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कच्चा पपीता खाने के ये हैं 5 फायदे

विटामिन का प्रमुख स्रोत है पपीता. इसमें विटामिन ए, सी, ई मैग्नीशियम और पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. पका पपीता सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. अक्सर लोग पके पपीते के फायदे गिनाते हैं, पर क्या आपको कच्चे पपीते के फायदे के बारे में पता है? आपको बता दें कि कच्चा पपीता हमारी सेहत के लिए कई तरह से लाभकारी है. इसका इस्तेमाल हमें कई बीमारियों से दूर रखता है. कच्चे पपीते का इस्तेमाल मोटापे, पीलिया और डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. इस खबर में हम आपको कच्चे पपीते से होने वाले 5 फायदों के बारे में बताएंगे.

लीवर में है फायदेमंद

लीवर संबंधी परेशानियों में कच्चा पपीता बेहद कारगर होता है. पीलिया होने के बाद लीवर पर इसका काफी प्रभाव पड़ता है और वह कमजोर हो सकता है. ऐसी स्थिति में कच्चे पपीते का उपयोग काफी असरदार साबित होता है.

गैस की समस्या में है कारगर

कच्चे पपीते से पेट की गैस की समस्या में आराम मिलता है. ये पाचनतंत्र को ठीक रखने में भी बेहद कारगर है.

कैंसर से होता है बचाव

कच्चे पपीते में एंटी औक्सीडेंट और फीटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को बनने से रोकने का काम करते हैं. इससे कैंसर का खतरा कम होता है.

डायबिटीज में है कारगर

डायबिटीज के रोगियों के लिए कच्चे पपीते का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है. इसके नियमित प्रयोग से खून में शुगर की मात्रा संतुलित रहती है, जिससे डायबिटीज की समस्या कंट्रोल में रहती है. इसलिए डायबिटीज के रोगियों के लिए कच्चा पपीता काफी फायदेमंद हो सकता है.

यूरिन इंफेक्शन में है लाभकारी

कच्चे पपीते में पाए जाने वाला विटामिन पेशाब संबंधित इंफेक्शन को बढ़ने नहीं देता. आमतौर पर ये समस्या महिलाओं में देखी जाती है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं भी इसका इस्तेमाल करें.

टूट गई राकेश बापट और शमिता की जोड़ी, आपसी सहमति से हुए अलग

बिग बॉस के  फेमस  कपल राकेश बापट और शमिता शेट्टी की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते है. फैंस को इस कपल से जुड़ी हर खबर का बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन अब फैंस के लिए बुरी खबर आ रही है.  रिपोर्ट्स के मुताबिक शमिता और राकेश ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला कर लिया है. जी हां, बिग बॉस 15 की इस जोड़ी का ब्रेकअप हो गया है.

हाल ही में खबर आई थी कि राकेश बापट शमिता के घर के पास शिफ्ट होने का प्लान कर रहे हैं.  लेकिन अब खबर आ रही है कि दोनों का ब्रेकअप हो गया है. इस खबर से फैंस का दिल टूट गया है.

 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक राकेश बापट से अलग होने की खबर पर शमिता शेट्टी ने हाल ही में रिएक्शन दिया था. एक्ट्रेस ने कहा था कि  ‘हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि इन चीजों का हम पर फर्क न पड़े. रिश्ता दो लोगों के बीच होता है.

 

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शमिता ने आगे ये भी कहा कि  दूसरे आपके बारे में क्या सोच रहे हैं इस पर ज्यादा नहीं सोचना चाहिए. हमें इससे फर्क नहीं पड़ता है.’  शमिता और राकेश बिग बॉस हाउस में मिले थे. बिग बॉस ओटीटी के बाद शमिता शेट्टी ने बिग बॉस सीजन 15 में भी हिस्सा लिया.

 

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रिपोर्ट के अनुसार, राकेश बापट और शमिता शेट्टी कई महीने पहले ही अलग हो गए थे. ब्रेकअप की खबरों के बाद शमिता शेट्टी और राकेश बापट ने कोई बड़ा स्टेटमेंट नहीं दिया है. राकेश बापट और शमिता शेट्टी बहुत ही शांति से अपना रिश्ता खत्म करना चाहते हैं.

YRKKH: अक्षरा से नफरत करेगा अभिमन्यु, रिश्ते में आएगी दरार

प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) और हर्षद चोपड़ा (Harshad Chopda) स्टारर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में  इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो में लगातार ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि सच जानने के बाद नील घर छोड़कर चला जाता है और अभिमन्यु उसे ढूंढने के लिए निकलता है. तो दूसरी ओर नील खाई के पास जाता है, और वहां कार आ जाती है. अभिमन्यु मायूस होकर घर लौटता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते है, शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के लेटेस्ट एपिसोड में दिखाया जाएगा नील घर छोड़कर चला जाता है, अभिमन्यु उसे ढूंढने के लिए निकलता है. अक्षरा उसे फोन करती है, लेकिन उसकी बातों का कोई जवाब नहीं देता है. ऐसे में मंजरी का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है.

 

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शो में ये भी दिखाया गया कि नील खाई के किनारे पर खड़ा रहता है. दूसरी तरफ आरोही उसे देख लेती है और अपने साथ गोयनका हाउस ले आती है. तो वहीं  अक्षरा भी वहां पहुंचती है और नील को देखकर राहत की सांस लेती है.

 

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अक्षरा नील के सामने स्माइली कचौड़ी लेकर जाती है,  लेकिन वह कचौड़ी फेंक देता है. नील को नाराज देखकर अक्षरा उसे समझाती है कि वह घर चल ले. अक्षरा कहती है कि मां की तबीयत पहले से ही खराब है, ऐसे में वह उसके साथ चल लें. तो दूसरी तरफ अभिमन्यु वहां पहुंचता है, अक्षरा को देखकर उसका गुस्सा फूटता है.

 

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हार्दिक, भाजपा और देश

एक समय था जब हार्दिक पटेल का मतलब था – भाजपा का विरोध, गुजरात में नरेंद्र दामोदरदास मोदी के खिलाफ खड़ा एक विद्रोही युवा. जो आग उगलते हुए यह संदेश दे रहा था कि आने वाला समय बदलाव का है. मोदी मुक्त भारत का है.

मगर अब अचानक ऐसा क्या हो गया है कि हार्दिक पटेल को कांग्रेस छोड़कर उसी भाजपा की गोद में बैठना सुखद महसूस हुआ है, जो उसे राजद्रोही करार कर चुकी थी और मुकदमा चल रहा था.

वस्तुतः देश में अब एक नई राजनीति की परीपाटी शुरू हुई है जिसकी जनक आज की भाजपा है जिसमें भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में बनाए रखने के लिए येन केन प्रकारेण विपक्ष के और देश के महत्वपूर्ण बड़े नेताओं को किसी भी तरीके से पार्टी में शामिल कर लेना एक कूटनीति के तहत जारी है.

यही कारण है कि कांग्रेस  धीरे-धीरे कमजोर होती चली जा रही है अन्य पार्टियों को भी भाजपा इसी तरह सेंध लगाकर छोटा कर रही है  लंबी लकीर खींचती जा रही है और सत्ता का ताज पहने हुए हैं.

गुजरात के परिदृश्य में देखें तो यह समझ सकते हैं कि इस तरह भाजपा और उसके बड़े नेताओं ने एक चक्रव्यूह बुनकर हार्दिक पटेल को भाजपा में लाया गया है. आगामी समय में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां किसी भी तरीके से विपक्ष को कमजोर कर के खत्म करके सत्ता सिंहासन संभालना ही मकसद है .

हार्दिक पटेल की राजनीतिक बलि!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चर्चित नेता रहे हार्दिक पटेल विधिवत सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए हैं  और एक तरफ से अब उनकी राजनीतिक बलि चढ़ गई है. भाजपा में प्रवेश का मतलब यह है कि अब राजनीतिक रूप से उनका जनाधार धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा जनता का जो समर्थन और प्यार हार्दिक पटेल को मिला था वह अब खत्म हो जाएगा और सांप छछूंदर की गति जैसा हार्दिक पटेल का राजनीतिक भविष्य एक तरह से खत्म कर दिया जाएगा .

हार्दिक पटेल भाजपा के प्रदेश मुख्यालय राजधानी गांधीनगर के निकट कोबा स्थित श्रीकमलम में आधिकारिक रूप से दल में शामिल हो गए. वह भाजपा की ओर से विजय मुहर्त माने जाने वाले समय दोपहर 12 बज कर 39 मिनट पर पार्टी में शामिल हुए.इधर कांग्रेस की महिला नेता श्वेता ब्रह्मभट्ट ने भी केसरिया बाना धारण किया है. कभी भाजपा के कट्टर विरोधी रहे हार्दिक ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के शान में कसीदे पढ़े. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर कड़ा प्रहार  किया.भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने कोबा से श्रीकमलम तक एक रोड शो भी किया.इससे पूर्व हार्दिक ने अपने कांग्रेस छोड़ भाजपा केसरिया अंग वस्त्र रख कर उन्हें विधिवत भाजपा में हुए शामिल, अपने संदेश में उन्होंने कहा राष्ट्रहित, प्रदेशहित, जनहित एवं समाज हित की भावनाओं के साथ आज से नए अध्याय का प्रारंभ करने जा रहा हूँ. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी  के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्र सेवा के भगीरथ कार्य में छोटा सा सिपाही बनकर काम करूंगा.

उधर पूर्व में हार्दिक को कट्टर विरोधी मानने वाली भाजपा ने भी हृदय परिवर्तन कर  अपने पोस्टरों में  युवा देशप्रेमी नेता बता गुणगान किया. मजे की बात यह है कि  गुजरात सरकार के निर्देश पर ही पूर्व में  हार्दिक के विरुद्ध राजद्रोह का मुकदमा चला था. भाजपा में शामिल होने से पहले हार्दिक ने अपने घर और एसजीवीपी मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया . उन्होंने गत 18 मई को कांग्रेस के शीर्ष और प्रदेश नेतृत्व पर तीखा प्रहार करते हुए दल को प्राथमिक सदयस्ता से इस्तीफा दे दिया था. मालूम हो  कि वर्ष 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से चर्चा में आए 28  वर्षीय हार्दिक ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में विधिवत कांग्रेस का दामन थामा था.

इस नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गुजरात में एक तरफ से भाजपा ने अपनी बढ़त बना ली है कांग्रेस पीछे पीछे दौड़ रही है. देशका भविष्य क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में समाया हुआ है.

Satyakatha: प्यार पर जोर नहीं

सौजन्य- सत्यकथा

नाम की तरह चंचला का दिल भी चंचल था. तभी तो 6 महीने तक प्रेमी मिथुन से प्यार करने के बाद उस ने दूसरे प्रेमी आकाश को चुन लिया. आकाश और चंचला को जब भी मौका मिलता, जमाने की नजरों से बचते हुए वे आम के बगीचे में निकल जाते थे और जी भर कर बातें करते थे. एक दिन काले घने लंबे केशों को अंगुलियों में लपेट कर खेल रहा आकाश चंचला की झील सी गहरी आंखों में डूबते हुए बोला, ‘‘तुम बेहद खूबसूरत हो, चंचला.’’

‘‘अच्छा,’’ अपनी खूबसूरती की तारीफ सुन कर इठलाती हुई चंचला आगे बोली, ‘‘क्या मैं वाकई बेहद खूबसूरत हूं या यूं ही…’’

‘‘चाहे तुम जिस की भी सौगंध ले लो, मैं झूठी कसमें नहीं खाता हूं. जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो, मेरी जिंदगी ही बदल गई है.’’ चंचला को अपने आगोश में लेते हुए आकाश ने लंबी गहरी सांसें लीं तो चंचला के बदन में आकाश के गरम बदन के स्पर्श के बाद एक झुरझुरी सी दौड़ पड़ी और उसे कस कर अपनी बांहों में भर लिया.

फिर उस की आंखों में झांकती हुई वह धीरे से बोली, ‘‘क्या तुम सचमुच मुझे बेहद प्यार करते हो?’’

‘‘अपने आप से भी ज्यादा,’’ सटीक जवाब दिया आकाश ने.

‘‘कभी तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे?’’

‘‘चाहे तो कोरे कागज पर लिखवा लो. मेरा नाम यूं ही आकाश नहीं है, दिल भी मेरा आकाश की तरह बड़ा है. रही धोखा देने वाली बात तो आज तो ऐसी बात कह दी तुम ने, ऐसी बात फिर से मत कहना. मैं क्या तुम्हें धोखेबाज नजर आता हूं या मेरा प्यार ही धोखा है?’’ खुद की बांहों से चंचला को दूर करते हुए आकाश बोला.

‘‘तुम तो बुरा मान गए. मेरा वो कहने का मतलब नहीं था जो तुम समझ रहे हो,’’ तड़प कर चंचला बोली.

‘‘मैं क्या समझ रहा हूं,’’ झुंझला कर आकाश बोला, ‘‘यार, मैं ही पागल था जो तुम जैसी लड़कियों से दिल लगा बैठा.’’

‘‘अरे, बाप रे बाप,’’ चंचला समझ रही थी उस का प्यार उस की बातों से काफी गुस्सा हो गया है. इसलिए उस ने अपनी बातों को दूसरी ओर घुमा दिया, ‘‘मेरा सोना, इतना गुस्सा. मैं ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा होने वाला पति इतना गुस्से वाला होगा.’’

‘‘यार, तुम…तुम फिजूल की बातें मत किया करो, वरना…’’

‘‘वरना क्या, तुम मुझे और भी ज्यादा प्यार करोगे?’’

‘‘यार तुम मुझे और ज्यादा परेशान मत करो, वरना मुझे और ज्यादा गुस्सा आ जाएगा.’’

‘‘गुस्सा आ जाएगा तो मेरी बला से,’’ प्रेमी की कमर में गुदगुदाते हुए चंचला ने शरारत भरी आंखों से उस की ओर देखा तो आकाश अपनी हंसी नहीं रोक सका. उसे हंसता हुआ देख चंचला के चेहरे पर भी मुसकान तैरने लगी.

आम के बड़े बगीचे में एक पेड़ की ओट लगाए बैठे प्रेमी युगल ने घंटों कैसे बिता दिए, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें तो ऐसा लग रहा था जैसे अभीअभी आए हों. अभी मिले हों और प्यार की दोचार बातें की हों.

कल फिर इसी जगह मिलने का वादा कर के आकाश अपने घर की ओर हो लिया तो चंचला भी दूसरे रास्ते से अपने घर की ओर बढ़ चली थी. ये बात 7 जनवरी, 2022 की उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की झंगहा थानाक्षेत्र के नौवाबारी गांव की है.

वादे के मुताबिक, अगले दिन चंचला प्रेमी आकाश से मिलने उसी जगह पहुंची, जहां बीते कल दोनों मिले थे. घंटों इंतजार के बाद भी न तो आकाश वहां पहुंचा और न ही उस ने चंचला को फोन किया. गुस्से से चंचला लालपीली हुई जा रही थी.

उसे विश्वास था उस का प्यार और लड़कों जैसा धोखेबाज नहीं है. वादा किया है तो उस से मिलने जरूर आएगा, लेकिन आकाश नहीं आया और दिन ढलने को भी आ गया.

हारे जुआरी की तरह चंचला लड़खड़ाते कदमों से घर पहुंची और बिस्तर पर जा कर पसर गई. आकाश के न आने से चंचला अंतर्मन तक दुखी थी. किसी काम में उस का मन नहीं लग रहा था. फिर मन ही मन वह यह सोच रही थी कि हर लड़कों से आकाश जुदा था फिर उस से वादा कर के मिलने क्यों नहीं आया.

कई दिन बीत गए थे. न तो आकाश गांव में कहीं दिखा और न ही उस का फोन आया. ऊपर से उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. चंचला आकाश की विरह में तड़प रही थी.

खैर, 25 जनवरी, 2022 की बात है. समय यही कोई सुबह का था. कुत्तों का झुंड गांव के बाहर गुलाब जायसवाल के खेत में गड्ढे में मंडरा रहे थे. कुत्तों को देख गांव वाले मौके पर पहुंचे तो वहां सड़ांध महसूस हुई, जहां अपने पैरों से कुत्ते उसे जगह को खोद रहे थे.

उसी समय गांव वालों ने इस की जानकारी मुखिया को दी और मुखिया ने यह खबर झंगहा थाने तक पहुंचा दी.

घटना की जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी एसआई धीरेंद्र राय, देवीशंकर पांडेय, कांस्टेबल कमलापति तिवारी, प्रभात मिश्र और अशोक कुमार के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने फावड़े से उस जगह की खुदाई करानी शुरू की, जहां कुत्ते अपने पैरों से खोद रहे थे. थोड़ी सी मिट्टी हटते ही सब की आंखें आश्चर्य से फटी रह गईं. 2 अलगअलग गड्ढों में एकएक कर 2 लाशें मिलीं.

दोनों लाशें गड्ढे से निकाली गईं. दोनों के हाथ नायलोन की रस्सी से पीछे की ओर बंधे थे और किसी भारी धारदार हथियार से दोनों के सिर पर वार किया गया था. यही नहीं, खोजबीन करते वक्त मौके से पुलिस को एक मोबाइल फोन भी मिला, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.

लाश मिलते ही मौके पर मौजूद गांव वालों की अचरज से आंखें फटी रह गईं और उन के पैरों की जमीन भी जैसे खिसक गई. दोनों लाशें गांव से 19 दिनों पहले रहस्यमय तरीके से गायब साहब जायसवाल के बेटे आकाश और जितेंद्र जायसवाल के बेटे गणेश जायसवाल की थीं.

आकाश और गणेश की लाशें बरामद होते ही गांव में दहशत फैल गई थी. साहब और जितेंद्र जायसवाल के घर में तो कोहराम मच गया था. दोनों घरों में रोनापीटना शुरू हो गया था. दोनों परिवारों को यह यकीन नहीं हो रहा था कि उन के बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उन की हत्या किस ने और क्यों की होगी. यह एक बड़ा सवाल बन कर सामने आ खड़ा था.

दरअसल, 7 जनवरी, 2022 को दिन में आकाश चंचला से मिल कर घर लौटा. देर रात तक वह और उस का अजीज दोस्त गणेश दोनों ही गांव में घूमते देखे गए थे. उस के बाद से दोनों अचानक गायब

हो गए.

दोनों के अचानक से लापता होने से घर वाले परेशान हो गए थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें धरती निगल गई या आसमान खा गया? अभी दोनों यहीं देखे गए थे फिर अचानक से गायब कहां हो गए.

खैर, रात जैसेतैसे बीती. साहब जायसवाल और जितेंद्र जायसवाल दोनों ही अपनेअपने बेटों को 4 दिनों तक उन के हर संभावित ठिकानों पर ढूंढते रहे. जब दोनों का कहीं पता नहीं चला तो हार मान कर 11 जनवरी, 2022 को झंगहा थाने की नई बाजार, पुलिस चौकी में दोनों के लापता होने की संयुक्त तहरीर दे दी थी.

तहरीर लेने के बाद पुलिस चुपचाप बैठ गई. इधर आकाश और गणेश के रहस्य से परदा उठ चुका था. पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज, गुलरिहा भिजवा दिया.

उधर लाशें बरामद होने के बाद मौके पर पहुंचे थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी ने घटना की सूचना एसपी (उत्तरी) मनोज अवस्थी, एसपी (सिटी) सोनम कुमार, सीओ (चौरीचौरा), एसएसपी डा. विपिन ताडा और डीआईजी जे. रविंद्र को दे दी.

घटना की सूचना जैसे ही पुलिस अधिकारियों को मिली, वे तुरंत हरकत में आए और मौके पर पहुंच कर घटनास्थल का जायजा लिया. वे जानते थे कि उन्होंने अगर ऐसा नहीं किया तो मुख्यमंत्री उन्हें बख्शेंगे नहीं. क्योंकि दिल दहला देने वाली यह घटना मुख्यमंत्री योगी के शहर में घटी थी.

डीआईजी जे. रविंद्र ने एसएसपी डा. विपिन ताडा को दोहरे हत्याकांड का जल्द से जल्द परदाफाश करते हुए असल कातिल को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के आवश्यक निर्देश दिए.

डीआईजी के आदेश के बाद जिला पुलिस तेजी से हरकत में आई और आगे की काररवाई शुरू की. जांच की काररवाई थानाप्रभारी संतोष कुमार अवस्थी को सौंप दी गई थी. प्रथमदृष्टया प्रेम प्रसंग में हत्याकांड को अंजाम देना लग रहा था और पुलिस ने अपनी काररवाई का रुख भी इसी ओर मोड़ दिया था.

यही नहीं, शवों के पास से बरामद मोबाइल फोन भी जांच के लिए फोरैंसिक प्रयोगशाला, लखनऊ भेज दिया गया. कातिलों तक पहुंचने के लिए पुलिस के पास यही एक सहारा बचा था.

घटनास्थल चीखचीख कर कह रहा था कि हत्या कहीं और की गई थी और लाशों को यहां ला कर दफनाया गया था. इस से यही साबित हो रहा था कि हत्यारा गांव की भौगोलिक स्थिति से परिचित था. इस का मतलब हत्यारा कोई गांव का ही हो सकता था. पुलिस की जांच गांव के इर्दगिर्द जा कर सिमट गई थी.

2 दिनों बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई थी. रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें लिखी हुई थीं. दोनों युवकों की हत्या करीब 17-18 दिन पहले की गई थी, वह भी किसी धारदार हथियार से.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से एक बात साफ हो गई थी कि आकाश और गणेश जिस दिन गायब हुए थे, उसी दिन उन की हत्या कर दी गई थी. पुलिस हत्यारों तक पहुंच न सके, इसलिए मोबाइल फोन लाश के साथ गड्ढे में दफना दिया था. फोन आकाश की लाश के पास बरामद हुआ था, इसलिए पुलिस उस फोन को आकाश का मान कर चल रही थी.

29 जनवरी को मोबाइल की काल डिटेल्स आ चुकी थी. रिपोर्ट के मुताबिक फोन आकाश का ही था. 7 जनवरी की रात करीब साढ़े 7 बजे उस के मोबाइल पर एक नंबर से काल आई थी. उस के तुरंत बाद उस ने दूसरे नंबर पर किसी को काल की थी.

जिस नंबर पर आकाश ने काल की थी, जांच में वह नंबर उस के दोस्त गणेश का निकला, जिस की उस के साथ ही हत्या हो चुकी थी.

पुलिस ने उस पहले वाले नंबर की जांच की तो वह नंबर किसी सत्यम पुत्र ओमप्रकाश निवासी नौवाबारी, झंगहा का निकला. पुलिस पूछताछ के लिए सत्यम को हिरासत में थाने ले आई. थाने में उस के साथ कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने सारा सच उगल दिया.

उस ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि आकाश और गणेश दोनों उस के अजी॒ज दोस्त थे. दोनों की हत्या उस ने नहीं की. यह सच है कि हत्या जैसे जघन्य अपराध में उस ने अपनी भागीदारी निभाई थी.

प्यार में रंजिश रखे उन की हत्या मिथुन ने की थी. फिर उस ने पूरी कहानी विस्तार से कह सुनाई, जो त्रिकोण प्रेम पर आधारित थी.

सत्यम की निशानदेही पर उसी दिन नौवाबारी का रहने वाला मिथुन भी पुलिस की पकड़ में तब आ गया जब वह कहीं भागने की फिराक में गाड़ी के इंतजार में सड़क किनारे परेशानहाल खड़ा था.

पूछताछ में मिथुन ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया और वही बयान दिया जो पहले सत्यम दे चुका था. आखिर में उस ने कहा, ‘‘मेरे और चंचला के प्यार के बीच में जो भी आएगा, वह मारा जाएगा.’’ उसे अपने किए पर तनिक भी अफसोस नहीं है.

19 दिनों से आकाश और गणेश के दोहरे हत्याकांड से परदा पूरी तरह उठ चुका था. एसपी (उत्तरी) मनोज कुमार अवस्थी ने अगले दिन 30 जनवरी, 2022 को पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित की और दोहरे हत्याकांड का खुलासा किया जो त्रिकोण प्रेम के दुष्परिणाम के रूप में सामने आया.

फिर पुलिस ने दोनों आरोपियों मिथुन और सत्यम को कोर्ट के सामने पेश कर गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया. पुलिस पूछताछ के आधार पर इस दोहरे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

17 वर्षीय आकाश मूलरूप से गोरखपुर जिले के झंगहा थाने के नौवाबारी का रहने वाला था. साहब जायसवाल के 3 बच्चों में वह सब से बड़ा था. आकाश इंटरमीडिएट का छात्र भी था और गोरखपुर औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी भी करता था. उसी गांव में गणेश भी रहता था. गणेश आकाश का दोस्त था और उस से करीब एक साल छोटा था.

16 वर्षीय गणेश अपने भाईबहनों में बीच का था. वह 3 भाईबहन थे. बहन सब से छोटी थी. पिता जितेंद्र जायसवाल 5 सदस्यीय परिवार का टैंपो चला कर भरपोषण करते थे.

गणेश जैसा काबिल और लायक बेटा पा कर वह बेहद खुश थे क्योंकि इस छोटी उम्र में वह पढ़ाई के साथसाथ घर संभालने में पिता का हाथ बंटा रहा था. आकाश के साथ वह भी गीडा में नौकरी करता था.

आकाश और गणेश का एक और जानी यार था सत्यम. तीनों की यारी के चर्चे गांव में होते थे. एकदूसरे के वे हमराज भी थे जो एकदूजे के एकएक अच्छेबुरे राज को अपने सीने में दफन किए थे.

सत्यम आकाश का गहरा और विश्वासपात्र दोस्त था, यह बात उसी गांव में रहने वाला मिथुन प्रसाद जानता था. मिथुन के सीने में आकाश के प्रति नफरत की आग धधक रही थी. उसे जब भी देखता, नफरत भरी हुंकार मारता था. ऐसा लगता था जैसे उसे अभी जिंदा खा जाएगा.

मिथुन के सीने में आकाश के प्रति जो नफरत की आग धधक रही थी, इस के पीछे नादान इश्क ने जन्म लिया था. वह इश्क कोई और नहीं, आकाश के पड़ोस में रहने वाली सुंदर लड़की चंचला थी, जिसे मिथुन दिलोजान से चाहता था और चंचला भी उसे प्यार करती थी.

दोनों के सीने में मोहब्बत की आग बराबर लगी थी. आखिर ऐसा क्या हुआ था जो मिथुन को अपने प्यार की कुरबानी देनी पड़ी थी. जब तक इस प्रकरण पर रोशनी नहीं डाली जाएगी, कहानी तिलिस्म ही बनी रहेगी.

करीब 22 वर्षीय मिथुन प्रसाद देवरिया जिले के रामपुर कारखाना थाने के एक छोटे से गांव बनकटा का मूल निवासी था. मिथुन के पिता रामदयाल प्रसाद की शादी गोरखपुर जिले के झंगहा के नौवाबारी में नेवासा में हुई थी.

रामदयाल शादी के बाद घरजमाई बन कर ससुराल में पत्नी के साथ रहता था और सासससुर की सेवा करता था.

मिथुन का जन्म नौवाबारी में हुआ था. उसी गांव में बचपन बीता और पलाबढ़ा भी. आशिकमिजाज मिथुन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. 12वीं तक पढ़ने के बाद उस ने अपनी आगे की पढ़ाई पर विराम लगा दिया था और शादीपार्टियों में डीजे बजाने लगा.

मिथुन जिस डीजे को बजाता था, उस पार्टी में 3 नाचने वाली युवतियां भी थीं. बारातियों का मन अपनी अदाओं से जब भी वो लुभाती थीं, मिथुन के सीने पर सांप लोट जाता था. उन तीनों में से मिथुन का दिल नाजनीन पर आ गया.

स्टेज पर नाजनीन जब भी ठुमके लगाती, मिथुन भी वहां पहुंच कर उस के साथ नाचने लगता था. नाजनीन के स्पर्श से मिथुन के बदन में वासना की आग लगने लगती थी.

मिथुन नाजनीन के हुस्न की गिरफ्त में आ चुका था. उस के गदराए बदन को पाने के लिए मौके की फिराक में पड़ा रहता था.

एक दिन मिथुन ने नाजनीन के साथ तब अपना मुंह काला कर दिया, जब वह पार्टी प्लेस के एक कमरे में रात में प्रोग्राम कर अकेली सो रही थी. इस जुर्म में मिथुन को जेल भी जाना पड़ा. यह बात 2020 की है.

जेल की सलाखों के पीछे के दौरान उसी जेल में कैदी दीनानाथ से उस की मुलाकात हुई. दीनानाथ गोरखपुर के झंगहा के नौवाबारी का ही रहने वाला था. बातोंबातों में दोनों ने अपना परिचय एकदूसरे को दिया तो दोनों ही यह जान कर खुश हो गए कि वे एक ही इलाके के रहने वाले थे.

परिचय के दौरान मिथुन को यह भी पता चल चुकी थी कि दीनानाथ की एक सयानी बेटी चंचला भी है, जो मां के साथ घर पर रहती है. उस दिन से चंचला की तसवीर मिथुन की आंखों के सामने उभरने लगी थी.

9 महीने बाद जमानत पर मिथुन बाहर आया. बाहर आ कर सब से पहले वह दीनानाथ के घर पहुंच कर उस की पत्नी और बेटी से मिला और दीनानाथ की कुशलता का समाचार दिया. उस द्नि के बाद से दीनानाथ के घर का दरवाजा मिथुन के लिए खुल गया था.

मिथुन ने चंचला के बारे में जैसी कल्पना की थी, वह वैसी ही निकली. कच्ची उम्र के जिस पड़ाव में दोनों थे. इश्क के चक्कर में वहां अकसर लड़केलड़कियों के पांव फिसल जाते हैं. यहां भी वही हुआ. मिथुन और चंचला एकदूसरे से प्यार करते थे. एकदूसरे के प्यार में दोनों इस कदर डूबे हुए थे कि भविष्य की योजना तक बना डाली.

चंचला मिथुन के इश्क में इस कदर अंधी हो गई थी कि मिथुन के सिवाय उसे कुछ नहीं दिखता था. हर घड़ी उस की आंखों के सामने मिथुन का चेहरा दिखता था. इस बीच दीनानाथ भी जमानत पर जेल से बाहर आ गया था.

पिता के घर आ जाने से मिथुन का उस के घर पर ज्यादा देर तक टिकना बनता नहीं था. पहले की तरह दोनों खुल कर प्यार भी नहीं कर पा रहे थे. चंचला मिथुन को अपने आगोश में भरने के लिए तड़प रही थी.

बात करने के लिए चंचला को उस ने एक नया मोबाइल फोन दिया था. चंचला मोबाइल फोन को घर में छिपा कर रखती थी. उसे जब भी मौका मिलता तो चुपके से मिथुन से बात कर लेती थी. इसी बीच एक दिन मौका देख कर चंचला मिथुन के साथ घर से पैसे चुरा कर भाग गई.

सयानी बेटी के घर से भाग जाने पर दीनानाथ की गांव में बहुत बेइज्जती हुई. मिथुन उस की इज्जत पर जीवन भर के लिए धब्बा लगा देगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. लेकिन यह बदनुमा दाग ले कर दीनानाथ जीना नहीं चाहता था, इसलिए अपनी जानपहचान वालों से उस ने बेटी के बारे में पता लगाना शुरू कर दिया. आखिरकार, बेटी को 6 महीने में ढूंढ निकाला.

चंचला मिथुन के साथ 6 महीने तक रही थी. मांबाप ने बेटी को समझाया और ऊंचनीच समझाया. उस के मांबाप ने उसे यह भी समझाया कि मिथुन उस की जातिबिरादरी का नहीं है, इसलिए उस के साथ जीवन बिताने का सपना देखना छोड़ दे. वक्त आने पर वह खुद ही अच्छा घरवर देख कर शादी कर देंगे.

मांबाप ने बेटी को जो समझाया, उस के सामने चंचला नतमस्तक थी. उस ने कसम खाई कि आज के बाद वह मिथुन को हमेशा के लिए भूल जाएगी. कभी जुबान पर उस का नाम नहीं आने देगी.

उस दिन के बाद से चंचला ने मांबाप को दिए वचन की लाज रखी और मिथुन को अपने दिल से निकाल दिया.

भले ही चंचला ने मिथुन के लिए अपने दिल का दरवाजा बंद कर लिया था. लेकिन उस के दिल में अभी भी कुछकुछ होता था. सैक्स की अनुभूति कर चुकी चंचला पुरुष के बिना नहीं जी सकती थी. आखिरकार उस के जीवन में आकाश नाम का दूसरा प्रेमी आ गया, जो उस का पड़ोसी था और स्मार्ट भी.

जैसेजैसे मिथुन उस के जीवन से दूर होता जा रहा था, वैसेवैसे आकाश उस के दिल में उतरता जा रहा था. चंचला और आकाश दोनों एकदूसरे के दिल के बहुत करीब आ चुके थे. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. आकाश को पा कर चंचला की दुनिया ही बदल गई थी. मिथुन को वह बिलकुल भूल चुकी थी.

चंचला मिथुन को भले ही भूल चुकी थी लेकिन मिथुन के दिल में चंचला की प्रेम की आग अभी भी धधक रही थी. उस से अलग हो कर जीने के बारे में तो उस ने कभी सोचा भी नहीं था.

चंचला के दूरियां बनाने से मिथुन विरह की आग में जल रहा था. कई बार उस ने उस से मिलने की कोशिश की थी लेकिन चंचला उसे देखते ही अपना मुंह दूसरी ओर फेर लेती थी जैसे उस से कभी मिली ही न हो.

चंचला के इस बर्ताव से मिथुन परेशान था कि आखिर अचानक से उस ने उस से मुंह क्यों मोड़ लिया? मिथुन ने उसी समय तय कर लिया कि अगर वह उस की नहीं हो सकी तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. उस के और चंचला के प्यार के बीच में जो भी आएगा, उसे वह जड़ से उखाड़ कर फेंक देगा.

आखिरकार मिथुन को चंचला के अचानक से मुंह मोड़ने का कारण पता चल ही गया कि चंचला अपने पड़ोस के लड़के आकाश जायसवाल के साथ आशिकी कर रही है.

जब से मिथुन को चंचला के दूसरे प्रेमी के बारे में पता चला था, वह जलभुन उठा था कि उस ने उसे छोड़ कर दूसरा प्रेमी कैसे रख लिया, वह उस के जिंदा रहते. दूसरे प्रेमी का सुख चंचला को किसी कीमत पर नहीं लेने देगा. चंचला मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी. मेरे और उस के प्यार के बीच में जो भी आएगा, मरेगा. और उसी समय उस ने आकाश को जान से मारने की कसम खाई.

आकाश तक पहुंचने का मिथुन के पास सीधा कोई रास्ता नहीं था और न ही जानपहचान ही. अलबत्ता इतना जानता था कि आकाश 3 दोस्त हैं, उन में से कोई एक उस का साथी बन जाए तो उस के जरिए सीढ़ी बना कर वह आकाश तक पहुंच सकता है. एक बार वह उस तक पहुंच गया तो आकाश को ठिकाने लगा सकता है.

उस के रास्ते से हटते ही फिर से चंचला उस की हो जाएगी. उस दिन के बाद से मिथुन ने आकाश के 2 दोस्तों गणेश और सत्यम में से उस के एक दोस्त सत्यम को तोड़ कर अपनी ओर कर लिया.

सत्यम को उस ने यह कहते हुए धमकाया कि अगर तुम ने यह राज आकाश को बताया तो वह उसे जान से मार देगा. सत्यम मिथुन के आपराधिक स्वभाव को अच्छी तरह जानता था. मिथुन की धमकी से वह बुरी तरह डर गया था और डर की वजह से उस का साथ देने को तैयार हो गया.

जब मिथुन ने आकाश और चंचला के संबंधों के बारे में सत्यम से पूछा तो उस ने बता दिया कि चंचला और आकाश एकदूसरे से प्यार करते हैं. यह सुन कर मिथुन जलभुन गया. उस से चंचला की दूरियां और बरदाश्त नहीं हो रही थीं. वह उसे अपनी बांहों में देखना चाहता था.

सत्यम आकाश की पलपल की गतिविधियों की रिपोर्ट मिथुन तक पहुंचा रहा था. उस दिन 7 जनवरी, 2022 की तारीख थी. सत्यम ने फोन कर के मिथुन को सूचना दी कि कल सुबह आकाश गणेश के साथ गीडा अपनी नौकरी पर वापस लौट जाएगा. आगे जो तुम्हें करना है, आज ही कर डालो वरना दोबारा ऐसा मौका नहीं मिलेगा.

सत्यम की सूचना के बाद मिथुन ने फैसला कर लिया कि आज रात आकाश का काम तमाम कर देगा. योजना के मुताबिक रात 7 बजे के करीब नौवाबारी गांव के बाहर इंटर कालेज परिसर पहुंच कर मिथुन ने सत्यम को फोन कर बुला लिया. वह आकाश की हत्या करने के लिए अपने साथ कुल्हाड़ी भी लाया था. मिथुन के हाथ में कुल्हाड़ी देख सत्यम डर गया था. वह चुपचाप मिथुन के बगल में नीचे बैठ गया, जहां वह पालथी मार कर बैठा था.

मिथुन ने सत्यम से कहा कि वह अपने मोबाइल फोन से आकाश को फोन कर के यहां आने को कहे. सत्यम ने वैसा ही किया, जैसा मिथुन उसे करने के लिए कहा था. सत्यम ने आकाश को फोन कर के धोखे से गांव के बाहर इंटर कालेज के पास बुलाया तो आकाश को पता नहीं क्यों अजीब लगा कि इतनी रात गए वह वहां क्यों बुला रहा है. मिलना है तो यहीं मिल ले लेकिन सत्यम अपनी जिद पर अड़ा रहा कि उसे एक बहुत जरूरी बात बतानी है, जो यहीं बता सकता है.

सत्यम आकाश का प्रिय दोस्त था. आकाश उस की बात कभी नहीं टालता था. उस ने अपने दूसरे मित्र गणेश को फोन कर के बता दिया कि वह गांव के बाहर इंटर कालेज के पास सत्यम से मिलने जा रहा है, कोई जरूरी काम है उस का फोन आया था.

उस वक्त शाम के करीब साढ़े 7 बज रहे थे. गणेश को फोन कर के आकाश सत्यम से मिलने पैदल ही चल दिया. इस बारे में उस ने घर वालों को कुछ भी नहीं बताया था. इधर सत्यम ने मिथुन को अलर्ट कर दिया था कि आकाश आ रहा है.

करीब 20 मिनट बाद आकाश इंटर कालेज के प्रांगण में था. प्रांगण के चारों ओर घना अंधेरा फैला हुआ था. उस अंधेरे में सत्यम के साथ मिथुन को खड़ा देख आकाश चौंक गया. उसी वक्त उस के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी.

उधर आकाश को देखते ही नफरत और गुस्से से मिथुन की आंखों में गुस्सा उतर आया, ‘‘साले, कुत्ते, मादर… मेरी प्रेमिका पर नजर डालने की तेरी हिम्मत कैसे हुई?’’

मिथुन के मुंह से भद्दीभद्दी गालियां सुन कर आकाश सकपका गया. मिथुन आगे बोलता गया, ‘‘तू जानता नहीं था कमीने कि चंचला मेरी जान है. उस से इश्क लड़ा बैठा साले हरामी. अब तुझे मरने से कोई नहीं बचा सकता. जब तक तू रहेगा, चंचला मेरी नहीं हो सकती, इसलिए तू तो गया.’’ कहते हुए मिथुन ने कुल्हाड़ी आकाश के सिर पर चला दी.

वार इतना जोरदार था कि एक ही वार में आकाश नीचे जमीन पर जा गिरा और तड़पने लगा. उसी वक्त गणेश आकाश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा. मिथुन और सत्यम गणेश को देख कर डर गए कि गणेश आकाश की लाश देख चुका है, वह जिंदा रहा तो उन के राज खोल सकता है.

फिर उसी कुल्हाड़ी से मिथुन ने गणेश के सिर पर वार कर के उस की भी हत्या कर दी. फिर दोनों ने मिल कर बारीबारी गुलाब जायसवाल के खेत में गड्ढा खोद कर दोनों लाशें उसी गड्ढे में दफना दीं.

लाशें दफनाते समय मिथुन ने आकाश के मोबाइल का स्विच्ड औफ कर के उस की लाश के साथ दफना दिया और कुल्हाड़ी झाड़ी में छिपा दी. फिर दोनों अपनेअपने घर जा कर सो गए.

चंचला के सामने जब मिथुन की घिनौनी करतूतें खुलीं तो उस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. वह जिस प्रेमी को बेवफा समझ रही थी, वह तो इस दुनिया में था ही नहीं.

आज भी आकाश के प्यार को याद कर के चंचला विरह की आग में जल रही है. इस त्रिकोण प्रेम में गणेश का क्या कसूर था. वह तो बेचारा मुफ्त में मारा गया. कहानी लिखने तक पुलिस दोनों आरोपियों मिथुन प्रसाद और सत्यम के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी थी और दोनों अपने गुनाहों की सजा काट रहे थे.

—कथा में चंचला परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

बड़े काम का सहजन

डा. विनय कुमार सिंह, डा. डीके सिंह

भारत के विभिन्न भागों में सहजन के पेड़ आसानी से देखे जा सकते हैं. ये गरमी के मौसम के शुरुआती समय में फली के रूप में फल देना शुरू कर देते हैं. इस के फल पेड़ पर कई दिनों तक रहते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.

इस पेड़ की फली व पत्ती में कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, विटामिन-ए, बी व सी, कैल्शियम, फास्फोरस व लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस की एक ग्राम फली में नारंगी से 4 गुना ज्यादा विटामिन-सी, गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन-ए, दूध से 4 गुना ज्यादा कैल्शियम, केले से 3 गुना पोटैशियम, जई से 4 गुना ज्यादा रेशा व पालक से 9 गुना ज्यादा लोहा पाया जाता है.

सहजन के बीज

बीजों से 40 फीसदी खाद्य तेल निकलता है, जो गुणवत्ता में ओलिव औयल के समान होता है. बीजों के चूर्ण का उपयोग गंदे पानी को फिटकरी के मुकाबले ज्यादा साफ करता है और बैक्टीरिया को हटाता है. मलावी और अफ्रीका में इस के बीजों से बड़े पैमाने पर पानी साफ किया जाता है.

सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो एक मौश्चराइजर का काम करता है. इस का पेस्ट बना कर खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा को बेहतर बनाया जा सकता है.

इतना ही नहीं, इस के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है. त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्त्व कौस्मैटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है.

घरेलू कामों में इस्तेमाल

महिलाएं सहजन से कई प्रकार की सब्जियां बनाती हैं. इस के फूलों को भी कई जगहों पर खाने में इस्तेमाल किया जाता है. कुछ लोग इस की फली को दाल में डाल कर पका कर भी सेवन करते हैं.

सहज के पेड़ की छाल के रेशों से कागज, चटाई, रस्सी व दूसरे सामान बनाने के उपयोग में लाया जाता है. सहजन की बड़ी फलियां पानी की टंकी में डालने से पानी में सभी तरह के कीटाणुओं को मार कर जल को साफ कर देता है.

पशुओं के लिए लाभकारी

सब्जी के रूप में उपयोग किए जाने वाले सहजन अब दुधारू पशुओं के लिए हाइजैनिक फूड की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं. आईसीएआर के एक शोध से पता चला है कि सहजन के प्रयोग से पशुओं के दूध में दोगुनी वृद्धि होती है. यह पशुओं का बांझपन रोग भी खत्म करने में सक्षम औषधि है. दुधारू पशुओं के लिए सहजन को हरा चारा या सूखे पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. ठ्ठ

सहजन का अचार

एकदम कच्ची और बिना बीज वाली नरमनरम सहजन की फलियों से अचार बनाया जाता है, जो खाने में बहुत स्वादिष्ठ होता है. दूसरे फलों की तरह इस का अचार बना कर बिना मौसम स्वाद लिया जा सकता है.

सामग्री : सहजन की फली 300 ग्राम, नमक स्वादानुसार, सरसों का तेल 1/3 कप, हींग 2-3 चुटकी, हलदी पाउडर 1 छोटा चम्मच, सौंफ पाउडर 1 छोटा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर 1/4 छोटा चम्मच, काली मिर्च पाउडर 1/4 छोटा चम्मच, पीली सरसों दरदरी पिसी हुई 2 छोटा चम्मच, सिरका 1 चम्मच.

अचार बनाने की विधि

सारी फलियों को धो कर एक इंच तक लंबा काट कर सुखा लें. अब एक चम्मच नमक डाल कर एक डब्बे में बंद कर 3 दिनों तक के लिए रख दें और हर रोज एक बार हिला दें.

3 दिन बाद अचार बनाने की प्रक्रिया शुरू करें. इस के लिए तेल को किसी पैन में तेज गरम कर के उतार कर हलका ठंडा कर के इस में हींग, हलदी पाउडर, सौंफ पाउडर डाल कर मिला लें, फिर सहजन की फली डाल कर मिला दें.

नमक, लाल मिर्च पाउडर, सरसों पाउडर और काली मिर्च पाउडर डाल कर मिलाएं और सिरका भी डाल दें. एक हफ्ते बाद इस का इस्तेमाल करें और इसे आप 2 महीने तक इस्तेमाल में ला सकते हैं.

बहुरुपिया: दोस्ती की आड़ में क्या थे हर्ष के खतरनाक मंसूबे?

बहुरुपिया- भाग 1: दोस्ती की आड़ में क्या थे हर्ष के खतरनाक मंसूबे?

हर्ष से मेरी मुलाकात एक आर्ट गैलरी में हुई थी. 5 मिनट की उस मुलाकात में बिजनैस कार्ड्स का आदानप्रदान भी हो गया.

‘‘मेरी खुद की वैबसाइट भी है, जिस में मैं ने अपनी सारी पेंटिंग्स की तसवीरें डाल रखी हैं, उन के विक्रय मूल्य के साथ,’’ मैं ने अपने बिजनैस कार्ड पर अपनी वैबसाइट के लिंक पर उंगली रखते हुए हर्ष से कहा.

‘‘जी, बिलकुल, मैं जरूर आप की पेंटिंग देखूंगा. फिर आप को टैक्स मैसेज भेज कर फीडबैक भी दे दूंगा. आर्ट गैलरी तो मैं अपनी जिंदगी में बहुत बार गया हूं पर आप के जैसी कलाकार से कभी नहीं मिला. योर ऐवरी पेंटिंग इज सेइंग थाउजैंड वर्ड्स,’’ हर्ष ने मेरी पेंटिंग पर गहरी नजर डालते हुए कहा.

‘‘हर्ष आप से मिल कर बड़ा हर्ष हुआ, स्टे इन टच,’’ मैं ने उस वक्त बड़े हर्ष के साथ हर्ष से कहा था. इस संक्षिप्त मुलाकात में मुझे वह कला का अद्वितीय पुजारी लगा था.

बात तो 5 मिनट ही हुई थी पर मैं आधे घंटे से दूर से उस की गतिविधियां देख रही थी. वह हर पेंटिंग के पास रुकरुक कर समय दे रहा था, साथ ही एक छोटी सी डायरी में कुछ नोट्स भी लेता जा रहा था.

‘लगता है यह कोई बड़ा कलापारखी है,’ उस वक्त उसे देख कर मैं ने सोचा था.

हर्ष से हुई इस मुलाकात को 6 महीने बीत चुके थे. इस दौरान न उस ने मुझ से कौंटैक्ट करने की कोशिश की न ही मैं ने उस से. मेरी वैबसाइट से मेरी पेंटिंग्स की बिक्री न के बराबर हो रही थी. मैं हर तरह से उन के प्रचार की कोशिश कर रही थी. मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी वैबसाइट का लिंक भेज रही थी. मुझे मतलब नहीं था कि वे मुझे ज्यादा जानते हैं या कम. मुझे तो बस एक जनून था कला जगत में एक पहचान बनाने और नाम कमाने का. इस जनून के चलते मैं ने एक टैक्स मैसेज हर्ष को भी भेज दिया.

‘‘क्या आज मेरे साथ कौफी पीने आ सकती हो?’’ तत्काल ही उस का जवाब आया.

मेरी हैरानी का ठिकाना नहीं था. 5 मिनट की संक्षिप्त मुलाकात के बाद कोई 6 महीने तक गायब था और जब किसी वजह से मैं ने उसे एक मैसेज भेजा तो सीधे मेरे साथ कौफी पीना चाहता है.

‘अजीब दुनिया है यह,’ मैं मन ही भुनभुनाई और फिर टैक्स मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. 2 दिन यों ही आने वाली कला प्रदर्शनी की तैयारी में निकल गए और बाद में भी मैं हर्ष के मैसेज को भुला कर अपने स्तर पर अपनी कला को बढ़ावा देने में जुटी रही. कुछ दिनों के बाद अचानक उस का फोन आया फिर से मेरे साथ कौफी पीने के आग्रह के साथ.

‘‘न तुम मुझे जानते हो और न ही मैं तुम्हें, फिर यह बेवजह कौफी पीने का क्या मतलब है? मैं ने तुम्हें किसी वजह से एक मैसेज भेज दिया, इस का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि मैं फालतू में तुम्हारे साथ टाइम पास करने के लिए इच्छुक हूं,’’ मेरा दो टूक जवाब था.

‘‘मैं ने तुम्हारी कला और उस की गहराई को समझा है और उस जरीए से तुम्हें भी जाना है. मैं तुम्हारी उतनी ही इज्जत करता हूं जितनी दुनिया एमएफ हुसैन की करती है. मैं ने जब तुम्हारा नाम पहली बार अपने मोबाइल में डाला था तो उस के आगे पेंटर सफिक्स लिख कर डाला था. अभी भी तुम मानो या न मानो एक दिन तुम कला के क्षेत्र में एमएफ हुसैन को मात दे दोगी. रही बात हमारी जानपहचान की तो वह तो बढ़ाने से ही बढ़ेगी न?’’

अपनी तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता? हर्ष के शब्दों का मुझ पर असर होने लगा. अपनी तारीफों के सम्मोहन में जकड़ी हुई मैं अब उस से घंटों फोन पर बातें करती. हर बार वह मेरी और मेरी कला की जम कर प्रशंसा करता. उस की बातें मेरे ख्वाबों को पंख दे रही थीं. मन में बरसों से पड़े शोहरत की चाहत के बीज में अंकुर फूटने लगा था.

‘‘मैं तुम्हारी इतनी इज्जत करता हूं, जितनी कि हिंदुस्तान के सवा करोड़ हिंदुस्तानी मिल कर भी नहीं कर सकते. महीनों हो गए तुम्हें कौफी पर आने के लिए कहतेकहते… इतने पर तो कोई पत्थर भी चला आता,’’ एक दिन हर्ष ने कहा.

पतझड़ में वसंत- भाग 4: सुषमा और राधा के बनते बिगड़ते हालात

सुषमा अचानक चुप हो गई थी.

सिर्फ आंखें बह रही थीं. राधा अपने को न रोक पाई. सहेली ने जो कुछ झेला है, दिल दहला देने वाला है. ठीक कह रही है- यकीन नहीं होता कि ये अपने बच्चे हैं जिन के संस्कारों और अनुशासन की पूरा महल्ला दुहाई देता था. उसी परिवार की एक मां आज बच्चों के दुर्व्यवहार से कितनी दुखी है. राधा जानती थी, रो कर सुषमा का मन हलका हो जाएगा.

‘‘10 मिनट बाद सुषमा ने कहा, अच्छा राधा, यह बता मैं कहां गलत थी?’’

‘‘नहींनहीं, तू कहीं गलत न थी. गलत तो समय की चाल थी. हां, इंडिया आने का तेरा फैसला बिलकुल सही था. बस, यह समझ, तू यहां सुरक्षित है. कई बार भावावेश में हम ऐसे फैसले ले लेते हैं जिन के परिणाम का हमें एहसास नहीं होता. सुषमा, मेरी समझ से महत्त्वाकांक्षी होना अच्छा है. पर स्वाभिमान को मार कर महत्त्वाकांक्षाएं पूरी करना गलत है. सच तो यह है कि तेरे बेटों ने तेरे स्वाभिमान का सौदा किया है, जिसे तू समझ नहीं पाई. जब समझ आई, तो बहुत देर हो चुकी थी.’’

‘‘तू ठीक कहती है राधा,’’ सुषमा खामोश थी.

‘‘वैसे, तेरे बच्चों का भी कोई कुसूर नहीं है. वहां का माहौल ही ऐसा है. हमारे अपने वहां सहूलियतों और पैसों की चमक में रिश्तों की गरिमा को भूल जाते हैं. वे कोई ऐसी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते है जिस में उन की आजादी में बाधा पड़े. देखने में तो यह आया है कि विदेश जा कर बसे बच्चे, मांबाप को अपने पास सिर्फ जरूरत पड़ने पर बुलाते हैं. आ भी गए तो अपने साथ रखना नहीं चाहते हैं. इसीलिए तेरे बच्चों को जब लगा कि मां एक बोझ है तो बेझिझक, ओल्डएज होम का रास्ता दिखा दिया.

‘‘बदलाव यहां भी आया है. बच्चे यहां भी अलग रहना चाहते हैं. फिर भी एक चीज जो यहां है वहां नहीं है, रिश्तों की गरमाहट का एहसास. साथ ही, यहां बच्चों में बूढ़ों के दर्द को महसूस करने और उन की संवेदनाओं को समझने का जज्बा है. यही एहसास उन्हें मांबाप से दूर हो कर भी पास रखता है. तेरे बेटे रिश्तों की गरमाहट की कमी को तब महसूस करेंगे जब इन के बच्चे अपने मांबाप यानी उन को ओल्डएज होम का रास्ता दिखाएंगे. मन मैला मत कर. बच्चों से हमारी ममता की डोर कभी नहीं टूटती. हम उन का बुरा कभी नहीं चाहेंगे. वे जहां भी रहें, खुश रहें. अब आगे की सोच.’’

‘‘हां, वही सोच रही थी. रवि ने तो मेरी सोच के सारे दरवाजे बंद कर दिए.’’

‘‘जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो एक दरवाजा तो जरूर खुला होता है.’’

‘‘बता, कौन सा दरवाजा खुला है?’’

‘‘राधा का दरवाजा. देख, ध्यान से सुन, मैं यहां अकेली हूं. तू साथ रहेगी, तो मुझे भी हिम्मत बंधी रहेगी. मैं तुझ से सच कह रही हूं.’’

‘‘लेकिन कब तक?’’ सुषमा को राधा का प्रस्ताव कुछ अजीब सा लगा, ‘‘पर तेरे बेटे? वे क्या सोचेंगे?’’

‘‘यह घर मेरा है. मुझे अपने घर में किसी को बुलाने, रखने का पूरा हक है. वे दोनों तो खुश होंगे, कहेंगे, मम्मी, बहुत अच्छा किया जो सुषमा आंटी ने आप के साथ रहने का मन बना लिया है. अब हमें बेफिक्री रहेगी. कम से कम आप दो तो हो. सच तो यह है कि हम दोनों ने जीवन में वसंत को साथसाथ जिया. हर खुशी व तकलीफ में साथ थे. घरपरिवार के हरेक फैसले साथ लेते थे. आज भी हम साथ हैं. बेशक, यह उम्र का पतझड़ है, पर इसे हम वसंत की तरह तो जी सकते हैं. मेरे बेटे कहते हैं, ‘मम्मी, जो इस उम्र में साथ देता है वही सच्चा मित्र है. वे चाहे बच्चे हों, पड़ोसी हों या कोई और हो.’’’

‘‘राधा, तू कितनी खुश है जो ऐसी सोच वाले बच्चे हैं. एक मेरे…’’

‘‘ओह, तू फिर अपनों को कोसने लगी. छोड़ वह सब, आज में जीना सीख.’’

‘‘पर यह तो सोच, मैं यहां सारा दिन अकेली…’ सुषमा बोली थी.

‘‘नहीं, मेरे पास उस का भी तोड़ है. वह ऊपर की लाइब्रेरी तू संभालेगी.’’

‘‘मैं, इस उम्र में लाइब्रेरियन…’’

‘‘क्यों, मैं भी तो एनजीओ के लिए काम करती हूं. एक बात कहूंगी, यों खाली बैठ कर तू भी रोटी नहीं खाएगी. जानती हूं, पहचानती हूं तुझे और तेरे सम्मान को.’’

‘‘ठीक है, सोचूंगी.’’

दूसरे दिन सुबहसुबह खटरपटर सुन कर राधा ने रजाई से झांका, ‘‘कहां चली मैडम, सुबहसुबह?’’

‘‘लो, खुद ही तो नौकरी दिलाई. अरे, भूल गई? चल लाइब्रेरी तक तो छोड़ कर आ जा. पहला दिन है.’’

दोनों हंस रही थीं.

आज राधा ने कितने दिनों बाद सुषमा को खिलखिलाते देखा था. वही पहली वाली हंसी थी. कहीं मन में किसी ने कहा, खुशी ही तो जीवन की सब से नियामत है. इसे कहते हैं, पतझड़ में वसंत.

यह भी खूब रही एक बार मैं अपनी चाचीजी के साथ उन के पीहर गई. चाचीजी के पैर में पोलियो है, वे वाकर के सहारे से चलती हैं. उम्र 70 साल है. वे बहुत ही दुबलीपतली हैं. उन के पीहर का फ्लैट 5वें तले पर है. कुरसी पर बैठा कर 2 व्यक्ति उन्हें ऊपर चढ़ा देते हैं.

उस दिन हम ज्यों ही टैक्सी से उतरे, सामने झाकावला (बड़ी टोकरी में सामान ले जाने वाला) दिखाई दिया. उन्होंने उस से कहा, ‘‘भैया, इधर आ, सामान ढोएगा.’’

उस के हां कहने पर वे उस में बैठ गईं. झाकावाला उन्हें ऊपर ले गया. वहां पर सभी आश्चर्यचकित देखने लगे. फिर तो सब को बहुत हंसी आई. मैं भी जब इस घटना को याद करती हूं, मुसकराए बिना नहीं रहती.      अमराव बैद मैं अपने 5 साल के बेटे के साथ कुछ सामान खरीदने गई. उसी दुकान पर मेरे बेटे की ही कक्षा का लड़का भी अपने पिता के साथ कुछ खरीद रहा था. दोनों बच्चे आपस में बातें करने लगे. मैं ने अपने बेटे से कहा कि पास की ही दुकान से चौकलेट लेती हूं, आप बात कर के जल्दी आ जाइए.

मैं पास की दुकान पर चली गई. दुकानदार से कुछ टौफियां व 4 बड़ी चौकलेट मांगीं. दुकान पर कुछ मनचले युवक भी खडे़ थे. एक युवक ने कटाक्ष किया, ‘‘क्या बात है? टौफी खुद टौफी खाती है.’’

दूसरे ने कहा, ‘‘तभी तो टौफी जैसी है.’’

मैं ने गुस्से से उन की ओर देखा. दुकानदार ने मुझे पैकेट थमाते हुए कहा,

‘‘70 रुपए.’’

लड़का फिर बोला, ‘‘मैडम, गुस्सा क्यों दिखाती हैं, आज टौफियां हमारी ओर से ही खाइए.’’

यह कहने के साथ ही उस ने बड़ी शान से सौ रुपए का नोट दुकानदार की ओर उछाल दिया.

इतने में ही मेरा लड़का दौड़ते हुए आया और पूछा, ‘‘मम्मी, चौकलेट ले ली आप ने?’’

मैं ने हंसते हुए कहा, ‘‘बेटा, आज चौकलेट इन अंकल ने आप के लिए ली है.’’

बच्चे ने भी बड़े मजे से कहा, ‘‘थैंक्यू अंकल.’’

अब उन लोगों की शक्लें देखने लायक थीं. बचे पैसे दुकानदार मुसकराते हुए उन्हें लौटा रहा था और मैं मुसकराते हुए अपने बेटे के साथ दुकान से निकल रही थी.

मैं मैरिड हूं पर एक लड़की से प्रेम करता हूं, क्या करूं?

सवाल
मैं 21 वर्षीय विवाहित युवक हूं. मैं अपनी कालोनी में रहने वाली 16 वर्षीया लड़की से प्रेम करने लगा हूं. एक दिन तो मैं ने जब उसे मार्केट में देखा तो उसे प्रपोज तक कर दिया. अब तो वह मुझे देख कर अपना रास्ता बदलने लगी है. वह मुझे बहुत स्वीट लगती है. अगर वह मुझे नहीं मिली तो या तो मैं खुद को या फिर उसे नुकसान पहुंचा दूंगा. आप ही बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
आप एक तो विवाहित हैं, ऊपर से आप अपनी ही कालोनी में रहने वाली नाबालिग लड़की से चक्कर चलाने की सोच रहे हैं, जो सही नहीं है. इस से एक तरफ आप अपनी गृहस्थी उजाड़ रहे हैं और दूसरी तरफ ऐसी हरकतें कर के आप उसे परेशान कर रहे हैं. जबरदस्ती से कोई रिश्ता नहीं बनाया जा सकता. इसलिए उस का पीछा छोड़ कर अपने परिवार पर ध्यान दें और भूल कर भी न खुद को और न ही उसे नुकसान पहुंचाने की सोचें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

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