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WhatsApp न्यूज ग्रुप के लिए लेना होगा लाइसेंस

जम्मू-कश्मीर में अब व्हाट्स ऐप न्यूज ग्रुप के लिए लाइसेंस लेना जरूरी होगा. अफवाहों को रोकने के लिए प्रशासन की ओर से ये आदेश जारी किए गए हैं.

इस बारे में 18 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया गया है. दरअसल कश्मीर के अलावा देश के कई हिस्सों में अक्सर पत्रकार न्यूज को साझा करने के लिए ग्रुप बना लेते हैं, कई बार इसमें प्रशासनिक अधिकारियों को भी शामिल कर लिया जाता है. कश्मीर में कई न्यूज व्हाट्स ऐप ग्रुप हैं.

इस आदेश के मुताबिक अतिरिक्त सूचना अधिकारी इन ग्रुप्स पर नजर रखेंगे और जिला अधिकारियों को सूचना देंगे. ग्रुप में की जाने वाली किसी भी पोस्ट या कमेंट के लिए एडमिनिस्ट्रेटर को जिम्मेदार माना जाएगा.

इस आदेश में सरकारी कर्मचारियों को हिदायत दी गई है कि सरकार की नीतियों को लेकर कोई पोस्ट या टिप्पणी न करें. ऐसा करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. हंदवाड़ा की घटना के बाद से ही कश्मीर पुलिस इन व्हाट्स ऐप ग्रुप को लेकर चिंतित है. उसका आरोप है कि कुछ व्हाट्स ऐप ग्रुप पर इस घटना के मद्देनजर अफवाहें फैलाई गईं.

25 लाख से अधिक भारतीय आरएचडी से ग्रस्त

देश में 25 लाख से अधिक लोग हृदय वॉल्व के बंद या खुले रहने से संबंधित बीमारी र्यूमैटिक हार्ट डिजीज से पीड़ित हैं. कार्डियोलोजी फोर्टिस अस्पताल के निदेशक वीके शर्मा ने शनिवार को कहा, 'एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 25 लाख से अधिक मरीज आरएचडी से ग्रस्त हैं, जिसमें हृदय के चार वॉल्वों में एक या अधिक बंद हो जाते हैं या खुले रह जाते हैं.'

उन्होंने बताया कि जम्मू में ही हर 20 हजार पर तीन लोग आरएचडी से ग्रस्त हैं. शर्मा ने कहा, 'आरएचडी से ग्रस्त मरीजों को उनके प्राथमिक डॉक्टर आमतौर पर बहुत बाद में इसके बारे में जानकारी देते हैं और तब तक इलाज असंभव हो जाता है. यदि मरीज को पहले ही बता दिया जाए तो उसका जीवन बचाया जा सकता है. उच्च रक्तचाप और मधुमेह खामोश हत्यारे हैं और अगर समय पर इनका पता न चले तो यह गंभीर समस्याएं पैदा कर देते हैं.'

 

रिवॉल्वर रानी के घर पहुंची साइबर सेल

रितिक ने फेक मेल आईडी मामले में कुछ और जानकारियां पुलिस को मुहैया कराई हैं. पुलिस का कहना है कि वह गवाह के तौर पर 30 अप्रैल को कंगना का बयान दर्ज कर सकती है.

बॉलीवुड अभिनेता रितिक रोशन और कंगना रनौत के बीच तकरार रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. लेकिन हाल ही में रितिक ने कहा था कि उन्हें कंगना को लेकर किसी भी बात से कोई गिला शिकवा नहीं है वह तो बस उस व्यक्ति को तलाश रहे हैं जिसकी वजह से यह विवाद शुरु हुआ है. रितिक की इन बातों से लग रहा था कि यह विवाद अब यहीं खत्म हो जाएगा.

लेकिन इसके बाद रितिक ने सोमवार को कुछ सबूत दिए हैं जिसे देखने के बाद इस मामले पर विराम लगते हुए नहीं दिख रहा. खबरों के अनुसार रितिक ने फेक ईमेल आइडी के मामले में पुलिस को कुछ नए सबूत दिए है.

रितिक की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि उनके नाम से एक फर्जी ई-मेल आईडी बनाई गई थी और उससे कंगना को मेल भेज गए थे. इस मामले में कंगना ने अब तक अपना बयान दर्ज नहीं कराया है.

सायबर सेल के पुलिस अधिकारियों ने सोमवार सुबह कंगना के घर पर दस्तक दी. सुबह साढ़े दस बजे पहुंची पुलिस को वहां से यह कहकर लौटा दिया गया कि कंगना घर पर नहीं हैं. इसके बाद पुलिस का कहना है कि वह 30 अप्रैल को कंगना से पूछताछ कर सकती है.

रितिक के वकील ने बताया, 'मीडिया में कई बयान देने की बजाय उन्हें (कंगना) साइबर अपराध शाखा में अपना एक आधिकारिक बयान दर्ज करवाना चाहिए, जिससे जांच में मदद मिलेगी. वे साफ तौर पर मीडिया जंग में ज्यादा रुचि रखती हैं. उनके द्वारा अधिकारियों के समक्ष अपना आधिकारिक बयान दर्ज न कराने की वजह से पूरी जांच प्रक्रिया रुक गई है.'

वहीं कंगना के वकील ने इस कहा कि अगर रितिक का अकाउंट हैक कर लिया गया था तो अब तक उन्होंने कुछ किया क्यों नहीं.

अंतरिक्ष से कुछ ऐसा दिखता है बैंकौक

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर बीते कुछ समय से मौजूद नासा के एस्‍ट्रोनॉट (फ्लाइट इंजीनियर) टिम कोपरा अब तक पृथ्‍वी की कई तस्‍वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर कर चुके हैं. आईएसएस से ली गई पृथ्‍वी की कई रोचक तस्‍वीरों से हम अभी तक रूबरू हो चुके हैं.

अंतरिक्ष से पृथ्‍वी की तस्‍वीरों को लेकर इसे सोशल मीडिया पर शेयर करके टिम कोपरा अक्‍सर चौंकाते हैं. हाल में उन्‍होंने बैंकॉक का एक अदभुत नजारा अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया है. उन्‍होंने इस तस्‍वीर के नीचे लिखा, वन नाइट इन #बैंकॉक. #गुड नाइट फ्रॉम@स्‍पेस_स्‍टेशन #थाइलैंड#सिटीज फ्रॉम स्‍पेस.

 

पीएफ निकासीः सरकार ने पीछे हटाए कदम

भविष्य निधि (पीएफ) निकासी के नियम कड़े करने के चौतरफा विरोध के बीच केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना को रद्द कर दिया. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यह जानकारी दी. आइए जानते हैं वो चार कारण, जिसने सरकार को अपने कदम वापस लेने पर मजबूर कर दिया.

सवालः पीएफ के किस नियम में बदलाव का चौतरफा विरोध हो रहा था?

जवाबः नए नियम में 58 साल की उम्र से पहले पीएफ निकालने पर पांबदी लगाई थी.

सवालः सरकार द्वारा फैसला वापस लेने पर क्या असर पड़ेगा? 

जवाबः पुराना नियम लागू. 60 दिन बेरोजगार रहे तो पूरा पैसा निकाल सकेंगे.

सवालः अगर नया नियम लागू कर दिया जाता तो क्या होता?

जवाबः सिर्फ गंभीर बीमारी, बच्चों की पढ़ाई, शादी और घर के लिए ही 58 साल से पहले पूरा पैसा निकाल सकते थे.

सवालः क्या पुराने नियम में ऐसी कोई सुविधा मौजूद है?

जवाबः बच्चों की शादी, गंभीर बीमारी और घर निर्माण के लिए पीएफ का कुछ हिस्सा निकालने की छूट है. बच्चों की शिक्षा के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

तीन माह के लिए अभी टाला है फैसला

दत्तात्रेय ने कहा कि पीएफ निकालने की पुरानी प्रणाली ही जारी रहेगी. इस फैसले से कुछ ही घंटे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि वह 10 फरवरी को जारी अधिसूचना को तीन माह के लिए टाल रही है.

दत्तात्रेय ने कहा कि वह ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड से फैसले की पुष्टि कराएंगे. उन्होंने कहा कि भविष्य निधि से निकासी नियमों को कड़ा करने का फैसला भी ट्रेड यूनियनों की राय से लिया गया था. अब जब ट्रेड यूनियन अनुरोध कर रहे हैं, तब हमने निर्णय वापस ले लिया.

इस मुद्दे पर कर्नाटक के वस्त्र उद्योग के श्रमिक दो दिन से विरोध कर रहे थे. जिसने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया. बेंगलुरु में आगजनी तोड़फोड़ की गई. इसके अलावा, सरकार के निर्णय के खिलाफ ऑनलाइन अभियान भी चलाया जा रहा था.

 

VIDEO: जब सचिन ने 16 की उम्र में पकड़ा जबरदस्त कैच

सचिन तेंदुलकर. क्रिकेट की दुनिया का ऐसा नाम, जिसे आज भी अदब से लिया जाता है. क्रिकेट का भगवान. 16 साल की उम्र में ही सचिन ने क्रिकेट के बड़े सूरमाओं को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था.

सचिन न सिर्फ एक बेहतरीन बल्लेबाज थे, बल्कि वो शानदार फील्डर भी थे. आज हम आपको एक ऐसा वीडियो दिखाएंगे, जिसमें 16 साल के सचिन ने बाउंड्री से 13-14 यार्ड दूरी पर उछले कैच को भागकर लपक लिया था.

आप भी देखिए ये वीडियो…

 

आ गया है ‘वीरप्पन’, खून-खराबे से लैस ट्रेलर रिलीज

राम गोपाल वर्मा की आने वाली फिल्म 'वीरप्पन' का ट्रेलर रिलिज हो गया है. यह फिल्म कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन के जीवन पर आधारित है. यह फिल्म हिंदी के अलावा कन्नड़, तेलुगु और तमिल भाषा में भी रिलीज होगी. फिल्म में वीरप्पन का किरदार संदीप भारद्वाज ने निभाया है. फिल्म का निर्देशन रामगोपाल वर्मा ने किया है और प्रोड्यूसर सचिन जोशी हैं .

इस साल की शुरूआत में आई रामगोपाल की कन्नड़ फिल्म 'किलिंग वीरप्पन' को काफ़ी सराहना मिली.अब रामू इस फ़िल्म को बॉलीवुड में बना रहे हैं लेकिन एक बड़े बजट के साथ.

रामू बताते हैं, "मैं जानता हूं मेरी पिछली फ़िल्में फ़्लॉप रही हैं लेकिन इस कहानी में और इस कैरैक्टर में मेरा पूरा भरोसा है. मुझे लगता है कि यह हिट रहेगा."

फिल्म का ट्रेलर सन्नाटे के बीच बिना किसी डायलॉग के खून खराबे से लैस है. इस फ़िल्म में लीसा रे, सचिन जोशी और वीरप्पन की पत्नी के किरदार में उषा जाधव मौजूद हैं. गौर हो कि 2004 में को एसटीएफ ने कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा से लगे जंगल में मुठभेड़ के दौरान चंदन तस्कर वीरप्पन को मार गिराया था. वीरप्पन चन्दन की तस्करी के अलावा हाथी दांत की तस्करी, हाथियों के अवैध शिकार, पुलिस तथा वन्य अधिकारियों की हत्या व अपहरण के कई मामलों का भी अभियुक्त था.

रामू उषा के किरदार के बारे में हंसते हुए कहते हैं, "इस फ़िल्म को बनाते हुए मुझे एक बात समझ में आई है कि आदमी कितना ही खूंखार क्यों न हो जाए, गुस्से में भरी बीवी के आगे वीरप्पन की भी नहीं चलती." यह फिल्म अनुराग कश्यप की फिल्म 'रमन राघव' के साथ ही 27 मई को रिलीज होगी.

तीन साल बाद राजस्थान में होंगे नौ आईपीएल मैच

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) ने राज्य सरकार को जयपुर में आईपीएल के लिए प्रस्तावित मैचों के लिए अपनी सहमति दे दी है. उल्लेखनीय है कि राजस्थान में तीन साल के अंतराल के बाद राजधानी जयपुर में आईपीएल के नौ क्रिकेट मैच हो रहे हैं. राजस्थान के खेल मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि आरसीए के पदाधिकारियों के साथ मंगलवार को हुई बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी. 

उन्होंने बताया कि इसके तहत राजस्थान क्रिकेट संघ आवश्यकता होने पर मैदान के रखरखाव के लिये कर्मचारियों को उपलब्ध करायेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि मैच स्पोर्ट्स काउंसिल द्वारा ही आयोजित होंगे और आरसीए की इन मैचों में कोई भूमिका नहीं होगी. 

खींवसर ने बताया कि मैच के लिए आयोजन समिति का गठन शीघ्र कर लिया जाएगा तथा मैदान के रखरखाव और पिच आदि की तैयारियां शुरू हो चुकी है. 

खेल मंत्री के साथ यहां हुई बैठक में राजस्थान क्रिकेट संघ के सचिव समरेन्द्र तिवारी सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने जयपुर में आइपीएल 9 के तीन मैच कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी है और सरकार इस संबंध में पूरी गंभीरता के साथ सभी पक्षों को साथ लेकर मैच के लिये सभी आवश्यक कयावद पूरी करने में जुट गई है.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में बीसीसीआई के प्रतिनिधि अमृत माथुर के साथ कल ही राज्य सरकार की बातचीत हो चुकी है. मुम्बई इंडियन्स की फ्रेंचांइजी कंपनी की इवेंट टीम ने भी कल मैदान का जायजा लिया. 

जयपुर का सवाई मानसिंह स्टेडियम अभी राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अधीन है और बीसीसीआई ने आरसीए को निलंबित कर रखा है. 

मुद्रास्फीति और मानसून पर निर्भर होगी ब्याज दर

रिज़र्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि ब्याज दर में आगे और कटौती के लिए केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति आंकड़ों और मॉनसून की भविष्यवाणी पर नजदीकी से निगाह रखे हुए है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति अभी भी समन्वय बिठाने वाली उदार राह पर है. रिजर्व बैंक ने इस महीने मुख्य नीतिगत दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.5 प्रतिशत किया है.

राजन ने हालांकि आगे के लिए ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि अगली कटौती कब और कितनी होगी. उन्होंने कल कोलंबिया लॉ स्कूल में एक समारोह में कहा, 'हम मुद्रास्फीति पर निगाह रखे हुए हैं और अच्छे मॉनसून के संकेत पर भी नजर रख रहे हैं. जैसे ही कुछ साक्ष्य उभरते हैं उससे हमें यह और अधिक जानकारी मिलेगी कि मौद्रिक नीति की आगे की दिशा कैसी होगी.'

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च महीने में छह महीने के न्यूनतम स्तर 4.83 प्रतिशत पर रही. फरवरी में यह 5.26 प्रतिशत थी. राजन चाहते हैं कि मार्च 2017 तक मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत के भीतर रहे और अच्छे मानसून से बेहतर फसल उत्पादन का रास्ता साफ होगा.

राजन ने ब्याज दर पर मानसून के असर के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'हम अभी भी उदार मौद्रिक नीति के दौर में हैं लेकिन आगे इसमें कब और कितनी कटौती होगी यह हमें देखना होगा.' दो साल के सूखे के बाद मौसम विभाग ने पिछले सप्ताह भविष्यवाणी की कि पिछले तीन साल में पहली बार औसत से बेहतर मानसून रहेगा.

राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति का संयोजन आसानी से नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, 'लेकिन हम मौद्रिक नीति के बारे में बात कर रहे हैं. देखना होगा कि कितनी कटौती की जा सकती है और बिना बाकी दुनिया पर बोझ डाले हमारे लिए कितनी कटौती लाभदायक है.' उन्होंने कहा कि ब्याज दर पर फैसला करने के लिए छह सदस्यी मौद्रिक नीति समिति बनेगी. उन्होंने कहा, 'मैं अब भारत में नीतिगत दर तय नहीं करूंगा, समिति तय करेगी.' इसका फायदा यह होगा कि एक के बजाए छह लोग नीतियों पर फैसला करेंगे और समिति में निरंतरता है.

इसका अर्थ है कि यदि आप किसी खास तरह का नतीजा चाहते हैं तो एक आदमी के बजाय समिति पर दबाव डालना ज्यादा मुश्किल होगा. एमपीसी में आरबीआई गवर्नर और सरकार के तीन नामित सदस्य होंगे. यह खुदरा मुद्रास्फीति को पूर्व तय लक्ष्य पर लाने के लिए ब्याज दर तय करेंगे. यह संसद में वित्त विधेयक 2016 पारित होने के बाद लागू होगा. एफडीआई प्रवाह के बारे में राजन ने कहा कि भारत इस साल सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने की राह में है.

चुनौतियों से भरे दिन

67 साल पार कर चुके भारतीय गणतंत्र के सामने गंभीर चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है. ये चुनौतियां देश को शर्मसार करने वाली हैं. देश में माली सुधारों के 25 साल बाद भी अमीरगरीब के बीच का फर्क बड़ी तेजी से बढ़ा है. सवा सौ करोड़ देशवासियों की दौलत गिनेचुने लोगों की तिजोरी में कैद हो कर रह गई है. अभी हाल ही में दुनिया की 3 बड़ी एजेंसियों औक्सफैम, वर्ल्ड वैल्थ व क्रेडिट सुइस की रिसर्च रिपोर्टों के नतीजे आंखें खोलने और चौंकाने वाले हैं. हमारे देश की कुल जमापूंजी का 53 फीसदी हिस्सा महज एक फीसदी परिवारों में सिमट कर रह गया है. इतना ही नहीं, देश की कुल जमापूंजी का 76.3 फीसदी हिस्सा देश के 10 फीसदी अमीर परिवारों की बपौती बन चुका है.

एक सुनियोजित तरीके से अमीर बड़ी तेजी से अमीर बनते चले गए और गरीब लगातार गरीब बनते चले गए हैं. आज देश में 36 करोड़ से ज्यादा लोग महज 50 रुपए रोज पर गुजारा करने के लिए मजबूर हैं. दुनिया के कम से कम साढ़े 20 फीसदी गरीब लोग हमारे देश के हैं. आजादी हासिल करने के बाद सत्ता तंत्र का प्रमुख नारा ‘गरीबी हटाओ’ था, पर यह नारा आज भी महज ‘नारा’ ही बना हुआ है. देश में पिछले 10 साल में स्लम यानी झुग्गीझोंपडि़यों की तादाद में 34 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. देश में तकरीबन 1 करोड़, 80 लाख झुग्गीझोंपडि़यां हैं, जिन में रहने वाले लोग बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश के कुल 24.39 करोड़ परिवारों में से 73 फीसदी यानी 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इन परिवारों में 49 फीसदी यानी 8 करोड़, 69 लाख परिवार बेहद गरीब हैं. इन गरीब परिवारों में से 44.84 लाख परिवार तो दूसरे के घरों में गुजारा करने को मजबूर हैं. 4 लाख परिवार कचरा बीन कर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं, वहीं साढ़े 4 लाख परिवार बेघर हैं और गंदे नालों, रेलवे लाइन, सड़क, फुटपाथों, पुलों वगैरह के नीचे रहने को मजबूर हैं.

जिन लोगों के सिर पर छत है, उन में से भी 5.35 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जिन के मकानों की हालत बहुत बुरी है. साथ ही, 53 फीसदी मकानों में शौचालय ही नहीं हैं. इंटरनैशनल फूड पौलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, दुनियाभर में अनाज वगैरह उगाने के मामले में दूसरे नंबर पर रहने के बावजूद भारत में तकरीबन 20 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं. एक तरफ देश में लाखों टन अनाज सड़ जाता है, वहीं दूसरी तरफ भूख व कुपोषण के चलते एक बड़ी आबादी भरपेट रोटी के लिए तरसती रहती है. ‘सेव द चिल्ड्रन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रोजाना 5 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण के चलते दम तोड़ देते हैं. देश में हर साल 25 लाख से ज्यादा बच्चों की अकाल मौत होती है. ग्लोबल टैलेंट कंपीटीटिव इंडैक्स के मुताबिक, देश में कुशल कामगारों की कमी हो गई है. इस मामले में दुनिया के लैवल पर भारत 11वें पायदान से फिसल कर 89वें पायदान पर पहुंच गया है. बेरोजगारी और बेकारी के चलते नौजवान अपराध के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं.

बेहद शर्मसार करने वाली बात यह है कि देश के पोस्ट ग्रेजुएट लोग भी भीख मांगने के लिए मजबूर हैं. साल 2011 की जनगणना के आधार पर जारी ‘नौनवर्कर्स बाय मेन ऐक्टिविटी ऐंड एजुकेशन’ के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 410 भिखारी ऐसे हैं, जिन के पास पोस्ट ग्रेजुएशन या उस के बराबर की तकनीकी डिगरी है. इन में 137 औरतें और 273 मर्द हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 3.72 लाख भिखारियों में से तकरीबन 3 हजार भिखारी ग्रेजुएट व टैक्निकल या प्रोफैशनल डिप्लोमाधारी हैं. क्या सुपर पावर के रूप में तेजी से उभर रहे देश के लिए यह गहरा कलंक नहीं है?

देश का ‘अन्नदाता’ किसान कर्ज के चक्रव्यूह में फंस कर मौत को गले लगाने को मजबूर है. नैशनल क्राइम रिकौर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में रोजाना 46 किसान खुदकुशी करते हैं. देश का हर दूसरा किसान कर्ज के बोझ के नीचे दबा हुआ है. देश के 9 करोड़ किसान परिवारों में से 52 फीसदी किसान कर्ज के नीचे सिसक रहे हैं और हर किसान पर औसतन 47 हजार रुपए का कर्ज है. एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2001 में किसानों की तादाद 12 करोड़, 73 लाख थी, जो साल 2011 में घट कर 11 करोड़, 87 लाख रह गई.

चौंकाने वाली बात यह है कि साल 1990 से साल 2000 के बीच खेती की 20 लाख हैक्टेयर जमीन में भी कमी दर्ज हो चुकी है. यह आंकड़ा कितना खतरनाक साबित होने वाला है, इस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर 1000 हैक्टेयर खेती की जमीन कम होती है, तो कम से कम सौ किसानों और 760 किसान मजदूरों की रोजीरोटी छिन जाती है यानी वे बेरोजगार हो जाते हैं. देश में औरतों के प्रति बढ़ते अपराध भी बेहद चिंता की बात है. नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक, देश में रोजाना 92 बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं. देश में हर 29वें मिनट में एक औरत की इज्जत को लूटा जा रहा है. हर 77 मिनट में एक लड़की दहेज की आग में झोंकी जा रही है. हर 9वें मिनट में एक औरत अपने पति या रिश्तेदार की ज्यादती का शिकार हो रही है. हर 24वें मिनट में किसी न किसी वजह से एक औरत खुदकुशी करने को मजबूर हो रही है.

औरतों के मामले में स्वास्थ्य सेवाएं और भी बदतर हैं. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल एक लाख औरतें खून की कमी यानी एनीमिया की वजह से मर जाती हैं, जबकि 83 फीसदी औरतें खून की कमी से जूझ रही हैं. कहने की जरूरत नहीं है कि ये सभी आंकड़े हमारे देश पर बदनुमा दाग हैं. जब इन दागों से हमारा देश मुक्त हो जाएगा, तभी हकीकत में अच्छे दिन आएंगे.

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