राजस्थान के नागौर जिले का मकराना कस्बा संगमरमर पत्थर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इसी मकराना कस्बे में तमाम ऐसे व्यवसायी हैं, जो मार्बल व्यवसाय कर के हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं.  मकराना के दीपक भी मार्बल व्यवसायी हैं. घरपरिवार से संपन्न दीपक हैंडसम ही नहीं दिल के भी भले आदमी हैं. गरीबों की वह अकसर मदद किया करते थे. उन के पास रुपएपैसों की कमी नहीं थी. दीपक को मार्बल व्यवसाय से लाखों रुपए की कमाई हर महीने होती थी. वह बनठन कर रहते थे.

दीपक की हर रोज कई लोगों से मुलाकात होती रहती थी. कभी किसी व्यक्ति को रुपएपैसे की जरूरत पड़ती थी तो वह दीपक से अपना दुखड़ा कह देता. दीपक से उस का दुख देखा नहीं जाता था. वह मांगने वाले की मदद कर के दिल में सुकून महसूस करते थे.

दीपक का अपना खुशहाल परिवार था. मातापिता, भाईबहन, पत्नी और बच्चे. सभी खुशहाल और इज्जत से जीवन जी रहे थे.

यह बात आज से 3 साल पहले की है. दीपक के मोबाइल पर एक काल आई. उन्होंने काल रिसीव कर कहा, ‘‘हैलो, दीपक बोल रहा हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘दीपकजी, नमस्कार. मैं गुणावती गांव से रेखा कंवर बोल रही हूं. पहचाना मुझे?’’ फोन करने वाली युवती ने कहा.

तब दीपक बोले, ‘‘रेखा कंवर! मुझे कुछ याद नहीं आ रहा. बोलिए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘दीपकजी, गुणावती गांव के जनरल स्टोर पर और ब्यूटीपार्लर में आप से कई बार मुलाकात हो चुकी है. अब पहचाना?’’ युवती बोली.

दीपक को अब कुछकुछ याद आया. वह बोले, ‘‘अच्छा, तो आप जनरल स्टोर की मालकिन रेखाजी बोल रही हैं. पहचान लिया. कहिए, कैसे याद किया?’’

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