद भी जमीन पर नहीं थी. यहां तक कि जिस बैड पर महिला पड़ी थी, उस की चादर पर भी सिलवटों के बहुत ही कम निशान थे.

कमरे में मौजूद हर सामान अपनी जगह पर था. पुलिस ने देखा कि एक तरफ बैड पर महिला की लाश थी तो दूसरी ओर देवयानी बैड के सहारे जमीन पर बैठ कर लगातार रो रही थी. उसी समय थानाप्रभारी भी वहां पहुंच गए.

पुलिस को कमरे में आते देख देवयानी रोते हुए अपनी जगह से खड़ी हुई और पुलिस के सामने जा कर बोली, ‘‘सर, 2 बदमाश चोरी करने के लिए आए और देखिए उन्होंने मेरी मां के साथ क्या किया. उन्होंने मेरी मां को क्यों मारा. मेरी मां का भला क्या कुसूर था.’’

थानाप्रभारी मुकेश कुमार ने देवयानी की बात सुन कर उसे हौसला रखने को कहा. वह बोले, ‘‘चिंता मत करो, जिस किसी ने भी यह काम किया है, उस तक हम जल्द ही पहुंच जाएंगे और उसे सजा दिलाएंगे. हौसला मत हारो.’’

यह कहते हुए थानाप्रभारी ने अपने साथ मौजूद महिला पुलिसकर्मी को देवयानी को संभालने का इशारा किया और देवयानी का बयान दर्ज करने को कहा. उस के कमरे से बाहर जाते ही थानाप्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने मौकाएवारदात पर सबूत और सुराग ढूंढने शुरू कर दिए.

देवयानी ने दर्ज कराए अपने बयान में बताया कि जब बदमाश चोरी के उद्देश्य से कमरे में घुसे थे, तब उन के हाथों में पिस्तौल थी. उस ने यह भी बताया कि जब वे चोरी कर रहे थे, उस समय उस की मां सुधारानी ने उन्हें रोकने की कोशिश की. जब वह नहीं मानीं तो उन्होंने मां का गला ब्लेड से चीर दिया और घर से जेवरात और जमा कैश ले कर फरार हो गए.

कमरे को देख एक बात तो साफ हो गई थी कि कमरे में किसी तरह के कोई संघर्ष के सुराग नहीं मिले. बैड से अलमारी तक करीब 10 कदमों की दूरी थी. अलमारी के पट खुले हुए थे, जिस में जाहिर है जेवरात और पैसे होंगे.

ऐसे में पुलिस को सब से पहला शक इसी बात पर था कि जब अलमारी और बैड के बीच 10 कदमों की दूरी थी तो सुधारानी की लाश बैड पर क्यों थी? अगर सुधारानी ने चोरी का विरोध किया और उन से संघर्ष किया था तो कमरे में हाथापाई के बिलकुल भी निशान क्यों नहीं मिले?

खून की एक बूंद भी जमीन पर क्यों नहीं मिली और इन सब में सब से बड़ा शक इस बात पर कि जब चोर चोरी के उद्देश्य से आए और उन्होंने अलमारी से जेवरात और कैश चुरा लिया, उस के बाद जब उन्होंने सुधारानी को अपना शिकार बनाया तो सुधारानी के पहने हुए जेवर क्यों नहीं निकाले?

जी हां, बैड पर खून में लथपथ सुधारानी का शव तो पड़ा था लेकिन उन के शरीर पर मौजूद जेवर पुलिस के शक को और भी गहरा बना रहे थे. ऐसे में पुलिस टीम ने देवयानी से फिर से पूछताछ की. पुलिस ने अपने शक को ध्यान में रखते हुए देवयानी से सवालों को घुमाफिरा कर पूछा तो देवयानी का बयान बदल गया.

देवयानी के बयानों से पुलिस को हुआ शक

देवयानी द्वारा पहले दिए गए बयान से जब पुलिस ने दूसरे बयान का मेलमिलाप करने की कोशिश की तो और भी कई सवाल पुलिस के सामने उठ खड़े हुए और देवयानी पुलिस के शक के काले बादलों के बीच घिरी नजर आई.

ऐसे में अगले दिन 20 फरवरी को जब पुलिस ने देवयानी से सख्ती से पूछताछ की तो वह पुलिस पूछताछ के आगे टिक नहीं पाई. उस ने यह कुबूल कर लिया कि उस की मां, सुधारानी की हत्या के पीछे उसी का हाथ है.

यह जान कर पुलिस टीम ने अपना सिर पकड़ लिया. आखिर कोई इंसान अपनी ही मां की हत्या को भला क्यों अंजाम देगा? यह मामला इसलिए भी संगीन हो चला था क्योंकि सुधारानी इलाके में सब से रसूखदार और सम्मानित महिला थी.

सुधारानी दिल्ली में इसी साल नगर निगम चुनावों में अपने इलाके मदनगीर से निगम पार्षद के लिए भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी की दावेदार थी.

सुधारानी का पौलिटिक्स से रिश्ता बहुत पुराना था. उन्होंने साल 2007 में दिल्ली में इसी इलाके से नगर निगम चुनाव के लिए निगम पार्षद के रूप में भाजपा से टिकट हासिल कर चुनाव लड़ा था. हालांकि 2007 के चुनावों में उन्हें कांग्रेस की प्रत्याशी बीना ठाकुरिया के हाथों हार मिली थी, लेकिन उन की अपने क्षेत्र में लोगों के बीच काफी गहरी पैठ थी.

सुधारानी का परिवार भाजपा का हमेशा से समर्थक रहा है. सुधा के पति रामजी लाल भी भाजपा के कट्टर समर्थक और कार्यकर्ता थे. साल 2003 में रामजी लाल को राजनीतिक विरोध के चलते उन्हें उन्हीं के घर के सामने गोलियां मार कर उन की हत्या कर दी गई थी. उस समय सुधारानी के बच्चे, बेटी देवयानी और बेटा विक्रांत उम्र में बहुत छोटे थे.

सुधारानी ने अकेले अपने दोनों बच्चों को खुद के बूते पर पालपोस कर बड़ा किया और उन की शादी करवाई. बेटा विक्रांत शादी के बाद अपने परिवार के साथ मुंबई में रह रहा था. घर में सुधा और देवयानी के साथ सुधा का भाई संजय भी रहता था. जो कभीकभार कुछ दिनों के लिए सुधा के घर रुकने के लिए आ जाया करता था.

देवयानी से पूछताछ में हत्या की वजह आई सामने

देवयानी ने पूछताछ के दौरान मां की हत्या की जो वजह बताई, उसे जान कर हर किसी की आंखें खुली की खुली रह गईं. दरअसल, देवयानी की शादी 5 साल पहले ग्रेटर नोएडा के रहने वाले चेतन से हुई थी. चेतन नोएडा में एक ला फर्म में काम करता है और बहुत ही सम्मानित व्यक्ति है.

चेतन और देवयानी दोनों का 4 साल का एक बेटा भी है. लेकिन करीब 4 साल पहले देवयानी अपने पति चेतन को छोड़ कर शादी से पहले के अपने प्रेमी दक्षिणपुरी निवासी शिबू के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. वह भी बिना तलाक दिए.

देवयानी और शिबू दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे, इसी वजह से देवयानी अपने पति को छोड़ कर शिबू के साथ रहने लगी थी. देवयानी की शादी उस की मरजी के खिलाफ हुई थी. लेकिन उस समय परिवार की स्थिति को देखते हुए उसे इस शादी का विरोध करना उचित नहीं लगा.

चेतन को छोड़ आने की वजह से सुधा देवयानी से बहुत नाराज थी. सुधा उसे पति के पास लौट जाने के लिए समझाया करती, लेकिन सुधा की हर बात देवयानी एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती.

चेतन को छोड़ कुछ समय तक देवयानी अपने प्रेमी शिबू के साथ रही तो सुधारानी से देखा नहीं गया. रसूखदार होने की वजह से सुधारानी की घरगृहस्थी की बातें अड़ोसपड़ोस में फैलने में देर नहीं लगी.

लोगों की नजरों में सुधा के लिए इज्जत देवयानी की वजह से घटने लगी थी. गलीमोहल्ले में हर कोई जो भी सुधा को जानता, वह उस की बेटी के किस्से को भी जान गया था.

सुधारानी मोहल्ले में अपनी साख खोने लगी थी, उसे लगने लगा था कि जैसे उस की बेटी की वजह से उस की इज्जत मिट्टी में मिलती जा रही है.

ऐसे में सुधा ने देवयानी और उस के 4 साल के बच्चे को अपने घर पर बुला लिया. उसे लगा कि अगर उस की बेटी इस तरह से बाहर रहेगी तो उस की नाक इसी तरह से कटती रहेगी. देवयानी को भी अपनी मां के पास रहने में कोई समस्या नहीं लगी.

प्रेमी शिबू के दोस्त कार्तिक से हो गए देवयानी के संबंध

वक्त बीतता गया और देवयानी व शिबू के रिश्तों में गहराइयां बढ़ती गईं. देवयानी मदनगीर में अपनी मां के घर पर कम रुकती और दक्षिणपुरी में शिबू के घर पर ज्यादा. यहां तक कि उस का 4 साल का बेटा भी ज्यादातर शिबू के साथ ही रहता था. शिबू के दोस्तों से भी देवयानी की दोस्ती हो गई.

लेकिन इस कहानी में मोड़ तब आया, जब शिबू का एक दोस्त कार्तिक चौहान की दोस्ती देवयानी से बहुत ज्यादा बढ़ गई. शिबू काम पर जाता तो अकसर कार्तिक देवयानी से मिलने शिबू के घर आताजाता रहता.

कार्तिक अपने मन में देवयानी के लिए भावनाएं पैदा कर चुका था. सिर्फ कार्तिक ही नहीं देवयानी का भी कार्तिक के प्रति झुकाव बढ़ने लगा था. इस बात से शिबू बेखबर था, लेकिन यह बात किसी तरह से सुधा को पता लग गई थी.

सुधारानी को जब पता चला कि देवयानी के रिश्ते अब शिबू के दोस्त कार्तिक से बनने लगे हैं तो उस के मन को गहरा झटका लगा.

उस ने सोचा कि एक तो पहले से ही देवयानी ने अपने पति को छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ रह कर उस की इज्जत खाक में मिला रखी है तो वहीं अब कार्तिक से रिश्ते की बात जानने के बाद लोगों के मन में उस के प्रति जो इज्जत बची है, वह भी खत्म हो जाएगी.

सुधा को देवयानी के नए रिश्ते के बारे में पता लगने के बाद उस ने यह तय किया कि वह अपनी बेटी को जल्द से जल्द चेतन के पास लौट जाने के लिए दबाव बनाएगी. सुधा को सिर्फ अपनी इज्जत की ही नहीं पड़ी थी, बल्कि वह अपनी बेटी के भविष्य को सुरक्षित हाथों में सौंपना चाहती थी.

क्योंकि शिबू और उस के सभी दोस्त अंबेडकर नगर इलाके में बदमाशी, चोरीचकारी, लूटपाट जैसे कामों में संलिप्त थे. यह सोचते हुए सुधा ने पहले कुछ समय तक देवयानी को लगभग हर दिन ताने मारने शुरू किए.

जब उसे यह महसूस हुआ कि उस की बेटी उस की बातों को अनसुना कर रही है तो उस ने दबाव बनाने के लिए उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर देने की धमकियां दीं.

संपत्ति से बेदखली की बात से देवयानी के मन में मां के प्रति गुस्सा पैदा हो गया. सिर्फ यही नहीं, सुधा ने देवयानी के खर्चों पर भी रोक लगा दी. सुधा ने उसे पैसे देने बंद कर दिए.

कुछ समय तक देवयानी ने अपने खर्चों के लिए शिबू से पैसे मांगे, लेकिन इस से उस को दिक्कत महसूस होने लगी. देवयानी अपनी मां के तानों से परेशान हो गई थी, जिस के ऊपर संपत्ति से बेदखल करने की धमकी उस की दुखती नब्ज पर हाथ रखने जैसी हो गई.

इस तरह से हत्या को दिया अंजाम

देवयानी अपना जीवन अपने तरीके से जीना चाहती थी और इस में उसे किसी की दखलंदाजी बरदाश्त नहीं थी. देवयानी के मन में शिबू के लिए लगाव समय के साथसाथ कम होता जा रहा था और कार्तिक के लिए बढ़ता जा रहा था. ऐसे में इन सब से परेशान हो कर छुटकारा पाने के लिए देवयानी ने अपनी मां की हत्या का प्लान बनाया.

देवयानी ने अपनी मुसीबतों की जड़ यानी अपनी मां को अपने रास्ते से हटाने के लिए शिबू का नहीं बल्कि कार्तिक का इस्तेमाल किया. उस ने अपने इस प्लान की शिबू को भनक तक नहीं लगने दी. क्योंकि वह अब शिबू के साथ नहीं बल्कि कार्तिक के साथ अपना जीवन बिताना चाहती थी. इसलिए उस ने इस हत्या को अंजाम देने के लिए कार्तिक को तैयार कर लिया था.

15 फरवरी, 2022 के दिन जब कार्तिक देवयानी से मिलने के लिए आया तो देवयानी ने उस से कहा, ‘‘कार्तिक, देखो मैं ने हमारे लिए कुछ प्लान किया है. मैं चाहती हूं कि इस प्लान में तुम मेरा साथ दो. मैं ने शिबू को इस बारे में कानोंकान खबर तक नहीं होने दी है.’’

क्योंकि कार्तिक देवयानी को पसंद करने लगा था इसलिए उस ने उस के प्लान को सुनने से पहले ही उसे हामी भर दी.

हालांकि देवयानी का प्लान सुनने के बाद उसे थोड़ा आश्चर्य जरूर हुआ, लेकिन वह अपने वादे का पक्का था और देवयानी ने उसे भरोसा दिया था कि उस की मां की हत्या के बाद वह शिबू के साथ नहीं, बल्कि उस के साथ अपना जीवन बिताएगी.

देवयानी के प्लान के मुताबिक, कार्तिक ने 19 फरवरी, 2022 की शाम को देवयानी को चाय में नींद की गोलियां दीं. रात को खाना खाने के बाद करीब 9 बजे देवयानी ने अपनी मां सुधा से चाय बनाने के लिए पूछा.

सुधा हर रात खाना खाने के बाद चाय पीती थी तो देवयानी ने अपनी मां और मामा संजय के लिए चाय बनाई, जिस में उस ने नींद की गोलियां मिला दीं.

चाय पीने के बाद सुधा और संजय को नींद आ गई. सुधा अपने कमरे में सो गई तो उस के मामा संजय पहली मंजिल पर सोने के लिए चले गए. उन के सोते ही देवयानी ने फोन कर कार्तिक को हत्या के लिए बुला लिया.

कार्तिक सुधा की हत्या के लिए अपने साथ केमिस्ट की दुकान से सर्जिकल ब्लेड ले कर आया था. कार्तिक के कमरे में घुसते ही देवयानी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और कार्तिक ने बैड पर गहरी नींद में सोई सुधारानी का गला उसी सर्जिकल ब्लेड से रेत दिया, जो वह अपने साथ ले कर आया था. सुधा का गला ब्लेड से काटने के बाद कार्तिक ने वह ब्लेड कमरे की खिड़की से बाहर फेंक दिया.

गहरी नींद में होने की वजह से सुधा की आंखें खुलने से पहले ही अत्यधिक खून बह जाने की वजह से उस के दिल की धड़कनें बंद हो गईं.

ज्यादा वक्त न बरबाद करते हुए देवयानी ने अलमारी से जेवरात और कैश निकाल कर कार्तिक के हाथों थमा दिए, जिसे ले कर वह तुरंत फरार हो गया. इस के बाद मामले को लूटपाट में हुई हत्या दर्शाने के लिए देवयानी ने खुद ही पुलिस को फोन कर यह सब कहानी बनाई. लेकिन वह अंत में खुद ही पकड़ी गई.

पुलिस के सामने अपना जुर्म कुबूल करने के बाद देवयानी की निशानदेही पर पुलिस की टीम ने हत्या में इस्तेमाल हुई सर्जिकल ब्लेड को घर के बाहर गली से बरामद कर लिया. यही नहीं मात्र 24 घंटों के भीतर ही पुलिस ने मामले में दूसरे आरोपी कार्तिक चौहान को गिरफ्तार कर लिया.

हत्यारोपी कार्तिक चौहान और देवयानी को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

सुधारानी हत्याकांड में दोनों मुख्य आरोपी जेल में बंद थे और मामले की तफ्तीश चल रही है. इस मामले में किसी और के शामिल होने के तथ्य पुलिस तलाश रही थी,ताकि कोई और अन्य आरोपी इस मामले में बच न पाए.

उन का प्यार बर्फ में जम गया : भाग 1

जिंदगी में कभीकभी ऐसा घट जाता है, जिस के बारे में  सोचा भी नहीं होता. डेनियल की पत्नी 3 साल पहले ही मर गई थी और वह अकेले ही हैरिस काउंटी में रहते हैं. उन के एक बेटा मेसन अलस्का में जा बसा है. डेनियल की मुलाकात डिवोर्सी लोयला से ग्रोसरी का सामान खरीदते वक्त होती है. वह डेनियल के सामान की डिलीवरी करने उस के घर भी जा चुकी है. लोयला की एक बेटी मार्था है. दोनों बच्चे तो चाहते हैं कि वे दोनों शादी कर लें, पर शादी से पहले ही उन की जिंदगी में भूचाल आ गया.

टेक्सास अमेरिका का एक प्रांत है जो लैंड मास क्षेत्रफल में पहले स्थान पर और आबादी में दूसरे

स्थान पर है. यों तो टेक्सास अमेरिका में अपने गरम मौसम और तेल और गैस के लिए मशहूर है, पर

हाल में कुछ दिनों पहले आई त्रासदी ने इस राज्य की तसवीर ही बदल कर रख दी है. फरवरी के मध्य

में आए भयंकर विंटर स्टार्म, बरसात और बर्फबारी ने लाखों टेक्सासवासियों की जिंदगी तबाह कर दी. उन दिनों टेक्सास मौसम और कोरोना महामारी दोनों की कहर झेलने को मजबूर था.

कोरोना से सब से ज्यादा प्रभावित राज्यों में टेक्सास एक था.

60 वर्षीय डेनियल ह्यूस्टन के पास हैरिस काउंटी में रहता था. उस की पत्नी का देहांत 3 साल पहले हो चुका था. उस का इकलौता बेटा मेसन सुदूर उत्तरपश्चिम प्रांत अलास्का में जा बसा था.

पत्नी के निधन के बाद डेनियल अकेला ही घर में रहता था. उसे दिल की बीमारी थी और साथ में उस के घुटनों में काफी दर्द रहता था, इसलिए वह बाहर बहुत कम जाता था. वैसे भी वह एकांतप्रिय था. वीकेंड में ग्रोसरी स्टोर में काफी भीड़ रहती है, इसलिए सप्ताह के मध्य में ही वह अपनी ग्रोसरी खरीदा करता.

डेनियल जिस स्टोर से अकसर ग्रोसरी खरीदा करता, वहां लोयला नाम की एक औरत काम करती थी, जिसे वह जानता था.

लोयला एक अधेड़ डिवोर्सी थी. लोयला का पति और डेनियल दोनों कुछ वर्ष एक ही कंपनी में काम करते थे. कभी आनाजाना भी होता था. उस का पति डिवोर्स के बाद दूसरे राज्य में चल गया

था. कोरोना महामारी के बाद पिछले कुछ महीनों से उस ने ग्रोसरी स्टोर जाना बंद कर दिया था और अपनी जरूरत की सारी चीजों की होम डिलीवरी करवा रहा था.

अकसर प्रति सप्ताह लोयला ही डेनियल की ग्रोसरी की होम डिलीवरी करती. डेनियल का घर

लोयला के घर के रास्ते में पड़ता था, इसलिए लोयला उस का सामान ड्राप कर अपने घर चली जाती, कभी डेनियल के कहने पर रुक कर कुछ बातें भी कर लेती. इधर पिछले 10 महीनों से दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह जानने लगे थे. दोनों कभी अकेलेपन का दर्द भी बांट लेते. दोनों एकदूसरे को कहते कि जीवन में एक साथी होना चाहिए, पर खुल कर एकदूसरे के साथी बनने की बात नहीं करते. लोयला की बेटी मार्था शादी के बाद एरिजोना प्रांत में सैटल कर गई थी.

अमेरिका में बुजुर्गों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए डेनियल के बेटे मेसन ने भी उसे बाहर जाने से मना कर दिया था.

एक दिन उस ने पिता को कोरोना वायरस के टीके के बारे में फोन कर कहा, “टेक्सास में टीका दिया जा रहा है और आप भी जल्द जा कर टीका ले लें.“

डेनियल ने फोन पर कोविड 19 के टीके के लिए काउंटी हेल्थ में अपना रजिस्ट्रेशन कराया. जनवरी के तीसरे सप्ताह में डेनियल को काउंटी हेल्थ डिपार्टमेंट से कोरोना वायरस का टीका लेने की सूचना मिली. उसे 24 तारीख को वहां जाना था. उस के एक दिन पहले से ही मौसम खराब होने लगा. बारिश और ठंड दोनों बढ़ गई थीं. फिर भी डेनियल ने यथासमय पर जा कर टीके का पहला डोज लिया. उसे तीन सप्ताह बाद आ कर दूसरा डोज लेने को कहा गया.

फरवरी के पहले सप्ताह के अंत में डेनियल अपना वीकली ग्रोसरी खरीदने खुद स्टोर गया. उसे देख कर लोयला बोली, “हाय मिस्टर डेनियल. इस बार आप का होम डिलीवरी का आर्डर नहीं देखा, तो मुझे लगा कि शायद आप शहर से बाहर गए हैं. एनी वे , इट्स नाइस टू सी यू हियर.”

“तुम जानती हो, मैं घर से बाहर ज्यादा नहीं निकलता हूं. आज मूड आया कि स्टोर रैक से अपनी पसंद की चीजें लूं. तुम लोग दूध, दही, ब्रेड, हनी आदि के जो ब्रांड तुम्हारे जी में आता है भेज देती हो.”

“नो डेनियल. हम लोग हमेशा ग्राहकों की पसंद का खयाल रखते हैं. जब आप लोगों की पहली पसंद स्टाक में नहीं होती तो हम दूसरा निकटतम ब्रांड देते हैं, ताकि आप का काम चल जाए.”

“तुम्हारा कहना भी सही है लोयला, पर कभी हमें भी बाहर निकलने का मन करता है. आज मूड आया तो चला आया, तुम से दो बातें भी हो गईं. आमतौर पर तुम ग्रोसरी कार्टन्स बाहर रख कर डोर बेल बजा कर चली जाती हो. आज तुम्हें देखने को जी चाहा, इसलिए भी आया हूं,” बोल कर डेनियल हंस पड़ा.

लोयला ने भी पलट कर हंसते हुए कहा, “मजाक अच्छा कर लेते हैं डेनियल. वैसे, आप जब भी मुझे याद करें, मैं ग्रोसरी आवर्स के बाद हाजिर हूं आप की सेवा में.”

“अच्छा, अब ये रही मेरी लिस्ट. मुझे हेल्प करो और जल्दी से ये चीजें मेरे कार्ट में रखती जाओ.”

ग्रोसरी पिक कर डेनियल अपने कार्ट के साथ पेमेंट काउंटर पर लाइन में खड़ा हो गया. आम दिनों की अपेक्षा लाइन कुछ लंबी थी. आने वाले दिनों में खराब मौसम का अनुमान था, इसलिए लोग भी ज्यादा थे और सामान भी ज्यादा खरीद रहे थे. तभी अचानक बिजली चली गई. करीब आधे घंटे तक बिजली नहीं आई, तो स्टोर ने अनाउंस किया, “फिलहाल जब तक बिजली नहीं आती, स्टोर

रैक से आप लोग कुछ भी न पिक करें, सेल इज क्लोज्ड. जो अपने सामान के साथ पेमेंट लाइन में लगे हैं, वे बिना पेमेंट किए अपने सामान के साथ जा सकते हैं. स्टोर की तरफ से इन्हें गिफ्ट समझें.“

सभी ग्राहक अपने कार्ट ले कर जल्दीजल्दी पार्किंग की ओर भाग चले. गेट पर लोयला खड़ी थी. डेनियल को देख कर कहा, “गुड लक. आज का आना अच्छा रहा. ग्रोसरी फ्री औफ कोस्ट.”

डेनियल मुसकरा कर अपनी कार की तरफ चल पड़ा.

क्या असल जिंदगी में एक-दूसरे से नफरत करते हैं अनुपमा-वनराज!

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अनुपमा-अनुज की शादी की तैयारियां चल रही है. तो वहीं वनराज को जलन हो रही है. शो में अनुपमा और वनराज को एक-दूसरे को ताना मारते हुए दिखाया जाता है. अक्सर दोनों को लेकर यह भी खबरे आती है कि वे ऑफस्क्रीन भी एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला.

रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे को लेकर कहा गया था कि दोनों के बीच कोल्ड वॉर जारी है. वनराज ने इन सभी बातों पर चुप्पी तोड़ी है और अनुपमा संग अपनी बॉन्डिंग का भी खुलासा किया है.

 

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रिपोर्ट के अनुसार, सुधांशु पांडे ने एक इंटरव्यू में अनुपमा संग अपनी बॉन्डिंग पर बताया कि मुझे लगता था कि रुपाली के जन्मदिन पार्टी की तस्वीरें वायरल होने के बाद ये सभी अटकलें खत्म हो जाएंगी. सुधांशु पांडे ने आगे कहा कि  मुझे लगा था कि कोल्ड वॉर से जुड़ी ये सभी अफवाहें खत्म हो जाएंगी, क्योंकि हमने पार्टी में साथ में काफी एंजॉय किया था. लोगों ने इंटरनेट पर हमारी तस्वीरें देखी भी थी.

 

सुधांशु पांडे ने इस बारे में बात करते हुए आगे कहा कि  मैं उम्मीद करता हूं कि ये सभी अफवाहें खत्म होगी. क्योंकि इनमें कोई सच्चाई नहीं है.

 

GHKKPM: दोबारा शादी के बंधन में बंधेंगे सई और विराट, देखें Video

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों बड़ा ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि विराट सई से नाराज नजर आ रहा है, लेकिन सई उसे मनाने की हर तरह से कोशिश कर रही है. शो के आने वाले एपिसोड में सई-विराट की शादी का ट्रैक देखने को मिलने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में शादी का ट्रैक देखने को मिलने वाला है. दरअसल शो से जुड़ा एक प्रोमो वायरल हुआ है. जिसमें सई और विराट फिर से शादी के बंधन में बंधते नजर आएंगे. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सई और विराट फेरे ले ही रहे है कि वहां काकू पहुंच जाती हैं और शर्त रखती है कि सई उनके घर की बहू तब ही बन सकती है, जब वह डॉक्टरी छोड़ेगी.

 

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वीडियो में आप ये भी देख सकते हैं कि विराट काकू की बातों को अनदेखा कर सई की मांग में सिंदूर भर देता है. शो के आने वाले एपिसोड में सई-विराट का शादी का ट्रैक देखना बेहद दिलचस्प होगा.

 

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शो के बीते एपिसोड में दिखाया गया कि शिवानी और राजीव की शादी की जश्न के बीच ही राजीव को हार्ट अटैक आ जाता है, तो सई राजीव का इलाज करती है और उसकी कोशिश रंग लाती है.

 

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शो में आपने ये भी देखा कि सई  विराट से अपना दर्द बयां करती है और उससे गलती को माफ करने की भीख मांगती है. इतना ही नहीं, वह विराट से परिवार को एक और मौका देने के लिए भी कहती है. सई की बातें सुनकर विराट की आंखें भी भर आती हैं. सई उसे समझाती है कि उसकी अश्विनी आई दोबारा उससे वही प्यार चाहती है.

क्या कंधे के दर्द और शुगर होने का कोई संबंध है?

सवाल

मेरी उम्र 52 वर्ष है. एक महीने से मेरे कंधे में बहुत अकड़न है. फिजियोथेरैपी करवाई है लेकिन खास फायदा नहीं पड़ रहा. शुगर टैस्ट करवाई तो वह बौर्डर लाइन पर है तो क्या कंधे के दर्द और शुगर होने का कोई संबंध है?

जवाब

जी हां, फ्र?ोजन शोल्डर डाइबिटीज में काफी आम बात है. 100 रोगियों में 50 की उम्र के 40 फीसदी लोगों में फ्रोजन शोल्डर होगा.

यह अच्छी बात है कि आप की डाइबिटीज अभी बौर्डर लाइन पर है पर लापरवाही बिलकुल नहीं बरतनी है. डाक्टरी परामर्श लीजिए और अपने खानपान में हैल्दी बदलाव कीजिए.

डाइबिटीज और डिजेनरेटिव जौइंट डिसऔर्डर या औस्टियो आर्थ्रराइटिस के मामले बहुत आम हैं. ये एकदूसरे के बिलकुल समानांतर चलते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि डाइबिटीज का सीधा संबंध विटामिन डी और कैल्शियम की कमी, प्रतिरक्षा (इम्यून) प्रतिक्रिया में कमी और ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होने) से है.

शुगर व डाइट कंट्रोल और फिजियोथेरैपी इस का इलाज है. जब तक मामला ज्यादा गंभीर नहीं है, दवाई या सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी. आराम के लिए दर्द वाली जगह पर 15 मिनट के लिए हीटिंग पैड का दिन में 2 या 3 बार प्रयोग कर सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

स्कूली शिक्षा पर फोकस

भाजपा शासित गुजरात के सरकारी स्कूलों का दौरा कर के आम आदमी पार्टी ने वहां के सरकारी स्कूलों की बदहाली का जिक्र किया, बदले में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को आड़े हाथों लिया, इस से यह तो हुआ कि मंदिरों की जगह कुछ दिनों के लिए सरकारी स्कूलों पर फोकस तो हुआ. शिक्षा के निजीकरण के नाम पर जिस बुरी तरह से मुफ्तशिक्षा के हक को कुचला गया, वह देश और समाज के लिए खतरनाक है व उस की चिंता किया जाना जरूरी है.

भारतीय जनता पार्टी की सामाजिक सोच ही नहीं, उस के लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा यह है कि शिक्षा कुछ लोगों को मिले और जो शिक्षित हों वे एक खास वर्ग व जाति से आएं जिन का उल्लेख गीता में कृष्ण ने बारबार किया है और जिसे पुराणों में बारबार दोहराया गया है. पहले भी शिक्षा का मतलब निजी शिक्षा थी जिस में ब्राह्मण और श्रत्रियपुत्र किसी गुरु के घर में रह कर शिक्षा पाते थे. वहां आम जना अपने बच्चों को नहीं भेज सकता था. आज उसी युग को वापस लाने की कोशिश में भगवाई भाजपा सरकार को काफी हद तक सफलता मिली है. ऐसी स्थिति में एक उभरते राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी का सवाल उठाना एक सुखद संकेत है.

शिक्षा कुछ तक ही रहे, इस के लिए तरहतरह के प्रपंच किए जा रहे हैं, जैसे पौराणिक व्यवस्था थी कि शिक्षा व पठनपाठन का काम केवल ब्राह्मण करेंगे जो पिछले जन्मों के कर्मों के कारण उच्च कुल में पैदा हुए हैं. आज शिक्षा केवल अमीरों के बच्चों को मिलने का प्रबंध किया जा रहा है जो ऊंचे घरों में पैदा हुए हैं.

हिंदी मीडियम, इंग्लिश मीडियम का शिगूफा छेड़ कर पिछले 50-60 सालों से कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने शिक्षा में 2 वर्ग पैदा कर दिए. अगर ज्ञान इंग्लिश में ही था तो कोई वजह नहीं थी कि 1950 से ही सरकारी स्कूलों में इंग्लिश पढ़ाई जाती. गुरुकुलों में घरेलू भाषा बोलने वालों को संस्कृत ही पढ़ाई जाती थी और मदरसों में अरबी, फारसी. 1950 से ही सरकारी स्कूलों में इंग्लिश की शिक्षा दी जाती और वह अमीरगरीब व सभी जातियों को दी जाती तो कोई कारण नहीं था कि आज देश में हरेक को 2 भाषाओं के ज्ञान पर अधिकार होता.

यह जानबूझ कर किया गया कि शिक्षा पर भरपूर पैसा तो दिया गया पर वह अध्यापकों के लिए बैठेबिठाए सरकारी नौकरियां देने के लिए, पढ़ाई की जिम्मेदारी तो कोचिंग संस्थानों पर डाल दी गई जिन का धंधा जम कर फलफूल रहा है. आम घरों से पिछड़े व दलित पढ़ न पाएं, इसलिए सरकारी स्कूलों को बुरी तरह सडऩे दिया गया. सरकारी स्कूल का काम तो वोटिंग बूथ बनाने के लिए रह गया, हुनरमंद शिक्षित युवा तैयार करना नहीं. आज देश की आधी से ज्यादा आबादी युवा है पर वह न पढऩा जानती न लिखना और न ही उस में कोई खास स्किल है. जो स्किल्ड हैं भी, वे बाहर से विदेशी उस्तादों से पढ़ाई सीख कर आए हैं, जो इंजीनियर हैं वे पेंचकस पकडऩा भी नहीं जानते.

सरकारी स्कूलों का महत्त्व जरूरी है. निजी स्कूल भाग्य, जातिभेद, वर्गभेद, वर्णभेद बनाए रखने के लिए रखने जरूरी भी हों तो भी उन का पाठ्यक्रम, भाषा, माध्यम बिलकुल एकजैसा होना चाहिए. सरकारी स्कूल जनता के पैसे से चल रहे हैं तो वे शिक्षा में ज्यादा बेहतर होने चाहिए. अमीरों के स्कूलों के बच्चों को शान बघारनी है तो वे फिनिशिंग स्कूलों में जाएं जहां मैनर्स सिखाए जाते हैं, पढ़ाया नहीं जाता. आम आदमी पार्टी ने स्कूली शिक्षा को राजनीतिक मुद्दा बना कर राजनीति में रोचकता लाई है जो सराहनीय है.

अप्रैल महीने के खेती से जुड़े काम

अप्रैल महीने तक गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती  है. इन दिनों खास काम गेहूं की फसल की कटाई करने का होता है, इसलिए गेहूं काटने के बाद उसे अच्छी तरह सुखा कर उस की गहाई करें. अगर उस के भंडारण का इरादा है, तो उस के लिए भंडारण के नए व उन्नत तरीकों को आजमाएं.

चने की फसल भी अप्रैल माह में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. लिहाजा, इस की कटाई का काम भी फौरन निबटा लेना चाहिए.

गन्ने के खेत में निराईगुड़ाई करें और किसी तरह के खरपतवार न पनपने दें. बेहतर होगा कि निराईगुड़ाई से पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद, कंपोस्ट खाद या केंचुआ खाद डालें. इस के बाद निराईगुड़ाई करने से खादें खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएंगी. इस तरह खेत में बेहतर गन्ने पैदा होंगे.

सूरजमुखी के खेत का मुआयना करें. उन में अप्रैल तक फूल आने लगते हैं. ऐसे में खेत की निराईगुड़ाई करना जरूरी होता है. खेत की नमी का जायजा भी लें. नमी में कमी होने पर सिंचाई करें.

गरमी के मौसम में मूंग के बोने का भी यह सही वक्त है. अगर मूंग बोने का इरादा हो,

तो 15 अप्रैल तक इस की बोआई का काम निबटा लें.

जो मूंग मार्च महीने में बोई गई थी, उस के खेत की जांच भी करें. अमूमन अप्रैल में इसे सिंचाई की जरूरत होती है.

इस बीच फूलगोभी की बीज वाली फसल आमतौर पर कटाई के लायक हो जाती है. लिहाजा, उस की कटाई का काम निबटा लें. कटाई के बाद फसल को सुखा कर बीज निकाल लें. बीजों को सही तरीके से पैक उन का भंडारण करें.

फरवरीमार्च महीनों के दौरान डाली गई नर्सरी के पौधों की रोपाई कर दें. रोपाई करने के बाद सिंचाई जरूर करें.

अरवी की खेती का इरादा हो, तो अप्रैल में ही इस की अगेती किस्मों की बोआई का काम निबटा लें.

मार्च में रोपी गई बैगन की फसल में निराईगुड़ाई करें व जरूरत के हिसाब से सिंचाई भी करें. नाइट्रोजन के लिहाज से खेत में यूरिया खाद डालें व बराबर नमी बनाए रखें.

अप्रैल में लहसुन की फसल की खुदाई निबटा लें. खोदने के बाद फसल को 3 दिनों तक खेत में रहने दें. इस के बाद छाया में ठीक से सुखा कर लहसुन का भंडारण करें.

अप्रैल तक मूली व गाजर की बीज वाली फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती?है. उस की कटाईर् कर के फसल को ढंग से सुखाने के बाद बीज निकालें. बीजों को ठीक से सुखा कर

पैक करें और फिर उन का सही तरीके से भंडारण करें.

अदरक की बोआई का काम भी अप्रैल में निबटाएं. बोआई के लिए करीब 20 ग्राम वाले कंदों का इस्तेमाल करें. इस की बोआई 30-40 सैंटीमीटर की दूरी पर मेंड़ें बना कर करें. कंदों के बीच 20 सैंटीमीटर का फासला रखें.

यदि शिमला मिर्च की फसल लगाई हो, तो उस की निराईगुड़ाई करें व जरूरत के हिसाब से सिंचाई भी करें. यूरिया खाद भी डालें, ताकि नाइट्रोजन की कमी न रहे और फल अच्छे किस्म के आएं.

आम के बागों की सिंचाई करें, ताकि नमी कम न होने पाए. पेड़ों पर कीटों या बीमारियों के लक्षण नजर आएं, तो कृषि वैज्ञानिक से राय ले कर सही दवा का इस्तेमाल जरूर करें.

इनसानों की तरह गायभैंसों, भेड़बकरियों को भी सारे साल खाने यानी चारे की दरकार रहती है. पशुओं के चारे के लिहाज से अप्रैल में मक्का, लोबिया व बाजरे की बोआई करें, ताकि मईजून में चारे की दिक्कत न रहे. फरवरी में चारे के लिए जो फसलें बोई गई थीं, उन में नाइट्रोजन की खुराक देने के लिए यूरिया खाद डालें और खेत में बराबर नमी कायम रखें.

पशुओं को जरूरी कीड़ों की दवाएं खिलाने का पूरा खयाल रखें. अगर गाय या भैंस गरमी में आ जाए, तो उसे अस्पताल ले जा कर या डाक्टर बुला कर गाभिन कराने में कतई देरी न करें.                                          ठ्ठ

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