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आखिर क्यों छोड़ रहे रैना गुजरात लायंस का साथ!

आठ सालों तक चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में खेलने वाले विस्फोटक बल्लेबाज रैना जब आईपीएल नौ में नई टीम गुजरात लायंस के कप्तान बने तो उसके बाद से उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है. आईपीएल के इतिहास में रैना ही अकेले बल्लेबाज हैं जिन्होंने इस टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन बनाए हैं.

बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अब तक एक भी आईपीएल मैच नहीं छोड़ा है लेकिन इस सीजन में उन्हें कुछ मैच छोड़ना पड़ सकता है क्योंकि उन्हें अपने पहले बच्चे के जन्म के समय अपनी पत्नी के पास होने के लिए हॉलैंड जाना होगा.

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 9वें सीजन में नई टीम गुजरात लायंस ने अपने प्रदर्शन से सबको हैरान किया है. कैप्टन रैना ने अपनी सफलता का श्रेय पत्नी प्रियंका चौधरी को दिया है.

रैना ने कहा, 'मेरी पत्नी ने मुझे शांत रहने और अपनी जिम्मेदारी निभाने में काफी मदद की है. मुझे लगता है कि शादी के बाद मेरे अंदर काफी सुधार हुआ है. अब मैं शांत रहने और जिम्मेदारी को समझने वाला बन गया हूं.'  रैना ने पिछले साल अप्रैल में अपने बचपन की दोस्त प्रियंका से शादी की थी.

शांत, दबाव झेलने वाले कप्तान हैं रैना

न्यूजीलैंड के सबसे अधिक सफल कप्तान रह चुके उनके टीम के साथी और विस्फोटक बल्लेबाज ब्रेंडन मैक्कलम ने रैना की कप्तानी की तारीफ की है. मैक्कलम ने कहा, 'वह एक शांत, दबाव को झेलने वाले और सख्त निर्णय लेने वाले कप्तान हैं.'

बीवी की समझ और समर्थन से मिला फायदा

आईपीएल में सबसे अधिक रन बनाने वाले रैना ने कहा कि गुजरात लायंस टीम के खिलाड़ियों के साथ अधिक समय बिताने से उनकी पत्नी को कोई समस्या नहीं है और वह भी इस बात को समझती है साथ ही उनका समर्थन करती हैं. रैना ने कहा, 'टीम के खिलाड़ियों के साथ अधिक समय तक रहने के लिए वह खुद ही मुझे प्रेरित करती रहती है क्योंकि वह भी इस बात को जानती है कि इससे टीम का ही भला होगा. मेरी पत्नी की समझ और समर्थन से मुझे टीम के लिए अच्छा करने का मौका देता है.'

धोनी से फील्ड पर सवाल पूछता रहता था

उन्होंने कहा कि धोनी के साथ अधिक समय बिताने के कारण उन्हें कप्तानी के काफी गुण सीखने को मिला है. रैना ने कहा, 'पिछले 10-15 सालों में मैंने धौनी के साथ काफी समय बिताया है और मुझे पता है कि खेल से पहले एक कप्तान के रूप में उनका क्या-क्या काम होता है. मैदान पर भी मैं हमेशा उनसे कुछ न कुछ पूछता रहता था और दबाव से निकलने के बारे में बात करता रहता था.' रैना ने कहा कि उन्होंने राहुल द्रविड़ और मोहम्मद कैफ से भी काफी कुछ सीखा है.

वॉट्सएप के 10 ऐसे फीचर्स जिनसे आप हैं बेखबर

पॉपुलर इंस्‍टैंट मैसेजिंग एप व्‍हॉट्सएप ने लोगों के बीच अपनी खासी पैठ बना ली है. क्या बूढ़े क्या बच्चे हर कोई इसमें रमा हुआ है. इसके बावजूद कई ऐसे फीचर्स हैं जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. ऐसे ही कुछ फीचर्स के बारे में हम यहां बता रहे हैं-

1. आप अपने चैट को आर्काइव कर सकते हैं और बाद में जब चाहें उसे पढ़ सकते हैं. जिस चैट को आप अर्काइव करना चाहते हैं उस पर टैप कीजिए और उसके बाद आर्काइव चैट को चुन लीजिये. अगर आप चाहें तो सभी चैट को भी आर्काइव कर सकते हैं. बस चैट सेटिंग्स पर टैप कीजिये और उसके बाद 'आर्काइव आल चैट्स' चुन लीजिये. इसका इस्तेमाल करने से आपके एसडी कार्ड पर चैट बैकअप नहीं होता है और न ही डिलीट होता है.

2. चैट हेल्पर एंड्रायड स्मार्टफोन के लिए एक विजेट है जो आपकी स्क्रीन पर वॉट्सएप के स्क्रीन को फ्लोट करने में मदद करता है. यानी वॉट्सएप मैसेज अब पूरी स्क्रीन पर नहीं दिखाई देगा पर एक विजेट, जिसे आप स्क्रीन पर किसी भी हिस्से में रख सकते हैं, उस पर दिखाई देगा. एप को इनेबल करने के बाद विजेट स्मार्टफोन की स्क्रीन पर आ जाएगा. गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके इसे स्मार्टफोन पर इनस्टॉल कर लीजिए.

3. स्क्रीन पर जो ब्लू टिक आता है उसका मतलब है जिसको आपने मैसेज भेजा है उसने मैसेज पढ़ लिया. कई बार ऐसा होता है कि मैसेज डिलीवर हो जाता है लेकिन अगला उसे पढ़ता नहीं है. अगर आप जानना चाहते हैं कि मैसेज कब पढ़ा गया तो जो मैसेज आपने भेजा है उसे थोड़ी देर के लिए प्रेस कीजिए. उससे आपको पता लग जाएगा कि मैसेज पढ़ा कब गया था.

4. वॉट्सएप 2.12.535 वर्जन पर एंड्रॉयड यूजर्स टेक्‍स्ट मैसेज का प्रारूप (format) भी सेट कर सकते हैं. यानी ई-मेल की तरह टेक्‍स्ट को बोल्ड या इटैलिक बनाया जा सकता है. बोल्ड या इटैलिक मैसेज टाइप करने के लिए किसी भी टेक्‍स्ट से पहले और बाद में स्टार (*) और अंडरस्कोर (_) का इस्तेमाल होगा. उदाहरण के लिए बोल्ड लिखने के लिए *HI*  और इटैलिक ‌लिखने के लिए _How's it going_

5. ये जानना हमेशा बढ़िया होता है कि मोबाइल डेटा को आटोमैटिक डाउनलोड पर नहीं रखना चाहिए. सेटिंग्स के बाद चैट सेटिंग्स और उसके बाद मीडिया ऑटो डाउनलोड में जाकर आप बॉक्स से टिक मार्क हटा दें तो ये बंद हो जाएगा. अगर आप चाहें तो ये सिर्फ वाई-फाई जोन में रहने पर ही डाउनलोड होगा.

6. अगर आप किसी व्यक्ति को अपना असली नंबर दिए बिना चैट करना चाहते हैं तो यह भी मुमकिन है. वॉट्सएप की 'सेटिंग्स' में और 'अकाउंट' में 'चेंज नंबर' के ऑप्शन पर क्लिक करें. यहां नया नंबर डालकर वेरिफाई कर दीजिए. वेरिफिकेशन कोड आपके मौजूद नंबर पर भेजा जाएगा. दरअसल वॉट्सएप का नंबर सिर्फ डिस्प्ले का नंबर है. आप चाहें तो वॉट्सएप के लिए एक बंद नंबर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

7. अगर आप हिंदी और अंग्रेजी दोनों मिलाकर लिखना चाहते हैं जैसा कि आजकल युवाओं की पसंद है, तो वह भी करना संभव है. एंड्रॉयड 4.0 या उसके बाद के वर्जन इस्तेमाल करने वालों के लिए इंडिक स्क्रिप्ट गूगल प्ले से डाउनलोड किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल आप वॉट्सएप चैटिंग के दौरान भी कर सकते हैं.

8. अगर किसी वॉट्सएप ग्रुप के मैसेज आपको परेशान कर रहे हैं तो आप थोड़े समय के लिए उस ग्रुप के मैसेज के रिंगटोन को म्यूट कर सकते हैं. कितनी देर के लिए म्यूट करना है, वो आप तय कर सकते हैं. बस मेनू बटन पर क्लिक कीजिये और म्यूट चुन लीजिए. जितने समय के लिए आप ग्रुप को म्यूट करना चाहते हैं वो भी चुन लीजिए.

9. वॉट्सएप इस्तेमाल करने वाले यूजर्स दूसरे यूजर को दिखने वाली 'लास्ट सीन' (Last seen) नोटिफिकेशन छिपा सकते हैं यानी अब अगर यूजर चाहे तो किसी को पता नहीं चलेगा कि उसने पिछली बार वॉट्सएप कब खोला था. ये फीचर नए अपडेट वॉट्सएप में प्राइवेसी सेटिंग्स में मिलेगा.

10. यदि किसी से आप हमेशा चैट करते हैं तो उसे अपने स्मार्टफोन के होम स्क्रीन पर ला सकते हैं. उस चैट पर थोड़ी देर के लिए प्रेस कीजिए, उसके बाद आपके सामने होम स्क्रीन पर ऐड करने का विकल्प आएगा.

पाकिस्तान में कबीर खान से बदसलूकी, दिखाया जूता

बॉलीवुड डायरेक्टर कबीर खान को कराची एयरपोर्ट पर नारेबाजी का सामना करना पड़ा. वे एक सेमिनार अटैंड करने के बाद फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट पहुंचे थे. कबीर एयरपोर्ट के बाहर जैसे ही कार से उतरे, लोगों ने उन्हें घेर लिया. वे भारत के विरोध में और पाकिस्तान के सपोर्ट में नारे लगाने लगे. वे पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'फैंटम' के लिए कबीर का विरोध कर रहे थे.

कबीर से हुआ सवाल- रॉ को लेकर क्यों नहीं बनाते फिल्म…

कबीर खान जैसे ही कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे, दूसरे पैसेंजर्स ने उन्हें घेर लिया. 'शेम-शेम' और 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए लोगों ने कबीर से पूछा कि वे इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ को लेकर ऐसी फिल्म क्यों नहीं बनाते? एक प्रोटेस्टर ने पूछा, "रॉ ने जाधव नाम के जासूस को यहां भेजा और यहां सैकड़ों लोगों को मरवा दिया. आप इस पर फिल्म क्यों नहीं बनाते?"

एक अन्य प्रोटेस्टर ने जूता हाथ में लेकर कबीर का लाउंज तक पीछा किया. उसने वॉर्निंग दी कि भारत, पाकिस्तान आर्मी के खिलाफ कॉन्स्पिरेसी करना बंद करे.हालांकि, कबीर ने किसी भी प्रोटेस्टर का जवाब नहीं दिया और वे चेक-इन प्रोसेस के लिए अंदर चले गए.

फैंटम के किस डायलॉग्स पर था पाकिस्तानियों को एतराज…

कबीर खान की 'बजरंगी भाईजान' मूवी को पाकिस्तान में काफी अच्छा रिस्पॉंन्स मिला था. लेकिन, एंटी-पाकिस्तान कंटेंट के कारण 'फैंटम' और 'काबुल एक्सप्रेस' का काफी विरोध हुआ था. 'फैंटम' के डायलॉग 'घर में घुस के मारेंगे' को लेकर भी पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

मुंबई हमलों पर बेस्ड है फिल्म

'फैंटम' एस. हुसैन जैदी के नॉवेल 'मुंबई एवेंजर्स' पर बेस्ड है. लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज मोहम्मद सईद की पिटीशन के बाद लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान में इसकी रिलीज पर बैन लगा दिया था.

सैफ अली खान और कैटरीना कैफ स्टारर 'फैंटम' का सब्जेक्ट मुंबई हमलों पर बेस्ड है. फिल्म में एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर पाकिस्तान जाकर हमले के मास्टरमाइंड को मार डालता है. इस कैरेक्टर को मूवी में हाफिज सईद की तरह दिखाया गया है.

क्या थी हाफिज की दलील?

मूवी ट्रेलर रिलीज होने पर हाफिज ने कहा था, ''फैंटम में एंटी-पाकिस्तानी कंटेंट है इसलिए इस पर बैन लगे.'' अपनी पिटीशन में हाफिज ने फिल्म को पाकिस्तान के खिलाफ 'प्रोपेगैंडा' करार दिया था. हाफिज के एडवोकेट एके डोगरा ने सईद की ओर से पिटीशन दायर करते हुए इसे 'पाकिस्तान और जेयूडी के खिलाफ जहरीला' करार दिया. आरोप है, ''यह फिल्म 2008 मुंबई हमलों को लेकर है और इसमें जेयूडी को विश्व में आतंकी संगठन के रूप में पेश करने की कोशिश हो रही है.''

अब मुसीबत में नो टेंशन! पैनिक बटन के बिना नहीं बिकेगा कोई मोबाइल

अगर आप किसी मुसीबत में फंस जाएं तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं क्योंकि अब बिना पैनिक बटन के मोबाइल फोन नहीं बिकेंगे. टेलिकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, इसके तहत किसी भी परेशानी में फंसने पर यूजर्स पैनिक बटन का इस्तेमाल कर सकेंगे और इसलिए अगले साल 1 जनवरी 2017 से प्रत्येक मोबाइल फोन में पैनिक बटन जरूरी कर दिया जाएगा. यूजर्स अपने स्मार्टफोन में '5' या '9' नंबर को दबाकर संकट की स्थिति में मदद ले सकेंगे. अगर फोन में यह सुविधा नहीं है तो पावर बटन तीन बार दबाकर भी इमरजेंसी में कॉल की जा सकेगी.

गौरतलब है देश में चर्चित निर्भया गैंगरेप केस के बाद स्मार्टफोन में इस प्रकार की किसी सुविधा को लाने की कवायद की जा रही थी.

ऐसे करेगा पैनिक बटन काम

1. आपके पास स्मार्टफोन है और आप किसी परेशानी में फंस गए तो सबसे पहले इमरजेंसी बटन दबाना होगा.

2. अगर फोन में इमरजेंसी बटन नहीं है तो पावर बटन को तीन बार प्रेस करके इसका इस्तेमाल कर सकते है.

3. यूजर को स्मार्टफोन कीपैड पर '5' या '9' नंबर के बटन को दबाकर कॉल करनी होगी.

क्यों जरूरी बनाया गया पैनिक बटन को

1. पैनिक बटन को लाने का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं की सिक्योरिटी है.

2. मोबाइल में पैनिक बटन जरूर होना चाहिए, यह बात इंडियन वायरलेस टेलिग्राफी एक्ट 1993 के तहत यह बात कही गई है.

3. बतौर टेलिकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद "टेक्नोलोजी का अर्थ है जिंदगी सुविधाजनक और बेहतर बनें और इसका बेहतर उपयोग हम तभी कर सकेंगे जब महिलाओं की सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल हो"

4. रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा हमने निर्णय लिया है कि 1 जनवरी 2017 से कोई फोन बिना पैनिक बटन के नहीं बिकेगा.

इस बाबत इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट पंकज महेंद्रू ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षा देने के सरकार के फैसले पर पूरी टेलिकॉम इंडस्ट्री और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां व सर्विस प्रोवाइडर पूरी तरह से सरकार के साथ है.

 

‘सहारा’ को अब एसबीआई, एचडीएफसी का सहारा

सहारा समहू की बड़ी मात्रा में नहीं बिक रही परी सम्पतियो को राहत मिली है. इस कठिन काम को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिभूत एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अब एचडीएफसी रियलिटी और एसबीआई कैपिटल से मदद मिलने वाली है.

सूत्रों ने बताया है कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार एचडीएफसी रीयल्टी और एसबीआई कैपिटल बाजार नियामक की मूल्यांकन पर चुनी गई संपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया में मदद करेंगी. जबकि इस बारे में कोई भी आधिकारिक तौर पर घोषणा नही हुई है. पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने सेबी से उन संपत्तियों की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था जिनका बैनामा सहारा द्वारा पहले ही जमा करा दिया गया है.

सेबी को उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति बीएन अग्रवाल के विचार-विमर्श और निगरानी में बिक्री की एक उचित प्रणाली बनाने को कहा गया था. और नियामक को इस मसले पर जरूरी होने पर विशेषज्ञों या विशेषज्ञ एजेंसियों की मदद लेने को भी कहा गया था.

 

5 साल की उम्र से ही लड़कियों को किस देता था ये एक्टर

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख हाल ही में इंडिया टीवी के शो आपकी अदालत में गए. शो में शाहरुख ने बचपन से जुड़े कई राज खोले. उन्‍होंने बताया कि वह स्‍कूल में बहुत शरारती थे. उनकी स्‍कूल में रोज पिटाई होती थी.

शाहरुख ने बताया कि मेरी टीचर मुझसे कहती थीं कि मेरी शैतानी स्‍माइल है. अगर मैं स्‍माइल देता था तो वो मुझे माफ कर देती थीं. शाहरुख खान ने बताया था कि स्‍कूल में उन्‍होंने एक बार कैमिस्‍ट्री लैब में कुछ चीजें फाड़ दी थीं. जब टीचर पकड़ती थीं तो वह रो जाते थे और कहते थे कि मेरे घर में मेरे मां-बाप बुरी तरह पेश आते हैं… आप ही मेरी मां जैसी हैं.

शाहरुख का कहना था कि वो जब पांच साल के थे तो दीवार पर बैठकर लड़कियों को फ्लाइंग किस देते थे. एक बार एक लड़की उनके पिता के पास आई और कहा कि ये मुझे देखकर सीटी बजाता है, ताली बजाता है. लेकिन शाहरुख के पिता ने कहा कि मेरा बेटा तो बस पांच साल का है. इस पर लड़की ने भी यकीन कर लिया. इसी दौरान शाहरुख भागते हुए आ गए और लड़की को देखकर बोले हाय स्‍वीटहार्ट.

शाहरुख ने बताया कि उनके बच्‍चे कहते हैं कि पापा अब आप बड़े हो चुके हो, आपको ऐसा नॉटी बिहेव नहीं करना चाहिए… तो मैं ये कहता हूं कि तुम्‍हारी उम्र हो गई होगी, मेरी नहीं हुई है.

वह गोल मार्केट में धर्मेंद्र हेयर कट और अमिताभ बच्‍चन हेयर कट कराते थे. उन्‍होंने बताया कि स्‍कूल में वह लंबे बाल रखते थे तो उनके टीचर उन्‍हें स्‍कूल निकाल देते थे कि हेयर कट कराकर आओ तो शाहरुख गोल मार्केट में हेयर कट कराने जाते थे. शाहरुख ने बताया कि एक्टिंग के बारे में उन्‍होंने बाद में सोचा लेकिन पहले वह इंडिया के लिए हॉकी खेलना चाहते थे. फिर उन्‍हें चोट लग गई, जिसके बाद उन्‍होंने हॉकी खेलना छोड़ दिया.

जब वह खेल से दूर हो गए तो उनके पेरेंट्स ने कहा कि लेडी श्रीराम कॉलेज में प्‍ले चल रहा है. तो शाहरुख वहां से चले गए और वहीं से उनका एक्टिंग करियर शुरू हो गया. शाहरुख को यकीन नहीं था कि वह बॉलीवुड में सफल हो जाएंगे. शाहरुख खान ने कहा कि शुरुआत में उनके दोस्‍तों ने कहा था कि तुम एक्‍टर नहीं बन सकते हो. तुम बहुत अगली हो, तुम्‍हारी शक्‍ल जो है बहुत अच्‍छी नहीं हैं.

कयामत से कयामत तक बनाने वाले मंसूर खान ने उनसे कहा था कि यार तुम बड़े इंट्रेस्टिंग एक्‍टर हो. तुम इतने अगली हो, मैं तुम्‍हें किसी भी रोल में डाल सकता हूं. शाहरुख ने बताया कि उनकी मां के अलावा कोई यकीन नहीं करता था कि वह एक्‍टर बनेंगे.

शाहरुख खान ने कहा कि उन्‍हें इस बात का दुख है कि उनकी मां कभी उन्‍हें पर्दे पर नहीं देख पाईं. उन्‍होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मैं इतना बड़ा स्‍टार बन जाऊं कि मेरी मां मुझे हैवन से बैठकर देख सकें.

जब वह छोटे थे तब नेशनल स्‍कूल ऑफ ड्रामा में बैठे रहते थे, जहां उनके पापा कैंटीन चलाते थे. उन्‍होंने बताया कि वह राज बब्‍बर को बब्‍बर शेर अंकल बोलते थे. उन्‍होंने एक बार राज बब्‍बर से पूछा था कि अंकल आप प्‍ले में सच में किस करते हो तो वह कहते थे जाके आंटी से पूछ लेते हैं.

बैंकिंग सिस्टम में रिफॉर्म जरूरी :सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से बैड लोन रोकने के लिए मंगलवार को बैंकिंग सिस्टम में बड़े बदलाव करने के लिए कहा. अदालत ने कहा कि सरकार को डिफॉल्टर्स से लोन रिकवरी का काम भी तेजी से करना चाहिए, ना कि यह कहना चाहिए कि सब कुछ ठीक है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि अगर ऐसा होता तो सरकारी बैंको को 1,14,000 करोड़ रुपये के बैड लोन को बट्टे खाते में नही डालना पड़ता.

जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस यू यू ललित के साथ बैठे चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा, ‘यह मत कहिए कि मौजूदा सिस्टम सही चल रहा है. आप रिफॉर्म करिए. अगर यह सिस्टम सही होता तो बैंको को इतनी बड़ी रकम को राइटऑफ नहीं करना पड़ता.’ उन्होंने कहा,‘आप इसके लिए एक कमेटी बना सकते हैं, जो सिस्टम में सुधार के बारे में सलाह दे सकती है.’

इस मामले में रंजीत कुमार अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतागी की मदद कर रहे थे. चीफ जस्टिस ठाकुर ने उन पर तंज कसते हुए कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि इस मामले में आपका स्टैंड कोहिनूर की तरह नहीं होगा.’ बेंच ने इसके बाद फाइनेंस मिनिस्ट्री, आरबीआई और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन से सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन(सीपीआईएल) की याचिका में उठाए गए मुद्दों का जवाब देने के लिए कहा. मामले में सीपीआईएल की पैरवी वकील प्रशांत भूषण कर रहे हैं.

इसके बाद सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि देश के बैंकरप्शी कोड को बदला गया है. एनपीए को कंट्रोल में करने के लिए कानून में और संशोधन किए जा रहे हैं. हालांकि, चीफ जस्टिस इस मामले में सरकार के रुख से नाखुश दिखे. उन्होंने कहा कि फाइनेंस मिनिस्ट्री बैंकिंग सिस्टम में सुधार के लिए डिबेट करके उपाए करे.

चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली इस बेंच ने पहले आरबीआई से 500 करोड़ रुपये से अधिक की रकम पर डिफॉल्ट करने वाली सभी एंटिटी की जानकारी मांगी थी. रिजर्व बैंक ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह लिस्ट के नाम सार्वजनिक ना करे. अब तक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही किया है. आरबीआई का कहना है कि इससे कंपनियों का बैंकों पर भरोसा कम होगा और जेनुइन प्रमोटर्स भी प्रभावित होंगे, लिहाजा इकनॉमिक ग्रोथ पर बुरा असर पड़ेगा.

एप्पल को लगा झटका, 13 साल में पहली बार घटा मुनाफा

बीते 13 सालों में पहली बार एप्पल के मुनाफे में गिरावट दर्ज की गई है. 2016 के जनवरी क्वार्टर में आई फ़ोन की बिक्री में 16 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. इतिहास में यह पहला मौका है जब आई फ़ोन की बिक्री घटी है. कंपनी का रेवेन्यू 13 फीसदी गिरकर 5060 करोड़ डॉलर (करीब 3.34 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया है.

22 फीसदी घटा मुनाफा

साल 2016 के जनवरी-मार्च तिमाही में एप्पल का मुनाफा 22 फीसदी गिरकर 1052 करोड़ डॉलर (करीब 69 हजार करोड़ रुपए) पर आ गया है. पिछले साल समान अवधि में कंपनी का मुनाफा 1357 करोड़ डॉलर (करीब 89 हजार करोड़ रुपए) रहा था. 2016 की पहली तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 5800 करोड़ डॉलर (करीब 3.83 लाख करोड़ रुपए) से गिरकर 5060 करोड़ डॉलर (करीब 3.34 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया है.

16 फीसदी घटी आई फ़ोन की बिक्री

2016 के जनवरी-मार्च तिमाही में 5.11 करोड़ लोगों ने आई फ़ोन खरीदा, जिससे कंपनी को 3268 करोड़ डॉलर की आमदनी हुई. पिछले साल 6.12 करोड़ लोगों ने आई फ़ोन खरीदा था. जिससे कंपनी ने 4028 करोड़ डॉलर का रेवेन्यु जनरेट किया था. एप्पल के सीईओ टिम कुक ने कहा, अमेरिका, जापान और चीन जैसे बड़े मार्केट में सेल्स की ग्रोथ में आई गिरावट का निगेटिव असर रेवेन्यु पर पड़ा है. कुक ने कहा कि आर्थिक दिक्कतों के बीच कंपनी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है.

बचत बढ़ाए रोटावेटर

समय और मजदूरों की कमी, महंगी मजदूरी, खरपतवारों में बेहिसाब इजाफा जैसी तमाम वजहों से खेती दिनबदिन खासी महंगी होती जा रही है. ऐसी तमाम दिक्कतों से निबटने के लिए अब यंत्रीकृत कृषि समय की जरूरत बन चुकी है. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार में तमाम सुधरे हुए कृषि यंत्र मौजूद हैं. ऐसा ही एक कृषि यंत्र है रोटावेटर, जो ट्रैक्टरचालित व गैरट्रैक्टरचालित दोनों ही तरीके का होता है. पिछले 4-5 सालों से इस के इस्तेमाल में तेजी आई है, मगर सभी किसान इस की खासीयत को नहीं जान पाए हैं.

रोटावेटर की खूबी यह है कि यह अपनी खास तकनीकी बनावट के कारण 1 ही बार में खेत बोआई के लिए तैयार कर देता?है. इस के द्वारा ज्यादा ताकत से मिट्टी कटने से वह एकदम भुरभुरी हो जाती है और खरपतवारों का भी सफाया हो जाता है. इस से 75 फीसदी समय बचता है और जुताई की लागत में बचत के कारण करीब 3-4 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की बचत हो जाती है, जबकि कल्टीवेटर या दूसरे पुराने यंत्रों से 4 बार जुताई करने के बावजूद मिट्टी ठीक से भुरभुरी नहीं होती और खरपतवारों का भी सफाया नहीं होता.

सुधरा हुआ रोटावेटर यानी रोटोट्रिलड्रिल तो और भी कमाल का है. यह खेत को तैयार करने के साथसाथ सही मात्रा में उर्वरक व बीजों का छिड़काव सही गहराई में कर देता है. अच्छी बात यह?है कि इस समय केंद्र द्वारा संचालित नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत पूरे देश में इस पर अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा?है.

कई किस्म के हैं रोटावेटर : दशकों पहले रोटावेटर बहुत छोटे आकार के आते थे, जोकि केवल किचन गार्डेन और बगीचों के काम में आ पाते थे. लेकिन अब बड़े आकार के रोटावेटर आ रहे हैं और बड़े पैमाने पर इन का इस्तेमाल हो रहा?है.

गैर ट्रैक्टरचालित रोटावेटर में अब रोटावेटर पावरटिलर आ रहा?है, जबकि ट्रैक्टर चालित रोटावेटर 2 तरह के हैं. पहला रोटावेटर केवल खेत की तैयारी के काम आता है. दूसरे यानी रोटो ट्रिलड्रिल से खेत की तैयारी के साथसाथ उचित मात्रा में उर्वरकों व बीजों का छिड़काव भी मुमकिन है.

गैर ट्रैक्टरचालित रोटावेटर यानी रोटावेटर पावर टिलर ज्यादा सफल नहीं हो पा रहा?है, क्योंकि इस से भाड़े पर तेजी से खेत की तैयारी मुमकिन नहीं?है. इस के अलावा इस के ज्यादा जानकार न होने से भी अकसर दिक्कतें होती?हैं. लिहाजा ट्रैक्टरचालित रोटावेटर ही ज्यादा मुफीद साबित होता है.

रोटावेटर के लिए कैसा ट्रैक्टर?: मौजूदा समय में बाजार में अलगअलग साइज के रोटावेटर मौजूद हैं, जो 1-2 मीटर तक के हैं. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के वरिष्ठ अभियांत्रिकी वैज्ञानिक इंजीनियर विनोद सिंह कहते?हैं, 1.5 मीटर तक का रोटावेटर 35 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर से आसानी से चलाया जा सकता?है, मगर 1.5 मीटर से ऊपर वाले रोटावेटर के लिए 45-55 हार्सपावर वाले?ट्रैक्टरों की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इस के तेजी से मिट्टी काटने के कारण, ट्रैक्टर के पावर टेक आफ (पीटीओ) पर अधिक भार पड़ता है. इसलिए रोटावेटर खरीदते समय ट्रैक्टर की कूवत का पूरा ध्यान रखना चाहिए वरना ट्रैक्टर बिगड़ सकता है.

हमेशा रोटावेटर ठीक नहीं : आमतौर पर अनाज वाली फसलों के बीजों को 5-7 सेंटीमीटर गहराई पर बोते हैं, जिस के लिए रोटावेटर सही है. मगर गहरी जुताई करने के मकसद से मिट्टीपलट हल (मोल्ड बोल्ड प्लाओ), तवेदार हल (डिस्क प्लाओ) या चिजेल हल का इस्तेमाल करना चाहिए. दोमट मिट्टी के लिए मिट्टीपलट हल, पथरीली जमीन के लिए तवेदार हल, बहुत गहराई तक जाने वाली फसलों की जड़ों को हटाने के लिए चिजेल हल का इस्तेमाल करना चाहिए.

मिलने वाली इमदाद : नेशनल सिक्योरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत रोटावेटर की खरीद पर सभी राज्यों में अनुदान का प्रावधान है. वैसे राज्यों की नीति के मुताबिक अनुदान की रकम घटतीबढ़ती रहती है.

इस बारे में इंजीनियर विनोद सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में अनुदान की रकम सीधे लाभार्थी किसानों के खातों में जाती है. इस के लिए किसानों को पहले आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के समय किसानों के पास खेत की पहचान के लिए खसरा, खतौनी व बैंक की पासबुक की फोटो कापी होना जरूरी?है.

कहां से मिलेगा : बहुत से राज्यों ने किसानों को कृषियंत्र मुहैया कराने के लिए कृषि विभाग के अपने अलग डिवीजन बना रखे हैं, जो कि राज्यों के हिसाब से अलगअलग नामों से जाने जाते हैं. उत्तर प्रदेश में यह यूपी एग्रो के नाम से जाना जाता है. मंडल व जिला स्तर पर सरकारी संस्थानों से कृषियंत्रों की खरीदारी की जा सकती है. इस के अलावा कसबों या नजदीकी शहर के दुकानदारों से भी कृषियंत्रों की खरीदारी की जा सकती है. खास बात यह है कि खरीदारी हमेशा दुकान से करें और खरीद की पक्की रसीद जरूर लें.

रोटावेटर खरीदने या अन्य जानकानी के लिए आप इन कंपनियों से भी संपर्क कर सकते हैं :

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नीबू वर्गीय : फसलों में एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम

तमाम नीबू वर्गीय फसलों जैसे माल्टा, संतरा, चकोतरा, महानीबू व नीबू वगैरह में एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम तकनीक संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरकों के इस्तेमाल की वह आधुनिक विधि है, जिस में रासायनिक खाद के साथसाथ कार्बनिक खाद व जैविक खाद का इस्तेमाल इस अनुपात में किया जाता है कि पैदावार अधिक फायदेमंद और टिकाऊ हो. इस के साथ ही इस का आबोहवा व मिट्टी पर कोई बुरा असर न पड़े.

मृदा वैज्ञानिक ‘लिविंग’ के अनुसार फसलों की पैदावार का घटना या बढ़ना फसल को दिए गए पोषक तत्त्वों पर निर्भर करता है और इन में से किसी के कम या ज्यादा होने पर पैदावार पर असर पड़ता है.

एकीकृत पोषक तत्त्वों के इंतजाम की जरूरत

फसलों की पैदावार लगातार बढ़ रही है, लेकिन रासायनिक खादों के कम व ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल से मिट्टी की दशा बराबर बिगड़ती जा रही है. ऐसे में अब खाद की मात्रा ज्यादा बढ़ाने पर भी पैदावार बढ़ नहीं पा रही है, जबकि मिट्टी, पानी व हवा में गंदगी बढ़ रही है, जिस का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है और हर दिन तरहतरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं.

हमारे बुजुर्ग खेती में गोबर की खाद व कंपोस्ट खाद का ज्यादा इस्तेमाल करते थे. 1960-70 के दशक से पहले हमारे देश में जैविक खेती होती थी. लेकिन आजकल खेत में मशीनों के इस्तेमाल से लोगों ने पशुओं को पालना कम कर दिया है, जिस की वजह से लोग अपने खेतों में कार्बनिक खाद का इस्तेमाल कम कर  रहे हैं. इस से मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी हो रही है और पौधों में तरहतरह की कमियां दिखाई दे रही हैं.

एकीकृत पोषक तत्त्व

नीबू वर्गीय फसलों की बढ़वार व विकास के लिए 17 पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है, जिन में मुख्य तत्त्व नाइट्रोजन, फास्फोरस,पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, कापर, मैग्नीज, आयरन, बोरान व मोलिब्डिनम वगैरह हैं.

एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम का सिद्धांत

एक तत्त्व दूसरे का स्थान नहीं ले सकता. लिहाजा हर तत्त्व अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है. नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि, प्रोटीन और पर्णहरित  (क्लोरोफिल) के निर्माण में खासतौर से मददगार होता है, वहीं फास्फोरस जड़ों की बढ़वार से जुड़ा है, क्योंकि जड़ों की अच्छी तरह बढ़वार होने पर पौधों को पानी व पोषक तत्त्वों की आपूर्ति अच्छी तरह बनी रहती है. पोटाश की सही मात्रा से पौधा मजबूत रहता है, जिस से उस में बीमारियों से लड़ने की कूवत बढ़ती है. इस के साथ ही ठंड व सूखे जैसे हालात को सहने की ताकत भी बढ़ती है. पोटाश के सही मात्रा में इस्तेमाल से नीबू वर्गीय फसलों की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है.

सूक्ष्म पोषक तत्त्वों में बोरोन के इस्तेमाल से नीबू वर्गीय फसलों की पैदावार अच्छी होती है. क्लोरीन पौधों की ऊर्जा बढ़ाती है. तांबा यानी कापर पौधों में हरियाली यानी खाना बनाने में सहायक है और पौधों में होने वाली अनेक क्रियाओं को बढ़ावा देता है. लोहा यानी आयरन पौधों की पत्तियों की हरियाली में सहायक होता है और सांस क्रियाओं से संबंधित एंजाइम बनाने में मदद करता है. मैगनीज भी पौधों में होने वाली एंजाइम क्रियाओं में एक अंश के रूप में काम करता है और पत्तियों की हरियाली बढ़ाने में मदद करता है. कैल्शियम से बीजों के अंकुरण और फसल पकने में तेजी आती है.

मालीब्डेनम दलहनी फसलों की जड़गं्रथियों में राइजोबियम जीवाणु द्वारा सहजीवी नाइट्रोजन की प्रक्रिया में मदद करता है. जस्ते से नीबू वर्गीय फसलों की पैदावार अच्छी होती है.

सूक्ष्म तत्त्वों की कमी के लक्षण

तांबे की कमी से नीबू के पेड़ के नए हिस्से मर जाते हैं. इसे एक्जैंथीमा कहते हैं. छाल और लकड़ी के बीच गोंद की थैलियां बन जाती हैं और फलों से भूरे रंग का पदार्थ निकलता रहता है.

जस्ते की कमी से नीबू की पत्तियों पर असर पड़ता है. ऊपर की पत्तियां आकार में छोटी व पतली हो जाती हैं, जिन्हें लिटिल लीफ कहते हैं.  फलकलियों का निर्माण बहुत कम हो जाता है और टहनियां मर जाती हैं.

खादों के इस्तेमाल द्वारा बढ़वार न होने के खास कारण:

*      खादों का कम व ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल.

*      नकदी फसलों में आवश्यकता से अधिक खाद का प्रयोग.

*      खाद का गलत तरीके से इस्तेमाल.

*      पानी सही मात्रा में न मिलना.

*      फसलों में कीटों, रोगों और खरपतवारों की बढ़ती समस्या व समय से उन पर ध्यान न देना.

एकीकृत पोषक तत्त्व देखभाल व जैविक खाद

जैविक खाद विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवाणुओं का वह जीवित पदार्थ है, जो मिट्टी में मौजूद न होने वाले पोषक तत्त्वों को उपलब्ध कराने में खास भूमिका निभाता है और साथ ही साथ आबोहवा से नाइट्रोजन ले कर पौधों की जड़ों व मिट्टी को देता है. जैविक खादों में एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरीलम, पीएसएन या पीएसबी, वाम राइजोबियम खास?हैं.

एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम में कठिनाइयां

*      गांवों में गोबर का इस्तेमाल उपले बनाने में होने के कारण कंपोस्ट हेतु गोबर उपलब्ध नहीं हो पाता.

*      हरी खाद तैयार करने में ज्यादा समय लगता है.

*      जैविक खादों की ज्यादा जरूरत होने के कारण ढुलाई में परेशानी होने के साथसाथ खर्च भी काफी बढ़ जाता है.

*      फसल अवशेषों व हरी खाद के बाद समय से खेती की तैयारी में परेशानी.

*      भूसा व दूसरी फसलों का चारे के रूप में इस्तेमाल करने से कंपोस्ट बनाने या सीधे खेत में डालने के लिए उपलब्ध न होना.

एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम हेतु सुझाव

*      मिट्टी की जांच के आधार पर ही उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए.

*      पिछली फसल में दिए गए उर्वरकों की मात्रा के आधार पर ही मौजूदा फसल को को और उर्वरक देने चाहिए.

*      दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर का प्रयोग अवश्य करें.

*      ढैंचा का हरी खाद के रूप में इस्तेमाल करें.

*      फसलचक्र में बदलाव करें.

*      मौजूदगी के आधार पर गोबर, फसलअवशेषों और कूड़ाकरकट वगैरह के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल से कंपोस्ट तैयार कर के इस्तेमाल में लाएं.

*      विभिन्न फसलों हेतु जरूरत के मुताबिक उर्वरकों का इस्तेमाल करें.

नीबू वर्गीय फसलों के लिए आवश्यक उर्वरकों व खाद की मात्रा

खाद                 मात्रा किलोग्राम में

पहले साल      दूसरे साल      तीसरे साल     चौथे साल      पांचवें साल

पोटेशियम                0.100         0.150        0.200         0.300        0.700

सुपर फास्फेट            0.250         0.500        0.750         1.000        2.000

अमोनियम सल्फेट        0.250         0.500        0.750         0.800        0.750

*5 साल बाद प्रति पौधा 70-80 किलोग्राम गोबर की खाद हर साल देनी चाहिए.

 

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