हिंदुमुसलिम अलगाव जल्दी ही हिंदू अलगाव में बदलेगा उस का अंत हमेशा था. जब आप कीकर की खेती अपने खेत में करोंगे तो उस के बीच आसपास तो फैलेंगे ही फलेफूलेंगे ही.  हिंदुमुसलिम झगड़े हर कट्टर  हिंदु को सिखा रहे है कि अलग रहना और पड़ोसी से झगडऩा. उस से मारपीट करना, उसे अपनी तरह ढालना आप का फर्ज ही नहीं हक और जिम्मेदारी भी है. पंचायतों, खापों, गांवों में यह सदियों से होता रहा है जहां लोगों को अपने घरों में पहनने, खाने, सोने, शादी करने और यहां तक की मरने पर भी पड़ोसियों की राय को मानना ही होता था.

आजादी के बाद नई पढ़ाई, विज्ञान, नई तकनीक, शहरों तक के सफर, किताबों, उपन्यासों, अखबारों, टीवी ने एक नई बात सिखाई कि हर जना अपनी सोच रखने का हक रखता है और एक समाज मजबूत तभी होता है जब अलगअलग तरह की सोच रखने वाले अपना जातियों, धर्मों के लोग एक समय काम करने की तरकीब सीख सकें.

मुसलिम मसजिदों में लाउडस्पीकरों को हटवाना या उन का शोर इतना कम करना कट्टरियों का कदम था ताकि उस की आवाज मसजिद से बाहर न जाए और मुसलिम अजान ङ्क्षहदू घरों को दूषित न करें. लेकिन यह करने पर उन्हें मंदिरों, गुरूदारों से भी लाउडस्पीकर हटवाने पड़े. देश में अभी इतनी अराजकता आने में समर्थ है जब एक वर्ग कहेगा कि हम चाहे जो करें तुम ऐसा नहीं करोंगे. संविधान जिस दिन चौराहों पर जलेगा. उसी दिन ऐसा होगा.

गुजरात सहसाना जिले में मंदिर में 2 भाई लाउडस्पीकर पर आरती आ रहे थे. आवाज ज्यादा थी तो पड़ोसी निकल आया, उसी धर्म का. इस पर झगड़ा हो गया तो पड़ोसी ने अपने साथियों को बुला लिया. गुजरात मौडल जो पूरे देश में लागू हो रहा है सिखा रहा है कि कानून को अपने हाथ में लेने का पूरा हक हर भीड़ को है चाहे वह भीड़ 4-5 जनों की हो. 4-5 जने औरतों की साडिय़ां उतार सकते है, दलितों को खंबे से बांध कर पीट सकते हैं. भीड़ पर गाड़ी चढ़ा सकते हैं, जबरन नारे लगवा सकते हैं. न प्रधानमंत्री उस पर बोलेंगे, न गृहमंत्री कुछ करेंगे. इन 6 जनों ने मिलकर 2 की जमकर घुनाई कर दी. लाठियों से, एक मर गया.

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