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35 वर्षीय समाधान पाषाणकर पुणे में रहता था और वहां की एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. उस की शादी हो चुकी थी. उस की पत्नी बैंक में नौकरी करती थी. उस के 2 बच्चे भी थे.
जब तक समाधान प्रमोद पाटनकर और दीप्ति के यहां रहा, तब तक दोनों ने मिल कर समाधान का बहुत ध्यान रखा, जिस में दीप्ति की भूमिका कुछ अधिक थी.
4-5 दिन रहने के बाद जब वह वापस पुणे जाने लगा तो उस ने प्रमोद पाटनकर और दीप्ति का आभार प्रकट किया. प्रमोद पाटनकर और दीप्ति ने औपचारिकता के नाते उस के आभार का उत्तर देते हुए कहा कि घर उस का ही है, कभी भी आ जा सकता है.
अंधे को और क्या चाहिए, सिर्फ 2 आंखें. प्रमोद पाटनकर और दीप्ति का मन टटोलने के बाद समाधान को मानो उस की मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. 4-5 दिनों तक दीप्ति के परिवार के साथ रह कर समाधान के दिल में दीप्ति का तनमन पाने के लिए एक अजीब सी चाह बन गई थी.
वह उस का सामीप्य पाने के लिए अकसर किसी न किसी बहाने मुंबई आता और प्रमोद पाटनकर के घर को अपना आशियाना बना कर दीप्ति के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता.
दीप्ति भी कोई बच्ची नहीं थी, वह समाधान के हावभाव की भाषा अच्छी तरह समझती थी. वैसे भी प्रमोद से पहले दीप्ति की शादी उसी से होने वाली थी. समाधान अकसर हंसीमजाक करते हुए ठंडी आहें भर कर कहता, ‘‘दीप्ति, तुम्हारा घर मुझे अपने घर जैसा लगता है. मेरे आने पर तुम अपने काम से छुट्टी ले कर मेरा कितना ख्याल रखती हो.’’
‘‘यह भी तो तुम्हारा ही घर है.’’ दीप्ति ने उस के प्रश्न का उत्तर उसी के शब्दों में दिया.
‘‘यह घर मेरा कहां है, यह तो तुम्हारे पति का है. लेकिन तुम मुझे अपनी जैसी लगती हो, इसलिए मैं यहां आ जाता हूं.’’ समाधान ने कहा तो दीप्ति के गालों पर लाली उतर आई. लेकिन वह बोली कुछ नहीं.
उस की इस खामोशी को समाधान ने ही तोड़ा, ‘‘दीप्ति, बताओ तुम मुझे क्या समझती हो. वक्त साथ देता तो आज तुम मेरी पत्नी होतीं, लेकिन तुम मेरे नसीब में नहीं थीं.’’
‘‘अब बोलने से क्या फायदा,जो होना था हो गया. पत्नी तो अच्छी है न?’’ दीप्ति ने कहा.
‘‘हां, लेकिन तुम्हारी जैसी नहीं है,’’ ठंडी आह भरते हुए समाधान बोला, ‘‘दीप्ति एक बात कहूं, अगर तुम मानो तो. अभी भी वक्त है. हम दोनों एक हो सकते हैं.’’
समाधान ने दीप्ति को अपनी बातों से कुछ इस तरह प्रभावित किया कि वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और 10-12 साल के अपने सुखी दांपत्य को दांव पर लगा दिया. वह पति के प्रति वफादारी भूल कर समाधान की बाहों में आ गिरी. एक बार जब मर्यादा की कडि़यां टूटीं तो फिर टूटती ही चली गईं.
समय अपनी गति से भाग रहा था. दीप्ति और समाधान के बीच बने अवैध संबंध 4 साल बीत जाने के बाद भी प्रमोद पाटनकर की नजरों से छिपे रहे. इस बीच दीप्ति एक बेटी की मां बन गई, जिस का नामकरण प्रमोद पाटनकर ने बड़ी धूमधाम से किया था.
अंतत: एक दिन दीप्ति और समाधान के रिश्ते की सच्चाई प्रमोद के सामने आ गई. दरअसल, एक दिन प्रमोद जब दीप्ति से मिलने उस के स्कूल गया तो दीप्ति स्कूल में नहीं मिली. पता चला कि उस दिन वह स्कूल आई ही नहीं थी.
शाम को प्रमोद जब घर पहुंचा तो उस ने दीप्ति से स्कूल से अनुपस्थित होने के बारे में पूछा. दीप्ति तबीयत खराब होने का बहाना बना कर बात को टाल गई. इस के बाद वह सावधान हो गई और उस ने समाधान को भी सतर्क कर दिया.
समाधान के पास पैसों की कमी नहीं थी. अब वह जब भी दीप्ति से मिलने मुंबई आता तो उस के घर न जा कर किसी होटल में ठहरता था. मौका देख दीप्ति किसी पार्टी में जाने या फिर सहेलियों से मिलने के बहाने समाधान के पास पहुंच जाती थी. लेकिन यह खेल भी ज्यादा दिनों तक नहीं चला.
घटना से लगभग एक माह पहले दीप्ति का मोबाइल प्रमोद के हाथ लग गया. प्रमोद ने उस के फोन का वाट्सऐप चैक किया तो उस में उसे समाधान के साथ हुई चैटिंग मिल गई. उस दिन भी समाधान ने दीप्ति को चर्चगेट, मुंबई के एक होटल में बुलाया था.
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बनसंवर कर दीप्ति जब घर से बाहर गई और शाम तक नहीं लौटी तो प्रमोद ने उसे आड़े हाथों लिया. प्रमोद ने उस के मैसेज और उस का पीछा करने की बातें उस से कहीं तो दीप्ति के होश उड़ गए. अब वह झूठ नहीं बोल सकती थी. स्थिति को संभालने के लिए दीप्ति ने पति से माफी मांगी और दोबारा समाधान से न मिलने की कसम खाई
प्रमोद ने उसे माफ भी कर दिया. लेकिन घनिष्ठ संबंधों में ऐसे कसमेवादों का कोई महत्त्व नहीं होता. दीप्ति को भी प्रमोद की अपेक्षा समाधान ज्यादा पसंद था. इसलिए वह पति को अपने प्यार के रास्ते का कांटा समझने लगी. इस कांटे को वह हमेशा के लिए खत्म करना चाहती थी. इस बारे में उस ने समाधान से बात की तो वह भी तैयार हो गया. अपनी योजना के अनुसार, घटना के एक सप्ताह पहले समाधान ने दीप्ति को 2 बार नींद की गोलियां ला कर दीं.
दीप्ति ने प्रमोद पाटनकर को 2 बार 10-10 गोलियां चाय में मिला कर दीं. लेकिन प्रमोद पर उन का असर नहीं हुआ. तीसरी बार घटना के एक दिन पहले समाधान ने नींद की 20 गोलियां दीप्ति को ला कर दीं और सभी गोलियां एक साथ देने के लिए कह दिया.
शाम साढ़े 7 बजे औफिस से लौटने के बाद दीप्ति ने पति प्रमोद पाटनकर के साथ वैसा ही किया, जैसा कि समाधान ने उसे कहा था. उस ने नींद की 20 गोलियां चाय में घोल कर पति को दे दीं.
आधापौना घंटा बाद जब प्रमोद पाटनकर पर नींद की गोलियों का पूरा असर हो गया तो दीप्ति ने समाधान पाषाणकर को फोन कर अपने घर बुला लिया.
समाधान आधे घंटे में दीप्ति के फ्लैट पर पहुंच गया. फिर दोनों ने मिल कर बैड पर गहरी नींद में पडे़ प्रमोद पाटनकर को मौत के घाट उतार दिया. दीप्ति ने कस कर पति के पैर पकड़े और समाधान ने उस के गले में रस्सी डाल कर कस दी.
प्रमोद की हत्या के बाद दोनों ने शव को बैड से उठा कर फर्श पर डाला और उसी बैड पर तनमन की प्यास बुझाई. इस के बाद दीप्ति अपने मायके चली गई थी, जबकि समाधान पुलिस की जांच को गुमराह करने के प्रयास में जुट गया था. उस ने अपने होंठों पर लिपस्टिक लगा कर मेज पर रखे चाय के एक खाली कप पर होंठ से लिपस्टिक का निशान बना दिया था.
फिर अलमारी का सामान निकाल कर उस ने पूरे फ्लैट में फैला कर प्रमोद पाटनकर के बिस्तर के नीचे कंडोम का पैकेट रख दिया. इस के बाद वह उस का मोबाइल फोन व जेब में रखे 3 हजार रुपए निकाल कर ले गया.
समाधान पाषाणकर के जाने के कुछ समय बाद दीप्ति पाटनकर अपने फ्लैट पर लौट आई और चीखनेचिल्लाने लगी.
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दीप्ति से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने समाधान पाषाणकर को भी गोरेगांव के एक लौज से गिरफ्तार कर लिया.
समाधान पाषाणकर और दीप्ति पाटनकर से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने थाना नवघर में दोनों के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 201, 328 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर के दोनों को थाणे की तलौजा जेल भेज दिया. मामले की आगे की जांच असिस्टेंट इंसपेक्टर साहेब पोटे कर रहे थे.