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GHKKPM: विराट का ट्रांसफर रोकने के लिए सई करेगी ये काम

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Mein) की कहानी में एक नया मोड़ आ चुका है. शो में एक नयी एंट्री हुई है, जिससे शिवानी का कनेक्शन है. शो के आने वाले एपिसोड में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि सई शिवानी के अतीत के बारे में जानने की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ सम्राट  सम्राट, पाखी को सई की बुराई करने से रोकता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई कॉलेज से घर आती है और विराट को सन्नी के साथ फिजियोथेरेपी सेशन में जाते देखती है.

 

सई मन ही मन सोचती है कि डीआईजी सर को विराट का फिटनेस प्रमाण पत्र मिल जाएगा तो वो उनका ट्रांसफर कर देंगे. सई विराट का ट्रांसफर रोकने के लिए कुछ सोचने लगती है. तो दूसरी तरफ डॉक्टर विराट की रिपोर्ट की जांच करते है और कहते हैं कि वह जल्द ही ठीक हो जाएंगे.

 

शो में आप देखेंगे कि डॉक्टर सई की भी तारीफ करते है कि उसने विराट का बहुत अच्छे से ख्याल रखा. तो वहीं शिवानी, राजीव के बारे में सोचकर उदास रहती है. सई उसकी पसन्द का केक लेकर जाती है. शिवानी खाने से मना कर देती है लेकिन सई जिद करने लगती है. ऐसे में शिवानी राजीव की बातों को यादकर इमोशनल हो जाती है. शो में दिखाया जाएगा कि सई, शिवानी के फोन से राजीव को मैसेज भेजती है.

 

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि मोहित, सई को बताता है कि शिवानी बुआ बहुत पहले राजीव से शादी करना चाहती थी लेकिन कुछ हुआ और उनकी शादी कैंसिल हो गई.

वनराज को तलाक देगी काव्या? आएगा ये ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि लंबे समय के बाद मालविका की एंट्री हुई है और आते ही उसने वनराज, तोषू और काव्या को नौकरी से निकाल दिया है. तो वहीं दूसरी तरफ जब अनुज को ये बात पता चली है तो वह निराश हो जाता है. उसे लगता है, कहीं वनराज और बा फिर से उसकी शादी में बाधा बनकर खड़े रहेंगे. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि मालविका ने वनराज और तोषू के अलावा काव्या को भी नौकरी से बाहर निकाल दिया है. इससे सबसे बड़ा शॉक काव्या को लगा है. वह पूरी तरह टूट चुकी है. काव्या कमरे में बैठकर फफक-फफककर रो रही है. ऐसे में राखी दवे का विडीयो कॉल आता है, वह राखी को देखते ही फूट-फूट कर रोने लगती है.

 

इसके बाद काव्या राखी को बताती है कि सबकुछ खत्म हो गया है. मेरे पास तो ना घर है, ना नौकरी, ना ही कोई परिवार. वनराज भी मुझसे प्यार नहीं करता. ऐसे में समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं किसके पास जाऊं. रखी दवे इस मौके का फायदा उठाएगी.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या राखी दवे से मिलने जाएगी. राखी दवे काव्या से कहेगी कि’मुझे लगता है कि तुम्हें स्टेप ले लेना चाहिए. काव्या पूछती है कैसा स्टेप? जवाब में राखी दवे कहती है कि पहले तुम्हें नौकरी के बारे में सोचना चाहिए उसके बाद तलाक के बारे में. तलाक लो और उस पागलखाने से बाहर निकल जाओ. शो में अब ये देखना होगा कि क्या राखी अपने चाल में कामयाब होगी?

 

शो के लेटेस्ट एपिसोड में दिखाया गया कि तोषू बेडरूम में बैठकर किसी को मैसेज कर रहा होता है. और किंजल को पता चलता है कि तोषू फिर से राखी दवे से नौकरी मांग रहा है. किंजल मन में सोचती है कि तोषू ऐसा कैसे कर सकता है. इसमें बिल्कुल भी सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है.

भारत की प्राचीन नगरी अयोध्या वायु सेवा से जोड़ा जा रहा है: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की उपस्थिति में आज यहां उनके सरकारी आवास पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, अयोध्या के प्रथम चरण के विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा क्रय की गयी 317.855 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को हस्तांतरित की गयी. इसके लिए प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के मध्य लीज एग्रीमेण्ट का निष्पादन किया गया. मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में अपर मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष के मध्य लीज एग्रीमेण्ट दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया.

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन स्मृतियों को समर्पित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण की प्रक्रिया की आज शुरुआत हुई है. इस शुरुआत के अवसर पर प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के मध्य भूमि लीज एग्रीमेंट की कार्यवाही सम्पन्न होना अत्यन्त अभिनन्दनीय पहल है. उन्होंने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को राज्य सरकार के साथ समयबद्ध ढंग से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से धन्यवाद दिया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज बासन्तिक नवरात्रि की पावन तिथि है. नवरात्रि की पावन तिथि भारत की सनातन परम्परा में ऊर्जा के संचार की तिथि के रूप में मानी जाती है. ऊर्जा एक सकारात्मक विकास का प्रतीक भी है. विकास का यह प्रतीक अयोध्या जैसी पावन नगरी के साथ जुड़ा हो, तो देश व दुनिया को प्रफुल्लित करता है. उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण दिन है. जब भारत की एक प्रमुख प्राचीन नगरी अयोध्या, जिसे भारत के आस्थावान नागरिक एक पवित्र नगरी के रूप में देखते हैं, उसे वायु सेवा से जोड़ा जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में वर्ष 2023 में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका होगा. रामलला अपने स्वयं के मन्दिर में विराजमान होंगे. रामलला के भव्य मन्दिर निर्माण के साथ ही हमें इस एयरपोर्ट को क्रियाशील करने की तैयारी भी करनी चाहिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश में विगत 05 वर्ष के अन्दर उत्तर प्रदेश ने बेहतरीन वायुसेवा की कनेक्टिविटी के लिए अच्छी प्रगति की है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से ही यह सम्भव हो पाया है. प्रधानमंत्री जी ने वायुसेवा को विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है. प्रधानमंत्री जी का कहना है कि वायुसेवा केवल एक विशेष तबके तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि हवाई चप्पल पहनने वाला कॉमन मैन भी हवाई जहाज की यात्रा कर सके, ऐसी वायुसेवा उपलब्ध करानी होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 तक प्रदेश में सिर्फ 02 एयरपोर्ट पूरी तरह क्रियाशील थे. पहला देश की राजधानी लखनऊ का तथा दूसरा प्राचीनतम नगरी काशी का. गोरखपुर व आगरा में मात्र एक वायुसेवा थी, जो कभी-कभी चल पाती थी. उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 09 एयरपोर्ट पूरी तरह से क्रियाशील हैं. वर्ष 2017 तक राज्य वायुसेवा के माध्यम से सिर्फ 25 गंतव्य स्थानों से जुड़ा था, उसमें भी निरन्तरता का अभाव था. आज 75 से अधिक गंतव्य स्थानों के लिए प्रदेश से हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 10 नये एयरपोर्ट के निर्माण की कार्यवाही चल रही है. प्रदेश में वर्तमान में 03 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हैं. एशिया के सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट का निर्माण कार्य राज्य सरकार द्वारा युद्धस्तर पर कराया जा रहा है. अयोध्या में आज से अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने की कार्यवाही प्रारम्भ हो रही है. जब यह दोनों अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट क्रियाशील हो जाएंगे तो किसी भी राज्य की तुलना में प्रदेश के पास सर्वाधिक एयरपोर्ट होंगे. तब उत्तर प्रदेश 05 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य होगा, जो अपनी बेहतरीन वायु कनेक्टिविटी के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को बेहतरीन वायुसेवा की सुविधा उपलब्ध करवाने के बड़े कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सफल होगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के पहले फेज के कार्य के लिए भूमि की जितनी आवश्यकता थी, अयोध्या के जिला प्रशासन ने इस कार्य को समयबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया है. इससे सम्बन्धित पूरी धनराशि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत करके पहले ही जिला प्रशासन को उपलब्ध करवायी जा चुकी है. इस अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता है, उसमें से मात्र 86 एकड़ भूमि ही बाकी है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जिला प्रशासन तीव्र गति से शेष 86 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का कार्य करेगा. इस एयरपोर्ट के तीनों फेजों के निर्माण के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता पड़ेगी, उतनी भूमि प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जाएगी. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समयबद्ध ढंग से इस एयरपोर्ट के विकास को आगे बढ़ाकर अयोध्या नगरी को दुनिया की सुन्दरतम नगरी के रूप में स्थापित करने के साथ ही हम बेहतरीन कनेक्टिविटी को उपलब्ध कराने में सफल होंगे.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए सकारात्मक सहयोग देने के लिए पूरी तरह तैयार है. वायुसेवा की बेहतरीन कनेक्टिविटी विकास के अनेक द्वार खोलती है. उन्होंने कहा कि जनपद गोरखपुर के वायुसेवा से जुड़ते ही वहां विकास की गतिविधियां तेज हुई हैं. वर्ष 2017 तक गोरखपुर मात्र एक वायुसेवा से जुड़ा था. आज यह 12 से 13 वायुसेवा से जुड़ा हुआ है. जैसे हवाई जहाज की यात्रा एक नई उड़ान होती है, वैसे ही विकास की नई उड़ान के साथ गोरखपुर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न शहरों-वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, बरेली, प्रयागराज, गाजियाबाद (हिण्डन) इत्यादि में हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं. जनप्रतिनिधियों सहित समाज के विभिन्न वर्गाें के नागरिकों की हमेशा मांग रहती है कि उनके क्षेत्र को वायुसेवा से जोड़ा जाए. जहां वायुसेवा के लिए बड़े एयरपोर्ट बनाना कठिन होता है, वहां पर लोग हेलीकॉप्टर सेवा से जुड़ने की मांग करते हैं, जिससे वे भी विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह एक सकारात्मक एप्रोच है. उस सकारात्मक एप्रोच को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए. प्रदेश सरकार की सकारात्मक सोच ने प्रत्येक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के विजन को जमीनी धरातल पर उतारने का कार्य किया है. उसी का परिणाम है कि प्रदेश अगले वर्ष तक 05 अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट देश को देने की स्थिति में होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में युद्धस्तर पर निर्मित हो रहे 10 नये एयरपोर्ट जब क्रियाशील होंगे, तब प्रदेश 19 एयरपोर्ट के साथ देश में वायुसेवा के साथ जुड़ने वाला सबसे बड़ा राज्य होगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार बेहतरीन कनेक्टिविटी के माध्यम से नागरिकों के जीवन को और भी सरल करने और विकास की सभी सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी, जो अपेक्षाएं आजादी के बाद से उत्तर प्रदेश वासियों ने की थीं. उन्होंने कहा कि वायुसेवा लोगों के जीवन को आसान बनाने, अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान करने और विकास की सभी सम्भावनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का माध्यम है. नागरिकों की यात्रा को और सहज, सरल, सुलभ बनाने का भी वायु सेवा बेहतर माध्यम है. राज्य सरकार इस दिशा में भरपूर सहयोग करेगी.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया. अपर मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन श्री एसपी गोयल ने स्वागत सम्बोधन किया. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री संजीव कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

ज्ञातव्य है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, अयोध्या के विकास हेतु 821 एकड़ भूमि चिन्हित की गयी है. प्रथम चरण के विकास हेतु 317.8 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को लीज पर दी जा रही है. राज्य सरकार द्वारा इसके विकास हेतु 1008.77 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी है. इस एयरपोर्ट का विकास तीन चरणों में होगा. प्रथम चरण में वायुयानों हेतु 2200 मीटर ग 45 मीटर रनवे सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण होगा.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, मेम्बर प्लानिंग भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण श्री एके पाठक, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

गंवार: देवरानी-जेठानी का तानों का रिश्ता

आज मोनिका 2 महीने की बीमारी की छुट्टी के बाद पहली बार औफिस जा रही थी. मोनिका की देवरानी वंदना ने अपने हाथों से मोनिका के लिए टिफिन तैयार किया था. वह किचन से बाहर आते हुए बोली –

“भाभी, आप का टिफिन,” और मोनिका के करीब पहुंची तो मोनिका उसे गले लगा लिया. मोनिका की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई. उस के मानस पटल पर अतीत की यादें किसी चलचित्र की भांति अंकित होने लगीं.

छोटे से गांव से मायानगरी मुंबई के पौश इलाके में बहू बन कर आने वाली वंदना के लिए अपननी ससुराल की राह पहले दिन से ही कठिन बन गई थी. शादी के बाद अपनी इकलौती जेठानी के पैर छूने के लिए झुकी तो मोनिका पीछे हटते हुए बोली –

“ओह, व्हाट इज़ दिस? यह किस जमाने में जी रही है, गंवार कहीं की, आजकल कोई पैर छूता है क्या? यह हाईटेक युग है, हाय-हैलो और हग करने का जमाना है. लगता है यह लड़की एजजुकेटेड भी नहीं है.”

“फिर तो भाभी से गले मिल लो वंदना,” अजित ने हंसते हुए कहा.

वंदना आगे बढ़ी तो मोनिका ने नाक सिकोड़ते हुए कहा, “बस, बस, दूर से ही नमस्कार कर दो, मैं मान लूंगी.”

वंदना दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार कर आगे बढ़ गई थी.

शादी के पहले दिन से ही जेठानी मोनिका का पारा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ था. हाईटेक सिटी मुंबई की गलियों में बचपन बिताने वाली मोनिका को किसी ठेठ गांव की लड़की बतौर अपनी देवरानी कतई पसंद नहीं थी. मोनिका ने अपने देवर अजित की शादी अपने मामा की इकलौती बेटी लवलीना से करवाने के लिए बहुत हाथपैर मारे थे परंतु अजित ने उस की एक न सुनी थी.

लवलीना मौडलिंग करती थी और शहर के स्थानीय फैशन शोज में नियमित रूप से शरीक होती थी. फैशन शोज के लिए वह देश के अन्य शहरों में भी अकसर जाती थी. लवलीना का ताल्लुक हाईफाई सोसायटी से था. जुहू स्कीम इलाके में स्टार बेटेबेटियों के साथ स्वच्छन्द जीवन का लुत्फ उठाने वाली लवलीना फिल्मों में भी अपना नसीब आजमा रही थी. मोनिका किटी पार्टियों, शौपिंग व पिकनिक की जबरदस्त शौकीन थी. वह चाहती थी कि उस के परिवार में ऐसी ही कोई मौड लड़की आए ताकि जेठानीदेवरानी में बेहतर तालमेल बना रहे. परंतु जब अजित ने देहाती लड़की से विवाह कर लिया तो मोनिका के तमाम ख्वाब पत्थर से टकराए शीशे की भांति टूट कर चकनाचूर हो गए. वह जलभुन कर रह गई.

अजित मैडिकल का छात्र था. जब वह एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में स्टडी कर रहा था तब अपने मित्र सुमित के विवाह में शरीक होने उस के गांव गया था. वह पहली बार किसी गांव में गया था. पर्वतों की तलहटी में बसे इस गांव के प्राकृतिक सौंदर्य को देख कर अभिजीत को पहली नजर में ही इस गांव से प्यार हो गया था. गांव के चारों ओर आच्छादित हरियाली, दूरदूर तक लहलहाते हरेभरे खेत, खेतों में फुदकती चिडियां, हरेभरेघने वृक्षों पर कलरव करते विहग और उन की छांव में नृत्य करते मोर, अमराइयों में कूकती कोयल आदि ने अजित को इतना प्रभावित किया कि वह शादी के बाद भी कई दिनों तक अपने दोस्त के घर पर ही रुक गया था.

अपने दोस्त के विवाह में ही अजित ने वंदना को देखा था. विवाह के 2 दिन पूर्व आयोजित संगीत संध्या में उस ने वंदना को गाते और नृत्य करते हुए पहली बार देखा था. संगीत संध्या की रात को नींद ने अजित की आंखों से किनारा कर लिया. रातभर उस की आंखों के सामने वंदना का चेहरा ही घूम रहा था. उसे लगा कि अब उस की तलाश पूरी हो गई है. उस के दिमाग में जीवनसाथी की जो तसवीर थी उसी के अनुरूप वंदना थी.

सुमित के विवाह के बाद अजीत ने वंदना के बारे में छानबीन शुरू कर दी थी. उस ने प्रवीण के पिता शिवशंकर प्रसाद से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, ‘बेटा, वंदना, पंडित रामप्रसाद की ज्येष्ठ कन्या है. वे सेवानिवृत्त अध्यापक हैं, जो 2 वर्ष पहले ही सेवानिवृत्त हुए हैं. घर की गरीबी के कारण वंदना ने कक्षा 10वीं उत्तीर्ण कर स्कूल को अलविदा कह दिया था. वंदना मेरी गोद में खेली है, लड़की बहुत ही संस्कारित, सुशील और बुद्धिमान है. वंदना की आवाज बहुत ही मीठी व सुरीली है. वह बहुत अच्छा गाती है. प्रवीण के विवाह में संगीत संध्या में तुम ने वंदना के गीत सुने होंगे. अजित, एक बात मैं तुम्हें यह भी बताना चाहूंगा कि वंदना के विवाह की चिंता ने रामप्रसाद की नींद हराम कर दी है. उन की बिरादरी के कई लोग वंदना को देखने आते हैं पर दहेज पर आ कर बात फिसल जाती है. वंदना से छोटी एक और बहन है. उस के हाथ भी पीले करने हैं. गत वर्ष पंडितजी की पत्नी का अल्पावधि बीमारी के बाद आकस्मिक निधन हो गया था. उन्होंने इलाज में पैसे पानी की तरह बहाया. पर उसे बचा न सके. पंडितजी की पत्नी का निधन क्या हुआ, इस परिवार की रीढ़ ही टूट गई.’

शिवशंकर प्रसाद ने अजित के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘बेटे अजित, पंडितजी मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं. उन की दोनों बेटियां सुंदर, सुशील और सुसंस्कारित हैं. अगर वंदना तुम्हें पसंद है और उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहते हो तो मुझे पंडितजी से बात करने में प्रसन्नता होगी.’

शिवशंकर प्रसाद की बातों से अजित के मन में लड्डू फूट रहे थे. वह जल्दी से जल्दी मुंबई जा कर इस संबंध में अपने मातापिता से बात करना चाहता था.

शिवशंकर ने अल्पविराम के बाद कहा, ‘बेटा, कोई निर्णय लेने से पहले अपने मातापिता से एक बार बात जरूर कर लेना. हो सके तो उन्हें एक बार यहां ले कर आ जाना.’

‘जरूर अंकल, मैं कोई निर्णय लेने से पूर्व मातापिता से जरूर बात करूंगा और मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पसंद ही मेरे मातापिता की पसंद होगी. अंकल, वंदना तो मुझे पहली नजर में ही पसंद आ गई है. मैं ऐसी ही लड़की को अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहता हूं, जिस का मन स्वच्छ कांच की तरह पारदर्शक हो, जिस के आरपार सहज देखा जा सकता है. वंदना का मन ताल के स्वच्छ जल की तरह निर्मल है, जिस के भीतर सहजता से झांक कर तल को देखा जा सकता है. अंकल, सुमित के विवाह के दौरान हमारी कई बार मुलाकातें हो चुकी हैं. मैं कल ही मुंबई जा रहा हूं. आप चाहे तो वंदना के पापा से बात कर सकते हैं,’ अजित उत्साहित हो कर बोल रहा था.

‘ठीक है, मैं कल ही पंडितजी से बात कर लेता हूं,’ शिवशंकर ने कहा.

अजित ने मुंबई पहुंच कर जब अपने मम्मीपापा और भैयाभाभी से इस बारे में बात की तो मोनका भाभी क्रोधित हो गईं. उन्होंने नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा, ‘अरे, अजीत, मैं ने तो लवलीना से तुम्हारे लिए बात कर रखी है. मुंबई जैसे शहर में गांव की अशिक्षित और गंवार लड़की ला कर समाज में हमारी नाक कटवाओगे क्या?’

‘अरे भाभी, मैं ने आप से पहले ही कह दिया था न कि मुझे लवलीना पसंद नहीं है. मेरी और उस की सोच में ज़मीनआसमान का अंतर है. भाभी, मैं सीधासादा लड़का हूं जबकि लवलीना हायफाय,’ अजित मुसकराते हुए और कुछ कहने जा रहा था मगर मोनिका ने अजित की बात काटते हुए कहा, ‘क्या बुराई है लवलीना में, दिखने में किसी हीरोईन से कम नहीं है, अच्छी पढ़ीलिखी है, ऊंचे खानदान की है, हाई सोसायटी से ताल्लुकात रखती है. भैया, तुम्हें ऐसी लड़की दिन में चिराग ले कर ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेगी,’ कहते हुए मोनिका मुंह फुला कर बैठक से चली गई.

‘अरे भाई, उसे अपनी पसंद की लड़की से शादी करने दो न. तुम अपनी पसंद उस पर क्यों थोप रही हो?’ अजित के बड़े भाई रोहन ने मोनिका को समझाते हुए कहा. लेकिन तब तक मोनिका अपने कमरे में जा हो चुकी थी.

2 ही दिनों बाद अजित अपने मातापिता को ले कर वंदना के गांव पहुंच गया. वंदना सभी को पसंद आ गई. अजित की मम्मी ने तो वंदना के हाथ में शगुन भी दे दिया. चट मंगनी और पट विवाह हो गया. मोनिका की नाराजगी के बावजूद वंदना इस घर की बहू बन कर आ गई. वंदना को विवाह के पहले दिन से ही अपनी जेठानी मोनिका की नाराज़गी का शिकार होना पड़ा था. वह बातबात पर वंदना पर ताने कसती थी. लेकिन वंदना ने मानो विनम्रता का चोगा पहन लिया हो, वह मोनिका के तानों पर चूं तक न करती, चुपचाप सहन करती रही. वंदना जानती थी कि शब्द से शब्द बढ़ता है, सो, उस के लिए इस वक्त खामोश रहना ही उचित है. उसे विश्वास था कि समय सदैव एकसमान नहीं रहता है, यह परिवर्तनशील है, एक दिन उस का भी वक्त बदलेगा.

समय बीत रहा था. मोनिका एक सरकारी बैंक में नौकरी करती थी, सो, वह हमेशा अपना टिफिन खुद बना कर सुबह 9 बजे अपनी स्कूटी से बैंक चली जाती थी और शाम को 5 बजे के आसपास लौटती थी. वंदना से मोनिका इस कदर नाराज थी कि वह उस के हाथ की चाय तक नहीं पीती थी. मोनिका के बैंक जाने के बाद ही वंदना का किचन में प्रवेश होता था. वंदना के सासससुर मोनिका के तेजतर्रार स्वभाव से भलीभांति परिचित थे, सो, वे हमेशा खामोश ही रहते थे. सबकुछ ठीक चल रहा था. पर किसी को क्या पता था कि कोई अनहोनी उन के दरवाजे पर जल्दी ही दस्तक देने वाली है.

एक दिन शाम को बैंक से लौटते वक्त किसी टैम्पो ने मोनिका की स्कूटी को पीछे से जोर से टक्कर मार दी. मोनिका ने हेल्मेट पहना हुआ था, इसलिए उस के सिर पर चोट नहीं आई मगर उस के दाएं हाथ और बाएं पैर पर गहरी चोट आई थी. किसी भले व्यक्ति ने अपनी कार से मोनिका को नजदीक के अस्पताल में पहुंचाया था. अस्पताल से फोन आते ही अजित और वंदना तुरंत अस्पताल पहुंचे.

मोनिका के पति रोहन औफिस के काम से भोपाल गए हुए थे. अजित ने देखा कि मोनिका आईसीयू में है. डाक्टरों ने बताया कि वह अभी बेहोशी की अवस्था में है. कुछ देर में उन्हें होश आ जाएगा. हैल्मेट की वजह से उन के सिर में कोई चोट नहीं आई, मगर वह घबरा कर बेहोश हो गई है. उस के हाथ और पैर में गहरी चोट लगी है. फ्रैक्चर भी हो सकता है. एक्सरे रिपोर्ट आने के बाद पता चल जाएगा.

कुछ ही देर में मोनिका को होश आ गया. डाक्टर ने अजित को इशारे से अंदर बुलाया. अजित ने मोनिका को बताया कि वे बिलकुल न घबराएं. उन के हाथ और पैर में ही चोट लगी है, सिर में कहीं चोट नहीं आई है. एक्सरे से मालूम पड़ जाएगा कि फ्रैक्चर है या नहीं. कुछ ही देर बाद डाक्टर ने एक्सरे देख कर अजित को बताया कि मोनिका के दाएं हाथ और बाएं पैर में फ्रैक्चर है. उन्हें करीब एक सप्ताह अस्पताल में रहना पड़ेगा. अजित ने फोन द्वारा रोहन को घटना की जानकारी दे दी.

करीब 2 सप्ताह के बाद मोनिका को अस्पताल से छुट्टी मिली. अजित और वंदना के साथ मोनिका घर पर आई. घर के दरवाजे पर मोनिका को रोक कर वंदना ने कहा, ‘भाभी, अब तुम अपने लिए पानी का गिलास तक नहीं भरोगी. डाक्टर ने वैसे भी आप को पूरे 2 महीने आराम करने की सलाह दी है. फिर आप के एक हाथ और एक पैर पर प्लास्टर चढ़ा है. सो, आप को अब आराम की सख्त जरूरत है. आज से आप मुझे कोई भी और किसी प्रकार का काम करने के लिए कहने में कोई संकोच नहीं करोगी, ऐसा मुझ से वादा करो. तभी आप को मैं घर के अंदर आने दूंगी.’ यह कहने के साथ ही वंदना बीच दरवाजे पर खड़ी हो गई.

मोनिका की आंखों से आंसू छलक पड़े. उस ने वंदना को एक हाथ से अपनी ओर खींचते हुए उस का माथा चूम लिया और रुंधे कंठ से बोली, ‘वंदना, मुझे माफ कर देना, मैं ने तुम्हें न जाने क्याक्या कहा और तुम्हें बेवजह परेशान भी बहुत किया. तुम पिछले 2 सप्ताह से सबकुछ भुला कर मेरी सेवा में समर्पित हो गईं. इतनी सेवा तो अपना भी कोई नहीं करेगा. वंदना, तुम्हें इस घर में आए अभी 7 महीने ही हुए हैं, पर तुम ने अपनी मृदुलवाणी और विनयभाव से हम सब का दिल जीत लिया. मुझे अजित की पसंद पर गर्व है. वंदना, तुम्हारे बरताव से एक बात मेरी समझ में आ गई कि गांव की लड़की अशिक्षित हो सकती है मगर असंस्कारित नहीं. तुम पारिवारिक एटिकेट्स की जीतीजागती मूरत हो. वंदना, प्लीज, पहले तुम मुझे माफ कर दो, तो ही मैं घर में प्रवेश करूंगी.’

‘भाभी, आप बड़ी बहन के समान हैं, जिसे अपनी छोटी बहन को डांटने और फटकारने का हक तो होता है न, फिर भला, मुझे बुरा क्यों लगेगा. आप माफी की बात कर के मुझे शर्मिंदा न करें, यह तो आपका विनय है भाभी,’ कहते हुए वंदना ने अपनी जेठानी को बांहों में भर लिया.

‘अरे भाई, देवरानी और जेठानी की डायलौगबाजी खत्म हो गई हो, तो हम अंदर चलें क्या, मुझे और अजित को जोर से भूख लगी है,’ दरवाजे के बाहर खड़े रोहन ने अजित की ओर देख कर मुसकराते हुए कहा.

‘हां…हां भाईसाहब, खत्म हो गई है हमारी डायलौबाजी, आप सब भीतर आइए. मैं भाभी को अपने कमरे में बिठा कर आप सभी के लिए चायनाश्ता बनाती हूं,’ कहते हुए वंदना ने अपने दोनों हाथ मोनिका की तरफ बढ़ा दिए, जिन्हें उस ने कस कर पकड़ लिया और धीरेधीरे वंदना का सहारा लेते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ने लगी.

“अरे भाभी, आप कहां खो गई हो, अब तो मेरा हाथ छोड़ो न, आप ने कब से इसे कस कर पकड़ रखा है. आप को बैंक जाने में देर हो रही है,” वंदना ने कहा.

“ओह, सौरी वंदना, मैं तो अतीत में पहुंच गई थी,“ कहते हुए मोनिका ने वंदना के हाथ से टिफिन लिया और अपने पति रोहन के साथ धीरेधीरे सीढ़ियों से उतरने लगी.

शरद पवार बनाम नरेंद्र मोदी- एक अघोषित युद्ध

महा विकास अघाडी (एमबीए) के नेता संजय राऊत के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच तेज करने के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से मुलाकात कर साफ साफ शब्दों में जो कहा गया है उसे आज समझना आवश्यक है.

देश के इन दो बड़े नेताओं की  इस छोटी सी मुलाकात ने देश के प्रमुख टेलीविजन और अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरीं है.

दरअसल, महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार न बन पाने के बाद शरद पवार रांकपा, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार गठबंधन के तहत चल रही है.

परंतु सच्चाई यह है कि  उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही सरकार केंद्र सरकार को फूटी आंख नहीं सुहा रही है. परिणाम स्वरूप देश के महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र के अलग-अलग कद्दावर नेताओं पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई और ईडी ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है.

अब हालात यह है कि सत्तारूढ़  ठाकरे सरकार ने भी इशारा कर दिया है कि अगर यह सब नहीं रुकता है तो राज्य के भाजपा नेताओं पर ठाकरे सरकार अंकुश लगाने के लिए राज्य की पुलिस व अन्य जांच इकाइयों को छोड़ देगी.

अब आप  कल्पना कर सकते हैं कि अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में जो दंगल मचेगा उसका चित्र छाया प्रति छाया कैसे दिखाई देगा.

शरद पवार की दो बातें

देश की एक समय रक्षा मंत्री रहे शरद पवार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद कहा-  संजय के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ इसलिए क्योंकि वे लिखते और आलोचना करते हैं.पवार ने कहा  कि शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत की संपत्ति को कुर्क करना उनके साथ अन्याय है. शरद पवार ने  संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब बीस मिनट बातचीत हुई. दोनों नेताओं की बातचीत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से कुछ भूमि सौदों से जुड़े धनशोधन जांच में शिवसेना नेता संजय राउत की पत्नी और उनके एक सहयोगी की 11.15 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति कुर्क करने के एक दिन बाद हुई है.

शरद पवार ने स्पष्ट शब्दों में कहा  जिस तरह से संजय राउत की संपत्ति कुर्क की गई है वह अन्याय है. मैंने पीएम मोदी से कहा कि संजय राउत के खिलाफ कार्रवाई की क्या जरूरत थी ? सिर्फ इसलिए कि कभी-कभी वह लिखता और आलोचना करता है?

कुल मिलाकर देश भर में संदेश तो यही जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार देश के उन राज्यों में जहां भाजपा सरकार नहीं है के नेताओं पर कुछ इसी तरह एक्शन ले रही है.

और भी नेता जी हैं

इसी क्रम में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने  महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में 11 अप्रैल तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. अदालत ने जेजे अस्पताल में इलाज करा रहे अनिल देशमुख अस्पताल से छुट्टी मिलते ही हिरासत में भेज दिया गया.

अनिल देशमुख की सारी कहानी आज देश के सामने है मगर, महाराष्ट्र में जिस तरीके से भाजपा और अन्य प्रति पक्ष आमने-सामने है वह एक अघोषित युद्ध की तरह दिखाई देता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और गृहमंत्री अमित शाह चाहते हैं कि एन केन प्रकारेण महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो जाए साम दाम दंड भेद से सरकार बननी ही चाहिए. यही कारण है कि हर वह हथकंडा अपनाया जा रहा है जो राजनीतिक शुचिता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.

यही हालात रहे तो आने वाले समय में देश में जो दृश्य दिखाई देंगे उस पर जनता सर पीटकर रह जाएगी कि जिस तरह राजे रजवाड़े आजादी से पहले अपनी हुकूमत कायम करने के लिए लड़ाई लड़ते थे, अब लोकतंत्र के बाद भी देश की जनता के वोटों पर विश्वास न करते हुए सत्ता पाने के लिए नेता कितना नीचे गिर सकते हैं.

जानकारी: मधुमक्खी मेहनती तो हैं, पर सोती नहीं

मधुमक्खी अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोती हैं. ये इतनी मेहनती होती हैं कि पूछो मत… बेचारी एक बूंद शहद के लिए दूरदूर तक उड़ती हैं. आजकल तो फिर भी मधुमक्खी कम हो गई हैं, पर पहले मधुमक्खियों के छत्ते जगहजगह पेड़ों पर, दीवारों पर लटके मिल जाते थे.

आप के मन में भी उस समय कुछ सवाल आए होंगे, जब इन छत्तों को देखा होगा. चलिए, आज रोचक तथ्यों के माध्यम से मधुमक्खी से जुड़ी हर जानकारी से रूबरू कराते हैं :

* मधुमक्खियों की 20,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं, लेकिन इन में से सिर्फ 5 प्रजातियां ही शहद बना सकती हैं.

* एक छत्ते में 20 हजार से 60 हजार मादा मधुमक्खियां, कुछ सौ नर मधुमक्खियां और 1 रानी मधुमक्खी होती है. इन का छत्ता मोम से बना होता है, जो इन के पेट की ग्रंथियों से निकलता है.

* मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी कीट है, जिस के द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है.

* केवल मादा मधुमक्खी ही यानी वर्कर मधुमक्खियां शहद बना सकती हैं और डंक मार सकती हैं. नर मधुमक्खी तो केवल रानी के साथ सैक्स करने के लिए पैदा होती हैं.

* किसी आदमी को मारने के लिए मधुमक्खी के 100 डंक काफी हैं.

* मधुमक्खी शहद को पहले ही पचा देती है, इसलिए इसे हमारे खून तक पहुंचने में केवल 20 मिनट लगते हैं.

* मधुमक्खी 24 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ती है और एक सैकंड में

200 बार पंख हिलाती है. मतलब, हर मिनट 12,000 बार.

* कुत्तों की तरह मधुमक्खियों को भी बम ढूंढ़ना सिखाया जा सकता है. इन में

170 तरह के सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते हैं, जबकि मच्छरों में सिर्फ 79.

* मधुमक्खी फूलों की तलाश में छत्ते से 10 किलोमीटर दूर तक चली जाती हैं. यह एक बार में 50 से 100 फूलों का रस अपने अंदर इकट्ठा कर सकती है. इन के पास एक एंटिना टाइप छड़ी होती है, जिस के जरीए ये फूलों से ‘नैक्टर’ चूस लेती है. इन के पास 2 पेट होते हैं. कुछ नैक्टर तो एनर्जी देने के लिए इन के मेन पेट में चला जाता है और बाकी इन के दूसरे पेट में स्टोर हो जाता है. फिर आधे घंटे बाद ये इस का शहद बना कर मुंह के रास्ते बाहर निकाल देती हैं. इसे कुछ लोग उलटी भी कहते हैं.

(नोट: नैक्टर में 80 फीसदी पानी होता

है, मगर शहद में केवल 18-20 फीसदी पानी होता है.)

* 1 किलोग्राम शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग

40 लाख फूलों का रस चूसना पड़ता है और 90,000 मील उड़ना पड़ता है. यह धरती के

3 चक्कर लगाने के बराबर है.

* पूरे साल मधुमक्खियों के छत्ते के आसपास का तापमान 33 डिगरी सैल्सियस रहता है. सर्दियों में जब तापमान गिरने लगता है, तो ये सभी आपस में बहुत नजदीक हो जाती हैं, ताकि गरमी बनाई जा सके. गरमियों में ये अपने पंखों से छत्ते को हवा देती हैं. आप कुछ दूरी पर खड़े हो कर इन के पंखों की ‘हम्म’ जैसी आवाज सुन सकते हैं.

* एक मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में चम्मच के 12वें हिस्से जितना ही शहद बना पाती है. इन की जिंदगी 45-120 दिन की होती है.

* नर मधुमक्खी सैक्स करने के बाद मर जाती है, क्योंकि सैक्स के आखिर में इन के अंडकोष फट जाते हैं.

* नर मधुमक्खी यानी ड्रोंस का कोई पिता नहीं होता, बल्कि सीधा दादा या माता होती है. क्योंकि ये अनफर्टिलाइज्ड एग्स से पैदा होते हैं. ये वो अंडे होते हैं, जो रानी मधुमक्खी बिना किसी नर की सहायता के खुद अकेले पैदा करती है, इसलिए इन का पिता नहीं होता, केवल माता होती है.

* शहद में ‘फ्रक्टोज’ की मात्रा ज्यादा होने की वजह से यह चीनी से भी 25 फीसदी ज्यादा मीठा होता है.

* शहद हजारों साल तक भी खराब नहीं होता. यह एकमात्र ऐसा फूड है, जिस के अंदर जिंदगी जीने के लिए जरूरी सभी चीजें

पाई जाती हैं.

* हमें जीने के लिए 84 पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, जबकि शहद में 83 पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. बस एक तत्त्व नहीं मिलता और वह है वसा. इस के बिना हम सांस ली गई औक्सीजन का भी प्रयोग नहीं कर सकते.

विटामिन्स : पोषक तत्त्व, मिनिरल्स : खनिज पदार्थ, वाटर : पानी आदि.

* यह अकेला ऐसा भोजन भी है,

जिस के अंदर ‘पिनोसेम्ब्रिन’ नाम का एंटीऔक्सीडैंट पाया जाता है, जो दिमाग की गतिविधियां बढ़ाने में सहायक है.

* रानी मधुमक्खी पैदा नहीं होती, बल्कि यह बनाई जाती है. यह 3-4 दिन की होते ही सैक्स करने के लायक हो जाती है. ये नर मधुमक्खी को आकर्षित करने के लिए हवा में ‘फैरोमोन’ नाम का कैमिकल छोड़ती है, जिस से नर भागा चला आता है, फिर ये दोनों हवा में सैक्स करते हैं.

* रानी मधुमक्खी की उम्र 3 साल तक हो सकती है. यह छत्ते की अकेली ऐसी मैंबर है, जो अंडे पैदा करती है.

* यह सर्दियों में बहुत बिजी हो जाती है, क्योंकि इस समय छत्ते में मधुमक्खियों की जनसंख्या ज्यादा हो जाती है.

* ये जिंदगी में एक ही बार सैक्स करती है और अपने अंदर इतने स्पर्म इकट्ठा कर लेती है कि फिर उसी से पूरी जिंदगी अंडे देती है. यह एक दिन में 2,000 अंडे दे सकती है. मतलब, हर 45 सैकंड में एक.

* 28 ग्राम शहद से मधुमक्खी को इतनी ताकत मिल जाती है कि वह पूरी धरती का चक्कर लगा देगी.

* धरती पर मौजूद सभी जीवजंतुओं में से मधुमक्खियों की भाषा सब से कठिन है. साल 1973 में  ‘कार्ल वोन फ्रिच’ को इन की भाषा ‘द वागले डांस’ को सम  झने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था.

* एक छत्ते में 2 रानी मधुमक्खी नहीं रह सकतीं, अगर रहेंगी भी तो केवल थोड़े समय के लिए. क्योंकि जब 2 रानी मधुमक्खी आपस में मिलती हैं, तो वे दोस्ती करने के बजाय एकदूसरे पर हमला करना पसंद करती हैं और यह तब तक जारी रहता है, जब तक एक की मौत न हो जाए.

ठ्ठअगर मधुमक्खियां धरती से खत्म हो जाएं तो…

रानी मधुमक्खी पैदा क्यों नहीं होती? यह बनाई क्यों जाती है?

वर्कर मधुमक्खियां मौजूदा रानी मक्खी के अंडे को फर्टिलाइज कर के मोम की 20 कोशिकाएं तैयार करती है. फिर युवा नर्स मधुमक्खियां, रानी के लार्वा से तैयार एक विशेष भोजन, जिसे ‘रौयल जैली’ कहा जाता है, की मदद से मोम के अंदर कोशिकाएं बनाती है. ये प्रकिया तब तक जारी रहती है, जब तक कोशिकाओं की लंबाई 25 मिलीमीटर तक न हो जाए. कोशिकाएं बनने की प्रकिया के 9 दिन बाद ये मोम की परत से पूरी तरह ढक दी जाती है. आगे चल कर इसी से रानी मधुमक्खी तैयार होती है.

यदि छत्ते की रानी मधुमक्खी मर जाए, तो क्या होगा?

रानी मधुमक्खी लगातार एक खास तरह का कैमिकल ‘फैरोमोंस’ निकालती रहती है. जब यह मर जाती है, तो काम करने वाली मधुमक्खियों को इस की महक मिलनी बंद हो जाती है, जिस से उन्हें पता चल जाता है कि रानी या तो मर गई या फिर छत्ता छोड़ कर चली गई. रानी मधुमक्खी के मरने से पूरे छत्ते का विनाश हो सकता है, क्योंकि यदि ये मर गई तो फिर नए अंडे कौन पैदा करेगा. इस की मौत के बाद काम करने वाली मधुमक्खियों को सिर्फ 3 दिन के अंदर कोशिका बना कर नई रानी मक्खी बनानी पड़ती है.

यदि धरती की सारी मधुमक्खी खत्म हो जाएं तो क्या होगा?

अगर ऐसा हुआ, तो मानव जीवन भी धीरेधीरे खत्म हो जाएगा, क्योंकि धरती पर मौजूद 90 फीसदी खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है. बादाम, काजू, संतरा, पपीता, कपास, सेब, कौफी, खीरा, बैगन, अंगूर, कीवी, आम, भिंडी, आड़ू, नाशपाती, मिर्च, स्ट्राबेरी, किन्नू, अखरोट, तरबूज आदि का परागन मधुमक्खी द्वारा होता है, जबकि गेहूं, मक्का और चावल का परागण हवा द्वारा होता है. इन के मरने से 100 में से

70 फसल तो सीधे तौर पर नष्ट हो जाएंगी. यहां तक कि घास भी नहीं उग पाएगी.

महान वैज्ञानिक ‘अल्बर्ट आइंस्टीन’ ने भी कहा था कि अगर धरती से मधुमक्खियां खत्म हो गईं, तो मानव प्रजाति ज्यादा से ज्यादा 4 साल ही जीवित रहेगी.

रूस-यूक्रेन युद्ध में बलि चढ़ी मैडिकल छात्रों की पढ़ाई

24 फरवरी से शुरू हुए रूस और यूक्रेन के बीच का भयंकर युद्ध कब रुकेगा, यह अभी साफ नहीं है. एक तरफ रूस का लगातार यूक्रेन पर आक्रमण जारी है, दूसरी तरफ यूक्रेन रूस की ताकत के आगे डट कर खड़ा है, हार नहीं मान रहा. युद्ध के बीच हर क्षण कुछ न कुछ नई बातें सुनाई पड़ रही हैं, जो पहले से ज्यादा डरावनी शक्ल में ही सामने आ रही हैं.

गौरतलब है कि इस युद्ध से होने वाले नुकसान की गणना होनी अभी बाकी है. इस का एक अलग अध्याय इतिहास के पन्नों में दर्ज होना बाकी है, लेकिन यह तय है कि इस युद्ध ने रूस और यूक्रेन की जनता को तो क्षति पहुंचाई ही, साथ ही यह भारत के लिए भी कम क्षति वाला नहीं रहा.

कुछ दिनों पहले ही यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे कर्नाटक के रहने वाले छात्र नवीन शेखरप्पा की रूसी गोलीबारी में मौत की खबर सामने आई थी. 4 मार्च को पंजाब के रहने वाले भारतीय छात्र चंदन जिंदल की हार्टअटैक से मौत की खबर भी यूक्रेन से आई.

हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूक्रेन में फंसे तकरीबन 20 हजार भारतीय छात्र थे जिन में से अधिकतर छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, पर अब यूक्रेन के मैडिकल कालेजों में पढ़ाई कर रहे इन भारतीय छात्रों के सामने एक भयंकर समस्या आ गई है. ये छात्र जान बचा कर यूक्रेन से निकल तो चुके हैं पर अब घबराए हुए हैं कि उन के भविष्य का क्या होगा? सरिता पत्रिका ने इस पर यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों से बात की.

महाराष्ट्र के पनवेल के नजदीक रहने वाली 19 साल की प्रतीची दीपक पवार यूक्रेन के पश्चिमी इलाके इवानो फ्रैंकिव्स्क स्थित नैशनल मैडिकल यूनिवर्सिटी में सैकंड ईयर की छात्रा है. प्रतीची को बचपन से डाक्टर बनना था. प्रतीची ने अपने क्षेत्र में डाक्टर की कमी को देखा था और उन के दादा की मृत्यु हार्टअटैक के चलते हुई थी, जिस कारण वह डाक्टर बनना चाहती थी.

प्रतीची की माताजी सरकारी कर्मचारी हैं. दिसंबर 2019 में परिवार ने बड़े जतन से प्रतीची को यूक्रेन में मैडिकल की पढ़ाई करने भेजा था. उस ने गैरमुल्क में अपना मन लगाना शुरू किया ही था कि युद्ध छिड़ गया. प्रतीची कहती है, ‘‘मु?ो वहां (यूक्रेन) एडजस्ट करने में 2 महीने का समय लगा था और अब मैं खुश थी, पर युद्ध ने सब बेकार कर दिया.’’

प्रतीची आगे बताती है, ‘‘यूक्रेन में पिछले एक महीने से बारबार युद्ध शुरू होने की बात चल रही थी, पर किसी को लगा नहीं था कि युद्ध वाकई शुरू हो जाएगा.’’ वह कहती है, ‘‘मेरा कालेज यूक्रेन के पश्चिमी भाग में है, इसलिए वहां युद्ध की संभावना कम थी. रोज की तरह ही हम सभी कालेज जा रहे थे. एक दिन एक आर्टिकल पढ़ा तो पता चला कि कीव और खारकीव में लड़ाई शुरू हो गई है. बम गिराए जा रहे हैं, फिर पता चला कि इवानो एअरपोर्ट को भी उड़ा दिया गया है.

‘‘अब हमें डर लगने लगा था और एंबेसी से भी कालेज बंद करने को कह दिया गया था. हमारी टीचर्स हमें यह कह कर सांत्वना देती रहीं कि ‘वार नहीं होगा’. लेकिन आज हालात सब के सामने हैं. सब को यह डर था कि जब उन लोगों ने एअरपोर्ट को उड़ा दिया है तो हम सभी अब सुरक्षित नहीं हैं.’’

इस के आगे प्रतीची कहती है, ‘‘भारतीय एंबेसी से एडवाइजरी आई थी कि हम सभी को

4 बौर्डरों से निकाला जाएगा. एंबेसी ने कौन्ट्रैक्टर भेजा, पर हम सभी 4 से 5 हजार छात्र थे, इसलिए सब को एकसाथ निकालना संभव न था. पहले सुविधा केवल होस्टल के छात्रों के लिए थी.

‘‘मैं अपार्टमैंट में 2 लड़कियों के साथ रहती थी और इंतजार नहीं कर सकती थी, हम सभी सीनियर्स और जूनियर्स 50 स्टूडैंट्स ने मिल कर पैसे इकट्ठे कर प्राइवेट बस की और रोमानिया बौर्डर की ओर चल दिए. यहां हमें 2 बौर्डर क्रौस करने थे, यूक्रेन और रोमानिया. यूक्रेन बौर्डर पार करने में हमें अधिक मुश्किल नहीं आई, क्योंकि हम सभी पहले निकल चुके थे. बाद में आने वालों को अधिक कठिनाई ?ोलनी पड़ी, क्योंकि यूक्रेन से यूक्रेनी, इंडियन और दूसरे देश के लोग भी निकलना चाह रहे थे.’’

प्रतीची बताती है, ‘‘जब वह बौर्डर पहुंची तो यूक्रेनी ह्यूमन चैन बना कर छात्रों को रोक रहे थे, क्योंकि वे पहले यूक्रेनियों को रोमानिया भेजना चाह रहे थे.’’

वह आगे कहती है, ‘‘एंबेसी से स्टूडैंट्स को यह निर्देश दिया गया था कि यूक्रेन से निकलते वक्त इंडिया का फ्लैग चिपका लेना. हम सभी ने ऐसा ही किया. इस से हमें किसी ने नहीं रोका. लेकिन यूक्रेन के बौर्डर पर थोड़ी मुश्किलें आईं. यूक्रेनी थोड़ा रेसिस्ट हुए, क्योंकि उन्हें भी निकलना था. उस में भी पहले लड़कियों को, फिर लड़कों को करीब 5 घंटे बाद छोड़ा गया.’’

प्रतीची बताती है कि रोमानिया पहुंचने के बाद उन्हें खानेपीने से ले कर सोने की सही जगह सबकुछ दिया गया.

प्रतीची ने बताया कि उन्हें खानेपीने की समस्या अधिक नहीं आई. जहां वह रह रही थी वहां का तापमान शून्य डिग्री था तो सभी ने मौसम के हिसाब से कपड़े पहन लिए थे. बाद में स्नोफौल शुरू हुआ और तापमान घटा.

प्रतीची 26 फरवरी को अपना ग्रुप बना कर इवानो से निकल पड़ी थी. यूक्रेन में तो खानेपीने की कोई व्यवस्था नहीं थी, पर रोमानिया पहुंचते ही उन्हें जरूरत की चीजें मिलीं. वह बताती है कि रोमानिया के लोगों ने उन सभी की अच्छी देखभाल की.

वह कहती है, ‘‘हम सभी यूक्रेन के बौर्डर तक पहुंचे थे तो आगे जाने नहीं दिया जा रहा था. फिर हम सभी ने एंबेसी को ट्वीट कर समस्या बताई थी. उन्होंने बच्चों की लिस्ट मांगी थी, लेकिन तब तक हमें रोमानिया जाने दिया गया. वहां इंडिया और रोमानिया की एंबेसी ने बहुत सहयोग दिया. फ्लाइट का खर्चा नहीं देना पड़ा. दिल्ली के बाद राज्य सरकार भी मुंबई फ्री में ला रही थी. लेकिन मैं ने पहले ही टिकट ले लिया था और 28 फरवरी को मुंबई आ गई.’’

प्रतीची बताती है, ‘‘यूक्रेन में मैडिकल का पूरा कोर्स 6 साल का होता है, जिस में से 4 साल पढ़ाई उन की बाकी है. यूक्रेन में रहने और खाने को ले कर पूरा मैडिकल का खर्चा 40 से 50 लाख तक औसतन हर छात्र का पहुंच जाता है. अधिकतर छात्र पढ़ाई पूरी कर दूसरी कंट्री के लिए कोशिश करते हैं. इंडिया की ‘फौरेन मैडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन’ यानी एफएमजीई बहुत कठिन है और कम बच्चे ही उसे क्लीयर कर पाते हैं. इसलिए छात्र यूक्रेन पढ़ाई के लिए जाते हैं.’’

हालांकि प्रतीची उस समय के इंतजार में है जब युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो और वह वापस यूक्रेन जा कर अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. वह कहती है, ‘‘युद्ध रुकने पर मैं वापस अपनी यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहती हूं. अब परिवार वाले भी बहुत खुश हैं लेकिन मेरी पढ़ाई खराब न हो, इस की चिंता सभी को है.’’

स्टडी इंटरनैशनल के मुताबिक, 2011 से ले कर 2020 के दौरान यूक्रेन में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में

42 फीसदी का इजाफा हुआ. यूक्रेन में करीब 76 हजार विदेशी छात्र पढ़ रहे थे, जिन में से 24 फीसदी भारतीय हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि हर साल करीब

6 हजार भारतीय छात्र एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन का रुख करते हैं.

द्य ऐसे ही मैडिकल की पढ़ाई के लिए 19 वर्षीय आर्यन पाटिल वर्ष 2019-20 में यूक्रेन गए थे. उन्होंने मुंबई के निकट अलीबाग से 12वीं की परीक्षा पास की, जिस के बाद वे यूक्रेन चले गए. आर्यन कहते हैं, ‘‘इंडिया में नीट के एग्जाम में अच्छे मार्क्स पाने पर ही एडमिशन मिलता है. मेरा स्कोर कम था, इसलिए मैं ने दूसरे देश में जा कर पढ़ने का मन बनाया. मेरे पेरैंट्स टीचर हैं और मैं बेहद साधारण परिवार से हूं.’’

आर्यन को बचपन से ही डाक्टर बनने का शौक था. वे डाक्टरों की देश में जरूरत को ले कर कहते हैं, ‘‘मैं ने देखा है कि डाक्टर के सही इलाज से ही मरीज ठीक होते हैं और मैं भी वैसे ही समर्पण के साथ इलाज करना चाहता हूं.’’

बता दें, यूक्रेन से मैडिकल डिग्री को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता भी मिली हुई है. वर्ल्ड हैल्थ काउंसिल के साथ इंडियन मैडिकल काउंसिल और यूरोपीय मैडिकल काउंसिल भी इसे मान्यता देती हैं. जिस के चलते यहां से जिन छात्रों ने मैडिकल की पढ़ाई की होगी, वे अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप समेत बड़े देशों में जा कर प्रैक्टिस कर सकते हैं. यही कारण है कि बहुत से भारतीय यूक्रेन में डाक्टरी की पढ़ाई के लिए जाते हैं.

आर्यन का एडमिशन यूक्रेन के नैशनल पिरोगोव मैमोरियल मैडिकल यूनिवर्सिटी, विनयातस्य में हुआ था. यह जगह यूक्रेन की राजधानी कीव से 4 घंटे की दूरी पर है. उन का कोर्स भी 6 साल का है. इस समय आर्यन सैकंड ईयर

में है.’’

आर्यन ने बताया, ‘‘अमेरिका से लगातार इनफौर्मेशन आ रही थी कि वार होने वाला है. पहले 16 फरवरी, फिर

19 फरवरी को आया लेकिन वार नहीं हुआ. फिर एक रात 24 फरवरी की सुबह को कीव में बम गिरा और 13 मार्च तक कालेज बंद कर दिया गया. अभी तक पता चला है कि यूक्रेन के बाउंड्री के सभी शहर नष्ट हो गए हैं. यूक्रेन बहुत सुंदर व अच्छा देश है. वहां के लोग काफी अच्छे और मिलनसार हैं.’’

आर्यन बताते हैं, ‘‘एमबीबीएस पूरी करने के बाद अगर वे फौरन मैडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन क्वालीफाई कर लेते हैं तो उन्हें इंडिया में डाक्टरी का लाइसैंस मिल जाएगा और वे प्रैक्टिस करने के अलावा आगे भी पढ़ सकते हैं.’’

यूक्रेन से निकलने के प्रयास के बारे में पूछने पर आर्यन कहते हैं, ‘‘हम सभी कुछ सामान इकट्ठा कर बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे कि तभी साइरन की आवाज आने पर बंकर में चले जाना पड़ता था. फिर बाहर आते थे. फिर हम सभी फ्रैंड्स ने बौर्डर पर जाते हुए कुछ लोगों को देखा और हम सभी ने कोशिश की और निकल गए. बस में 80 से 100 छात्रों का समूह 10 से 12 घंटे बाद रोमानिया के बौर्डर के पास पहुंचे. मेरी यूनिवर्सिटी में लोग अधिक नहीं थे, सब अपनी जान बचाने के लिए व्यस्त थे.

‘‘भारत एंबेसी से फोन नंबर मिला रहे थे, उन लोगों ने थोड़ी सहायता की है. कौल करने की सुविधा मिल रही थी. यूक्रेन के बौर्डर पर सेना आगे जाने नहीं दे रही थी. धीरेधीरे कर भेज रहे थे. यूक्रेन बौर्डर को क्रौस करने के बाद सबकुछ थोड़ा स्मूथ हुआ. वहां भारत सरकार की तरफ से एंबेसी वालों ने अच्छे तरीके से फ्लाइट अरेंज करवाई और हम सभी के लिए सबकुछ ठीक हुआ.

‘‘मैं डायरैक्ट मुंबई आया. 190 छात्र मेरे साथ फ्लाइट में थे, जो अलगअलग राज्यों से थे. यूक्रेन से रोमानिया के बौर्डर तक 10 से 12 किलोमीटर चल कर जाना पड़ा. वहां यूक्रेन के लोग खाना दे रहे थे, पर खाना बहुत कम था. रोमेनिया पहुंचने पर सब आसान हो गया. बस से हमें बौर्डर से 12 किलोमीटर पहले छोड़ दिया गया. वहां से हमें पैदल जाना पड़ा. वहां जा कर देखा कि करीब 5 हजार छात्र वहां पहले से मौजूद थे. खानेपीने की बहुत समस्या थी.’’

आर्यन ने उदास स्वर में कहा, ‘‘मैं ने लोन लिया है, थोड़ा तनाव है, लेकिन यूरोपीय देश हमें वहां आ कर कोर्स पूरा करने के लिए बुला रहे हैं. इस बारे में अभी मैं ने सोचा नहीं है. इंडिया में अगर आगे पढ़ने को मिले तो अच्छी बात होगी. मेरे आने तक पेरैंट्स बहुत चिंतित थे, मां ने खाना छोड़ दिया था. अब सब ठीक है और आगे सब ठीक होने पर वापस अवश्य जाऊंगा.’’

देखा जा रहा है कि जिस समय से यूक्रेन में युद्ध शुरू हुआ, सत्तापक्ष से छात्रों को निकालने के प्रयासों की जगह उन्हें ही इस हालत का जिम्मेदार ठहराया गया. भाजपा के नेता यहां तक बयान देते पाए गए कि ये छात्र नीट में फेल हुए छात्र हैं, पर हकीकत यह है कि भारत में वजह मैडिकल सीटों की भारी कमी इस का कारण है कि छात्र विदेशों में पढ़ने को जाते हैं.

जितनी संख्या में उम्मीदवार हैं, उस की तुलना में सीटों की संख्या बहुत कम है. गौरतलब है कि भारत में एमबीबीएस की मात्र 88 हजार सीटें ही हैं. हर साल लाखों की संख्या में छात्र मैडिकल की पढ़ाई के लिए एग्जाम देते हैं. सरकारी कालेजों में 10 फीसदी उम्मीदवारों को भी दाखिला नहीं मिल पाता.

जाहिर तौर पर इन में से अधिकतर छात्र ऐसे हैं जो आगे जा कर भारत में डाक्टरी करेंगे. जाहिर है ऐसे समय जब देश में डाक्टरों की भारी जरूरत है तब इन छात्रों को हर तरह से मोरल सपोर्ट देने की जरूरत है. कई छात्र इन में ऐसे हैं जिन के मातापिता ने जीवनभर की कमाई अपने बच्चे की पढ़ाई पर खर्च कर उन्हें विदेश पढ़ने भेजा. मौजूदा वक्त में इन छात्रों का भविष्य अधर में है, इसलिए सत्तापक्ष के नेताओं को चाहिए कि ओछी टिप्पणी करने की जगह इन छात्रों के भविष्य को ध्यान रखते हुए हर संभव मदद करें.

बिन चेहरे की औरतें: सुकुमार औऱ जयंती की प्रेम कहानी

प्यार हम सभी के जीवन में किसी खूबसूरत सपने की तरह प्रवेश करता है. सुकुमार के जीवन में भी 30 वर्षों पहले प्यार की शीतल बयार आई थी लेकिन उस के बाद ऐसा पतझड़ आया जिसे कोई बहार हराभरा नहीं कर पाई…

बिन चेहरे की औरतें: भाग 1

Writer- श्वेता अग्रवाल

मैं औफिस के लिए तैयार हो चुकी थी. घर से निकलने ही वाली थी कि संपादकजी का फोन आ गया.

‘‘गुडमौर्निंग सर.’’

‘‘मौर्निंग, क्या कर रही हो?’’

उन्होंने पूछा.

‘‘औफिस के लिए निकल रही थी.’’

‘‘औफिस रहने दो, अभी एक

काम करो…’’

‘‘जी?’’

‘‘मेघा, तुम सुकुमार बनर्जी को जानती हो न?’’

‘‘वह फेमस आर्टिस्ट?’’

‘‘यस, वही,’’ संपादकजी ने बताया, ‘‘वे आज शहर में हैं. मैं ने तुम्हें उन का नंबर मैसेज किया है. उन्हें फोन करो. अगर अपौइंटमैंट मिल जाए तो उन का इंटरव्यू करते हुए औफिस आना.’’

‘‘ओके सर.’’

‘‘बैस्ट औफ लक,’’ उन्होंने कहा और फोन डिस्कनैक्ट कर दिया.

मैं ने व्हाट्सऐप पर संपादकजी के मैसेज में सुकुमार का नंबर देख कर उन्हें फोन  लगा दिया. मेरी आशा के विपरीत उन्होंने मु?ो तुरंत ही होटल सिद्धार्थ बुला लिया, क्योंकि वे दोपहर को अपने एक मित्र के यहां लंच पर आमंत्रित थे.

तकरीबन 50 वर्षीय सुकुमार बनर्जी एक आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक थे. वे न सिर्फ उम्र से

10 साल कम दिखाई देते थे, बल्कि अपनी ऊर्जा व कर्मठता के मामले में नौजवानों को मात देने में सक्षम थे.

अविवाहित सुकुमार पेशे से आर्टिस्ट थे. कला जगत में उन का काफी नाम था. हाल ही में उन्हें इंडो-जरमन विजुअल आर्ट सैंटर की ओर से ‘जोश’ (ज्वैल्स औफ सोसाइटी एंड ह्यूमैनिटी) सम्मान से नवाजा गया था. उन के चित्रों की एक बड़ी विचित्र सी खासीयत अकसर लोगों का ध्यान खींचती थी. वह यह कि वे अपनी पेंटिंग्स में महिला किरदारों के चेहरे चित्रित नहीं किया करते थे. बाकी हर चीज में पूरी डिटेल्स होती थी. सिर्फ महिला पात्र के चेहरे को वे आउटलाइन बना कर छोड़ देते थे. लोग उन की इस शैली को ले कर तरहतरह की अटकलें लगाते थे. जब भी उन से इस बारे में पूछा जाता, वे टाल जाते थे. शायद उन्हें अपने इर्दगिर्द रहस्यमयता का वातावरण बनाए रखने में मजा आता था. कुछ ही देर बाद मैं होटल सिद्धार्थ की लौबी में उन के सामने बैठ उन का इंटरव्यू कर रही थी.

‘‘प्यार हम सभी के जीवन में किसी खूबसूरत सपने की तरह प्रवेश करता है. लेकिन वे लोग समय के बलवान होते हैं जिन के लिए यह हकीकत का रूप ले कर अकेलेपन के पत?ाड़ में किसी बहार की तरह जज्बातों के जंगल को हराभरा बनाए रखता है. मेरे जीवन में तो 30 वर्षों पहले एक ऐसा पत?ाड़ आया जिसे कोई बहार अब तक हराभरा नहीं कर पाई है,’’ कहतेकहते उन्होंने दाएं हाथ से अपना चश्मा उतार, बाएं हाथ में पकड़े छोटे से रूमाल से अपनी आंखें पोंछी और वापस चश्मा आंखों पर लगा लिया.

उन की यह हालत देख मैं थोड़ा असहज हो गई. इस से पहले मैं ने कला व उन के जीवन से संबंधित बहुत सारे सवाल उन से पूछ डाले थे और सभी का जवाब उन्होंने बड़ी परिपक्वता व गंभीरता के साथ दिया था. लेकिन जैसे ही मैं ने उन के अविवाहित रहने की वजह और प्रेम से संबंधित उन के खयाल जानने के लिए सवाल किया तो उन की हालत ऐसी हो गई थी जैसे किसी ने उन की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो.

‘‘आप पानी लेंगे या वेटर को कौफी लाने के लिए बोल दूं?’’ मैं ने उन की ओर देखते हुए पूछा.

‘‘जी, कुछ नहीं.’’ वे संयत होते हुए बोले, ‘‘माफ कीजिए, मैं थोड़ा इमोशनल किस्म का इंसान हूं.’’

‘‘जी, कोई बात नहीं,’’ मैं उन्हें सांत्वना देते हुए बोली, ‘‘वी कैन अवौइड दिस क्वैश्चन, इफ यू आर फीलिंग अनकंफर्टेबल विद इट?’’

‘‘नो, नो, इट्स ओके,’’ वे सीधे हो कर बैठ गए, ‘‘सच कहूं तो मु?ो अच्छा ही लगेगा किसी के साथ अपनी फीलिंग शेयर कर के. कम से कम उस घुटन से तो आजादी मिलेगी जिसे मैं

31 सालों से अपने भीतर समेटे हुए हूं.’’

‘‘जी, जैसा आप ठीक सम?ों,’’ मैं ने धीरे से कहा.

‘‘लेकिन इस से पहले कुछ वादा करना होगा आप को मु?ा से…’’ वे मेरी ओर ?ाके और मेरा हाथ अपने दोनों हाथों में थाम लिया, ‘‘वह यह कि आप मु?ो बीच में कहीं भी टोकेंगी नहीं और दूसरा यह कि आप इंटरव्यू में सिर्फ उतनी ही जानकारी शामिल करेंगी, जितनी जरूरी है.’’

‘‘जी, मैं पूरा खयाल रखूंगी कि आप को शिकायत का मौका न मिले,’’ मैं ने उन्हें आश्वस्त किया और वे मेरा हाथ छोड़ कर फिर से सीधे हो कर बैठ गए.

मैं ने अपने फोन को फिर से फ्लाइट मोड में डाल दिया और उस का वौयस रिकौर्डर औन कर उन की ओर देखा.

‘‘जयंती नाम था उस का,’’ उन्होंने कहना शुरू किया, ‘‘यह संयोग ही था जो हम एकदूसरे के संपर्क में आए थे. यों ही एक दिन फोन की घंटी बजी थी और मैं ने फोन उठा लिया था. ‘हैलो?’ मैं ने पूछा.

‘‘‘जी, क्या मैं सुकू से बात कर सकती हूं?’ उधर से एक लड़की की आवाज आई.

‘‘‘हां, मैं बोल रहा हूं. आप कौन?’ मैं ने असमंजस से पूछा.

‘‘‘सुकू, मैं जया बोल रही हूं.

कैसे हो?’ वह तो ऐसे

पूछ रही थी, जैसे जाने मेरी कितनी पुरानी परिचित हो.

‘‘‘कौन जया?’ मैं ने उल?ानभरे स्वर में पूछा. मैं इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानता था.

‘‘‘क्यों मजाक कर रहे हो?’ उस

ने कहा.

‘‘‘देखिए, मजाक मैं नहीं, आप कर रही हैं,’ मैं ने कड़े स्वर में कहा, ‘मैं आप को नहीं जानता.’

‘‘‘सुकुमार कहां है?’ वह भी कुछ उल?ान सी महसूस करने लगी थी.

‘‘‘कहा न, बोल रहा हूं,’ मैं और शुष्क हो गया था.

‘‘‘इज इट नौट टू फोर सिक्स नाइन थ्री फोर?’ उस ने परेशान हो कर पूछा.

‘‘‘यस, नंबर इज करैक्ट, लेकिन आखिर में आप ने शायद फोर की जगह वन प्रैस कर दिया,’ मैं रिलैक्स होने लगा, सोचा कि उस से जल्दी में गलत बटन दब गया होगा.

‘‘‘कमाल है, नंबर गलत, बंदा गलत, पर नाम वही,’ वह धीरे से बोली, फिर ‘सौरी’ कह कर फोन डिस्कनैक्ट कर दिया.

‘‘अगले दिन फिर रिंग बजी.

‘‘‘यस?’ मैं ने फोन उठा कर कहा.

‘‘‘सुकुमारजी, मैं जयंती बोल रही हूं और मु?ो उम्मीद है कि आज आप यह नहीं पूछेंगे कि कौन जयंती,’ वह मजाकिया स्वर में बोली.

‘‘‘ठीक है, नहीं पूछूंगा. लेकिन यह तो पूछ ही सकता हूं कि फोन कैसे किया,’ मैं ने नौर्मल टोन में पूछा.

‘‘‘सौरी बोलने के लिए, और…’

‘‘‘और किसलिए? क्योंकि सौरी तो आप ने कल ही बोल दिया था,’ मैं अपनी उत्सुकता को दबा नहीं पा रहा था, ‘‘‘दूसरी वजह क्या है?’

‘‘वह चुप रही. मैं ने फिर से अपना सवाल दोहराया कि उस ने फोन क्यों किया था.

‘‘‘इस उम्मीद में कि शायद रौंग नंबर पर एक राइट पर्सन से दोस्ती हो जाए,’ उस ने मधुर स्वर में जवाब दिया.

‘‘और फिर हम दोस्त बन गए. हर 2-3 दिनों के अंतर से हमारी फोन पर बातें होतीं. धीरेधीरे हम एकदूसरे से खुलने लगे और अपनी बातें, हौबीज, फीलिंग्स वगैरह शेयर करने लगे. उसे भी मेरी तरह आर्ट, मूवीज, म्यूजिक, डांस वगैरह में दिलचस्पी थी. हम देरदेर तक इन टौपिक्स पर बातें करते रहते. कई बार हमारी बात बीच में ही खत्म हो जाती तो मु?ो बहुत चिढ़ होती थी. यह 1990 की बात है. तब तक भारत में मोबाइल नहीं आया था और सारा संवाद या तो मिल कर या फिर बीएसएनएल के लैंडलाइन फोन के जरिए ही संभव था.

Summer Special: इस मौसम में बनाएं यह चटपटी चटनी

गरमी के मौसम में इमली की चटनी हमें दुष्प्रभाव से बचाता है. जैसे जी मचलाना, दस्त या ऊल्टी जैसी समस्याओं से भी बचाता है. इसके साथ-साथ यह पाचन के लिए भी फायदेमंद है.

सामग्री :

इमली – 1 कटोरी

पानी- आवश्यकतानुसार

हींग – 1 चुटकी

जीरा – आधा चम्मच

काला नमक – स्वादनुसार

नमक – स्वादनुसार

लाल मिर्च – दो चुटकी

नमक (स्वादनुसार)

बनाने की विधि :

इमली को कुछ समय तक गुनगुने पानी में गलाकर रखें.

अब इसके बीज निकाल लें और गुड़ एवं सभी मसाले डालकर इसे मिक्सर में पीस लें.

अब इस मिश्रण को उबाल लें और बने हुए पेस्ट को थोड़ा पतला कर लें.

अब इमली की चटनी तैयार है.

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