भविष्य निधि (पीएफ) निकासी के नियम कड़े करने के चौतरफा विरोध के बीच केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना को रद्द कर दिया. केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यह जानकारी दी. आइए जानते हैं वो चार कारण, जिसने सरकार को अपने कदम वापस लेने पर मजबूर कर दिया.

सवालः पीएफ के किस नियम में बदलाव का चौतरफा विरोध हो रहा था?

जवाबः नए नियम में 58 साल की उम्र से पहले पीएफ निकालने पर पांबदी लगाई थी.

सवालः सरकार द्वारा फैसला वापस लेने पर क्या असर पड़ेगा? 

जवाबः पुराना नियम लागू. 60 दिन बेरोजगार रहे तो पूरा पैसा निकाल सकेंगे.

सवालः अगर नया नियम लागू कर दिया जाता तो क्या होता?

जवाबः सिर्फ गंभीर बीमारी, बच्चों की पढ़ाई, शादी और घर के लिए ही 58 साल से पहले पूरा पैसा निकाल सकते थे.

सवालः क्या पुराने नियम में ऐसी कोई सुविधा मौजूद है?

जवाबः बच्चों की शादी, गंभीर बीमारी और घर निर्माण के लिए पीएफ का कुछ हिस्सा निकालने की छूट है. बच्चों की शिक्षा के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

तीन माह के लिए अभी टाला है फैसला

दत्तात्रेय ने कहा कि पीएफ निकालने की पुरानी प्रणाली ही जारी रहेगी. इस फैसले से कुछ ही घंटे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि वह 10 फरवरी को जारी अधिसूचना को तीन माह के लिए टाल रही है.

दत्तात्रेय ने कहा कि वह ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड से फैसले की पुष्टि कराएंगे. उन्होंने कहा कि भविष्य निधि से निकासी नियमों को कड़ा करने का फैसला भी ट्रेड यूनियनों की राय से लिया गया था. अब जब ट्रेड यूनियन अनुरोध कर रहे हैं, तब हमने निर्णय वापस ले लिया.

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