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मैं एक हिंदू युवक हूं और एक मुसलिम युवती से प्यार करता हूं, ऐसी सूरत में हमें क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं एक हिंदू युवक हूं और एक मुसलिम युवती से प्यार करता हूं. लड़की भी मुझे दिलोजान से चाहती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. मेरे घर वाले शुरू में थोड़ी आपत्ति करेंगे पर जानता हूं कि मैं उन्हें राजी कर लूंगा. दिक्कत लड़की के घर वालों की ओर से है. उस के घर वाले खासकर बिरादरी वाले किसी सूरत में हमारी शादी नहीं होने देंगे. उस के घर वाले मुझे पसंद करते हैं पर शादी के लिए अव्वल तो वे ही राजी नहीं होंगे और यदि हम उन्हें मनाने में कामयाब भी हो जाते हैं तो उन के बिरादरी वाले हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे. यह बात स्वयं लड़की ने कही है. ऐसी सूरत में हमें क्या करना चाहिए?

जवाब

अंतर्जातीय विवाह भले ही मान्य होने लगे हैं पर हिंदुओं और मुसलिमों में रिश्ता होना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है और फिर आप की गर्लफ्रैंड ने आप के सामने सारी वस्तुस्थिति स्पष्ट कर दी है, इसलिए आप को किसी मुगालते में नहीं रहना चाहिए और विवाह करने की बात को भूल जाना चाहिए. अच्छा तो यह होगा कि अपने प्रेमप्रसंग को जल्दी विराम लगा दें. यह आप दोनों के ही हित में होगा, क्योंकि संबंध जितना लंबा होता जाएगा उतना ही प्रगाढ़ होगा और फिर एकदूसरे से अलग होना उतना ही मुश्किल होगा. फिर जो रास्ता मंजिल तक न पहुंचता हो उस पर चलते रहने का कोई लाभ नहीं.

भगवन, तेरी कृपा बरसती रहे : भाग 2

“अरे नहींनहीं, भाभीजी. इस में संकोच की क्या बात है. शादीब्याह तो जीवन की एक प्रक्रिया है, सो, हो गई. बाक़ी आप को तो पता ही है, हम तो भगवान के भक्त हैं, भाभीजी. मैं आप को आधे घंटे में फोन करता हूं पंचांग देख कर कि कब का शुभमुहूर्त है.” पंडितजी ने जल्दी से बात समाप्त कर के फोन काट दिया और कमरे में खुश होते हुए इधरउधर चक्कर काटने लगे. चक्कर काटतेकाटते वे सोच रहे थे, हे प्रभु, तू कितना ध्यान रखता है अपने भक्तों का. इतने दिनों से बढ़िया खाना और वीआईपी ट्रीटमैंट के लिए तरस गया था मैं. यों तो आजकल पंडिताइन खाना बनाती है पर एक तो वह नई है, दूसरे घर में कुछ भी बनाओ, खर्चा तो अपना ही होना है. यजमान तो जीभर कर खिलाते ही हैं, साथ ही, पंडिताइन के लिए बांध भी देते हैं. तभी उन्हें ध्यान आया कि अभी तो भाभीजी को फोन भी करना है. कहीं भाभीजी अपना मन बदल न दें. सो, उन्होंने फटाफट मिसेज गुप्ता को फोन मिला दिया,

”भाभीजी, कल का मुहूर्त सब से अच्छा है. वैसे भी तीर्थ से आने के बाद शीघ्रातिशीघ्र कथा करवा लेना चाहिए तभी तीर्थयात्रा सफल होती है.”

“पर पंडितजी, इतनी जल्दी सब व्यवस्था कैसे हो पाएगी?’’ मिसेज गुप्ता ने कुछ चिंतित स्वर में कहा.

“अरे भाभीजी, मेरे रहते आप उस की जरा भी चिंता मत कीजिए. आप तो, बस, आदेश कीजिए. पूजा की समस्त सामग्री मैं ले आऊंगा. आप सिर्फ पूजावाला भोजन और भगवान का भोगप्रसाद बना लीजिएगा.”

“ठीक है पंडितजी, तो कल ही रख लेते हैं. वैसे भी हमें आए एक सप्ताह हो ही गया है और अधिक लेट नहीं करते. सो, कल आप आ जाइएगा और हां, कल आप का और पंडिताइनजी का भोजन हमारे यहां से ही रहेगा,” मिसेज गुप्ता ने खुश होते हुए कहा.

“ठीक है, भाभीजी. मैं कल सुबह 10 बजे आ जाता हूं.”

“जी, पंडितजी.”

पंडितजी खुश होते हुए कल की तैयारी में लग गए. उन्होंने अपनी अलमारी खोली और पूजा में प्रयोग की जाने वाली समस्त सामग्री एक थैले में भर कर रख ली ताकि सुबह कोई हड़बड़ाहट न हो. कहते हैं न, मन चंगा तो कठौती में गंगा. सो, पंडितजी का मन आज तो बल्लियों उछाल ले रहा था, उस पर नईनवेली पत्नी बगल में हो तो फिर क्या कहने. सो, पंडितजी ने अपनी खूबसूरत पत्नी को खींच कर अपने सीने से लगाया और चैन की नींद सो गए.

अगले दिन सुबहसुबह बढ़िया कलफदार पीली धोती व पीला कुरता पहन, कंधे पर जरी के बौर्डर वाला गमछा डाल, बिना नाश्तापानी किए पंडितजी निकल पड़े अपने यजमान के घर. सत्यनारायन की कथा करा कर मिसेज गुप्ता ने डायनिंग टेबल पर पंडितजी के लिए थाली लगा दी. आहाहा, थाली में खीर, पूड़ी, हलवा, पनीर की सब्जी, बूंदी का रायता और पुलाव आदि देख कर तो पंडितजी की बांछें खिल गईं. तृप्त हो कर भोजन किया. मिसेज गुप्ता ने चलते समय एक टिफिन और बैग दिया और बोलीं, “पंडितजी, यह भाभीजी के लिए भोजन है. और यह चढ़ावे का सामान व आप दोनों के कपड़े हैं.”

पंडितजी ने ख़ुशीख़ुशी सामान लिया और मन ही मन भगवान को धन्यवाद दिया, हे प्रभु, तू ऐसे ही अपने इस भक्त की पुकार सुन लिया कर और हर दूसरेतीसरे दिन ऐसे ही यजमानों से अपनी मुलाकात करवा दिया कर तो अपनी घरगृहस्थी बढ़िया चलती रहेगी. अपनी शादी में मिली नई निकोर पल्सर बाइक पर पंडितजी ने अपना सामान बांधा और चल दिए. घर पहुंच कर तो उन के पास बैड पर लमलेट होने के अलावा कोई चारा ही न था क्योंकि महीनेभर बाद मिले इतने स्वादिष्ठ भोजन को पचाने के लिए अब विश्राम करना बेहद आवश्यक था. जैसे ही वे बैड पर लेटे, अचानक मन बरसों पहले अपने गांव खिलचीपुरजा पहुंचा जो मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की एक तहसील थी. जहां परिवार में उन के अलावा 5 भाईबहन और थे.

परिवार के मुखिया यानी उन के पिता रामचरण एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे. और क्लर्क की मामूली सी तनख्वाह में 5 सदस्यीय परिवार का गुजारा कर पाना परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए बेहद चुनौतीभरा था. मां सुरती देवी 8वीं पास थीं पर दिमाग के मामले में वे अच्छेखासे पढ़ेलिखे को भी मात दे दिया करती थीं. एक दिन कमजोरी की वजह से सुरती देवी बेहोश हो गईं. जब उन्हें होश आया तो पाया कि गांव वाले उन्हें घेर कर खड़े हैं, कोई थाल में दीपक लिए उन की पूजा कर रहा है तो कोई उन के चरण पूज रहा है. होश आने पर सुरती देवी असहज हो उठीं और सिर पर पल्ला रख कमरे की तरफ दौड़ पड़ीं. तभी बाहर से आतीं कुछ आवाजें उन के कानों में पड़ीं, ‘आज गुरुवार है और सुरती भाभी पर तो वैसे ही देवीजी का हाथ है आज तो माताजी ने सुरती के रूप में खुद दर्शन दे दिए. बोलो, जय मां भगवती की.’

देवी और वे, उन के रूप में देवी, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था. पर दिमाग बहुत तेजी से दौड़ रहा था. कुछ सोचविचार कर बेहोशी का परिणाम एक बार फिर देखने के लिए अगले गुरुवार को उन्होंने बेहोश होने की ऐक्टिंग कर डाली. यह क्या, इस बार तो आसपास के लोग ही उन के चारों तरफ जमा हो गए. पर इस बार होश में आने पर भी अंदर की तरफ दौड़ न लगा कर वे वहीं बैठीं रहीं. बस, अपने सिर का पल्ला थोड़ा ठीक कर लिया. पिछली बार की अपेक्षा इस बार देवी के रूप में उन के चरण छू कर कुछ मुद्रा भी लोगों ने चढ़ाई और कुछ फल आदि भी.

फिर क्या था, सुरती देवी पर हर गुरुवार देवी आने लगी. धीरेधीरे आसपास के गांवों से भी लोग देवी के दर्शन करने व अपनी समस्याएं ले कर उन के पास आने लगे. और अब देवी की कृपा से घर की आर्थिक विपन्नता भी काफी हद तक काबू में आने लगी थी. घर वाले भी खुश और आने वाले भी खुश. पंडितजी को याद आया कि उस समय वे गांव के स्कूल में ही 12वीं कर रहे थे जब एक दिन उन की मां सुरती देवी ने उन्हें अपने पास बैठा कर कहा-

‘देख बेटा, बहुत ज्यादा तो हम तुझे पढ़ालिखा नहीं पाएंगे और न ही तू पढ़ पाएगा. मैं चाहती हूं कि तू अब से मेरी मदद कर दिया कर. इस से मुझे तो आराम मिलेगा ही, साथ ही, तू लोगों को डील करना और मानसिकता को समझना सीख जाएगा. कल को कभी नौकरी नहीं लगी तो भगवान की सेवा कर के अपनी गुजरबसर तो कर लेगा. आने वाले नवरात्र से मैं नौ दिनों तक मां का दरबार लगाऊंगी, तुम उस में मेरी मदद करो.’

‘पर मां, मैं तेरी क्या मदद कर पाऊंगा, मुझे तो कुछ भी पता नहीं है.’

‘तू उस की चिंता मत कर, मैं सब बता दूंगी.’

‘ठीक है, तू जैसा कहे,’ कह कर वे अपने दोस्तों के साथ चले गए थे. 10 दिनों बाद जब नवरात्र का प्रथम दिन आया तो घर का नजारा पूरी तरह बदल चुका था. घर के बाहरी कमरे में देवी मां की बड़ी सी मूर्ति स्थापित की गई. शाम को मां सुरती देवी ने नहाधो कर सुर्खलाल साड़ी धारण की और उन्हें भी गेरुए रंग का एक धोती कुरता पहनने को दिया और साथ में, एक कटोरी में कुछ ज्वार के दाने. कमरे में सुगंधित अगरबत्ती और धूपबत्ती जला दी गई. जब भक्तजन आने लगे तो मां ने मुख पर घूंघट डाले, पीठ तक खुलेबालों को आगे किए हुए सिर को गोलाई में घुमाते हुए कमरे में प्रवेश किया. पिताजी ने हाथ जोड़ कर ‘अम्बे माता की जय’ का जोरजोर से जयकारा लगाना शुरू किया. पिताजी ने मां को पकड़ कर एक चौकी पर बैठा दिया. भक्तजन एकएक कर आते और मां को अपनी समस्या बताते और मां ज्वार के 1-2 या 5 दाने उन के हाथ पर रख देती और वे मां द्वारा बताए वाक्य दोहरा देते. ‘6 माह में आप की समस्या हल हो जाएगी या फिर रोज नहा कर देवी जी को पानी चढ़ाइए, समस्या दूर अथवा 3 माह तक बाल खोल कर 6 मुंह वाला दीया जलाइए. फिर देखिए परिणाम, माता की कृपा बरसेगी’ आदिआदि. इस के साथ ही, वे भक्त को हाथ में बांधने के लिए कलावा और सिर पर लगाने को भभूत भी देतीं. इस सब को पा कर भक्त इतना अभिभूत हो जाता कि उसे लगता कि उस की आधी समस्या तो मां के पास आनेभर से दूर हो गई है.

इन नौ दिनों में घर में साड़ी, रुपए, फल, मेवा आदि इतने आ जाते कि आगामी नवरात्र तक घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी न रहती. और इस प्रकार देवी मां की कृपा से घर की आर्थिक विपन्नता जाती रही और भगवन की कृपा से दोचार वर्ष में ही 2 कमरों का घर तीनमंजिला बन गया. घर के बाहरी हिस्से में भगवन का एक मंदिर बनवाया जहां पर रोज ही सुबहशाम पूजापाठ होता. साथ ही, प्रति गुरुवार और नवरात्र के नौ दिन तक मां सुरती देवी पर मां अम्बे की कृपा बरसती और उस कृपा से हम सब चैन की जिंदगी जी पाते.

मिसफिट: जब एक नवयौवना ने थामा नरोत्तम का हाथ

विजया- भाग 1: क्या हुआ जब सालों बाद विजय को मिला उसका धोखेबाज प्यार?

विजयकी समझ में नहीं आ रहा था कि  जया ने उस के साथ ऐसा क्यों किया? इतना बड़ा धोखा, इतनी गलत सोच, इतना बड़ा विश्वासघात, कोई कैसे कर सकता है? क्या दुनिया से इंसानियत और विश्वास जैसी चीजें बिलकुल उठ चुकी हैं? वह जितना सोचता उतना ही उलझ कर रह जाता. जया से विजय की मुलाकात लगभग 2 वर्ष पूर्व हुई थी. एक व्यावसायिक सेमिनार में, जोकि स्थानीय व्यापार संघ द्वारा बुलाया गया था. जया अपनी कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रही थी, जबकि विजय खुद की कंपनी का, जिस का वह मालिक था और जिसे वह 5 वर्षों से चला रहा था. विजय की कंपनी यद्यपि छोटी थी, लेकिन अपने परिश्रम से उस ने थोड़े समय में ही एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया था और स्थानीय व्यापारी समुदाय में उस की अच्छी प्रतिष्ठा थी, जबकि जया एक प्रतिष्ठित कंपनी में सहायक मैनेजिंग डाइरैक्टर के पद पर थी. जया का व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था कि विजय उस के प्रति आकर्षित होता चला गया. उस के बाद दोनों अकसर एकदूसरे से मिलने लगे.

इसे संयोग ही कहा जाए कि अभी तक दोनों अविवाहित थे और उन के जीवन में किसी और का पदार्पण नहीं हुआ था. जया के पिता का देहांत उस के बचपन में ही हो गया था और उस के बाद उस की मां ने ही उसे पालपोस कर बड़ा किया था और ऐसे संस्कार दिए जिन से बचपन से ही अपनी पढ़ाई के अतिरिक्त किसी अन्य चीज की ओर उस का ध्यान नहीं गया. उस ने देश के एक बड़े संस्थान से मैनेजमैंट की डिगरी हासिल की और उस के बाद एक अच्छी कंपनी में उसे जौब मिल गई. जया अपने परिश्रम, लगन और योग्यता के द्वारा वह उसी कंपनी में सहायक मैनेजिंग डाइरैक्टर के रूप में कार्यरत थी.

बढ़ती उम्र के साथ जया की मां को उस की शादी की चिंता सताने लगी थी,

परंतु जया ने इस दिशा में ज्यादा नहीं सोचा था या यों कहें कि कार्य की व्यस्तता में ज्यादा सोचने का अवसर ही नहीं मिला. अपने कार्य में इतना मशगूल थी कि उस ने कभी इस बात की चिंता नहीं की और शायद यही उस की सफलता का राज भी था. ऐसा नहीं था कि किसी ने उस से मिलने या निकट आने की कोशिश नहीं की हो, लेकिन जया ने किसी भी को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया. वह एक आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी थी, उस से जो भी मिलता उस के निकट आने का प्रयास करता, परंतु जया हमेशा एक दूरी बना कर रखती.

दूसरी ओर विजय एक अच्छे और संपन्न परिवार से संबंध रखता था. उस के पिता एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे. एक ऐक्सीडैंट में उस ने अपने मातापिता दोनों को खो दिया था. एक छोटी बहन है जो अभी कालेज में पढ़ रही है. विजय एक हंसमुख स्वभाव का, लेकिन गंभीर युवक था. पिता के देहांत के बाद उस ने खुद की अपनी कंपनी बनाई जिस का वह खुद सर्वेसर्वा था. कई लड़कियों ने उस से निकटता स्थापित करने की कोशिश की, परंतु वह अपनी कंपनी के काम में इतना व्यस्त रहता था कि किसी को अवसर ही नहीं मिला. कोई दोस्त या रिश्तेदार उस से शादी की बात करना भी चाहता तो उस का छोटा सा उत्तर होता कि पहले बहन रमा की शादी, फिर अपने बारे में सोचूंगा.

विंटर स्पेशल: ऐसे बनाएं मल्टीग्रेन गा​र्लिक ब्रेड

आप गार्लिक ब्रेड को आसानी से घर पर भी बना सकती है. मल्टीग्रेन ब्रेड पर बटर और लहसुन की लेयर लगाकर इसे ओवन में बेक किया जाता है. इसे आप चाय या कैचअप के साथ भी खा सकते हैं.

सामग्री

मक्खन (4 टेबल स्पून)

लहसुन की कलियां

1 मल्टीग्रन ब्रेड

1 टी स्पून चिली फलेक्स

बनाने की वि​धि

पैन को गर्म करें.

लहसुन को काट लें.

मल्टीग्रेन ब्रेड के तीन से चार स्लाइस काट लें.

एक पैन में 4 बड़े चम्मच मक्खन डालें.

इसमें लहसुन और एक छोटा चम्मच चिली फलेक्स डालकर अच्छे से मिला लें.

आंच को बंद कर दें और इसे ठंडा होने दें.

इसे अब बाउल में निकाल लें.

गार्लिक बटर को ब्रेड के स्लाइस पर लगाएं और इसे ओवन में 150 डिग्री पर 2 से 3 मिनट के लिए ब्रेड को गोल्डन ब्राउन होने तक बेक करें.

खड़गे और मोदी का चुनाव दंगल

देश की महत्वपूर्ण राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दरमियान प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर जिस तरह कांग्रेस के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने खड़े किए हैं उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बौखलाहट और संपूर्ण भारतीय जनता पार्टी की खिजलाहट देश को साफ दिखाई दे रही है . भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व संभालने के बाद नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति पर कुछ ऐसी टेढ़ी लकीरें हैं जो आने वाले समय में उन पर ही भारी पड़ने वाली हैं. आज रिपोर्ट में हम इसी महत्वपूर्ण तथ्य पर चर्चा करते हुए आपको अवगत कराना चाहते हैं.

दरअसल, नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर मलिकार्जुन खड़गे नहीं जो बाण चलाया है उससे भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी दोनों बौखला गए हैं और चिर परिचित अंदाज में वही कह रहे हैं कि यह सब गुजरात की जनता का अपमान है. और गुजरात की जनता चुनाव में इसका जवाब देगी.

बीते 20 वर्षों के चुनाव का आप अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि नरेंद्र दामोदर मोदी ने इस तरह की बातें लगभग हर एक चुनाव में कही है कि यह देश की जनता का अपमान है यह गुजरात की जनता का अपमान है देश की जनता इसका जवाब देगी मानो नरेंद्र मोदी नहीं हुए आप देश हो गए. आश्चर्य यह कि यह स्क्रिप्ट बार-बार पढ़ी जाती है. हमारा सवाल यह है कि मोदी जी इससे आगे का अध्याय शायद आपको नहीं मालूम. और शायद आपकी यही घिसी पिटी बातों को अब गुजरात और देश की जनता भली-भांति जानने लगी है . यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हर एक चुनाव में इस तरह की बातें करना नरेंद्र मोदी को शोभा नहीं देता है.

दरअसल,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल के बीच मंगलवार को राजनीतिक वाक् युद्ध देश ने देखा है. भाजपा और नरेन्द्र मोदी भक्तो ने इसे -“हर गुजराती का अपमान” करार देते हुए जनता से इसका बदला लोकतांत्रिक तरीके से लेने की अपील की है.
इधर कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए तुरूप का पत्ता चला है और कहा- ” खड़गे पर भाजपा का हमला उसकी ‘दलित विरोधी मानसिकता’ को दर्शाता है.”

दरअसल, अहमदाबाद के बेहरामपुरा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भाजपा द्वारा नगर निकाय, नगर निगम और विधानसभा तक के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगे जाने को लेकर खड़गे ने सोमवार को तंज कसा था. भाजपा द्वारा नगरपालिका चुनाव में भी मोदी के नाम पर वोट मांगे जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था, ‘ आपको क्या

काम दिया गया है! वह काम करो. वह छोड़ कर नगर निगम चुनाव, विधानसभा चुनाव… लोकसभा चुनाव… चूंकि उनको प्रधानमंत्री बनना है, नरेंद्र मोदी यहां आकर नगरपालिका का काम करने वाले हैं… क्या मोदी आकर यहां मुसीबत में आपकी मदद करते हैं. अरे, आप तो प्रधानमंत्री हो.
मलिकार्जुन खड़गे की इस टिप्पणी से भारतीय जनता पार्टी मानो बुरी तरह हताहत हो गई और रणनीति के तहत बयान को हर एक गुजराती का अपमान करार देते हुए जनता से इसका बदला लोकतांत्रिक तरीके से लेने की अपील की है.
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मलिकार्जुन खड़गे का हमला
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नव निर्वाचित मलिकार्जुन खरगे ने कांग्रेसी अध्यक्ष के रूप में पहली दफा ऐसा बयान दिया है जो विवाद का विषय बन गया है उन्होंने कहा- “हर एकइलेक्शन में भी तुम्हारी सूरत… हर जगह… कितने हैं भाई… क्या आपके रावण के से सौ मुख हैं क्या है ?… समझ में नहीं आता ये.”जैसा कि होना था कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की इस टिप्पणी से भाजपा ने कड़ा प्रतिकार किया और एक बार वही बातें कहीं जो हर चुनाव में ऐसे मौके पर भाजपा और नरेंद्र मोदी कहते रहे हैं.

सनद रहे कि गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के दो चरणों में एक और पांच दिसंबर को मतदान होना है.भाजपा के प्रवक्ता और बहुचर्चित चेहरे संबित पात्रा ने एक बार वही बातें रही है जो अक्सर कहते हैं-मलिकार्जुन खड़गे का यह कहना ‘गुजराती सपूत’ के लिए उचित नहीं है.उन्होंने कहा कि यह निंदनीय है और कहीं ना कहीं यह कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है. कांग्रेस अध्यक्ष की उक्त टिप्पणी को हर गुजराती और गुजरात का अपमान करार देते हुए पात्रा ने दावा किया कि उन्होंने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कहने पर प्रधानमंत्री के खिलाफ इस शब्द का इस्तेमाल किया है. और आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा कि कांग्रेस को आईना दिखाने का काम गुजरात की जनता करेगी. प्रत्येक गुजराती से हम ये अपील करते हैं कि जिस कांग्रेस नेता ने… गुजरात के बेटे के खिलाफ, गुजरात के सम्मान के खिलाफ, ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है, गुजरात उनको सबक सिखाए. आपको लोकतांत्रिक तरीके से इसका बदला लेना है भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा – गांधी परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत करता है और इसीलिए सोनिया गांधी ने उन्हें ‘मौत का सौदागर’ कहा था.

पाठकों को हम बताते चलें की सोनिया गांधी ने जब लगभग दो दशक पहले नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया था तब नरेंद्र मोदी ने पलटवार किया था और चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन गए थे. ठीक उस दिन से नरेंद्र दामोदरदास मोदी हर चुनाव में जब-जब उन पर कॉन्ग्रेस हमला करती है तो अपने आप को गुजरात का बेटा और “देश” साबित करने लगते हैं वह भूल जाते हैं कि काठ की हांडी ज्यादा दिन नहीं चलती.

 

अनुपमा के खिलाफ साजिश रचेगी पाखी , जानें क्या होगा आगे

इन दिनों अनुपमा सीरियल लगातार टीआरपी लिस्ट में बना  हुआ है, इस शो की टीआरपी बढ़ाने के लिए हर कलाकार खूब मेहनत कर रहा है. बीते दिनों पाखी कैब वाले के बतमीजी का शिकार होती है, जिसे लेकर वनराज अनुपमा को दोषी ठहराता है,

वनराज को जवाब देने में अनुपमा कोई कसर नहीं छोड़ती है, लेकिन इस सीरियल के ट्विस्ट और टर्न खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. शो में आगे दिखाया जाएगा कि कैसे अनुपमा केस को नहीं हटाएगी, अनुपमा उसकी एक भी बात नहीं सुनेगी.

 

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अनुपमा और पाखी के साथ बतमीजी के बाद वनराज को वह खूब सुनाती है, अनुपमा कहती है कि मुझे देश के कानून पर पूरा भरोसा है, मैं इस केस में पीछे नहीं हटने वाली हूं.

आगे अनुपमा में दिखाया जाएगा कि पाखी से हुई बतमीजी की जिमम्मेदार डिंपल खुद को मनाती है. हालांकि डिंपल जिद्द पर अड़ जाती हैं. वहीं अनुपमा उसे समझाने की कोशिश करती है. पाखी संग हादसे के बाद से वनराज उसे घर आने को कहता है. लेकिन वह माना करती है,

वहीं अनुपमा और अनुज पुलिस स्टेशन जाते हैं गुंडों का पता करने, जहां उन्हें अलग तरह का सबूत हासिल होता है. अनुपमा पाखी के साथ बहुत बतमीजी करती है.

Bigg Boss 16: रैकिंग को लेकर घर में होगा बवाल, निमृत पर भड़के अंकित

छोटे पर्दे का सबसे विवादित शो बिग बॉस 16 लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, इस शो में आए दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिल रहा है. हाल ही में इस शो में गोल्डेन बॉयज कि एंट्री हुई है.

वहीं इस शो का एक और प्रोमो दिख रहा है जिसमें अंकित गुप्ता निमृत कौर से लड़ाई करते नजर आ रहे हैं. दोनों के बीच में जमकर लड़ाई हो रही है.

यह प्रोमो खूब वायरल हो रहा है जिसमें अंकित ने जमकर निमृत की वाट लगाई है, वीडियो में निमृत घरवालों को जरुरत के हिसाब से रैंकिग देती नजर आ रही हैं. जिसपर अर्चना गौतम बुरी तरह से भड़क जाती हैं.

आखिरी में निमृत अंकित का नाम लेती हैं जिसपर वह बुरी तरह से भड़क जाती हैं.वह सबसे पहले शिव ठाकरे का नाम लेती हैं जिसपर अंकित बुरी तरह से भड़क जाता है.

इसके बाद दिखाया जाता है कि शालीन भनोट और टीना दत्ता एक दूसरे पर प्यार लुटाते नजर आ रहे हैं. इस प्रोमो को देखने के बाद से साफ हो गया है कि शालीन और टीना एक-दूसरे को बेइंतहां प्यार करते हैं.

बता दें कि शालीन और टीना की जोड़ी लोगों को खूब पसंद आ रही है,

वहीं शो में गोल्डेन बॉयज को लेकर कई तरह ही बातें होनी शुरू हो गई है. कुछ कंटेस्टेंट तो इनसे दोस्ती करने की बात कर रहे हैं तो वहीं एम सी स्टेन इनके आने से खूब खुश है.

विंटर स्पेशल: क्या आपको पता है शहद खाने के ये 8 फायदे?

प्राचीन काल से ही शहद को इस के स्वाद और सेहत वाले गुणों के लिए जाना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि आज से लगभग 4000 साल पहले सुमेरियन क्ले टैबलेट्स में इस का दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. माना जाता है कि सुमेरियन चिकित्सा के 30% इलाजों में शहद शामिल होता था. प्राचीन इजिप्ट में शहद का उपयोग त्वचा व आंख संबंधी रोगों के निदान के लिए किया जाता था. भारत में सिद्धा और आयुर्वेद जैसे पुराने व परंपरागत चिकित्सकीय तरीकों में शहद की अहम भूमिका रही है.

शहद खून के लिए वरदान:

रैड ब्लड सैल्स पर इस का सब से ज्यादा असर देखने को मिलता है. यह हीमोग्लोबिन लैवल को बढ़ाने में भी सहायक है. ऐसा भी माना जाता है कि कीमोथैरेपी करवाने वाले मरीजों में यह व्हाइट ब्लड सैल्स को कम होने से रोकता है.

शहद ऐंटीबैक्टीरियल व ऐंटीसेप्टिक है:

यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से रक्षा करता है. इस के प्रतिदिन सेवन से सांस संबंधी रोगों जैसे कफ और अस्थमा के नियंत्रण में सहायता मिलती है.

शहद वजन कम करता है:

कुनकुने पानी व नीबू के रस के साथ शहद लेने से वजन कम करने में सहायता मिलती है.

शहद बनाए ऊर्जावान:

इस में शुगर के तत्त्वों ग्लूकोज और फ्रूक्टोज होने के कारण यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है

शहद सुधारे पाचनक्रिया:

यह पेट फूलना, कब्ज और गैस की समस्या को दूर करने में सहायक है. इस में प्रोबायोटिक या अच्छे बैक्टीरिया जैसे बिफिडो और लैक्टोबेसिल पाए जाते हैं, जो पाचनक्रिया को दुरुस्त कर रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं व ऐलर्जी से बचाते हैं.

शहद और दूध की ताकत:

इन दोनों का एकसाथ इस्तेमाल त्वचा को साफ कर उसे दमकाता है. इस के ऐंटीऔक्सिडैंट गुणों के कारण इसे ऐंटीएजिंग औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. अनिद्रा रोग में भी यह प्रभावकारी है.

शहद है पोषण से भरपूर:

इस में स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी ऐंजाइम, विटामिन, मिनरल और पानी होने के साथसाथ यह इकलौता ऐसा खाद्यपदार्थ है जिस में पोषक तत्त्व पाइनोकेम्ब्रिन पाया जाता है, जो दिमाग की कार्यशैली को सुचारु रखता है.

शहद है गुणों की खान:

अपने ऐंटीइन्फ्लेमैटरी गुण के चलते यह तमाम तरह की ऐलर्जी से सुरक्षित रखता है. इस का इस्तेमाल याद्दाश्त बढ़ाने और रूसी से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है.

मधुमक्खियों से जुड़े अनूठे तथ्य

मधुमक्खियां एक दिन में लगभग 2,25,000 फूलों पर विचरण करती हैं. 1 पाउंड शहद बनाने के लिए मधुमक्खियों को लगभग 20 लाख फूलों पर विचरण करना पड़ता है और इस दौरान वे 55,000 मील की यात्रा करती हैं.

मधुमक्खियां कभी नहीं सोतीं और आपस में डांस व संकेतों के जरीए बातचीत करती हैं.

यह इकलौता कीट है जो इंसानों के खाने लायक उत्पाद तैयार करता है.

मधुमक्खियां 170 तरह की गंध पहचान सकती हैं जबकि फ्रूट फ्लाइज मात्र 62 और मच्छर 79 गंध ही पहचान सकते हैं. इन की असाधारण घ्राणशक्ति में साथी मधुमक्खियों को पहचानने व छत्ते में बातचीत करने की क्षमता के साथसाथ खाना पहचान कर ढूंढ़ने की क्षमता भी शामिल है.

विंटर स्पेशल: जीरो आयल चटपटी चाट

चाट का नाम सुनते ही सबके मुंह में पानी आ जाता है पर अक्सर हेल्थ कॉन्शस लोग इसके तले भुने और मिर्च मसालेदार होने के कारण चाट खाने की इच्छा होने के बाद भी मन मारकर रह जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें निहित  तेल मसाले उनके स्वास्थ्य और वजन के लिए हानिकारक सिद्ध न हो जाये.
यहां हम बताना चाहेंगे कि आवश्यक नहीं कि हर चाट आपके लिए हानिकारक ही हो. आज हम आपको ऐसी ही तली भुनी सामग्री रहित दो स्वादिष्ट और हैल्दी चाट बनाना बताएंगे जिन्हें आप चाहे जितना खा सकते हैं और जो आपको स्वाद के साथ साथ भरपूर पौष्टिकता भी देंगी क्योंकि इनमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं तो आइए जानते हैं इन्हें कैसे बनाते हैं-
1 ओट्स कॉर्नफ्लैक्स चाट
कितने लोगों के लिए- 4
बनने में लगने वाला समय- 10 मिनट
मील टाइप- वेज

सामग्री

सादा ओट्स             1 कप
कॉर्नफ्लैक्स               1 कप
अंकुरित मूंग               1 कप
बारीक कटा प्याज       1
बारीक कटा खीरा        1
कटी हरी मिर्च              2
उबला और कटा आलू    1
इमली की चटनी            1 टीस्पून
धनिया की चटनी        1 टीस्पून
चाट मसाला                 1/2 टीस्पून
नीबू का रस                   1 टीस्पून
नमक                            1/4 टीस्पून
भुना जीरा पाउडर            1/2टीस्पून
फीके सेव(एच्छिक)          1 टेबलस्पून
अनार के दाने                    1 टेबलस्पून
कटा हरा धनिया                 1 टेबलस्पून
विधि
ओट्स और कॉर्नफ्लैक्स को बिना चिकनाई के एक  नॉनस्टिक पैन में अलग अलग हल्का सा भून लें, ध्यान रखें कि इनका रंग परिवर्तित न होने पाए. ठंडा होने पर एक बाउल में सेव, अनार के दाने को छोड़कर समस्त सामग्री को डालकर अच्छी तरह मिलाएं. तैयार चाट को सेव और अनार के दाने डालकर सर्व करें.
2. शेजवान कॉर्न चाट

कितने लोंगो के लिए- 4
बनने में लगने वाला समय- 10 मिनट
मील टाइप- वेज
सामग्री
उबले स्वीट कॉर्न               2 कप
बारीक कटा पनीर या टोफू    1 कप
पिघला मक्खन              1 टेबलस्पून
कटा प्याज                     1
कटी हरी मिर्च                 2
कटा टमाटर                    1
नीबू का रस                  1/2टीस्पून
रोस्टेड मूंगफली            2 टेबलस्पून
काला नमक                1/4 टीस्पून
चाट मसाला                 1/4 टीस्पून
भुना जीरा पाउडर         1/4 टीस्पून
काली मिर्च पाउडर         1/4 टीस्पून
शेजवान चटनी               1 टीस्पून
कटी हरी धनिया              1 टेबलस्पून
विधि
एक बाउल में धनिया को छोड़कर समस्त सामग्री डालकर भली भांति चलाएं. तैयार चाट को कटा हरा धनिया डालकर सर्व करें.
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