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विंटर स्पेशल: क्या आपको पता है शहद खाने के ये 8 फायदे?

प्राचीन काल से ही शहद को इस के स्वाद और सेहत वाले गुणों के लिए जाना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि आज से लगभग 4000 साल पहले सुमेरियन क्ले टैबलेट्स में इस का दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. माना जाता है कि सुमेरियन चिकित्सा के 30% इलाजों में शहद शामिल होता था. प्राचीन इजिप्ट में शहद का उपयोग त्वचा व आंख संबंधी रोगों के निदान के लिए किया जाता था. भारत में सिद्धा और आयुर्वेद जैसे पुराने व परंपरागत चिकित्सकीय तरीकों में शहद की अहम भूमिका रही है.

शहद खून के लिए वरदान:

रैड ब्लड सैल्स पर इस का सब से ज्यादा असर देखने को मिलता है. यह हीमोग्लोबिन लैवल को बढ़ाने में भी सहायक है. ऐसा भी माना जाता है कि कीमोथैरेपी करवाने वाले मरीजों में यह व्हाइट ब्लड सैल्स को कम होने से रोकता है.

शहद ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीसेप्टिक है:

यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से रक्षा करता है. इस के प्रतिदिन सेवन से सांस संबंधी रोगों जैसे कफ और अस्थमा के नियंत्रण में सहायता मिलती है.

शहद वजन कम करता है:

कुनकुने पानी व नीबू के रस के साथ शहद लेने से वजन कम करने में सहायता मिलती है.

शहद बनाए ऊर्जावान:

इस में शुगर के तत्त्वों ग्लूकोज और फ्रूक्टोज होने के कारण यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है

शहद सुधारे पाचनक्रिया:

यह पेट फूलना, कब्ज और गैस की समस्या को दूर करने में सहायक है. इस में प्रोबायोटिक या अच्छे बैक्टीरिया जैसे बिफिडो और लैक्टोबेसिल पाए जाते हैं, जो पाचनक्रिया को दुरुस्त कर रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं व ऐलर्जी से बचाते हैं.

शहद और दूध की ताकत:

इन दोनों का एकसाथ इस्तेमाल त्वचा को साफ कर उसे दमकाता है. इस के ऐंटीऔक्सिडैंट गुणों के कारण इसे ऐंटीएजिंग औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. अनिद्रा रोग में भी यह प्रभावकारी है.

शहद है पोषण से भरपूर:

इस में स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी ऐंजाइम, विटामिन, मिनरल और पानी होने के साथसाथ यह इकलौता ऐसा खाद्यपदार्थ है जिस में पोषक तत्त्व पाइनोकेम्ब्रिन पाया जाता है, जो दिमाग की कार्यशैली को सुचारु रखता है.

शहद है गुणों की खान:

अपने ऐंटीइन्फ्लेमैटरी गुण के चलते यह तमाम तरह की ऐलर्जी से सुरक्षित रखता है. इस का इस्तेमाल याद्दाश्त बढ़ाने और रूसी से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है.

मधुमक्खियों से जुड़े अनूठे तथ्य

मधुमक्खियां एक दिन में लगभग 2,25,000 फूलों पर विचरण करती हैं. 1 पाउंड शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग 20 लाख फूलों पर विचरण करना पड़ता है और इस दौरान वे 55,000 मील की यात्रा करती हैं.

मधुमक्खियां कभी नहीं सोतीं और आपस में डांस व संकेतों के जरीए बातचीत करती हैं.

यह इकलौता कीट है जो इंसानों के खाने लायक उत्पाद तैयार करता है.

मधुमक्खियां 170 तरह की गंध पहचान सकती हैं जबकि फ्रूट फ्लाइज मात्र 62 और मच्छर 79 गंध ही पहचान सकते हैं. इन की असाधारण घ्राणशक्ति में साथी मधुमक्खियों को पहचानने व छत्ते में बातचीत करने की क्षमता के साथसाथ खाना पहचान कर ढूंढ़ने की क्षमता भी शामिल है.

विंटर स्पेशल: जीरो आयल चटपटी चाट

चाट का नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता है पर अक्सर हेल्थ कॉन्शस लोग इसके तले भुने और मिर्च मसालेदार होने के कारण चाट खाने की इच्छा होने के बाद भी मन मारकर रह जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें निहित  तेल मसाले उनके स्वास्थ्य और वजन के लिए हानिकारक सिद्ध न हो जाये.
यहां हम बताना चाहेंगे कि आवश्यक नहीं कि हर चाट आपके लिए हानिकारक ही हो. आज हम आपको ऐसी ही तली भुनी सामग्री रहित दो स्वादिष्ट और हैल्दी चाट बनाना बताएंगे जिन्हें आप चाहे जितना खा सकते हैं और जो आपको स्वाद के साथ साथ भरपूर पौष्टिकता भी देंगी क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं तो आइए जानते हैं इन्हें कैसे बनाते हैं-
1 ओट्स कॉर्नफ्लैक्स चाट
कितने लोगों के लिए- 4
बनने में लगने वाला समय- 10 मिनट
मील टाइप- वेज

सामग्री

सादा ओट्स             1 कप
कॉर्नफ्लैक्स               1 कप
अंकुरित मूंग               1 कप
बारीक कटा प्याज       1
बारीक कटा खीरा        1
कटी हरी मिर्च              2
उबला और कटा आलू    1
इमली की चटनी            1 टीस्पून
धनिया की चटनी        1 टीस्पून
चाट मसाला                 1/2 टीस्पून
नीबू का रस                   1 टीस्पून
नमक                            1/4 टीस्पून
भुना जीरा पाउडर            1/2टीस्पून
फीके सेव(एच्छिक)          1 टेबलस्पून
अनार के दाने                    1 टेबलस्पून
कटा हरा धनिया                 1 टेबलस्पून
विधि
ओट्स और कॉर्नफ्लैक्स को बिना चिकनाई के एक  नॉनस्टिक पैन में अलग अलग हल्का सा भून लें, ध्यान रखें कि इनका रंग परिवर्तित न होने पाए. ठंडा होने पर एक बाउल में सेव, अनार के दाने को छोड़कर समस्त सामग्री को डालकर अच्छी तरह मिलाएं. तैयार चाट को सेव और अनार के दाने डालकर सर्व करें.
2. शेजवान कॉर्न चाट

कितने लोंगो के लिए- 4
बनने में लगने वाला समय- 10 मिनट
मील टाइप- वेज
सामग्री
उबले स्वीट कॉर्न               2 कप
बारीक कटा पनीर या टोफू    1 कप
पिघला मक्खन              1 टेबलस्पून
कटा प्याज                     1
कटी हरी मिर्च                 2
कटा टमाटर                    1
नीबू का रस                  1/2टीस्पून
रोस्टेड मूंगफली            2 टेबलस्पून
काला नमक                1/4 टीस्पून
चाट मसाला                 1/4 टीस्पून
भुना जीरा पाउडर         1/4 टीस्पून
काली मिर्च पाउडर         1/4 टीस्पून
शेजवान चटनी               1 टीस्पून
कटी हरी धनिया              1 टेबलस्पून
विधि
एक बाउल में धनिया को छोड़कर समस्त सामग्री डालकर भली भांति चलाएं. तैयार चाट को कटा हरा धनिया डालकर सर्व करें.

तेरे सुर और मेरे गीत-भाग 2: श्रुति और वैजयंति का क्या रिश्ता था

मेरा घर हेमा जी के घर के सामने ही था. उन के किचन की खिड़की, मेरे किचन की खिड़की के सामने ही खुलती थी. मैं रोज देखती, हेमा जी की बेटी वैजंती किचन में काम कर रही होती. फिर तैयार हो कर वह औफिस के लिए निकल जाती थी. कभीकभी उन के घर से गाने की बड़ी सुरीली आवाज भी सुनाई पड़ती थी मुझे. एक दिन जब मैं उन के साथ मार्केट गई, तो वे मुझे पूरे रास्ते दुकान, मौल, पार्लर, धोबी के बारे में बताती रहीं कि किस की दुकान कहां है और कहां क्या मिलता है.

गाड़ी चलाना आता था मुझे, इसलिए अब मैं खुद ही घर के सारे छोटेमोटे काम करने लगी. यहां तक कि शेखर को भी मैं ही बताती कि कौन सी दुकान कहां है और कौन सी चीज कहां मिलती है. उस पर हंसते हुए शेखर बोले भी थे, ‘गुरु गुड़ बन गया और चेला चीनी.’ यहां चेला मैं थी. मुझे तो लगता है पति पर आश्रित रहने के बजाय, औरतों को खुद में ही सक्षम बन जाना चाहिए. इसलिए मैं घर के छोटेमोटे काम, जैसे बाजार से सब्जी, राशन लाना, गैस सिलैंडर लगाना, फ्यूज ठीक करना वगैरह सीख लिया था. हां, लेकिन अगर कहीं नई जगह रहने जाओ तो थोड़ी तो परेशानी होती ही है. लेकिन शेखर तो शुरू से ही ‘मस्तराम मस्ती में, आग लगे बस्ती में’ जैसे इंसान रहे हैं. कोई मतलब नहीं उन्हें घर के कामों से. सो, मैं ही कमर कस लेती हूं. जानबूझ कर हम ने अपने दोनों बच्चों को होस्टल में डाल दिया था ताकि इस ट्रांसफर के चक्कर में उन की पढ़ाई न बिगड़े. बड़ा बेटा अतुल इंजीनियरिंग के सैकंड ईयर में है और छोटा बेटा नकुल इस साल बोर्ड की परीक्षा देगा.

उस रोज मैं ने हेमा जी को गौर से देखा. भले ही वे अपनी उम्र से 10 साल बड़ी लग रही थीं और शरीर भी वजनदार था लेकिन वे मुझ से पांचछह साल से ज्यादा बड़ी नहीं होंगी क्योंकि इंसान के चेहरे से उस की उम्र का पता तो लग ही जाता है. वैसे भी, महिलाएं पचास की हों या साठ की, किसी के मुंह से अपने लिए आंटी सुनना अच्छा नहीं लगता है उन्हें. याद है एक सीरियल आता था, ‘हम पांच’. उस में एक महिला को कोई आंटी कह देता, तो वह चिढ़ उठती थी और कहती, ‘मुझे आंटी मत कहो न.’ और हम सब खूब हंसते थे. लेकिन महिलाएं ही क्यों…

अब तो पुरुषों को भी अंकल सुनना नहीं पसंद. कैसे घूर कर देखते हैं जब कोई उन्हें अंकल बोल दे तो. लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि मैं उन्हें बुलाऊं क्या? नाम पुकार कर बोलना अच्छा थोड़े ही लगेगा. सो, मैं उन्हें ‘दीदी’ बुलाने लगी. बड़ी खुश हुईं सुन कर और बोलीं कि उन की भाषा में दीदी को ‘अक्का’ बुलाते हैं. अपने पतिश्री राम निवास से परिचय कराते हुए हेमा जी बोलीं, “ये वैजंती के अप्पा. मतलब पप्पा.” तो मैं ने उन्हें हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा. बदले में वे भी हंस कर नमस्ते बोले और पूछने लगे कि मैं कहां की रहने वाली हूं. मेरे पति क्या काम करते हैं और बच्चे कितने हैं वगैरह. उन्होंने बताया कि वे एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हैं.

अभी तक मेरी उन से बाहर से ही बातें होती रहीं. सोचा,किसी दिन समय निकाल कर उन के घर जाऊंगी. लेकिन घर के कामों से समय ही नहीं मिल पाता था जो जाती. शेखर औफिस के काम से 2 दिनों के लिए शहर से बाहर गए हुए थे. काम ज्यादा नहीं था, इसलिए सोचा, हेमा जी के घर घूम आती हूं. मुझे देखते ही वे खुशी से चहक उठीं.

लेकिन मैं तो उन का घर ही देखती रह गई. घर इतना सजासंवरासमेटा हुआ था कि क्या कहें. दीवारों पर टंगी खूबसूरत पेंटिंग्स, सोफ़े से मैच करता हुआ परदा, कोने में रखा फूलों का गुलदस्ता. मतलब, घर का हर सामान अपनी जगह पर सही से रखा हुआ था. लग रहा था जैसे घर में अभीअभी झाड़ूपोंछा हुआ हो. और एक मेरा घर… कोई भी सामान सही जगह पर नहीं मिलता. ढूंढना पड़ता है. अपने घर को इस तरह निहारते देख हेमा जी कहने लगीं कि यह सब वैजंती का काम है. उसे साफसुथरा और सजा हुआ घर अच्छा लगता है. ये सारी पेंटिंग्स भी वैजंती ने ही बनाई हैं. और वह गाना भी बहुत अच्छा गाती है. “अच्छा, तो वह गाने की आवाज वैजंती की है, म्यूजिक क्लास का कोर्स किया होगा?” मैं बोली तो कहने लगीं कि नहीं, उस ने कोई कोर्स वगैरह नहीं किया है. “बाप रे, फिर इतना अच्छा कैसे गा लेती है. विश्वास नहीं होता कि एक इंसान में इतने सारे गुण भी हो सकते हैं. मेरा भांजा भी बहुत अच्छीअच्छी कविताएं लिखता है. वह वैजंती की उम्र का ही है,” मैं बोली तो वे मुसकरा पड़ीं.

“एक बात कहूं दीदी, आप का समय अच्छा है जो आप को इतनी अच्छी बेटी मिली. काश, मेरी भी एक बेटी होती,” मैं ने कहा, किंतु उत्तर में उन के चेहरे पर पीड़ामिश्रित मुसकान देख मुझे थोड़ा अजीब लगा. मैं आगे और कुछ बोलती, तब तक वैजंती, ‘ओह, आज तो बहुत थक गई मैं’ बोल कर वह सोफ़े पर बैठ गई और कहने लगी कि बस में बहुत भीड़ थी. पैर रखने तक की जगह नहीं थी. कैसे आई हूं मैं वही जानती हूं. लेकिन जैसे ही उस की नजर मुझ पर पड़ी, मुसकराती हुई मुझ से नमस्ते कहा. लेकिन मैं तो उसे देखती ही रह गई. दूर से पता नहीं चला. लेकिन करीब से उस की सुंदरता देख दंग रह गई मैं. गज़ब की खूबसूरत थी. रंग भले ही उस का सांवला था पर उस के नैननक्श…ओह, क्या कहें, लग रहा था जैसे प्रकृति की सारी खूबसूरती वैजंती में आ कर समा गई हो. उस की बड़ीबड़ी काली आंखें, काले घुंघुराले बाल और मासूम मुसकान पर मैं तो फिदा ही हो गई. मुझे हेमा जी से ईर्ष्या भी हो आई कि कितनी अच्छी बेटी पाई है उन्होंने. कुछ देर में वैजंती 2 कप चाय और कुकीज़ के साथ उपस्थित हो गई. “चाय बहुत अच्छी बनी है,” मैं ने कहा तो ‘थैंक्स’बोल कर वह हंस पड़ी. वैजंती सुंदर तो थी ही, हंसने से जब उस के बाएं गाल पर गड्डे पड़े, तो वह और भी खूबसूरत लगने लगी. मैं अब भी उसे ही निहार रही थी. मगर उस का चेहरा हेमा जी की तरह था. पूछ रही थी कि रात के खाने में क्या बनेगा?

“दीदी, आप की बेटी जिस घर जाएगी, खूब राज करेगी. पति तो पलकों पर बिठा कर रखेगा इसे देखना आप,” हंसते हुए मैं ने कहा, तो बड़े उदास मन से वे बोलीं कि वैजंती उन की बेटी नहीं, बहू है. यह सुन कर मैं अवाक रह गई. “तो क्या वैजंती आप की बेटी नहीं हैं?” मेरी बात पर हेमा जी ने ‘न’ में सिर हिलाया और फिर नजरें झुका लीं. गौर से देखा मैं ने, न तो वैजंती के मांग में सिंदूर था और न ही गले में मंगलसूत्र. यानी कि हेमा जी का बेटा…ओह…इतनी कम उम्र में बेचारी विधवा हो गई. अपने मन में सोच मैं उदास हो गई और बोली, “सुन कर बहुत दुख हुआ कि आप का बेटा अब इस दुनिया में…

“इल्लईइल्लई…” वे ज़ोर से चीख पड़ीं, “नहीं, मेरा बेटा जिंदा. कुछ नहीं हुआ उसे.”

“जिंदा है, तो फिर आप की बहू ऐसे कैसे? और आप का बेटा…” मैं पूछ ही रही थी कि वैजंती आ कर सोफ़े पर बैठ गई और बातों का सिलसिला वहीं पर टूट गया. मैं समझ गई कि वे वैजंती के सामने कुछ बात नहीं करना चाहती हैं. मुझे भी रात के खाने की तैयारी करनी थी, सो मैं अपने घर आ गई. लेकिन मेरे अंदर सवालों का तूफान उठने लगा कि जब उन का बेटा जिंदा है तो फिर बहू ने मांग क्यों नहीं भरा था? गले में उस के मंगलसूत्र भी नहीं था. और उन का बेटा…कभी दिखा नहीं आज तक. यहां तक कि हेमा जी ने भी कभी अपने बेटे का जिक्र नहीं किया मुझ से. माजरा क्या है आखिर?

जब मैं ने शेखर से ये बातें कहीं, तो वे हंसते हुए बोले, “तुम भी न श्रुति, लोगों के घरों में ताकझांक करना बंद करो. होगी उन की अपनी कोई समस्या, जाने दो न.” यह बोल कर वे तो सो गए लेकिन मेरे दिमाग में वही सब बातें चलती रहीं. दूसरे दिन और तीसरे दिन भी. जब तक नहीं जान लूं तब तक चलती रहेंगी कि जब वैजंती उन की बहू है तो बेटा कहां है? और क्यों वह इन के साथ नहीं रहता? एक दिन हेमा जी बताने लगीं कि वे और वैजंती की मां आपस में सहेलियां थीं. दोनों बच्चों को साथ खेलते देख एक दिन हेमा जी ने कह दिया था कि वे वैजंती को अपनी बहू बनाएंगी. कुछ सालों बाद राम निवास का दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया. इस बीच बच्चे भी बड़े हो चुके थे. फिर वे लोग यहां दिल्ली आ गए. एक दिन पता चला कि कार ऐक्सिडैंट में वैजंती के मातापिता दोनों चल बसे. वैजंती की ज़िम्मेदारी उस के मामामामी पर आ गई. लेकिन यह जानकर हेमा जी को बहुत दुख हुआ कि उस के मामामामी अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्ति पाने के लिए वैजंती की शादी एक शराबी व बेरोजगार लड़के से करवाने जा रहे हैं. हेमा जी को अपना वादा याद था, इसलिए उन्होंने अपने बेटे अर्जुन की शादी वैजंती से करवा दी. शादी के बाद वैजंती अपने सासससुर की लाड़ली बहू बन गई. लेकिन पति अर्जुन के दिल में वह अब तक जगह नहीं बना पाई थी. जानबूझ कर अर्जुन बहाने बना कर वैजंती से दूर रहने की कोशिश करता. वैजंती की किसी भी बात का वह सिर्फ ‘हां हूं’ में जवाब देता. लेकिन वैजंती को यही लगता कि धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा. मगर एक रोज हेमा जी के कमरे से आती तेज आवाज से जब वैजंती वहां पहुंची तो देखा, बापबेटे में जंग छिड़ी हुई है. राम निवास अपने बेटे पर गरज रहे हैं और हेमा जी दोनों को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं.

पश्चात्ताप :सुभाष ध्यान लगाए किसे देख रहा था?

आखिर कितना घूरोगे?-भाग 3: गांव से दिल्ली आई वैशाली के साथ क्या हुआ?

हफ्तेभर में वैशाली जींसटौप छोड़ कर सलवारकुरते में आ गई. 10 दिनों तक दुपट्टा पूरा खोल कर ओढ़ कर आती रही. 15वें दिन तक दुप्पट्टे में इधरउधर कई सेफ्टीपिन लगाने लगी. पर बौस की एक्सरे नज़रें हर दुपट्टे, हर सेफ्टीपिन के पार पहुंच ही जातीं. आखिर वह इस से ज्यादा कर ही क्या सकती थी? वह समझ नहीं पा रही थी कि इस समस्या का सामना कैसे करे. एकएक दिन कर के एक महीना बीता. पहली पगार उस के हाथ में थी. पर वह ख़ुशी नहीं थी जिस की उस ने कल्पना की थी. मंजुलिका ने टोका, “आज तो पगार मिली है, पहली पगार. आज तो पार्टी बनती है.” वैशाली खुद को रोक नहीं पाई, जितना दिल में भरा था, सब उड़ेल दिया.

मंजुलिका दांत भींच कर गुस्से में बोली, “सा SSS… की मांबहन नहीं हैं क्या? उन्हें जा के घूरे, जितना घूरना है. और भी कुछ हरकत करता है क्या ?”

नहीं, बस, गंदे तरीके से घूरता है. ऐसा लगता है कि… कुछ कहने के लिए शब्द खोजने में असमर्थ वैशाली की आंखें क्रोध, नफरत और दुख से डबडबा गईं.

“अब समझी, तू जींसटौप से सूट कर क्यों आई यी. अरे, तेरी गलती थोड़ी न है. देख, तब भी उस का घूरना तो बंद हुआ नहीं. कहां तक सोचेगी. इग्नोर कर ऐसे घुरुओं को. हम लोग कहां परवा करते हैं. जो मन आया, पहनते हैं, ड्रैस, शौर्ट्स, जैगिंग… अरे जब ऐसे लोगों की आंखों में एक्सरे मशीन फिट रहती ही है तो वे कपड़ों के पार देख ही लेंगे. सो मनपसंद कपड़ों के लिए क्यों मन मारें? जरूरी है हम अपना काम करें, परवा न करें. वह कहावत सुनी है ना, ‘हाथी अपने रास्ते चलते हैं और कुत्ते भूंकते रहते हैं’. अब आगे बढ़ना है तो इन सब की आदत तो डालनी ही होगी. ठंड रख, कुछ दिनों बाद नया शिकार ढूंढ लेंगे,” मंजुलिका किसी अनुभवी बुजुर्ग की तरह उस को शांत करने की कोशिश करने लगी.

“मैं सोच रही हूं, नौकरी बदल लूं,” वैशाली ने धीरे से कहा. उस की बात पर मंजुलिका ने ठहाका लगा कर कहा, “नौकरी बदल कर जहां जाएगी वहां भी से ही घूरने वाले मिलेंगे. बस, नाम और शक्ल अलग होगी. कहा न, इग्नोर कर.”

“इग्नोर करने के अलावा भी कोई तो तरीका होगा न…” वैशाली अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाई कि मां का फोन आ गया. मांबाबूजी उस की पहली तनख्वाह की ख़ुशी को उस के साथ बांटना चाहते थे. मां चहक कर बता रही थीं कि उन्होंने आसपड़ोस में मिठाई बांटी है. बाबूजी ने अपने औफिस में सब को समोसा, बर्फी की दावत दी. सब बधाई दे रहे थे कि उन की बहादुर बेटी अकेले अपने सपनों के लिए संघर्ष कर रही है. आखिरकार, महिला सशक्तीकरण में उन का भी कुछ योगदान है.

“ओह मां, ओह पिताजी”, इतना ही कह पाई पर अंदर तक भीग गई वह इन स्नेहभरे शब्दों से. सारी रात वैशाली रोती रही. कहां उस के मातापिता उस पर इतना गर्व कर रहे हैं और कहां वह नौकरी छोड़ कर वापस जाने की तैयारी कर रही है, वह भी किसी और के अपराध की सजा खुद को देते हुए. मंजुलिका कहती है, इग्नोर कर. वही तो कर रही थी, वही तो हर लड़की करती है बचपन से ले कर बुढापे तक. पर यह तो समस्या का हल नहीं है. इस से वह लिजलिजी वाली फीलिंग नहीं जाती.

पुरुष को जनने वाली स्त्री, जिस की कोख का सहारा सभी ढूंढते हैं, को अपने ही शरीर के प्रति क्यों अपराधबोध हो. सारी रात वैशाली सोचती रही. अगले दिन लंच पर उस ने अपनी बात साथ में काम करने वाली निधि को बताई. फिर तो जैसे बौस की इस हरकत का पिटारा ही खुल गया. कौन सी ऐसी महिला थी जो उस की इस हरकत से परेशान न होती हो.

निधि ने कहा, “हाथ पकडे तो तमाचा भी लगा दूं, पर इस में क्या करूं? मुकर जाएगा. समस्या विकट थी. बात केवल सन्मुख की नहीं थी. ऐसे लोग नाम और रूप बदल कर हर औफिस में हैं, हर जगह हैं. आखिर, इन का इलाज क्या हो? और इग्नोर भी कब तक? नहीं वह जरूर इस समस्या का कोई न कोई हल खोज कर रहेगी.

घर आने के बाद वैशाली का मन नहीं लग रहा था. ड्राइंग फ़ाइल निकाल कर स्केचिंग करने लगी. यही तो करती है वह हमेशा जब मन उदास होता है. बाहर बारिश हो रही थी और अंदर वह आग उगल रही थी. तभी मामा के लड़के का फोन आ गया. गाँव में रहने वाला 10 साल का ममेरा भाई जीवन उस का बहुत लाडला रहा है अकसर फोन कर अपने किस्से सुनाता रहता है, दीदी यह बात, दीदी वह बात… और शुरू हो जाते दोनों के ठहाके.

आज भी उस के पास एक किस्सा था, “दीदी, सुलभ शौचालय बनने के बाद भी गाँव के लोग संडास का इस्तेमाल नहीं करते. बस, यहांवहां जहां भी जगह मिल्रती है, बैठ जाते हैं. टीवी में विज्ञापन देख कर हम घंटी खरीद लाए. अब गाँव में घूमते हुए जहां कोई फारिग होता मिल जाता, तो हौ कह कर घंटी बजा देते हैं. सच्ची दीदी, बहुत खिसियाता है. कई बार कपड़े समेट कर उठ खड़ा होता है. कई बार पिताजी से शिकायत भी होती है. अकेले मिलने पर डांट भी देते हैं. पर हम भी सुधरते नहीं हैं और उन की झेंप देखने लायक होती है. गलत काम का एहसास होता है. देखना, एक दिन ये लोग सब शौचालय इस्तेमाल करने लगेंगे.” बहुत देर तक वह इस बात पर हंसती रही, फिर न जाने कब नींद ने उसे आगोश में ले लिया. आंख सीधे सुबह ही खुली. घडी में देखा, देर हो रही थी. सीधे बाथरूम की तरफ भागी.

आज उस ने जींसटौप ही पहना. बढ़ती धडकनों को काबू कर पूरी हिम्मत के साथ औफिस गई और अपनी टेबल पर बैठ फाइलें निबटाने लगी. तभी बौस ने उसे केबिन में बुलाया. उसे देख उन के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. आंखें अपना काम करने लगीं.

“एक मिनट सर,” वैशाली ने जोर से कहा. सन्मुख हड़बड़ा कर उस के चेहरे की ओर देखने लगे. वैशाली ने फिर से अपनी बात पर वजन देते हुए कहा, “एक मिनट सर, मैं यहां बैठ जाती हूं, फिर 5 मिनट तक आप मुझे जितना चाहिए घूरिए और यह हर सुबह का नियम बना लीजिए. पर, बस एक बार… ताकि जितनी भी लिजलिजी फीलिंग मुझे होनी है वह एक बार हो जाए. उस के बाद जब अपनी सीट पर जा कर मैं काम करना शुरू करूं तो मुझे यह डर न लगे कि अभी फिर आप बुलाएंगे, फिर घूरेंगे और मैं फिर उसी गंदी फीलिंग से और अपने शरीर के प्रति उसी अपराधबोध से गुजरूंगी.

“जिस दिन से औफिस में आई हूं, यह सब झेल रही हूं. आप की मांबहन नहीं हैं क्या? जितना घूरना है उन्हें घूरो. मैं जानती हूं कि आप नहीं तो कोई और आप की मांबहन को घूर रहा होगा. अपनी मांबहन, पत्नी, बेटी सब से कह दीजिएगा कि वे भी घूरनेवालों से घूरने का टाइम फिक्स कर दें. दोनों का समय और तकलीफ बचेगी.

“जी सर, हमारा भी टाइम फिक्स कर दीजिए,” वैशाली के पीछे आ कर खड़ी हुई निधि व अन्य कलीग्स ने एकसाथ कहा. वैशाली अंदर आते समय जानबूझ कर गेट खुला छोड़ आई थी. और उस के पीछे थी इस साहस पर ताली बजाते पुरुष कर्मचारियों की पंक्ति.

बौस शर्म से पानीपानी हो रहे थे.

और उस के बाद सन्मुख किसी महिला को घूरते हुए नहीं पाए गए.

 

Bigg Boss 16 :घर से बेघर होगें ये सदस्य, जानें किसका कटेगा पत्ता

सलमान खान का विवादित शो बिग बॉस 16 लगातार विवादों में बा हुआ है, हालिया एपिसोड़ काफी ज्यादा धमाकेदार था, जहां दो पुराने दोस्त एक दूसरे से लड़ते नजर आएं. टीना दत्ता और निमृत कौर एक दूसरे से भीड़ गईं.

पहले सभी घरवाले चाहते थें कि वो कैप्टन बनें लेकिन बाद में पूरा गेम पलट गया औऱ जब शिव से बिग बॉस ने पूछा कि वह किसे कैप्टन बनते हुए देखना चाहते हैं तो उन्होंने कहा कि निमृत को वह कैप्टन बनते देखना चाहते हैं.

 

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वहीं लेटेस्ट एपिसोड में इस शो में नॉमिनेशन का भी टॉस्क हुआ, इस दौरान शालीन भनोट से लेकर प्रियंका चहल चौधरी तक नॉमिनेट हो गईं.

बिग बॉस ने एक वॉर जोन बनया था जिसमें सबसे पहले शालीन ने सुंबुल तौसीर खान को नॉमिनेट किया. इसी बीच दोनों के बीच में बहस भी हुई थी, इसके बाद से अर्चना गौतम को मौका मिला और उन्होंने शिव ठाकरे को नॉमिनेट कर दिया.

इस टॉस्क के दौरान सभी एक-दूसरे को नॉमिनेट करते गए, जिसके बाद से शिव पर अर्चना ने इल्जाम लगाया कि शिव सिर्फ अपनी मंडली के बारे में सोचता है. सलमान खान के शो बिग बॉस 16 ने हाल ही में एक प्रोमो जारी किया गया है जिसमें यह सब बताया गया है.

प्रभास ने किया कृति सेनन को सेट पर प्रपोज, जल्द करेंगे शादी!

साउथ सुपर स्टार प्रभास और एक्ट्रेस कृति सेनन की अफेयर की खबरें लगातार सामने आ रही है. फिल्म स्टार प्रभास और कृति एक -दूसरे को डेट कर रहे हैं. हालांकि अभी तक इन दोनों सितारों ने अपनी अफेयर की खबरों पर पुष्टि नहीं कि है.

इन दोनों ने न तो अपने अफेयर की खबरों पर अभी तक खुल के बोला है औऱ न ही कुछ कहा है, हालांकि फिल्मी गलियारे में इन दोनों सितारों को लेकर लगातार चर्चा बना हुआ है. कि यह दोनों जल्द सगाई करने वाले हैं.

हालांकि इससे पहले कृति को लेकर वरुण धवन के साथ अफेयर की खबरों को लेकर चर्चा बना हुआ था, हालांकि एक शो के दौरान प्रभास ने सेट पर कृति सेनन को प्रपोज किया था. यहीं नहीं मिली जानकारी के अनुसार दोनों स्टार एक-दूसरे को प्रपोज कर रहे हैं.

इस खबर की जानकारी मीडिया खबरों से मिली है, वहीं आदिपुरुष के सेट पर प्रभास ने कृति सेनन को प्रपोज किया था. जिसके बाद से गरमियां और भी ज्यादा बढ़ गई थी.

वहीं फैंस और बाकी सितारे भी इन्हें खूब बधाई दे रहे हैं. अब देखते हैं कि आगे इन दोनों की जोड़ी पर मोहर लग पाता है या नहीं , वैसे फैंस को इनके हां का इंतजार है.

 

यारी से रिश्तेदारी : तन्मय की चाहत

विंटर स्पेशल : शाम के नाश्ते में बच्चों के लिए बनाएं ये 5 मजेदार Snacks

शाम के समय अक्सर बच्चे कुछ अलग खाने का डिमांड करते हैं, ऐसे में आप अपने बच्चों के लिए इस तरह के स्नैक्स बना सकती हैं, जो आपके बच्चों को खूब पसंद आएगा.

  1. चीजी पोटैटो वैजेज

सामग्री

– 4 आलू – 1 कप कसा हुआ मोजरेला चीज – 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर – 1 छोटा चम्मच सूखी पुदीनापत्ती – 1 छोटा चम्मच ओरिगैनो हर्ब – तलने के पर्याप्त तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को अच्छी तरह धो कर छिलके सहित लंबी पतली फांकों में काट लें. फांकों को धीमी आंच पर डीप फ्राई कर लें, गुलाबी होने पर निकाल लें. इन पर नमक व 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च बुरक दें. मोजरेला चीज डाल कर आलुओं को 1 मिनट तक माइक्रोवेव करें. चीज पिघलने पर माइक्रोवेव से निकाल कर बची कालीमिर्च, पुदीनापत्ती व ओरिगैनो हर्ब डाल कर परोसें.

2. काजू पोटली

सामग्री खोल के लिए

– 200 ग्राम मैदा – 50 एमएल रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

भरावन की सामग्री

– 1 कप काजू टुकड़ा – 1 बड़ा चम्मच किशमिश – 4-5 उबले आलू – 1 छोटा चम्मच बारीक कटा अदरक – 1 छोटा चम्मच कटी हरीमिर्च – 1/2 कप धनियापत्ती कटी – 1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला – 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर – तलने के लिए रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

खोल की सामग्री को अच्छी तरह मिला लें और फिर आवश्यकतानुसार थोड़ाथोड़ा पानी मिलाते हुए कड़ा गूंध लें. तैयार मिश्रण को गीले कपड़े से ढक कर रख दें. फिर आलुओं को छील कर मैश कर लें. भरावन की शेष सामग्री मिला लें. गुंधे मैदे को मुलायम व लचीला होने तक थोड़ा और मसलें. फिर लोइयां बना लें. प्रत्येक लोई को पूरी की तरह बेल लें. पूरियों में 1-1 चम्मच भरावन सामग्री रख कर किनारों को समेटते हुए पोटली का आकार दें. कड़ाही में तेल गरम कर के धीमी आंच पर सुनहरी होने तक पोटलियां तल लें.

3. बनाना कोको आइसक्रीम

सामग्री

– 1 लिटर गाढ़ा दूध – 2 केले – 1 छोटा चम्मच कोको पाउडर – 1 बड़ा चम्मच कद्दूकस की हुई चौकलेट – 2 बड़े चम्मच चीनी – कटे बादाम व पिस्ता जरूरतानुसार.

विधि

केलों को छील कर बड़ेबड़े टुकड़ों में काट लें. फिर मिक्सी में केले के टुकड़े व चीनी डाल कर फेंटें. अब इस में दूध, कोको पाउडर व चौकलेट मिला कर थोड़ा और फेंटें. तैयार मिश्रण को ट्रे में डाल कर जमने के लिए फ्रीजर में रख दें. जम जाने पर बादाम व पिस्ता डाल कर सर्व करें.

4. चुकंदर अप्पे

सामग्री

– 1 कप सूजी – 1/2 कप दही – 1 बड़ा चम्मच चुकंदर उबाल कर मैश किया – 1 छोटा चम्मच उरद की दाल – 1 छोटा चम्मच चने की दाल – 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर – 1 छोटा चम्मच राई – 1 छोटा चम्मच फ्रूट साल्ट – 1 छोटा चम्मच तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

सूजी, दही व मैश किए चुकंदर को अच्छी तरह मिलाएं. आवश्यकतानुसार पानी मिला कर गाढ़ा घोल बनाएं. पैन में तेल गरम करें राई, उरद व चने की दाल को भून कर घोल में मिला लें. नमक व लालमिर्च भी घोल में मिला लें. अच्छी तरह फेंट कर फ्रूट साल्ट मिलाएं. तैयार मिश्रण को गरम अप्पम मेकर में पका कर कोकोनट चटनी के साथ परोसें.

5. कोकोनट राइस डोनट

सामग्री

– 1 कप उबले चावल – 1 छोटा चम्मच राई – 1/4 छोटा चम्मच हलदी – 1/2 छोटा चम्मच कुटी लालमिर्च – 1/2 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला – 1/2 कप कोकोनट पाउडर – 4-5 करीपत्ते – 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड तेल – नमक स्वादानुसार.

विधि

कड़ाही में तेल गरम कर राई व करीपत्तों का छौंक लगाएं. फिर चावल, नमक व सभी मसाले मिला कर अच्छी तरह भूनें. फिर आंच से उतार लें. ठंडा होने पर मिक्सी में दरदरा पीस लें. डोनट के सिलिकौन के सांचों में चिकनाई लगा कर तैयार मिश्रण भरें. अब 180 डिग्री सैल्सियस पर पहले से गरम ओवन में इसे 6 मिनट तक माइक्रोवेव करें. तैयार होने के बाद सांचों से निकाल कर गरमगरम डोनट कोकोनट चटनी व टोमैटो सौस के साथ सर्व करें.

गाजर की उन्नत खेती

डा. एसपी सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक (उद्यान) व शैलेंद्र सिंह, वैज्ञानिक (पादप रक्षा)

गाजर की उन्नत खेती गाजर एक अत्यंत ही पौष्टिक एवं महत्त्वपूर्ण सलाद वाली सब्जी है. इस का उपयोग सलाद, सब्जी, हलवा, मुरब्बा, जूस और रायता के रूप में किया जाता है. आमतौर पर गाजर की जड़ों का रंग नारंगी, लाल, काला व पीला होता है, जो कि क्रमश: विटामिन ए, लाइकोपिन एंथोसाइएनिन एवं जैन्थोफिलयंतो तत्त्वों का प्रमुख स्रोत है. इस के प्रयोग से भूख बढ़ती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है और गुरदे की बीमारी में लाभप्रद होता है.

जलवायु : गाजर ठंडी जलवायु की फसल है. इस की जड़ों का रंग और बढ़वार तापमान द्वारा प्रभावित होती है. इस के लिए 10 डिगरी सैल्सियस तापमान अच्छा पाया गया है. अधिक तापमान पर जड़ें छोटी और कम तापमान पर जड़ें लंबी और पतली हो जाती हैं. भूमि एवं भूमि की तैयारी : गाजर की खेती दोमट या बलुई दोमट, जिस में जीवांश की पर्याप्त मात्रा हो एवं जल निकास का उचित साधन हो, भूमि में कड़ी परत न हो, इस की खेती के लिए सब से उपयुक्त समझी जाती है. खेत की 3-4 जुताई कर के मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए.

उन्नतशील किस्में लाल रंग की किस्में : पूसा वृष्टि, काशी अरुण, पूसा रुधिका. नारंगी रंग की किस्में : पूसा नयन ज्योति, पूसा यमदग्नि, कुरोडा, नैन्टीज. काले रंग की किस्में : पूसा आसिता, पूसा कृष्णा. खाद एवं उर्वरक : 8 से 10 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर की दर से बोने से 3 हफ्ते पहले डाल कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें, तो बोआई के पहले अंतिम जुताई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस व 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें. बोआई के 30 दिन बाद 30 किलोग्राम नाइट्रोजन को टौप ड्रैसिंग रूप में दें. बोआई का समय : गाजर की बोआई आमतौर पर अगस्त से अक्तूबर महीने तक की जाती है.

बीज की बोआई एवं दूरी : बोआई के समय खेत में ठीकठाक नमी होनी चाहिए. इस के लिए बोआई से पूर्व खेत का पलेवा कर के ओट आने पर खेत की जुताई करें. इस की बोआई 30-40 सैंटीमीटर की दूरी पर बनी मेंड़ों पर करें. मेंड़ों पर 1 से 2 सैंटीमीटर गहराई पर लाइन बना कर बोआई करें और मिट्टी से ढक दें. जब बीज का अंकुरण हो जाए, तो पौधों को 6-7 सैंटीमीटर की दूरी बनाते हुए घने पौधों को निकाल दें. इस प्रकार एक हेक्टेयर के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है.

सिंचाई : बोआई के समय भूमि में नमी की कमी हो, तो बोने के तुरंत बाद हलकी सिंचाई करें, परंतु बोआई के समय भूमि में जमाव के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए. पहली सिंचाई बीज उगाने के बाद करनी चाहिए. गरम मौसम में सप्ताह में एक बार और सर्दियों में 10-12 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि खेत सूखने और सख्त न होने पाए, नहीं तो जड़ों का समुचित विकास नहीं हो पाता है. साथ ही, जड़ फटने की संभावना बनी रहती है.

खुदाई : जड़ों का जब पूरी तरह से विकास हो जाए, तो उन की खुदाई कर लेनी चाहिए. सुगमतापूर्वक खुदाई के लिए खेत में हलकी सिंचाई कर दें और पत्तियों को काट दें. खुदाई कुदाल या फावड़े से करें. खुदाई करने के बाद जड़ों को पानी से अच्छी तरह धो लें. बहुत बारीक जड़ों को अलग कर लें और ग्रेडिंग के बाद बाजार में भेजें.

पैदावार : आमतौर पर गाजर की फसल 80 से 95 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है. इस की औसत पैदावार 250 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.

कीट एवं रोग नियंत्रण माहू : यह कीट पत्तियों की निचली सतह, पौधों की शाखाओं और फूलों पर चिपके रहते हैं. शिशु एवं वयस्क दोनों ही हानि पहुंचाते हैं और पत्तियों एवं फूलों का रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिस से फसल की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. इस कीट का प्रकोप फरवरी व अप्रैल महीने में अधिक होता है. इस के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 0.3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करें.

पाउडरी मिल्ड्यू : इस रोग में पत्तियों पर सफेद रंग का पाउडर जगहजगह बन जाता है. इस के नियंत्रण के लिए 2.5 किलोग्राम घुलनशील गंधक को 600 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.  गाजर की खेती कृषि यंत्रों का प्रयोग गाजर बीज की बोआई बिजाई यंत्र से करें गाजर की बिजाई मजदूरों के अलावा मशीन से भी कर सकते हैं. इस के लिए तमाम कृषि यंत्र बाजार में मौजूद हैं. हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई की मशीन भी शामिल है.

गाजर बिजाई की मशीन यह मल्टीक्रौप बिजाई मशीन है, जो बोआई के साथसाथ मेंड़ भी बनाती है. इस मशीन से गाजर के अलावा मूली, पालक, धनिया, हरा प्याज, मूंग, अरहर, जीरा, गेहूं, लोबिया, भिंडी, मटर, मक्का, चना, कपास, टिंडा, तुरई, सोयाबीन, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, राई और शलगम जैसी तमाम फसलें बोई जा सकती हैं. पूसा गाजर प्लांटर गाजर बीज बोने वाले इस यंत्र को 35 हौर्सपावर ट्रैक्टर के साथ चलाया जाता है और इस के द्वारा एक घंटे में 5 हेक्टेयर खेत में गाजर बीज बोया जा सकता है. 8 लाइन में बोआई करने के लिए यह गाजर प्लांटर एकसमान गहराई पर बीज डालता है. साथ ही, पानी की भी बचत करता है.

यंत्र कृषि यांत्रिकी विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली द्वारा बनाया गया है. मशीन से धोएं गाजर खेत से निकालने के बाद गाजरों की धुलाई का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, जिस के लिए मजदूरों के साथसाथ ज्यादा पानी की जरूरत भी होती है. जिन किसानों के खेत किसी नहरपोखर वगैरह के किनारे होते हैं, उन्हें गाजर की धुलाई में आसानी हो जाती है. इस के लिए वे लोग नहर के किनारे मोटर पंप के जरीए पानी उठा कर गाजरों की धुलाई कर लेते हैं, लेकिन सभी को यह फायदा नहीं मिल पाता. महावीर जांगड़ा ने जड़ वाली सब्जियों की धुलाई करने के लिए भी मशीन बनाई है. इस धुलाई मशीन से गाजर, अदरक व हलदी जैसी फसलों की धुलाई आसानी से की जाती है. इस मशीन से कम पानी में ज्यादा गाजरों की धुलाई की जा सकती है. इस मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर आसानी से इधरउधर ले जाया जा सकता है. अधिक जानकारी के लिए आप महावीर जांगड़ा के मोबाइल नंबर 9896822103 पर बात कर सकते हैं.

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