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3 Idiots के ‘दुबे जी’ यानी Akhil Mishra का हुआ निधन, 58 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

Akhil Mishra death : हिन्दी सिनेमा के जाने माने एक्टर ‘आमिर खान’ की फिल्म ‘3 इडियट्स’ के हर एक किरदार को दर्शकों का खूब प्यार मिला था. उऩकी इस फिल्म के छोटे से छोटे रोल ने मूवी में जान ड़ाल दी थी. इसी में से एक किरदार था लाइब्रेरियन ‘दुबे जी’ का, जिसको अभिनेका ”अखिल मिश्रा” ने बखूबी निभाया था. लेकिन अब आगे से हम उन्हें किसी भी और फिल्म में नहीं देख पाएंगे.

दरअसल, 3 इडियट्स (3 Idiots) के ‘दुबे जी’ यानी ”अखिल मिश्रा” का निधन हो गया हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्टर अखिल की मौत अपने घर की किचन में फिसलकर गिरने की वजह से हुई है. हालांकि जब उनकी मौत (Akhil Mishra death) हुई तो तब उनकी पत्नी सुजैन बर्नर्ट उऩके साथ घर पर नहीं थी. वह मंबई से बाहर हैदराबाद शूट कर रही थी. उन्हें जैसे ही यह खबर मिली वो तुरंत वापस मंबई लौट आई.

मौत की आधिकारिक वजह सामने नहीं आई

आपको बता दें कि एक्टर ”अखिल मिश्रा” (Akhil Mishra death) ने मात्र 58 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है. जैसे ही एक्टर की मौत की पुष्टि हुई वैसे ही उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. हालांकि अभी तक उनकी मौत की आधिकारिक वजह सामने नहीं आई है. लेकिन कहा ये ही जा रहा है कि जब वो किचन में कुछ काम कर रहे थे तो उनका पैर फिसलगया और वो जमीन पर गिर गए. तभी उनकी मौत हो गई.

टीवी से लेकर फिल्मों में किया है काम

आपको बताते चलें कि एक्टर ”अखिल मिश्रा” (Akhil Mishra death) ने फिल्मों में काम करने के साथ-साथ कई टीवी शोज में भी काम किया हैं. लेकिन उन्हें पहचान ‘3 इडियट्स’ (3 Idiots) में लाइब्रेरियन दुबे जी के किरदार से ही मिली थी. इस फिल्म में उनकी, एक्टर आमिर खान से हुई नोक झोंक को खूब पसंद किया गया था.

Fukrey 3 के मेकर्स ने Choo CPT को किया लॉन्च, इस तरह कर सकेंगे ‘चूचा’ से बात

Fukrey 3 : बॉलीवुड की ‘फुकरे’ फ्रेंचाइजी को लोगों का खूब प्यार मिला है. ये फिल्म अपनी कॉमेडी से हर बार दर्शकों का दिल जीतती है. इसके पहले रिलीज हुए दोनों पार्ट्स अब तक लोगों को हंसाते हैं. इसके अलावा इस फिल्म के मजेदार कैरेक्टर भोली पंजाबन, चूचा, हनी, लाली और पंडित ने लोगों को खूब हंसाया है. लोगों से मिलते अपार प्यार को देखते हुए फुकरे के मेकर्स ने इसकी तीसरी किस्त भी बना ली है. जो रिलीज होने को पूरी तरह से तैयार हैं.

बीते दिनों ‘फुकरे 3’ (Fukrey 3) का ट्रेलर और एक गाना जारी किया गया, जिसे लोगों से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है. वहीं अब फिल्म के मेकर्स ने एक अनोखा कदम उठाते हुए लोगों के फेवरेट किरदार ‘चूचा’ पर आधारित ‘चू सीपीटी’ नाम का एक मजेदार टूल बनाया है.

Chat GPT की दुनिया में हुई ‘चूचा’ की एंट्री

आपको बता दें कि ‘फुकरे 3’ (Fukrey 3) के मेकर्स ने एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए ‘चू सीपीटी’ नामक एक टूल लॉन्ज किया है. यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है. जहां लोग फुकरा कैरेक्टर ‘चूचा’ से बात कर सकेंगे. चाहे वो कहीं भी हों. फैन्स अपना हर सवाल ‘चूचा’ से पूछ सकते हैं, जिसका उन्हें जवाब भी मिलेगा.

गौरतलब है कि फिल्म मार्केटिंग का यह एक इनोवेटिव तरीका है, जिसके बारे में आज से पहले न तो कभी सुना गया और न ही कभी कुछ ऐसा देखने को मिला.

इस दिन रिलीज होगी ‘फुकरे 3’

आपको बताते चलें कि डायरेक्टर मृगदीप सिंह के डायरेक्शन में बनी कॉमेडी फिल्म ‘फुकरे 3’ (Fukrey 3) को 6 साल के लंबे इंतजार के बाद दर्शकों के बीच लाया जा रहा हैं. ये फिल्म, निर्माता फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के एक्सेल एंटरटेनमेंट बैनर तले बनाई गई है. जो 28 सितंबर 2023 को बड़े पर्दे पर दस्तक देगी. इसमें एक बार फिर दर्शकों को एक्टर पुलकित सम्राट, पंकज त्रिपाठी, ऋचा चड्ढ़ा, वरुण शर्मा और मनोजत सिंह की जुगलबंदी देखने को मिलेगी.

मुझे माफ कर दो सुलेखा : जानें उस दिन हुआ क्या था ?

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टीकू की करनी : किसने और क्यों लगाया अपने परिवार को दांव पर ?

14 साल की बीना एक बहुत ही सुलझी और समझदार लड़की थी. उस का एक गरीब परिवार में जन्म हुआ और अपने मां, बाबा और बड़े भाई टीकू के साथ शहर के कोने में बसी एक छोटी सी झुग्गी में रहती थी.

बीना के बाबा और भाई टीकू कोई काम नहीं करते. बीना अपनी मां के साथ घरों में साफसफाई का काम कर कुछ पैसे कमा लाती और जैसेतैसे घर का गुजारा होता.

मां टीकू को काम करने के लिए बहुत समझाती, पर उस के कानों पर जूं तक न रेंगती. सारा दिन झुग्गी के आवारा लड़कों के साथ टाइमपास कर के रात को घर आ कर मां पर धौंस जमाता. बाबा का तो महीनों कुछ पता ही नहीं रहता था.

झुग्गी के पीछे की तरफ सरकारी फ्लैट्स बने थे. उन्हीं फ्लैटों में रहने वाली अनीता के यहां बीना काम करने जाती थी. काम करने के बाद बीना अनीता की छोटी बेटी नीला के साथ थोड़ीबहुत बातचीत करती और उस से नईनई बातें सीखती.

नीला को देख बीना का मन भी पढ़ने के लिए करता था. वह भी दूसरी लड़कियों की तरह हंसीखुशी रहना चाहती थी. पढ़लिख कर अपनी मां के लिए कुछ करना चाहती थी, पर घर के हालात और गरीबी इन सब के बीच में सब से बड़ा रोड़ा थी.

अनीता का घर छोटा सा ही था. घर में रसोई, बाथरूम और 2 ही कमरे थे. पूरा घर साफसुथरा और करीने से सजा था. एक बालकनी थी, जिस में अनीता ने गमले लगा रखे थे. इन गमलों में छोटेछोटे पौधे थे. दोचार कटोरों में चिड़ियों के लिए दानापानी रखा था. चिड़िया भी बड़े मजे से इन कटोरों से चुगने आतीं और पानी पीतीं. बालकनी की दीवार पर अनीता की बेटी नीला के हाथ की बनी दोचार पेंटिंग्स लगी थीं.

बीना अनीता के घर का सारा काम निबटा कर थोड़ी देर के लिए बालकनी में पड़ी कुरसी पर बैठ कुछ वक्त बिताती. यहां उसे बड़ा ही सुकून मिलता.

बालकनी में बैठ बीना भी सोचती कि काश, मेरा घर भी ऐसे ही होता और वह भी अपने घर में ये सब गमले और पौधे लगा पाती.

तभी अनीता ने बीना को आवाज लगाई और उसे एक थैला देते हुए कहा, “बीना, इस थैले में चादर, दरी, चुन्नी और कुछ घर का सामान है, तू ले जाना. कुछ काम आए तो रख लेना, नहीं तो झुग्गी में बांट देना. और हां, काम हो गया हो तो अब तुम जाओ. मुझे भी अब आराम करना है.”

“हांहां आंटी, मैं जा रही हूं. आप दरवाजा बंद कर लो,” अनीता के हाथ से सामान का थैला ले बीना घर की ओर चल दी.

घर पहुंचतेपहुंचते शाम के 5 बज गए थे. मां अभी तक घर नहीं आई थी. बीना ने मां के आने तक रात के खाने की तैयारी कर ली. मां ने आ कर रोटी बनाई.

बीना और मां ने खाना खाया और मां जल्दी ही सो गईं और बीना भी झुग्गी के बाहर लगी लाइट की रोशनी में नीला से लाई किताब के रंगीन चित्र देखते हुए जमीन पर बिछी फटीपुरानी दरी पर ही सो गई.

सुबह उठ कर बीना ने मां से कहा, “मां, आज मैं काम पर नहीं जाऊंगी. तबीयत ठीक नहीं है. आज कुछ आराम करूंगी.”

“ठीक है बीना, जैसी तेरी मरजी,” कह कर मां काम पर चली गई.

मां के जाने के बाद बीना ने अपने लिए चाय बनाई और डब्बे में पड़ी रात की बची रोटी खा कर जमीन पर बिछी दरी पर लेट गई. लेटे हुए छत तकते हुए अचानक उठी और अनीता का दिया थैला खोला और उस में से सारा सामान बाहर निकाला.

बीना ने घर पर पड़े पुराने संदूक को कमरे में एक कोने में लगाया और उस पर घर में फैले पड़े चादर, तकिए लपेट कर रखे. बीना ने अनीता की दी हुई चादर करीने से संदूक पर बिछा दी. झोले दीवार पर टांग दिए.

कमरे को अच्छे से साफ कर बीना ने अनीता की दी हुई पुरानी दरी जमीन पर बिछा दी. कोने में पड़ी पुरानी सी चौकी पर अनीता की दी हुई चुन्नी बिछाई और चौकी को संदूक के आगे टेबल की तरह दरी पर रख दिया. थैले से निकली एक पुरानी सी पेंटिंग को दीवार पर टांग दिया. कमरे में फैला सारा सामान करीने से रख दिया.

बस इतना करने से ही बीना का कमरा सुंदर लगने लगा और वह मन ही मन बहुत खुश हो गई.

तभी पड़ोस की लता आंटी बीना के कमरे में आई और चौंकती हुई बोली, “अरे बीना, यह तेरा ही कमरा है क्या? बहुत साफ और सुंदर लग रहा है.”

“हांहां, मेरा ही कमरा है. बस थोड़ा ठीकठाक किया है,” बीना ने खुशी से कहा.

शाम को मां जब काम से लौटी, तो कमरे की हालत देख खुश हो गई और बीना को आवाज लगाई, “अरे बीना, तू ने तो बहुत ही सुंदर कर दिया कमरा, बिलकुल फ्लैटों जैसा… इसीलिए आज काम से छुट्टी की थी तू ने.”

“हां मां, मेरा भी मन करता है कि मैं भी अपने घर को सुंदर रखूं. वह फ्लैट वाली नीला की मम्मी अनीता आंटी ने कुछ सामान दिया था. बस, उस से ही थोड़ा सा ठीकठाक किया है,” बीना ने मां का हाथ पकड़ते हुए कहा.

“हां, मन तो मेरा भी करता है, पर तू तो जानती ही है कि इन सब के लिए पैसा और वक्त दोनों चाहिए. वक्त तो निकाल भी लो, पर पैसे? पर जो भी है बीना, आज कमरे को देख अच्छा लग रहा है,” मां ने खुश होते हुए कहा.

रात को टीकू कमरे में आया और आंखें फाड़ कर कमरे के बदले रूप रंग को देखता रहा और बोला, “भई, यह कमरा अपना ही है? किस ने किया है यह सब?”

“मैं ने किया है. कोई दिक्कत?”बीना ने कहा.

“अरे नहीं, नहीं, एक नंबर का चकाचक लग रहा है. अमीरों वाली फीलिंग आ रही है.

“अरे हां अम्मां, मैं सुबह 10-15 दिनों के लिए अपने दोस्तों के साथ कहीं जा रहा हूं. मुझे अब नींद भी आ रही है. जल्दी से कुछ खाने को दे दे,” टीकू बोला.

टीकू सुबह दोस्तों के साथ निकल लिया और बाबा का तो कई महीनों से कुछ पता ही न था.

बीना भी मां के साथ सुबह काम पर निकल गई और अनीता के फ्लैट पर पहुंची. अनीता बालकनी में लगे पौधों की काटछांट कर रही थी और गमलों में से कई पौधों की कटिंग फेंक दी थी.

“आंटी, ये कटिंग्स मैं ले लूं?”

“तुम इन का क्या करोगी?”

“मैं भी इन्हें अपने कमरे के बाहर मिट्टी में लगा लूंगी. मेरा बहुत मन करता है पौधे लगाने का. ”

“अच्छा तो ये दोचार गमले भी ले जा. वैसे भी मुझे बदलने हैं ये.”

“ठीक है आंटी. शाम को काम से लौटते हुए मैं ले जाऊंगी,” बीना ने चहकते हुए कहा.

अनीता के घर से शाम को गमले और पौधों की कटिंग्स ले कर बीना झुग्गी पहुंची. गमलों में कटिंग्स लगा कर गमले झुग्गी के बाहर रख दिए.

पौधे गमलों में कई दिन तक यों ही मुरझाए पड़े रहे. बीना रोजाना काम पर आतेजाते गमलों को देखती और उदास हो जाती और सोचती, ‘मैं तो पानी भी डालती हूं गमलों में, फिर पौधे मर क्यों गए? क्या गरीबों के यहां पौधे भी नहीं होते?’

कई दिनों तक गमले ऐसे ही पड़े रहे. बीना भी नाउम्मीद हो चुकी थी. शाम को काम से झुग्गी पहुंची तो गमले में मनीप्लांट की छोटी सी पत्ती उगती दिखी. बीना की ख़ुशी का कोई ठिकाना न था.

कुछ ही महीनों में मनीप्लांट की बेल बीना की झुग्गी के दरवाजे के ऊपर फैल गई. अब बीना की झुग्गी दूर से ही दिख जाती. पौधों और मनीप्लांट के कारण पूरी बस्ती में बीना की झुग्गी की अलग ही पहचान बन गई थी.

बीना को लगता जैसे वह भी अनीता जैसे ही फ्लैट में रह रही हो. उसे अपनी झुग्गी फ्लैटों से भी अच्छी लगने लगी. काम खत्म कर वह जल्दी ही अपने घर पहुंचने की करती और बड़े ही चाव से अपने कमरे को सजाती, पौधों में पानी डालती, कमरे की ड्योढ़ी पर बैठ पौधों से बातें करती.

बीना की खुशी उस के चेहरे से साफ झलकती थी. उस की आसपड़ोस की सहेलियां भी गमलों के पास आ बैठतीं और सब खूब बतियातीं.

शाम को काम से वापस आ कर बीना और उस की मां खाना खा रही थीं, तभी बाहर खूब शोर होने लगा. मां ने बाहर जा कर देखा तो चारों ओर पुलिस ही पुलिस थी.

पड़ोस की लता आंटी से बीना ने पूछा, “यह क्या हो रहा है?”

“कुछ लड़कों को ढूंढ़ रहे हैं ये पुलिस वाले. सामने वाले महल्ले में पत्थरबाजी की है उन लड़कों ने. अब ये हर झुग्गी की तलाशी ले रहे हैं,” लता आंटी ने कहा, “पूरी रात झुग्गी में तलाशी चलती रही.”

सुबह बीना मां के साथ काम के लिए निकल गई. दोपहर के करीब मां बीना के पास घबराती हुई अनीता के फ्लैट पर उसे लेने पहुंची.

डोर बैल बजने पर अनीता ने दरवाजा खोला. सामने बीना की मां खड़ी थी.

“क्या हुआ? इतनी घबराई हुई क्यों हो तुम?” अनीता ने बीना की मां से पूछा.

“तुम बीना को भेज दो मेरे साथ. झुग्गी में पुलिस आई हुई है और तलाशी ले रहे हैं. पड़ोसन ने मुझे बताया है कि पुलिस वाले मेरी झुग्गी की तलाशी लेने के लिए मेरा इंतजार कर रहे हैं. बस जल्दी से बीना को भेजो,” बीना की मां ने एक ही सांस में सारी बात अनीता को बताई.

“चलो, चलो मां,” बीना मां का हाथ पकड़ फ्लैट से अपनी झुग्गी की ओर दौड़ पड़ी.

बस्ती में दूर से ही पुलिस वाले नजर आ रहे थे. बस्ती के अंदर बीना की झुग्गी के आसपास लोगों की भीड़ लगी थी.

बीना और मां के पहुंचते ही एक पुलिस वाले ने बीना की मां को अपनी ओर बुलाया और पूछा, “हां अम्मां, यह फोटो देखो और बताओ कि इसे जानती हो तुम?”

“हांहां, यह तो मेरा लड़का टीकू है,” मां ने कहा.

“तुम्हारा लड़का सामने महल्ले में हुई पत्थरबाजी में शामिल था. करोड़ों का नुकसान हुआ है. हमारे पास और्डर हैं. पत्थरबाजी में शामिल सभी लड़कों की झुग्गी पर बुलडोजर चलेगा आज. अपना कोई सामान है, तो निकाल लो झुग्गी में से,” पुलिस वाले ने कड़कती आवाज में कहा.

यह सब सुनते ही बीना और उस की मां के होश उड़ गए. गलती टीकू की थी, पर आज के अन्यायी समाज ने पूरे घर को बेघरबार कर दिया और वह भी इसलिए कि पुलिस और शासन अपने हाथ में असीम ताकत रखते हैं.

बीना और उस की मां तो क्रूर शासकों के लिए चींटी जैसे हैं. बिना टीकू को अदालत द्वारा दोषी ठहराए उसे तो गिरफ्तार कर लिया, पूरे परिवार को बिना दोष के सजा दे दी. पुलिस वालों के सामने दोनों खूब गिड़गिड़ाने लगीं, पर इस से तो पुलिस की हिम्मत बढ़ती है कि वह सर्वशक्तिमान है और कोई भी चूंचपड़ करेगा, उन के बुलडोजर और सिस्टम रौंद देंगे.

भीड़ को तितरबितर कर पुलिस वाले ने बीना की झुग्गी पर बुलडोजर चलाने का हुक्म दिया. मां के कंधे पर सिर रख बीना दहाड़ें मार चीखती रही, पर किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया. बीना की आंखों के सामने मिनटों में ही उस की झुग्गी, गमले, मनीप्लांट सब मिट्टी में मिल गए. मलबे में चादर, चुन्नी दबे दिख रहे थे.

बीना यह सब देख जमीन पर बेहोश हो कर गिर पड़ी. मां बीना को गोद में लिए वहीं जमीन पर बैठ गई. बीना की फ्लैट जैसी झुग्गी का दूरदूर तक अतापता न था.

बेसिरपैर के हिंदी गाने

संडे के दिन मैं शाम को चाय की चुस्की लेतेलेते टीवी देख रही थी. टीवी पर रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ आ रही थी. फिल्म की कहानी बहुत अच्छी लग रही थी. इस फिल्म को देखते हुए मुझे अपने दोस्तों की याद आने लगी. फिल्म के इंटरवल के बाद रणबीर कपूर का एक गाना आता है. जिस का शीर्षक है, ‘बदतमीज दिल…’ इस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘पान में पुदीना देखा, नाक का नगीना देखा, चिकनी चमेली देखी, चिकना कमीना देखा, चांद ने चीटर हो के चीट किया तो सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा…’ मतलब कुछ भी.

चिकनी चमेली, चिकना कमीना तो फिर भी ठीक है लेकिन चांद ने चीटर हो के चीट किया तो सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा का मतलब, भई कहना क्या चाहते हैं? चांद जिस ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि 2013 में एक गाना आएगा जो उसे चीटर कहेगा.

बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. इसी गाने के आगे के बोल हैं, ‘सारे तारे बोले गिल्लीगिल्ली अख्खा.’ अब कोई बताओ, इस का क्या ही मतलब बनता है. तारों के पास कोई काम नहीं है क्या कि वे बस यही कहें गिल्लीगिल्ली अख्खा. वैसे, इस गिल्लीगिल्ली अख्खा का मतलब क्या है, यह सम   झना भी मुश्किल है. इस बोल की यहां क्या ही जरूरत है?

हालांकि गाने का फिल्मांकन अच्छा बन पड़ा है. गाने में रणबीर स्मार्ट के साथसाथ हौट और सैक्सी भी लग रहे हैं. यह भी सच है कि रणबीर से नजर हटाना आसान नहीं है. हर लड़की की चाहत होती है कि उस का पार्टनर रणबीर जैसा दिखता हो, ऐट लीस्ट, ऐसा लुक तो जरूर हो.

गानों में शोशाबाजी

जब यह गाना आया था तो हर लड़की अपनेआप को नैना और हर लड़का खुद को बनी इमेजिन करने लगा था. बनी और नैना इसी मूवी के दीपिका और रणबीर के कैरेक्टर्स के नाम हैं. सभी ने इस गाने को खूब एंजौय किया. लेकिन क्या किसी ने इस के बोलों पर ध्यान दिया? नहीं न.

ऐसा इसलिए क्योंकि सारा ध्यान तो गाने के फिल्मांकन, रणबीर, दीपिका की ड्रैस या कहें कि लुक पर था. जिन्होंने भी गाने को देखा उन्होंने इस की वाइब्स को एंजौय किया. गाने के बोल पर तो किसी ने गौर ही नहीं किया. फिल्म निर्माता, निर्देशक यह भलीभांति जानते हैं कि इस पीढ़ी को लिरिक्स से कोई मतलब नहीं है. ये लोग बस फैशन देखते हैं और उसे ट्रैंड बना देते हैं और वैसे भी आखिर में ये गाने इंस्टाग्राम रील और यूट्यूब शौट्स पर जो देखे जाने हैं. सो, क्या ही फर्क पड़ता है लिरिक्स से, कुछ भी लिख दो.

यह सिर्फ अकेला गाना नहीं है जिस के बोल बेसिरपैर के हैं. ऐसे गानों से बौलीवुड की फिल्में भरी पड़ी हैं लेकिन फिर भी लोग न सिर्फ इन्हें सुनते हैं बल्कि इन पर बड़ीबड़ी स्टेज परफौर्मेंस भी देते हैं. इसी साल एक और फिल्म आई थी जिसे डायरैक्ट किया था संजय लीला भंसाली ने और ऐक्टर ऐक्ट्रैस थे रणवीर सिंह व दीपिका पादुकोण. इस फिल्म का नाम था, ‘गोलियों की रासलीला : राम लीला’.

इस का एक गाना है, ‘ततड़ततड़…’ इस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘रामजी की चाल देखो, आंखों की मजाल देखो, करें ये धमाल देखो, अरे दिल को तुम संभाल देखो….’ यह क्या गाना हुआ ततड़ततड़ बतड़बतड़ और इस ततड़ततड़ बतड़बतड़ के पीछे हजारों की संख्या में लड़कियां नाच रही हैं. इतने से भी दिल नहीं भरा तो हीरो की शर्ट उतार दो. बाल लहरा दो. बस, हो गया काम. गाना हिट. कितना सही फार्मूला है, नहीं? असल में फिल्म निर्माता जानते हैं कि औडियंस को क्या चाहिए. वे जानते हैं कि दर्शक म्यूजिक और अच्छा फैशन सैंस चाहते हैं, अच्छे लिरिक्स नहीं.

बस, इसी बात का फायदा उठा कर वे गाने में कुछ भी भर देते हैं या कहें लिख देते हैं. औडियंस भी बस लगा रहता है उसे दिनरात सुनने में. लेकिन कोई उस के आड़ेटेढ़े बोलों पर सवाल नहीं उठाता. कोई यह नहीं पूछता कि आप ने गाने में जो लिखा है, आखिर उस का मतलब क्या है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस तरह के गाने हाल ही के कुछ सालों में बनने शुरू हुए हैं. ये बेसिरपैर के गानों की लिस्ट सालों पुरानी है.

ऊटपटांग शब्दों का प्रयोग

साल 2000 में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, परेश रावल और तब्बू स्टारर फिल्म ‘हेरा फेरी’ आई थी. यह फिल्म दर्शकों द्वारा आज भी बेहद पसंद की जाने वाली फिल्मों में शामिल है. तभी इस का पार्ट 2 भी बना. यहां फिल्म की बात नहीं, हम बात करेंगे ‘हेरा फेरी’ पार्ट 1 के एक गाने की. इस फिल्म का एक गाना है, ‘मैं लड़का पोंपोंपों…’ इस गाने के बोल हैं,  ‘मैं लड़की पोंपोंपों तू लड़का पोंपोंपों…’ इस गाने में विरामचिह्न की जगह पोंपोंपों शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इस गाने में तब्बू रूठे हुए सुनील शेट्टी को मनाने की कोशिश कर रही है और मनाने के लिए वह गाना गा रही है. जिस में पोंपों शब्द आ रहा है.

सोचने वाली बात तो यह है कि इस ‘पोंपोंपों’ या यह भी कह लें कि खोंखोंखों, खोंखोंखों का मतलब क्या है. कितना अजीब लग रहा है यह सुनने में. गाने में इस शब्द की जरूरत क्या ही है. यह सम   झना अपनेआप में बहुत मुश्किल है.

‘खामोश’ डायलौग से देशदुनिया में फेमस होने वाले शत्रुघ्न सिन्हा की बिटिया सोनाक्षी सिन्हा की डैब्यू फिल्म ‘राउडी राठौर’ का गाना ‘चिंता ता चिता चिता’ तो आप सभी को याद ही होगा. हालांकि सभी को यह गाना पसंद बहुत आया था. लेकिन इस गाने के बोल ‘चिंता ता चिता चिता’ ने सभी को चिंता में डाल दिया. वे इस सोच में पड़ गए कि अगर इस तरह के गाने के बोल बनने लगे तो भविष्य में बनने वाले गानों के बोल क्या होंगे.

कहने का मतलब यह है कि गाने के नाम पर कुछ भी लिख दिया जाएगा. किसी दिन किसी गाने के बोल में कुछ ऊटपटांग सुनने को मिले तो इस में हैरान होने वाली कोई बात नहीं होगी. हो सकता है कि राइटर के पास लिखने के लिए कोई शब्द ही न हों, इसलिए उस ने कुछ भी लिख दिया हो या यह भी हो सकता है कि उस वक्त जो भी उस के दिमाग में आया हो उस ने वह सब लिख कर अपना काम खत्म किया हो और सारा कार्यभार छोड़ दिया हो उस गाने के ऐक्टर ऐक्ट्रैस पर.

‘चिंता ता चिता चिता…’ गाने पर संगीत समीक्षक रोहित मेहरोत्रा का कहना है, ‘‘ऐसे बिना मतलब के बेहूदा लिरिक्स लिखना नई बात नहीं है. हो सकता है कि संगीतकार और गीतकार को एकदम से कुछ सू   झा और उस ने लिख दिया.’’ वे आगे बताते हैं, ‘‘कई गानों में लिरिक्स और वीडियो में कोई मेल नहीं होता, कोई तुक नहीं होती फिर भी वे गाने हिट हो जाते हैं.’’

सवाल यह कि ऐसे गाने आखिर क्यों बनाए जाते हैं. इस विषय पर रोहित मेहरोत्रा का कहना है, ‘‘ऐसे गाने इसलिए बनाए जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान इन पर जाए और बाकी गानों से ये गाने कुछ अलग लगें.’’

बेसिरपैर के गानों में बौलीवुड के खान भी पीछे नहीं रहे हैं. बौलीवुड के भाईजान कहे जाने वाले सलमान खान की हालिया फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ का गाना ‘लेट्स डांस छोटू मोटू…’ चर्चा में रहा. इस गाने को सुनने के बाद यह सम   झ आएगा कि यह कोई गाना नहीं है. यह तो नर्सरी राइम्स का पुलिंदा है, जिस में ढेर सारी राइम को उठा कर गाने की शक्ल दे दी गई है. इसे सुन कर ऐसा लगता है कि जैसे राइटर साहब नर्सरी की राइम बुक पढ़ रहे हों और पढ़तेपढ़ते उन्होंने यह गाना लिख दिया हो.

जब यह गाना लौंच हुआ था तभी से इस गाने के बोल चर्चा का विषय बन गए थे. इस गाने को ले कर अलगअलग लोगों की अलगअलग राय रही. कुछ लोगों ने इसे फनी गाना कहा तो कुछ ने बेहूदा. वहीं कुछ लोगों ने इसे बचकाने बोल और क्रिंज डांस की वजह से जम कर ट्रोल किया. कुछ लोगों का तो यहां तक भी कहना है कि यह गाना नर्सरी राइम्स से भी बदतर है.

सोशल साइट पर इस गाने को जम कर ट्रोल किया गया. कुछ लोग कह रहे हैं कि यह गाना देखने के बाद उन्हें हार्पिक से अपनी आंखें और कान धोने की जरूरत है. एक यूजर ने सचमुच गाने के बोल दोबारा लिखे और फिल्म को ट्रोल किया. उन्होंने लिखा, ‘‘मु   झे अब अपने स्वयं के गीत आजमाने दीजिए : गीत की धुन के साथ पढ़ें :

‘ट्विंकलट्विंकल लिटिल स्टार, सल्लू ऐसा क्यों कर रहा यार, तुम प्यार के लिए बहुत बूढ़े हो, फिल्म पहले से ही बेकार लग रही है.’

एक अन्य यूजर ने इस गाने पर कमैंट करते हुए कहा, ‘मैं नहीं कर सकता यार.. वे इस बकवास पर कैसे नाच रहे हैं.’ लेकिन इन सब से परे कुछ अच्छे गाने भी हैं जिन की अनदेखी करना बिलकुल भी सही नहीं होगा. इन गानों को सुन कर इन की तारीफ किए बिना रहा नहीं जाएगा.

अच्छे गानों की अहमियत

इन गानों की लिस्ट में प्रसून जोशी का फेमस गाना जैसे- ‘आंखों की डिबिया में निंदिया और निंदिया में मीठा सा सपना और सपने में मिल जाए फरिश्ता सा कोई…’ बहुत अच्छे बोल वाला गाना है. यह गाना आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ का है. इसी तरह ‘मणिकर्णिका’ फिल्म का एक गीत जिस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘मेरी नसनस तार कर दो, स्वानंद किरकिरे का…’, ‘काई पो चे’ का ‘शुभारंभ हो शुभारंभ मंगल बेला आई…’ और ‘तनु वेड्स मनु’ का ‘ऐ रंगरेज मेरे…’ जैसे अच्छे लिरिक्स हैं.

बात करें अगर हालिया रिलीज फिल्म की तो ऐसे भी कुछ गाने हैं जिन के बोल अच्छे बन पड़े हैं, जैसे ‘तू    झूठी मैं मक्कार’ का गाना ‘ओ बेदर्दिया…’, ‘जरा हटा के जरा बच के’ फिल्म का गाना ‘तू है तो फिर और मु   झे क्या चाहिए…’, ‘सत्यप्रेम की कथा’ का गाना ‘तुम मेरी रहना और नसीब से…’, ‘रौकी और रानी’ की प्रेमकहानी का गाना ‘तुम क्या मिले…’ आदि.

गाने हमारी लाइफ का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गाने एक थेरैपी का भी काम करते हैं. ये हमारे माइंड को फ्रैश रखते हैं. ये हमारा स्ट्रैस रिलीज करते हैं और हमारी फीलिंग्स को बयां करते हैं.

हमारी लाइफ में गाने क्यों जरूरी हैं, इस बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कालेज में पढ़ने वाला 20 साल का नवीन पटनायक कहता है, ‘‘मु   झे और मेरी पार्टनर को गाने सुनना बहुत पसंद है. हम अकसर अपनी फीलिंग्स एकदूसरे को बताने के लिए गानों का इस्तेमाल करते हैं. मैं कभी रोमांटिक होता हूं तो अपनी पार्टनर के लिए प्यारभरे गाने गाता हूं, जैसे ‘जब हैरी मेट सेजल’ मूवी का गाना ‘हवाएं’ है जिस के बोल है ‘मैं जो तेरा न हुआ किसी का नहीं… किसी का नहीं,’ ये बोल सुन कर मेरी गर्लफ्रैंड मु   झे बांहों में भर लेती है और हम प्यारभरे एहसास में डूब जाते हैं.’’

वह आगे कहता है, ‘‘गानों का हमारी लाइफ में होना बहुत जरूरी है. इस के बिना हम अपनी बातों को एक्सप्रैस नहीं कर पाते. मानिए किसी को इंप्रैस करना हो तो गाने की चंद लाइनें गाई जा सकती हैं. इसे एक उदाहरण से सम   झा जा सकता है. हाल ही में विक्की कौशल और सारा अली खान की एक फिल्म का एक गाना है जो म्यूजिक लवर्स की जबान पर सिर चढ़ कर बोल रहा है. इस गाने के बोल हैं ‘तेरे वास्ते फलक से मैं चांद लाऊंगा सोलहसत्तरह सितारे संग बांध लाऊंगा….’ इस गाने से हर वह व्यक्ति खुद को रिलेट कर पाएगा जो प्यार में है.

गाने मैलोडी की तरह

28 वर्षीया आकृति मौर्या, जो एक वौइस आर्टिस्ट है, बताती है, ‘‘गाने मेरी लाइफ में रस घोलने का काम करते हैं. बिना गानों के मैं अपनी लाइफ इमेजिन भी नहीं कर सकती. आप मु   झे एक म्यूजिक लवर भी कह सकते हैं.’क्ष् वह आगे बताती है,’’ लड़के यह अच्छी तरह से जानते हैं कि लड़कियों को गाने बहुत पसंद होते हैं.

‘‘यही वजह है कि वे गानों के जरिए उन्हें इंप्रैस करने की कोशिश में लगे रहते हैं और यह काम भी करता है. मु   झे मेरे बौयफ्रैंड ने जब प्रपोज किया था तो उस ने मेरा औलटाइम फेवरेट सौंग गाया था और हम ने साथ डांस भी किया था. वह मेरे लिए यादगार पल था. आज भी जब मैं वह गाना सुनती हूं तो मु   झे अपना प्रपोजल डे याद आ जाता है.’’

गाने न सिर्फ इंप्रैस और प्यार का इजहार करने का काम करते हैं बल्कि ये हमें चीयर्स करने का काम भी करते हैं. इस का एक अच्छा उदाहरण फिल्म ‘वेक अप सिड’ का गाना ‘आजकल जिंदगी’ है जिस के बोल हैं, ‘आजकल जिंदगी मु   झ से है कह रही…’ यह गाना आप को लाइफ के लिए चीयर्स करने का काम करेगा. वहीं फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ का गाना ‘जिंदा…’ आप को एनर्जी से भर देगा. वहीं कुछ सौंग्स हमें जिंदगी के बुरे दौर से बाहर निकालने में भी हैल्प करते हैं जैसे, फिल्म ‘डियर जिंदगी’ का गाना ‘लव यू जिंदगी…’ इस के अलावा ये हमारी खुशी के साथी भी होते हैं.

अगर फिल्मी गानों की बात की जाए तो बिना गानों के फिल्में वीरान सी होती है. कभी आप बिना गाने के किसी फिल्म को देखिए, आप को फिल्म में कुछ कमी सी लगेगी या फिर मजा नहीं आएगा. गाने फिल्मों में जान डालने का काम करते हैं. वहीं कई बार फिल्मों में गाने के नाम पर कुछ भी परोस दिया जाता है. कई गाने तो ऐसे भी होते हैं जिन में शब्दों का कोई मेल नहीं होता. लेकिन फिर भी उन्हें दर्शकों के सामने परोस दिया जाता है. वैसे, फिल्ममेकर यह भलीभांति जानते हैं कि औडियंस को यह गाना जरूर पसंद आएगा और होता भी ऐसा ही है. बस, एक बार ये गाने इंस्टाग्राम रील्स में आ गए. उस के बाद तो ये फेमस हो जाते हैं.

दरअसल उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि लोग म्यूजिक को ज्यादा एंजौय करते हैं बजाय उस के बोलों के. गाने में म्यूजिक का शोर इतना तेज कर दिया जाता है कि गाने के बोल म्यूजिक के नीचे दब जाते हैं. इस के बाद म्यूजिक की बस धकधक सी कानों में पड़ती है. यही वजह है कि राइटर गाने के नाम पर कुछ भी लिख देते हैं और औडियंस मस्त हो कर इन ऊटपटांग के बोल भरे गानों पर थिरकते रहते हैं.

आखिर क्या है मोटापे का परमानेंट इलाज ? जानें यहां

मोटापा आधुनिक सभ्यता की देन है. कुछ दशकों पूर्व तक भारतीय कुपोषण के शिकार थे, जबकि मोटापा केवल विकसित देशों में पाया जाता था. किंतु आज भारत में कुपोषण व मोटापा दोनों ही हैं. 2014 के ब्रितानी चिकित्सा जर्नल के अनुसार जहां 1975 में भारत मोटापे में 19वें स्थान पर था,

वहीं 2014 में महिलाओं के लिए तीसरे तथा पुरुषों के लिए 5वें स्थान पर पहुंच चुका था. भौतिक सुखसुविधाओं में फंस कर लोग खानपान, रहनसहन की गलत आदतों के कारण मोटापे से ग्रस्त हो रहे हैं, जिस की वजह से लाइफस्टाइल डिजीज अर्थात उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदयरोग, घुटनों की समस्या, पैरों में दर्द, महिलाओं में मासिकधर्म और बांझपन संबंधी परेशानियां हो रही हैं.

न्यूजीलैंड के औक्लैंड तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार, दुनिया की करीब 76% आबादी मोटापे की शिकार है. केवल 14% आबादी ऐसी है जिस का वजन सामान्य है.

मोटापा कौन कम नहीं करना चाहता और कई बार लोग इसी चक्कर में कई झांसों में भी फंस जाते हैं. बसों, औटो में लगे इश्तिहार कि वजन कम करना चाहते हैं तो संपर्क करें, केवल लोगों को भ्रमित करते हैं. फिर शल्य चिकित्सा द्वारा भी वजन कम करने पर क्या गारंटी है कि वजन दोबारा नहीं बढ़ेगा.

यदि अपना खानपान, रहनसहन नहीं बदला तो अवश्य दोबारा मोटा होने में देर नहीं लगेगी. मगर घबराइए नहीं, मोटापा कम करना उतना कठिन भी नहीं है.

डा. एस के गर्ग मोटापे से बचे रहने के लिए निम्न सलाह देते हैं:

खूब पिएं पानी:

एक वैबसाइट के अनुसार जो लोग ज्यादा पानी पीते हैं वे अपना वजन दूसरों के मुकाबले जल्दी कम कर लेते हैं. इस का कारण यह है कि पानी से पेट भर जाता है, जिस से भूख कम लगती है और खाना कम खाया जाता है.

थोड़ीथोड़ी देर में खाते रहें:

एकसाथ बहुत अधिक खाने के बजाय, दिन भर थोड़ाथोड़ा खाते रहें. ऐसा करने से दिन भर शारीरिक शक्ति बनी रहती है. सीधे शब्दों में कहें तो जब भूख लगे तब खाना खाएं और जब पेट भर जाए तब रुक जाएं.

अपने शरीर की सुनें:

हम में से अधिकतर लोग बाहरी संकेतों के अनुसार खाना शुरू या पूरा करते हैं, जैसे हमारी थाली में खाना बचा तो नहीं या अन्य लोगों ने खाना खत्म किया या फिर दफ्तर में लंच टाइम हो गया. इस की जगह आंतरिक संकेतों पर ध्यान दीजिए. यह समझिए कि आप को भूख लगी है या नहीं और स्वाद में अधिक खाने से बचें. बड़ेबूढ़े स्वास्थ्य की कुंजी पेट ठूंस खाने को नहीं, अपितु थोड़ा सा भूखा रहने को बताते हैं.

भावुक खाने से बचें:

जब हम अधिक भावुक या खुश हों, परेशान हों या दुखी, तब हम आमतौर पर अधिक खाने लगते हैं. यह हमारे मन का अपनी स्थिति से आंख चुराने का एक मनोवैज्ञानिक तरीका होता है. दफ्तर में कार्यभार की डैडलाइन निकट हो या घर में बच्चों के अनुशासन को ले कर कोई समस्या, अकसर अपनी मानसिक परेशानी का हल हम खाने में ढूंढ़ने लगते हैं. भूख हो या नहीं, कुछ खाने का मन करने लगता है. इस से बचें, क्योंकि खाने से आप की समस्या का हल नहीं निकलेगा उलटा समस्या बढ़ेगी.

ट्रिगर फूड को कहें न:

कुछ खाने के पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें खाते हुए हमारे हाथ रुक ही नहीं पाते हैं. चिप्स का पैकेट खोला तो जब तक वह खत्म नहीं हो जाता. हमारा मुंह चलता रहेगा. ऐसा ही हमारे साथ पेस्ट्री, पास्ता, डोनट, चौकलेट आदि खाते समय होता है. ऐसे खानों में रिफाइंड तेल, नमक और चीनी की मात्रा अधिक होने से ये हमारे शरीर में ब्लड शुगर का अनुपात बिगाड़ देते हैं. आप ऐसे खानों को जितनी जल्दी अपनी डाइट से बाहर कर दें उतना ही लाभप्रद रहेगा.

पोर्शन कंट्रोल:

सैलिब्रिटी डाइटीशियन, रुजुता दिवेकर की देखरेख में वजन कम करती अभिनेत्री करीना कपूर कहती हैं कि सब कुछ खाओ, मगर सही मात्रा में. डाक्टर गर्ग के अनुसार चाहे आम या चीकू जैसे बेहद मीठे फल खाएं, किंतु यदि अपने खाने की मात्रा को नियंत्रित रखें तो नुकसान नहीं होगा. इसलिए यदि आप अपना वजन सही रखना चाहते हैं तो अपनी थाली में खाने की मात्रा भी सही रखें. स्वादस्वाद में अत्यधिक न खा बैठें.

सफेद भोजन से तोबा:

अकसर सफेद रंग को शांति, अच्छाई से जोड़ कर देखा जाता है. किंतु भोजन में यह इस के विपरीत है. सफेद रंग के खाने को अपनी थाली से निकाल दें. मसलन, सफेद चावल की जगह भूरे चावल खाना स्वास्थ्यवर्धक है. सफेद ब्रैड, पास्ता, नूडल, मैदे से बनी चीजें और चीनी सभी हमारी सेहत को खराब करने में अहम भूमिका निभाते हैं. कारण, इन्हें प्रोसैस करते समय अधिकतर पोशक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और बच जाती है अधिक मात्रा में कैलोरी. अत: इन की जगह चुनिए जई, साबूत अनाज, दलिया, फलियां, ब्राउन ब्रैड, ब्राउन चावल, मावा आदि.

तैलीय भोज्यपदार्थ को कहें न:

फास्ट फूड, फ्राइज, डोनट, चिप्स, आलू के चिप्स जैसे तैलीय व्यंजनों को अपने खाने से बाहर करें. 1 बड़े चम्मच तेल में 120 कैलोरी होती है. अधिक तैलीय खाने से शरीर में आलस भरता है. इस की जगह भुना, उबला, भाप में पकाया, बिना तेल के पकाया हुआ या कच्चा भोजन करना उचित है.

मीठा कम खाएं:

मिठाई, आइसक्रीम, कैंडी, चौकलेट, केक, जैली या डोनट आदि में चीनी होने के कारण ये हमारे शरीर में शुगर पैदा करते हैं, जोकि एक तरफ तो पेट भरती है और दूसरी तरफ अधिक खाने की इच्छा पैदा करती है. इस से बेहतर है कि आप मीठे में स्वस्थ विकल्प लें जैसे खरबूज, तरबूज आदि फल. इन में प्राकृतिक मीठापन होता है.

हैल्दी स्नैक्स खाएं:

जब हलकीफुलकी भूख लगे तब हैल्दी स्नैक्स खाएं जैसे फल, सलाद, मुरमुरा, घर में बनाया नमकीन, भुने चने, भुनी मूंगफली आदि. यदि आप नौकरीपेशा हैं, तो दफ्तर में ऐसा सामान अपने पास रखें ताकि भूख लगने पर आप बिस्कुट या चौकलेट आदि की ओर हाथ न बढ़ाएं.

कम खाएं

डबलरोटी, अंडे, मछली, चिकन, दालें, मावा, दूध तथा दूध से बनी चीजें.

खूब खाएं

हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अन्य सब्जियां, सलाद, पानी.

कभीकभार खाएं

मिठाई, अत्यधिक मीठे फल जैसे आम, चीकू, केला, हलवाई के यहां बने स्नैक्स, चीज, केक, चौकलेट, आइसक्रीम, बिस्कुट, तैलीय पकवान, मक्खन, फास्ट फूड और सौफ्ट ड्रिंक.

मैं 25 साल की लड़की हूं, मुझे 51 साल के आदमी से प्यार हो गया है क्या करुं?

सवाल

मैं पढ़ीलिखी 25 साल की वर्किंग गर्ल हूं और एक 51 साल के आदमी से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है, पर शादी करने से मना करता है कि उस की फैमिली है और वह उसे नहीं छोड़ सकता. पर मुझे वह जिंदगीभर प्यार करेगा, मेरा खयाल रखेगा, मेरी जरूरतें पूरी करेगा. मैं करूं तो क्या करूं?

जवाब

आप आंखें होते हुए भी अंधी क्यों बन रही हैं. वह आदमी अपने दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है. उसे अपनी फैमिली भी चाहिए और आप भी. मतलब साफ है, एक तरह वह आप की जरूरतें पूरी कर के आप को अपने वश में करने की कोशिश कर अपनी इच्छाएं पूरी कर रहा है और फैमिलीमैन बन कर समाज में मानप्रतिष्ठा भी बनाए रखना चाहता है.

आप उस के साथ हैं कि वह आप की जरूरतें पूरी करता है. आप को उस से प्यार है तो यह हमारी नजर में तो गलत है क्योंकि इस सब में आप का कोई भविष्य नहीं. बेहतरी इसी में है कि आप उस आदमी से दूरी बना लें और अपनी उम्र वाले किसी अच्छे लड़के से शादी कर घर बसा लें.

उस आदमी से मत डरें. वह ऐसा कुछ नहीं करेगा जिस से आप डरें क्योंकि वह खुद समाज में अपनी मान प्रतिष्ठा बनाए रखना चाहता है. तो फिर आप क्यों नहीं सम्मानित जीवन जिएं. वह आदमी आप से प्यार नहीं करता, बस, आप का फायदा उठा रहा है. वैसे भी बेमेल प्यार की उम्र ज्यादा नहीं होती. कुछ साल बाद जब वह उम्रदराज हो कर ढीला पड़ जाएगा और आप की ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाएगा तब आप क्या करेंगी? सारी पिक्चर आप के सामने क्लीयर है. सोचसमझ कर लाइफ में आगे बढ़ें.

Parineeti Chopra से कमाई के मामले में पीछे हैं Raghav Chadha, जानें नेटवर्थ

Parineeti-Raghav Wedding : बॉलीवुड एक्ट्रेस ”परिणीति चोपड़ा” और आम आदमी के नेता ”राघव चड्ढा” की शादी की तैयारियों जोरों शोरों से चल रही हैं. सगाई की तस्वीरों के बीच शादी की तैयारिसों की फोटो भी सोशल मीडिया पर छाई हुई है. इसके अलावा दोनों को साथ में कई बार स्पॉट भी किया जा चुका है. वहीं कुछ दिनों पहले ही शादी के इनविटेशन कार्ड की फोटो भी सामने आ गई थी, जिसमें शादी के सभी कार्यक्रमों की पूरी डीटेल्स दी गई थी.

शादी से पहले दोनों की लाइफ स्टाइल से लेकर उऩके नेट वर्थ (Parineeti Chopra Raghav Chadha net worth) तक की भी चर्चा हो रही है. तो आइए जानते हैं दोनों की कुल संपत्ति के बारे में.

राघव से ज्यादा कमाती हैं परिणीति

आपको बता दें कि एक्ट्रेस ”परिणीति चोपड़ा” (Parineeti Chopra Raghav Chadha net worth) एक लक्जरी लाइफ स्टाइल जीती हैं. फिल्मों में काम करने के साथ-साथ वह ब्रांड एंडोर्समेंट से भी कमाई करती हैं. वहीं ”राघव चढ्ढा” आम आदमी पार्टी के सांसद है और एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के अनुसार वह एक सीए हैं. इसके अलावा MyNeta.info के मुताबिक, नेता राघव की घोषित संपत्ति करीब 50 लाख रुपए है और चल संपत्ति लगभग 36 लाख रुपये है. इसी के साथ उनके पास खुद का एक घर, 4.94 लाख रुपये की कीमत का लगभग 90 ग्राम सोना और 1.32 लाख रुपए की कीमत की एक मारुति सुजुकी स्विफ्ट डिजायर कार हैं.

वहीं एक्ट्रेस परिणीति की कमाई की बात करें तो. अभिनेत्री की नेटवर्थ उऩके होने वाले पति राघव से कई गुना ज्यादा है. वो एक फिल्म में काम करने के लिए कम से कम 5 करोड़ रुपए चार्ज करती हैं. इस हिसाब से एक्ट्रेस एक महीने में करीब 40 लाख रुपए कमाती हैं. इसी के साथ उनके पास लगभग 60 करोड़ रुपए की संपत्ति भी है.

इस दिन सात फेरे लेंगे परिणीति-राघव

आपको बताते चलें कि 24 सितंबर को ”परिणीति और राघव” (Parineeti-Raghav Wedding) शादी के बंधन में बंध जाएंगे. वहीं शादी के कार्यक्रम 23 सितंबर से शुरु हो जाएंगें. रस्मों की शुरुआत महाराजा स्वीट्स में परिणीति की चूड़ा सेरिंमनी से होगी और वहीं खाने का इंतजाम भी किया गया है. फिर दोपहर तक इनर कोर्टयार्ड में लंच होगा. इसके बाद शाम को गोआवा गार्डेन में एक थीम इनेंट रखा गया है, जिसमें सभी घरवालों से लेकर दोस्त और रिश्तेदार 90 के दश्क वाले बॉलीवुड अंदाज में गेटअप होकर फंक्शन में आएंगे.

ठीक इसके अगले दिन 24 सितंबर को ताज लेक पैलेस में दोपहर में राघव चड्ढा की सेहराबंधी की रसम की जाएगी. फिर बारात पैलेस से निकलकर लीला पैलेस पहुंचेगी. जहां करीब 3.30 बजे जयमाल होगी और शाम 6.30 बजे तक शादी की रस्में पूरी हो जाएंगी. शादी होने के बाद शाम को एक छोटा सा रिसेप्शन भी रखा गया है

महिला आरक्षण बिल : जुमला या झुनझुना

देश की आधी आबादी को यह उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस समय लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश करेंगे, उसकी घोषणा भी कुछ उसी तरह से होगी जैसे नोटबंदी और तालाबंदी की हुई थी. रात 8 बजे प्रधानमंत्री आए और भाईयोबहनो कह कर उन्होंने तुरंत नोटबंदी और तालाबंदी की घोषणा कर दी थी.

महिला आरक्षण के मसले पर ऐसा नहीं हो सका. प्रधानमंत्री ने सीधी बात नहीं की. इधरउधर से छनछन कर जो खबरें आ रही हैं उन के अनुसार यह लग रहा है कि महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद भी इसके लागू होने कि उम्मीद 2027 और 2029 के पहले नहीं है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता डाक्टर सुधा मिश्रा कहती हैं,““देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता राजीव गांधी ने बिना किसी जुमलेबाजी के देश में पंचायती राज कानून 1985 में लागू किया था, जिसके जरिए महिलाओं को पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में 33 फीसदी महिला आरक्षण दिया गया. इसके बाद यूपीए की डाक्टर मनमोहन सिंह सरकार के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिय गांधी ने महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में पेश किया. अगर उसी को आधार मान कर सरकार तत्काल इस कानून को लागू करे तभी इसका अर्थ है. अगर कानून बनने के बाद भी महिलाओं को अपने अधिकार के लिए5-7 साल लंबा इंतजार करना पड़ा तो यह बेमतलब है. इसे चुनावी झुनझुने की तरह ही देखना चाहिए.”

27वर्षों से लटका है महिला आरक्षण बिल

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन मोदी सरकार ने संसद के नए भवन में पहला बिल महिला आरक्षण पर पेश किया. यह बिल 27वर्षों से लटका हुआ है. अब मोदी कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने पहले ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. तभी यह लगा था कि कहीं कुछ गड़बड़ है. सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामकाज की चर्चा करते राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का महत्त्व बताते हुए महिला आरक्षण बिल पेश किया.

नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने 75 सालों में कांग्रेस सरकारों के कामकाज का लेखाजोखा पेश करते हुएसोनिया गांधी के समय महिला आरक्षण बिल पेश किए जाने की याद दिलाई. महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है. उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर,1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था लेकिन पारित नहीं हो सका था. यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश हुआ था.

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में फिर महिला आरक्षण बिल को पेश किया था. कई दलों के सहयोग से चल रही वाजपेयी सरकार को इसको लेकर विरोध का सामना करना पड़ा. वाजपेयी सरकार ने इसे 1999, 2002 और 2003-2004 में भी पारित कराने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई. बीजेपी सरकार जाने के बाद 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार सत्ता में आई और डाक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. यूपीए सरकार ने 2008 में इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया. वहां यह बिल 9 मार्च, 2010 को भारी बहुमत से पारित हुआ. बीजेपी, वाम दलों और जेडीयू ने बिल का समर्थन किया था.

यूपीए सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया. इसका विरोध करने वालों में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल शामिल थीं. ये दोनों दल यूपीए का हिस्सा थे. कांग्रेस को डर था कि अगर उसने बिल को लोकसभा में पेश किया तो उसकी सरकार खतरे में पड़ सकती है.साल 2008 में इस बिल को कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था. इसके 2 सदस्य वीरेंद्र भाटिया और शैलेंद्र कुमार समाजवादी पार्टी के थे. इन लोगों ने कहा कि वे महिला आरक्षण के विरोधी नहीं हैं लेकिन जिस तरह से बिल का मसौदा तैयार किया गया, वे उससे सहमत नहीं थे. इन दोनों सदस्यों ने सिफारिश की थी कि हर राजनीतिक दल अपने 20 फीसदी टिकट महिलाओं को दे और महिला आरक्षण 20 फीसदी से अधिक न हो.

क्या था महिला आरक्षण बिल

बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था. इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उपआरक्षण का प्रावधान था. लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था. इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए. आरक्षित सीटें राज्य या केंद्रशासित प्रदेशों के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिए आवंटित की जा सकती हैं. इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण खत्म हो जाएगा.

मोदी सरकार ने बदल दिया महिला आरक्षण बिल का नाम

मोदी सरकार ने नई संसद की कार्यवाही के पहले दिन संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के लिए बिल संसद में पेश कर दिया. जैसे कि भाजपा सरकार की आदत रही है कि वह नाम बदलने में यकीन रखती है, महिला आरक्षण बिल का नाम बदल कर ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ कर दिया है. अगर यह बिल कानून बना तो लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. सीटों पर आरक्षण भी रोटेशन के आधार पर होगा और हर परिसीमन के बाद सीटें बदली जा सकेंगी, जैसे पंचायत या निकाय चुनाव में होता है. मोदी सरकार की नीयत पर संदेह का कारण यह है कि इस बिल को रहस्यमय बनाने का काम किया गया है जबकि इसमें आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए था.

मोदी सरकार ने इस बिल को नई शक्ल में नए नाम के साथ पेश किया है. यह माना जा रहा है कि जनगणना और लोकसभा विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन और महिला आरक्षण में एससी, ओबीसी और मुसलिम आरक्षण की बात तमाम दलों ने उठाई है. इन सबको समायोजित करने के चक्कर में यह बिल कानून बनने के बाद भी 2027 और 2029 से पहले पेश नहीं हो पाएगा. इसी वजह से इसको जुमला या झुनझुना कहा जा रहा है.

शिल्पा शेट्टी के पति Raj Kundra ने इंस्टाग्राम पर की वापसी, पोस्ट हुई वायरल

Raj Kundra on Instagram: बॉलीवुड एक्ट्रेस ‘शिल्पा शेट्टी’ के पति ”राज कुंद्रा” का नाम जब से पोर्नोग्राफी मामले में आया है, तभी से उन्होंने लाइमलाइट से दूरी बना रखी हैं. जब भी वह मीडिया के सामने आते थे तो किसी न किसी चीज से अपने चेहरे को ढक ही लेते थे.

वो समय राज से लेकर शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty Kundra) के परिवार के लिए बहुत कठिन था. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि राज कुंद्रा अपनी आम जिंदगी में वापसी कर रहे हैं.

कैप्शन बना चर्चा का विषय

दरअसल, बीते दिन ”गणेश चतुर्थी” के खास मौके पर ‘राज कुंद्रा’ (Raj Kundra on Instagram) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर वापसी की है. उन्होंने अपने घर पर गणपति बप्पा के आगमन का जश्न मनाते हुए का एक छोटा सा वीडियो शेयर किया है. लेकिन जिसने सभी लोगों का ध्यान खींचा. वो है वीडियो के साथ लिखा गया उनका नोट.

उन्होंने वीडियो के कैप्शन में लिखा- जय श्री गणेश. वह वापस आ गया है! शुभचिंतकों आपका प्यार मुझे मजबूत बनाता है, नफरत करने वालों आपका प्यार मुझे अजेय बनाता है! कर्म कुशल है. मैं तो बस धैर्य रख रहा हूं.  गणपति बप्पा मोरया !!!! हैप्पी गणेश चतुर्थी. #गणपति #परिवार #कृतज्ञता #कर्म #जीवन #आशीर्वाद

आपको बता दें कि राज का गणेश चतुर्थी वाला ये वीडियो तो वायरल हो ही रहा है. साथ ही उनका कैप्शन भी लोगों को खूब पसंद आ रहा हैं.

दो महीने तक जेल में रहे थे राज

आपको बताते चलें कि ‘राज कुंद्रा’, (Raj Kundra on Instagram) एक बिजनेसमैन है. जो साल 2021 में पोर्नोग्राफी मामले में गिरफ्तार हुए थे और उन्हें कम से कम दो महीने तक जेल में ही रहना पड़ा था. उन पर आरोप था कि उन्होंने विभिन्न ऐप्स और कई सोशल मीडिया साइटों के जरिए कथित तौर पर वयस्क सामग्री का उत्पादन और वितरण किया था. इसी के चलते उन पर आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर जेल भेजा गया था.

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