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मेरा बॉयफ्रेंड मुझे आई लव यू नहीं कहता है, मैं क्या करुं

सवाल 

मैं 27 वर्षीय युवती हूं. जल्द ही मेरी शादी होने वाली है. मेरा मंगेतर मुझे बहुत चाहता है. वह मेरा बहुत खयाल रखता है लेकिन उस ने मुझे आज तक आई लव यू नहीं कहा है. जब मैं उस से यह बात कहती हूं तो उस का जवाब होता है, ‘इन तीन शब्दों से क्या होता है. मैं तुम से कितना प्यार करता हूं क्या यह तुम्हें दिखता नहीं.’ उस का ऐसा बोलना मुझे तसल्ली देता है लेकिन दिल में एक कसक है कि वह मुझ से आई लव यू क्यों नहीं कहता. क्या करूं?

जवाब

लगता है आप का मंगेतर फिल्मी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता, काफी प्रैक्टिकल है. वैसे प्यार जाहिर करने का सभी का अपनाअपना स्टाइल होता है, अपनी सोच होती है. प्यार जताना और निभाना 2 अलगअलग चीजें हैं. इन्हीं दो बातों से बेहतर प्यार की पहचान हो सकती है.जल्दी ही आप दोनों की शादी होने वाली है. पतिपत्नी के बीच ऐसे कई लमहे आते हैं जब आई लव यू जबान पर आ ही जाता है. चिंता मत कीजिए, यह कोई बहुत बड़ा मसला नहीं है जो पूरा न हो. इसलिए खुश रहिए. आप का मंगेतर  आप से बहुत प्यार करता है. वह चाहे यह बात जबान से कहे न कहे लेकिन उस का प्यार आप को दिखता तो है. फिर दिल में बेवजह की कसक किसलिए? बेकार की बातें छोड़ कर जीवन में आने वाली खुशियों का स्वागत करें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

राजनीति का DNA: भाग 3- चालबाज रूपमती की कहानी

एक दिन सूरजभान ने घर छोड़ा, तो नशे में अवध ने कहा, ‘‘हर बार बाहर से चले जाते हो. इसे अपना ही घर समझो. चलो, कुछ खा लेते हैं.’’

सूरजभान ने कहा, ‘‘भैया, घर पहुंचने में देर हो जाएगी. रात हो रही है, फिर कभी सही.’’

‘‘नहीं, रोज यही कहते हो. देर हो जाए तो यहीं रुक जाना. मोबाइल से घर पर बता दो कि अपने दोस्त के यहां रुक गए हो…’’ फिर अवध ने रूपमती को आवाज दी, ‘‘कुछ बनाओ मेरा दोस्त, मेरा भाई आया है.’’

रूपमती को तो मनचाही मुराद मिल गई. जिस से छिपछिप कर मिलना पड़ता था, उसे उस का पति घर ले कर आ रहा है. खा पीकर अवध तो नशे में सोता, तो सीधा अगले दिन के 10-11 बजे ही उठता. इस बीच रूपमती और सूरजभान का मधुर मिलन हो जाता और सुबह जल्दी उठ कर वह अपने घर चला जाता.

सूरजभान की पत्नी अनुपमा गुस्से की आग में जल रही थी. उस का जलना लाजिमी भी था. उस का पति महीनों से रातरात भर गायब रहता था. सुबह आ कर सो जाता और खाना खाने के बाद जो दोपहर से काम पर जाने के बहाने से निकलता, फिर दूसरे दिन सुबह ही वापस आता.

अनुपमा जानती थी कि उस का पति रातभर किसी बाजारू औरत के आगोश में रहता होगा. वह अपने पति को रिझाने का हर जतन कर चुकी थी, लेकिन उसे सिवाय गालियों के कुछ और नहीं मिलता था.

ससुर से शिकायत करने पर भी अनुपमा को यही जवाब मिला कि पतिपत्नी के बीच में हम क्या बोल सकते हैं. काम पर आतेजाते उस की नजर नौकर दारा पर पड़ती रहती. उस के कसे हुए शरीर, ऊंची कदकाठी, कसरती बदन को देख कर अनुपमा के बदन में चींटियां सी रेंगने लगतीं.

एक दिन अनुपमा ने दारा को बुला कर कहा, ‘‘तुम केवल मेरे पति के नौकर नहीं हो, बल्कि इस पूरे परिवार के भरोसेमंद हो. पूरे परिवार के प्रति तुम्हारी जिम्मेदारी है.’’

‘‘जी मालकिन,’’ दारा ने सिर झुका कर कहा.

‘‘तो बताओ कि तुम्हारे मालिक कहां और किस के पास आतेजाते हैं? उन की रातें कहां गुजरती हैं?’’ क्या तुम्हें अपनी छोटी मालकिन का जरा भी खयाल नहीं है?’’ अनुपमा ने अपनेपन की मिश्री घोलते हुए कहा.

‘‘मालकिन, अगर मालिक को पता चल गया कि मैं ने आप को उन के बारे में जानकारी दी है, तो वे मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे,’’ दारा ने अपनी मजबूरी जताई.

‘‘तुम निश्चिंत रहो. तुम्हारा नाम नहीं आएगा.’’

‘‘लेकिन मालकिन.’’

अनुपमा ने अपना पल्लू गिराते हुए कहा, ‘‘इधर देखो. मैं भी औरत हूं. मेरी भी कुछ जरूरतें हैं.’’

दारा ने सिर उठा कर देखा. मालकिन की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था. उस ने ब्लाउज में मालकिन को पहली बार देखा था. पेट से ले कर कमर तक बदन की दूधिया चमक से दारा का मन चकाचौंध हो रहा था. उस के शरीर में तनाव आने लगा, तभी मालकिन ने अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक किया.

‘‘सुनो दारा, मालिक वही जो मालिकन के साथ रहे. तुम भी मालिक बन सकते हो. लेकिन तुम्हें कुछ करना होगा,’’ अनुपमा ने अपने शरीर का जाल दारा पर फें का. उस की स्वामीभक्ति भरभरा कर गिर पड़ी.

‘‘आप का हुक्म सिरआंखों पर. आप जो कहेंगी, आज से दारा वही करेगा. आज से मैं केवल आप का सेवक बनूंगा,’’ दारा ने कहा.

‘‘तो सुनो, उस कलमुंही का कुछ ऐसा इंतजाम करो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे,’’ अनुपमा ने कहा.

‘‘जो हुक्म,’’ कह कर दारा चला गया.

दारा के सामने मालकिन का दूधिया शरीर घूम रहा था. सब से पहले उस ने रूपमती के पति अवध को खत्म करने की योजना बनाई.

इस बार रात में रूपमती ने सूरजभान से कहा, ‘‘मेरा मरद तो अब किसी काम का है नहीं. अब तो वह हमें  साथ देख लेने के बाद भी चुप रहता है. वह तो शराब का गुलाम हो चुका है. उस ने शराब पीने में खेतीबारी बेच दी. तुम ने उसे जुए की लत में ऐसा उलझाया कि यह घर तक गिरवी रखवा दिया. कम से कम अब तो मुझे औलाद का सुख मिलना चाहिए. आज की रात मुझे तुम से औलाद का बीज चाहिए.’’

सूरजभान ने रूपमती की बंजर जमीन में अपने बीज डाल दिए.

सुबह सूरजभान के निकलते ही दारा शराब की बोतल ले कर पहुंचा और उस ने अवध को जगाया.

‘‘तुम्हारा मालिक तो चला गया,’’ अवध ने दरवाजा खोल कर कहा.

‘‘हां, लेकिन उन्होंने तुम्हारे लिए शराब भेजी है,’’ दारा ने शराब की बोतल थमाते हुए कहा.

‘‘अरे वाह, क्या बात है तुम्हारे मालिक की,’’ कह कर अवध ने बोतल मुंह से लगा ली.

थोड़ी ही देर में शराब में मिला हुआ जहर अपना असर दिखाने लगा. अवध को जलन से भयंकर पीड़ा होने लगी. वह कसमसाने लगा, लेकिन ज्यादा नशे के चलते उस के मुंह से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी. वह उसी हालत में तड़पता रहा और हमेशा के लिए सो गया.

दारा ने सोचा तो यह था कि रूपमती के पति की हत्या के आरोप में सूरजभान जेल चले जाएंगे और वह मालकिन के शरीर का मालिक बनेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दरअसल, रूपमती ने दारा को शराब की बोतल देते देख लिया था. वह समझ चुकी थी कि सूरजभान का खानदान उस के पीछे लग चुका है और उस की जान को भी खतरा हो सकता है. सूरजभान उस के पति की जान नहीं ले सकता. उस ने तो उसे हर ओर से नकारा बना दिया था. फिर ऐसा करने से पहले वह उस से पूछता जरूर. इस का साफ मतलब था कि इस में सूरजभान के परिवार के लोग शामिल हो चुके हैं और अगला नंबर उस का होगा.

रूपमती ने सूरजभान को बताया, तो सूरजभान ने कहा, ‘‘तुम यहां से कहीं दूर चली जाओ और अपनी नई जिंदगी शुरू करो. मैं तुम्हें हर महीने रुपए भेजता रहूंगा. अगर तुम्हारी कोई औलाद हुई, तो उस की जिम्मेदारी भी मेरी. लेकिन ध्यान रखना कि यह संबंध और होने वाली औलाद दोनों नाजायज हैं. भूल कर भी मेरा नाम नहीं आना चाहिए.’’

अपनी जान के डर से रूपमती को दूर शहर में जाना पड़ा. जाने से पहले वह अपने पति के कातिल दारा को जेल भिजवा चुकी थी. सूरजभान या उस की पत्नी अनुपमा ने उसे बचाने की कोई कोशिश नहीं की थी.

वजह, चुनाव होने वाले थे. वे दारा से मिलने या उसे बचाने की कोशिश में जनता के साथसाथ विपक्ष को भी कोई होहल्ला मचाने का मौका नहीं देना चाहते थे.

इस के बाद सूरजभान की जिंदगी में न जाने कितनी रूपमती आई होंगी. अब वह राजनीति का उभरता सितारा था. अपने पिता की विरासत को गांव की सरपंची से निकाल कर वह विधानसभा तक में कामयाबी के झंडे गाड़ चुका था. उस के काम से खुश हो कर पार्टी ने उसे मंत्री पद भी दे दिया था.

राजनीति का DNA: भाग 4- चालबाज रूपमती की कहानी

राजनीति और सैक्स तो चोलीदामन के साथ जैसा है. सत्ता की ताकत और बेहिसाब पैसे से कौन प्रभावित नहीं होता. कितनी लड़कियां कभी नौकरी के लिए उस के पास आईं. वह कइयों के साथ संबंध भी बनाता गया.

इस तरह सूरजभान एक सरपंच के बेटे से ले कर देश की संसद में मंत्री बना था. इतना लंबा सफर तय करने में कितने लोग मारे गए, कितनी बेईमानियां, कितने घोटाले, कितने दंगेफसाद, कितने झूठ, कितने पाप करने पड़े, खुद उसे भी याद नहीं.

आज सूरजभान 70 साल का बूढ़ा हो चुका था. उसे याद रहा, तो सिर्फ इतना कि एक रूपमती थी. एक अवध था. वह अपनी पत्नी अनुपमा को एक बार मुख्यमंत्री के बिस्तर पर भी भेज चुका था. उस के बाद उस की अनुपमा से आंख मिलाने की हिम्मत नहीं हुई. उस ने अनुपमा के लिए बंगला ले, गाड़ी, नौकरचाकर, तगड़े बैंक बेलैंस का इंतजाम कर दिया था और अनुपमा को समझा दिया था कि बहुतकुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है. राजनीति का ताज पहनने के लिए उस ने अपनी पत्नी को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया था. उस का बेटा विदेश में बस चुका था.

सूरजभान को यह भी याद था कि विधानपरिषद में मंत्री चुने जाने के बाद दूसरी बार जब वह मंत्री चुना गया था, तब वह अनुपमा के पास गया था. तब उस ने वहां दारा को देखा था. दारा ने उस के पैर छुए थे उस ने अनुपमा से पूछा था कि दारा यहां कैसे? तो उस ने तीखे लहजे में जवाब दिया था, ‘‘मेरे कहने पर ही इस ने अवध की हत्या की थी, तो मेरा फर्ज बनता है कि मैं इसे पनाह दूं. तुम्हारे पास तो न मेरे लिए पहले समय था, न अब. मुझे भी तो कोई विश्वासपात्र चाहिए. तुम तो छत पर चढ़ने के लिए सब को सीढ़ी बना लेते हो और ऊपर पहुंचने के बाद सीढ़ी को लात मार देते हो. कल उतरने की बारी आएगी, तो बिना सीढ़ी के कैसे उतरोगे?’’ अनुपमा बहुतकुछ कह चुकी थी.

सूरजभान कुछ नहीं बोला. वह फिर कभी अनुपमा से मिलने नहीं गया. रही सीढ़ी की बात, तो वह जानता था कि राजनीति में ऊपर उठने के लिए चाहे हजारों को सीढ़ी बना कर इस्तेमाल करो, लेकिन उतरने की जरूरत नहीं पड़ती. राजनीति में जब पतन होता है, तो आदमी सीधा गिर कर खत्म होता है.

सूरजभान का सब से मुश्किल भरा समय था मुमताज कांड. तब उस की काफी बदनामी हुई थी. हाईकमान ने यह कह कर फटकारा था कि या तो इस मामले को निबटाइए या इस्तीफा दे दीजिए. पार्टी की बदनामी हो रही है.

मुमताज की उम्र महज 23 साल थी. खूबसूरत, नाजुक अदाएं, लटकेझटकों से भरपूर. कालेज अध्यक्ष का चुनाव जीत कर वह खुश थी.

वह सूरजभान से मिलने आई. सूरजभान ने आशीर्वाद दिया, बधाई दी और अकेले में भोजन पर बुलाया.

भोजन के समय सूरजभान ने पूछा, ‘‘यह तो हुई तुम्हारी मेहनत की जीत. आगे बढ़ना है या बस यहीं तक?’’

‘‘नहीं सर, आगे बढ़ना है,’’

‘‘गौडफादर के बिना आगे बढ़ना मुश्किल है.’’

‘‘सर, आप का आशीर्वाद रहा तो…’’

‘‘नगरनिगम के चुनाव के बाद महापौर, फिर विधायक और मंत्री पद भी.’’

‘‘क्या सर, मैं ये सब भी बन सकती हूं.’’ उस ने हैरानी से पूछा?

‘‘यह तो तुम पर है कि तुम कितना समझौता करती हो.’’

‘‘सर, मैं कुछ भी कर सकती हूं.’’

‘‘कुछ भी नहीं, सबकुछ.’’

‘‘हां सर, सबकुछ.’’

‘‘तो कुछ कर के दिखाओ.’’

मुमताज समझ गई कि उसे क्या करना है. उसी रात भोजन के बाद वह सूरजभान के बिस्तर पर थी.

लेकिन जब मुमताज को लगा कि उसे झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं, तो उस ने शिकायत की कि ‘‘मुझे विधायकी का टिकट चाहिए.’’

सूरजभान ने समझाया, ‘‘देखो, तुम पहले नगरनिगम का चुनाव लड़ो. पार्टी में कई सीनियर नेता हैं. उन्हें टिकट न देने पर पार्टी में असंतोष फैलेगा. मुझे सब का ध्यान रखना पड़ता है. फिर हमें भी हाईकमान का फैसला मानना पड़ता है. सबकुछ मेरे हाथ में नहीं है.’’

वह चीख पड़ी, ‘‘सबकुछ आप के हाथ में ही है. आप चाहते ही नहीं कि मैं आगे बढूं. मैं ने अपना जिस्म आप को सौंप दिया. आप को अपना सबकुछ माना. आप पर भरोसा किया और आप मुझे धोखा दे रहे हैं.’’

‘‘इस में धोखे की क्या बात है? चाहो तो मैं तुम्हारे अकाउंट में 5-10 करोड़ रुपए जमा करवा दूं.’’

राजनीति का DNA: भाग 5- चालबाज रूपमती की कहानी

लेकिन मुमताज को सत्ता की हवस थी. जब उस ने बारबार अपना शरीर देने की बात कही, तो सूरजभान को गुस्सा आ गया. वह चीख पड़ा, ‘‘क्या कीमत है तुम्हारे जिस्म की? मैं करोड़ों रुपए दे रहा हूं. बाजार में हजार भी नहीं मिलते. शादी कर के घर बसातीतो 5-10 लाख रुपए दहेज देती, तब कहीं जा कर कोई मिडिल क्लास लड़का मिलता. मुझ पर शोषण करने का आरोप लगाने से पहले सोचा है कि तुम जैसी लड़कियां हम जैसे बड़े लोगों का माली शोषण करती हो. अपने शरीर के दाम लगा कर सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बनाती हो.’’

मुमताज ने सूरजभान की नाराजगी देख कर कहा, ‘‘मैं ने आप की रासलीला को कैमरे में कैद कर लिया है. मैं आप का राजनीतिक कैरियर तो तबाह करूंगी ही, दूसरी पार्टी से पैसे और चुनाव का टिकट भी लूंगी.’’

बस, फिर क्या था. दूसरे दिन ही मुमताज की लाश मिली. खूब हल्ला हुआ. सूरजभान पर सीबीआई का शिकंजा कसा. खूब थूथू हुई. उस के खिलाफ कोई सुबूत था नहीं, इसलिए वह बाइज्जत रिहा हो गया.

एक और बात सूरजभान की यादों में बनी रही. जब वह पार्टी की एक महिला मंत्री, जिस की उम्र तकरीबन 40 साल रही होगी, के साथ अकेले डिनर पर था. उस ने पूछा था. ‘‘आप यहां तक कैसे पहुंचीं?’’

महिला मंत्री ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया था, ‘‘औरत के लिए तो एक ही रास्ता रहता है. मैं जवान थी. खूबसूरत थी. पार्टी हाईकमान के बैडरूम से सफर शुरू किया और धीरेधीरे उन की जरूरत बन गई. उन की सारी कमजोरियां समझ लीं. वे मुझ पर निर्भर हो गए. लेकिन हां, कभी उन पर हावी होने की कोशिश नहीं की.

‘‘धीरेधीरे उन की नजरों में मैं चढ़ गई. एक चुनाव जीतने में उन की मदद ली, बाकी अपनी मेहनत.

‘‘हां, अब मैं जब चाहे अपनी पसंद के मर्द को बिस्तर तक लाती हूं. सब ताकत का. सत्ता का खेल है.’’

अब सूरजभान राजनीति का चाणक्य कहलाता था. वह राज्य सरकार से ले कर केंद्र सरकार में मंत्री पदों पर रह चुका था. जब उस की पार्टी की सरकार नहीं बनी, तब भी वह हजारों वोटों से चुनाव जीत कर विपक्ष का ताकतवर नेता होता था लेकिन अब उस की उम्र ढल रही थी. नए नेता उभर कर आ रहे थे. ऐसे में सूरजभान के पास संयास लेने के अलावा कोई चारा नहीं था. फिर भी पार्टी का वरिष्ठ नेता होने के चलते पार्टी उसे राष्ट्रपति पद देने के लिए विचार कर रही थी.

तभी रूपमती ने नया धमाका किया. यह धमाका सूरजभान के लिए बड़ा सिरदर्द था. वह जानता था कि रूपमती एक कुटिल औरत थी. उस ने अपनी जवानी से अच्छेअच्छों को घायल किया था. और बुढ़ापे में उस ने अपनी औलाद को ढाल बना कर इस्तेमाल किया. लेकिन इस बार उस का मुकाबला घाघ राजनीतिबाज से था. वैसे, रूपमती के पास कहने को बहुतकुछ था. उस के पति की हत्या, सूरजभान के के साथ उस के नाजायज संबंध. जब सूरजभान पहली बार मंत्री बना था, तो वह उस से मिलने आई थी और उस ने डरते हुए कहा था कि अब आप के पास पैसा और ताकत दोनों हैं. आप मुझे कभी भी मरवा सकते हैं. मैं आज के बाद आप से कभी नहीं मिलूंगी. आप मुझे 5 करोड़ रुपए दे दीजिए, हर महीने का झंझट खत्म. आप का बेटा बड़ा हो रहा है. मैं शादी कर के कहीं ओर बस जाऊंगी.

सूरजभान ने भी सोचा कि चलो पीछा छूट जाएगा. इस के बाद वह कभी नहीं आई.

आज जब कि सूरजभान की जिंदगी ही आखिरी पडा़व थी, पार्टी उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए बतौर उसी प्रकार तय कर चुकी थी ऐसे में रूपमती का आरोप था कि उस के बेटे सुरेश का पिता सूरजभान है और वह उसे अपना बेटा स्वीकार करे. इस में रूपमती का क्या फायदा हो सकता था? विरोधी पार्टी द्वारा मोटी रकम? क्या कोई राजनीतिक पद पाने की इच्छा?  जब मीडिया में बातें होने लगीं, तो सूरजभान ने कहा, ‘‘मैं इस औरत को जानता तक नहीं. यह औरत झूठ बोल रही है.’’

रूपमती ने भी मीडिया को बताया,  ‘‘इस से मेरे पुराने संबंध थे. गांव की राजनीति शुरू करने से पहले.’’

सूरजभान ने बयान दिया, ‘‘यह उस के पति का बच्चा होगा. मेरा कैसे हो सकता है?’’

‘‘नहीं, यह बच्चा सूरजभान का ही है,’’ रूपमती ने जवाब दिया.

‘‘इतने दिनों बाद सुध कैसे आई?’’

‘‘बेटे को उस का हक दिलाने के लिए.’’

मामला कोर्ट में चला गया. अनुपमा ने भी पति सूरजभान का पक्ष लिया. उन का बेटा विदेश में था. उसे इन सब बातों की खबर थी, लेकिन वह क्या कहता?

अनुपमा से पूछने पर उस ने कहा,  ‘‘मेरे पति देवता हैं. उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है, ताकि वे राष्ट्रपति पद के दावेदार न रहें.’’

जब कोर्ट ने डीएनए टैस्ट कराने का और्डर दिया, तो सूरजभान समझ गया कि पुराने पाप सामने आ कर दंड दे रहे हैं. इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के लिए पाप की जो सीढि़यां लगाई थीं, आज वही सीढि़यां ऊंचाई से उतार फेंकने के लिए कोई दूसरा लगा रहा है.

सूरजभान ने सोचा, ‘जितना पाना था, पा चुका. जितना जीना था जी चुका अब तो जिंदगी की कुरबानी भी देनी पड़ी, तो दूंगा. डीएनए टैस्ट हो गया, तो सब साफ हो जाएगा. इस से बचना मुश्किल है, क्योंकि अदालत, मीडिया तक बात जा चुकी है. विपक्ष हंगामा कर रहा है.’

सूरजभान ने बहुत सोचा, फिर एक चिट्ठी लिखी. वह चिट्ठी भी राजनीति की तरह एकदम झूठी थी.

चिट्ठी इस तरह थी : ‘रूपमती नाम की औरत को मैं निजी तौर पर नहीं जानता. इस के बुरे दिनों में मैं ने इस के पति की कई बार पैसे से मदद की थी एक दिन यह मुझ से मिलने आई और कहने लगी कि राष्ट्रपति के चुनाव से हट जाओ या सौ करोड़ रुपए दो. मैं राष्ट्रपति पद से हटता हूं, तो यह मेरी पार्टी की बेइज्जती होगी. मैं ने जिंदगी भर देश की सेवा की है. सेवक के पास सौ करोड़ रुपए कहां से आएंगे? पार्टी और जनसेवा मेरी जिंदगी का मकसद रहे हैं. मैं तो पूरे देश की जनता को अपनी औलाद मानता हूं.

‘देश के 150 करोड़ लोग मेरे भाई, मेरे बेटे ही तो हैं, तो इस का बेटा भी मेरा हुआ. पर मैं ब्लैकमेल होने के लिए राजी नहीं हूं. मुझे डीएनए टैस्ट कराने से भी एतराज नहीं है, लेकिन विपक्ष इस समय कई राज्यों में है. उस के लिए डीएनए रिपोर्ट बदलवाना कोई मुश्किल काम नहीं है. मेरे चलते पार्र्टी की इमेज मिट्टी में मिले, यह मैं बरदाश्त नहीं कर सकता. रूपमती नाम की औरत झूठी है. यह विपक्ष की चाल है. मैं इस बुढ़ापे में तमाशा नहीं बनना चाहता. सो, जनहित पार्टी हित और इस औरत द्वारा बारबार ब्लैकमेल किए जाने से दुखी हो कर मैं अपनी जिंदगी को खत्म कर रहा हूं. जनता और पार्टी इस औरत को माफ कर दे. प्रशासन इस के खिलाफ कोई कदम न उठाए.’

दूसरे दिन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार नेता सूरजभान को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. वह जहर खा चुका था और रूपमती को पुलिस ने आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में हिरासत में ले लिया.

पार्टी में शोक की लहर थी. जनता को अपने नेता के मरने का गहरा दुख हुआ. दाह संस्कार के बाद सूरजभान के बेटे को पार्टी प्रमुख ने महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी. बेटा अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए तैयार था. जनता के सामने साफ था कि नेता के बेटे को हर हाल में चुनाव में भारी वोटों से जिताना है. यही उस की अपने महान नेता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

सहानुभूति की इस लहर में सूरजभान का बेटा भारी वोटों से चुनाव जीता. सूरजभान के नाम पर शहर में मूर्तियां लगाए गईं. अब इस बात पर विचार किया जाता रहा था कि हवाईअड्डे का नाम भी सूरजभान एअरपोर्ट रखा जाए. कई फिल्मकार उस पर फिल्म बनाना चाहते थे.

राजनीति इसी को कहते हैं कि आदमी ठीक समय पर मरे, तो महान हो जाता है. इस बार रूपमती नाकाम हो गई. उस की कुटिलता, उस की चालाकी इस दफा हार गई. क्यों न हो, राजनीतिबाजों से जीतना किसी के बस की बात नहीं. उन्हें तो केवल इस्तेमाल करना आता है. सूरजभान ने तो अपनी मौत तक का इस्तेमाल कर लिया था.

Video: हर्ष लिम्बाचिया ने किया सुरभि चंदना से फ्लर्ट! भड़के मिथुन चक्रवर्ती

भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया (Haarsh Limbachiyaa) हाल ही में पेरेंट्स बने हैं. जिसके बाद भारती ने काम से ब्रेक ले लिया है. तो वहीं  हर्ष रियलिटी शो ‘हुनरबाज देख की शान’ (Hunarbaaz Desh Ki Shaan) को होस्ट कर रहे हैं. और भारती की जगह पर सुरभि चंदना को हायर किया गया है. शो के शूट के दौरान की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

सामने आये इस वीडियो में आप देख  सकते हैं कि हर्ष सुरभि की कमर पर हाथ रखे उन्हें जजेस की कुर्सी के पास लाते हैं और उनको नए होस्ट के तौर पर सबसे परिचय करवाते हैं. लेकिन हर्ष को इस तरह देख सबसे पहले मिथुन चक्रवर्ती रिएक्ट करते हैं और कमर पर से हाथ हटाने के लिए कहते हैं.

 

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इसके बाद वह दोनों दूर-दूर खड़े हो जाते हैं. ऐसे में हर्ष कहते हैं, दादा मैं इन्हें सबसे मिलवाने के लिए लाया हूं. मिथुन कहते हैं, मिलवाइए लेकिन दूर से. सुरभि भी हां में हां मिलाती हैं. फिर हर्ष, करण जौहर के पास जाते हैं. दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं. इसके बाद हर्ष कहते हैं, ये हमारी नई होस्ट हैं.

 

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इस पर करण कहते हैं कि वह सुरभी को ऐसे मिलवा रहे हैं, जैसे वह घर की नई बहू हो. सुरभि यहां भी हर्ष के खिलाफ बोलती है और कहती हैं कि उन्हें भी ये बात समझ नहीं आ रही है कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं. फिर हर्ष आगे कोरियोग्राफर गीता मां को बताते हैं कि करण सर गाना बहुत अच्छा गाते हैं.

 

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आपको बता दें कि भारती सिंह ने बेटे को जन्म देने के एक दिन पहले तक काम किया था. उनका कहना था कि वह अपनी पूरी प्रेग्नेंसी काम करेंगी, जिससे बेबी आए तो वह उसके साथ पूरा समय बिता सकें.

Anupamaa: वनराज को ब्लैकमेल करेगी काव्या, शाह हाउस छोड़ेगी किंजल?

सीरियल ‘अनुपमा’ की कहानी एक नया मोड़ ले चुकी है. शो में जल्द ही अनुज-अनुपमा की शादी होने वाली है. बापूजी, किंजल, समर, गोपी काका अनुज-अनुपमा की शादी की तैयारी धूमधाम से कर रहे हैं. बापूजी ने तो अनुज और अनुपमा की शादी के कार्ड भी छपवा दिए हैं. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि बा ने अनुज-अनुपमा की शादी को लेकर खूब हंगामा किया है, जिससे दोनों की शादी रुक जाये और इससे मालविका को धक्का लगा है. ऐसे में उसने वनराज, पारितोष और काव्या को नौकरी से ही निकाल दिया.

 

तो दूसरी तरफ राखी दवे शाह परिवार को बर्बाद करना चाहती है. वह काव्या को मोहरा बनाकर अपनी चाल चलने की तैयारी कर रही है. अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि राखी काव्या को भड़काएगी कि वह वनराज से अलग हो जाए. काव्या भी उसकी बातें में आ जाएगी.

 

शो में आप ये भी देखेंगे कि राखी दवे चाहती है कि एक बार फिर से शाह हाउस बिखर जाए और किंजल उसके घर वापस आ जाए. अनुपमा के आने वाले एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि वनराज को टूटता हुआ देखकर बापूजी भी निराश हो जाएंगे. वनराज को हिम्मत मिलेगी लेकिन बा अपनी हरकतों से बाज नहीं आएंगी.

 

शो में ये भी दिखाया जाएगा कि बापूजी अनुपमा की शादी का कार्ड पड़ोसियों को देंगे लेकिन सभी लोग आने से मना कर देंगे. ऐसे में बा भी कहेगी कि वह भी अनुपमा और अनुज की शादी में शामिल नहीं होंगी.

 

तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ में सितारों की धूम

बस्ती. अप्रैल महीने की शुरुआत में एक खुशनुमा शाम को बस्ती, उत्तर प्रदेश के होटल ‘बालाजी प्रकाश’ के प्रांगण में भोजपुरी सितारों का लगा जमघट, मौका था तीसरे ‘सरस सलिल भोजपुरी अवार्ड शो’ का. साल 2021 में रिलीज हुई भोजपुरी फिल्मों के आधार पर अलग अलग कैटेगरी की फिल्मों के चयन के आधार पर फिल्म अवार्ड वितरित किए गए.

शाम 6 से ही यह अवार्ड शो शुरू हो गया था, जिस में भोजपुरी गानों, डांस और हंसी की ठहाकों का ऐसा तड़का लगा कि कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला.

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इस समारोह में संजना ‘सिल्क’ को ‘बेस्ट आइटम डांसर’ का अवार्ड मिला. फिल्म ‘फर्ज’ के लिए अनूप तिवारी ‘लोटा’ को ‘बेस्ट कॉमिक रोल इन क्रिटिक्स’ दिया गया, तो भोजपुरी के दमदार विलेन संजय पांडेय की झोली में फिल्म ‘घूंघट में घोटाला 2’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ का अवार्ड आया. रोहित सिंह ‘मटरू’ को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट कॉमेडी एक्टर’ का अवार्ड मिला, तो प्रमोद शास्त्री को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

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फिल्म ‘बेटी नंबर वन’ के लिए विनय बिहारी को ‘बेस्ट सांग राइटर’ का अवार्ड मिला. शुभम तिवारी को फिल्म ‘बबली की बारात’ के लिए ‘फुल कॉमेडी मूवी श्रेणी’ में ‘बेस्ट एक्टर’ का अवार्ड मिला. तारकेश्वर मिश्र ‘राही’ को भोजपुरी सिनेमा में उन के शानदार योगदान के लिए ‘भिखारी ठाकुर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. अदिति रावत को फिल्म ‘जुगुनू’ के लिए ‘बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट’ का अवार्ड मिला, तो अनीता रावत को फिल्म ‘बाबुल’ के लिए ‘बेस्ट नैगेटिव रोल (फीमेल) दिया गया.

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संजय श्रीवास्तव को फिल्म ‘दूल्हा ऑन सेल’ के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर इन सोशल मूवीज’ का अवार्ड मिला, तो देव सिंह को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट विलेन’ (क्रिटिक्स) का अवार्ड दिया गया.

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भोजपुरी के स्टार कलाकार अरविंद अकेला कल्लू को फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ और फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के लिए ही खूबसूरत यामिनी सिंह को ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ का अवार्ड मिला. इसी फिल्म के लिए अमित हिंडोचा को ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का अवार्ड दिया गया.

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इस कार्यक्रम की सफल एंकरिंग शुभम तिवारी और डॉक्टर माही खान ने की और बहुत से नामचीन कलाकारों ने अपने डांस और गाने की प्रस्तुति से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया.

आखिरी मुलाकात: भाग 1

Writer- Shivi Goswami

समीर ने अपनी घड़ी की तरफ देखा और उठ गया. आज रविवार था तो समय की कोई पाबंदी नहीं थी. आज न तो कोई मीटिंग थी, न ही औफिस जाने की जल्दी, न ही आज उस को सुबहसुबह अपने पूरे दिन का टाइमटेबल देखना था.

समीर की नौकरानी की आज छुट्टी थी या फिर यह कहा जा सकता है कि समीर नहीं चाहता था कि आज कोई भी उस को डिस्टर्ब करे. समीर ने खुद अपने लिए कौफी बनाई और बालकनी में आ कर बैठ गया. कौफी पीतेपीते वह अपने बीते दिनों की याद में डूबता गया.

अपना शहर और घर छोड़े उसे 2 साल हो चुके थे. यह नौकरी काफी अच्छी थी, इसलिए उस ने घर छोड़ कर दिल्ली आ कर रहना ही बेहतर समझा था, वैसे यह एक बहाना था. सचाई तो यह थी कि वह अपनी पुरानी यादों को छोड़ कर दिल्ली आ गया था.

उस की पहली नौकरी अपने ही शहर लुधियाना में थी. वहां औफिस में पहली बार वह सुमेधा से मिला था. औफिस में वह उस का पहला दिन था. वहां लंच से पहले का समय सब लोगों के साथ परिचय में ही बीता था. सब एकएक कर के अपना नाम और पद बता रहे थे…

एक बहुत प्यारी सी आवाज मेरे कानों में पड़ी. एक लड़की ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम सुमेधा.’

सीधीसादी सी दिखने वाली सुमेधा में कोई खास बात तो थी जिस की वजह से मैं पहली ही मुलाकात में उस की तरफ आकर्षित होता चला गया था और मैं ने उस से हाथ मिलाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम समीर.’

हमारी बात इस से आगे बढ़ी नहीं थी. दूसरे दिन औफिस के कैफेटेरिया में मैं अपने औफिस में बने नए दोस्त नीलेश के साथ गया तो सुमेधा से मेरी दूसरी मुलाकात हुई. सुमेधा वहां खड़ी थी. नीलेश ने उस की तरफ देखते हुए कहा, ‘सुमेधा, तुम भी हमारे साथ बैठ कर लंच कर लो.’

सुमेधा हम लोगों के साथ बैठ गई. मैं चोरीचोरी सुमेधा को देख रहा था. मैं ने पहले कभी किसी लड़की को इस तरह देखने की कोशिश नहीं की थी.

मेरे और सुमेधा के घर का रास्ता एक ही था. हम दोनों एकसाथ ही औफिस से घर के लिए निकलते थे. उस समय मेरे पास अपनी बाइक तक नहीं थी, तो बस में सुमेधा के साथ सफर करने का मौका मिल जाता था. रास्ते में हम बहुत सारी बातें करते हुए

जाते थे, जिस से हमें एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जानने को मिला. वह अपने जीवन में कुछ करना चाहती थी, सफलता पाना चाहती थी. उस के सपने काफी बड़े थे. मुझे अच्छा लगता था उस की बातों को सुनना.

धीरेधीरे मैं और सुमेधा एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगे. शायद सुमेधा भी मुझे पसंद करने लगी थी, ऐसा मुझे लगता था.

‘कल रविवार को तुम लोगों का क्या प्लान है?’ एक दिन मैं और नीलेश जब औफिस की कैंटीन में बैठे थे, तो सुमेधा ने बड़ी बेबाकी से आ कर पूछा.

‘कुछ खास नहीं,’ नीलेश ने जवाब दिया.

‘और तुम्हारा कोई प्लान हो तो बता दो समीर,’ सुमेधा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

‘नहीं…कुछ खास नहीं. तुम बताओ?’ मैं ने कहा.

‘कल मूवी देखने चलें?’ सुमेधा ने कहा.

‘आइडिया अच्छा है,’ नीलेश एकदम से बोला.

‘तो ठीक है तय हुआ. कल हम तीनों मूवी देखने चलेंगे,’ कह कर सुमेधा चली गई.

‘देखो समीर, कल तुम अपने दिल की बात साफसाफ सुमेधा से बोल देना. मुझे लगता है कि सुमेधा भी तुम्हें पसंद करती है,’ नीलेश ने एक सांस में यह बात बोल दी.

मैं उस का चेहरा देखे जा रहा था. वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया था. शायद अब वह मेरे दिल की बात भी पढ़ने लगा था.

‘देखो, मैं ने जानबूझ कर हां बोला है और मैं कोई बहाना बना कर कल नहीं आऊंगा. तुम दोनों मूवी देखने अकेले जाना. इस से तुम्हें एकसाथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा और अपने दिल की बात कहने का भी.’

‘लेकिन…’

‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम्हें अपने दिल की बात कल उस से कहनी ही होगी. वह आ कर तो यह बात बोलेगी नहीं.’

मैं ने नीलेश को गले लगा लिया,

‘धन्यवाद नीलेश…’

‘ओह रहने दे, तेरी शादी में भांगड़ा करना है बस इसलिए ऐसा कर रहा हूं,’ यह कह कर नीलेश हंसने लगा.

आज रविवार था और नीलेश का प्लान कामयाब हो चुका था. उस ने सुमेधा को फोन कर के कह दिया था कि उस की मौसी बिना बताए उस को सरप्राइज देने के लिए पूना से यहां उस से मिलने आई हैं. इसलिए वह मूवी देखने नहीं आ सकता. लेकिन हम उस की वजह से अपना प्लान और मूड खराब न करें. इस से उस को अच्छा नहीं लगेगा.

सुमेधा मान गई और न मानने का तो कोई सवाल ही नहीं था. मैं मन ही मन नीलेश के दिमाग की दाद दे रहा था.

मौल के बाहर मैं सुमेधा का इंतजार कर रहा था. सुमेधा जैसे ही औटो से उतरी मैं ने उस को देख लिया था. सफेद सूट में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. मैं उस को बस देखे जा रहा था. उस ने मेरी तरफ आ कर मुझ से हाथ मिलाया और कहा, ‘ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा?

‘नहीं, मैं बस 20 मिनट पहले आया था,’

मैं ने उस की तरफ देखते हुए कहा.

‘ओह, आई एम सौरी. ट्रैफिक बहुत है आज, रविवार है न इसलिए,’ उस ने हंसते हुए कहा.

हम दोनों ने मूवी साथ देखी. लेकिन मूवी बस वह देख रही थी. मेरा ध्यान मूवी पर कम और उस पर ज्यादा था.

मूवी के बाद हम दोनों वहीं मौल के एक रेस्तरां में बैठ गए. सुमेधा मूवी के बारे में ही बात कर रही थी.

‘मुझे तुम से कुछ कहना है सुमेधा,’ मैं ने सुमेधा की बात बीच में ही काटते हुए कहा.

‘हां, बोलो समीर…,’ सुमेधा ने कहा.

‘देखो, मैं ने सुना है कि लड़कियों का सिक्स सैंस लड़कों से कुछ ज्यादा होता है, लेकिन फिर भी मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. अगर तुम को मेरी बात पसंद न आए तो तुम मुझ से साफसाफ बोल देना. और हां, इस से हमारी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आना चाहिए.’

‘लेकिन बात क्या है, बोलो तो पहले,’ सुमेधा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

‘मुझे डर था कि कहीं अपने दिल की बात बोल कर मैं अपने प्यार और दोस्ती दोनों को ही न खो दूं. फिर नीलेश की बात याद आई कि कम से कम एक बार बोलना जरूरी है, जिस से सचाई का पता चल सके. मैं ने सुमेधा की तरफ देखते हुए अपनी पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘आई…आई लव यू सुमेधा. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.’

मेरी बात सुन कर सुमेधा एकदम अवाक रह गई. उस के चेहरे के भाव एकदम बदल गए.

‘सुमेधा, कुछ तो बोलो… देखो, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहूंगा. जो मेरे मन में था और जो मैं तुम्हारे लिए महसूस करता हूं वह मैं ने तुम से कह दिया और यकीन मानो आज तक यह बात न तो मैं ने कभी किसी से कही है और न ही कहने का दिल किया कभी.’

आखिरी मुलाकात: सुमेधा ने समीर से क्यों शादी नहीं की?

शादी सुमेधा प्यार तो समीर से करती थी. फिर उस ने शादी एक बिजनैसमैन के साथ क्यों कीक्या वह ऐशोआराम की जिंदगी जीना चाहती थी या बात कुछ और थी.

Summer Special: गर्मी में हर पल सताए लू का डर

गर्मी का मौसम आते ही लोगो के मन में लू का डर बनाने लगता है, हर कोई यही चाहता है कि लू के चपेट में वह न आये. हमारे देश में हर साल गर्मी के मौसम में लू के कारण हजारो लोगो को अस्पताल पहुचना पड़ता है, तो भारी संख्या में लोगो का आपात मौत लू लगने के कारण होती है . आईये लू से बचने के लिए जानते है, लू के हर पहलु के बारे में . . .

क्या है लू – हर साल गर्मियों के मौसम में मई से मध्य जुलाई तक उत्तरी भारत में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क वाली हवाओं चला करती है, जिसे लू कहतें हैं . इस समय का तापमान 40 -45सेंटीग्रेडसे तक होता है . गर्मियों के मौसम में हर कोई इन गर्म हवायो से बचना चाहता है, लू लगना गर्मी के मौसम की बीमारी है.

कैसे लगती है लू – मानव शरीर की की संरचना अनोखी है, बाहर के तापमान में भले ही कितना बदलाव आ जाये लेकिन शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री सेंटीग्रेड ही बना रहता है. गर्मी में जब हम लापरवाही पूर्वक बाहर निकलते हैं, तब तेज धूप और गर्म हवा शरीर की बाहरी त्वचा को अत्यधिक गर्म कर देती है और जिससे हम लू के चपेट में आजाते है. काफी गर्मी के कारण रक्त नलिकाएं चौड़ी हो जाती है जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और शरीर के अन्दर से पानी पसीना के रूप में निकलता है, जिसके कारण अन्दर खून गर्म हो जाता है . बढ़े हुए ब्लड सर्कुलेशन और गर्म हुआ खून शरीर के अंदर के तापमान को भी बढ़ा देता है, इसे ही लू लगना कहते हैं.

लू लगाने का प्रमुख कारण – लू लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है. पसीने की शक्ल में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है. सिर में भारीपन मालूम होने लगता है, नाड़ी की गति बढऩे लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है. साँस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है. बुखार काफी बढ़ जाता है. हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है. आँखें भी जलती हैं. इससे अचानक बेहोशी व अंतत: रोगी की मौत भी हो सकती है.

लू के चपेट में आये पीडि़त का लक्षण
* बार-बार प्यास लगना .
*चेहरा लाल , सर दर्द , जी मिचलाना और उल्टियाँ होना .
*अधिक तापमान के कारण बेहोश हो जाना .
* नाडी की गति अधिक बढ जाने के फ़लस्वरुप रोगी का तापमान 101-104 तक हो जाना .
* रोगी का बैचेन और उदासीन दिखना .
लू लगाने पर क्या करे
*लू का सर्वश्रेष्ठ एवं प्रथम उपचार शरीर के तापमान को कम करना होता है. ‘लू’ से पीडि़त व्यक्ति को ऐसी जगह लिटा दें, जहां ठंडक हो, स्वच्छ वायु मिले तथा वातावरण शीतल हो.
* लू लग जाए तो नजदीकी चिकित्सक से प्राथमिक उपचार तुरंत कराये ताकि समय रहते सब नियंत्रण में हो.

* लू लगाने पर रोगी को जीवन रक्षक घोल (नमक, शक्कर, नींबू के रस का घोल) समय -समय पर पिलाते रहे .
* लू लगने पर पानी से स्पंज करें, माथे पर बर्फ की पट्टी रखें.
* लू लगने पर पकी हुई इमली के गूदे को हाथ और पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर मिटता है. इमली का पानी पीने से लू तुरंत उतरती है.
*दही एवं मौसमी फल जैसे संतरा, अंगूर, तरबूज, मौसम्मी का रस लू ग्रस्त रोगी को पीने को दें.
* पुदीने का शर्बत भी लू लगने पर फायदेमंद है. रोगी को तरल पदार्थ ही दें.
*लू लगने पर प्याज पका कर उसमें भुना जीरा, चीनी और गाय का घी मिलाकर रोगी को दें. काफी आराम मिलेगा.
लू से बचने के उपाये
* खीरा और ककड़ी का सेवन करे,गर्मियों के मौसम में खीरा ककड़ी खाने से शरीर में शीतलता बनी रहती है. जिससे एकाएक लू का असर भी नहीं होता.
* बेल, आम, नीबू के शरबत का सेवन करें, गर्मियों में बेल, आम और नीबू के शरबत हमारे शरीर में पानी के स्तर को बनाये रखते है, जिससे काफी हद तक लू से बचने में मदद मिलाती है .
*गर्मी के मौसम में कभी-कभी सिर, पैर एवं हाथों में मेहंदी के लगाने से ‘लू’ का असर कम होता है.
* धूप में खाली पेट न निकले, नींबू की शिकंजी या छाछ का सेवन करें.
* जीतन हो सके अधिक से अधिक पानी का सेवन करे .
* धूप में कम निकले और अगर निकलना हो तो शरीर पूरी तरह से ढक कर रखे .
क्या खाएं, क्या पिएं- नींबू पानी प्रचुर मात्रा में लें. नमक, चीनी एवं विटामिन- सी (नींबू का रस) का जीवन रक्षक घोल लें. सायंकाल तले हुए पदार्थ या मिर्च मसालेदार पदार्थों का सेवन न करें. हल्का भोजन लें, मगर उपवास अधिक न करें. शराब का सेवन ना करे . भोजन में प्याज, पोदीना, सलाद एवं कच्चे आम की फांक अधिक लें.

इन्हे भी ध्यान में रखे – थोड़ी सी लापरवाही और आप हो सकते है,लू का शिकार . तो हर छोटी से छोटी बातो का ख्याल रखा करे. अगर आप ए.सी. या कूलर के आगे बैठे हैं तो कभी भी एक दम धूप या हवा में न जायें. एसी में रहने पर रक्त नलिकाएं सिकुड़ी रहती हैं. अचानक एसी से बहारसीधे धूप में आने के बाद शरीर का तापमान अचानक बदल जाता है. जिससे सिकुड़ी हुई रक्त नलिकाएं अचानक फैलने लगती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इस स्थिति में कोई भी लू के चपेट में आ सकता है . इससे बचने का सरल तरीका है कि एसी से बाहर आने के बाद कुछ पल के लिए किसी छायादार स्थान पर रहकर शरीर के तापमान को सामान्य कर लिया जाए. किसी भी प्रकार की क्रीम लगाकर धूप में न निकलें. क्रीम तैलीय पदार्थ होने से इसके लगाने पर त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, जिससे पसीना न आने से तापाम असंतुलित हो जाता है.

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