तमाम नीबू वर्गीय फसलों जैसे माल्टा, संतरा, चकोतरा, महानीबू व नीबू वगैरह में एकीकृत पोषक तत्त्व इंतजाम तकनीक संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरकों के इस्तेमाल की वह आधुनिक विधि है, जिस में रासायनिक खाद के साथसाथ कार्बनिक खाद व जैविक खाद का इस्तेमाल इस अनुपात में किया जाता है कि पैदावार अधिक फायदेमंद और टिकाऊ हो. इस के साथ ही इस का आबोहवा व मिट्टी पर कोई बुरा असर न पड़े.

मृदा वैज्ञानिक ‘लिविंग’ के अनुसार फसलों की पैदावार का घटना या बढ़ना फसल को दिए गए पोषक तत्त्वों पर निर्भर करता है और इन में से किसी के कम या ज्यादा होने पर पैदावार पर असर पड़ता है.

एकीकृत पोषक तत्त्वों के इंतजाम की जरूरत

फसलों की पैदावार लगातार बढ़ रही है, लेकिन रासायनिक खादों के कम व ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल से मिट्टी की दशा बराबर बिगड़ती जा रही है. ऐसे में अब खाद की मात्रा ज्यादा बढ़ाने पर भी पैदावार बढ़ नहीं पा रही है, जबकि मिट्टी, पानी व हवा में गंदगी बढ़ रही है, जिस का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है और हर दिन तरहतरह की बीमारियां पैदा हो रही हैं.

हमारे बुजुर्ग खेती में गोबर की खाद व कंपोस्ट खाद का ज्यादा इस्तेमाल करते थे. 1960-70 के दशक से पहले हमारे देश में जैविक खेती होती थी. लेकिन आजकल खेत में मशीनों के इस्तेमाल से लोगों ने पशुओं को पालना कम कर दिया है, जिस की वजह से लोग अपने खेतों में कार्बनिक खाद का इस्तेमाल कम कर  रहे हैं. इस से मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी हो रही है और पौधों में तरहतरह की कमियां दिखाई दे रही हैं.

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