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मैं स्ट्रैस में रहती हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं 45 वर्षीया गृहिणी हूं. परिवार में सब ठीकठाक चल रहा है. बच्चे अपनीअपनी पढ़ाई और जौब में लगे हुए हैं. पति अपने औफिस वर्क में बिजी रहते हैं. लाइफ अपनी रूटीन में चल रही है. लेकिन फिर भी मैं पता नहीं क्यों स्ट्रैस में रहती हूं. कोई चिंता न होते हुए भी मन बेचैन सा रहता है. स्टैसफ्री रहना चाहती हूं, लेकिन रह नहीं पाती. लगता है जीवन में कुछ कमी सी है.

जवाब

लगता है आप कुछ ज्यादा ही फ्री हो गई हैं लाइफ में. जब कभीकभी इंसान ज्यादा ही खाली हो जाता है तो कुछ न कुछ सोचना शुरू कर देता है. ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो पहले बहुत काम में बिजी रहते थे लेकिन अचानक फ्री हो जाते हैं. फ्री होने की आदत न होने के कारण दिमाग कुछ न कुछ सोचना शुरू कर देता है. कुछ ऐसा ही आप के साथ हो रहा है.

आप फालतू की बातें न सोच कर अपने दिमाग को दूसरी तरफ लगाएं, जैसे फोन पर दोस्तों के साथ बातचीत कीजिए, घर के काम करते वक्त या खाली बैठे हुए गाने चलाया कीजिए आदि. इस सब से आप का समय बिजी रहेगा. लोगों से मिलिएजुलिए. कोई क्लब या किटी पार्टी जौइन कर लीजिए. दोस्तों के साथ समय गुजारिए. जिंदगी का नाम ही परेशानी है. जब आप की जिंदगी में परेशानी नहीं है, जो बहुत ही अच्छी बात है तो क्यों जबरन परेशानियां ओढ़ने की कोशिश कर रही हैं. मस्त रहिए और लाइफ को एंजौय करने की कोशिश करें.

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त्यौहार 2022: मेथी और पनीर से बनाएं पुलाव

मेथी और पनीर को अगर मिलाकर आप कोई भी डिश बनाते हैं तो वह स्वादिष्ट के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है. तो आइए आज आपको बताते हैं कैसे बनाए मेथी पनीर के साथ पुलाव. यह आपके हेल्थ के लिए भी सही होगा.

समाग्री

बासमती चावल

ताजा मेथी

पनीर आवश्यकता अनुसार

प्याज टमाटर

अदरक

हरी मिर्च

तेज पत्ता

सूखी लाल मिर्च

गर्म मसाला

हरी मिर्च

शक्कर

घी

विधि

चावल को अच्छे से बीनकर धो ले और अब चावल को कुछ देर के लिए भिंगने के लिए रख दें.अब आप चावल को माइक्रोवेव या फिर भगोने में उबाल लें, ध्यान रखें कि चावल एकदम खिले हुए हो चिपकने नहीं चाहिए. अब चावल को ठंडा होने दें.

मेथी के मोटे डंडल को हटा दें, अब मेथी के पत्तियों को बहुत अच्छे से धो लें, ध्यान रखें कि मेथी की पत्तियां को बारीक काट लें.

अब प्याज अदरक को छीलकर काट लें और अच्छे से साफ कर लें फिर प्याज ,टमाटर और लहसून को भी एक साइज में काट लें.

अब कड़ाही में को गैस पर रखकर गर्म करें, जब कड़ाही गर्म हो जाए तो उसमें घी डालें फिर उसमें जारी और हींग डाले साथ में लाल मिर्च भी डालें. कुछ सेकेंण्ड्स तक भूनने के बाद इसमें प्याज डालें फिर इसमें कटी हुई अदरक और टमाटर डालकर अच्छे से भूनें.

अब जब सब अच्छे से भून जाए तोइसमें बारीक कटी हुई मेथी को डालें जब मेथी अच्छे से भून जाए तो उसमें गर्म मसाला डालकर अच्छे से चलाएं. अब आप चावल को कांटे की मदद से अलग-अलग कर लीजिए इसे अब आप अच्छे से डालकर मिलाए फिर इसमें उपर से पनीर के टुकड़े को डाल दें.

जब सभी अच्छे से मिक्स हो जाए तो उसमें स्वादअनुसार नमक डालकर चलाएं फिर इसे थोड़ी देर और पकाने के बाद आप इसे सर्व कर सकते हैं.

ऋषि सुनक की महत्ता

जहां यह बेहद संतोष की बात है कि भारतीय मूल के इंगलैंड निवासी व ब्रिटिश नागरिक ऋषि  सुनक कंजर्वेटिव पार्टी के मुख्य सदस्यों के 40 फीसदी से अधिक वोट प्रधानमंत्री पद की दौड़ में ले सके, वहीं सवाल उठता है कि भारतीय मूल के लोग आखिर इंगलैंड, अमेरिका में हैं क्यों और क्यों नहीं वे अपने देशनिर्माण के लिए भारत में बसते और भारत को इंग्लैंड बनाने में मदद करते. यह न भूलें कि एक भारतीय की प्रतिव्यक्ति आय डौलरों में 2,000 के आसपास है और एक ब्रिटिश जने की 46,000 यानी भारतीय से 23 गुना अधिक.

ऋषि  सुनक और उन की पत्नी अक्षता मूर्ति जो भारतीय टैक कंपनी इंफ़ोसिस के नारायण मूर्तित की पुत्री हैं, आखिर क्यों विदेशों में जाते हैं, बस जाते हैं और वहां रह कर अपने देश के निर्माण की बातें सारे मंचों पर करते हैं.

ऋषि  सुनक की चुनाव सभाओं में भारत का कहीं जिक्र नहीं था. विश्वगुरु बनने का सपना देखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ में उन के फोटो नहीं बांटे गए. वे हरदम एक गोरों के देश के नेता की तरह रहे, जिस देश ने भारत पर 200 से ज्यादा साल राज किया और जिस के राज को हम क्रूरता व लूट का राज बताते नहीं थकते. उस देश की मिट्टी की गंध लिए ऋषि  सुनक आखिर क्यों कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य बने, चुनाव लड़े.

भारत में भारतीय जनता पार्टी का बड़ा मुद्दा सोनिया गांधी का इटली मांबाप की संतान होना है. इस का इस्तेमाल वे ही लोग करते हैं जो हाल के महीनों में इंतजार कर रहे थे कि ऋषि  सुनक किसी तरह ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन जाएं. यह एक दोगलापन है जो हमारी संस्कृति में पगपग पर बिखरा है. और जो भारतीय अपना सबकुछ समेट कर इंगलैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया या कहीं और हमेशाहमेशा के लिए बस जाते हैं, वे भी भारतीय राजनीति में पैसे या भारतीय नेता की उस विदेश में विजिट पर जोरजोर से नगाड़े बजाते हैं.

ऋषि  सुनक को सहज स्वीकारना ब्रिटेन के लोगों की महानता है. उन का कंजर्वेटिव पार्टी के आंतरिक चुनाव में दूसरे नंबर का नेता यानी 40 फीसदी से अधिक वोट पा लेना सिद्ध करता है कि रंग, धर्म, जाति के नाम पर समाज या राज दिलाना गलत है और जिन्हें हम क्रूर और जल्लाद की तरह बौलीवुड फिल्मों में पेश करते हैं, वे कितने उदारमन, तार्किक और टैलेंट की पहचान करने वाले हैं.

ऋषि  सुनक के हारने पर कोई गम नहीं है, गम इस बात का है कि ऋषि  सुनक का मूल देश भारत इतना उदार और लोकतांत्रिक क्यों नहीं है. इंगलैंड के पूरे चुनाव में रंग, गोरा-काला होने, का जिक्र तक नहीं किया गया जबकि भारत में एक भारतीय दूसरे राज्य में भारतीय नहीं माना जाता, उदहारण के लिए, महाराष्ट्र में बिहारी स्वीकार्य नहीं हैं.

Anupamaa: शाह हाउस वापस लौटेगी किंजल तो राखी दवे करेगी ये काम

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में इन दिनों  लगातार ट्विस्ट टर्न दिखाया जा रहा है. शो के बिते एपिोसड में आपने देखा कि वनराज और बा किंजल से मिलने कपाड़िया हाउस जाते हैं और उसे अपने साथ चलने के लिए कहते हैं. लेकिन अनुपमा बीच में टोकती है और कहती है कि वह जो भी फैसला ले, खुद लें और सोच-समझकर लें. ‘अनुपमा’ में आने वाले एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज और बा किंजल को बार-बार समझाते हैं कि उसे अपने घर चलना चाहिए और वहां रहना चाहिए. किंजल शाह हाउस लौट आती है, लेकिन पारितोष को माफ नहीं करती है. वह कहती है कि यहां पारितोष की पत्नी नहीं बल्कि परी की मां आई है और पारितोष की पत्नी शायद दोबारा आए भी ना.

 

किंजल आगे कहती है कि कोई भी उसपर पारितोष को माफ करने का दबाव न डाले. बापूजी उसका साथ देते हैं. दूसरी तरफ राखी दवे अनुपमा से सवाल करती है कि उसने किंजल को क्यों जाने दिया. वह अनुपमा से कहती है कि पहले तो वह अपनी बेटी की वजह से चुप थी लेकिन अब वह चुप नहीं रहेगी औऱ खुद सारी चीजें हैंडल करेगी.

 

राखी दवे की बात सुनने के बाद अनुज अनुपमा को  इन चीजों से दूर रहने के लिए कहता है.  अनुज कहता है कि यह मैटर शाह परिवार, किंजल और राखी दवे का है. ऐसे में उसे इन चीजों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.

 

क्या क्लाइमैक्स के लिए महिलाओं के लिए लुब्रिकेंट जरूरी है?

सवाल

मैं 27 वर्षीय युवक हूं. मेरी गर्लफ्रैंड है और हम ने अभी तक सैक्स नहीं किया है. मैं जानना चाहता हूं कि और्गेज्म और क्लाइमैक्स के वास्ते महिलाओं के लिए क्या लुब्रिकेंट जरूरी है?

जवाब

लुब्रिकेंट को ले कर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन रहता है. अकसर यह माना जाता है कि महिलाओं का प्राइवेट पार्ट नैचुरली लुब्रिकेटिड रहता है, इसलिए उन्हें लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं होती. ऐसा नहीं है. मार्केट में कई लुब्रिकेंट मौजूद हैं जो उत्तेजना को बढ़ाते भी हैं. इसे प्रयोग कर के आप सैक्स ड्राइव को बेहतर कर सकते हैं.

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सत्यकथा: प्यार के लिए मौत की दावत

29जून, 2022 सुबह का वक्त था. मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया पुलिस थाने में तैनात टीआई रजनी शुक्ला थाने पहुंची ही थीं कि अचानक उन की नजर थाने के बाहर बैठी एक महिला पर पड़ी. लगभग 35 साल की महिला जोरजोर से रो रही थी.

टीआई रजनी शुक्ला ने सोचा कि जरूर इस औरत को उस के पति ने मारापीटा होगा, उसी की रपट लिखाने आई होगी. टीआई रजनी शुक्ला ने उस के करीब जा कर  सहानुभूतिपूर्वक पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम रो क्यों रही हो? जो भी समस्या है साफसाफ मुझे बताओ.’’

अपने आंसुओं को साड़ी के पल्लू से पोंछते हुए उस महिला ने बताया, ‘‘मैडमजी, मेरा नाम सावित्री है और मैं मिर्जापुर गांव से आई हूं.’’

‘‘क्या तुम्हारे साथ किसी ने बदसलूकी की है? खुल कर बताओ.’’

36 साल की सावित्री पटेल रोती हुई बोली, ‘‘मेरे पति बबलू पटेल, जिन की उम्र 37 साल है, कल रात से घर नहीं पहुंचे हैं. वह रात को गांव में ही एक कार्यक्रम में गए हुए थे, लेकिन वापस नहीं लौटे हैं. मुझे आशंका है कि उन के साथ कोई अनहोनी न हो गई हो.’’

यह सुनने के बाद टीआई शुक्ला उस महिला को वहां से अपने कक्ष में ले गईं और कुरसी पर तसल्ली बैठा कर उन्होंने उस से पूछा, ‘‘आखिर तुम्हें अनहोनी की आशंका क्यों है, उन का किसी से लड़ाईझगड़ा हुआ है क्या?’’

‘‘हां मैडम, कल उन का पड़ोस में रहने वाले एक किसान से झगड़ा हुआ था, मुझे अंदेशा है कि कोई उन की जान ही न ले ले.’’ सावित्री बोली.

‘‘तुम चिंता मत करो, हम तुम्हारे पति को जल्द ही खोज निकालेंगे.’’ टीआई ने सावित्री को दिलासा दी और उस से कुछ जानकारी लेने के बाद बबलू की गुमशुदगी दर्ज कर ली. इस के बाद उन्होंने सावित्री को घर भेज दिया. पुलिस ने अपने स्तर से बबलू के लापता होने की जांच शुरू कर दी.

इस बीच 29 जून, 2022 को दोपहर उस वक्त मिर्जापुर गांव में सनसनी फैल गई, जब गांव के लोगों को पता चला कि बबलू का शव जितेंद्र पटेल के खेत में पड़ा हुआ है.

गांव के कुछ लोगों ने जा कर देखा तो मालूम हुआ कि बबलू पटेल की धारदार हथियार से गला रेत कर के हत्या की गई थी.

पथरिया पुलिस को जैसे ही मिर्जापुर गांव में बबलू की लाश मिलने की सूचना मिली तो टीआई एसआई भूमिका विश्वकर्मा व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिर्जापुर गांव पहुंच गईं. टीआई की सूचना पा कर घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम के साथ दमोह जिले के एसपी डी.आर. तानेवार, एसडीपीओ (पथरिया) आर.पी. रावत भी पहुंच गए.

बबलू की लाश के सिर के नीचे गमछा तकिया की तरह रखा था. शर्ट की कालर पर खून के अलावा संघर्ष के कोई निशान नहीं थे. मौके पर पहुंची फोरैंसिक टीम और पुलिस ने अनुमान लगाया कि सोते समय ही बबलू की हत्या को अंजाम दिया गया है.

मौके पर मौजूद मृतक बबलू के भाई ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि 28 जून की रात बबलू गांव में सचिन पटेल के यहां तिलक समारोह में गया हुआ था. वह देर रात अपने घर लौट भी आया था. लेकिन किसी ने उसे फोन कर के बताया कि कार्यक्रम में उस के रिश्तेदार का किसी से झगड़ा हो गया है. इस के बाद वह फिर सचिन पटेल के घर जाने की बोल कर अपने घर से निकला था, लेकिन सुबह होने तक वापस नहीं लौटा.

सावित्री जिस तरह रोरो कर अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंची थी, उसी समय पुलिस को उस पर संदेह हो गया था. मगर पुलिस सबूत इकट्ठे करने की कोशिश में लगी रही. पुलिस बबलू पटेल की हत्या को ले कर सभी ऐंगल से पड़ताल कर रही थी, मगर पुलिस का शक सावित्री पर आ कर टिक गया था.

जब सावित्री से पुलिस ने बारबार पूछताछ की तो वह बयान बदलने लगी और गुमराह करने की कोशिश की. पुलिस ने जब सावित्री की काल डिटेल्स निकाली तो यह बात सामने आई कि सावित्री की सब से अधिक बातचीत किसी हल्ले रैकवार नाम के आदमी से होती थी. जिस दिन बबलू की हत्या हुई, उस दिन भी दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई. पता चला कि हल्ले बबलू पटेल का दोस्त था.

इस के बाद पुलिस को माजरा समझते देर न लगी. पुलिस ने हल्ले को हिरासत में ले कर उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बबलू की हत्या का सारा राज बता दिया और जुर्म कुबूल कर लिया. पूछताछ में हल्ले ने पुलिस को जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.

मिर्जापुर गांव के बबलू पटेल की शादी करीब 10 साल पहले सावित्री से हुई थी. दोनों के 3 बच्चे हुए, जिन में से 2 बेटेऔर एक बेटी हैं. उस की बेटी की उम्र 9 साल है. बबलू और हल्ले की दोस्ती इतनी पक्की थी कि पूरा गांव उन की मिसाल देता था.

हल्ले का बबलू के घर खूब आनाजाना था. वह बबलू की पत्नी को भाभी कह कर खूब हंसीमजाक करता था. बबलू पटेल शराब पीने का आदी था और नशे की हालत में पत्नी व बच्चों के साथ मारपीट करता था. सावित्री बबलू की इन हरकतों से परेशान रहती थी.

जब भी हल्ले सावित्री के घर आता तो सावित्री दिल खोल कर बबलू की हरकतों को हल्ले को बताती थी. इस वजह से हल्ले  सावित्री के प्रति हमदर्दी रखता था. धीरेधीरे यही हमदर्दी उन के बीच प्रेम संबंध में बदल गई.

करीब 4 साल पहले की बात है. एक दिन हल्ले बबलू के घर किसी काम से गया था. उस समय घर पर अकेली सावित्री घर में झाड़ू लगा रही थी. उस के बच्चे घर के पास ही रह रहे दादादादी के पास गए हुए थे. हल्ले ने बाहर से ही सावित्री को देख कर आवाज लगाई, ‘‘अरे भाभी, बबलू घर पर है क्या?’’

‘‘वो तो खेत पर गए हैं, शाम को ही आएंगे,’’ सावित्री बोली.

यह सुन कर हल्ले की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई. वह तेज कदमों से उस के घर के आंगन में दाखिल हो गया और आंगन में बिछे पलंग पर बैठ गया. सावित्री घर की दालान में झाड़ू लगा रही थी. हल्ले की निगाहें सावित्री के गले के नीचे ब्लाउज की दरार से उस के उभारों को ताक रही थीं. जैसे ही सावित्री ने हल्ले की हसरत भरी निगाह को देखा तो आंचल संभालते हुए बोली, ‘‘तुम तो बड़े छिपे रुस्तम हो. निगाहें कहीं पर निशाना कहीं पर.’’

हल्ले मौके की नजाकत को देखते हुए बोला, ‘‘क्या करें भाभी दिल है कि मानता नहीं.’’

‘‘इसलिए तो कहती हूं जल्दी से शादी कर लो तो ये ताकझांक की आदत खत्म हो जाएगी,’’ सावित्री चुहल करते हुए बोली.

‘‘भाभी, बबलू को तो तुम्हारी खूबसूरती दिखती नहीं. मैं तो आप से ही मोहब्बत करता हूं, जी चाहता है तुम से ही शादी रचा लूं.’’ हल्ले धीरे से करीब आ कर बोला.

अपनी तारीफ सुन कर लजाते हुए सावित्री बोली, ‘‘दुनिया वाले क्या कहेंगे कि 3 बच्चों की मां को इश्क का भूत चढ़ा है.’’

हल्ले ने सावित्री का हाथ पकड़ कर उसे कमरे के अंदर खींचते हुए कहा, ‘‘भाभी, दुनिया की ऐसी की तैसी, तुम कहो तो मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’

हल्ले ने सावित्री को कमरे पर बिछी चारपाई पर पटक दिया और उस के होंठों को चूमते हुए बोला, ‘‘भाभी, तुम चिंता मत करो. मैं अब बबलू के अत्याचारों से तुम्हें मुक्ति दिलाऊंगा.’’

हल्ले की बातों और स्पर्श से सावित्री के बदन में भी सरसराहट दौड़ गई थी. इस के बाद उस ने भी हल्ले के सामने खुद को समर्पित कर दिया.

देखते ही देखते ही दोनों के तन के सारे  कपड़े उतर चुके थे. वासना की आग में वे सारी सीमाएं लांघ चुके थे. जब दोनों के तन की आग बुझी तो सावित्री ने हल्ले से कहा, ‘‘जल्द ही कोई उपाय सोचो और बबलू को रास्ते से हटा दो.’’

‘‘तुम चिंता मत करो मैं बबलू का इलाज करता हूं,’’ हल्ले ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा.

हल्ले और सावित्री के प्रेम संबंधों की जानकारी किसी को नहीं थी, क्योंकि हल्ले बबलू का लंगोटिया यार था और बचपन से ही उस का बबलू के घर बिना किसी रोक के आनाजाना था.

बबलू अकसर शराब पी कर घर आता और पत्नी से सैक्स की चाहत करता, मगर शराब के नशे में धुत बबलू से सैक्स संबंध बनाने में सावित्री को अच्छा नहीं लगता था. जब सावित्री सैक्स के लिए मना

करती तो बबलू उस के साथ बेरहमी से मारपीट करता.

बबलू के वहशीपन से परेशान सावित्री और हल्ले इसी फिराक में थे कि किसी तरह बबलू को रास्ते से हटा दिया जाए, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

28 जून, 2022 को जब खेत की मेड़ को ले कर बबलू का गांव के एक किसान से झगड़ा हुआ तो सावित्री ने हल्ले के साथ मिल कर बबलू को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. दोनों ने सोचा कि पुलिस उसी किसान पर शक करेगी, जिस के साथ बबलू का झगड़ा हुआ था, मगर पासा उल्टा पड़ गया.

सावित्री ने अपने प्रेमी हल्ले के साथ मिल कर एक योजना बनाई. उस दिन बबलू रात करीब 9 बजे घर से सचिन पटेल के घर आयोजित तिलक समारोह में जाने के लिए निकला था, इसी दौरान सावित्री ने अपने प्रेमी हल्ले को फोन पर जानकारी दी. हल्ले रैकवार ने बबलू को फोन लगा कर कहा, ‘‘दोस्त, आज खेत पर पार्टी रखी है, जल्दी से आ जाओ.’’

शराब बबलू की बहुत बड़ी कमजोरी थी, जैसे ही शराब पीने का औफर बबलू को मिला वह तिलक का कार्यक्रम छोड़ कर घर आ गया. घर उस ने पत्नी को बताया कि तिलक कार्यक्रम में उस के रिश्तेदार की किसी से कहासुनी हो गई है, इसलिए वह देर से ही घर आएगा.

इतना कहकर वह गांव के ही जितेंद्र पटेल के खेत पर चला गया. जैसे ही बबलू खेत पर पहुंचा तो शराब पीने के लिए उतावला हो गया. उस ने हल्ले से कहा, ‘‘यार, रात बहुत हो गई है जल्दी से पैग बना.’’

योजना के मुताबिक हल्ले रैकवार ने बबलू को इतनी शराब पिला दी कि वह वहीं पर अपने गमछा को सिर के नीचे रख कर सो गया.

बबलू के नशे में बेहोश होने के बाद हल्ले ने धारदार हथियार से बबलू का गला रेत कर उस की हत्या कर दी. बबलू की हत्या के बाद प्रेमी हल्ले ने अपनी प्रेमिका सावित्री को पूरी जानकारी दे दी. सुबह होते ही सावित्री ने ही योजना के अनुसार पथरिया थाने में जा कर पति के गायब होने की सूचना दर्ज कराई थी.

इस पूरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में पथरिया टीआई रजनी शुक्ला, एसआई बलविंदर, हैडकांस्टेबल अरुण, शुभम, कांस्टेबल नरेंद्र एवं रामकुमार पटेल की भूमिका रही.

पुलिस ने आरोपी हल्ले रैकवार और सावित्री को बबलू की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें दमोह जेल भेज दिया गया.

नशे के आदी बबलू की शराबखोरी की वजह से उस की पत्नी सावित्री ने पति के दोस्त से अवैध संबंध कायम कर लिए, जिस का नतीजा यह हुआ कि उन का हंसताखेलता परिवार उजड़ गया और मासूम बच्चे भी अनाथ हो गए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

तृप्त मन: राजन ने कैसे बचाया बहन का घर

राशी की शादी हंसी खुशी के माहौल में संपन्न हो गई और वह विदा हो कर अपने ससुराल चली गई. राजन छोटी बहन की पीड़ा को खूब समझ रहा था लेकिन इस समय उसे समझाबुझा कर सही रास्ते पर लाने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था.

त्यौहार 2022: इस रेसिपी से बनाएं पनीर पुलाव

पनीर पुलाव एक लजीज व्यंजन है इसे लगभग हर कोई खाना पसंद करता है. इसमें पनीर और चावल के साथ-साथ सब्जियां भी होती है. यह इतना ज्यादा स्वादिष्ट लगता है कि इसे बच्चे खाना पसंद करते हैं. आप इसे करी या फिर रायता के साथ परोस सकते हैं. आइए जानते हैं पनीर पुलाव बनाने की विधि.

समाग्री

बासमती चावल

पानी

पनीर

प्याज

गाजर

हरी टमाटर

जीरा

तेजपत्ता

इलायची लौंग

रेड चिली पाउडर

गरम मसाला

विधि

चावल को अच्छे से बीनकर धो लें उसके बाद एक कप पानी में भिंगने के लिए छोड़ दें.अब कुछ देर बाज चावल को माइक्रोवेब में या फिर किसी और चीज में उबाल लें ध्यान रखें कि चावल एकदम खिले-खिले होने चाहिए. अब चावल को ठंडा होने दें.

अब प्याज को छील लो और इसे बारीक लंबा काट लो, गाजर को धोकर लंबा काट लें और इसे लंबा- लंबा काट लें. हरे मटर के दाने को अलग लेकर रख सकती हैं या फिर आप फ्रोजन मटर भी रख सकती हैं.  पनीर के टुकड़े को काट लें और फिर उसमें क्यूब के आकार देदें. पनीर को आप चाहे तो तल भी सकते हैं.

अब कड़ा ही में तेल गर्म करके पहले काजू को भूरा करके निकाल लें , इसके बाद इसे पनीर के साथ रख दें. अब आंच डलाकर घी डालें, जब घी गर्म हो जाए तो उसमें जीरा और हींग डालने के बाद उसमें प्याज डालकर भूने, अब इसमें तेजपत्ता, हरी मिर्च लौंग इलायची डालकर अच्छे से भूनें. इसके बाद आप इसमें गर्म मसाला डाल दें.

जब ये अच्छे से पक जाएं तो उसमें प्याज और बाकी कटी हुई सब्जियां डालकर अच्छे से भूनें उसके बाद उसमें चावल को मिला दें और नमक स्वाद अनुसार डालें. सभी चीजों को मिलाने के बाद 2 मिनट तक पकाएं. अब आप चाहे तो इसे पड़ोस सकते हैं.

Anupamaa: किंजल को लेकर अनुपमा और वनराज में फिर छिड़ेगी जंग!

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ टीआरपी लिस्ट में  लगातार  टॉप पर बना हुआ है. शो में आए दिन  ऐसे-ऐसे मोड़ देखने को मिल रहे हैं जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि  पारितोष नशे में अनुपमा-अनुज के घर में जाकर तमाशा करता है.  ऐसे में अनुज का खून खौल जाता है और वह वनराज को फोन करके उसे ले जाने के लिए कहता है.शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज और अनुपमा में नाराजगी बढ़ जाती है लेकिन बाद में अनुज बताता है कि वह अनुपमा की वजह से नहीं बल्कि इन बेवजह कलेशों से परेशान है.

 

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तो दूसरी ओर वनराज किंजल को लेकर फिक्रमंद है तो वहीं दूसरी ओर बा उसे किंजल को अनुपमा के घर से लाने के लिए कहती हैं. वह वनराज से कहती हैं कि परिवार में डोर कसी जाती है न कि तोड़ी जाती है. कल अगर तोषू ने कुछ कर लिया तो क्या किंजल सही से रह पाएगी. तू जैसे-तैसे किंजल और परी को वापस लेकर आ…

 

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वनराज और बा, अनुपमा के घर जाते हैं. वह किंजल से कहता है कि मैं तोषू को माफ नहीं करूंगा लेकिन तुम अपने घर चलो. तोषु की सजा परी को नहीं दे सकते. परी को  संभालने के लिए केवल अनुपमा है, लेकिन शाह हाउस में उसे सबकी मदद मिलेगी. बा इसी बीच बोलने से नहीं चूकतीं और कहती हैं कि तू तोषू को एक मौका दे और अगर वो न सुधरे तो कोई फैसला लेना.

 

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तो दूसरी तरफ अनुपमा इस मामले में  टूट पड़ती है. वह वनराज और बा से कहती है कि आप लोग किंजल पर दबाव मत डालिए और वह समझाने लगती है. जिसपर वनराज का खून खौल जाता है और वह कहता  है कि जब मैं तुम्हारे बीच नहीं बोलता तो तुम मेरे और किंजल के बीच में क्यों बोल रही हो. हमें तुमसे परमिशन लेने की जरूरत नहीं है.

हिंदी फिल्मों में वीएफएक्स पर बेवजह करोड़ों रूपए खर्च किए जाते हैं: प्रदीप खड़का

नेपाली सिनेमा के सुपर स्टार प्रदीप खड़का बचपन से ही हिंदी फिल्में और हिंदी टीवी सीरियल देखने के शौकीन रहे हैं.पर अभिनेता बनेंगें ,ऐसा नहीं सोचा था.बचपन में वह अक्सर अपनी मां से सवाल किया करते थे कि टीवी के अंदर लोग कैसे जाते हैं. बहरहाल,उन्होने मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री हासिल की.इसके बाद उन्हें नेपाल टीवी पर नौकरी मिल गयी.कुछ समय बाद वह नेपाल टीवी पर नौकरी करते हुए रियालिटी शो निर्माण करने लगे.कुछ लोगों ने उनके दिमाग में भर दिया कि उन्हें अभिनेता बनना चाहिए.तब 2015 में महज 21 साल की उम्र में प्रदीप खड़का ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘प्रदीप मीडिया प्रा.लिमिटेड’ का रजिस्ट्रेशन करवाकर नेपाली भाषा की दो कम बजट वाली फिल्में ‘‘ठुल्ले मंझे’’ तथा ‘‘एस्केप’’ फिल्मों का निर्माण किया.इनमें से ‘एस्केप’ में उन्होने अभिनय भी किया.‘एस्केप’ को  सफलता नहीं मिली,लेकिन एक निर्माता ने उन्हें नेपाली फिल्म ‘‘प्रेम गीत’’ में हीरो बना दिया. इस फिल्म ने सफलता के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए प्रदीप खड़का को सुपर स्टार बना दिया. इसके बाद वह ‘प्रेम गीत 2’ मे नजर आए. इस फिल्म ने भी सफलता का परचम लहराया. फिर ‘प्रेम गीत 3’ बनी, जिसे हिंदी में भी डब करके 23 सितंबर को नेपाल,भारत व अन्य देशों में प्रदर्शित किया गया.

प्रस्तुत है प्रदीप खड़का से हुई बातचीत के अंश…

आपकी फिल्म ‘‘प्र्रेम गीत 3’’ पहली नेपाली फिल्म है,जिसे हिंदी में भी डब करके भारत के छह सौ सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया.यह ख्याल किसके दिमाग में आया था?

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पहली बात तो मैं स्पष्ट कर दॅूं कि मेरा मकसद नेपाली फिल्म इंडस्ट्री को विकास के पथपर ले जाना है.इसलिए मैं एक समय में एक ही फिल्म में अभिनय करता हूं, उस फिल्म के साथ शुरू से हर विभाग में जुड़ा रहता हूं. तो निर्माता के साथ बैठकर हम सभी ने इसे हिंदी में डब करने का निर्णय लिया था. नेपाली फिल्म इंडस्ट्री छोटी है. नेपाली फिल्मों का बाजार भी छोटा है. तो हम सभी बैठकर अक्सर सोचते रहते थे कि नेपाली फिल्मों के बाजार को किस तरह से बढ़ाकर इस इंडस्ट्री को मजबूत किया जाए. जब हमने देखा कि दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्में हिंदी में डब होकर रिलीज हो रही हैं, तो हमने सोचा कि हम नेपाली फिल्म को भी हिंदी में डब करके भारत में प्रदर्शित कर 140 करोड़ दर्शकों तक पहुॅच सकते हैं.वैसे भी नेपाल व भारत में काफी समानताएं भी हैं. हमने सोचा कि नेपाल में वर्ष में सौ फिल्में बनती हैं.अगर इनमें से दस फिल्में भी हिंदी में डब करके भारतीय दर्शकों तक पहुॅचे,तो काफी उचित होगा. हमारी कुछ फिल्में मास इंटरटेनर भी बनसकती हैं. पहले हम ‘प्रेम गीत 3’ को हिंदी में डब करके ‘ओटीटी प्लेटफार्म’ पर ले जाना चाहते थे. हमने डबिंग का काम मुंबई में आकर शुरू किया, तभी ‘कोविड ’ महामारी फैल गयी,तो कुछ समय के लिए हमारा काम रूक गया.पर डबिंग का काम पूरा होने के बाद बौलीवुड के कुछ लोगों ने फिल्म देखी,तो उन्होने इसे सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की सलाह दी. फिर हमने ट्रेलर लाॅच किया.जिसका इतना अच्छा रिस्पांस मिला कि हमने इसे सिनेमाघरों में ही प्रदर्शित करने की योजना बनायी.उसके बाद हमने दिल्ली, शिलांग,देहरादून,गौहाटी व मुंबई सहित कई शहरों में गए और लोगों से व मीडिया से अपनी फिल्म पर चर्चा की. हर शहर में लोगों ने हमें खुले दिल से स्वीकार किया.इससे हमारा विश्वास बढ़ गया था कि लोग हमारी फिल्म ‘प्रेम गीत 3’ को भी स्वीकार करेंगे.हमारी फिल्म पूरे विश्व में 1200 सिनेमाघरों में 23 सितंबर को प्रदर्शित हुई,उनमें से सिर्फ भारत में छह सौ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई.पहले दो दिन तो दर्शकों का जबरदस्त उत्साह रहा. हम खुश हैं. हमने ‘प्रेम गीत 3’ के माध्यम से हमारी नेपाली फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को संदेश दे दिया है कि अगर वह अच्छा काम करेंगे, अच्छी फिल्में बनाएंगे,तो यहां तक पहुॅच सकते हैं. तो हमने एक राह बना दी है. अब बाकी के लोग इस राह को कितना चैड़ा कर पाते हैं,यह तो वक्त बताएगा. भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं.किसी को भी भारत से नेपाल या नेपाल से भारत आने जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरुरत नही है. हिमालय की चोटी से लेकर समुद्र के किनारे तक हम खुला रिश्ता रखते हैं. बौलीवुड सिनेमा का खूबसूरत बगीचा है. इसमें नेपाली फिल्म का एक दो फूल लगेगें तो और बेहतर ही होगा.

फिल्म ‘‘प्रेम गीत 3’’ को लेकर क्या कहना चाहेंगें?

इसमें इमोशन की भरमार है.वहीं यह एक पीरियड वाली प्रेम कहानी है.यह प्रेम नामक लड़के व गीत नामक लड़की की प्रेम कहानी है.अब तक हमने फिल्मों में प्यार को पाने के लिए प्रयास करते,हर अवरोध को दूर करते हुए ही देखा है.पर यहां प्रेम में त्याग की बात है.प्रेम एक राज्य का प्रिंस यानी कि राज कुमार है.जबकि गीत एक गांव की साधारण लड़की है.

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प्रेम में त्याग की भावना वाली कहानी तो माॅडर्न युग की भी हो सकती थी.ऐसे में इसे 1880 सदी के पीरियड में क्यों रखा गया?

वास्तव में हमने जिस कहानी से प्रेरित होकर ‘प्रेम गीत 3’ की कहानी का ताना बाना बुना है,वह 1800 सदी की ही कहानी है.हमारे देश नेपाल में भी कभी राजा का शासन हुआ करता था,पर अब नही है.हमारे यहां सात राज्य है,जिन्हें मिलाकर पूरा गणराज्य बना है.हमारे नेपाल के जो अंतिम राजा /मोनार्की थे,उनके दो बेटे थे.इसी तरह हमारी फिल्म की कहानी एक हिमालय के राज्य की है. और इस राजा के भी दो बेटे हैं.हमने नेपाल में घटित कई घटनाक्रमों को अपनी इस फिल्म की कहानी का हिस्सा बनाया है.यदि हम इसे माॅडर्न जमाने में ले जाते,तो फिर राजशी लुक नही दिखा सकते थे और कहानी में जो कंफलिक्ट है,वह उस तरह से उभरकर न आ पाता.इसलिए हमने पीरियड फिल्म बनाने की सोची.नेपाल में इस तरह की एक दो फिल्में ही बनी है.पर ‘प्रेम गीत 3’ का स्तर काफी उंचा है.वैसे भी हिमालय किंगडम के नाम से कभी नेपाल जाना जाता था.

नेपाल में भी राजा रहे हैं.तो क्या वहां पर इस तरह का कुछ था?

जी हाॅ!एक वक्त में नेपाल में माओवादी आंदोलन था.जो कि विरोध किया करते थे.तो हमारी फिल्म में भी ऐसे तत्व हैं,जिन्हे विद्रोही नाम दिया गया है.जिन्हें लगता है कि उनकी मांगे पूरी नही हो रही है.ऐसे माओवादी अपनी मांग को लेकर नेपाल में झगड़ रहे थे.इस तरह के तत्व भारत में भी है.तो जो लोग नेपाल के राजनैतिक हालात से थोड़ा बहुत परिचित हैं,वह हमारी फिल्म के साथ रिलेट कर रहे हैं.

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फिल्म के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगें?

-मैंने इसमें प्रेम का किरदार निभाया है,जो हिमालय राज्य का प्रिंस /राज कुमार है और उसे गांव की लड़की गीत से प्यार है.प्रिंस का एक भाई भी है.मगर ज्योतिषियों के अनुसार प्रिंस का ही राजा बनना हर किसी के हित में होगा.अब दो युवाओं के प्रेम के बीच कोई आएगा,तो कंफलिक्ट होना स्वाभाविक है.कहावत है कि प्रेम व युद्ध में सब कुछ जायज है.इसी के चलते प्रेम भी अपने प्यार के लिए सब कुछ करता है.हमारे यहां नेपाल में गीत को मीठा गाना हालेते हैं.उसी तरह से गांव की लड़की गीत एक ऐसी मिठास है,जिसके प्यार को हर वक्त महसूस कर सकते हैं.यह फिल्म प्यार,मोहब्बत और त्याग की कहानी है.

फिल्म को हिमालय पर जाकर फिल्माने की कोई खास वजह रही?

-अमूमन काल्पनिक दृश्यों को सभी फिल्मकार अपनी फिल्मों में तमाम दृश्यों को वीएफएक्स के जरिए दिखाते हैं. लेकिन हमारे यहां इतनी अधिक खूबसूरत लोकेशन है कि हमें कल्पना का सहारा लेकर उसे वीएफएक्स से गढ़ने पर पैसा नही खर्च करना चाहिए.हमारे देश में तो ऐसी खूबसूरत जगहें हैं,जिनके बारे में मैं सपने में भी नहीं सोच पाता.मैं तो चाहता हॅूं कि हर फिल्मकार वीएफएक्स का सहारा लेने से पहले इन लोकेशनों पर जाकर देखें.तो वह यूरोप या स्विटजरलैंड सब कुछ भूल जाएंगे.हमाने अपनी फिल्म ‘प्रेम गीत 3 ’को ऐसी ही लोकेशन यानी कि हिमालय पर फिल्माया है,इस तरह की लोकेशन की तो लोग कल्पना भी नही कर सकते.जबकि इस तरह की लोकेशन पर दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर दो तीन घ्ंाटे व काठमांडू से एक घंटे में पहुंच सकते हैं.हमने हमारी फिल्म को हिमालय की पहाड़ियों पर मनंग क्षेत्र में फिल्माया है.

हिमालय के मनंग इलाके में शूटिंग के अनुभव क्या रहे?

-हमने माइनस 29 डिग्री के तापमान में शूटिंग की है. ठंड के चलते हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा.वहां पर अधिक से अधिक तापमान माइनस दस सिर्फ एक सप्ताह तक रहा.इतनी ठंड में रोजमर्रा की जिंदगी की हर गतिविधि पर भी असर पड़ता है. मसलन-मुंह धोना या हाथ पैर धोना हो या बिस्तर से नीचे उतरना भी संघर्ष में बदल जाता है.इतनी ठंड के चलते हमारी युनिट के किसी सदस्य का ‘ब्लड क्लाॅटिंग’ यानी कि ‘खून जम’ रहा था.मेरे पैर का एक्सीडेंट हो गया था,जिससे काफी सूजन आ गयी थी.तो हमने काफी दिक्कतों का सामना किया.हमारी पूरी युनिट बहादुरी के साथ डटी रही और हम सभी ने अपने काम को खूबसूरती से अंजाम दिया. लेकिन जब हम सभी ने शूटिंग के बाद जो फिल्म में देखा,वह देख सारे दर्द खुशी में बदल गए.

आपकी राय में हर फिल्म निर्माता को वीएफएक्स पर पैसा खर्च करने की बजाय वास्तविक लोकेशनों पर जाकर अपनी फिल्म को फिल्माना चाहिए?

-वीएफएक्स का उपयोग सिर्फ एक्सटेंशन या रिमूवल वाले हिस्से के लिए ही करना ठीक रहता है.कम बजट वाली फिल्म के लिए तो वीएफएक्स बिलकुल नहीं करना चाहिए.नेपाली फिल्म इंडस्ट्री के लिए तो वीएफएक्स गैर वाजिब है.वीएफएक्स मे काफी मैन पाॅवर और पैसा लगता है,जो कि मेरी नजर में गलत है.बौलीवुड के फिल्मकार इतना अधिक पैसा खर्च करने में सक्षम है. लेकिन इमानदारी से कहॅूं तो मुझे बड़े बजट की वीएफएक्स वाली हिंदी फिल्मों में ढेर सारी कमियां नजर आती हैं. देखिए,वीएफएक्स से आप सब कुछ उत्तम दर्जे का नहीं पेष कर सकते. मेरी फिल्म में जो हिमालय की वास्तविक संुदरता है,उसे आप करोड़ों रूपए वीएफएक्स पर खर्च करके भी नहीं ला सकते? मैं तो यही कहॅूंगा कि इस तरह के वीएफएक्स पर पैसा बर्बाद करने की बजाय हम फिल्म के वास्तविक लोकेषन पर फिल्माकर बेहतरीन फिल्म बना सकते हैं. दर्शक को भी फिल्म देखते समय नकलीपन नजर नहीं आएगा. और हम इमोशन को डिस्टै्क्ट करने से बचा सकते हैं.

क्या आपको लगता है कि भारत व नेपाल के कल्चर में समानताएं हैं.इमोशनंस एक जैसे हैं,इसका फायदा अपकी फिल्म को मिल रहा है?

-जी हाॅ!यह कटु सत्य है.आप कल्चर व इमोशंस की बात कर रहे हैं.आप गौर करेंगे,तो पाएंगे कि भारत व नेपाल के त्यौहार और लोगों के ‘सरनेम’ वगैरह भी एक जैसे ही हैं.सिंह,सेन,थापा,शर्मा दोनो जगह हैं.हमारे यहां दसई होता है और भारत में दशहरा होता है.इसी तरह से कई त्यौहार दोनो देशों में होते है, सिर्फ नाम में थोड़ा सा अंतर है.देवनागरी लिपि एक जैसी है.

नेपाल फिल्म इंडस्ट्री में किस तरह के बदलाव आप देख रहे हैं?

सबसे बड़़ा बदलाव तकनीक का है.पहले हम रील्स पर काम करते थे. अब हम डिजिटल पर काम कर रहे हैं.हम द्रोण से शूटिंग करते हैं. अभी हमने पोस्ट प्रोडक्शन पर ज्यादा इंवेस्टमेंट नही किया है.

बौलीवुड के किस कलाकार से प्रभावित हैं?

मैं तो अमिताभ बच्चन, गोविंदा, शाहरुख खान, सलमान खान, इरफान खान, नवाजुद्दीन सिद्दिकी व मनोज बाजपेयी आदि से प्रभावित होकर आया हॅूं. जैसे समुद्र से पानी की भाप बनकर हिमालय पर जाकर ठंडी होकर बर्फ बनता है और वहां से पिघलकर पुनः समुद्र में मिल जाता है.मैं भी इसी तरह हिंदी फिल्में देखकर प्रभावित होता था, अब वहां से पिघलकर पुनः वापस भारत में आ गया हॅूं.तो मैं बौलीवुड जैसे समुद्र में एक बूंद बनकर आया हॅूं.

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