15जून, 2022 को चंडीगढ़ सेक्टर-30 स्थित सीबीआई के औफिस में असिस्टेंट प्रोफेसर कल्याणी सिंह को तलब किया गया था. 7 साल पहले 20 सितंबर, 2015 को नैशनल शूटर और पेशेवर वकील सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू की हत्या में उन से कुछ सवाल किए जाने थे.
घटना की जांच कर रहे सीबीआई के डीएसपी आर.एल. यादव की सूचना पाते ही कल्याणी सिंह दोपहर के वक्त सीबीआई औफिस पहुंची. वह अकेले ही वहां गई थी. डीएसपी यादव अपने औफिस में अकेले बैठे थे और बेसब्री से कल्याणी के आने का इंतजार कर रहे थे.
कल्याणी सिंह को जैसे ही अपने औफिस में प्रवेश करते देखा, उन के चेहरे पर एक अजीब सी मुसकान थिरक उठी थी जैसे उन्होंने किसी यक्षप्रश्न का जवाब दे कर विजय प्राप्त कर ली हो. डीएसपी यादव ने सामने खाली पड़ी कुरसी पर कल्याणी को बैठने का इशारा किया.
‘‘हां, तो मिस कल्याणीजी, आप ठंडा या गरम दोनों में से क्या लेना पसंद करेंगी?’’ डीएसपी आर.एल. यादव ने औपचारिकतावश पूछा.
‘‘नो थैंक्स सर, न मुझे ठंडा चाहिए और न ही गरम. मुझे बताया जाए, मुझे यहां क्यों बुलाया गया है?’’ कल्याणी थोड़ी तल्ख लहजे में बोली.
‘‘चलिए कोई बात नहीं, ठंडा या गरम कुछ भी नहीं लेंगी आप की मरजी. मुझे घुमाफिरा कर बात करने की आदत नहीं है सो सीधे मुद्दे की बात करते हैं.’’
‘‘जी बताएं, मुद्दा क्या है?’’ कल्याणी ने पूछा.
‘‘मुद्दा ये है कि आप को सुखमनप्रीत सिंह की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया जाता है. 7 सालों से आप ने…’’ डीएसपी यादव के सुर अचानक से तल्ख हो गए, ‘‘आप ने पुलिस और कानून को बहुत छकाया है. सारे सबूत आप के खिलाफ हैं, इसलिए आप को सरकारी मेहमान बनाए जाने से अब कोई नहीं रोक सकता. इस वक्त आप सीबीआई की हिरासत में हो.’’
डीएसपी यादव का इतना कहना था कि कल्याणी सिंह के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. पलभर के लिए उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे.
कल्याणी के गिरफ्तार होते ही यह खबर मीडिया तक पहुंच गई. कल्याणी सिंह कोई मामूली शख्सियत नहीं थी. वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की एक जज की बेटी थी और खुद भी एक कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थी.
मीडिया में खबर फैलते ही मीडियाकर्मी सीबीआई औफिस के बाहर जमा होने लगे. यह खबर भी मीडिया में फैल गई कि नैशनल लेवल के शूटर रहे सिप्पी सिद्धू की हत्या के आरोप में कल्याणी सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है.
उसी दिन कल्याणी को कस्टडी में ले कर सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया और पूछताछ के लिए 2 दिन की रिमांड पर ले लिया.
सीबीआई जब तक अपनी कानूनी काररवाई करने में जुटी हुई है,तब तक हम अपने पाठकों को सिप्पी और कल्याणी के जीवन के अतीत में ले चलते हैं, जहां दोनों का बचपन साथसाथ बीता. साथसाथ जवान हुए. बचपन की दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. शादी भी करना चाहते थे.
फिर दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि प्रेमिका ही प्रेमी की कातिल करार दी गई? जिसे सुलझाने में सीबीआई को 7 साल लग गए और कातिलों को पकड़ने के लिए सीबीआई को 10 लाख रुपए का ईनाम भी घोषित करना पड़ा. तो आइए, पढ़ते हैं इस दिलचस्प मर्डर मिस्ट्री को, जो फिजाओं में तैरती हुई ऐसे सामने आई—
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस.एस. सिद्धू के पोते और एडिशनल एडवोकेट जनरल इंद्रपाल सिंह के बेटे के रूप में जन्म लिया सिप्पी सिद्धू ने, जिन का कागजों में नाम सुखमनप्रीत सिंह था. बाद में इंद्रपाल सिंह के घर में एक और बेटे ने जन्म लिया जिस का नाम जिप्पी उर्फ जसमनप्रीत सिंह रखा गया.
एक कहावत है पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं, कुछ ऐसा ही सिप्पी के साथ भी हुआ. विलक्षण प्रतिभा के धनी सिप्पी को पढ़ाई के साथसाथ निशानेबाजी का भी शौक था. जैसेजैसे वह बड़ा होता गया, उस का निशानेबाजी का शौक सिर चढ़ कर बोलने लगा.
बेटे की निशानेबाजी के प्रति गहरी दिलचस्पी देख मां दीपइंद्र कौर और पिता इंद्रपाल सिंह ने उसे एक कुशल शूटर बनने में पूरी मदद की.
हाईप्रोफाइल परिवार से हैं दोनों
मोहाली के फेज-3बी/2 की जिस कोठी में इंद्रपाल सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे, उसी फेज में सबीना भी रहती थीं. वह हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जज थीं. वह उन की पड़ोसन थीं.
सबीना सिंह के घर में कल्याणी सिंह एकलौती संतान थी. वही उन की आंखों का नूर और बुढ़ापे की लाठी थी. बड़े लाड़प्यार से पालपोस कर उन्होंने उसे बड़ा किया था.
देखा जाए तो दोनों ही परिवार हाई सोसायटी और उच्चशिक्षित थे. दोनों घरों में संस्कार की गंगा बहती थी. दोनों परिवारों के बच्चे यानी सिप्पी और कल्याणी ने अच्छी शिक्षा हासिल की.
कल्याणी और सिप्पी का गहराता गया प्यार
कल्याणी और सिप्पी का बचपन एक साथ बीता. एक ही स्कूल में दोनों पढ़े. साथसाथ खेलेकूदे और बड़े भी हुए. बचपन से ही दोनों एकदूसरे के दोस्त थे. जैसेजैसे वे बड़े होते गए, वैसेवैसे उन की यह दोस्ती प्यार में बदलती गई. सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे को पसंद करने लगे थे और शादी भी करना चाहते थे.
चूंकि 30 सालों से दोनों परिवार एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे, दोनों ही समाज में हैसियत वाले थे तो उन्हें बच्चों की खुशियों से कोई शिकायत नहीं थी, बल्कि इंद्रपाल सिंह तो कल्याणी को अपने घर की बहू बनाने को रजामंद हो गए थे.
उस दिन से सिप्पी और कल्याणी का प्यार और भी गहराता गया. सामाजिक दायरे में रहते हुए दोनों जहां घूमनेफिरने का मन होता था, मांबाप से इजाजत ले कर चले जाते थे. उन्हें परिवार का कोई सदस्य रोकताटोकता नहीं था क्योंकि सभी जानते थे कि दोनों की जल्द ही शादी होने वाली है.
सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुन कर बड़े खुश थे और जन्मजन्मांतर तक ऐसे ही एकदूसरे का साथ पाने की कसमें खाते थे.
लेकिन नियति को कौन टाल सकता है. सिप्पी और कल्याणी के साथ भी कुछ ऐसा हुआ, जिस की कल्पना उन्होंने सपने में भी नहीं की थी.
बात 7 साल पहले 20 सितंबर, 2015 की है. शाम हो रही थी. घर में मां दीपइंद्र कौर, सिप्पी और उस का छोटा भाई जिप्पी थे. पिता की किसी अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी थी.
उस समय सिप्पी छोटे बच्चे की तरह गोद में सिर छिपाए कनाडा की बातें कर रहा था, जहां से 2 दिन पहले ही शूटिंग कर के लौटा था. जिप्पी भी वहीं पास बैठा भाई की दिलचस्प बातें सुन रहा था. उसी समय सिप्पी के मोबाइल फोन पर एक काल आई.
मोबाइल स्क्रीन पर उभरे नंबर को सिप्पी ने बड़े ध्यान से देखा. वह एक अज्ञात नंबर था. उस ने काल रिसीव की और वहां से उठ कर घर से बाहर निकलते हुए मां से कहा, ‘‘एक जरूरी काल आई है. बाहर कोई मेरा इंतजार कर रहा है. उस से मिल कर आता हूं.’’
सिप्पी को घर से निकले घंटों बीत गए थे लेकिन न तो वह खुद लौटा और न ही काल कर के घर वालों को कुछ बताया. जब रात काफी गहरा गई तो मां और छोटे भाई जिप्पी को उस की चिंता हुई.
हैरत तो इस बात की थी कि उस का फोन भी नहीं लग रहा था. काल करने पर बारबार स्विच्ड औफ आ रहा था.
जिप्पी भाई के परिचितों और दोस्तों को फोन करने लगा तो पता चला कि वह उन में से किसी के वहां नहीं गया था.
बात चिंता की थी. आखिर सिप्पी अचानक कहां गायब हो गया. बेटे को ले कर बूढ़ी मां की घबराहट बढ़ती जा रही थी. उस रात ही उन्होंने गुरुद्वारे जा कर मत्था टेका और वाहेगुरु से बेटे की सलामती की दुआ मांगी.
उसी रात करीब 2 बजे सेक्टर-26 थाने, जो राजधानी चंडीगढ़ में पड़ता है, की इंसपेक्टर पूनम दिलावरी ने सिप्पी के घर वालों को फोन कर के सूचना दी कि आप के बेटे का एक्सीडेंट हुआ है. वह चंडीगढ़ के जिला अस्पताल में भरती है. आ कर तुरंत मिल लें.
पुलिस के फोन ने बढ़ा दी बेचैनी
पुलिस को यह नंबर सिप्पी की जेब में पडे़ एक परिचयपत्र के जरिए मिला था. इसी कार्ड से उस का नाम और पता भी ज्ञात हुआ था.
इतनी रात गए पुलिस का फोन आने से मांबेटे घबरा गए. वे उसी रात जिला अस्पताल पहुंचे, जहां इंसपेक्टर ने उन्हें पहुंचने के लिए कहा था. रास्ते भर दीपइंद्र कौर प्रार्थना करती रहीं कि उन का बेटा कुशल से हो.
जिप्पी तेज स्पीड से कार चला रहा था. लगभग आधा घंटे बाद वे जिला अस्पताल पहुंच गए. अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस वालों को देख कर वे घबरा गए. वे समझ नहीं पाए कि यहां इतनी पुलिस क्यों है. कोई बात तो नहीं हुई.
खैर, अस्पताल के गेट पर ही इंसपेक्टर पूनम दिलावरी से दोनों की मुलाकात हो गई. वह उन्हीं के इंतजार में थीं. पूनम दिलावरी ने दीपइंद्र कौर को बताया, ‘‘मुझे दुख है कि आप का बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा. किसी ने रात में गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी. उस की खून से सनी लाश चंडीगढ़ सेक्टर-27 के नेबरहुड पार्क के पास मिली थी. बात ऐसी थी, इसलिए मुझे आप से झूठ बोलना पड़ा.’’
राष्ट्रीय स्तर का शूटर था सिप्पी सिद्धू
बेटे की हत्या की बात सुनते ही दीपइंद्र कौर पछाड़ खा कर गिर गईं. उन्हें बेटे जिप्पी और अन्य पुलिसकर्मियों ने संभाला. पुलिस से ही पता चला कि उसे 4 गोलियां मारी गई थीं. घटनास्थल से पुलिस ने आईफोन बरामद किया, जिसे अपने में ले लिया था.
पुलिस ने आवश्यक काररवाई कर सिद्धू की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी थी. इस के बाद मृतक के छोटे भाई जिप्पी सिद्धू से एक लिखित तहरीर ले कर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी. यह सारी काररवाई 20/21 सितंबर, 2015 की सुबह होतेहोते पूरी कर ली गई थी.
35 वर्षीय सिप्पी सिद्धू कोई मामूली शख्सियत नहीं था. वह राष्ट्रीय स्तर का शूटर और एक जानामाना वकील था. अपनी अचूक निशानेबाजी से उस ने कई मैडल जीत कर खानदान का नाम रौशन किया था. यही नहीं उस के दादा एस.एस. सिद्धू एक जस्टिस थे तो पिता इंद्रपाल सिंह पंजाब के एडिशनल एडवोकेट जनरल रह चुके थे.
अगली सुबह जैसे ही सिप्पी की हत्या की खबर फैली, पंजाब और हरियाणा में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी. सिप्पी के प्रशंसकों ने मोहाली और चंडीगढ़ में तोड़फोड़ शुरू कर दी थी. इसी बात से चंडीगढ़ पुलिस डर रही थी. सिप्पी के हत्यारों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी को ले कर कई दिनों तक चले उग्र आंदोलन में तब विराम लगा, जब जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को सिप्पी के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेने का आश्वासन दिया.
नैशनल शूटर सिप्पी सिद्धू के घर वालों के बयानों के आधार पर हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस के निशाने पर हाईकोर्ट की जज सबीना सिंह की बेटी कल्याणी सिंह आई. सिप्पी के घर वालों का आरोप था कि सिप्पी और कल्याणी एकदूसरे से प्यार करते थे और शादी भी करना चाहते थे लेकिन सिप्पी के शादी से इंकार करने की वजह से कल्याणी ने उस की हत्या करवा दी.
सिप्पी की मां दीपइंद्र कौर ने जांच अधिकारी पूनम दिलावरी को बयान दिया था कि जिस वक्त सिप्पी को फोन आया था, वह आराम से मेरे आंचल में सिर डाले बातें कर रहा था. अभी 2 दिन पहले ही वह कनाडा से लौटा था. वहीं की बातें हम से शेयर कर रहा था तभी उस के फोन की घंटी बजी थी.
काल रिसीव कर उस ने बताया था कि कल्याणी का फोन है. उस ने मुझे मिलने के लिए बुलाया है. उस से मिल कर थोड़ी देर में आ रहा हूं. मेरा बेटा लौट कर तो नहीं आया लेकिन उस की मौत की खबर आ गई. कल्याणी ने जिस नंबर से काल की थी, वह उस का नंबर नहीं था. कल्याणी से कड़ाई से पूछताछ की जाए ते दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
पुलिस की जांच रही बेनतीजा
जिस कल्याणी सिंह पर मृतक के घर वालों ने हत्या का आरोप लगाया था, पुलिस ने उसे थाने बुला कर मामूली पूछताछ की और छोड़ दिया. धीरेधीरे 8 महीने बीत गए थे. चंडीगढ़ पुलिस जांच करती रही लेकिन नतीजा शून्य रहा. शायद किसी ताकतवर शख्सियत के प्रभाव में आ कर पुलिस चुपचाप बैठचुकी थी.
सिप्पी के छोटे भाई जिप्पी और उस के मामा नपिंदर सिंह पुलिस के नकारात्मक रवैए से काफी दुखी थे क्योंकि पुलिस जांच के नाम पर कुछ कर ही नहीं रही थी.