अप्रैल महीने तक गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती  है. इन दिनों खास काम गेहूं की फसल की कटाई करने का होता है, इसलिए गेहूं काटने के बाद उसे अच्छी तरह सुखा कर उस की गहाई करें. अगर उस के भंडारण का इरादा है, तो उस के लिए भंडारण के नए व उन्नत तरीकों को आजमाएं.

चने की फसल भी अप्रैल माह में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. लिहाजा, इस की कटाई का काम भी फौरन निबटा लेना चाहिए.

गन्ने के खेत में निराईगुड़ाई करें और किसी तरह के खरपतवार न पनपने दें. बेहतर होगा कि निराईगुड़ाई से पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद, कंपोस्ट खाद या केंचुआ खाद डालें. इस के बाद निराईगुड़ाई करने से खादें खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएंगी. इस तरह खेत में बेहतर गन्ने पैदा होंगे.

सूरजमुखी के खेत का मुआयना करें. उन में अप्रैल तक फूल आने लगते हैं. ऐसे में खेत की निराईगुड़ाई करना जरूरी होता है. खेत की नमी का जायजा भी लें. नमी में कमी होने पर सिंचाई करें.

गरमी के मौसम में मूंग के बोने का भी यह सही वक्त है. अगर मूंग बोने का इरादा हो,

तो 15 अप्रैल तक इस की बोआई का काम निबटा लें.

जो मूंग मार्च महीने में बोई गई थी, उस के खेत की जांच भी करें. अमूमन अप्रैल में इसे सिंचाई की जरूरत होती है.

इस बीच फूलगोभी की बीज वाली फसल आमतौर पर कटाई के लायक हो जाती है. लिहाजा, उस की कटाई का काम निबटा लें. कटाई के बाद फसल को सुखा कर बीज निकाल लें. बीजों को सही तरीके से पैक उन का भंडारण करें.

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