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Monsoon Special: मच्छर हैं कि भागते नहीं

बारिश का मौसम भले ही गरमी से राहत दिलाता हो लेकिन इस की दूसरी कई समस्याएं भी हैं. इन दिनों मच्छरों से होने वाली बीमारियां डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया आदि का प्रकोप बढ़ जाता है. आज बाजार में तरहतरह के मौस्क्यूटो रिपलैंट जैसे कौइल से ले कर कार्ड तक, स्प्रे से ले कर क्रीम तक उपलब्ध हैं. इन के अलावा इलैक्ट्रौनिक मच्छर मार डिवाइस और ऐप भी उपलब्ध हैं. अल्ट्रासाउंड पैदा करने वाले ऐंटीमौस्क्यूटो डिवाइस भी बाजार में आ चुके हैं. इन्हें बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि ये डिवाइस हाई फ्रिक्वैंसी पर एक विशेष तरह का साउंड निकालते हैं. यह अल्ट्रासोनिक साउंड मच्छरों को पास फटकने से रोकता है.

इन के अलावा मच्छर भगाने का दावा करने वाले कुछ मोबाइल ऐप भी आ चुके हैं. कहने का मतलब यह कि आज मच्छरों से निबटने के लिए बाजार में इतना कुछ मौजूद है, लेकिन मच्छर हैं कि भागते नहीं. घरघर में विभिन्न कंपनियों के कौइल, स्प्रे, क्रीम आदि का इस्तेमाल हो रहा है. नित नए रिपलैंट बाजार में आ रहे हैं. मगर इस के प्रयोग से मच्छर भागते नहीं. इस से साफ हो जाता है कि यह मुनाफे का कारोबार है. भारत में यह क्व5-6 सौ करोड़ का कारोबार है. इतना ही नहीं, इस कारोबार में हर साल 7 से ले कर 10% तक वृद्धि भी हो रही है. मगर रिपलैंट का कारोबार जितना फूलफल रहा है, मच्छरों का प्रकोप भी उतना ही बढ़ रहा है.

वैसे वैज्ञानिक तथ्य यह भी बताते हैं कि जितना दमदार रिपलैंट बाजार में आता है, मच्छर अपने भीतर उस से लड़ने की उतनी ही ताकत पैदा कर लेते हैं. अगर ऐसा ही है तो इस का मतलब साफ है कि जितना ऐडवांस रिपलैंट बाजार में आता है इनसानों के लिए वह उतना ही बड़ा खतरा बन जाता है, क्योंकि मच्छर उस से निबट लेते हैं.

स्वास्थ्य पर रिपलैंट का प्रभाव

हालांकि रिपलैंट बनाने वाली सभी कंपनियों को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड में पंजीकरण करवाना पड़ता है. पर बोर्ड का काम इतना ही है. एक बार पंजीकरण की प्रक्रिया खत्म हो जाने के बाद कीटनाशकों के सेहत पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव की निगरानी करने की कोई मशीनरी नहीं है. रिपलैंट समेत आजकल बाजार में पाए जाने वाले पर्सनल केयर उत्पाद, रूम फ्रैशनर से ले कर सुगंधित साबुन और डिटर्जैंट पाउडर या लौंड्री उत्पाद तक उपलब्ध हैं.यूनिवर्सिटी औफ वाशिंगटन में वैज्ञानिकों के शोध से पता चलता है कि चाहे वे किसी भी नामीगिरामी कंपनी के बने क्यों न हों उन में रासायनिक खुशबू का इस्तेमाल होता है, जिस का सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता ही है.

दअसल, इन में खुशबू पैदा करने के लिए ऐसिटोन, लाईमोनेन, ऐसिटल्डिहाइड, बैंजीन, ब्यूटाडाइन, बैंजो पाइरेन आदि विभिन्न तरह के रासायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इन का सब से बुरा असर स्नायुतंत्र पर पड़ता है. दमा, फेफड़ों की बीमारी, जेनेटिक विकृतियां, ब्लड कैंसर आदि का भी इन से खतरा होता है. इस के अलावा कुछ लोगों में ऐलर्जी, आंखों में जलन की भी शिकायत हो जाती है.

उम्मीद की किरण

मच्छरों से पनपने वाली बीमारियों और उन से होने वाली मौतों के बीच एक उम्मीद जगाने वाली खबर भी है. कोलकाता राजभवन में मच्छरमार और रोकथाम अभियान के दौरान कोलकाता नगर निगम के कीटपतंग विभाग के देवाशीष विश्वास को कुछ ऐसे मच्छरों का पता चला, जो इनसानों को नुकसान पहुंचाने के बजाय उलटा जानलेवा मच्छरों का सफाया करते हैं. सामान्य तौर पर इस मच्छर का नाम ऐलिफैंट मौस्क्यूटो है. इस प्रजाति के मच्छर इनसानी खून के प्यासे होने के बजाय डेंगू के ऐडिस एजिप्टाई लार्वा चट कर जाते हैं.

बताया जाता है कि चीन मच्छर नियंत्रण के लिए मच्छरों का ही इस्तेमाल कर रहा है. दक्षिण चीन में वैज्ञानिकों का एक दल इंजैक्शन के सहारे मच्छरों के अंडों में ओलवाचिया नामक बैक्टीरिया का प्रवेश कर बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छर को छोड़ देता है. चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि ये संक्रमित नर मच्छर जब किसी असंक्रमित मादा मच्छर के साथ मिलन करते हैं तो यह बैक्टीरिया मादा मच्छर में प्रवेश कर जाता है और मच्छरजनित बीमारियों के जीवाणुओं का खात्मा कर देता है. वहीं सिंगापुर और थाईलैंड में हाथी मच्छर नाम की विशेष प्रजाति के मच्छरों का इस्तेमाल मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों पर नियंत्रण करने में किया जाता है. इसीलिए निगम इस उपकारी मच्छर के लार्वा को डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के उत्पात से त्रस्त इलाकों में फैलाने की तोड़जोड़ कर रहा है.

गौरतलब है कि कोलकाता डेंगू के ऐडिस मच्छरों की राजधानी बन गया है. इस से पहले ऐडिस मच्छरों का स्वर्ग दिल्ली थी. अगर श्रीलंका मच्छरजनित बीमारियों पर विजय प्राप्त कर सकता है, चीन, सिंगापुर और थाईलैंड मच्छरों पर नियंत्रण कर सकते हैं, तो भारत क्यों नहीं? पूरे देश में हाथी मच्छर के जरीए जानलेवा मच्छरों पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए.

मच्छर के काटने पर अपनाएं कुछ घरेलू उपाय

– नीबू के रस को मच्छर द्वारा काटे गए स्थान पर रगड़ लें. मच्छर के काटने से होने वाली खुजली में तुरंत आराम मिलेगा, साथ ही संक्रमण का खतरा भी जाता रहेगा.

– नीबू के रस में तुलसी का मसला पत्ता मिला कर लगाया जा सकता है.

– ऐलोवेरा जैल को 10-15 मिनट फ्रिज में रख कर काटे गए स्थान पर लगाने से भी आराम मिलता है.

– लहसुन या प्याज का पेस्ट सीधे प्रभावित स्थान पर मल लें. कुछ देर तक पेस्ट को लगा रहने दें. फिर अच्छी तरह धो लें. लहसुन या प्याज की गंध से भी मच्छर भागते हैं.

– बेकिंग सोडा को पानी में घोल रुई का फाहा उस में भिगो कर प्रभावित स्थान पर लगा कर 10-12 मिनट छोड़ दें. फिर कुनकुने पानी से धो लें आराम मिलेगा.

– बर्फ के टुकड़े को 10-12 मिनट तक कुछकुछ समय के अंतराल पर काटे गए स्थान पर रखें. बर्फ न होने पर ठंडे पानी की धार को कुछ देर तक प्रभावित जगह पर डालें.

– टूथपेस्ट भी खुजली पर असरदार होता है. थोड़ा सा पेस्ट उंगली में ले कर मच्छर द्वारा काटे गए स्थान पर मलें. आराम मिलेगा.

– प्रभावित स्थान पर कैलामाइन लोशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. दरअसल, कैलामाइन लोशन में जिंक औक्साइड और फेरिक औक्साइड जैसे तत्त्व होते हैं, जो खुजली के साथसाथ संक्रमण रोकने में भी कारगर होते हैं

Manohar Kahaniya: आनंदलोक की सैर का हर्जाना

राजस्थान के नागौर जिले का मकराना कस्बा संगमरमर पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी मकराना कस्बे में तमाम ऐसे व्यवसायी हैं, जो मार्बल व्यवसाय कर के हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं.  मकराना के दीपक भी मार्बल व्यवसायी हैं. घरपरिवार से संपन्न दीपक हैंडसम ही नहीं दिल के भी भले आदमी हैं. गरीबों की वह अकसर मदद किया करते थे. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी. दीपक को मार्बल व्यवसाय से लाखों रुपए की कमाई हर महीने होती थी. वह बनठन कर रहते थे.

दीपक की हर रोज कई लोगों से मुलाकात होती रहती थी. कभी किसी व्यक्ति को रुपएपैसे की जरूरत पड़ती थी तो वह दीपक से अपना दुखड़ा कह देता. दीपक से उस का दुख देखा नहीं जाता था. वह मांगने वाले की मदद कर के दिल में सुकून महसूस करते थे.

दीपक का अपना खुशहाल परिवार था. मातापिता, भाईबहन, पत्नी और बच्चे. सभी खुशहाल और इज्जत से जीवन जी रहे थे.

यह बात आज से 3 साल पहले की है. दीपक के मोबाइल पर एक काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो, दीपक बोल रहा हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘दीपकजी, नमस्कार. मैं गुणावती गांव से रेखा कंवर बोल रही हूं. पहचाना मुझे?’’ फोन करने वाली युवती ने कहा.

तब दीपक बोले, ‘‘रेखा कंवर! मुझे कुछ याद नहीं आ रहा. बोलिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘दीपकजी, गुणावती गांव के जनरल स्टोर पर और ब्यूटीपार्लर में आप से कई बार मुलाकात हो चुकी है. अब पहचाना?’’ युवती बोली.

दीपक को अब कुछकुछ याद आया. वह बोले, ‘‘अच्छा, तो आप जनरल स्टोर की मालकिन रेखाजी बोल रही हैं. पहचान लिया. कहिए, कैसे याद किया?’’

‘‘दीपकजी, मैं बहुत परेशान हूं और इसी वक्त आप से मिलना चाहती हूं. मैं इस समय जनरल स्टोर पर आप का इंतजार कर रही हूं. मुझे आप पर पूरा भरोसा है कि आप अवश्य आ कर मेरा दुख और परेशानी दूर करेंगे.’’

‘‘ऐसी क्या परेशानी है, जिस से आप दुखी हैं. जरा बताएंगी?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘आप यहां आ जाएं, फिर सब बता दूंगी. प्लीज दीपकजी, जल्दी आइएगा. मैं इंतजार कर रही हूं.’’ रेखा कंवर ने विनती भरे स्वर में कहा.

दीपक को लगा कि रेखा को जरूर कोई परेशानी है. दीपक से किसी की परेशानी या दुख देखा नहीं जाता था. वह बिना कुछ सोचेविचारे गाड़ी ले कर उसी वक्त मकराना से गांव गुणावती के लिए चल दिए.

थोड़ी देर बाद दीपक रेखा कंवर के जनरल स्टोर पर पहुंच गए. उस वक्त जनरल स्टोर पर रेखा कंवर अकेली थी. दीपक के आते ही रेखा ने दुकान बंद की. वह दीपक की गाड़ी में बैठ कर अपने घर आ गई. उस का घर पास में ही था.

दीपक भी उस के साथ उस के घर में आ गया. दोनों जब कमरे में पहुंचे तो रेखा कंवर ने कमरे का दरवाजा बंद कर अंदर से कुंडी लगा दी. दीपक ने रेखा को कुंडी लगाते देखा तो वह बोला, ‘‘कुंडी क्यों लगाई? दरवाजा खोल कर बात करना ठीक नहीं रहेगा क्या?’’

सुन कर रेखा बोली, ‘‘ऐसी बातें बंद दरवाजों के पीछे ही ठीक हैं.’’

कहने के साथ रेखा कंवर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. रेखा को कपड़े उतारते देख दीपक डरते हुए बोला, ‘‘रेखाजी, यह क्या कर रही हैं? मैं जा रहा हूं.’’

कहने के साथ ही दीपक कुंडी खोलने लगा. तभी रेखा ने उस का कुंडी वाला हाथ पकड़ कर अपने शरीर पर रखते हुए कहा, ‘‘अगर मेरा कहना नहीं मानोगे तो मैं हल्ला मचा कर लोगों को इकट्ठा कर के बताऊंगी कि तुम मेरे साथ रेप कर रहे थे. बेहतर होगा कि मेरा साथ दो. मेरा दिल तुम पर आ गया था.

‘‘मेरी जैसी गोरी व खूबसूरत युवती को इस हालत में देख कर भी तुम ऐसे भाग रहे हो जैसे मैं मर्द हूं और तुम औरत और मैं तुम्हारे साथ रेप करने वाली हूं. सोचना छोड़ो और आओ आनंदलोक की सैर करो.’’

कहने के साथ ही रेखा ने दीपक की कमीज भी उतार दी. दीपक इज्जतदार था. वह सोच रहा था कि अगर कोई ऐसे वक्त पर यहां आ गया और उस ने रेखा के साथ बंद कमरे में देख लिया तो इज्जत का जनाजा निकल जाएगा.

दीपक जान छुड़ाने की कोशिश कर रहा था. वहीं रेखा कंवर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने को उतावली हो रही थी. दीपक के न…न करने पर भी रेखा नहीं मानी और उस ने दीपक को भी कपड़ों से मुक्त कर दिया.

दीपक समझ गया था कि वह गलत युवती के पास आ गया है. अब जान छुड़ानी है तो इस के साथ शारीरिक संबंध बनाने ही पडें़गे.

दीपक ने लोकलाज छोड़ कर रेखा कंवर को बांहों में भरा और बिस्तर पर आ गया. इस के बाद दोनों के तन एकदूसरे से रगड़ने लगे. सांसों का तूफान उठा और कमरे का तापमान बढ़ गया.

रेखा गोरी रंगत की सुंदर युवती थी. उस समय रेखा 29 वर्ष की और दीपक 50 साल का था. रेखा के तन में काफी देर बाद दीपक ने अपने तन की गरमी उड़ेल कर रेखा को चूमते हुए कहा, ‘‘सच में आनंदलोक की सैर करा दी. बड़ा मजा आया.’’

सुन कर रेखा मंदमंद मुसकरा कर बोली, ‘‘मुझे तो तुम से भी ज्यादा मजा आया. आज के बाद मैं जब भी फोन करूं या तुम्हारा मन हो फोन कर के आ जाना. दोनों इसी तरह खूब मौजमस्ती किया करेंगे. आज से हम दोनों दोस्त नहीं प्रेमी हैं.’’

सुन कर दीपक बोला, ‘‘मैं डर रहा था कि कोई आ जाएगा तो मेरी इज्जत चली जाएगी. आगे से हम पूरी सावधानी से प्रेमिल संबंध जारी रखेंगे डार्लिंग.’’

उस दिन दोनों ने शारीरिक संबंध बनाने के बाद एकदूजे से विदा ली. दीपक बहुत खुश था. उस ने कभी सोचा भी न था कि एक दिन हूर जैसी युवती उस पर इस तरह फिदा हो कर पके आम सी उस के पहलू में आ गिरेगी.

3 साल पहले शुरू हुआ यह शारीरिक संबंधों का खेल अकसर दीपक और रेखा दोहराने लगे. रेखा का जब मन होता, वह दीपक के मोबाइल पर फोन कर के उसे अपने जनरल स्टोर या घर पर बुला लेती. फिर दोनों रेखा के घर में बंद कमरे में कपड़ों से मुक्त हो कर एकदूजे में समा जाते.

अधेड़ उम्र में दीपक उस का ऐसा दीवाना हुआ कि वह रुपएपैसे से रेखा की दिल खोल कर मदद करने लगा. रेखा का बचपन से सपना था कि वह किसी अमीर युवक से शादी कर के मौजमस्ती की जिंदगी बिताए. मगर गरीब मातापिता के लिए जब रोटी का जुगाड़ करना ही मुश्किल था तो ऐसे में महत्त्वाकांक्षी बेटी के लिए धनवान युवक से शादी करना सपने जैसा था.

रेखा जब जवान हुई, तब उस के मातापिता ने उस के योग्य वर की खोज शुरू की. उन की मेहनत रंग लाई और रेखा कंवर की शादी नागौर जिले के मकराना थानांतर्गत गुणावती गांव के विक्रम सिंह के साथ आज से करीब 8-9 साल पहले हो गई थी.

रेखा कंवर दुलहन बन कर जब ससुराल पहुंची तो उस के सारे अरमान बिखर गए. जैसा स्मार्ट व धनवान जीवनसाथी रेखा को चाहिए था, विक्रम वैसा नहीं था.

विक्रम सिंह गरीब था. वह कच्चे घर में रहता था और मार्बल फैक्ट्री में मार्बल कटिंग का काम करता था. कहने का मतलब यह कि विक्रम सिंह मजदूरी कर के परिवार का पालनपोषण करता था.

रेखा ने अपनी किस्मत को कोसा और पति विक्रम सिंह के साथ किसी तरह जीवन गुजारने लगी. रेखा जब अपना कच्चा मकान देखती तो उसे बहुत दर्द होता. वह चाहती थी कि उस का मार्बल का पक्का मकान हो. घर में वे सब सुखसुविधाएं हों जो एक साधनसंपन्न व्यक्ति के घर में होती हैं.

जैसी सोच थी रेखा की, उसी के अनुसार वह योजना बना रही थी. रेखा अब तक यह समझ गई थी कि अगर वह पति के भरोसे बैठी रही तो उस की इच्छाएं अधूरी ही रहेंगी. विक्रम को मजदूरी के इतने पैसे मिलते थे कि उस से बड़ी मुश्किल से रोटी का ही जुगाड़ हो पाता था.

विक्रम और रेखा अपने संयुक्त परिवार से अलग हो कर कच्चा मकान बना कर रहने लगे. रेखा का ख्वाब था पैसों में खेलना और ऐशोआराम से जीवन जीना. जब उस के ख्वाब अधूरे ही रहे तो उस ने गुणावती गांव में फैंसी जनरल स्टोर व ब्यूटीपार्लर खोल लिया. इस से थोड़ी आर्थिक स्थिति जरूर सुधरी, मगर वह जैसा चाहती थी वैसा कुछ नहीं हुआ.

रेखा कंवर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती थी. उस ने सोशल मीडिया के जरिए दीपक से बात करनी शुरू की और फिर चंद मुलाकातों में ही रेखा जान गई कि अगर उस के ख्वाब पूरे होने हैं तो दीपक से दोस्ती करनी होगी.

दीपक से जानपहचान बढ़ा कर उसे तकलीफ में होने की बात कह कर गांव गुणावती बुला कर अपने घर में ले जा कर शारीरिक संबंध बना लिए. उस के बाद रेखा कंवर अकसर दीपक को फोन कर के अपने घर बुला कर शारीरिक संबंध बनाती थी.

दीपक सोचता था कि रेखा का दिल उस पर आया है, इस कारण वह उस से शारीरिक संबंध बनाती है. दीपक की रेखा से गहरी छनने लगी. रेखा जबतब बहाने बना कर उस से रुपए भी ऐंठती रहती थी.

रेखा ने अपने पति विक्रम सिंह और गांव के लोगों से दीपक का परिचय अपने धर्मभाई के रूप में कराया था. रेखा कहती थी कि दीपक उस का धर्मभाई है, जो सगे भाई से भी बढ़ कर है. वह रुपएपैसे से उस की मदद करता है.

रेखा जब पैसा घर लाती तब पति पूछता, ‘‘रेखा, ये रुपए कहां से आए?’’

सुन कर रेखा कहती, ‘‘दीपक भैया ने दिए हैं. वह कहते हैं कि मैं ऐश करूं और बहन मुसीबत में दिन गुजारे. यह उन्हें अच्छा नहीं लगता है. दीपक भैया हालचाल पूछते रहते हैं. हमारी आर्थिक स्थिति देख कर मेरे लाख मना करने के बाद भी कसम दिला कर रुपएपैसे देते हैं.’’

सुन कर बेचारा पति विक्रम इसे ही सच मान लेता था. उसे भनक तक नहीं लगी थी कि उस की बीवी दीपक के साथ क्या खेल कर रही है. वह समझता था कि दीपक अच्छाभला आदमी है.

पिछले साल रेखा कंवर ने अपना कच्चा घर तोड़ कर मार्बल का मकान बनवाना शुरू कर दिया था. तब भी रेखा ने विक्रम से कहा कि उस का धर्मभाई दीपक मकान बनाने में दिल खोल कर मदद कर रहा है.

विक्रम को और क्या चाहिए था. वह आंखें मूंद कर पत्नी पर विश्वास करता था. वहीं रेखा अपने पति से विश्वासघात कर रही थी. वह धर्मभाई बने दीपक की बांहों में झूला तो झूलती ही थी, विदेशी पोर्न फिल्मों की नायिका की तरह दीपक से कई पोजीशन में शारीरिक संबंध बना कर उस की तबीयत खुश कर देती थी.

दीपक पिछले काफी समय से चिंतित व गुमसुम सा रहने लगा था. उस के घर वालों ने पूछा भी कि वह गुमसुम सा क्यों लग रहा है. मगर दीपक यह कह देता कि मुझे किस बात की चिंता होगी. आप लोगों का वहम है.

मगर परिजन व मित्रों को लगता था कि दीपक डराडरा सा रहता है. उस के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थीं. वह 16 अप्रैल, 2022 के बाद से एकदम गुमसुम व चिंतित हो गया. उस की जीने की इच्छा खत्म हो गई थी. उस के मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे थे.

दीपक ने आत्महत्या करने की ठान ली. उस ने इस बात की चर्चा किसी से नहीं की. दीपक ने सुसाइड करने से पहले एक बार अपनी बहन से मिल कर आने के बाद सुसाइड करने का मन में पक्का विचार कर लिया.

वह 22 अप्रैल, 2022 को मकराना से अपनी बहन से मिलने जयपुर पहुंचा. बहन ने भाई की हालत व गुमसुम सा देखा. तब उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है भाईसाहब, आप बहुत दुखी लग रहे हैं. जो भी बात हो कह दो. शायद मैं कुछ मदद कर सकूं.’’

सुन कर दीपक सुबकने लगा. बहन ने सांत्वना दे कर चुप कराया. तब दीपक बोला, ‘‘मुझे एक औरत और 2 आदमी मिल कर हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल कर रहे हैं. उन लोगों ने मुझ से 31 लाख रुपए ले लिए हैं. एक हफ्ते पहले उन लोगों ने मेरा उस महिला के साथ अश्लील वीडियो भेज कर 50 लाख रुपए मांगे हैं. रुपए नहीं देने पर अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे रहे हैं. मैं उन के जाल में बुरी तरह फंस गया हूं. मैं रुपए दूंगा तब वे और डिमांड करेंगे और नहीं दूंगा तो वे लोग वीडियो वायरल कर देंगे. इज्जत जाए उस से पहले मैं सुसाइड कर रहा हूं.’’

सुन कर बहन बोली, ‘‘वह औरत कौन है उस के साथ जो 2 लोग हैं, वे कौन हैं?’’

इस के बाद दीपक ने रेखा कंवर से मिलने के बाद से अब तक की पूरी कहानी विस्तार से सुना दी. सुन कर बहन बोली, ‘‘योजना के तहत रेखा ने तकलीफ में होने का नाटक कर तुम्हें घर बुलाया. इस के बाद कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतार कर तुम्हें डराधमका कर शारीरिक संबंध बनाए. उस की वीडियो बना ली ताकि भविष्य में तुम्हें ब्लैकमेल कर के रुपए ऐंठ सके. तुम मेरे साथ मकराना थाने चलो. वहां हम रिपोर्ट कर के इस गैंग को गिरफ्तार करा देंगे.’’

दीपक ने भी थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराने का मन बना लिया. दोनों भाईबहन 24 अप्रैल, 2022 को मकराना थाने पहुंच गए और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को सारी बात बता दी. इस के बाद रेखा कंवर, विक्रम सिंह और शैतान सिंह के खिलाफ हनीट्रैप में फंसा कर ब्लैकमेल करने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा को दीपक ने बताया कि रेखा ने उस के अश्लील वीडियो बना रखे थे. इस के बाद उस ने वीडियो शेयर करने की धमकी दे कर 8 लाख रुपए ले लिए. डेढ़ महीने पहले वह रेखा के पास गया तो वहां पहले से रेखा कंवर का भांजा शैतान सिंह व विक्रम सिंह मौजूद था. दोनों ने उन के पुराने वीडियो दिखा कर दबाव बनाया और रेखा से फिर से संबंध बनाने को कहा. इस का भी उस ने वीडियो बना लिया.

दीपक ने बताया कि 10 दिन पहले शैतान सिंह ने उस के मोबाइल पर वह वीडियो भेज कर धमकाया और 23 लाख रुपए ले लिए. इस के बाद वे 50 लाख रुपए देने का दबाव बनाने लगे.

23 लाख रुपए लेने के बाद शैतान सिंह ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में उसे धमकाया कि मामला निपटाना है तो 50 लाख रुपए लगेंगे. रुपए नहीं देने पर उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा ने मामला दर्ज करने के बाद काररवाई करते हुए उसी दिन 24 अप्रैल, 2022 को रेखा कंवर, विक्रम सिंह व शैतान सिंह को कस्टडी में ले लिया. तीनों आरोपियों को थाने ला कर पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कुबूल कर लिया. मार्बल व्यापारी दीपक को हनीट्रैप में फंसाने वाली रेखा लग्जरी लाइफ जीना चाहती थी. पति महंगे शौक पूरे नहीं कर पा रहा था. वह चाहती थी कि उस का एक आलीशान घर हो.

इस बीच दीपक के संपर्क में आई. दोनों के बीच 3 साल से रिलेशन थे लेकिन बढ़ते लालच के चलते वह व्यापारी से 50 लाख रुपए मांगने लगी, जिस से ये सारी कहानी सामने आ गई.

नागौर एसपी राममूर्ति जोशी, कुचामन सिटी एएसपी गशेराम के सुपरविजन में डीएसपी मकराना रविराज सिंह और थानाप्रभारी प्रमोद कुमार शर्मा की टीम ने आरोपी रेखा कंवर, शैतान सिंह और विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल जब्त कर जांच के लिए भेज दिए. खैर, जो भी हो रेखा का लालच उसे ले डूबा. पूछताछ पूरी कर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में दीपक नाम परिवर्तित है.

डॉलर और नरेंद्र दामोदरदास मोदी

जिस डॉलर के मसले पर प्रधानमंत्री बनने से पूर्व नरेंद्र दामोदरदास मोदी डॉ मनमोहन सिंह कि केंद्र सरकार, और श्रीमती सोनिया गांधी को घेरते थे, देश की जनता को भयाक्रांत करते थे, लाख टके का सवाल है कि आज उसी सवाल पर नरेंद्र मोदी मौन क्यों है…?

डॉलर, जैसा कि सभी जानते हैं अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले भारत का रुपया गिरता चला जा रहा है और यह आंकड़े आज हमारे सामने है कि जब  प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने शपथ ली थी उसके पश्चात भी डालर निरंतर मजबूत होता चला गया है, महंगाई अपनी सीमाओं को तोड़ रही है. यही कारण है कि डालर कीमत बढ़ती चली जा रही है और भारतीय रुपया का अवमूल्यन जारी है.

यह प्रश्न है कि क्या इसके पीछे सरकार की नीतियां दोषी नहीं है? निसंदेह अगर सरकार जिम्मेदारी और इमानदारी से काम करें तो रुपए का अवमूल्यन ऐसा या आगे चलकर इससे बदतर नहीं हो पाएगा.

यहां यह भी एक बड़ा सवाल है कि जब देश पर अंग्रेजों की हुकूमत थी आजादी के समय है डॉलर और रुपए की कीमत बराबर बराबर थी. आजादी के बाद ऐसा क्या हुआ है की भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन लगातार जारी है क्या इसका भी चिंतन और संसद में चर्चा नहीं होनी चाहिए.

दरअसल,आज श्रीलंका की हालात हमारे सामने है, वहां त्राहि-त्राहि मची हुई है और  मंहगाई  बेलगाम हो चुकी है. परिणाम स्वरूप देश में हाहाकार मचा हुआ है, सरकारें बदल गई मंत्रियों और प्रधानमंत्री के घर को जला दिया गया. इस सब का सबक तो भारत को लेना ही चाहिए जिस तरह श्रीलंका में डॉलर के मुकाबले श्रीलंका की मुद्रा 300 की स्थिति में पहुंच गई त्राहि-त्राहि हो गई ऐसी ही स्थिति धीरे-धीरे भारत की बनती चली जा रही है. जीएसटी आदि की नकेल के कारण संपूर्ण देश में अफसरशाही हावी है और महंगाई बढ़ती चली जा रही है. जीएसटी का जो नए प्रावधान लागू हुआ है उसके कारण भले ही सरकार के पास करोड़ों, अरबों रुपए का लाभ सामने दिखाई देता है मगर आम जनता छोटी छोटी चीजों पर जीएसटी कर देकर के महंगाई को झेल रही है, आंसू बहा रही है.

घरेलू बाजार, सुधार अपरिहार्य

भारतीय बाजार के जैसे हालात हैं उन पर अब काबू पाने के लिए जाने माने  अर्थ शास्त्रीयों से चिंतन मनन कर रूपए की कीमत सुधारना केंद्र सरकार की आज पहली प्राथमिकता होना चाहिए.

बीते दिनों अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया -91 प्रति डालर पर खुला और कारोबार के दौरान 80.05 के निचले स्तर को छू गया. कारोबार के  रुपए में 79.91 से 80.05 रुपए के दायरे में बढ़ोतरी हुई. कारोबार के अंत में रुपया अपने लेबल भाव के मुकाबले 13 पैसे की गिरावट साथ दिन के निम्नतम स्तर 80.05 (अस्थायी ) डालर पर बंद हुआ. इस एक दृश्य को देखकर के अनुमान लगाया जा सकता है कि डॉलर और रुपए में क्या चल रहा है.

19 जुलाई 2022को रुपया दिन के कारोबार के निचले = 80.05 से उबरकर डालर के मुकाबले छह पैसे तेजी दर्शाता 79.92 रुपए प्रति डालर पर बंद था. बाजार सूत्रों ने कहा कि तेल आयातक नियों की भारी डालर मांग, कच्चे तेल कीमतों के मजबूत होने के साथ-साथ व्यापार घाटा ने की चिंताओं के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई जो गिरावट का मुख्य कारण बना।

कुल मिलाकर के रुपया और डॉलर की यह भागम भाग देश भर को चिंता में डूबोये हुए हैं अगर स्थितियां नहीं सुधरी तो देश कहां पहुंचेगा इसकी सहज कल्पना की जा सकती है.

यह सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जब आजादी के पहले रुपया  मजबूत स्थिति में था तो अब आजादी के बाद आखिर ऐसी क्या गलतियां हो रही है जो डॉलर मजबूत होता चला जा रहा है और रुपया का अवमूल्यन हो रहा है. इस पर संसद में  विस्तृत  चर्चा अपरिहार्य है.

GHKKPM: शो में होगी नई एंट्री, विराट से होगा मुकाबला

सीरियल गुम है किसी के प्यार में की कहानी में लगातार ट्विस्ट एंड टर्न दिखाया जा रहा है. शो में हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. इसी बीच पाखी की प्रेग्नेंसी रिस्क के बारे में सई भी जान चुकी है.

शो में आपने देखा कि पाखी गुंडों के सामने इमोशनल होकर विराट के करीब जाने की कोशिश कर रही है. इस बीच बताया जा रहा है कि सीरियल में एक नए किरदार की एंट्री होने वाली है. जी हां, रिपोर्ट के अनुसार शो में जल्द ही नई एंट्री होगी. जिसका मुकबला विराट से होगा.

 

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शो के मेकर्स दर्शकों को बांधे रखने के लिए कहानी में बड़ा  ट्विस्ट लाते रहते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार शो में रिभू मेहरा की एंट्री होने वाली है.  इस एंट्री के बाद सीरियल में धमाकेदार ट्विस्ट दिखाया जाएगा.

 

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शो में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि सई के हाथ पाखी की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट लगी है. सई को पता चल जाता है कि पाखी ने प्रेग्नेंसी रिस्क की बात छिपाई है तो वह सई को धमकी देती है कि कुछ गड़बड़ हुआ तो वह उसे छोड़ेगी नहीं.

 

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बॉलीवुड के इन 3 सेलेब्स को ‘अनुपमा’ है बेहद पसंद, पढ़ें खबर

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) दर्शकों का फेवरेट शो है. शो के ट्विस्ट एंड टर्न से दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट होता है. दर्शकों को इस शो के हर एपिसोड का बेसब्री से इंतजार रहता है. शो के मेकर्स भी शो को ज्यादा से ज्यादा एंटरटेनिंग बनाने के लिए कॉफी मेहनत करते हैं. कुछ समय पहले ही सीरियल अनुपमा ने 2 साल का सफर पूरा किया है. 2 साल में अनुपमा ने दर्शकों के साथ-साथ बॉलीवुड  सेलेब्स का भी  दिल जीत लिया है. तो आइए बताते हैं, बॉलीवुड के किन सितारों का फेवरेट शो ‘अनुपमा’ है.

रणबीर कपूर

रिएलिटी शो रविवार विद स्टार परिवार के सेट पर रणबीर कपूर अपने फिल्म का प्रमोशन करने पहुंचे थे. एक्टर ने इस शो पर अनुपमा यानी रुपाली गांगुली के साथ खूब मस्ती की. रणबीर कपूर ने ये भी बताया कि उनके परिवार के लोग ‘अनुपमा’ सीरियल को कॉफी पसंद करते हैं.

 

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सारा अली खान

बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान अपनी फिल्म अतरंगी रे का प्रमोशन करने के लिए ‘अनुपमा’के सेट पर पहुंची थीं. रिपोर्ट के अनुसार सारा अली खान ने बताया था कि उनकी मां ‘अनुपमा’ की बहुत बड़ी फैन है. वह इस शो का एक भी एपिसोड मिस नहीं करती है.

 

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मिथुन चक्रवर्ती

बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती की बहू मदालसा शर्मा सीरियल अनुपमा में काव्या का किरदार निभाती है. ऐसे में मिथुन चक्रवर्ती का परिवार भी इस शो को देखना मिस नहीं करता. एक इंटरव्यू के अनुसार मदालसा शर्मा ने बताया था कि मिथुन उनके काम को पूरा सपोर्ट करते हैं.  एक्टर अपने पूरे परिवार के साथ इस शो को देखते हैं.

 

गर्भपात का हक सिर्फ औरत का है

अमेरिका में चर्च का दबाव इसी तरह बढ़ रहा है जैसे भारत में भगवा गैंग का बढ़ रहा है. चर्च का बिजनैस तभी चलता है जब चर्च किसी न किसी मामले को ले कर अपने शिष्यों को लगातार भडक़ाऊ हालत में रख सकें. औरतें के गर्भपात के हक पर चर्च ने खूब हल्ला मचाया है और अपने शिष्यों को कुछ करने की छूट दे कर अपना धंधा बढ़ाया है. नतीजा यह है कि 1973 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जिस गर्भपात के अधिकार के संवैधानिक माना था, चर्च जाने वाले कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जून 2022 में फैसले को उलट दिया और गर्भपात का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रह गया.

राज्यों को अधिकार है कि वे चाहें तो गर्भपात को अवैध कर दें. गर्भपात पर बहस चर्च में शुरू होती है जहां धाॢमक कट्टर हर सप्ताह संडे को जमा होते हैं और बाइबल के चुने हुए अंशों को ईश्वर वाणी मान कर प्रवचन देते पादरी के आगे नतमस्तक हो कर हां में हां मिलाते हैं. राज्यों के अधिकांश राजनीतिबाज भारत की तरह चर्च में मत्था टेके बिना जीत नहीं सकते. क्योंकि धर्म के धंधें की खासियत यह है कि इस में इकट्ठा होने की एक जगह बनवा दी जाती है और बचपन से ही धर्म का पाठ घोटघोट कर पढ़ा दिया जाता है.

चर्च की बातों में आए पोलिटिशयनों की हिम्मत नहीं होती कि वे काल्पनिक, अनाॢभक व भ्रमित बातें जो धर्मग्रंथों में लिखी हैं, का विरोध कर सकें. बाइबल में सैंकड़ों कहानियां ऐसी है जिन्हें किसी भी युंग में सत्य नहीं माना जा सकता था फिर भी उन्हें सुनने वाले मस्ते हो जाते थे और उन का इस्तेमाल घर की औरतों, बच्चों और पड़ोसियों व दोस्तों के साथसाथ दुश्मनों पर भी करते रहे है.

इन्हीं लोगों की सेना ने आज चर्च का एजेंडा चला रही हैं और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला इसी का नतीजा है. जज भी बेहद धाॢमक होते हैं क्योंकि धर्म की चाश्नी में डूबे राजनीतिबाज उन्हें पहले छोटा जज बनवाते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट तक ले जाते हैं. हमारे यहां भी ऐसे सुप्रीम कोर्ट जज रहे है और अभी हैं जो सत्ता में बैठे लोगों को लगभग ईश्वर का सा सम्मान देते रहे हैं क्योंकि उन्होंने ही यह पद दिलाया.

गर्भपात का हक औरत का और सिर्फ औरत का है और यह फैसला कि गर्भपात होना चाहिए या नहीं, डाक्टर और पेशेट के बिना का है, इस में न चर्च बीच में आता है न और कोई धर्म. पर अगर बच्चें नहीं हुए तो दान कौन देगा, कौन धर्म के नाम पर दूसरों की जान लेगा, अपनी जान देगा.

बच्चे औरतों को घर की गुलाम बनाने में भी बड़ा योगदान देते हैं. बच्चों की खातिर औरतें पतियों की गुलामी करती हैं, पिटती है, रातदिन खटती हैं और बेसमय बूढ़ी हो जाती हैं. उन्हें भी लगने लगता है कि उन को कहीं सकून मिलेगा तो ईश्वर की दुकान पर जहां धर्म का दुकानदार जो चिकनी चुपड़ी बातें कहतने का एक्सपर्ट है, उन्हें पति या पिता के आधीन रहने का आदेश भी देता है और श्रणिक सुख के लिए अपने साथ भी सुला लेता है. अगर बच्चों का जबरन बोझ न हो तो औरतें स्वतंत्र रह कर अपना कैरियर बना सकती हैं, ऊंचाइयों पर जा सकती हैं.

बच्चों की चाहत हर औरत में प्राकृतिक है. वह गर्भपात जब कराती है जब उसे होने वाला बच्चा बोझ लगने लगे. ङ्क्षजदा बच्चे को वह मार नहीं सकती पर जो अभी पैदा ही नहीं हुआ उस पर उस का पूरा हक है और होना चाहिए. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उलटा फैसला दे कर अमेरिका को पश्चिमी एशिया के इराक, ईरान, सऊदी और अफगानिस्तान जैसे मुसलिम कट्टरपंथी देशों में खड़ा कर दिया है.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट अब लोगों के शांति व हक के साथ जीने की छत नहीं दे रहा, वह तो एकएक कर के पिछले 200-300 सालों में मिले मौलिक अधिकारों को छीन कर चर्च या चर्च समर्थक नेताओं के हाथों में दे रहा है. रेन बर्सेस बेड के उलटना वैसा ही है जैसे भारत में आपातकाल को सही ठहराना या राम मंदिर को बनाने की जगह देने के फैसले थे. ये ऐसे खंजर हैं जो पूरे समाज को गहरा घाव देते हैं, दिखते नहीं, खून नहीं बहता, पर शरीर अधमरा हो जाता है.

अमेरिका अब लोकतांत्रिक मूल्यों के रक्षक होने का दावा नहीं कर सकता. वह रूस व चीन की तरह कट्टरपंथी देश है जो फिलहाल आॢथक तौर पर उन्नत है पर उस का पतन निश्चित है.

मां- बाप से बेरुखी, आखिर क्यों

फिल्म इंगलिशविंगलिश में श्रीदेवी (शशि) ने एक समर्पित मां का किरदार निभाया है. वे अपने बच्चों से आदर और सम्मान की अपेक्षा रखती हैं. लेकिन उन के बच्चे उन के साथ बेहद रूखा व्यवहार करते हैं. बच्चे बातबात पर मां का मजाक बनाते हैं क्योंकि उन्हें अंगरेजी बोलनी नहीं आती. जब वे ‘जैज’ डांस फौर्म को ‘जहाज’ कहती हैं तो बच्चे उन का मजाक बनाते हैं. इस फिल्म द्वारा उन विद्रोही बच्चों पर अच्छा कटाक्ष किया गया है जो अंगरेजी जानने व टैक्नोसेवी होने के नाम पर स्वयं को सुपर समझते हैं और मांबाप की इज्जत नहीं करते.

आजकल के बच्चे

पता नहीं क्या हो गया है आजकल के बच्चों को, मांबाप की इज्जत करना तो जैसे वे भूल ही गए हैं. हर समय फोन पर, फेसबुक पर लगे रहना, दोस्तों को ही सबकुछ समझना, उन से ही हर बात शेयर करना, कुछ भी पूछो तो पहले तो जवाब ही नहीं देते और अगर दिया भी तो सिर्फ हां या ना में, और अगर कुछ और ज्यादा पूछ लिया तो जवाब मिलता है, ‘आप को क्या मतलब’, ‘जब आप को कुछ पता नहीं तो बोलते ही क्यों हो,’ बातबात पर चीखनाचिल्लाना, गुस्सा करना, गलत भाषा का प्रयोग करना उन के व्यवहार में शामिल हो गया है. रिश्तों का सम्मान और मानमर्यादा जैसे शब्द तो मानो उन की डिक्शनरी में हैं ही नहीं. हाल ही में अमेरिका में हुई एक रिसर्च में भी पाया गया कि पिछले 30-40 वर्षों की अपेक्षा आज के बच्चे अधिक उपद्रवी हो गए हैं.

बच्चों का रूखा व्यवहार

श्रेया (मां) : युक्ति बेटा, बहुत देर हो गई कंप्यूटर पर गेम खेलतेखेलते. अब पढ़ लो. कल आप का टैस्ट है न.

युक्ति (बेटी) : (कंप्यूटर पर नजरें गड़ाए हुए) जस्ट चिल, मौम, क्यों हमेशा मेरे पीछे पड़ी रहती हो. मुझे पढ़ना है न, मैं पढ़ लूंगी. जब आप को कुछ पता नहीं तो बोलती क्यों हो?

मां : बेटा, मैं तुम्हारे भले के लिए बोल रही हूं.

युक्ति : मुझे अपना भलाबुरा पता है. आप मेरे मामले में इंटरफियर मत किया करो.

अशिष्ट भाषा का प्रयोग

आजकल 7-8 साल के बच्चे वह भाषा बोलते हैं जो फिल्मों में बोली जाती है. फिल्म ‘राउडी राठौर’, ‘गैंग्स औफ वासेपुर’, ‘चमेली’, ‘जब वी मेट’, ‘गोलमाल-3’ में अपशब्दों की भरमार है, जिन का प्रयोग आज के बच्चे पियर ग्रुप में बखूबी करते देखे जा रहे हैं. जब भी बच्चों के मनमुताबिक बात नहीं होती वे गुस्से में ‘शटअप’, ‘डौंट बी स्टुपिड’, ‘डैम’ जैसे अपशब्दों का प्रयोग आम करते हैं.

बच्चों का सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर अधिक समय बिताना भी उन की भाषा व व्यवहार पर गलत प्रभाव डाल रहा है. औनलाइन चैटिंग में वे ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो गलत तो होती ही है मातापिता की समझ से भी बाहर होती है. मसलन, जब वे ‘एमडब्लूआई’ लिखते हैं तो उस का अर्थ होता है ‘गैटिंग मेड विद’ जिस का प्रयोग वे यह बताने के लिए करते हैं कि वे किसी रिश्ते से जुड़े हैं.

कंप्यूटर एडिक्शन

ब्रिटिश एसोसिएशन औफ एंगर मैनेजमैंट की एक हालिया रिसर्च में पाया गया है कि बच्चों के उद्दंड और असहयोगात्मक रवैये का एक मुख्य कारण कंप्यूटर एडिक्शन है. वे प्रति सप्ताह 16 या उस से अधिक घंटे कंप्यूटर पर बिताते हैं. इस रिसर्च में उन अभिभावकों को चेतावनी दी गई है जो घर में बच्चों के साथ होने वाले विवाद से बचने के लिए उन्हें कंप्यूटर पर अधिक समय बिताने की आजादी देते हैं. ऐसा करने से जहां एक ओर बच्चों का परिवार के सदस्यों से जुड़ाव टूटता है वहीं वे अपनी एक अलग दुनिया बसा लेते हैं.

जब भी बच्चों से अपना कमरा साफ करने, होमवर्क करने, खाना खाने के लिए कहा जाता है वे नकारात्मक व उद्दंडता भरा व्यवहार करते हैं. इस रिसर्च में 9 से 18 साल के कंप्यूटर पर अधिक समय बिताने वाले बच्चों के 206 अभिभावकों में से 46 प्रतिशत ने माना कि उन के बच्चे घर के कार्यों में सहयोग करने से कतराते हैं. 44 प्रतिशत ने माना कि उन के बच्चे जवाब देने लगे हैं और असहनशील हो गए हैं. शेष ने माना कि उन के बच्चों का व्यवहार पहले से अधिक रूखा हो गया है.

मनोवैज्ञानिक पहलू

बच्चों में बढ़ते बेरुखे व्यवहार, गुस्सा व चिड़चिड़ेपन के बारे में क्लिनिकल साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘जो बच्चे ऐसा गलत व्यवहार करते हैं वे आगे चल कर बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं. वे अधिक आक्रामक हो कर समाज को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. आजकल के बच्चों के लिए लैपटौप व फोन फैमिली मैंबर बन गए हैं. और जब उन्हें इन के प्रयोग से रोका जाता है तो वे आक्रामक व उद्दंड हो जाते हैं. वे इन गैजेट्स को अपने अधिक नजदीक पाते हैं, अपने सभी सवालों और समस्याओं के हल वहीं ढूंढ़ते हैं. इसलिए बच्चों के लैपटौप, मोबाइल प्रयोग की सीमा निर्धारित करें और बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं. पियर ग्रुप के प्रभाव की उपेक्षा न करें क्योंकि जब भी बच्चों की अभिभावकों से अनबन होती है वे सभी बातें दोस्तों के साथ बांटते हैं.’’

पेरैंट्स की भूमिका

बच्चों के बिगड़ने या सुधरने में अभिभावकों की भूमिका अहम होती है. इस का उदाहरण सामने है. जनवरी 1990 के बीएमडब्लू हिट एंड रन केस में 6 लोग मारे गए. 10 जनवरी की उस रात को संजीव नंदा अपने 2 दोस्तों, माणिक कपूर और सिद्धार्थ गुप्ता के साथ गुड़गांव से एक लेटनाइट पार्टी से लौट रहे थे. पार्टी और पैसे के नशे में चूर उच्च व्यापारी वर्ग के इन बिगड़ैलों ने 6 मासूमों की जान ले ली.

अभिभावकों द्वारा बच्चों को दी गई निरंकुश आजादी, अधिक सुविधाएं व कम जिम्मेदारी बच्चों के उद्दंड व आक्रामक होने के लिए जिम्मेदार है. ‘बीएमडब्लू हिट ऐंड रन’ इस का जीताजागता उदाहरण है.

कैसे निबटें इन बच्चों से

जब भी बच्चा अशिष्ट भाषा बोले, चीखेचिल्लाए उसे इग्नोर न करें. आप ने बच्चे के रूखेपन व असहयोग के व्यवहार को जब भी स्वीकार किया तो वह समझने लगेगा कि आप को उस का ऐसा व्यवहार स्वीकार्य है. दृढ़ हो कर प्यार से कहें कि गलत भाषा व व्यवहार स्वीकार नहीं किया जाएगा.

बच्चा कुछ भी गलत बोले तो आराम से पूछें, ‘अभी आप ने क्या कहा?’ वह समझ जाएगा कि उस ने कुछ गलत कहा है.

बच्चे से जानने की कोशिश करें कि उसे ऐसा रूखा व्यवहार करने की जरूरत क्यों पड़ी? उस से बात करें, जानें कि उस के दिमाग में क्या चल रहा है? उसे बताएं कि हर परिवार दूसरे से अलग होता है. कई बार आप का बच्चा अन्य बच्चों के गलत व्यवहार का कारण नहीं जान पाता और आप के साथ गलत व्यवहार कर देता है.

बच्चों की गतिविधियों की जानकारी रखें पर ज्यादा दखल भी न दें. उन्हें स्पेस दें. उन्हें समय दें. उन के साथ समझदारी से पेश आएं. उन की हर मांग को बिना सोचेसमझें पूरा न करें. उन्हें उन के गलत व्यवहार के लिए जिम्मेदार बनाएं.

बच्चों को संवेदनशील बनाएं ताकि वे घर के कार्यों के प्रति, आप के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें, आप के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आएं. कुछ बच्चे अपने लुक, फैशन के प्रति इतने अधिक जागरूक होते हैं कि घरेलू कार्यों को करना उन्हें अपनी छवि पर बट्टा लगना लगता है, इसलिए उन्हें प्रारंभ से ही घर के कार्य करने के लिए प्रेरित करें.

बरसात में इनसे बचें

बरसात के मौसम में घर के बाहर पैर रखते ही कीचड़, नालों का गंदा पानी, कूड़े के ढेर से उठती सड़ांध से दिमाग खराब हो जाता है. बारिश की बूंदों से गरमी से राहत मिलती है लेकिन इस मौसम में पनपने वाली कई बीमारियों से बचना बेहद जरूरी है. आइए, जानते हैं दिल्ली के वरिष्ठ फिजिशियन व कार्डियोलौजिस्ट डा. के के अग्रवाल से कि इन बीमारियों से कैसे बचें.

लेप्टोस्पायरोसिस

इस बीमारी में बुखार आता है और आंखों में सूजन आती है. यह बीमारी जानवरों के मलमूत्र से फैलने वाले लेप्टोस्पाइश नामक बैक्टीरिया के कारण होती है. खासकर यह चूहों से होती है. चूहे जब पानी में या अन्य जगह पेशाब करते हैं तो आप के पैरों के माध्यम से, विशेषकर यदि आप के पैरों में घाव हैं तो, उस पेशाब के कीटाणु जिस्म में घुस जाते हैं. इस मौसम में जलभराव व बहते पानी के कारण यह संक्रमण पानी में मिल कर उसे दूषित कर देता है. इस वजह से इस बीमारी की आशंका अधिक रहती है.

बारिश के मौसम में नंगेपैर चलना ठीक नहीं रहता, हमेशा जूते, चप्पल, दस्ताने, चश्मा, मास्क आदि लगाएं. तालाबों, पूलों व नदियों आदि के  पास जाने, मृत जानवरों को छूने से बचें. घावों की नियमित साफसफाई करते रहें.

मलेरिया

बारिश की वजह से जगहजगह सड़कों व नालों में पानी जमा हो जाता है और गंदे पानी में मच्छर पनपने शुरू हो जाते हैं, जिन में से कुछ मलेरिया के भी मच्छर होते हैं. इस मौसम में दिल्ली में डेंगू व चिकनगुनिया, गुजरात में जिका और पूर्वोत्तर में मलेरिया का जबरदस्त आतंक रहता है.

मच्छर को घर में या बाहर पनपने न दें. छोटे व बड़े बरतन में पानी को ढक कर रखें. पानी की टंकी को बराबर साफ करते रहें. मांसपेशियों में दर्द और कंपकंपी के साथ बुखार आना मलेरिया के लक्षण हो सकते हैं.

डायरिया, टायफायड व जौंडिस

ये तीनों बीमारियां दूषित पानी पीने से होती हैं. इस मौसम में उबला पानी पिएं. अच्छी तरह पका हुआ खाना खाएं. सब्जी को छील कर या अच्छी तरह धो कर पकाएं और ठंडा खाना हमेशा गरम कर के ही खाएं.

सर्दीजुकाम, गले में खराश या बुखार हो तो टायफायड के लक्षण हो सकते हैं. उलटी, कमजोरी या फिर आंखों व हाथ के नाखूनों में पीलापन आना जौडिंस के लक्षण हैं.

स्नेक पौयजनिंग

बरसात में बिलों में पानी घुसने से अकसर सांप बाहर निकल आते हैं. यदि सांप काट ले तो तुरंत अस्पताल जाएं नजदीकी डाक्टर को दिखाएं. फिल्मों में जो दिखाया जाता है कि सांप काटने से मुंह से जहर खींच लेते हैं, ऐसा कतई न करें.

पति-पत्नी प्रबंधन कोचिंग सेंटर

आपके शहर में पति-पत्नी प्रबंधन कोचिंग सेंटर खुल गया है. कोचिंग सेंटर में आएं और अपनी-अपनी पत्नियों का प्रभावपूर्ण तरीके से प्रबंधन करें. जिन-जिन पत्नियों ने इस कोचिंग सेंटर में भागीदारी की है, उन्होंने अपने पति लोगों की नाक में नकेल कस रखी है. पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय पति-पत्नी प्रबंधन आयोग की मान्यता है. इससे कोई भी लड़का पति बनने की निर्धारित योग्यता पूरी कर पाएगा. इस पाठ्यक्रम को पूरा करने वाली लड़की ब्रांडेड पत्नी बन जाएगी. पति लोगों को अपनी पत्नियों को हर हाल में खुश रखना ही होता है. हालांकि आज तक कोई भी पति अपनी पत्नी को खुश नहीं रख पाया है, फिर भी हर एक पति पर पत्नी को खुश रखने की टेंशन 24 घंटे रहती है. कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने पर हम एक प्रामाणिक पति व ब्रांडेड पत्नी देने का वादा करते हैं.

पति लोगों के लिए आकर्षक पाठ्यक्रम- कैप्सूल 1- चश्मा, चाबी, रिमोट आदि दुर्लभ वस्तुएं बिना चीख-चिल्लाहट के कैसे ढूंढ़ें? खामोश रहकर बेल्ट, मौजे, बनियान ढूंढ़ने के खास तरीके. कैप्सूल 2- पत्नी का जन्मदिन, विवाह की तारीख, वार, समय के साथ हिंदी कैलेंडर के अनुसार संपूर्ण कथा, सगाई की तारीख आदि याद रखने की विधियां. कैप्सूल 3- बर्तन मांजने के तरीके, आकर्षक झाड़ू-पोंछा कैसे लगाएं, फ्रीज में रखी सब्जियों की सुरक्षा कैसे करें, बाजार जाते समय सब्जियां कैसे लाएं, भरे बाजार कचोरी पकौड़ी कैसे खिलाएं, साड़ी महाभारत से सुरक्षित कैसे निकल जाएं जैसे विषयों में महान बनाया जाएगा. कैप्सूल 4- टीवी रिमोट पर किसका अधिकार हो? आंगन में पड़ा अखबार उठाकर कौन लाएगा? पानी की भरी बोतल फ्रिज में कैसे रखें, आदि राष्ट्रव्यापी समस्याओं पर गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा. कैप्सूल 5- लड़ाई के समय मुंह कैसे लटका कर बैठें? घर में प्रवेश करते समय कैसे मुंह लटकाएं? पत्नी के तानों, बहानों, बातों को कैसे घट-घट पी जाएं आदि महत्वपूर्ण विषयों पर समूह चर्चा की जाएगी.

पत्नियों के लिए विशेष प्रशिक्षण पैकेज- कैप्सूल 1- मॉर्निंग वॉक पर क्यों नहीं गए? ये पेट आगे क्यों निकल रहा है? आज अनुलोम-विलोम किया कि नहीं! रोज 2 घंटे दौड़ लगाया करो जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर रोज ही झगड़ना चाहिए. कैप्सूल 2- भूले बिसरे वादों को याद करने के तरीके. गड़े मुर्दे उखाड़ने की जोरदार विधियां. बात-बात पर रोने-मचलने और पीहर जाने की 1000 धमकियां, पीहर पक्ष को लेकर युद्ध करने की तिकड़में. पत्नियों को बड़े प्राइवेट फाइव स्टार हॉस्पिटल के बजाय मरियल सरकारी हॉस्पिटल में दिखाने संबंधी युद्ध कौशल पर अनुभवी पत्नियों का प्रेजेंटेशन किया जाएगा. कैप्सूल 3- पति की छाती पर मूंग दलने की 1001 विधियां, पति से झगड़ने के 501 बहाने, बस में बैठे-बैठे लड़ने के उपाय व सड़क पर चलते हुए कैसे लड़ें आदि पर पीपीटी प्रेजेंटेशन किया जाएगा. कैप्सूल 4- ये न्यूज़ बंद करो. कल तक. अब तक. बक-बक जाने क्या कब तक? व्हाट्सएप में ही घुसे रहते हो? इसमें पलंग लगा लिया करो. अब फेसबुक के साथ ही सो जाना.

GHKKPM: सई देखेगी पाखी का प्रेग्नेंसी रिपोर्ट, आएगा ये ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों  सेरोगेसी ट्रैक दिखाया जा रहा है. शो में पाखी विराट और सई के बच्चे की सेरोगेसी मां बनने वाली है. इसी बीच शो में सबके सामने पाखी का खुलासा होने वाला है.

शो में आप देखेंगे कि  निनाद विराट को अपने साथ बाहर लेकर जाएगा. निनाद विराट से बात करने की कोशिश करेगा. विराट निनाद को बताएगा कि मिसकैरेज के बाद से उसके और सई के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

 

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शो में दिखाया जाएगा कि पाखी विराट और सई के रिश्ते के बारे में जानने की कोशिश करेगी. पाखी जान जाएगी कि विराट और सई के बीच अनबन चल रही है. घर आकर पाखी अपनी मां पर भड़केगी. पाखी दावा करेगी कि वो अब अपने कदम पीछे नहीं हटाएगी.

 

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शो में आप देखेंगे कि सई विराट को पाने के लिए मास्टर प्लान बनाएगी. जल्द ही सई के सामने पाखी की टेस्ट रिपोर्ट आ जाएंगी. रिपोर्ट देखकर सई समझ जाएगी कि पाखी की प्रेग्नेंसी में बहुत रिस्क है. पाखी का भी मिसकैरेज हो सकता है. शो में अब ये देखना होगा कि सई ये बात जानने के बात पाखी के साथ कैसे बिहेव करती है.

 

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