0:00
12:24

दीप्ति और प्रमोद पाटनकर की अच्छीभली गृहस्थी थी, दोनों खूब खुश और सुखी थे. लेकिन जब दीप्ति का पूर्व मंगेतर मेहमान बन कर घर आया तो उस ने दीप्ति की ऐसी सोच बदली कि वह...

प्रमोद अनंत पाटनकर भारतीय जीवन बीमा निगम में अधिकारी थे. वह अपने परिवार के साथ ठाणे के उपनगर मीरा भायंदर स्थित शिवदर्शन सोसायटी में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी दीप्ति पाटनकर के अलावा लगभग 4 साल की एक बेटी थी. इस छोटे से परिवार में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी.

बात 15 जुलाई, 2019 की है. उस समय रात के करीब 11 बजे थे. दीप्ति की बेटी ननिहाल में थी. दीप्ति बेटी से मिल कर अपने फ्लैट पर लौटी तो दरवाजा बंद था. कई बार डोरबैल बजाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो उस ने पर्स में रखी दूसरी चाबी से दरवाजा खोला. उस ने अंदर जा कर देखा तो वहां का नजारा देख मुंह से चीख निकल गई. उस के पति प्रमोद अनंत पाटनकर की लाश फर्श पर पड़ी थी. उस के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग आ गए. उन सभी के मन में यह जिज्ञासा थी कि पता नहीं प्रमोदजी के फ्लैट में क्या हो गया. लोग फ्लैट के अंदर पहुंचे तो बैडरूम के फर्श पर प्रमोद पाटनकर की लाश देख कर स्तब्ध रह गए. फ्लैट का सारा सामान बिखरा पड़ा था. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि यह सब कैसे हो गया.

दीप्ति ने उस समय अपने आप को किसी तरह संभाला और मामले की जानकारी करीब ही रहने वाले अपने पिता भानुदास भावेकर को दी. बेटी के फ्लैट में घटी घटना के बारे में सुन कर वह अवाक रह गए. उन्होंने रोतीबिलखती बेटी दीप्ति को धीरज बंधाया, फिर मामले की जानकारी स्थानीय नवघर थाने में दे दी साथ ही अपने परिवार के साथ दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...