डा. विनय कुमार सिंह, डा. डीके सिंह

भारत के विभिन्न भागों में सहजन के पेड़ आसानी से देखे जा सकते हैं. ये गरमी के मौसम के शुरुआती समय में फली के रूप में फल देना शुरू कर देते हैं. इस के फल पेड़ पर कई दिनों तक रहते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.

इस पेड़ की फली व पत्ती में कार्बोहाइडे्रट, प्रोटीन, विटामिन-ए, बी व सी, कैल्शियम, फास्फोरस व लौह तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इस की एक ग्राम फली में नारंगी से 4 गुना ज्यादा विटामिन-सी, गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन-ए, दूध से 4 गुना ज्यादा कैल्शियम, केले से 3 गुना पोटैशियम, जई से 4 गुना ज्यादा रेशा व पालक से 9 गुना ज्यादा लोहा पाया जाता है.

सहजन के बीज

बीजों से 40 फीसदी खाद्य तेल निकलता है, जो गुणवत्ता में ओलिव औयल के समान होता है. बीजों के चूर्ण का उपयोग गंदे पानी को फिटकरी के मुकाबले ज्यादा साफ करता है और बैक्टीरिया को हटाता है. मलावी और अफ्रीका में इस के बीजों से बड़े पैमाने पर पानी साफ किया जाता है.

सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो एक मौश्चराइजर का काम करता है. इस का पेस्ट बना कर खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा को बेहतर बनाया जा सकता है.

इतना ही नहीं, इस के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है. त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्त्व कौस्मैटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है.

घरेलू कामों में इस्तेमाल

महिलाएं सहजन से कई प्रकार की सब्जियां बनाती हैं. इस के फूलों को भी कई जगहों पर खाने में इस्तेमाल किया जाता है. कुछ लोग इस की फली को दाल में डाल कर पका कर भी सेवन करते हैं.

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