Download App

ठगी का शिकार हुईं ‘कुंडली भाग्य’ की श्रद्धा आर्या, पढ़ें खबर

टीवी की मशहूर एक्ट्रेस श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) सुर्खियों में छाई रहती हैं. वह अक्सर अपने फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. अब हाल ही में एक्ट्रेस अपने साथ हुई ठगी के कारण चर्चा में आ गई हैं. जी हां श्रद्धा आर्या आर्या ठगी का शिकार हुई है. आइए बताते हैं, क्या है पूरा मामला.

दरअसल श्रद्धा आर्या को एक इंटीरियर डिजाइनर ने ठगा है. एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए जानकारी दी है. हाल ही में एक्ट्रेस ने अंधेरी में एक घर खरीदा था जिसे डिजाइन करवाने के लिए उन्होंने डिजाइनर हायर किया था. लेकिन वह डिजाइनर एक्ट्रेस के पैसे और सामान के साथ फरार हो गया है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Shraddha Arya (@sarya12)

 

श्रद्धा आर्या ने इंस्टाग्राम पर इस बात की जानकारी देते हुए उसकी शिकायत भी की है. एक्ट्रेस ने डिजाइनर का नाम बताते हुए लिखा है कि वह इंटीरियर डिजाइनर, जिसके बारे में मुझे लगा था कि मैं उसपर भरोसा कर सकती हूं, उसने मेरा भरोसा तोड़ दिया और घर की फिटिंग और बाकी सामानों के साथ फरार हो गया. जबकि मैंने 95 प्रतिशत फीस चुका दी थी, जो कि उसने खुद मुझसे बताई थी.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Shraddha Arya (@sarya12)

 

एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रद्धा आर्या ने अपने साथ हुई ठगी के बारे में बात करते हुए कहा है कि  मैं ऑनलाइन इंटीरियर डिजाइनर की तलाश कर रही थी और इसी दौरान मुझे वो दिखा. मैंने शादी के बाद अपने घर की सजावट के लिए उसे हायर किया था. उसने मुझसे वादा किया था कि वह चार महीनों में काम खत्म कर देगा, लेकिन लंबा वक्त लेने के बाद भी वह काम नहीं निपटा पाया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Shraddha Arya (@sarya12)

अनुपमा के नाम सारी जायदाद करेगा अनुज, वनराज का उजड़ेगा घर

टीवी शो ‘अनुपमा’ (Anupama) में अनुज और अनुपमा आखिरकार शादी के बंधन में बंध गये हैं. दर्शकों को अनुज-अनुपमा की शादी का बेसब्री से इंतजार था. अब अनुपमा कपाड़िया परिवार की बहू बन गई है. शो के आने वाले एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

कपाड़िया परिवार में होगा अनुपमा का शानदार स्वागत

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ⭐STAR_PLUS⭐ (@starplusserial__)

 

शो में अब तक आपने अब तक देखा कि अनुज-अनुपमा ने सात फेरे लिए. अब अनुपमा की शाह परिवार से विदाई हो गई है. नए ससुराल में अनुपमा का भव्य स्वागत किया जाएगा और यह देखकर अनुपमा इमोशनल हो जाएगी. काव्या भी अनुपमा की खुशियों में खुश होगी.

अनुज की सम्पति की मालकिन होगी अनुपमा

 

View this post on Instagram

 

A post shared by @anujkapadia_gauravkhanna

 

शो में आप ये भी देखेंगे कि  अनुज अनुपमा  के नाम अपनी पूरी जायदाद कर देगा और घर की सारी जिम्मेदारियां वो अनुपमा के नाम कर देगा. शो में अनुज-अनुपमा जमकर रोमांस करेंगे.  शो के आने वाले एपिसोड में अनुज और अनुपमा की शानदार केमिस्ट्री देखने को मिलने वाला है.

वनराज का उजड़ेगा घर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anuj_anupama_ (@anuj_anupama_)

 

शो में दिखाया जा रहा है कि एक तरफ अनुपमा का घर बस रहा है तो वहीं  दूसरी तरफ वनराज का घर उजड़ जाएगा. अनुपमा की विदाई के बाद वनराज को इस बात की चिंता सताएगी कि शादी के बाद शाह परिवार में अनुपमा की जिम्मेदारियां कौन संभालेगा. दूसरी तरफ काव्या भी अपने एक्स हसबैंड के साथ कॉन्टेक्ट करेगी. तो वहीं बा को इस बात की भनक लग जाएगी. खबरों के अनुसार काव्या वनराज को तलाक देने की बात कहेगी.

सुपर स्टार अक्षय कुमार का तंबाकू विज्ञापन

अक्षय कुमार  फिल्मी दुनिया में अपना एक ऊंचा मुकाम बना चुके हैं. उन्होंने जो संघर्ष किया है उसे भी हम आपको बताते चलें और यह भी कि अभी अभी उन्होंने विमल गुटखा का विज्ञापन करने के  खातिर आखिरकार प्रशंसकों से माफी मांग ली है.

अक्षय कुमार खिलाड़ी कुमार के नाम से भी बॉलीवुड में जाने जाते हैं 90 के दशक में जब वे फिल्मी दुनिया में आए तो वह अपनी नकल के कारण हाशिए पर रहते थे. मगर धीरे-धीरे उन्होंने अभिनय कला को कुछ ऐसा साधा है कि आज उनकी फिल्में 200-300 करोड़ के क्लब में बड़ी आसानी से पहुंच जाती है.

अक्षय कुमार नाम है एक ऐसे फिल्म अभिनेता का जो हमेशा सुर्खियों में बना रहता है कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का साक्षात्कार ले कर के, कभी उनका समर्थन करके और कभी अपनी फिल्मों और अपनी कार्यशैली के कारण हाल में उन्होंने विमल तंबाकू गुटखा एक ऐसा विज्ञापन किया जिसके कारण उनके फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया, अब यह अक्षय कुमार की ही समझदारी है कि उन्होंने अपने प्रशंसकों की बात को गंभीरता से लिया और यह घोषणा कर दी है कि वह आगे ऐसे किसी भी विज्ञापन में काम नहीं करेंगे .

जैसा कि होना चाहिए था उनके प्रशंसक अक्षय कुमार की इस भलमनसाहत की भी खूब प्रशंसा कर रहे हैं.

दरअसल, अक्षय कुमार ने हाल ही में तंबाकू ऐड में अजय देवगन  और शाहरुख खान के साथ नजर आए थे. इस ऐड के सामने आते है कि अक्षय को सोशल मीडिया पर खूब खरी-खोटी सुनाई. यह विज्ञापन आते ही  कुछ प्रशंसकों ने उनका एक पुराना साक्षात्कार शेयर कर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया.

अक्षय कुमार ने खुद को ट्रोल होता देख आखिरकार संवेदनशीलता का परिचय दिया और खुद को इस विज्ञापन से अलग कर दिया और यही नहीं आधी रात को इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए फैन्स से माफी मांगी.

अक्षय कुमार ने लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर अपनी बात कही उसके बाद तो अक्षय कुमार के प्रशंसकों ने बढ़-चढ़कर उनकी भूरी भूरी प्रशंसा करनी शुरू कर दी जो स्वाभाविक है क्योंकि आज के समय में कोई भी स्टार अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है.

खिलाड़ी कुमार की उदार माफी

खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार पर जब प्रशंसक व्यंग बाण छोड़ने लगे तो अक्षय कुमार ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर लिखा- ” मैं सभी फैन्स और अपने वेल विशर्स से माफी मांगता हूं.  आपसे मिले रिसपॉन्स ने मुझे हिलाकर कर रख दिया. मैं तंबाकू का सपोर्ट नहीं किया और आगे भी इसका समर्थन नहीं करूंगा. मैं आप सबसे इमोशन्स की कद्र करता हूं और जिस तरह से आपने मेरे विमल इलायजी के ऐड पर अपना रिएक्शन दिया, उसका मैं सम्मान करता हूं. मैं इस विज्ञापन से खुद को हटाता हू्ं और मैंने तय किया है कि इस ऐड जो फीस मुझे मिली है उस अच्छे काम में लगाऊंगा.”

अक्षय कुमार यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे बढ़ कर लिखा

– ” चूंकि कुछ कानूनी नियमों की वजह से ये ऐड तय समय पर रिलीज करने का कॉन्ट्रेक्ट है, लेकिन मैं आप सबसे वादा करता हूं कि फ्यूचर में इस तरह का कोई काम नहीं करूंगा. मैं इसके बदला में आप सभी ने प्यार और शुभकामनाएं चाहता हूं. ”

हमने देखा है कि बॉलीवुड में ऐसी घटनाएं कम ही घटित हुई है बड़े स्टार अभिनेताओं सामने आकर के माफी मांगते हैं, ऐसा दक्षिण की फिल्मों के अभिनेता तो करते हैं मगर बालीवुड में ऐसा नजारा कभी दिखाई देता है.

स्ट्रा रीपर- भूसा मशीन

केएसए-756 डीबी

स्ट्रारीपर एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो खेतों में बचे धान, गेहूं जैसी फसलों के अवशेषों को भूसे में बदल देता है. आजकल ज्यादातर देखने में आया है कि धान, गेहूं फसल की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर यंत्र द्वारा की जाती है, जिस में सामान्यतौर पर फसल में ऊपरी अनाज वाले हिस्से की कटाई कर ली जाती है, बाकी अवशेष खेत में खड़े रह जाते हैं, जिन्हें ज्यादातर किसान या तो खेत में जोत देते हैं, जिस से उस की खाद बन जाती है या बहुत से किसान उसे खेत में ही जला देते हैं, जो पर्यावरण के साथसाथ खेती की मिट्टी के लिए भी नुकसानदायक है.

स्ट्रा रीपर यंत्र इसी समस्या का समाध??ान करता है. वह बचे फसल अवशेष को काट कर सफाई के साथ कम समय में ही भूसा बना देता है, जो पशुओं के चारे के लिए काम आता है.

हालांकि सरकार ने कंबाइन हार्वेस्टरों के साथ स्ट्रा रीपर जैसे यंत्रों को जोड़ना भी जरूरी कर दिया है, जो फसल की कटाई के दौरान अनाज स्टोरेज के साथसाथ भूसा भी इकट्ठा कर सकें. फिर भी अनेक स्थानों पर ऐसी कमियां रह जाती हैं, इस के लिए किसानों को स्ट्रा रीपर का इस्तेमाल करना चाहिए.

स्ट्रा रीपर एकसाथ 3 तरह के काम करता है. खेत में खड़ी फसल काटने के बाद थ्रेशिंग करना और पुआल साफ करना अथवा भूसा बनाना. स्ट्रा रीपर ट्रैक्टरों के साथ जोड़ कर प्रयोग किया जाता है. यह असाधारण काम करता है और ईंधन की खपत कम करता है.

स्ट्रा रीपर कृषि यंत्र पर कई राज्य सरकारों की ओर से सब्सिडी का लाभ भी किसानों को दिया जाता है. यह छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए उपयोगी है.

इस मशीन के जरीए फसल कटाने पर कई प्रकार का फायदा होता है. पहला, गेहूं के दानों के साथसाथ भूसा भी मिल जाता है. इस से पशुओं के लिए चारे की समस्या नहीं होती है. इस के अलावा दूसरा फायदा यह है कि जो दाना मशीन से खेत में रह जाता है, उस को ये मशीन उठा लेती है, जिसे किसान अपने पशुओं के लिए दाने के रूप में प्रयोग कर लेते हैं. स्ट्रा रीपर का उपयोग कटाई, थ्रेशिंग के साथसाथ भूसे की सफाई के लिए किया जाता है.

केएसए-756 डीबी, स्ट्रा रीपर

देश की नंबर वन भूसा मशीन कंपनी केएस एग्रीकल्चर ने भूसा मशीन में नंबर वन टैक्नोलौजी के दावे के साथ भूसा मशीन केएसए-756 डीबी बनाई है. ऐसा माना जाता है कि केएस एग्रीकल्चर कंपनी अपनी सर्विस क्वालिटी के कारण आज भी दुनिया की नंबर वन कंपनी बनी हुई है.

केएस कृषि यंत्र बनाने वाली कंपनी के एक प्रतिनिधि का कहना है कि यह दुनिया का पहला डबल ब्लोअर और 5 पंखों वाला स्ट्रा रीपर है. इस स्ट्रा रीपर को 30 साल के क्षेत्र के अनुभव के साथ विकसित कर के बनाया गया है. यह यंत्र मजबूत और टिकाऊ है, जिस का वजन तकरीबन 2040 किलोग्राम है.

यह यंत्र 7 से 7.5 फुट तक चौड़ाई के साथ फसल अवशेष की कटिंग करता  है. कम ईंधन की खपत व ट्रैक्टर के साथ आसानी से चलने वाला यंत्र है.

यह घंटेभर में 2 से 3 ट्रौली तक भूसा भरने में सक्षम है. मशीन चलने के समय पत्थर के प्रवेश को रोकने के लिए अलार्म के साथ स्टोन ट्रे दी गई है.

इस रीपर को 45 हौर्सपावर के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है. इस की अनुमानित कीमत 3 लाख, 55 हजार रुपए तक है. अधिक जानकारी के लिए मोबाइल नंबर 9988970055 पर संपर्क कर सकते हैं.

स्वराज स्ट्रा रीपर

स्ट्रा रीपर ऐसी कटाई मशीन है, जो एक ही बार में पुआल को काटती है, थ्रेश करती है और साफ करती है. कंबाइन हार्वेस्ट के बाद बचे गेहूं के डंठल फसल अवशेष को दोलन करने वाले ब्लेड से काटा जाता है, जबकि घूमने वाली रील उन्हें पीछे की ओर धकेलती है और इन्हें बरमा करती है. बरमा और गाइड ड्रम द्वारा फसल अवशेष को मशीन में पहुंचाया जाता है, जो थ्रेशिंग सिलैंडर तक पहुंचता है और जो डंठल को छोटे टुकड़ों में काट कर भूसे में बदल देता है.

इस यंत्र में हैवी ड्यूटी गियर बौक्स, थ्रेशर ड्रम में 288 ब्लेड और कंकड़पत्थर को अलग करने के लिए जाल लगा है, जिस से साफसुथरा भूसा मिलता है.

इस यंत्र की काम करने की क्षमता 1 से 2 एकड़ प्रति घंटा तक है. अवशेषों से बचे हुए अनाज को इकट्ठा करने के लिए 40 से 50 किलोग्राम तक की क्षमता वाला टैंक भी लगा है.

दशमेश 517 स्ट्रा रीपर

45 हौर्सपावर के टैक्टर के साथ चलने वाले इस स्ट्रा रीपर से थ्रेशिंग ड्रम में 216 ब्लेड लगे हैं. अनाज भंडारण के लिए अलग से टैंक लगा है. यंत्र की चैसिस की लंबाई-56 इंच है और काम करने की कूवत 1 से 2 एकड़ प्रति घंटा है. इस में लगे थ्रेशर का व्यास लगभग 20 इंच है और कटर बार की चौड़ाई 7 फुट है. यंत्र का कुल वजन लगभग 1,800 किलोग्राम है.

इस के अलावा अनेक कंपनियां स्ट्रा रीपर बना रही हैं, जिस में स्वराज स्ट्रा रीपर, भलकित स्ट्रा रीपर, मालवा स्ट्रा रीपर खास हैं. साथ ही साथ अन्य कृषि यंत्र निर्माता जैसे करतार, महिंद्रा, न्यू हालैंड आदि भी स्ट्रा रीपर बना रहे हैं. हां, आप अपनी पसंद से जांचपरख कर यंत्र खरीद सकते हैं.

यहां आप को केवल सामान्य जानकारी दी गई है. कीमत आदि में उतारचढ़ाव हो सकता है. वैसे, कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा सब्सिडी का प्रावधान है. उस का फायदा भी आप अपने स्तर पर ले सकते हैं.

मारपीट का मौडल

हिंदुमुसलिम अलगाव जल्दी ही हिंदू अलगाव में बदलेगा उस का अंत हमेशा था. जब आप कीकर की खेती अपने खेत में करोंगे तो उस के बीच आसपास तो फैलेंगे ही फलेफूलेंगे ही.  हिंदुमुसलिम झगड़े हर कट्टर  हिंदु को सिखा रहे है कि अलग रहना और पड़ोसी से झगडऩा. उस से मारपीट करना, उसे अपनी तरह ढालना आप का फर्ज ही नहीं हक और जिम्मेदारी भी है. पंचायतों, खापों, गांवों में यह सदियों से होता रहा है जहां लोगों को अपने घरों में पहनने, खाने, सोने, शादी करने और यहां तक की मरने पर भी पड़ोसियों की राय को मानना ही होता था.

आजादी के बाद नई पढ़ाई, विज्ञान, नई तकनीक, शहरों तक के सफर, किताबों, उपन्यासों, अखबारों, टीवी ने एक नई बात सिखाई कि हर जना अपनी सोच रखने का हक रखता है और एक समाज मजबूत तभी होता है जब अलगअलग तरह की सोच रखने वाले अपना जातियों, धर्मों के लोग एक समय काम करने की तरकीब सीख सकें.

मुसलिम मसजिदों में लाउडस्पीकरों को हटवाना या उन का शोर इतना कम करना कट्टरियों का कदम था ताकि उस की आवाज मसजिद से बाहर न जाए और मुसलिम अजान ङ्क्षहदू घरों को दूषित न करें. लेकिन यह करने पर उन्हें मंदिरों, गुरूदारों से भी लाउडस्पीकर हटवाने पड़े. देश में अभी इतनी अराजकता आने में समर्थ है जब एक वर्ग कहेगा कि हम चाहे जो करें तुम ऐसा नहीं करोंगे. संविधान जिस दिन चौराहों पर जलेगा. उसी दिन ऐसा होगा.

गुजरात सहसाना जिले में मंदिर में 2 भाई लाउडस्पीकर पर आरती आ रहे थे. आवाज ज्यादा थी तो पड़ोसी निकल आया, उसी धर्म का. इस पर झगड़ा हो गया तो पड़ोसी ने अपने साथियों को बुला लिया. गुजरात मौडल जो पूरे देश में लागू हो रहा है सिखा रहा है कि कानून को अपने हाथ में लेने का पूरा हक हर भीड़ को है चाहे वह भीड़ 4-5 जनों की हो. 4-5 जने औरतों की साडिय़ां उतार सकते है, दलितों को खंबे से बांध कर पीट सकते हैं. भीड़ पर गाड़ी चढ़ा सकते हैं, जबरन नारे लगवा सकते हैं. न प्रधानमंत्री उस पर बोलेंगे, न गृहमंत्री कुछ करेंगे. इन 6 जनों ने मिलकर 2 की जमकर घुनाई कर दी. लाठियों से, एक मर गया.

चलो कोई बात नहीं. यह होता है है. मुसलिम मसजिद का लाउडस्पीकर बंद कराने के लिए किसी ङ्क्षहदू की जान मंदिर में जाए या मसजिद के सामने, फर्म नहीं पड़ता. यह संदेशा तो गया कि लाउडस्पीकर चलाओगे तो जानें जा सकती हैं. सब से बड़ी बात है कि दूसरे धर्मों के लोगों को पाठ पढ़ाना कि वे खाल में रहें, हमारे कहे के हिसाब से चलें.

और जब हम लाठियां चलाना आ ही गया है तो दलितों पर भी चलाएंगे, औरतों पर भी चलाएंगे. 6 मई के जिस दिन गुजरात की यह खबर छपी उसी दिन खबर छपी की एक दलित ङ्क्षहदू को मुसलिम लडक़ी से शादी करने पर हैदराबाद में मार डाला गया. उसी रोज दिल्ली की एक गरीब बस्ती में ङ्क्षहदू और मुसलिम बच्चों में झगड़ा होने पर दोनों तरफ के कट्टर जवान कूद पड़े.

एक और मामला उसी रोज के (6 मई) के अखबार में छपा है जिस में 13 साल के लडक़े ने 8 माह के पड़ोसी ने बच्चे को पानी में डुबा कर मार डाला. मां अपने 3 बच्चों को घर पर छोड़ कर बाजार तक  गर्ई थी जिस दौरान पड़ोसियों के लडक़े ने यह किया क्योंकि वह उस की मां से कई बार फटकार खा चुका था.

मारपीट का मौडल अब और तेज और तीखा होता जा रहा है. यह हर रोज होगा, बढ़ेगा क्योंकि हमें पाठ पढ़ाया जा रहा है कि हमारा पड़ोसी अगर दूसरे धर्म, जाति, सोच का है तो उसे सावर रहने का हक नहीं है. वह कहीं और जाए, पाकिस्तान जाए या समुद्र में जाए उसे तो भीड़ के साथ रहना होगा, भीड़ वाले नार लगाने होंगे.

मोस्टवांटेड आतंकी बन गई आफिया

डा. आफिया सिद्दीकी एक न्यूरो साइंटिस्ट थी, लेकिन उस ने अपनी जड़ें आतंकी गतिविधियों में फैलाईं. पाकिस्तान की डा. आफिया सिद्दीकी का सपना तो एक बहुत बड़ी न्यूरो साइंटिस्ट बनने का था. पर वह बन गई लेडी अलकायदा. अमेरिका की विशेष अदालत ने आफिया को 86 साल की सजा सुनाई है. अमेरिका में 16 जनवरी को यहूदी मंदिर में घटी बंधक बनाने वाली घटना के कारण आफिया एक बार फिर चर्चा में आ गई है.

ब्यूटी विद डेंजरस ब्रेन वाली आफिया को छुड़ाने के लिए उस के भाई ने टेक्सास स्टेट के डलास के कोलीविले शहर में स्थित यहूदी मंदिर में 4 लोगों को बंधक बना लिया था. इस के बदले में उस ने अपनी बहन डा. आफिया सिद्दीकी को छोड़ने की मांग रखी थी. जिन 4 लोगों को बंधक बनाया गया था, उस में एक रब्बी यानी कि यहूदी धर्मगुरु भी थे.

इस घटना के बारे में जैसे ही अमेरिकी पुलिस को पता चला, तुरंत ही स्वाट कमांडो, एफबीआई के एजेंट सहित सुरक्षाकर्मी सिनेगोग पहुंच गए थे. यहूदियों के उपासना गृह यानी मंदिर को सिनेगोग कहते हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को तुरंत इस घटना की जानकारी दी गई थी. मामला यहूदियों के धर्मस्थल का था, इसलिए इजरायल भी जोश में आ गया था. सिनेगोग में चल रहे धार्मिक कार्यक्रम का फेसबुक पर लाइव प्रसारण चल रहा था. उसी समय हमलावर अंदर घुस आए थे. उन के हाथों में बंदूकें थीं.

कोलीविले 34 वर्ग किलोमीटर में फैला 27 हजार से भी कम जनसंख्या वाला शहर है. इस छोटे से शहर में इस तरह की बड़ी घटना से पूरे अमेरिका में खलबली मच गई थी. अमेरिका में पिछले काफी समय से कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं घटी थी. अचानक यह क्या हो गया, यह सवाल सभी को सताने लगा था.

उसी दौरान टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबोट ने एक ट्वीट कर के कहा था कि ‘ईश्वर ने प्रार्थना सुन ली है. सारे बंधक जीवित और सुरक्षित हैं.’

इस ट्वीट को पढ़ कर सभी ने खुद को हल्का महसूस किया. पूरी घटना की अभी सहीसही जानकारी नहीं मिली है, पर इतना तो साफ हो चुका है कि पाकिस्तानी आतंकवादी डा. आफिया सिद्दीकी को छुड़ाने के लिए यह पूरा षडयंत्र रचा गया था. बंधक बनाने वाले आतंकियों को अमेरिकी पुलिस ने कुछ देर बाद ढेर कर दिया, तब कहीं जा कर लोगों की जान में जान आई.

अब आइए डा. आफिया सिद्दीकी के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.

आफिया का जन्म पाकिस्तान के कराची शहर में 2 मार्च, 1972 में हुआ था. आफिया न्यूरो साइंटिस्ट बनना चाहती थी. इसलिए बड़ी होने पर वह न्यूरो साइंस की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गई थी. अमेरिका की ब्राइंडेस यूनिवर्सिटी से उस ने न्यूरो साइंस में पीएचडी कर ली.

उस ने जिस साल अपना डाक्टरेट पूरा किया था, उसी साल यानी कि 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के न्यूयार्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादी हमला हुआ था. इस घटना के बाद आफिया अमेरिका छोड़ कर पाकिस्तान वापस आ गई थी.

अमेरिका के इस आतंकवादी हमले में सीआईए के एजेंटों ने पाकिस्तान के रावलपिंडी से पहली मार्च, 2003 को खूंखार आतंकवादी खालिद शेख मोहम्मद को पकड़ा था. 9/11 के मास्टरमाइंड लोगों में से वह भी एक था. उसे पाकिस्तान से ग्वांटेनामो बे डिटेंशन कैंप में ले जाया गया था.

उस से पूछताछ में डा. आफिया सिद्दीकी का नाम सामने आया था. आफिया अल कायदा के लिए फाइनेंस मैनेज करती थी.

अमेरिका पर हमले में आफिया ऐसी पहली महिला थी, जिस का नाम मोस्टवांटेड लिस्ट में आया था. अमेरिकी एजेंट आफिया तक पहुंचते, उस के पहले ही वह अपने 3 बच्चों के साथ वह गायब हो गई थी. उस समय कहा गया था कि आफिया और उस के तीनों बच्चों का अपहरण हो गया है. इसी तरह 5 साल बीत गए.

आफिया किसी के हाथ नहीं लग रही थी. 5 साल बाद आफिया के अफगानिस्तान के गजनी शहर में होने का पता चला. अफगानिस्तान पुलिस ने आफिया को पकड़ कर एफबीआई को सौंप दिया.

अमेरिकी सेना ने आफिया को अफगान के बगराम एयरफोर्स बेस में बनी जेल में रखा. बगराम जेल में आफिया ने एम-4 कारबाइन गन से एफबीआई के अधिकारियों और अमेरिकी सेना के जवानों पर फायरिंग कर के उन की हत्या करने की कोशिश की थी. जवाब में अमेरिकी सेना के जवानों ने भी उस पर फायरिंग की.

इस फायरिंग में आफिया को गोली लगी. उसे अस्पताल में भरती कराया गया. आफिया के ठीक होने के बाद एफबीआई को लगा कि आफिया को अफगानिस्तान में रखना खतरे से खाली नहीं है तो उसे अमेरिका ले जाया गया.

सितंबर, 2008 में अमेरिका में उस पर अमेरिकी सेना के जवानों की हत्या के प्रयास का मुकदमा चलाया गया. आफिया को दोषी ठहरा कर उसे 86 साल के कारावास की सजा दी गई है. तब से आफिया टेक्सास की जेल में बंद है.

आफिया का निकाह 1995 में एनेस्थीसियोलौजिस्ट अमजद मोहम्मद खान के साथ हुआ था. आफिया अमेरिका में थी और अमजद पाकिस्तान में. फोन पर ‘निकाह कुबूल है’ कह कर उन का निकाह हुआ था. बाद में अमजद भी अमेरिका आ गया था.

मैसाचुसेट्स के एक महिला अस्पताल में वह नौकरी करने लगा था. उसी बीच आफिया ने अपनी न्यूरोसाइंस की पढ़ाई पूरी की थी.

उस के 3 बच्चों में 2 बेटे मोहम्मद, आरिफ और बेटी मरियम थी. तीनों बच्चों को आफिया ने अमेरिका में ही जन्म दिया था. बाद में आफिया ने पहले पति अमजद से तलाक ले लिया था.

तलाक के बाद आफिया पाकिस्तान आ गई थी. पाकिस्तान आ कर उस ने दूसरा निकाह अल कायदा के आतंकवादी अमर अल बलूची के साथ कर लिया था. इस के बाद उसी के साथ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो गई थी.

आफिया का नाम दुनिया के सामने पहली बार तब आया था, जब एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक डील हुई है. जिस में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में छिपे अलकायदा के सर्वेसर्वा ओसामा बिन लादेन की तलाश में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की मदद करने वाले डा. शकील अहमद के बदले आफिया को वापस करने की मांग की थी.

डा. शकील अहमद ने ओसामा बिन लादेन को मारने में अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की मदद की थी. आफिया का नाम आतंक की दुनिया में तब जुड़ा था, जब आतंकवादी खालिद शेख मोहम्मद ने एफबीआई को उस के बारे में बताया था.

पिछले साल आफिया पर जेल में हमला होने की बात सामने आई थी. पाकिस्तान ने अमेरिका के सामने इस हमले के लिए विरोध दर्ज कराया था. पाकिस्तान पहले से ही आफिया का बचाव करता आया है. अब जब आफिया को छुड़ाने के लिए यहूदी धर्मस्थल पर निर्दोष लोगों को बंधक बनाने की घटना सामने आई है तो पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात तक नहीं करते हैं. पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है, यह पूरी दुनिया जानती है. पूरी दुनिया में कहीं भी आतंकवादी घटना घटती है, उस का कोई न कोई सिरा पाकिस्तान तक जरूर पहुंचता है.

आफिया सिद्दीकी अमेरिका से पाकिस्तान वापस गई तो उस का ब्रेन वाश किया गया था. कराची के रहने वाले उस के पिता मोहम्मद सलाम सिद्दीकी न्यूरोसर्जन थे और मां इस्मत अध्यापिका थीं.

इस्मत की राजनैतिक गलियारों में अच्छी पकड़ थी. मातापिता चाहते थे कि आफिया बड़ी हो कर न्यूरो साइंटिस्ट बने. वह न्यूरो साइंटिस्ट बन भी गई थी.

अंत में वह इतनी खतरनाक आतंकी बन गई कि दुनिया उसे लेडी अलकायदा के नाम से जानने लगी. आफिया जब तक जिएगी, तब तक शायद ही वह जेल से बाहर आ सकेगी.

गजब की बात तो यह है कि आफिया ने जो किया है, उस के लिए उसे जरा भी अफसोस या पछतावा नहीं है. खूंखार आतंकी आफिया को छुड़ाने के लिए पाकिस्तान में बाकायदा मूवमेंट चल रहा है.

सहारा : भाग 3

‘‘बहू, तुम्हारे पापा के हाथ की बनी स्पेशल चाय पीने की मुझे तो लत पड़ गई है. बना लेने दो उन्हीं को चाय,’’ आरती के मुंह से निकले इन शब्दों ने अलका और मोहित के मनों की उलझन को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था.

‘‘मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा है,’’ उन चारों बुजुर्गों को कुछ देर बाद बच्चा बन कर राहुल के साथ हंसतेबोलते देख अलका ने धीमी आवाज में मोहित के सामने अपने मन की हैरानी प्रकट की.

‘‘कितने खुश हैं चारों,’’ मोहित भावुक हो उठा, ‘‘इस सुखद बदलाव का कारण कुछ भी हो पर यह दृश्य देख कर मेरे मन की चिंता गायब हो गई है. ये सब एकदूसरे का कितना मजबूत सहारा बन गए हैं.’’

‘‘पर ये चमत्कार हुआ कैसे?’’ अपनी मां के टखने में आई मोच वाली घटना से अनजान अलका एक बार फिर आश्चर्य से भर उठी.

इस बार अलका की आवाज उस के पिता के कानों तक पहुंच गई. उन्होंने तालियां बजा कर सब का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया और फिर बड़े स्टाइल से गला साफ करने के बाद स्पीच देने को तैयार हो गए.

‘‘हमारे रिश्तों में आए बदलाव को समझने के लिए अलका और मोहित के दिलों में बनी उत्सुकता को शांत करने के लिए मैं उन दोनों से कुछ कहने जा रहा हूं. मेरी प्रार्थना है कि आप सब भी मेरी बात ध्यान से सुनें.

‘‘अपनी अतीत की गलतियों को ले कर अगर कोई दिल से पश्चात्ताप करे तो उस के अंदर बदलाव अवश्य आता है. जब नीरज अपनी पत्नी व बेटी को ले कर अलग हुआ तब मीना और मुझे समझ में आया कि हम ने अलका को किराए के मकान में जाने की शह दे कर बहुत ज्यादा गलत काम किया था.

‘‘बढ़ती उम्र की बीमारियों के शिकार बने हम चारों मायूस व दुखी इनसानों के दिलों में एकदूसरे के लिए बहुत सारा मैल जमा था. इस मैल को दूर कराने का मौका संयोग से हमें मिल गया.

‘‘मनों का मैल मिटा तो वक्त ने यह सिखाया और दिखाया कि हम चारों एकदूसरे का मजबूत सहारा बन सकते हैं. आपस में अच्छे दोस्तों की तरह सहयोग शुरू करने के बाद आज हम सब अपने को ज्यादा सुखी, खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं.

‘‘बेटी अपने घर चली जाए और बेटाबहू किसी भी कारण से इस बड़ी उम्र में मातापिता को सहारा देने को…उन की देखभाल करने को उपलब्ध न हों तो पड़ोसी, मित्र व रिश्तेदार ही उन के काम आते हैं. हम रिश्तेदार तो पहले ही थे, अब पड़ोसी व अच्छे मित्र भी बन गए हैं,’’ भावुक नजर आ रहे उमाकांत ने आगे बढ़ कर महेशजी को उठाया और फिर दोनों दोस्त हाथ पकड़ कर साथसाथ खड़े हो गए.

‘‘पड़ोसी कैसे?’’ मोहित ने हैरानी से पूछा.

‘‘तुम दोनों को सरप्राइज देने के लिए हम ने यह खबर अभी तक छिपाए रखी थी कि इस के ठीक ऊपर वाले फ्लैट में हम ने पिछले हफ्ते शिफ्ट कर लिया है,’’ उमाकांत ने बताया.

‘‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा है,’’ मोहित ने इस खबर की पुष्टि कराने को अपने पिता की तरफ देखा.

‘‘यह बात सच है, बेटे. पुराना फ्लैट बेच कर ऊपर वाला फ्लैट खरीदने का इन का फैसला समझदारी भरा है. पड़ोसी होने से हम एकदूसरे के सुखदुख में फौरन शामिल हो जाते हैं.

‘‘इस के अलावा हमारी उचित देखभाल न कर पाने के कारण अब तुम बच्चों को किसी तरह के अपराधबोध का शिकार बनने की कोई जरूरत नहीं है. सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अब हमारा अकेलापन दूर भाग गया है. आपसी सहयोग के कारण हमारा जीवन ज्यादा खुशहाल और रसपूर्ण हो गया है,’’ महेशजी का चेहरा जोश व उत्साह से चमक उठा था.

‘‘आप सब को इतना खुश देख कर मेरा मन बहुत ज्यादा हलकापन महसूस कर रहा है लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या?’’ अपने बेटे को यों झटके से चुप होता देख आरती चिंतित नजर आने लगीं.

‘‘इस अलका बेचारी का मायका और ससुराल तो अब ऊपरनीचे के घर में हो गए. ये ससुराल वालों से रूठ कर अब कहां जाया करेगी?’’

मोहित के उस मजाक पर सब ने जोर से ठहाका लगाया तो अलका ने शरमा कर अपनी मां व सास के पीछे खुद को छिपा लिया था.

उलझी हुई पहेली, जो सुलझ गई: भाग 1

पेड़ो के नीचे एक लड़की का निर्वस्त्र शव बरामद हुआ था, जो खरोंचों से भरा था. आशंका थी कि बलात्कार के बाद उस की हत्या की होगी. मृतका के पास मिले कागजातों से पता चला कि वह शव असिस्टेंट बैंक मैनेजर नव्या का था. उस की कार भी वहां से कुछ दूर खड़ी मिली. पुलिस वाले मुस्तैदी से अपने काम में जुटे थे. तभी जीप रुकी और एसआई राघव उतरे.

‘‘लाश को सब से पहले किस ने देखा था?’’ राघव ने कांस्टेबल से पूछा.

‘‘इस आदिवासी लड़की ने सर.’’ कांस्टेबल एक दुबलीपतली लड़की की ओर इशारा कर के बोला, ‘‘ये खाना बनाने के लिए यहां से सूखी लकडि़यां ले जाती है.’’

‘‘हुम्म.’’ राघव ने उस लड़की पर नजर डालते हुए अगला सवाल किया, ‘‘और मृतका के घर वाले…’’

‘‘ये हैं सर.’’ कांस्टेबल की उंगली घटनास्थल से थोड़ा हट के खड़े कुछ लोगों की ओर घूम गई. राघव उन के पास गए. एक से पूछा, ‘‘आप का मरने वाली से रिश्ता?’’

‘‘पति हूं उस का.’’ उस ने शून्य में देखते हुए जवाब दिया.

‘‘नाम?’’

‘‘मुकुल.’’

‘‘और ये लोग…’’ राघव ने उस के साथ खड़े लोगों के बारे में जानना चाहा.

‘‘यह मेरा छोटा भाई प्रताप और ये मेरे पापा.’’ मुकुल ने वहां खडे़ नौजवान और बुजुर्ग से राघव का परिचय कराया. राघव गौर से मुकुल का चेहरा देख रहे थे. उस के चेहरे पर अपनी बीवी की मौत का कोई दुख दिखाई नहीं दे रहा था. उसी समय कुछ पुरुष और महिलाएं रोते हुए वहां पहुंचे. पुलिस उन को घेरे के अंदर जाने से रोकने लगी.

‘‘साहब, मैं इस का पिता हूं.’’ उन में से एक ने किसी तरह कहा.

‘‘हम यहां कुछ जरूरी काम कर रहे हैं.’’ एक कांस्टेबल ने उसे समझाने की गरज से कहा, ‘‘थोड़ी देर में लाश आप को हैंडओवर कर देंगे.’’

एक औरत की स्थिति देख राघव ने अंदाजा लगा लिया कि वह मृतका की मां होगी. लाश का पंचनामा कर उन्होंने उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. भीड़ छंटने लगी थी. शाम को राघव मुकुल के घर पूछताछ के लिए पहुंचे, वो घर पर अकेला मिला. उन्होंने उस से सवाल किया, ‘‘आप को अपनी पत्नी की मौत के बारे में किस से पता चला और आप उस समय कहां थे?’’

‘‘मुझे किसी सिपाही ने फोन किया था लाश मिलने के बारे में…’’ वह सिर झुकाएझुकाए बोला, ‘‘मैं यहीं पर था.’’

‘‘आप ने उसे आखिरी बार कब देखा?’’ उन्होंने अगला प्रश्न किया.

‘‘जब कल सुबह वो औफिस के लिए निकली थी.’’

‘‘उस के बाद बात नहीं हुई?’’

‘‘नहीं, उस को कौन सा मुझ से बात करना पसंद था.’’ मुकुल ने लंबी सांस लेते हुए कहा, ‘‘वो औफिसर हो गई थी, अपने बड़ेबड़े ओहदे वाले परिचितों से उस का ज्यादा संपर्क रहता था.’’

राघव समझ गए कि अहं के टकराव ने रिश्तों को तोड़ दिया है. अपनी बात कहतेकहते मुकुल रो पड़ा. उस ने अपनी जो पारिवारिक कहानी बताई, उस के अनुसार वह किराना स्टोर चलाता था. ज्यादा पढ़ालिखा न होने के कारण खुद तो कभी नौकरी की तैयारी नहीं कर सका, लेकिन अपनी जिंदगी में ग्र्रैजुएट नव्या के आने के बाद उस को परीक्षाएं देने के लिए प्रेरित जरूर किया.

पति की कोशिश रंग लाई पर नव्या ने अपना अलग रंग दिखाया

नव्या भी पढ़ना चाहती थी लेकिन घर की खराब आर्थिक स्थिति ने उस के सपने चुरा लिए थे. वह खुशीखुशी मुकुल की बात मान गई. मुकुल ने उस की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने से ले कर हर तरह का सहयोग किया, जिस का सुखद परिणाम भी सामने आया. नव्या ने कुछ ही प्रयासों में बैंक पीओ का इम्तिहान पास कर लिया.

मुकुल की खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन उस के अरमानों को किसी की नजर लग गई. नव्या का अफेयर अपने एक युवा अधिकारी विमल से चलने लगा. पति अब उसे गंवार और बेकार लगने लगा था. घर में झगड़े शुरू हो गए लेकिन मुकुल उसे तलाक देने में अपनी हार देख रहा था. इसलिए वह उसे तरहतरह से समझाने में लगा रहा. नव्या के घर वाले भी पशोपेश में पड़ गए थे. एक तरफ मुकुल जैसा मध्यवर्गीय लेकिन सुलझा हुआ दामाद, दूसरी ओर विमल की शानोशौकत.

राघव वहां से चल पड़े. अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद नव्या का शव उस के मायके वालों को सौंप दिया गया. मुकेश ने उस पर कोई दावा नहीं जताया था और न ही दाहसंस्कार में उस के परिवार से कोई शामिल हुआ. नव्या के मांबाप लगातार मुकुल को खूनी बता रहे थे.

लेकिन राघव इस केस में आगे कुछ करने से पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख लेना चाहते थे. उन्होंने केस से जुड़े सभी लोगों को शहर छोड़ कर कहीं नहीं जाने को कहा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार करने लगे.

जल्द ही वह भी आ गई. नव्या के साथ मौत से पहले सामूहिक बलात्कार की पुष्टि हुई. लेकिन आश्चर्य की बात ये थी कि मौत का कारण ज्यादा नींद की गोलियां लेना बताया गया था.

राघव का दिमाग चकराने लगा कि भला ये कौन से नए अपराधी आ गए जो जंगल में में जा कर बलात्कार करें और फिर नींद की गोली दे कर हत्या. मारना ही था तो गला दबा सकते थे, चाकू का इस्तेमाल कर सकते थे.

झटका- भाग 3: उस औरत से विवेक का क्या संबंध था

‘‘मैं तैयार हूं,’’ संगीता की आंखों में डर, घबराहट, चिंता या असुरक्षा का कोई भाव मौजूद नहीं था.

निशा का सामना करने के लिए संगीता अगली शाम जींस और लाल टीशर्ट पहन कर बड़े आकर्षक ढंग से तैयार हुई. ऐसे कपड़ों पर पहले उस के सासससुर चूंचूं करते थे पर उस दिन सास ने भी कुछ नहीं कहा.

अंजलि ने स्मार्ट और स्लिम दिखाने के लिए उस की प्रशंसा की तो वह खुश हो गई. लेकिन अगले ही पल उस की आंखों में गंभीरता और कठोरता के भाव लौट आए. सारे रास्ते संगीता निशा को कोसती रही. उस के बारे में संगीता का गुस्सा पलपल बढ़ता गया था.

निशा के फ्लैट की बहुमंजिली इमारत में घुसने से पहले अचानक अंजलि ने पूछा, ‘‘भाभी, आप सिर्फ निशा को ही क्यों दोषी मान रही हो? क्या भैया बराबर के दोषी नहीं हैं?’’

‘‘उन से भी मैं आज निबटूंगी,’’ संगीता का गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया.

‘‘वैसे, एक बात कहूं, भाभी?’’

‘‘हां, कहो.’’

‘‘अगर आप ने ढीली पड़ कर जिंदगी के प्रति उत्साह न खोया होता तो शायद समस्या जन्म ही न लेती.’’

‘‘तुम्हारा ऐसा कहना सही नहीं है.

मु?ो अपने बच्चे को खो देने

के आघात ने दुखी और उदास किया था. अब मैं निकल आई हूं न उस सदमे से. तुम्हारे भैया का कोई अधिकार नहीं है कि मु?ो संभालने के बजाय वे किसी दूसरी औरत से टांका भिड़ा लें,’ संगीता ने चिढ़ कर जवाब दिया.

‘‘भैया के संभालने से तो आप नहीं संभलीं पर निशा की उन के जीवन में मौजूदगी ने आप को जरूर फिर से चुस्तदुरुस्त बनवा दिया है. आज उस से तोबा बुलवा देना, भाभी. पर एक बात ध्यान में जरूर रखना.’’

‘‘कौन सी बात?’’ अंजलि की बात पसंद न आने के कारण संगीता नाराज नजर आ रही थी.

‘‘निशा वाला चक्कर खत्म हो जाए तो फिर से बेडौल और जिंदगी की खुशियों के प्रति उदासीन मत हो जाना.’’

‘‘वैसा अब कभी नहीं होगा,’’ संगीता का स्वर दृढ़ता से भरा था.

‘‘गुड, आओ, अब इस निशा की खबर लें. इस के सिर से प्यार का भूत उतारें.’’ संगीता का हाथ पकड़ कर अजीब से अंदाज में मुसकरा रही अंजलि उस बहुमंजिली इमारत में प्रवेश कर गई.

बेचारी संगीता को अपने मन की भड़ास निशा के ऊपर निकालने का मौका ही नहीं मिला.

अपने फ्लैट का दरवाजा निशा ने खोला था. उस के बेहद सुंदर, मुसकराते चेहरे पर दृष्टि डालते ही संगीता के मन को तेज धक्का लगा.

‘‘भाभी, यही निशा है. अब इसे छोड़ना मत.’’ उन का परिचय करा कर अंजलि अचानक हंसने लगी तो संगीता तेज उल?ान का शिकार बन गई.

‘‘पहली मुलाकात में यह छोड़नेछुड़ाने की बात मत करो, अंजलि. शादी की सालगिरह की ढेर सारी शुभकामनाएं संगीता,’’ निशा ने आगे बढ़ कर संगीता को गले लगा लिया.

‘‘आज मेरी शादी की सालगिरह नहीं है,’’ संगीता ने तीखे लहजे में उसे जानकारी दी और ?ाटके से उस से अलग भी हो गई.

‘‘इतने सारे लोग गलत हो सकते हैं क्या?’’ संगीता का हाथ पकड़ कर निशा उसे ड्राइंगहौल के दरवाजे तक ले आई.

ड्राइंगहौल में अपने सासससुर, विवेक के खास दोस्तों व उन के परिवारों के साथसाथ अपने पति को तालियां बजा कर अपना स्वागत करते देख संगीता हैरान हो उठी.

‘‘बहू, तिथियों के हिसाब से आज ही है तुम्हारे विवाह की वर्षगांठ, मुबारक हो,’’ संगीता की सास ने उसे गले लगा कर आशीर्वाद दिया.

विवेक के पास आ कर उस के हाथ थाम लिए. चारों तरफ से उन पर शुभकामनाओं की बौछार होने लगी.

‘‘इन दोनों ने मिल कर हमें बुद्धू बनाया है, संगीता,’’ बहुत प्रसन्न नजर आ रहे विवेक ने अंजलि और निशा की तरफ उंगली उठाई.

‘‘संगीता, मैं अंजलि की सब से पक्की सहेली रितु की बड़ी बहन निशा हूं. ये मेरे पति अरुण हैं और सौगंध खा कर कहती हूं कि मेरा कोई प्रेमी नहीं है.’’ निशा की इस बात पर सभी ने जोरदार ठहाका लगाया.

‘‘यह अंजलि की बच्ची डायरैक्टर थी सारे नाटक की. मेरी कमीज पर सैंट लगाना, मेरी जेब में पिक्चर की कटी टिकटें रखना जैसे शक पैदा करने वाले काम इसी के थे. शाम तक मु?ो भी अंधेरे में रखा था इस ने,’’ विवेक ने अंजलि की चोटी को हंसते हुए जोर से एक बार खींचा.

‘‘उई,’’ अंजलि चिल्लाने के बाद शरारती ढंग से मुसकराई, ‘‘भैया, यह हमारे नाटक का ही फल है कि आज भाभी दुलहन जैसी आकर्षक लग रही हैं. निशा को और मु?ो तो आप को बढि़या सा इनाम देना चाहिए.’’

‘‘इनाम के साथसाथ धन्यवाद भी लो,’’ विवेक ने अंजलि और निशा के गाल पर प्यारभरी चपत लगाने के बाद आंखों से हार्दिक धन्यवाद भी दिया.

‘‘थैंक यू, पर तुम दोनों हो बड़ी शैतान. खूब तंग किया है मु?ो तुम्हारे नाटक ने,’’ संगीता ने बारीबारी से दोनों को गले लगाया.

‘‘भाभी, मेरी एक बात का बुरा तो नहीं मानोगी?’’ निशा ने शरारती अंदाज में सवाल किया.

‘‘नहीं, आज तो तुम्हारे सौ खून माफ हैं.’’

‘‘देखिए, ‘मोटी भैंस’ को छरहरे बदन वाली हिरणी बनाने के लिए नाटक तो धांसू करना जरूरी था न,’’ निशा अपनी यह बात कह कर विवेक के पीछे छिप गई. सब को दिल खोल कर हंसता देख, संगीता का गुस्सा उठने से पहले ही खो गया. वह प्यार से विवेक को निहारती, उस से और सट कर खड़ी हो, प्रसन्न अंदाज में मुसकराने लगी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें