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मन भाया मंगेतर : भाग 2

मन भाया मंगेतर : भाग 1

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35 वर्षीय समाधान पाषाणकर पुणे में रहता था और वहां की एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. उस की शादी हो चुकी थी. उस की पत्नी बैंक में नौकरी करती थी. उस के 2 बच्चे भी थे.

जब तक समाधान प्रमोद पाटनकर और दीप्ति के यहां रहा, तब तक दोनों ने मिल कर समाधान का बहुत ध्यान रखा, जिस में दीप्ति की भूमिका कुछ अधिक थी.

4-5 दिन रहने के बाद जब वह वापस पुणे जाने लगा तो उस ने प्रमोद पाटनकर और दीप्ति का आभार प्रकट किया. प्रमोद पाटनकर और दीप्ति ने औपचारिकता के नाते उस के आभार का उत्तर देते हुए कहा कि घर उस का ही है, कभी भी आ जा सकता है.

अंधे को और क्या चाहिए, सिर्फ 2 आंखें. प्रमोद पाटनकर और दीप्ति का मन टटोलने के बाद समाधान को मानो उस की मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. 4-5 दिनों तक दीप्ति के परिवार के साथ रह कर समाधान के दिल में दीप्ति का तनमन पाने के लिए एक अजीब सी चाह बन गई थी.

वह उस का सामीप्य पाने के लिए अकसर किसी न किसी बहाने मुंबई आता और प्रमोद पाटनकर के घर को अपना आशियाना बना कर दीप्ति के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता.

दीप्ति भी कोई बच्ची नहीं थी, वह समाधान के हावभाव की भाषा अच्छी तरह समझती थी. वैसे भी प्रमोद से पहले दीप्ति की शादी उसी से होने वाली थी. समाधान अकसर हंसीमजाक करते हुए ठंडी आहें भर कर कहता, ‘‘दीप्ति, तुम्हारा घर मुझे अपने घर जैसा लगता है. मेरे आने पर तुम अपने काम से छुट्टी ले कर मेरा कितना ख्याल रखती हो.’’

‘‘यह भी तो तुम्हारा ही घर है.’’ दीप्ति ने उस के प्रश्न का उत्तर उसी के शब्दों में दिया.

‘‘यह घर मेरा कहां है, यह तो तुम्हारे पति का है. लेकिन तुम मुझे अपनी जैसी लगती हो, इसलिए मैं यहां आ जाता हूं.’’ समाधान ने कहा तो दीप्ति के गालों पर लाली उतर आई. लेकिन वह बोली कुछ नहीं.

उस की इस खामोशी को समाधान ने ही तोड़ा, ‘‘दीप्ति, बताओ तुम मुझे क्या समझती हो. वक्त साथ देता तो आज तुम मेरी पत्नी होतीं, लेकिन तुम मेरे नसीब में नहीं थीं.’’

‘‘अब बोलने से क्या फायदा,जो होना था हो गया. पत्नी तो अच्छी है न?’’ दीप्ति ने कहा.

‘‘हां, लेकिन तुम्हारी जैसी नहीं है,’’ ठंडी आह भरते हुए समाधान बोला, ‘‘दीप्ति एक बात कहूं, अगर तुम मानो तो. अभी भी वक्त है. हम दोनों एक हो सकते हैं.’’

समाधान ने दीप्ति को अपनी बातों से कुछ इस तरह प्रभावित किया कि वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और 10-12 साल के अपने सुखी दांपत्य को दांव पर लगा दिया. वह पति के प्रति वफादारी भूल कर समाधान की बाहों में आ गिरी. एक बार जब मर्यादा की कडि़यां टूटीं तो फिर टूटती ही चली गईं.

समय अपनी गति से भाग रहा था. दीप्ति और समाधान के बीच बने अवैध संबंध 4 साल बीत जाने के बाद भी प्रमोद पाटनकर की नजरों से छिपे रहे. इस बीच दीप्ति एक बेटी की मां बन गई, जिस का नामकरण प्रमोद पाटनकर ने बड़ी धूमधाम से किया था.

अंतत: एक दिन दीप्ति और समाधान के रिश्ते की सच्चाई प्रमोद के सामने आ गई. दरअसल, एक दिन प्रमोद जब दीप्ति से मिलने उस के स्कूल गया तो दीप्ति स्कूल में नहीं मिली. पता चला कि उस दिन वह स्कूल आई ही नहीं थी.

शाम को प्रमोद जब घर पहुंचा तो उस ने दीप्ति से स्कूल से अनुपस्थित होने के बारे में पूछा. दीप्ति तबीयत खराब होने का बहाना बना कर बात को टाल गई. इस के बाद वह सावधान हो गई और उस ने समाधान को भी सतर्क कर दिया.

समाधान के पास पैसों की कमी नहीं थी. अब वह जब भी दीप्ति से मिलने मुंबई आता तो उस के घर न जा कर किसी होटल में ठहरता था. मौका देख दीप्ति किसी पार्टी में जाने या फिर सहेलियों से मिलने के बहाने समाधान के पास पहुंच जाती थी. लेकिन यह खेल भी ज्यादा दिनों तक नहीं चला.

घटना से लगभग एक माह पहले दीप्ति का मोबाइल प्रमोद के हाथ लग गया. प्रमोद ने उस के फोन का वाट्सऐप चैक किया तो उस में उसे समाधान के साथ हुई चैटिंग मिल गई. उस दिन भी समाधान ने दीप्ति को चर्चगेट, मुंबई के एक होटल में बुलाया था.

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बनसंवर कर दीप्ति जब घर से बाहर गई और शाम तक नहीं लौटी तो प्रमोद ने उसे आड़े हाथों लिया. प्रमोद ने उस के मैसेज और उस का पीछा करने की बातें उस से कहीं तो दीप्ति के होश उड़ गए. अब वह झूठ नहीं बोल सकती थी. स्थिति को संभालने के लिए दीप्ति ने पति से माफी मांगी और दोबारा समाधान से न मिलने की कसम खाई

प्रमोद ने उसे माफ भी कर दिया. लेकिन घनिष्ठ संबंधों में ऐसे कसमेवादों का कोई महत्त्व नहीं होता. दीप्ति को भी प्रमोद की  अपेक्षा समाधान ज्यादा पसंद था. इसलिए वह पति को अपने प्यार के रास्ते का कांटा समझने लगी. इस कांटे को वह हमेशा के लिए खत्म करना चाहती थी. इस बारे में उस ने समाधान से बात की तो वह भी तैयार हो गया. अपनी योजना के अनुसार, घटना के एक सप्ताह पहले समाधान ने दीप्ति को 2 बार नींद की गोलियां ला कर दीं.

दीप्ति ने प्रमोद पाटनकर को 2 बार 10-10 गोलियां चाय में मिला कर दीं. लेकिन प्रमोद पर उन का असर नहीं हुआ. तीसरी बार घटना के एक दिन पहले समाधान ने नींद की 20 गोलियां दीप्ति को ला कर दीं और सभी गोलियां एक साथ देने के लिए कह दिया.

शाम साढ़े 7 बजे औफिस से लौटने के बाद दीप्ति ने पति प्रमोद पाटनकर के साथ वैसा ही किया, जैसा कि समाधान ने उसे कहा था. उस ने नींद की 20 गोलियां चाय में घोल कर पति को दे दीं.

आधापौना घंटा बाद जब प्रमोद पाटनकर पर नींद की गोलियों का पूरा असर हो गया तो दीप्ति ने समाधान पाषाणकर को फोन कर अपने घर बुला लिया.

समाधान आधे घंटे में दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गया. फिर दोनों ने मिल कर बैड पर गहरी नींद में पडे़ प्रमोद पाटनकर को मौत के घाट उतार दिया. दीप्ति ने कस कर पति के पैर पकड़े और समाधान ने उस के गले में रस्सी डाल कर कस दी.

प्रमोद की हत्या के बाद दोनों ने शव को बैड से उठा कर फर्श पर डाला और उसी बैड पर तनमन की प्यास बुझाई. इस के बाद दीप्ति अपने मायके चली गई थी, जबकि समाधान पुलिस की जांच को गुमराह करने के प्रयास में जुट गया था. उस ने अपने होंठों पर लिपस्टिक लगा कर मेज पर रखे चाय के एक खाली कप पर होंठ से लिपस्टिक का निशान बना दिया था.

फिर अलमारी का सामान निकाल कर उस ने पूरे फ्लैट में फैला कर प्रमोद पाटनकर के बिस्तर के नीचे कंडोम का पैकेट रख दिया. इस के बाद वह उस का मोबाइल फोन व जेब में रखे 3 हजार रुपए निकाल कर ले गया.

समाधान पाषाणकर के जाने के कुछ समय बाद दीप्ति पाटनकर अपने फ्लैट पर लौट आई और चीखनेचिल्लाने लगी.

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दीप्ति से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने समाधान पाषाणकर को भी गोरेगांव के एक लौज से गिरफ्तार कर लिया.

समाधान पाषाणकर और दीप्ति पाटनकर से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने थाना नवघर में दोनों के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 201, 328 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर के दोनों को थाणे की तलौजा जेल भेज दिया. मामले की आगे की जांच असिस्टेंट इंसपेक्टर साहेब पोटे कर रहे थे.

मन भाया मंगेतर : भाग 1

दीप्ति और प्रमोद पाटनकर की अच्छीभली गृहस्थी थी, दोनों खूब खुश और सुखी थे. लेकिन जब दीप्ति का पूर्व मंगेतर मेहमान बन कर घर आया तो उस ने दीप्ति की ऐसी सोच बदली कि वह…

प्रमोद अनंत पाटनकर भारतीय जीवन बीमा निगम में अधिकारी थे. वह अपने परिवार के साथ ठाणे के उपनगर मीरा भायंदर स्थित शिवदर्शन सोसायटी में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी दीप्ति पाटनकर के अलावा लगभग 4 साल की एक बेटी थी. इस छोटे से परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी.

बात 15 जुलाई, 2019 की है. उस समय रात के करीब 11 बजे थे. दीप्ति की बेटी ननिहाल में थी. दीप्ति बेटी से मिल कर अपने फ्लैट पर लौटी तो दरवाजा बंद था. कई बार डोरबैल बजाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो उस ने पर्स में रखी दूसरी चाबी से दरवाजा खोला. उस ने अंदर जा कर देखा तो वहां का नजारा देख मुंह से चीख निकल गई. उस के पति प्रमोद अनंत पाटनकर की लाश फर्श पर पड़ी थी. उस के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. उन सभी के मन में यह जिज्ञासा थी कि पता नहीं प्रमोदजी के फ्लैट में क्या हो गया. लोग फ्लैट के अंदर पहुंचे तो बैडरूम के फर्श पर प्रमोद पाटनकर की लाश देख कर स्तब्ध रह गए. फ्लैट का सारा सामान बिखरा पड़ा था. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह सब कैसे हो गया.

दीप्ति ने उस समय अपने आप को किसी तरह संभाला और मामले की जानकारी करीब ही रहने वाले अपने पिता भानुदास भावेकर को दी. बेटी के फ्लैट में घटी घटना के बारे में सुन कर वह अवाक रह गए. उन्होंने रोतीबिलखती बेटी दीप्ति को धीरज बंधाया, फिर मामले की जानकारी स्थानीय नवघर थाने में दे दी साथ ही अपने परिवार के साथ दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गए.

हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी रामभाल सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. उन्होंने यह सूचना बड़े अधिकारियों के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम व फोरैंसिक टीम को भी दे दी थी.

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घटनास्थल थाने से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था, इसलिए पुलिस टीम 10 मिनट में वहां पहुंच गई. थानाप्रभारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तब तक वहां सोसायटी के काफी लोग जमा हो चुके थे.

वह फ्लैट के अंदर गए, तो उन्हें कमरे में बैड के पास फर्श पर एक आदमी की लाश पड़ी मिली. लाश के पास बैठी एक महिला जोरजोर से रो रही थी. पता चला कि रोने वाली महिला का नाम दीप्ति है और लाश उस के पति प्रमोद अनंत पाटनकर की है.

थानाप्रभारी रामभाल सिंह ने लाश का निरीक्षण किया तो मृतक के गले पर निशान मिला, जिसे देख कर लग रहा था कि मृतक की हत्या गला घोंट कर की गई है. खुली अलमारी और पूरे फ्लैट में फैले सामान से स्पष्ट था कि वारदात शायद लूटपाट के इरादे से की गई होगी.

पुलिस ने जब प्रमोद पाटनकर की पत्नी दीप्ति से पूछताछ की तो उस ने बताया कि पति के आने के पहले वह अपनी बेटी से मिलने मायके चली गई थी. रात 11 बजे जब वह घर लौटी तो कई बार डोरबैल बजाने और आवाज देने के बाद भी फ्लैट का दरवाजा नहीं खुला, तब उस ने अपने पास मौजूद डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला. वह फ्लैट में गई तो उस की चीख निकल गई.

थानाप्रभारी रामभाल सिंह मौके की जांच कर ही रहे थे कि सूचना पा कर के थाणे के एसपी (ग्रामीण) शिवाजी राठौड़, डीएसपी शांताराम वलवी भी वहां पहुंच गए. उन के साथ फोरैंसिक टीम भी थी.

पहले फोरैंसिक टीम ने मौके से सबूत जुटाए. फिर पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. काररवाई निपट जाने के बाद थानाप्रभारी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए बोरीवली के भगवती अस्पताल भेज दी. इस के साथ ही थाना नवघर में कत्ल की वारदात दर्ज कर ली गई.

वरिष्ठ अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी ने कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया. कमरे में रखी टेबल पर चाय के 2 खाली कप रखे मिले. जिन में से एक पर लिपस्टिक का निशान था. इस के अलावा बैड की चादर सिकुड़ी हुई थी और तकिए के नीचे कंडोम का पैकेट रखा था.

यह सब देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि वहां आई महिला प्रमोद की जानपहचान की रही होगी. उसी ने मौका देख कर इस घटना को अंजाम दिया होगा. वह कौन थी, यह जांच का विषय था.

थानाप्रभारी ने थाने लौट कर इस घटना पर गंभीरता से विचारविमर्श करने के बाद जांच की जिम्मेदारी असिस्टेंट इंसपेक्टर साहेब पोटे को सौंप दी. दीप्ति का बयान दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी पोटे केस की जांच में जुट गए. सब से पहले वह यह जानना चाहते थे कि फ्लैट में आने वाली वह महिला कौन थी, जिस के होंठों की लिपस्टिक चाय के कप पर लगी थी. वह महिला मृतक की जेब से नकदी व मोबाइल फोन भी ले गई थी.

इसी बीच पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, रिपोर्ट में बताया गया कि प्रमोद पाटनकर की चाय में काफी मात्रा में नींद की गोलियां मिलाई गई थीं, इस के बाद उन की गला घोंट कर हत्या कर दी गई. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को इस मामले में किसी गहरे षडयंत्र की बू आने लगी.

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जांच अधिकारी ने एक बार फिर घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद दीप्ति पाटनकर से विस्तृत पूछताछ की तो उन्हें दीप्ति के बयानों पर शक हो गया.

लेकिन मामला एक प्रतिष्ठित परिवार से संबंधित होने की वजह से उन्होंने बिना सबूत के हाथ डालना ठीक नहीं समझा. वह दीप्ति की कुंडली खंगालने में जुट गए. इस मामले में उन्हें कामयाबी मिल गई.

43 वर्षीय प्रमोद पाटनकर महाराष्ट्र के जिला रायगढ़ के रहने वाले थे. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद वह रोजीरोटी की तलाश में मुंबई आ गए थे. मुंबई में छोटामोटा काम करते हुए वह सरकारी नौकरी पाने की तैयारी करते रहे. कुछ दिनों बाद उन्हें भारतीय जीवन बीमा निगम में एक अधिकारी के पद पर नौकरी मिल गई.

नौकरी लगने के बाद प्रमोद के घर वालों ने उन का रिश्ता मीरा रोड के रहने वाले भानुदास भावेकर की बेटी दीप्ति भावेकर से तय कर दिया.

दीप्ति के घर वालों ने इस के पहले उस के लिए अपने संबंधी के लड़के समाधान पाषाणकर को देख रखा था. दीप्ति को भी समाधान बहुत पसंद था. दोनों साथ में मिलतेजुलते भी थे. लेकिन दीप्ति के परिवार वालों को समाधान पाषाणकर की तुलना में प्रमोद पाटनकर सही लगा. इसलिए उन्होंने  दीप्ति की शादी प्रमोद के साथ कर दी.

परिवार और समाज के दबाव में दीप्ति को भी समाधान को भूलने के लिए मजबूर होना पड़ा. दीप्ति भावेकर मुंबई कालेज से एमबीए करने के बाद गोरेगांव के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी करती थी, जहां उसे 25 हजार रुपए सैलरी मिलती थी.

शादी के बाद प्रमोद मीरा भायंदर स्थित शिवदर्शन सोसायटी के फ्लैट में पत्नी के साथ रहने लगे. प्रमोद और दीप्ति की अच्छीखासी सैलरी थी. उन्हें किसी भी तरह का आर्थिक अभाव नहीं था.

पतिपत्नी दोनों सुबह काम पर तो एक साथ निकलते, लेकिन लौटते अलगअलग समय पर थे. दीप्ति दोपहर के बाद घर आ जाया करती थी, जबकि प्रमोद शाम को. जिस प्यार और हंसीखुशी से उन दोनों का दांपत्य जीवन चल रहा था, वह आगे बढ़ते समय को मंजूर नहीं था.

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सन 2014 में समाधान पाषाणकर मुंबई की एक कंपनी के काम से मुंबई आया तो ठहरने के मकसद से दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गया. दीप्ति ने उस का दिल खोल कर स्वागत किया. समाधान दीप्ति की बुआ का बेटा था. दीप्ति उस के साथ बीते दिनों की जिन यादों को भुला चुकी थी, वह फिर ताजा हो गई थीं.

मकड़जाल में फंसी जुलेखा : भाग 2

जुलेखा का संपर्क रियल एस्टेट कंपनी में प्लौट की बुकिंग कराने वाले कमीशन एजेंटों से भी होता था. ज्यादा काम होने की वजह से जुलेखा को आए दिन देर रात तक रुकना पड़ता था, जो उसे पसंद नहीं था.

मनमाफिक माहौल न पा कर वहां से जुलेखा का मन ऊबने लगा. देर रात तक कंपनी के औफिस के काम को निपटाना और रोजाना देर से घर पहुंचना उस की आदत सी हो गई थी. इस दिनचर्या से वह तंग आ चुकी थी.

जुलेखा की परेशानी अवधेश यादव से छिपी न रह सकी. एक दिन अवधेश ने संजय यादव के साले गुड्डू से जुलेखा को एकांत में बुलवा कर समझाया, ‘‘जुलेखा, तुम यहां कंप्यूटर टाइपिंग का जो काम करती हो, इस से तुम्हारा कैरियर नहीं बन पाएगा. तुम्हें बंधीबंधाई जो सैलरी मिलती है, उस से तुम क्याक्या कर सकती हो. यह बात तो तुम जानती ही हो कि रियल एस्टेट के काम में अच्छा पैसा है. तुम यहां कंपनी के प्लौट बुक कराने शुरू कर दोगी तो अच्छा कमीशन मिलेगा. साथ ही देर रात तक चलने वाले कंप्यूटर के काम से निजात भी मिल जाएगी.’’

इस के बाद कंपनी के मालिक संजय यादव ने भी जुलेखा को प्लौट बुकिंग से मिलने वाले कमीशन के बारे में बताया. संजय यादव की बात जुलेखा की समझ में आ गई. उस ने कंपनी के कई प्लौट बुक कराए. जब एक महीने पहले की अपेक्षा ज्यादा कमाई हुई तो जुलेखा और ज्यादा मेहनत करने लगी.

जुलेखा ने काफी मेहनत से काम किया. वह हर महीने 2-3 प्लौट बिकवा देती थी, जिस से उस का अच्छा कमीशन बन जाता था. जुलेखा को संजय यादव की रियल एस्टेट कंपनी में काम करते हुए लगभग एक साल हो चुका था.

इसी बीच अगस्त, 2019 में फेसबुक के माध्यम से उस की दोस्ती श्रेयांश त्रिपाठी से हुई. बाद में दोस्ती बढ़ी तो मिलनाजुलना भी शुरू हो गया. इस के बाद श्रेयांश भी जुलेखा के काम में हाथ बंटाने लगा.

वह भी प्लौट खरीदने वाले को जुलेखा के पास लाता था. इस काम में संजय यादव भी उस की काफी मदद करता था. धीरेधीरे संजय यादव से जुलेखा के घनिष्ठ संबंध हो गए, जो अवैध संबंधों तक पहुंचे.

संजय यादव पर जुलेखा के कमीशन के करीब 25 लाख रुपए एकत्र हो गए थे. यह रकम प्लौट की कमीशन की थी. जुलेखा जब भी उस से पैसे मांगती, वह टाल देता था. आशनाई की आड़ में वह जुलेखा की कमीशन की रकम हड़पना चाहता था.

संजय यादव के इरादे भांप कर जुलेखा अपने 25 लाख रुपए जल्द देने की जिद पर अड़ गई तो संजय परेशान हो गया. उस ने साफ कह दिया कि अभी उस के पास पैसे नहीं हैं. इस बात को ले कर उस का संजय से काफी विवाद हुआ.

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उसी समय अवधेश यादव वहां आ गया. उस के कहने पर संजय यादव ने 3 लाख रुपए का चैक बना कर जुलेखा को दे दिया. उस के 22 लाख रुपए बाकी रह गए थे. विरोध जताते हुए जुलेखा ने वह चैक लौटा दिया और उस से पूरी रकम देने को कहा.

संजय यादव से हुए इस विवाद के बाद जुलेखा ने दूसरी कंपनी जौइन करने का मन बना लिया. उस ने संजय को धमकी दी कि वह कोर्ट के माध्यम से अपने पैसे ले कर रहेगी.

जुलेखा की इस धमकी से संजय यादव परेशान हो गया. उस ने अवधेश यादव, अजय यादव और अपने साले गुड्डू यादव के साथ मिल कर इस समस्या पर विचारविमर्श किया. इन लोगों ने फैसला लिया कि जुलेखा को हमेशा के लिए ही निपटाना सही रहेगा, वरना आगे चल कर वह परेशानी खड़ी करती रहेगी.

योजना के अनुसार 3 अगस्त, 2019 को अवधेश यादव ने जुलेखा से कहा, ‘‘संजय पर तुम्हारे जो 25 लाख रुपए बकाया हैं, वह मैं तुम्हें दिलवा दूंगा. लेकिन तुम यहां से नौकरी छोड़ कर मत जाओ.’’

अवधेश यादव के बुलाने पर जुलेखा घर से कंपनी के औफिस जाने को निकली. उस ने रास्ते में अपने दोस्त श्रेयांश त्रिपाठी को फोन कर के बाइक से बारह विरवा बुला लिया. उस की बाइक पर बैठ कर जुलेखा अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी के औफिस जाने के लिए नहर से नीचे मुड़ी ही थी, तभी कार से अजय यादव आता दिखाई दिया. कार अजय यादव चला रहा था और पीछे की सीट पर अवधेश यादव बैठा था.

उसे देखते ही संजय ने कार रोक दी. अवधेश ने बाइक पर बैठी जुलेखा से कहा कि वह कार में बैठ जाए, जिस से वह संजय से उस का हिसाब करा सके.

लालच में जुलेखा कार में पीछे वाली सीट पर बैठ गई. उस ने अपने दोस्त श्रेयांश से कह दिया कि इन लोगों से बात करने के बाद वह बड़ी बहन रूबी के पास चली जाएगी. कुछ दूर तक श्रेयांश बाइक से कार के पीछेपीछे गया, तभी कार में बैठी जुलेखा ने उसे जाने का इशारा किया तो श्रेयांश अपने घर लौट गया.

कार में बैठी जुलेखा अवधेश से बात कर रही थी. उसी समय रास्ते में अचानक बंगला बाजार पकरी के पास संजय यादव का साला गुड्डू यादव मिल गया. कार रुकते ही वह भी कार में बैठ गया. उसे देख कर जुलेखा भड़क गई. वह कार से उतर रही थी, तभी अवधेश ने उसे समझा कर रोक लिया. फिर गुड्डू भी जुलेखा की बगल में बैठ गया. वह अवधेश से अपने पैसों के बारे में बातें कर रही थी.

उन की बातों में गुड्डू भी कूद पड़ा. बातों के दौरान गुड्डू और जुलेखा का वाकयुद्ध शुरू हो गया. अजय ने कार रोक दी, फिर अजय और गुड्डू ने जुलेखा के बाल पकड़ कर सीट पर झुका दिया और जुलेखा के ही दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया, जिस से उस की मृत्यु हो गई.

जुलेखा की लाश को ले कर वे तीनों रायबरेली के निकट हरचंद्रपुर में साई नदी के पास पहुंचे. उस समय रात के करीब 8 बज चुके थे. गुड्डू यादव और अजय यादव ने अवधेश के सहयोग से जुलेखा की लाश नदी में फेंक दी. उस के बाद ये लोग टोल प्लाजा होते हुए लखनऊ लौट आए.

जुलेखा की हत्या के बाद गुड्डू यादव, अवधेश यादव व अजय यादव पूरी तरह से निश्चिंत थे कि पुलिस उन तक नहीं पहुंचेगी. लेकिन वे पुलिस की गिरफ्त में आ ही गए.

गुड्डू यादव का कहना था कि जुलेखा ने उस के बहनोई संजय यादव से अवैध संबंध बना लिए थे, जिस की वजह से उस की बहन का घरपरिवार उजड़ रहा था.

अभियुक्त गुड्डू यादव और अजय यादव से पूछताछ के बाद उन्हें भादंवि की धारा 147, 364, 302, 201, 376, 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. इस के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई.

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थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को एसआई सुभाष सिंह के द्वारा सूचना मिली कि मुख्य आरोपी संजय यादव न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए पहुंचा है, तो थानाप्रभारी के नेतृत्व में गठित टीम ने 13 अगस्त, 2019 को संजय यादव को न्यायालय परिसर से गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में संजय ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उसे भी पुलिस ने कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. अब एक अभियुक्त अवधेश यादव शेष बचा था. जब वह 28 अगस्त को कोर्ट में आत्मसमर्पण करने जा रहा था, पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उसे भी जेल भेज दिया गया.

मकड़जाल में फंसी जुलेखा : भाग 1

रियल एस्टेट कारोबारी संजय यादव ने जुलेखा से पीछा छुड़ाने के लिए उसे ठिकाने लगवा दिया था. सभी आरोपी निश्चिंत थे कि पुलिस उन तक नहीं पहुंचेगी, लेकिन पुलिस को एक सुराग ऐसा मिला कि…

जुलेखा लखनऊ के आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. नाम की रियल एस्टेट कंपनी में नौकरी करती थी. 3

अगस्त, 2019 को भी वह रोजाना की तरह हंसखेड़ा स्थित अपने घर से ड्यूटी के लिए निकली थी, लेकिन शाम को निर्धारित समय पर घर नहीं पहुंची तो मां शरबती को चिंता हुई.

भाई नफीस ने जुलेखा के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ मिला. कई बार कोशिश करने के बाद भी जब फोन पर जुलेखा से संपर्क नहीं हो सका तो उस ने मां शरबती को समझाते हुए कहा, ‘‘अम्मी, हो सकता है कंपनी के काम में ज्यादा व्यस्त होने की वजह से जुलेखा ने अपना फोन बंद कर लिया हो. आप परेशान न हों, देर रात तक घर लौट आएगी.’’

कभीकभी औफिस में ज्यादा काम होने पर जुलेखा को घर लौटने में देर हो जाती थी. तब वह घर पर फोन कर के सूचना दे दिया करती थी. लेकिन उस दिन उस ने देर से लौटने की कोई सूचना घर वालों को नहीं दी थी, इसलिए सब को चिंता हो रही थी.

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जुलेखा का एक दोस्त था श्रेयांश त्रिपाठी. नफीस ने सोचा कि कहीं वह उस के साथ तो नहीं है, इसलिए उस ने बहन के बारे में जानकारी लेने के लिए श्रेयांश को फोन किया. लेकिन उस का फोन भी बंद मिला.

देर रात तक नफीस, उस की मां शरबती और पिता शरीफ अहमद जुलेखा के लौटने का इंतजार करते रहे लेकिन वह नहीं लौटी. सुबह होने पर नफीस ने पिता से कहा कि हमें यह सूचना जल्द से जल्द पुलिस को दे देनी चाहिए.

लेकिन मां शरबती ने कहा, ‘‘इस मामले में जल्दबाजी करना ठीक नहीं है. थाने जाने से पहले उस के औफिस जा कर कंपनी के मालिक संजय यादव से पूछताछ कर ली जाए कि उन्होंने उसे कंपनी के किसी काम से बाहर तो नहीं भेजा है.’’

नफीस ने बहन के औफिस जा कर कंपनी मालिक संजय यादव से संपर्क किया तो उस ने बताया कि जुलेखा कल वृंदावन कालोनी स्थित किसी दूसरी कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंटरव्यू देने गई थी. तेलीबाग के चौराहे तक वह उसे अपनी कार में ले गया था.

वहां वह वृंदावन कालोनी के गेट पर उतर गई थी. उस के बाद वह कहां गई, उसे पता नहीं है. वह वृंदावन सोसायटी में रहने वाली बड़ी बहन रूबी के पास जाने को भी कह रही थी.

‘‘वह रूबी के यहां नहीं पहुंची.’’ नफीस बोला.

‘‘हो सकता है वह कहीं और चली गई हो. उस के आने का इंजजार करो. हो सकता है 2-4 दिन में लौट आए.’’

संजय से भरोसा मिलने के बाद नफीस घर लौट आया. लेकिन उस के मन में कई तरह की आशंकाएं उमड़घुमड़ रही थीं.

नफीस और उस के मातापिता 3 दिन तक जुलेखा के घर आने का इंतजार करते रहे. जब वह नहीं आई तो 5 अगस्त, 2019 को नफीस थाना पारा पहुंचा और थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह से मिल कर जुलेखा के बारे में उन्हें विस्तार से बताया.

अमित इंफ्रा हाइट्स कंपनी का नाम सुन कर थानाप्रभारी टालमटोल करते हुए बोले कि 2 दिन और देख लो. 2 दिन बाद भी वह न आए तो थाने आ जाना.

थानाप्रभारी के आश्वासन पर नफीस घर चला गया. 2 दिन बाद भी जुलेखा नहीं आई तो 7 अगस्त, 2019 को नफीस फिर से थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह से मिला और रिपोर्ट दर्ज कर बहन को तलाश करने की मांग की. लेकिन उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करने के बजाए उसे समझाबुझा कर अगले दिन आने को कह दिया.

इस के बाद नफीस 9 अगस्त, 2019 को एसएसपी कलानिधि नैथानी से मिला और जुलेखा के गायब होने की बात बता कर कहा कि जुलेखा आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी में काम करने वाले संजय यादव, अवधेश यादव, गुड्डू यादव और अजय यादव के संपर्क में रहती थी.

इन दिनों पैसों के लेनदेन को ले कर जुलेखा का कंपनी मालिक संजय यादव से मनमुटाव चल रहा था. उसे शक है कि इन लोगों ने उस की बहन को कहीं गायब कर दिया है.

नफीस का दुखड़ा सुनने के बाद एसएसपी ने पारा के थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को आदेश दिया कि जुलेखा वाले मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ काररवाई करें. कप्तान साहब का आदेश मिलते ही थानाप्रभारी हरकत में आ गए. उन्होंने सब से पहले नफीस और उस के मातापिता से बात की. इस के बाद जुलेखा का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया.

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काल डिटेल्स से पता चला कि जुलेखा ने अंतिम बार श्रेयांश त्रिपाठी को फोन किया था. त्रिपाठी ने उसे बुला कर कंपनी में काम करने के लिए बात की थी. चौकी हंसखेड़ा के प्रभारी सुभाष सिंह ने श्रेयांश त्रिपाठी को बुला कर उस से जुलेखा के बारे में पूछताछ की.

इस के बाद थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह एसआई रामकेश सिंह, सुभाष सिंह, धर्मेंद्र कुमार, सिपाही मयंक मलिक, आशीष मलिक और राजेश गुप्ता को साथ ले कर आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी के औफिस पहुंचे.

वहां कंपनी मालिक संजय यादव का साला गुड्डू यादव निवासी बिजनौर तथा आलमबाग आजादनगर के रहने वाले एक दरोगा का बेटा अजय यादव मिला.

पुलिस सभी को थाने ले आई. सीओ आलमबाग लालप्रताप सिंह की मौजूदगी में उन सभी से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन लोगों ने जुलेखा की हत्या कर के उस की लाश हरचंद्रपुर में साई नदी के किनारे फेंक दी थी.

यह जानने के बाद थानाप्रभारी के नेतृत्व में गठित टीम आरोपियों को साथ ले कर हरचंद्रपुर में साई नदी के पास उस जगह पहुंच गई, जहां जुलेखा के शव को ठिकाने लगाया था.

पुलिस को नदी किनारे कीचड़ में एक शव मिला. शव युवती का था और पूरा गल गया था. हड्डियों के अलावा वहां लेडीज कपड़े मिले. जुलेखा के भाई नफीस और मां शरबती ने कपड़ों से उस की शिनाख्त जुलेखा के रूप में की. पिता शरीफ अहमद ने बताया कि जुलेखा के ये कपड़े उन्होंने ईद पर खरीद कर दिए थे.

पुलिस ने जरूरी काररवाई कर जुलेखा के कंकाल को पोस्टमार्टम व डीएनए जांच के लिए भिजवा दिया. जुलेखा की हत्या और अपहरण में मुख्य आरोपी संजय यादव के साले गुड्डू यादव व अजय यादव से जुलेखा के संबंध में पूछताछ की तो उन्होंने उस का अपहरण कर उस की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह बड़ी सनसनीखेज थी—

शरीफ अहमद अपने परिवार के साथ लखनऊ के थाना पारा के अंतर्गत आने वाली कांशीराम कालोनी नई बस्ती में रहता था. बुद्धेश्वर चौराहे पर उस की आटो पार्ट्स की दुकान थी. परिवार में उस की पत्नी शरबती के अलावा 2 बेटियां रूबी व जुलेखा और एक बेटा नफीस था. बड़ी बेटी रूबी का पास के ही वृंदावन में विवाह हो चुका था.

नफीस पिता के काम में हाथ बंटाता था. सन 2013 में उस ने छोटी बेटी जुलेखा की शादी मुंबई के रहने वाले एक युवक से कर दी थी. जुलेखा महत्त्वाकांक्षी थी. वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थी. शादी के 2 साल बाद जुलेखा ने एक बेटे को जन्म दिया.

बेटे के जन्म के बाद जुलेखा अपने मन की कमजोरी को छिपा कर न रख सकी क्योंकि वह स्वच्छंद जीवन जीने की आदी थी, जबकि उस का शौहर उस की आदतों के खिलाफ था. अंतत: एक दिन पति से लड़झगड़ कर वह अपने मायके आ गई. सन 2019 में पति ने जुलेखा को तलाक दे दिया. तलाक के बाद वह एकदम आजाद हो गई थी.

जुलेखा चारदीवारी में बैठने के बजाए नौकरी कर के आत्मनिर्भर होना चाहती थी, जिस से अपने बेटे की ढंग से परवरिश कर सके. पढ़ीलिखी होने के साथसाथ उसे कंप्यूटर की जानकारी थी. लिहाजा उस ने प्राइवेट कंपनियों में नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी.

थोड़ी कोशिश के बाद उसे आलमबाग स्थित अमित इंफ्रा हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 15 हजार रुपए प्रतिमाह की तनख्वाह पर कंप्यूटर औपरेटर की नौकरी मिल गई.

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इस कंपनी का औफिस लखनऊ के बारह विरवा में था और इस का मालिक था काकोरी निवासी संजय यादव. कुछ दिनों तक जुलेखा ने इस कंपनी में डाटा एंट्री का काम किया. इस दौरान वह संजय यादव के साले सरोजनीनगर निवासी गुड्डू यादव, आलमबाग आजादनगर के रहने वाले दरोगा के बेटे अजय यादव और अवधेश यादव के संपर्क में आई.

हनी ट्रैप का रुख गांवों की ओर : भाग 2

तीनों सलाहमशविरा कर के रावतसर पुलिस स्टेशन पहुंच गए. थाने में मौजूद सीआई अरुण चौधरी को पीडि़त पक्ष ने अपनी व्यथा सुना दी. सीआई के आदेश पर पुलिस पार्टी ने सादे कपड़ों में होटल पर दबिश दे कर ब्लैकमेलर विपिन शर्मा, उस की पत्नी रितु शर्मा, गोरेधन मीणा, बाबूलाल और मूलचंद मीणा को हिरासत में ले लिया.

पुलिस ने उन के पास से नकदी, चैक, शपथपत्र वगैरह बरामद कर के उन से पूछताछ की. उन लोगों ने सागर शर्मा को ब्लैकमेल करने की बात स्वीकार कर ली. पुलिस ने पांचों आरोपियों से पूछताछ कर उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में धान का कटोरा माने जाने वाली एक तहसील है टिब्बी. घाघर नदी का बहाव क्षेत्र रही यहां की भूमि श्रेष्ठतम उपजाऊ है. इसी तहसील का एक गांव है पीर कामडि़या. अख्तर उर्फ अकरम इसी गांव का बाशिंदा था. वह 16 सितंबर, 2019 को हनुमानगढ़ के जिला स्वास्थ्य केंद्र में दवा लेने आया हुआ था. मरीजों की लाइन में लगे अख्तर के आगे सोमप्रकाश खड़ा था.

दोनों में बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने एकदूसरे को अपनेअपने बारे में बताया. सोमप्रकाश ने बताया कि उस का हनुमानगढ़ में जूतेचप्पलों का शोरूम है. तब अख्तर ने सोम से कहा, ‘‘भैया, मेरे एक जानकार के पास पीरकामडि़या गांव में एक काउंटर व एक अलमारी पड़ी है. दोनों ही बहुत बढि़या हालत में हैं. आप के फायदे का सौदा है. आधे दाम में आप को दिला दूंगा.’’

सोम का मन ललचा गया. फिर दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए थे, ताकि बात हो सके.

अगले दिन सोमप्रकाश अपनी बाइक से पीरकामडि़या गांव पहुंच गया. फोन करने पर अख्तर आ गया. अख्तर सोम को रशीदा बीबी के घर ले गया. उस के कहने पर वह अलमारी व काउंटर देखने के लिए एक कमरे में घुस गया. तभी वहां मोमन खां व 2 महिलाएं, जो परदे के पीछे थीं, अचानक आ गईं. सभी ने सोम के साथ मारपीट कर उसे निर्वस्त्र कर दिया.

कमरे में मौजूद महिलाएं भी नंगधड़ंग हो गईं. अख्तर ने सोम व महिलाओं की उसी अवस्था में वीडियो बना ली. इस के बाद मोमन खां ने सोम को छुरा दिखाते हुए धमकाया कि अगर उस ने उन का कहा नहीं माना तो वह उसे हलाल कर देंगे. आरोपियों का मंतव्य भांपते ही सोम को जैसे सांप सूंघ गया. वह वैसा ही करता गया, जैसा उन्होंने कहा.

वीडियो बनाने के बाद मोमन खां ने उसे धमकाया, ‘‘देख सोम, तूने 2 महिलाओं का रेप किया है. अब 10 लाख रुपयों की व्यवस्था कर हमें दे दे, नहीं तो तेरे खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाएंगे.’’

अख्तर ने राजीनामे की बात कह कर सोम को मामूली सी राहत की किरण दिखाई.

‘‘अरे भैया, मैं ने किसी का रेप नहीं किया. क्यों झूठी तोहमत लगा रहे हो. आप दोनों भी उस समय कमरे में मौजूद थे.’’ सोम गिड़गिड़ाया.

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‘‘सोम, हम दोनों की मौजूदगी ही तुझे बलात्कारी साबित करेगी. हमारे बयान तेरे खिलाफ होंगे.’’ अख्तर ने उसे फिर डपट दिया.

‘‘भैया, 10 लाख रुपयों का इंतजाम तो मेरी सात पुश्तें भी नहीं कर पाएंगी. हां, 5-7 हजार रुपयों का इंतजाम मैं जरूर कर लूंगा.’’ जैसे सोम ने अपना दिल खोल कर रख दिया.

सभी ने मिल कर सोम को 30 हजार रुपए अदा करने का फरमान सुना दिया. उन्होंने सोम की बाइक भी अपने पास रख ली. फिर सोम को अपने पास से किराया दे कर अगले दिन 30 हजार रुपए लाने के लिए पाबंद कर भगा दिया.

निढाल हुआ सोम जैसेतैसे टिब्बी पुलिस थाने पहुंचा और सीआई मोहम्मद अनवर को आपबीती सुनाई. उस की व्यथा सुनने के बाद सीआई ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की योजना बना ली. अगले दिन निर्धारित समय पर सोम पीरकामडि़या गांव पहुंच गया.  उस ने अपने आने की सूचना फोन से अख्तर को दे दी थी.

सभी आरोपी रशीदा बीबी के घर इकट्ठे हो गए थे. सोम रुपए ले कर घर में घुसा तो सादे कपड़ों में आए पुलिसकर्मियों ने पांचों को हिरासत में ले लिया.

थाने में पांचों आरोपियों अकरम उर्फ अख्तर, मोमन खां, अनारा बीबी, रशीदा बीबी और अनीश बीबी से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

हनीट्रैप की तीसरी घटना भी हनुमानगढ़ की ही है. इसी जिले की जिला जेल में तैनात जेल वार्डन निहाल सिंह 9 सितंबर, 2019 को अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद बैरक में आराम कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी.

उन्होंने काल रिसीव की तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘निहाल साहब हैं क्या?’’

‘‘हां, मैं बोल रहा हूं.’’ निहाल सिंह बोले.

‘‘साहब, प्लीज एकांत में आइएगा, आप से खास बात करनी है.’’ दूसरी तरफ से आवाज आई.

निहाल सिंह ने बाहर आ कर कालबैक की तो वह बोला, ‘‘साहब, मैं यूनुस खान बोल रहा हूं. पहचान गए न, लखुवाली निवासी यूनुस उर्फ मिर्जा. आप के यहां कई महीने जेल में रहा था.’’

‘‘अरे याद आया, तू अनवर उर्फ लंबा के साथ जेल में रहा था.’’ निहाल सिंह को याद आ गया.

‘‘साहब, हमारा जेल आनेजाने का क्रम लंबे समय से चल रहा है. अभी पिछले दिनों जमानत पर बाहर आए हैं. आप का अच्छा व्यवहार हमें बहुत पसंद आया था. हम आप को पार्टी देना चाहते हैं. देखो साहब, मना मत करना.’’ युनूस ने कहा, ‘‘साहब, हम ने आज का ही प्रोग्राम बना लिया है. अनवर भी मेरे साथ है. साथसाथ बैठेंगे तो आनंद आएगा.’’

मनचाहा पांसा फेंक यूनुस और अनवर प्रफुल्लित थे. वहीं दूसरी ओर निहाल सिंह भी आनंदविभोर थे. आज उन के अच्छे व्यवहार के सच्चे पारखी मिल गए थे. यूनुस ने कहा कि वह अनवर के साथ बाइक ले कर किला के पास उन का इंतजार कर रहा है.

आधे घंटे में निहाल सिंह वहां पहुंच गए. दोनों निहाल सिंह को बाइक पर बिठा कर गाहड़ू गांव की एक ढाणी में ले गए. वहां मौजूद 2 लोग और एक महिला निहाल सिंह की आवभगत में लग गए.

उन लोगों ने जेल वार्डन को कोल्डड्रिंक पीने को दी. कोल्डड्रिंक पीते ही निहाल सिंह पर नशा छा गया. महिला ने निहाल सिंह को नंगा कर दिया और खुद भी नंगी हो गई. दूसरे लोगों ने निहाल सिंह और महिला का आपत्तिजनक वीडियो बना लिया.

इस के बाद निहाल के साथ मारपीट कर उन्हें डरायाधमकाया गया. दोनों आरोपी हनुमानगढ़ पुलिस थाने के हिस्ट्रीशीटर थे. यूनुस के खिलाफ 32 मामले दर्ज थे तो अनवर के खिलाफ भी दरजनों मुकदमे दर्ज थे.

निहाल सिंह का नशा उतरने के बाद यूनुस बोला, ‘‘देख निहाल, तूने एक महिला का रेप किया है. यह हम नहीं, मोबाइल में सेव वीडियो कह रहा है. अगर अपनी नौकरी व मिलने वाले फंड को बचाना चाहता है तो हमें 3 लाख रुपए दे दे, अन्यथा नौकरी तो जाएगी ही साथ में जेल में भी सड़ना पड़ेगा.’’

यह सुन कर निहाल को कंपकंपी आ गई, ‘‘देखो भैया, मेरे पास अब कुछ भी नहीं है. आप ने मेरे विश्वास की हत्या की है. मैं ने किसी का रेप नहीं किया.’’ निहाल सिंह हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाया.

‘‘देखो साहब, विश्वास को मारो गोली. सीधेसपाट शब्दों में सुन लो, हमें 3 लाख रुपए चाहिए तो चाहिए. तुम कैंटीन वाले पप्पू को फोन कर के अपनी चैकबुक हनुमानगढ़ बसस्टैंड पर मंगवा लो. वहां से चैकबुक अनवर ले आएगा. बस इतनी मोहलत मिल सकती है तुम्हें.’’

बचने का कोई रास्ता न देख निहाल ने जेल की कैंटीन में काम करने वाले पप्पू को फोन कर चैकबुक मंगाई और अनवर को देने को कह दिया.

आधे घंटे में अनवर पप्पू से चैकबुक ले कर ढाणी में आ गया. निहाल ने 2 चैक में डेढ़डेढ़ लाख रुपए की धनराशि भर कर चैक यूनुस खां को दे दिए. आरोपियों ने उस की जेब में पड़ी नकदी भी छीन ली थी. बाद में यूनुस निहाल को हनुमानगढ़ छोड़ गया था.

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10 सितंबर, 2019 को जेल वार्डन निहाल सिंह ने थाना हनुमानगढ़ जा कर सीआई नंदराम भादू को अपना दुखड़ा सुनाया. निहाल सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच एएसआई जसकरण सिंह को सौंप दी. दोनों हिस्ट्रीशीटर आरोपी अनवर व यूनुस खां फरार हो गए थे. पुलिस उन के पीछे लगी थी.

करीब 20 दिनों बाद जांच अधिकारी जसकरण सिंह ने मुखबिर की सूचना पर यूनुस खान को गिरफ्तार कर लिया. रिमांड की अवधि में यूनुस ने चैक अपने सहयोगियों के पास होना बताया. अदालत के आदेश पर यूनुस को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

लगभग एक महीने में पुलिस के सामने हनीट्रैप के 3 मामले आए. संभव है, कुछ मामले पुलिस तक पहुंचे ही न हों. सभ्य समाज के लिए यह शुभ संकेत नहीं है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हनी ट्रैप का रुख गांवों की ओर : भाग 1

पिछले कुछ सालों में हनीट्रैप के तमाम मामले सामने आए हैं, लेकिन इन में ज्यादातर मामले बड़े शहरों और पैसे वाले लोगों से जुड़े थे. लेकिन अब लगता है कि हनीट्रैप के पांव गांवों की ओर भी बढ़ चले हैं. यहां हम 3 ऐसी ही…

बदलते परिवेश में एक तरफ जहां महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं, वहीं दूसरी ओर अपराधों में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है. इस की वजह जो भी हो, लेकिन कुछ महिलाएं मोटी कमाई के चक्कर में अपना जमीर तक बेच देती हैं.

ऐसी महिलाएं किसी व्यक्ति को अपने आकर्षणपाश में फांस कर उसे ब्लैकमेल करती हैं और मोटी रकम वसूलती हैं. उन के लिए यह मोटी कमाई का आसान जरिया होता है.

प्रस्तुत कथा ऐसे ही अलगअलग गिरोहों की है, जिन में महिलाएं भी शामिल थीं. गैंग के सदस्य शिकार को अपने जाल में इतनी आसानी से फांसते थे कि उस का उन के चंगुल से निकलना मुश्किल हो जाता था. इन की पहली चाल शुरू हो जाती थी ब्लैकमेलिंग से.

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14 अगस्त, 2019 को सिद्धमुख (चुरू) गांव में डेयरी पर नौकरी करने वाले सागर शर्मा के घर विपिन शर्मा अपनी पत्नी रितु शर्मा को ले कर पहुंचा. 6 महीने पहले वह पत्नी के साथ उसी डेयरी पर बने कमरे में किराए पर रहता था और सिद्धमुख गांव में गोलगप्पे की रेहड़ी लगाता था. बाद में वह कमरा खाली कर जयपुर चला गया था. सागर शर्मा ने दोनों की आवभगत की. फिर सागर और विपिन में इधरउधर की बातें होने लगीं.

उसी दौरान चाय का घूंट लेते हुए विपिन ने सागर से कहा, ‘‘भैया, मुझे रुपयों की सख्त जरूरत है. प्लीज, एक लाख रुपए उधार दे दो. अगर आप के पास नहीं हैं तो किसी से उधार ले कर दे दो. मैं अगले महीने सूद सहित लौटा दूंगा.’’

‘‘देखो विपिन, तुम्हें तो पता ही है कि मैं विनोद सेठ की दूध डेयरी पर नौकरी करता हूं. मेरे लिए यह बहुत बड़ी है. अगर तुम्हें 2-4 हजार की जरूरत हो तो मालिक से ले कर दे सकता हूं.’’ सागर ने कहा.

सागर के इस जवाब पर विपिन व रितु मुंह लटका कर वहां से चले गए. अगले दिन 16 अगस्त की सुबह सागर के मोबाइल पर विपिन की काल आई. उस ने काल रिसीव की तो विपिन ने उसे गालियां देते हुए कहा, ‘‘तू बड़ा कमीना निकला सागर. तूने दोस्ती की आड़ में मेरे साथ दगा किया है. मेरी बीवी के साथ गलत काम करते हुए कुछ तो शरम कर लेता.’’

इतना सुन कर सागर के होश उड़ गए. वह बोला, ‘‘अरे भैया, यह तुम क्या कह रहे हो. तुम भी तो भाभी के साथ थे. यह सरासर झूठ है.’’

‘‘देख सागर, तेरे कहने से कुछ नहीं होगा. जब रितु थाने जा कर तेरे खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाएगी तो तुझे दिन में तारे दिखाई दे जाएंगे.’’ विपिन ने सागर को धमकी दी.

सागर बालबच्चेदार था. बात झूठ थी फिर भी जलालत की सोच कर उस की रूह कांप गई. विपिन उसे फिर से गाली देते हुए बोला, ‘‘अब जल्दी से 25 लाख रुपयों का इंतजाम कर ले. नहीं तो तुझे जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता.’’

विपिन के साथी गौरधन मीणा ने उस से फोन ले कर सागर को घुड़का. उस ने कहा, ‘‘जैसा विपिन कह रहा है, मान ले. विपिन को राजी कर ले, नहीं तो जेल में सड़ेगा.’’

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सागर ने उसे बताया कि उस के पास इतने पैसे नहीं हैं, जो बन सकेंगे, वह दे देगा.

‘‘ठीक है, अब मैं बाद में बात करूंगा.’’ कह कर विपिन ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

अचानक आई इस मुसीबत से सागर घबरा गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि वह इस परेशानी से कैसे बाहर निकले. उसी रात विपिन ने सागर को फिर फोन किया.

वह बोला, ‘‘देख सागर, तेरे लिए 25 लाख का इंतजाम करना संभव नहीं है तो तू 15 लाख का इंतजाम कर ले. इतने में मामला सैटल हो जाएगा नहीं तो कल मीडिया में तेरी काली करतूत सामने आएगी तो तू जरूर आत्महत्या कर लेगा.’’

इस धमकी से सागर और भी ज्यादा डर गया. चूंकि विपिन पहले डेयरी मालिक विनोद अग्रवाल के यहां किराए पर रहता था, इसलिए विपिन को समझाने के लिए सागर ने अपने मालिक की विपिन से बात कराई. लेकिन विपिन नहीं माना.

2 दिनों बाद विपिन ने विनोद अग्रवाल को फोन कर कहा कि अगर 15 लाख का इंतजाम न हो पा रहा हो तो 10 लाख का जुगाड़ कर लो. इतने पैसों में मामला रफादफा कर देंगे. विपिन ने यह भी विश्वास दिलाया कि रकम मिलने पर रितु स्टांप पेपर पर लिख कर सागर को क्लीन चिट दे देगी.

अगले दिन सागर के पास फिर विपिन का फोन आया. वह बोला, ‘‘देख सागर रितु की बुआ रावतसर में रहती है. तू कल रकम ले कर रावतसर आ जा. 8 लाख से काम चल जाएगा. कल अगर सारे पैसों की व्यवस्था न हो पाए तो अगले दिन के चेक दे देना.’’

‘‘ठीक है, मैं पहुंच जाऊंगा.’’ सागर ने उस से कहा.

11 सितंबर को विपिन, रितु, बाबूलाल कीर, गोरेधन मीणा व मूलचंद मीणा को ले कर रावतसर आ गया. सागर भी रावतसर आ गया था. वे लोग रावतसर से 7 किलोमीटर दूर चाइया गांव के पास एक होटल में रुके. विपिन ने फोन कर सागर को भी वहीं बुला लिया था.

वहां पहुंचते ही सब लोग सागर को एक सुनसान जगह पर ले गए. उसे डराधमका कर उन लोगों ने सागर की जेब से 60 हजार रुपए निकाल लिए. बकाया रकम के लिए उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के 7,40,000 के 2 चैक ले लिए.

सागर को साथ ले कर वे लोग रावतसर के तहसील कार्यालय पहुंच गए. रितु ने 50 रुपए को स्टांप पेपर पर लिख कर दे दिया कि अब उसे सागर शर्मा से कोई शिकायत नहीं है.

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उस की एक फोटोकौपी उस ने सागर को दे कर बाकी रकम अगले दिन तक देने को कह दिया. इस के बाद सागर घर लौट गया. विपिन भी गिरोह के साथ रिश्तेदारी में चला गया.

सागर को बाकी की रकम देने की चिंता थी. उधर विपिन ने विनोद सेठ को फोन कर रकम का तकाजा कर दिया था. अगले दिन सागर विपिन के बताए अनुसार उसी होटल पर पहुंच गया. दूसरी तरफ विनोद ने विपिन को फोन कर रावतसर पहुंचने की सूचना दे दी थी. विनोद अपने एक दोस्त के साथ पहले ही रावतसर पहुंच गया था.

हिमानी का याराना : भाग 2

हिमानी का याराना : भाग 1

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आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के और सागर उर्फ बलवा के बीच जिस्मानी रिश्ते हैं और उस ने सागर के साथ मिल कर 7-8 सितंबर के तड़के पति की हत्या की थी.

जुर्म स्वीकार कर लेने के बाद हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया. उसी शाम सागर के घर पर दबिश दे कर उसे भी दबोच लिया गया. पूछताछ के दौरान जब उसे बताया गया कि उस की माशूका हिमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वह बुरी तरह चौंका. जब उसे उस की काल डिटेल्स दिखाई गई तो उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. बाद में दोनों की निशानदेही पर सोनू की हत्या में प्रयुक्त वह रस्सी भी बरामद कर ली, जिस से सोनू का गला घोंटा गया था. सोनू हत्याकांड के पीछे की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह है.

बाहरी दिल्ली जिले में एक गांव है बादली. माधव सिंह अपने परिवार के साथ यहीं रहते हैं. उन के परिवार में पत्नी अंजू (काल्पनिक नाम), 24 साल का बेटा सोनू, बेटी पिंकी थे. माधव सिंह की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. वह एक होटल में काम करते थे. सोनू पेशे से ड्राइवर था, जबकि पिंकी एक बड़े अस्पताल में काम करती थी.

सोनू की शादी करीब 3 साल पहले हिमानी के साथ हुई थी. हिमानी गोरे रंग, आकर्षक नैननक्श की खूबसूरत युवती थी. हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की हिमानी को पत्नी के रूप में पा कर सोनू बहुत खुश था. हिमानी भी इस घर में आ कर खुश थी. पिंकी भाभी का पूरा खयाल रखती थी.

सोनू और हिमानी अपनी दुनिया में खुश रहते थे. सोनू का काम ऐसा था कि वह सुबह घर से निकलता था. इस के बाद उसे खुद भी पता नहीं रहता था कि वह घर कब लौटेगा.

हिमानी अपनी सास के साथ घर का कामकाज निबटाती और दिन का बाकी समय टीवी देखती या सो कर गुजारती थी. जब कभी उसे सोनू की याद सताती तो वह उस के मोबाइल पर फोन कर के उस का हालचाल पूछ लिया करती थी. सोनू भी खाली वक्त में फोन करता था. बेटी के जन्म से घर में सभी खुश थे.

हिमानी का कमरा घर की पहली मंजिल पर था. जब कभी उसे बोरियत महसूस होती तो वह अपना मन बहलाने के लिए बालकनी में आ कर खड़ी हो जाती थी. इसी दौरान एक दिन उस की निगाहें पड़ोस में रहने वाले युवक सागर की निगाहों से टकराईं तो उस के तनबदन में सिहरन सी दौड़ गई.

पहले भी उस ने गौर किया था कि वह किसी न किसी बहाने उस के घर के सामने आ कर उसे एकटक निहारता है. उस दिन तो उसे सागर का यूं अपनी ओर बेशरमी से देखना अच्छा नहीं लगा, लेकिन बाद में उसे लगा कि पति के अलावा पड़ोस के लड़के भी उसे पसंद करते हैं तो उस के चेहरे पर मुसकराहट तैरने लगी.

हौलेहौले चाहत भरी नजरों के इस खेल में उसे भी मजा आने लगा. उस ने भी सागर की नजरों से नजरें मिलानी शुरू कर दीं. बात बढ़ती गई और मामला बातचीत से शुरू हो कर मोबाइल नंबर के आदानप्रदान तक पहुंच गया.

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सागर हिमानी को फोन कर के उस से मिलने की जिद करने लगा तो एक दिन जब वह घर में अकेली थी तो उस ने मौका देख कर सागर को अपने कमरे में बुला लिया. सागर बहुत बातूनी युवक था. उस ने हिमानी को अपनी मीठीमीठी बातों में ऐसा फंसाया कि वह उस की बांहों में अपनी सुधबुध खो बैठी.

हिमानी के बदन से खेलने के बाद सागर वहां से चला गया, लेकिन उस दिन के बाद जब कभी हिमानी को मौका मिलता, वह सागर को मिलने के लिए अपने घर में बुला लेती थी. कभीकभी वह खुद भी किसी काम के बहाने घर से निकल कर सागर की बताई हुई जगह पर पहुंच जाती थी.

शुरुआत में हिमानी और सागर के अवैध रिश्तों की जानकारी किसी को नहीं हुई, लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकी. एक दिन सोनू को उस के किसी दोस्त ने उस की बीवी की बेवफाई की दास्तान बताई तो उसे उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने सागर के साथ हिमानी का नाम जोड़ कर छेड़ना शुरू कर दिया तो उसे उन की बात पर विश्वास करना पड़ा.

सागर मोहल्ले का दबंग युवक था. लोग उस के सामने आने में कतराते थे. फिर भी सोनू ने उस से कहा कि वह हिमानी से मिलना छोड़ दे. सागर ने उस समय तो उस की बात मान ली लेकिन उस ने अपनी हरकतें जारी रखीं.

घटना के 4 दिन पहले सोनू और सागर के बीच बच्चों को ले कर जोरदार झगड़ा हुआ. इस दौरान सागर ने सोनू को 8 दिनों के अंदर जान से मारने की धमकी दी. हिमानी का दिल अपने पति सोनू से भर चुका था. उसे सोनू से सागर ज्यादा प्यारा था, इसलिए जब सागर ने सोनू की हत्या करने की बात उसे बताई तो वह उस का साथ देने के लिए तैयार हो गई.

योजना के अनुसार 8 सितंबर की रात हिमानी ने सोनू के खाने में नींद की गोलियां मिला दीं. आधी रात को जब वह हिमानी के साथ अपने बैडरूम में पहुंचा तो लेटते ही नींद की आगोश में चला गया. रात के करीब ढाईतीन बजे के बीच जब सारा मोहल्ला चैन की नींद सो रहा था, तभी हिमानी ने फोन कर सागर को अपने कमरे में आने के लिए कहा.

सागर को पहले से ही हिमानी के फोन का इंतजार था. जैसे ही हिमानी ने बुलाया, वह दबे पांव छत के रास्ते हिमानी के कमरे में पहुंचा और एक रस्सी से सोनू का गला घोंट दिया.

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रात भर हिमानी अपने पति की लाश के साथ सोई रही. सुबह 7 बजे उठ कर उस ने अपने ससुर माधव सिंह तथा सास अंजू को पति की हत्या होने की जानकारी दी. 12 सितंबर, 2019 को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने सोनू हत्याकांड के दोनों आरोपियों हिमानी और सागर उर्फ बलवा को रोहिणी कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

इस हत्याकांड में दूसरे नामजद आरोपी राहुल का कोई हाथ न होने के कारण उस के खिलाफ काररवाई नहीं की गई. मामले की जांच थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हिमानी का याराना : भाग 1

सोनू पेशे से ड्राइवर था. उस की पत्नी हिमानी चाहती तो उस से तलाक भी ले सकती थी और यूं छोड़ कर जा सकती थी. इस के लिए अपने यार को हथियार बना कर सोनू को बकरे की तरह हलाल करना जरूरी नहीं था. सच तो यह कि यारों को पालने वाली…

24वर्षीय सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ बाहरी दिल्ली स्थित बादली गांव के सिसोदिया मोहल्ले में रहता था. वह और हिमानी घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जबकि उस के पिता माधव सिंह और बहन पिंकी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे.

सोनू पेशे से ड्राइवर था और एक टूरिस्ट कंपनी की कार चला कर पूरे परिवार की जीविका चलाता था. 7 सितंबर, 2019 की रात 11 बजे तक परिवार के सभी सदस्य खाना खा चुके थे. सोनू को नींद आ रही थी, इसलिए वह हिमानी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ पहली मंजिल पर अपने बैडरूम की ओर बढ़ गया. बेटे और बहू के जाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी सोने चले गए.

सुबह करीब 7 बजे भाभी हिमानी के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पिंकी उस के कमरे में गई तो हिमानी ने रोते हुए बताया कि रात को किसी बदमाश ने इन की हत्या कर दी है. अभी थोड़ी देर पहले जब नींद खुली तो देखा तो ये मरे पड़े थे.

बैड पर भाई सोनू की लाश देख कर पिंकी ने बदहवास हो कर रोना शुरू कर दिया. बेटी और बहू के रोने की आवाज सुन कर सोनू के मातापिता भी भागते हुए वहां पहुंच गए. सोनू की लाश देख कर चीखपुकार मच गई.

तभी पिंकी ने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को फोन कर अपने भाई की हत्या की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद बादली थाने से एसआई मनीष कुमार वहां पहुंच गए. लाश को देखने के बाद उन्होंने पाया कि सोनू के गले पर एक स्याह निशान बना हुआ था. चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने इस मामले की सूचना थानाप्रभारी अक्षय कुमार को दे दी.

थोड़ी देर में थानाप्रभारी अक्षय कुमार थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के साथ सिसोदिया मोहल्ला स्थित माधव सिंह के घर जा पहुंचे. घर की पहली मंजिल पर पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो मृतक के गले पर गहरा स्याह निशान मिला.

ऐसा लग रहा था मानो किसी ने रस्सी या चुन्नी से उस का गला घोंटा हो. कमरे का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्होंने पाया कि सभी सामान अपनी जगह पर था. घर से कोई सामान गायब नहीं था. मतलब हत्यारा जो भी रहा हो, उस की मंशा सिर्फ सोनू की हत्या करने की रही थी.

थानाप्रभारी ने फोरैंसिक टीम को बुला लिया. मृतक के पिता माधव सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रात के 12 बजे सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल स्थित इस कमरे में आ गया था. इस के बाद सुबह 7 बजे हिमानी ने नीचे आ कर बताया कि सोनू की हत्या कर दी है.

यह सुन कर थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने मृतक की पत्नी हिमानी से पूछताछ की. पति की मौत से बुरी तरह आहत हिमानी की स्थिति बहुत खराब थी. वह छाती पीटपीट कर लगातार रोए जा रही थी. उस ने बस इतना बताया कि वह डेढ़ साल की बेटी के साथ पति की बगल में सो रही थी. गरमी ज्यादा होने के कारण ये कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोते थे. पता नहीं रात में वहां कौन आया और इन की हत्या करने के बाद फरार हो गया.

थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने उस वक्त हिमानी से ज्यादा पूछताछ करना उचित नहीं समझा. क्योंकि घर में सभी रोपीट रहे थे और माहौल गमगीन था. अलबत्ता उन्हें हिमानी पर शक हुआ.

फोरैंसिक एक्सपर्ट का काम निपट जाने के बाद उन्होंने एसआई मनीष कुमार तथा अन्य स्टाफ के साथ घर का मुआयना करना शुरू किया तो देखा बगल की छत उन की छत से मिली हुई थी. यह देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारा संभवत: इसी रास्ते सोनू के कमरे तक पहुंचा होगा और वारदात को अंजाम देने के बाद चुपचाप इसी रास्ते फरार हो गया होगा. एसआई मनीष की भी यही सोच थी.

मौकामुआयना करने के बाद पुलिस टीम ने सोनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल, जहांगीरपुरी भेज दी. वहां की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम थाने लौट गई.

10 सितंबर को मृतक की बहन पिंकी की शिकायत पर थाने में सोनू की हत्या का मामला सागर उर्फ बलवा और राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया.

मामले की जांच खुद थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. उन्होंने एसआई मनीष को कुछ निर्देश दे कर दोबारा मृतक के परिजनों को टटोलने के लिए उन के घर भेजा. वहां सभी ने सोनू की हत्या में पड़ोस में रहने वाले बदमाश सागर उर्फ बलवा पर शक जताया. एफआईआर में भी सागर को ही नामजद किया गया था.

पूछताछ के दौरान एसआई मनीष ने मृतक की पत्नी हिमानी को बुला कर उस से एक बार फिर पूछताछ की तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह जानबूझ कर इस केस का रुख दूसरी दिशा में मोड़ना चाह रही हो. यह देख कर उन्होंने उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.

थाने लौट कर उन्होंने हिमानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस का बारीकी से निरीक्षण करने लगे.

काल डिटेल्स की जांच के दौरान वह यह देख कर चौंके कि हिमानी लगातार एक मोबाइल नंबर के संपर्क में थी. वारदात वाली रात में भी हिमानी ने इस नंबर पर काफी देर बात की थी. मनीष कुमार ने यह बात थानाप्रभारी को बताई तो उन्होंने उस नंबर की काल डिटेल्स निकालने के आदेश दिए. मोबाइल नंबर की जांच की गई तो नंबर उसी सागर उर्फ बलवा का निकला, जिस पर मृतक के पिता एवं परिवार के अन्य लोगों ने सोनू की हत्या का आरोप लगाया था.

यह देख कर थानाप्रभारी और एसआई मनीष के चेहरों पर मुसकराहट दौड़ गई. उन्हें लगा कि हत्यारा अब उन की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है.

11 सितंबर, 2019 की शाम को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने हिमानी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान हिमानी मासूम बन कर चालाकी से पुलिस की जांच की दिशा भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन जब उस के सामने उस की काल डिटेल्स दिखा कर उस के और सागर के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उस का हलक सूख गया.

एक थप्पड़ के बदले 2 हत्याएं : भाग 2

ऐसा लगता था कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों को पहले से ही घर की पूरी स्थिति का पता था कि सुबहसुबह घर पर कौनकौन रहता है. मृतका रानी की बेटी रिया 10वीं कक्षा की तथा ईशू 8वीं कक्षा के छात्र थे. गुरुवार को दोनों सुबहसुबह स्कूल चले गए थे. वहीं डा. दीपक गुप्ता का बड़ा बेटा 6 वर्षीय दर्श गुप्ता जो पहली कक्षा में पढ़ता था, वह भी स्कूल गया हुआ था.

सुबह 9 बजे डा. दीपक गुप्ता रामनगर स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर थे, जबकि रानी गुप्ता के पति अमित गुप्ता दोनों बच्चों का लंच बौक्स देने के लिए साढ़े 9 बजे उन के स्कूल चले गए थे. वहां से वह अपनी पैथोलौजी लैब पर चले गए.

डा. दीपक गुप्ता की पत्नी दीप्ति अपनी ड्यूटी पर फतेहाबाद स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर चली गई थीं. घटना के समय घर पर रानी, उस की सास शिवदेवी और डा. दीपक गुप्ता का 2 वर्षीय छोटा बेटा दिवित ही थे.

पूछताछ के दौरान घर वालों ने पुलिस को बताया कि घर के बाहर वाले कमरे में ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए फरनीचर बनवाया था. फरनीचर दीपा नाम के कारपेंटर ने बनाया था. वह पिछले 2 महीने से फरनीचर बनाने का काम कर रहा था. वह घर के सभी सदस्यों से परिचित था. इस पर पुलिस का शक कारपेंटर पर गया.

पुलिस ने जांच की काररवाई में घटनास्थल के आसपास के 3 घरों में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले. 2 फुटेज में संदिग्ध व्यक्ति रिकौर्ड हुआ था.

एक फुटेज में एक व्यक्ति सुबह 10 बज कर 37 मिनट पर डा. गुप्ता के घर के मुख्य गेट से अंदर जाता दिखा दे रहा था. वही व्यक्ति 10.55 बजे मकान के बाहरी कमरे, जिस में ब्यूटीपार्लर बनना था, के गेट से बाहर निकलता दिखाई दिया. बाहरी गेट की कुंडी पर खून भी लगा मिला था.

इस से साफ जाहिर हो रहा था कि 18 मिनट में 2 हत्या करने के बाद हत्यारा इसी गेट से बाहर निकला था. संदिग्ध व्यक्ति कारपेंटर दिलीप उर्फ दीपा हो सकता था, जो नया रसूलपुर, टंकी के पास गली नंबर-5 में रहता था.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मृतका रानी ने घर के बहारी कमरे में ‘टिपटौप ब्यूटीपार्लर’ खोला था. ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए रानी ने पहले घर वालों को मनाया फिर ब्यूटीशियन का कोर्स किया. इस का उद्घाटन एक दिन पहले 6 अगस्त को हुआ था.

इस ब्यूटीपार्लर के लिए फरनीचर बनाने का काम कारपेंटर दिलीप उर्फ दीपा ने ही किया था. रानी का सपना धरातल पर तो आ गया, लेकिन एक दिन बाद ही वह क्रूर हत्यारों का शिकार हो गई.

मासूम दिवित को अपनी जेठानी के पास छोड़ कर दीप्ति अपनी ड्यूटी पर चली जाती थी. पूरा दिन वह अपनी दादी और ताई को हंसाता रहता था. लेकिन घटना के बाद से 2 साल का मासूम दिवित बेहद उदास था. कभी एकटक देखता तो कभी चीखचीख कर रोने लगता. उस की आंखों में अपनी दादी और ताई के कत्ल का खौफनाक मंजर कैद हो गया था.

शक के दायरे में कारपेंटर दिलीप के आने पर दोपहर 2 बजे पुलिस उस के घर पहुंची. पुलिस ने उस की पत्नी रोली से उस के पति के बारे में पूछताछ की. रोली ने पति से मोबाइल पर बात की तो उस ने बताया कि इस समय वह काम करने आसफाबाद की तरफ आया है. इस के बाद दिलीप का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ हो गया. पुलिस दिलीप के इंतजार में पूरी रात उस के घर के बाहर डेरा डाले रही.

8 अगस्त की शाम को पोस्टमार्टम के बाद दोनों शव परिजनों को सौंप दिए गए. शवों का अंतिम संस्कार देर रात उसी दिन कर दिया गया.

9 अगस्त की सुबह लगभग साढ़े 4 बजे मोटरसाइकिल से भाग रहे दिलीप की पुलिस ने घेराबंदी कर ली. फतेहाबाद रोड स्थित बरी चौराहे के पास घिरने पर दिलीप ने पुलिस पर फायरिंग की. पुलिस द्वारा जवाबी फायरिंग में दिलीप के पैर में गोली लगी और वह गिर गया.

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. मुठभेड़ में थाना रसूलपुर में तैनात सिपाही कन्हैयालाल भी फायरिंग से बचने के दौरान फिसल कर घायल हो गया था. पकड़े गए दिलीप की पुलिस ने तलाशी ली तो उस के पास से तमंचा, लूटे गए हार, अंगूठियां व अन्य आभूषण बरामद हुए. पूछताछ करने पर सासबहू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

25 वर्षीय दिलीप उर्फ दीपा ने बताया कि ब्यूटीपार्लर का फरनीचर बनाते समय एक दिन बड़ी बहू रानी गुप्ता ने किसी बात को ले कर मजदूरों के सामने उसे बेइज्जत किया और थप्पड़ मार दिया था. उस समय वह अपमानित हो कर तिलमिला उठा था.

दिलीप अपनी बेइज्जती पर खून का घूंट पी कर रह गया. उस ने तय कर लिया था कि वह इस अपमान का बदला जरूर लेगा. उसी दिन से वह बदले की आग में जल रहा था.

घटना वाले दिन वह हथौड़ा छूटने के बहाने घर में घुसा. उस के सिर पर खून सवार था. दिलीप ने घर में घुसते ही सामने दिखी रानी से कहा, ‘‘मैडमजी, यहां मेरी हथौड़ी रह गई थी. मैं उसे लेने आया हूं.’’

इस पर रानी ने कहा, ‘‘देख लो कहां रह गई थी तुम्हारी हथौड़ी.’’

इस के बाद वह रानी के पीछेपीछे कमरे में पहुंचा और साथ लाए चाकू से रानी का गला रेत दिया. उस की चीख सुन कर सास शिवदेवी, जो ऊपरी मंजिल से नीचे आ रही थी, ने यह दृश्य देखा. उन्होंने बहू को बचाने के लिए शोर मचाने की कोशिश की. इस पर दिलीप ने उन का भी गला रेत कर हत्या कर दी.

2 साल के दिवित पर उसे प्यार आ गया. वह मासूम था, बोल भी नहीं पाता था, इसलिए उसे जिंदा छोड़ दिया. इस के बाद उस ने अलमारियों में रखी नकदी व आभूषण बटोरे और ब्यूटीपार्लर वाले कमरे के गेट से बाहर निकल गया.

हत्या के दौरान सासबहू द्वारा अपने बचाव के लिए किए गए संघर्ष के दौरान दिलीप के हाथ की एक अंगुली भी कट गई थी. घटना के बाद उस ने अपनी दुकान के पास एक क्लीनिक पर जा कर अंगुली पर पट्टी भी बंधवाई.

इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले दिलीप उर्फ दीपा की कहानी किसी साइको किलर जैसी थी. किराए के मकान में  पत्नी रोली और 2 बच्चों के साथ रहने वाला दिलीप गुरुवार को सुबह घर से अपनी दुकान पर गया था. अचानक उस के मन में बदले की भावना पैदा हुई और मात्र 18 मिनट में उस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम दे दिया.

दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दीपा कुछ देर बाद घटनास्थल पर पहुंचा और घर के बाहर शर्ट उतार कर गुस्साई भीड़ में तमाशबीन भी बना रहा. इस बीच वह दूर से पुलिस की जांच देख रहा था. इस दौरान कई लोगों ने मोबाइल से घटनास्थल के फोटो खींचे और वीडियो बनाए. सोशल मीडिया पर जब उस की तसवीर वायरल हुई, तब लोगों को उस के बारे में जानकारी हुई. दोपहर 12 बजे वह अपने दोनों बच्चों को स्कूल से घर छोड़ कर फरार हो गया.

पुलिस ने घायल हत्यारोपी दिलीप तथा सिपाही कन्हैयालाल को उपचार के लिए फिरोजाबाद के मैडिकल कालेज में भरती कराया. दोपहर तक उपचार चला. इस के बाद दिलीप को कोर्ट में पेश किया गया. दीपा के खिलाफ हत्या और लूट के अलावा पुलिस मुठभेड़ का मुकदमा भी दर्ज किया था. अदालत से उसे जेल भेज दिया गया.

बदले की आग में दिलीप उर्फ दीपा अपना आपा खो बैठा और बेइज्जती का बदला लेने के चक्कर में उस ने 2 बेकसूरों की जान ले ली. अगर रानी ने किसी बात से नाराज हो कर उसे थप्पड़ मार भी दिया था तो उम्र में वह उस से बड़ी थीं. लेकिन उस ने इस बात को दिल पर ले लिया था.

घटना को अंजाम देने से पहले उस ने अपनी बच्चों व पत्नी के भविष्य के बारे में भी नहीं सोचा कि उस के पकड़े जाने और जेल जाने के बाद उस के परिवार का क्या होगा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक थप्पड़ के बदले 2 हत्याएं : भाग 1

इंसानी दिमाग की फितरत को समझ पाना आसान नहीं होता. भ्रमित व्यक्ति अगर गुस्से में प्रतिशोध लेने की ठान ले तो वह किसी भी हद तक जा सकता है. दिलीप उर्फ दीपा की मिसाल सामने है. उस की करतूत..

सौरभ गुप्ता जब डा. दीपक गुप्ता के घर पहुंचे तब उन के होंठों पर भावभीनी मुसकराहट थी और मन में प्रसन्नता. जिस गली में डा. गुप्ता का घर था, उस में लोगों की आवाजाही थी. कहीं भी ऐसा कुछ नहीं था जो अजीब सा लगे.

सौरभ ने डा. दीपक गुप्ता का दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला. न ही अंदर कोई प्रतिक्रिया हुई. इस पर सौरभ ने धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया.

दरवाजे के अंदर डा. दीपक का 2 साल का बेटा दिवित जिसे प्यार से सब लाला कहते थे, खड़ा था. उस के दोनों हाथ व कपड़े खून से रंगे हुए थे. घर में सन्नाटा पसरा था. सौरभ ने किसी अनहोनी की आशंका से जैसे ही मकान में प्रवेश किया, तो सामने ही डा. गुप्ता की 70 वर्षीय मां शिवदेवी की लाश पड़ी थी.

घबराहट में सौरभ की नजर कमरे में गई तो वहां दीपक के बड़े भाई अमित की 35 वर्षीय पत्नी रानी गुप्ता की खून से लथपथ लाश नजर आई. चारों ओर खून फैला हुआ था. यह मंजर देख सौरभ का कलेजा कांप उठा और मुंह से चीख निकल गई.

इस बीच बालक दिवित दरवाजे से बाहर निकल गया था. मकान के बगल में ही चूड़ी का कारखाना था. कारखाने में लोग काम कर रहे थे. चूड़ी के गोदाम पर बैठे रामू गुप्ता की नजर दिवित पर गई तो उस के हाथों और कपड़ों पर खून देख कर उन्हें लगा कि उसे शायद गिरने से चोट लग गई है.

उन्होंने दिवित को गोद में उठा लिया और उस की चोट तलाशने लगे. तभी सौरभ चीखते हुए घर के बाहर आए. उन के शोर मचाने पर आसपास के लोग आ गए.

यह बात 8 अगस्त, 2019 की है. घटना का समय साढ़े 11 बजे. घटनास्थल दुनिया भर में कांचनगरी के नाम से प्रसिद्ध फिरोजाबाद का मोहल्ला नया रसूलपुर. सौरभ गुप्ता डा. दीपक के दोस्त थे और उन से मिलने आए थे.

डा. प्रदीप गुप्ता के घर के बाहर एकत्र लोगों को लगा कि हत्या करने के बाद बदमाश शायद छत पर चढ़ कर छिप गए होंगे, इसी आशंका के चलते लोग लाठीडंडे ले कर मकान की छत पर गए, लेकिन वहां कोई नहीं मिला.

यह मकान शहर के नामचीन बालरोग विशेषज्ञ डा. एल.के. गुप्ता का पैतृक मकान था, जिस में उन के तीसरे नंबर के भाई डा. दीपक गुप्ता अपनी पत्नी, बेटे, दूसरे नंबर के भाई अमित गुप्ता, उन की पत्नी रानी और मां शिवदेवी के साथ रहते थे.

डा. एल.के. गुप्ता अपने परिवार और वृद्ध पिता डा. वेदप्रकाश के साथ शहर के ही मोहल्ला नई बस्ती में रहते थे. उन का सब से छोटा भाई पिंटू भी उन्हीं के साथ रहता था.

सौरभ ने फोन कर के घटना की जानकारी डा. दीपक गुप्ता व उन के बड़े भाई डा. एल.के. गुप्ता को दे दी. साथ ही उन्होंने घटना की सूचना देने के लिए थाना रसूलपुर के थानाप्रभारी बी.डी. पांडे को देने की कोशिश की, लेकिन उन का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस पर उन्होंने 100 नंबर पर काल की. लेकिन कई बार नंबर डायल करने के बाद भी काल रिसीव नहीं की गई.

अंतत: उन्होंने यह सूचना एसएसपी सचींद्र पटेल को दे दी. एसएसपी के निर्देश पर दोपहर करीब 12 बजे एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह, सीओ (सिटी) इंदुप्रभा सिंह पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

जब यह सूचना डा. एल.के. गुप्ता को मिली, तब वह और उन की पत्नी डा. नीता गुप्ता मैडिकल कालेज, फिरोजाबाद में मरीजों को देख रहे थे. आननफानन में डा. एल.के. गुप्ता पत्नी के साथ पैतृक घर पहुंच गए. कुछ देर में अन्य घर वाले भी वहां जा पहुंचे.

पुलिस ने घटनास्थल को पीला फीता लगा कर सील कर दिया ताकि सबूतों से किसी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके. इस के बाद थानाप्रभारी बी.डी. पांडे भी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी सचींद्र पटेल व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार भी आ गए थे.

फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया गया था. दिनदहाड़े हुए इस डबल मर्डर की खबर कुछ ही देर में पूरे इलाके में फैल गई. देखते ही देखते मौके पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो गई.

लोगों के आक्रोश व भीड़ बढ़ती देख किसी अनहोनी की आशंका से अधिकारियों को फिरोजाबाद के थाना दक्षिण, थाना उत्तर व थाना लाइनपार के अलावा जिले के अन्य थानों से भी फोर्स मंगानी पड़ी. सूचना पर सीओ (टूंडला) डा. अरुण कुमार सिंह, सीओ (सिरसागंज) संजय वर्मा भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने शवों का निरीक्षण किया तो पता चला दोनों महिलाओं की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. कमरे में रानी का शव पड़ा था. शव के पास ही सोने की चूड़ी, हथौड़ा व चाकू पड़ा मिला. दोनों महिलाओं की हत्या गला रेत कर की गई थी. रानी के पैरों के पास ही सास शिवदेवी का शव पड़ा था. उन के पैर कमरे के बाहर आंगन में थे.

निरीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आई कि खुद को हत्यारे से बचाने के लिए सासबहू ने काफी संघर्ष किया था क्योंकि दोनों के गले कटे होने के अलावा उन के शरीर पर भी कई जगह चोट के निशान थे. घटनास्थल के हालात देखने से लग रहा था कि रानी की हत्या पहले हुई. उस समय सास शिवदेवी ऊपर वाले कमरे में रही होंगी. ऊपर की मंजिल पर पड़े लोहे के जाल के पास लगे नाली के पाइप पर भी खून लगा था.

पुलिस का अनुमान था कि शिवदेवी के सिर पर पहले हथौड़े से प्रहार किया गया, बाद में उन्हें घसीटते हुए नीचे लाया गया. नीचे ला कर उन की भी गला रेत कर हत्या कर दी गई. घर में चारों तरफ खून फैला हुआ था.

नीचे वाले कमरे में पलंग के पास रखी अलमारी खुली हुई थी और उस का सामान बिखरा पड़ा था. मकान के ऊपर वाले हिस्से में सीढि़यों के बाईं तरफ वाले कमरे में रखी अलमारी भी टूटी हुई थी. उस का सामान भी बिखरा पड़ा था. दूसरे कमरे में रखी अलमारी का केवल हैंडल टूटा था. अनुमान था कि इस अलमारी को भी खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन हत्यारे सफल नहीं हो सके थे.

इस बीच फोरैंसिक टीम ने अलमारी व अन्य स्थानों से फिंगरप्रिंट व अन्य साक्ष्य एकत्र किए. घर वालों ने बताया कि मकान के ऊपरी हिस्से में छोटा भाई डा. दीपक गुप्ता, उन की पत्नी डा. दीप्ति गुप्ता, मां शिवदेवी और 2 बेटे दर्श व दिवित रहते थे, जबकि नीचे वाले हिस्से में दूसरे नंबर का भाई अमित गुप्ता अपनी पत्नी रानी, बेटी रिया व बेटे ईशू के साथ रहता था.

दिवित को छोड़ कर बाकी बच्चे स्कूल गए हुए थे. अमित की अपनी पैथलैब थी. घटना के बाद सभी बच्चों को स्कूल से बुला लिया गया.

सदर विधायक मनीष असीजा उस दिन लखनऊ में थे. घटना की जानकारी मिलने पर उन्होंने इस बारे में गृह सचिव व डीजीपी को बताया. डीजीपी तक मामला पहुंचने के बाद दोपहर लगभग सवा 2 बजे आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश अपने साथ डौग स्क्वायड की टीम ले कर मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

खोजी कुत्ते के आने से पहले तक गली के अंदर व घटनास्थल पर सैकड़ों लोग आ जा चुके थे, इसलिए खोजी कुत्ता हत्यारे के बारे में कोई भी सुराग नहीं दे सका.

लोगों के मन में इस बात को ले कर आक्रोश था कि घटनास्थल से थाना मात्र 300 मीटर की दूरी पर है, इस के बावजूद पुलिस सूचना देने के आधा घंटे बाद घटनास्थल पर आई.

गुस्साए लोगों को एसएसपी सचींद्र पटेल ने भरोसा दिया कि इस जघन्य घटना का शीघ्र खुलासा कर दिया जाएगा. डौग स्क्वायड व फोरैंसिक टीम का काम निपट जाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दीं.

एसएसपी सचींद्र पटेल ने हत्यारों के शहर से बाहर भागने की बात के मद्देनजर पुलिस को रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड तथा प्राइवेट बस स्टैंड पर चैकिंग करने के आदेश दिए.

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