पिछले कुछ सालों में हनीट्रैप के तमाम मामले सामने आए हैं, लेकिन इन में ज्यादातर मामले बड़े शहरों और पैसे वाले लोगों से जुड़े थे. लेकिन अब लगता है कि हनीट्रैप के पांव गांवों की ओर भी बढ़ चले हैं. यहां हम 3 ऐसी ही…
बदलते परिवेश में एक तरफ जहां महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं, वहीं दूसरी ओर अपराधों में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है. इस की वजह जो भी हो, लेकिन कुछ महिलाएं मोटी कमाई के चक्कर में अपना जमीर तक बेच देती हैं.
ऐसी महिलाएं किसी व्यक्ति को अपने आकर्षणपाश में फांस कर उसे ब्लैकमेल करती हैं और मोटी रकम वसूलती हैं. उन के लिए यह मोटी कमाई का आसान जरिया होता है.
प्रस्तुत कथा ऐसे ही अलगअलग गिरोहों की है, जिन में महिलाएं भी शामिल थीं. गैंग के सदस्य शिकार को अपने जाल में इतनी आसानी से फांसते थे कि उस का उन के चंगुल से निकलना मुश्किल हो जाता था. इन की पहली चाल शुरू हो जाती थी ब्लैकमेलिंग से.
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14 अगस्त, 2019 को सिद्धमुख (चुरू) गांव में डेयरी पर नौकरी करने वाले सागर शर्मा के घर विपिन शर्मा अपनी पत्नी रितु शर्मा को ले कर पहुंचा. 6 महीने पहले वह पत्नी के साथ उसी डेयरी पर बने कमरे में किराए पर रहता था और सिद्धमुख गांव में गोलगप्पे की रेहड़ी लगाता था. बाद में वह कमरा खाली कर जयपुर चला गया था. सागर शर्मा ने दोनों की आवभगत की. फिर सागर और विपिन में इधरउधर की बातें होने लगीं.
उसी दौरान चाय का घूंट लेते हुए विपिन ने सागर से कहा, ‘‘भैया, मुझे रुपयों की सख्त जरूरत है. प्लीज, एक लाख रुपए उधार दे दो. अगर आप के पास नहीं हैं तो किसी से उधार ले कर दे दो. मैं अगले महीने सूद सहित लौटा दूंगा.’’
‘‘देखो विपिन, तुम्हें तो पता ही है कि मैं विनोद सेठ की दूध डेयरी पर नौकरी करता हूं. मेरे लिए यह बहुत बड़ी है. अगर तुम्हें 2-4 हजार की जरूरत हो तो मालिक से ले कर दे सकता हूं.’’ सागर ने कहा.
सागर के इस जवाब पर विपिन व रितु मुंह लटका कर वहां से चले गए. अगले दिन 16 अगस्त की सुबह सागर के मोबाइल पर विपिन की काल आई. उस ने काल रिसीव की तो विपिन ने उसे गालियां देते हुए कहा, ‘‘तू बड़ा कमीना निकला सागर. तूने दोस्ती की आड़ में मेरे साथ दगा किया है. मेरी बीवी के साथ गलत काम करते हुए कुछ तो शरम कर लेता.’’
इतना सुन कर सागर के होश उड़ गए. वह बोला, ‘‘अरे भैया, यह तुम क्या कह रहे हो. तुम भी तो भाभी के साथ थे. यह सरासर झूठ है.’’
‘‘देख सागर, तेरे कहने से कुछ नहीं होगा. जब रितु थाने जा कर तेरे खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाएगी तो तुझे दिन में तारे दिखाई दे जाएंगे.’’ विपिन ने सागर को धमकी दी.
सागर बालबच्चेदार था. बात झूठ थी फिर भी जलालत की सोच कर उस की रूह कांप गई. विपिन उसे फिर से गाली देते हुए बोला, ‘‘अब जल्दी से 25 लाख रुपयों का इंतजाम कर ले. नहीं तो तुझे जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता.’’
विपिन के साथी गौरधन मीणा ने उस से फोन ले कर सागर को घुड़का. उस ने कहा, ‘‘जैसा विपिन कह रहा है, मान ले. विपिन को राजी कर ले, नहीं तो जेल में सड़ेगा.’’
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सागर ने उसे बताया कि उस के पास इतने पैसे नहीं हैं, जो बन सकेंगे, वह दे देगा.
‘‘ठीक है, अब मैं बाद में बात करूंगा.’’ कह कर विपिन ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
अचानक आई इस मुसीबत से सागर घबरा गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि वह इस परेशानी से कैसे बाहर निकले. उसी रात विपिन ने सागर को फिर फोन किया.
वह बोला, ‘‘देख सागर, तेरे लिए 25 लाख का इंतजाम करना संभव नहीं है तो तू 15 लाख का इंतजाम कर ले. इतने में मामला सैटल हो जाएगा नहीं तो कल मीडिया में तेरी काली करतूत सामने आएगी तो तू जरूर आत्महत्या कर लेगा.’’
इस धमकी से सागर और भी ज्यादा डर गया. चूंकि विपिन पहले डेयरी मालिक विनोद अग्रवाल के यहां किराए पर रहता था, इसलिए विपिन को समझाने के लिए सागर ने अपने मालिक की विपिन से बात कराई. लेकिन विपिन नहीं माना.
2 दिनों बाद विपिन ने विनोद अग्रवाल को फोन कर कहा कि अगर 15 लाख का इंतजाम न हो पा रहा हो तो 10 लाख का जुगाड़ कर लो. इतने पैसों में मामला रफादफा कर देंगे. विपिन ने यह भी विश्वास दिलाया कि रकम मिलने पर रितु स्टांप पेपर पर लिख कर सागर को क्लीन चिट दे देगी.
अगले दिन सागर के पास फिर विपिन का फोन आया. वह बोला, ‘‘देख सागर रितु की बुआ रावतसर में रहती है. तू कल रकम ले कर रावतसर आ जा. 8 लाख से काम चल जाएगा. कल अगर सारे पैसों की व्यवस्था न हो पाए तो अगले दिन के चेक दे देना.’’
‘‘ठीक है, मैं पहुंच जाऊंगा.’’ सागर ने उस से कहा.
11 सितंबर को विपिन, रितु, बाबूलाल कीर, गोरेधन मीणा व मूलचंद मीणा को ले कर रावतसर आ गया. सागर भी रावतसर आ गया था. वे लोग रावतसर से 7 किलोमीटर दूर चाइया गांव के पास एक होटल में रुके. विपिन ने फोन कर सागर को भी वहीं बुला लिया था.
वहां पहुंचते ही सब लोग सागर को एक सुनसान जगह पर ले गए. उसे डराधमका कर उन लोगों ने सागर की जेब से 60 हजार रुपए निकाल लिए. बकाया रकम के लिए उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के 7,40,000 के 2 चैक ले लिए.
सागर को साथ ले कर वे लोग रावतसर के तहसील कार्यालय पहुंच गए. रितु ने 50 रुपए को स्टांप पेपर पर लिख कर दे दिया कि अब उसे सागर शर्मा से कोई शिकायत नहीं है.
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उस की एक फोटोकौपी उस ने सागर को दे कर बाकी रकम अगले दिन तक देने को कह दिया. इस के बाद सागर घर लौट गया. विपिन भी गिरोह के साथ रिश्तेदारी में चला गया.
सागर को बाकी की रकम देने की चिंता थी. उधर विपिन ने विनोद सेठ को फोन कर रकम का तकाजा कर दिया था. अगले दिन सागर विपिन के बताए अनुसार उसी होटल पर पहुंच गया. दूसरी तरफ विनोद ने विपिन को फोन कर रावतसर पहुंचने की सूचना दे दी थी. विनोद अपने एक दोस्त के साथ पहले ही रावतसर पहुंच गया था.