इंसानी दिमाग की फितरत को समझ पाना आसान नहीं होता. भ्रमित व्यक्ति अगर गुस्से में प्रतिशोध लेने की ठान ले तो वह किसी भी हद तक जा सकता है. दिलीप उर्फ दीपा की मिसाल सामने है. उस की करतूत..

सौरभ गुप्ता जब डा. दीपक गुप्ता के घर पहुंचे तब उन के होंठों पर भावभीनी मुसकराहट थी और मन में प्रसन्नता. जिस गली में डा. गुप्ता का घर था, उस में लोगों की आवाजाही थी. कहीं भी ऐसा कुछ नहीं था जो अजीब सा लगे.

सौरभ ने डा. दीपक गुप्ता का दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला. न ही अंदर कोई प्रतिक्रिया हुई. इस पर सौरभ ने धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया.

दरवाजे के अंदर डा. दीपक का 2 साल का बेटा दिवित जिसे प्यार से सब लाला कहते थे, खड़ा था. उस के दोनों हाथ व कपड़े खून से रंगे हुए थे. घर में सन्नाटा पसरा था. सौरभ ने किसी अनहोनी की आशंका से जैसे ही मकान में प्रवेश किया, तो सामने ही डा. गुप्ता की 70 वर्षीय मां शिवदेवी की लाश पड़ी थी.

घबराहट में सौरभ की नजर कमरे में गई तो वहां दीपक के बड़े भाई अमित की 35 वर्षीय पत्नी रानी गुप्ता की खून से लथपथ लाश नजर आई. चारों ओर खून फैला हुआ था. यह मंजर देख सौरभ का कलेजा कांप उठा और मुंह से चीख निकल गई.

इस बीच बालक दिवित दरवाजे से बाहर निकल गया था. मकान के बगल में ही चूड़ी का कारखाना था. कारखाने में लोग काम कर रहे थे. चूड़ी के गोदाम पर बैठे रामू गुप्ता की नजर दिवित पर गई तो उस के हाथों और कपड़ों पर खून देख कर उन्हें लगा कि उसे शायद गिरने से चोट लग गई है.

उन्होंने दिवित को गोद में उठा लिया और उस की चोट तलाशने लगे. तभी सौरभ चीखते हुए घर के बाहर आए. उन के शोर मचाने पर आसपास के लोग आ गए.

यह बात 8 अगस्त, 2019 की है. घटना का समय साढ़े 11 बजे. घटनास्थल दुनिया भर में कांचनगरी के नाम से प्रसिद्ध फिरोजाबाद का मोहल्ला नया रसूलपुर. सौरभ गुप्ता डा. दीपक के दोस्त थे और उन से मिलने आए थे.

डा. प्रदीप गुप्ता के घर के बाहर एकत्र लोगों को लगा कि हत्या करने के बाद बदमाश शायद छत पर चढ़ कर छिप गए होंगे, इसी आशंका के चलते लोग लाठीडंडे ले कर मकान की छत पर गए, लेकिन वहां कोई नहीं मिला.

यह मकान शहर के नामचीन बालरोग विशेषज्ञ डा. एल.के. गुप्ता का पैतृक मकान था, जिस में उन के तीसरे नंबर के भाई डा. दीपक गुप्ता अपनी पत्नी, बेटे, दूसरे नंबर के भाई अमित गुप्ता, उन की पत्नी रानी और मां शिवदेवी के साथ रहते थे.

डा. एल.के. गुप्ता अपने परिवार और वृद्ध पिता डा. वेदप्रकाश के साथ शहर के ही मोहल्ला नई बस्ती में रहते थे. उन का सब से छोटा भाई पिंटू भी उन्हीं के साथ रहता था.

सौरभ ने फोन कर के घटना की जानकारी डा. दीपक गुप्ता व उन के बड़े भाई डा. एल.के. गुप्ता को दे दी. साथ ही उन्होंने घटना की सूचना देने के लिए थाना रसूलपुर के थानाप्रभारी बी.डी. पांडे को देने की कोशिश की, लेकिन उन का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस पर उन्होंने 100 नंबर पर काल की. लेकिन कई बार नंबर डायल करने के बाद भी काल रिसीव नहीं की गई.

अंतत: उन्होंने यह सूचना एसएसपी सचींद्र पटेल को दे दी. एसएसपी के निर्देश पर दोपहर करीब 12 बजे एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह, सीओ (सिटी) इंदुप्रभा सिंह पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

जब यह सूचना डा. एल.के. गुप्ता को मिली, तब वह और उन की पत्नी डा. नीता गुप्ता मैडिकल कालेज, फिरोजाबाद में मरीजों को देख रहे थे. आननफानन में डा. एल.के. गुप्ता पत्नी के साथ पैतृक घर पहुंच गए. कुछ देर में अन्य घर वाले भी वहां जा पहुंचे.

पुलिस ने घटनास्थल को पीला फीता लगा कर सील कर दिया ताकि सबूतों से किसी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके. इस के बाद थानाप्रभारी बी.डी. पांडे भी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी सचींद्र पटेल व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार भी आ गए थे.

फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया गया था. दिनदहाड़े हुए इस डबल मर्डर की खबर कुछ ही देर में पूरे इलाके में फैल गई. देखते ही देखते मौके पर लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो गई.

लोगों के आक्रोश व भीड़ बढ़ती देख किसी अनहोनी की आशंका से अधिकारियों को फिरोजाबाद के थाना दक्षिण, थाना उत्तर व थाना लाइनपार के अलावा जिले के अन्य थानों से भी फोर्स मंगानी पड़ी. सूचना पर सीओ (टूंडला) डा. अरुण कुमार सिंह, सीओ (सिरसागंज) संजय वर्मा भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने शवों का निरीक्षण किया तो पता चला दोनों महिलाओं की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. कमरे में रानी का शव पड़ा था. शव के पास ही सोने की चूड़ी, हथौड़ा व चाकू पड़ा मिला. दोनों महिलाओं की हत्या गला रेत कर की गई थी. रानी के पैरों के पास ही सास शिवदेवी का शव पड़ा था. उन के पैर कमरे के बाहर आंगन में थे.

निरीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आई कि खुद को हत्यारे से बचाने के लिए सासबहू ने काफी संघर्ष किया था क्योंकि दोनों के गले कटे होने के अलावा उन के शरीर पर भी कई जगह चोट के निशान थे. घटनास्थल के हालात देखने से लग रहा था कि रानी की हत्या पहले हुई. उस समय सास शिवदेवी ऊपर वाले कमरे में रही होंगी. ऊपर की मंजिल पर पड़े लोहे के जाल के पास लगे नाली के पाइप पर भी खून लगा था.

पुलिस का अनुमान था कि शिवदेवी के सिर पर पहले हथौड़े से प्रहार किया गया, बाद में उन्हें घसीटते हुए नीचे लाया गया. नीचे ला कर उन की भी गला रेत कर हत्या कर दी गई. घर में चारों तरफ खून फैला हुआ था.

नीचे वाले कमरे में पलंग के पास रखी अलमारी खुली हुई थी और उस का सामान बिखरा पड़ा था. मकान के ऊपर वाले हिस्से में सीढि़यों के बाईं तरफ वाले कमरे में रखी अलमारी भी टूटी हुई थी. उस का सामान भी बिखरा पड़ा था. दूसरे कमरे में रखी अलमारी का केवल हैंडल टूटा था. अनुमान था कि इस अलमारी को भी खोलने का प्रयास किया गया था, लेकिन हत्यारे सफल नहीं हो सके थे.

इस बीच फोरैंसिक टीम ने अलमारी व अन्य स्थानों से फिंगरप्रिंट व अन्य साक्ष्य एकत्र किए. घर वालों ने बताया कि मकान के ऊपरी हिस्से में छोटा भाई डा. दीपक गुप्ता, उन की पत्नी डा. दीप्ति गुप्ता, मां शिवदेवी और 2 बेटे दर्श व दिवित रहते थे, जबकि नीचे वाले हिस्से में दूसरे नंबर का भाई अमित गुप्ता अपनी पत्नी रानी, बेटी रिया व बेटे ईशू के साथ रहता था.

दिवित को छोड़ कर बाकी बच्चे स्कूल गए हुए थे. अमित की अपनी पैथलैब थी. घटना के बाद सभी बच्चों को स्कूल से बुला लिया गया.

सदर विधायक मनीष असीजा उस दिन लखनऊ में थे. घटना की जानकारी मिलने पर उन्होंने इस बारे में गृह सचिव व डीजीपी को बताया. डीजीपी तक मामला पहुंचने के बाद दोपहर लगभग सवा 2 बजे आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश अपने साथ डौग स्क्वायड की टीम ले कर मौकाएवारदात पर पहुंच गए.

खोजी कुत्ते के आने से पहले तक गली के अंदर व घटनास्थल पर सैकड़ों लोग आ जा चुके थे, इसलिए खोजी कुत्ता हत्यारे के बारे में कोई भी सुराग नहीं दे सका.

लोगों के मन में इस बात को ले कर आक्रोश था कि घटनास्थल से थाना मात्र 300 मीटर की दूरी पर है, इस के बावजूद पुलिस सूचना देने के आधा घंटे बाद घटनास्थल पर आई.

गुस्साए लोगों को एसएसपी सचींद्र पटेल ने भरोसा दिया कि इस जघन्य घटना का शीघ्र खुलासा कर दिया जाएगा. डौग स्क्वायड व फोरैंसिक टीम का काम निपट जाने के बाद पुलिस ने दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दीं.

एसएसपी सचींद्र पटेल ने हत्यारों के शहर से बाहर भागने की बात के मद्देनजर पुलिस को रेलवे स्टेशन, रोडवेज बस स्टैंड तथा प्राइवेट बस स्टैंड पर चैकिंग करने के आदेश दिए.

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