सवाल
मैं 45 वर्षीया गृहिणी हूं. परिवार में सब ठीकठाक चल रहा है. बच्चे अपनीअपनी पढ़ाई और जौब में लगे हुए हैं. पति अपने औफिस वर्क में बिजी रहते हैं. लाइफ अपनी रूटीन में चल रही है. लेकिन फिर भी मैं पता नहीं क्यों स्ट्रैस में रहती हूं. कोई चिंता न होते हुए भी मन बेचैन सा रहता है. स्टैसफ्री रहना चाहती हूं, लेकिन रह नहीं पाती. लगता है जीवन में कुछ कमी सी है.
जवाब
लगता है आप कुछ ज्यादा ही फ्री हो गई हैं लाइफ में. जब कभीकभी इंसान ज्यादा ही खाली हो जाता है तो कुछ न कुछ सोचना शुरू कर देता है. ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो पहले बहुत काम में बिजी रहते थे लेकिन अचानक फ्री हो जाते हैं. फ्री होने की आदत न होने के कारण दिमाग कुछ न कुछ सोचना शुरू कर देता है. कुछ ऐसा ही आप के साथ हो रहा है.
आप फालतू की बातें न सोच कर अपने दिमाग को दूसरी तरफ लगाएं, जैसे फोन पर दोस्तों के साथ बातचीत कीजिए, घर के काम करते वक्त या खाली बैठे हुए गाने चलाया कीजिए आदि. इस सब से आप का समय बिजी रहेगा. लोगों से मिलिएजुलिए. कोई क्लब या किटी पार्टी जौइन कर लीजिए. दोस्तों के साथ समय गुजारिए. जिंदगी का नाम ही परेशानी है. जब आप की जिंदगी में परेशानी नहीं है, जो बहुत ही अच्छी बात है तो क्यों जबरन परेशानियां ओढ़ने की कोशिश कर रही हैं. मस्त रहिए और लाइफ को एंजौय करने की कोशिश करें.
अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz