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अब किसने कर दी कंगना की बत्ती गुल???

कंगना से ब्रेकअप के सात साल बाद अध्ययन ने चुप्पी तोड़ी है और इतने सालों में उनके मन में कंगना को लेकर जितना गुबार भरा था, वो सब बाहर निकाल दिया है. ऐसे में कंगना के साथ रिलेशनशिप के दौरान उन्हें किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, वो सब सामने आ गया है.

मारती-पीटती और गंदी गालियां देती थीं कंगना

'डीएनए' के साथ बातचीत में अध्ययन कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उनकी बातों में गुस्सा, दर्द, हताशा साफ देखने को मिली है. अध्ययन ने दावा किया है कि रिलेशनशिप के दौरान कंगना उन्हें मारती-पीटती और जलील करती थीं. गंदी गालियां भी देती थीं.

काला जादू करने का भी आरोप, ले गई थीं ज्योतिषी के पास

अध्ययन ने एक घटना के बारे में बताते हुए कहा, 'कंगना मुझे एक ज्योतिषि के पास ले गईं. उसने कहा, मेरा समय अच्छा नहीं चल रहा है, पूजा करनी होगी. फिर एक रात उसने मुझे घर बुलाकर 12 बजे पूजा शुरू की. कंगना का गेस्ट रूम पूरा काले कपड़ों से ढंका गया था. भगवान की मूर्तियां रखी थीं. फिर मुझे कुछ मंत्र पढ़ने को कहा और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया. फिर एक दिन मुझे उस ज्योतिषी ने रात के 12 बजे शमशान घाट जाकर कुछ चीजें फेंक आने को कहा.'

रितिक के साथ अध्ययन की है पूरी हमदर्दी

अध्ययन ने रितिक रोशन के साथ अपनी हमदर्दी जताई. उन्होंने इंटरव्यू के दौरान कहा, 'मैं रितिक के साथ हूं. उनके साथ जो हो रहा है, उसे अच्छी तरह समझता हूं. इस दर्द से मैं भी गुजरा हूं. उन्हें भावनात्मक रूप से पीडि़त किया जा रहा है. लोगों को सच पता चलना चाहिए.'

रितिक पर हमेशा से थी कंगना की नजर

अब तक के इस पूरे विवाद में कई बातें ऐसी सामने आई हैं जिससे एहसास हुआ है कि रितिक के प्रति कंगना का प्यार एकतरफा था. अध्ययन ने भी दावा किया कि कंगना की नजर हमेशा से रितिक पर थी.

जब कंगना उन्हें डेट कर रही थीं, उस दौरान की एक घटना के बारे में बताते हुए अध्ययन ने कहा कि 'काइट्स' की शूटिंग के समय कंगना की रितिक और सुजैन से दोस्ती हुई थी. वे अक्सर उनके साथ डिनर करती थीं और एक-दो बार मैं भी साथ गया. एक बार रितिक ने कंगना को अपने बर्थडे पर बुलाया और मुझे भी कॉल किया. मैं उनके लिए फ्लॉवर्स और मंहगी शैंपेन की बॉटल लेकर आया. हम दोनों बैठकर बात कर रहे थे, तभी रितिक आ गए. कंगना ने मुझे नजरअंदाज कर दिया और मेरे लाए फ्लॉवर्स व शैंपेन की बॉटल लेकर रितिक को विश करने लगी और कहा कि वो ये सब उनके लिए लेकर आई है. इसके बाद कंगना ने मुझे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया और रितिक में बिजी हो गई.

कंगना के करियर को नुकसान पहुंचाने का मकसद नहीं

कंगना के साथ ब्रेकअप के बाद अध्ययन विदेश चले गए थे. कुछ ही दिनों पहले लौटे हैं. अध्ययन ने कहा कि उनका मकसद कंगना के करियर या स्टारडम को नुकसान पहुंचाना नहीं है, मगर वो किसी और को निशाना बनाकर मासूम नहीं बन सकतीं, क्योंकि और लोग भी हैं जिन्होंने लंबे समय यह दर्द सहा है. अध्ययन के मुताबिक, कंगना की वजह से उनके करियर पर असर पड़ा, क्योंकि कंगना ने गलत बातें फैलाईं. अध्ययन ने ये भी कहा कि कंगना को लेकर उनका यह आखिरी इंटरव्यू है.

'राज 2' के दौरान करीब आए अध्ययन और कंगना

अध्ययन ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि 'राज 2' में साथ काम करने के दौरान दोनों एक दूसरे के करीब आए. वो अक्सर ड्राइव्स और डिनर्स के लिए जाने लगे. हालांकि एक दिन वो कंगना को डिनर के लिए ताज ले गए, जहां वो उनके एक्स-ब्वॉयफ्रेंड (आदित्य पंचोली) के बारे में पूछ बैठे. इस बात को लेकर कंगना को काफी गुस्सा आया और वो रेस्टरूम में जाने की बात कर वापस नहीं लौटीं. एक घंटे बाद उन्होंने कॉल किया तो कंगना ने बताया कि वो घर पर हैं. यही से दोनों के बीच अनबन की शुरुआत भी हुई.

ऐसे शुरु हुआ रितिक और कंगना का विवाद

अब तक रितिक और कंगना के कथित अफेयर को लेकर सिर्फ चर्चाएं ही थीं, मगर हाल ही में दोनों के आपस में टकराने से सब कुछ सार्वजनिक हो गया है और ऐसी बहुत सी चीजें व बातें सामने आई हैं जिनके बारे में पहले किसी को नहीं पता था. दोनों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई, जब कंगना ने एक इंटरव्यू में बिना नाम लिए रितिक 'सिली-एक्स' कह दिया. फिर क्या दोनों के बीच कानूनी लड़ाई छिड़ गई और तब से ही दोनों के संबंध को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हो चुके हैं.

 

‘मंडल’ और ‘शराब बंदी’ उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार के हथियार

एक तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने शराब सस्ती कर दी है. दूसरी तरफ बिहार में मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार ने बिहार में शराब बंद कर दी है. जिसका जनता को बडा समर्थन मिल रहा है. बिहार में अपराध् के आंकडे देखने से भी पता चलता है कि शराब बंदी के बाद अपराधें में कमी आई है. बिहार की बडी सीमा उत्तर प्रदेश से भी मिलती है. उत्तर प्रदेश में शराब के सस्ती होने के कारण बिहार में तस्करी करके ले जाई जाती है.

बिहार के मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार जानते है कि जब तक उत्तर प्रदेश में शराब की बंदी नहीं होगी तब तक बिहार पूरी तरह से शराब मुक्त नहीं हो सकेगा. नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव में भी ‘शराबबंदी’ को चुनावी हथियार बनाना चाहते है. नीतीश कुमार ने मंडल आयोग लागू करने वाले पूर्व प्रधनमंत्राी विश्वनाथ प्रताप सिंह की विचारधरा को भी उत्तर प्रदेश की राजनीति के केन्द्र में स्थापित करने का प्रयास करेगे.

उत्तर प्रदेश में विश्वनाथ प्रताप सिंह को आज भी समाजसुधरक और पिछडा वर्ग के समर्थक के रूप में पहचाना जाता है.उनकी विचारधरा से लोगों का जोडने का प्रयास नीतीश कुमार करेगे. 15 मई को लखनउफ में नीतीश कुमार ‘किसानमंच’ की महिलाओं के कार्यक्रम में हिस्सा लेगे. ‘किसानमंच’ की स्थापना विश्वनाथ प्रताप सिंह ने की थी. इसके पहले 12 मई को वाराणसी के पिंडारा में जनता दल ;यूनाइटेड यानि जदयू के कार्यकताओं के सम्मेलन में हिस्सा लेगे.

नीतीश कुमार दरअसल उत्तर प्रदेश में मंडल राजनीति को केन्द्र में लाना चाहते है.वह शराबबंदी को प्रमुख मुददा बना कर जयप्रकाश नारायण और डाक्टर राम मनोहर लोहिया की शराब बंदी के विचार को सामाजिक मुददा बनायेगे.नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव में एक महागठबंध्न बनाने की तैयारी में है. जिसमें राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस प्रमुख सहयोगी होगे.कांग्रेेस की चुनावी कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर के साथ नीतीश का पुराना संबंध् है. ऐसे में एक बेहतर तालमेल की उम्मीद की जा रही है. नीतीश कुमार लोकदल के चौधरी अजीत सिंह को भी महागंठबंध्न में जोडना चाहते है.

नीतीश कुमार मंडल राजनीति के जरीये पिछडी जातियों के समाजवादी पार्टी के वोटबैंक पर हमला करेगे. विश्वनाथ प्रताप की नीतियों के सहारे राजपूत वर्ग को जोडेगे और शराबबंदी के मुददे से गरीब वर्ग और महिलाओं को अपने उत्तर प्रदेश अभियान का मुख्य मुददा बनायेगे. मंडल के सहारे नीतीश न केवल सपा को जबाव दे सकेेेगे बल्कि भाजपा के राममंदिर मुददे का भी मुकाबला कर सकेगे. शराब को लेकर उत्तर प्रदेश में न केवल अपराध् बढ रहे है बल्कि घरेलू लडाई झगडे भी खूब हो रहे है. ऐसे में महिलायें यह चाहती है कि प्रदेश में शराब बंद हो. नीतीश कुमार ने न केवल बिहार में शराब बंदी का एक उदाहरण पेश किया है बल्कि उत्तर प्रदेश में भी शराब बंद करने का भरोसा दिलाया है. वोटरों में बडी संख्या औरतों की है. जो इस मुददे पर वोट कर सकती है. नीतीश कुमार के इस मुददे का विरोध् करना किसी भी दल के लिये कठिन है. ऐसे वैचारिक लडाई में नीतीश कुमार ने सभी दलों पर एक बढत बनाने का काम किया है.                                           

 

लो भाई, बिहार में अब खाना भी बंद

अब बिहार में खाना पर भी पाबंदी लग गई है. ‘पीना’ तो पहले ही बंद कर दिया गया था, अब खाना भी बंद. बिहार सरकार ने नया फरमान जारी किया है कि सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे के बीच खाना नहीं बनेगा. जो इस फरमान का उल्लंघन करेगा, उसे 2 साल के कैद की सजा मिलेगी. आप सोच रहे होंगे कि यह क्या हो रहा है बिहार में? ‘पीना’ याने शराब पर रोक तो ठीक है, पर खाने पर पाबंदी क्यों?

यह कोई अंधेरगर्दी नहीं है, बल्कि बिहार के गांव-गिरांव में अगलगी की वारदातों के तेजी से बढ़ने की वजह से खाना बनाने पर रोक लगा दी गई है. सुबह 9 बजे से पहले ही खाना बना लेना है और रात का भोजन शाम 6 बजे के बाद ही बनाना है. गरमी के मौसम में दोपहर के समय तेज धूप की वजह से सारी झोपडि़यां मानो बारूद बन जाती है. छोटी सी चिंगारी पूरे इलाके में तबाही मचा देती है.

आपदा प्रबंध्न विभाग के प्रधन सचिव व्यास जी ने बताया कि अगलगी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी किया गया है. अगलगी की घटनाओं से जान, माल, पफसल और घरों का बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है. सुबह 9 बजे के बाद से ही गरम तेज हवाआं के चलने से चूल्हों से निकली चिंगारियां से गांव के गांव खाक हो रहे हैं. इसलिए सुबह 9 बजे से पहले और शाम में 6 बजे के बाद खाना बनाने को कहा गया है. इसके साथ ही गेहूं की कटनी के बाद उसके डंठल को नहीं जलाने की भी हिदायत दी गई है. इस आदेश को नहीं मानने वालों पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंध्न अधिनियम 2005 की धरा-51; के तहत कानूननी काररवाई की जाएगी. उसके तहत 2 साल की कैद या जुर्माने की सजा है.

अप्रैल महीने में अगलगी की वारदातों ने 73 इंसानों और 236 जानवरों की जान ले ली है. 23 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं. 11 हजार 575 एकड़ में लगी पफसलें स्वाहा हो गई हैं. अगलगी से करीब 7 करोड़ रूपए का नुकसान हो चुका है और सरकार की ओर से 17 करोड़ रूपए मुआवजा के तौर पर बांटे गए हैं. अगलगी की सबसे बड़ी और दर्दनाक वारदात बिहार के दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय के नजदीक हरिनगर में हुई. पिछले 22 अप्रैल को वहां भयंकर आग लग गई जिसमें झुलस के 6 बच्चों, 3 औरतों और 3 मर्दो की मौत हो गई. इसके अलावा 6 लोग बुरी तरह जख्मी भी हो गए.

टोले के बगल के खाली पड़ी जमीन पर ‘भूत’ भगाने के नाम पर भगतई चल रही थी. इसके लिए बड़ा हवनकुंड बनाया गया था. भूत भगाने की ड्रामेबाजी के दौरान हवनकुंड में तेज आग जलाई गई थी और उसमें हुमाद और घी आदि डाला जा रहा था. हवनकुंड से निकली चिंगारी ने देखते ही देखते ऐसा विकराल रूप धारण कर लिया कि आसपास की कई झोपडि़यों में आग लग गई.

आग मे जल कर मारे गए जटाराम के बेटे विजय दास ने बताया कि उसके घर के बाहर गैरमजरूआ आम जमीन है, जिसका इस्तेमाल वे लोग रास्ते के रूप में करते हैं. इसी जमीन पर कुछ महीने पहले भोला पासवान नाम के एक आदमी ने झोपड़ी बना ली. झोपड़ी में भोला और उसका साथी त्रिलोकी प्रेत और भूत भगाने के नाम पर जादू टोना करता रहता था. 22 अप्रैल को दोपहर 3 बजे के करीब भूत भगाने के लिए झोपड़ी के पास कई लोग जमा थे. भूत भगाने के नाम पर हवन शुरू किया गया. जैसे ही हवन कुंड में लोबान डाला गया वैसे ही आग तेजी से ध्ध्की और झोपड़ी में आग लग गई.

उसी दिन विजय दास का तिलक रस्म था और उसके पिता समेत उसके परिवार के 10 लोग पोंगापंथ की आग में स्वाहा हो गए. औरंगाबाद के नवीनगर से लड़की वाले तिलक लेकर आने वाले थे. पूरा परिवार विवाह की तैयारियों ले लगा हुआ था. इसी बीच विजय के घर के पश्चिम छोर पर धुंआ उठने लगा और लोग चिल्लाने लगे. विजय समेत उसका भाई रमेश, राजेश, उमेश दौड़ पड़े. हंगामे वाली जगह पर पहुंचने के बाद उन्होंने देखा की भोला की झोपड़ी में आग लगी हुई है. लोग जब तक आग पर काबूू पाने की कोशिश करते तब तक तेज हवा की वजह से आग विजय के घर में भी लग गई. विजय की मां शांति देवी और बाकी परिजन बाहर की ओर भागे, पर कई लोग अंदर ही फंस गए. आगलगी में विजय, उसकी मां और 3 भाई तो बच गए पर उसके पिता बाहर नहीं निकल सके.
    
    
 

रितिक के साथ हैं सुजैन

रितिक रोशन और कंगना रनौत के बीच का विवाद दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. आए दिन नए खुलासों का दौर जारी है. हालांकि दोनों के बीच 'फोटो वार' के चलते रितिक की पूर्व पत्नी सुजैन खान को भी बोलने को मजबूर होना पड़ा है, जिन्होंने अब तक इस विवाद से खुद को दूर रखा था.

हाल ही में रितिक और कंगना की किसी पार्टी की एक पुरानी फोटो सामने आई, जिसमें दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे. जारी विवाद के मद्देनजर यह फोटो वायरल हो गई. इसके बाद कई और फोटो भी सामने आ गई, जिसके बारे में कहा गया कि ये भी उसी पार्टी की हैं. इन सभी फोटो में रितिक और कंगना के बीच काफी करीबियां देखने को मिली.

अब इस मामले में रितिक की पूर्व पत्नी सुजैन चुप्पी तोड़ते हुए उनके सपोर्ट में उतरी हैं, जिनसे उन्होंने 2000 में शादी की थी और 2014 में तलाक के साथ राहें जुदा हो गईं. किसी की तरफ बिना इशारा किए सुजैन ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि जितनी भी फोटो सामने आई हैं, वो फोटोशॉप की गई हैं और झूठी कहानियों को ज्यादा प्रचार मिल रहा है. इसके साथ उन्होंने उस पार्टी की एक फोटो भी शेयर की है, जिसमें वो और रितिक इंटिमेट पोज देते नजर आ रहे हैं. इसके साथ सुजैन ने लिखा है, 'Another pic for the record. I support Hrithik'.

गौरतलब है कि यह पार्टी अर्जुन रामपाल और उनकी पत्नी मेहर जेसिका ने चार दिसंबर, 2010 को अपने घर पर दी थी, जिसमें करीब 40 मेहमान शामिल हुए थे. अब सुजैन के ट्वीट्स इस विवाद को अलग ही मोड़ देने वाले हैं. खैर, इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई, जब कंगना ने एक इंटरव्यू में रितिक को इशारों में ही 'सिली-एक्स' कह दिया, जिसको लेकर दोनों के बीच कानूनी जंग छिड़ गई और अब जो स्थिति है आपके सामने है.

एक दिन में 155 लीटर दुग्ध उत्पादन करने वाली बिटाना

गांव में रहने वाली औरतों को लोग असहाय समझते है. लखनउ के मीरखनगर गांव की रहने वाली बिटाना ऐसे लोगों के लिये उदाहरण के समान है. बिटाना ने साल 2014-2015 में कुल 56,567 लीटर दूध का उत्पादन किया. औसतन 155 लीटर दूध प्रतिदिन बिटाना ने पराग को दिया. वैसे उसके यहां कुल 188 लीटर दूध का उत्पादन रोज होता है. बिटाना उन औरतों में है जो अपनी मेहनत से सफलता हासिल करना चाहती है. बिटाना कक्षा 5 तक ही पढी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने बिटाना को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया. लखनउ जिले में बिटाना को यह पुरस्कार लगातार 10 वीं बार मिला है. बिटाना देवी ने साल 1985 से यह काम शुरू किया था. उसके घर में उस समय आर्थिक तंगी थी. घर में केवल एक भैंस थी जो उसको शादी में मिली थी. बिटाना ने उसी से दूध बेचने का काम शुरू किया. कुछ ही दिनों में यह काम उसके पूरे घर वालों को पसंद आने लगा. बिटाना के पति हरिनाम सिंह रायबरेली जिले में शिक्षक बन गये तो उसे यह काम खुद से ही शुरू करना पडा.

बिटाना के पास 24 गाय और 10 भैंस है. इनकी देखभाल करने के साथ बिटाना खुद ही इनका दूध निकालती है. खुद ही सभी मवेशियों की देखभाल करने वाली बिटाना कहती है कि साल 2014-2015 में कुल 56,567 लीटर दूध पराग को सप्लाई किया. वह कहती है ‘इस काम में पति मेरा पूरा साथ देते है. उनकी ही प्रेरणा का फल है कि मुझे 10 वीं बार गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मेरा सपना है कि मै उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली महिला बनूं'. बिटाना को पिछले साल भी प्रदेश में चैथा स्थान मिला था. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वालों में 18 महिलायें है. उत्तर प्रदेश के दुग्ध उत्पादन मंत्री  राममूर्ति वर्मा ने कहा कि दूध कारोबार को बढ़ावा देने के लिये सरकार गोकुल पुरस्कार राशि को बढ़ाने जा रही है. बिटाना ने महिलाओं को नई राह दिखाने का काम किया है.

आखिर जान देना इतना सस्ता क्यों?

बीएचयू के इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्वाति पांडेय ने सोमवार को सुसाइड कर लिया. बताया जा रहा है कि मंडुआडीह में वर्कर्स मैनेजर अंबेश त्रिपाठी से उसकी शादी तय हुई थी लेकिन, लड़के ने शादी से इनकार कर दिया.  शादी टूटने से स्वाति परेशान थी. रविवार को उसकी मां और घर के दूसरे सदस्य शादी में गए हुए थे. घर पर पिता और छोटी बहन थी. सोमवार की सुबह जब पिता उसे जगाने गए तो वह साड़ी के फंदे से लटकती हुई मिली. उन्होंने तत्काल पड़ोसियों की मदद से उसे नीचे उतारा और हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

ऐसी खबरें समाज के सामने कई सवाल खड़े करती हैं कि आखिर क्यों  ब्रेकअप और शादी से इनकार बन जाता है किसी के लिए ज़िन्दगी से विदा लेने की वजह ? क्या किसी की लाइफ में कोई इतना महत्वपूर्ण हो जाता है कि उस का इनकार किसी को मौत को गले लगाने पर मजबूर कर देता है? आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या का कारण अकसर ब्रेकअप बनता है. प्रेम संबंधों में मिले धोखे के बाद लोग खुद को संभाल नहीं पाते और अवसादग्रस्त हो जाते हैं. बाद में या तो वे आत्महत्या कर लेते हैं या फिर जिंदगी से बेजार हो कर समाज से कट जाते हैं.

सेलिब्रेटी भी पीछे नहीं

ग्लैमर वर्ल्ड में इस तरह की घटनाओं से अछुता नहीं है . जिया खान, दिशा गांगुली, शिक्षा जोशी, रूबी सिंह, कामसूत्र कंडोम की चर्चित मॉडल विवेका बाबाजी, सिल्क स्मिता और ना जाने कितने नाम हमें इस फेहरिस्त में मिल जायेंगे, जिन्होंने अपनी जिंदगी से हार मान ली . हॉलीवुड के जाने माने एक्टर जिम कैरी की गर्लफ्रेंड कै‍थरियोना व्हाइट ने स्टार से ब्रेकअप के बाद खुदकुशी कर ली थी .इनके अलावा भी कई ऐसी सेलीब्रिटी हैं, जिनकी मौत पर से रहस्य का पर्दा नहीं हटा या फिर जो अवसादग्रस्त होकर मौत की आगोश में समा गये. कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर, बॉलीवुड एक्ट्रेस दिव्या भारती एवं  परवीन बॉबी का नाम यहां प्रमुखता से लिया जाता है.

ब्रेकअप और आत्महत्या का कनेक्शन

मनोविज्ञान कहता है कि ‘ब्रेकअप’ लोगों को इस कदर दुखी करता है कि उन्हें लगता है कि एक ऐसा संबंध जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं, उस से एक पल भी दूर हो जाने का डर उन्हें परेशान कर देता है और वे दुख के सागर में डूब जाते हैं. उन्हें लगता है कि वे उस शख्स के बिना जी नहीं पायेंगे. उन्हें अपनी दुनिया वीरान और बेमतलब लगने लगती है और वे खुद को संभाल नहीं पाते है.  उनकी यह सोच उन्हें इस कदर बेचैन कर देती है कि वे आत्महत्या जैसा कदम  उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. विगत कुछ वर्षों में प्रेम में असफल युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति काफी बढ़ी है. ऐसे युवाओं को समझने की जरुरत है कि किसी के बगैर जिन्दगी नहीं रूकती, अगर आप कुछ दिन इस अलगाव व ब्रेकअप के दर्द को बर्दाश्त कर लेंगे तो जिन्दगी खत्म करने की चाह खत्म हो जायेगी. आप यह सोचिये जिन्दगी किसी के बगैर नहीं रूकती. क्या कभी  किसी ने प्रकृति को ठहरते हुए देखा है? भले कितनी बड़ी विपदा आ जाए सूरज अपने समय पर ही उगता और अस्त होता है. दुनिया में रात और दिन अपने समय पर ही होते है तो फिर ऐसे  किसी के अपनी जिंदगी से चले जाने के निर्णय पर अपनी अमूल्य जिन्दगी को क्यों दांव पर लगाया जाए?

किसने कहा श्रद्धा कपूर से आई लव यू…

टाइगर श्रॉफ का पहला प्यार शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर है. इसका खुलासा उन्होंने एक साक्षात्कार में किया है. टाइगर वाकई में श्रद्धा कपूर से प्यार करते हैं या महज सुर्खियां बटोरने के लिये उन्होंने ऐसा कहा है यह वे ही जाने. आखिर उनके दिल की बात तो उन्हें ही मालूम है या श्रद्धा कपूर को जिसे वे प्यार करते हैं. टाइगर ने यह नहीं बताया कि उन्होंने कभी अपने प्यार का इजहार श्रद्दा कपूर से किया भी है या नहीं. ‘हीरोपंती’ के जरिए सुर्खिया और शोहरत बटोर चुके जैकी श्रॉफ के प्रतिभाशाली बेटे, टाइगर श्रॉफ ने खुलासा किया है कि आगामी फिल्म ‘बागी: ए रेबल फॉर लव’ में उनकी अभिनेत्री श्रद्धा कपूर उनका पहला प्यार रही हैं.

अपनी दूसरी फिल्म ‘बागी..’ को लेकर उत्साहित टाइगर कहते हैं, ‘बागी रॉनी और सिया की प्रेम कहानी है. अपने प्यार को पाने के लिए दो लोग किस तरह बागी हो जाते हैं, यह फिल्म यही बताती है. इस फिल्म की कहानी ने मुझे बहुत प्रभावित किया है. यह फिल्म आपको अंदर तक झकझोर देने के लिए काफी है.’ फिल्म की अपनी अभिनेत्री श्रद्धा कपूर के बारे में पूछे जाने पर टाइगर ने कहा, ‘अरे! श्रद्धा के बारे में क्या कहूं, वह तो मेरा पहला प्यार थीं.’

एक्शन हीरो के टैग पर टाइगर कहते हैं, 'ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ एक्शन फिल्में ही करना चाहता हूं. मेरी अगली फिल्म ‘ए फ्लाइंग जट’ में एक्शन के साथ-साथ भरपूर कॉमेडी भी है.'

हाल ही में टाइगर श्रॉफ ने कुंगफू को भारत की देन कहा था लेकिन बातचीत में टाइगर ने इसका खंडन करते हुए कहा, ‘मैंने यह नहीं कहा कि कुंगफू भारत की देन हैं. कुंगफू एक कला है. ‘कल्लारी पयाटू’ भारत की देन है. कल्लारी से ही कुंगफू, कराटे, ताइक्वांडो और अन्य मार्शल आर्ट निकले हैं.’

मल्टीस्टारर फिल्मों के दौर में टाइगर पहले खुद को सोलो हीरो के रूप में साबित करना चाहते हैं, इसलिए मल्टीस्टारर फिल्म में काम करने से वह परहेज करते हैं.

टाइगर को इंडस्ट्री की खान तिकड़ी पर गर्व है लेकिन उनके साथ वह काम करने के इच्छुक नहीं है क्योंकि वह कहते हैं कि अगर में खान तिकड़ी के साथ काम करूंगा तो मुझे कौन देखेगा?

आतंकी के नाम पर क्रिकेट टूर्नामेंट में लगा आजादी का नारा

जम्‍मू कश्‍मीर के त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी के नाम पर क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. इस टूर्नामेंट में शामिल हुई 16 टीमों में से 3 के नाम आतंकियों के नाम पर थे. यह प्रतियोगिता हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी के भाई खालिद की याद में आयोजित की गई. खालिद पिछले साल पुलवामा के जंगलों में मारा गया था. सेना का कहना था कि खालिद आतंकी था और मुठभेड़ में वह मारा गया.

किन आतंकियों से इन्सपायर्ड होकर रखे गए नाम….

– बुरहान लायंस, आबिद खान कलंदर्स और खालिद आर्यन्स, इन तीन टीमों के नाम हिज्बुल आतंकियों के नाम पर रखे गए थे.

– एक ऑर्गनाइजर का कहना है कि टूर्नामेंट खालिद मुज्जफ्फर वानी की याद में ऑर्गनाइज किया गया था. खालिद हिज्बुल का आतंकी था. आर्मी ने उसे पिछले साल पुलवामा में एनकाउंटर के दौरान मार गिराया था.

– खालिद तब मारा गया था जब वह अपने भाई से मिलने जंगल में आया था.

पाकिस्तान सुपर लीग से भी इन्सपिरेशन

– टूर्नामेंट में शिरकत करने वाली कुछ टीमों के नाम आईपीएल और पीएसएल की टीमों पर रखे गए थे. पीएसएल यानी पाकिस्तान सुपर लीग को आईपीएल का जवाब बताया जाता है.

– पीएसएल पहली बार इसी साल हुआ था. हालांकि इसे फ्लॉप शो माना गया.

– बुरहान लायंस का नाम बुरहान नाम के आतंकी के इन्सपायर होकर रखा गया. बुरहान हेडमास्टर का बेटा है. उसने 2010 में घर छोड़कर हिज्बुल ज्वाइन कर लिया था.

– इसी तरह आबिद खान कलंदर टीम का नाम हिज्बुल कमांडर आबिद खान से इन्सपायर होकर रखा गया. आबिद एनकाउंटर के दौरान 2014 में मारा गया था. इसी एनकाउंटर में आर्मी का एक कर्नल भी शहीद हुआ था.

– इस टूर्नामेंट को खालिद आर्यन्स टीम ने जीता.

ओपनिंग सेरेमनी में लगे आजादी के नारे

– एक ऑर्गनाइजर ने कहा यह पहली बार है जब टीमों के नाम आतंकियों के नाम पर रखे गए.     -22 फरवरी को ओपनिंग सेरेमनी में कश्मीर की आजादी के नारे लगे.

– फाइनल में खालिद के पिता को चीफ गेस्ट के तौर पर इनवाइट किया गया था.

– इस ऑर्गनाइजर का कहना है कि आतंकियों के नाम पर टीमों के नाम रखना अब यहां जैसे नॉर्मल बात होती जा रही है.

– वैसे तो इस टूर्नामेंट को अप्रैल के दूसरे हफ्ते में ही खत्म होना था लेकिन हंदवाड़ा की घटना के बाद इसमें देर हो गई.

क्यों फूट-फूटकर रोने लगे थे मास्टर ब्लास्टर

महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर की सफलता के पीछे संघर्ष की कई मिसालें हैं. उनसे जुड़ा एक ऐसा वाकया है, जिसे सुनकर आप कहेंगे कि क्या सचिन भी ऐसा कर सकते हैं. दरअसल भारत रत्न सचिन तेंदुलकर एक मैच के बाद इतने भावुक हो गए थे कि ड्रेसिंग रूम में ही फूट-फूटकर रोने लगे. उस वक्त उनको टीम इंडिया की जर्सी नहीं मिली थी और वह सिर्फ 12 साल के थे. यह सचिन का मुंबई के लिए पहला मैच था, जो पुणे में मैच खेला गया था. इतना ही नहीं उनके पास टैक्सी के लिए पैसे भी नहीं थे.

हो गई बारिश और…

मुंबई में मंगलवार को एक कार्यक्रम में सचिन ने बताया, "मैं सिर्फ 12 साल का था, जब मुंबई के लिए मेरा चयन हुआ था, वह मेरा पहला दौरा था. मैं काफी उत्सुक था और कुछ पैसे लेकर हम तीन मैच के लिए पुणे गए थे, लेकिन जैसे ही मैच शुरू हुआ बारिश होने लगी, हम उम्मीद कर रहे थे कि बारिश रुके तो हम थोड़ा क्रिकेट खेल पाएंगे. जब मेरा मौका आया तो मैं 4 रन पर रनआउट हो गया. मैं सिर्फ 12 साल का था, ठीक से विकेट के बीच दौड़ नहीं पाया, मैं निराश था लौटकर ड्रेसिंग रूम में ख़ूब रोया. इसके बाद मुझे दोबारा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला.'

फिल्म देखी, खाया-पिया और पैसे हो गए खत्म

उन्होंने कहा, "क्योंकि बरसात हो रही थी और पूरे दिन हमने कुछ नहीं किया और बिना यह जाने कि पैसे कैसे खत्म करने हैं फिल्म देखी, खाया पिया."

सचिन ने कहा, "मैंने सारे पैसे खत्म कर दिए थे और जब मैं मुंबई वापस लौटा तो मेरी जेब में एक भी पैसा नहीं था. मेरे पास दो बैग थे. हम दादर स्टेशन पर उतरे और वहां से मुझे शिवाजी पार्क तक पैदल जाना पड़ा क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं थे."

अंजलि से मिलने के लिए लौटता था वापस

अंजलि से शादी से पहले मेल-जोल में कितनी मुश्किल आती थी इस बारे में सचिन ने बताया, "मैं बांद्रा से जेजे तक ड्राइव करके जाता था, लेकिन वहां जाकर पता चलता था कि अंजलि किसी मरीज़ को देखने में व्यस्त हैं और वह नहीं आ सकतीं. मैं थोड़ी देर परेशान होता था फिर वापस लौटकर आता था फोन लगाता था, अंजलि के बारे में पता करता था, यह कहने के लिए कि मैं 45-50 मिनट में वापस आ रहा हूं."

…तो ऐसे बनाएं अपने स्मार्टफोन को सुपर फास्ट

फोन लेने के कुछ वक्त बाद ही अक्सर लोगों को फोन हैंग और स्लो होने जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है. और फिर ऐसे में फोन में कुछ भी सेव करना हो तो और मुश्किल. एक से ज्यादा काम करने पर बार-बार फोन या तो स्लो पड़ जाता है या हैंग हो जाता है. इस पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसी एप्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको इस परेशानी से बचाएंगी:

स्मार्टफोन को करें बूस्ट

स्मार्टफोन हैंग करना या स्लो होना आम बात है. कई बार महंगे फोन के हैंग होने की वजह से दूसरों के सामने बेइज्जत तक होना पड़ता है. इन दिनों हर काम के लिए एप डेवलप हो रहे हैं ऐसे में फोन में भी आपको ज्यादा से ज्यादा एप रखने होते हैं. कई एप्स बग से भरे होते हैं तो कई एप आपके मोबाइल को हैंग करने में अहम रोल प्ले करते हैं.

मोबाइल को स्लो करने वाले दूसरे सबसे बड़े कारण वो एप्स हैं जो बंद करने के बाद भी चलते रहते हैं.

गूगल प्ले स्टोर में ऐसे एप्स की भरमार है जो स्मार्टफोन को बूस्ट करने का दावा तो करते हैं, लेकिन असलियत यह है कि वो खुद आपके मोबाइल को हैंग कराने में सहायक होते हैं. पर यहाँ हम आपको कुछ ऐसे एप्स के बारे में बताते हैं जो आपके मोबाइल को बूस्ट करेंगे.

DU Speed Booster

यह एप एंड्रॉयड प्ले स्टोर से सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले बूस्टर एप्स में एक है. यह फोन के बैकग्राउंड में काम करता है और सिस्टम्स के गैर जरूरी फाइल्स को डिलीट करता है. इसके अलावा यह ऑटो स्टार्ट होने वाले एप्स को भी रोक कर बैट्री सेविंग करता है.

Greenify

अपने नाम की ही तरह यह एप आपके स्मार्टफोन को हरा भरा रखेगा. यानी यह मोबाइल के बैकग्राउंड प्रोसेस को हाइबरनेट पर रखता है ताकि वो मोबाइल स्लो ना करें. बैट्री बचाने और परफॉर्मेंस बूस्ट करने में यह माहिर एप माना जाता है.

Andorid Assistant

यह एप देखने में आपको पुराने तरीके का लग सकता है. लेकिन यह आपके एंड्रॉयड में एक्सपर्ट की तरह काम करता है. इसके जरिए आप मोबाइल के फाइल्स, सीपीयू, रैम, रोम, माइक्रो एसडी कार्ड और बैट्री को मॉनिटर और कंट्रोल कर सकते हैं. यह मोबाइल के प्रोसेसर को मैनेज करता है और कैशे क्लियर करके डिवाइस को बूस्ट करता है. इसमें एक वन क्लिक बूस्ट फीचर है जिसके जरिए महज एक क्लिक करके मोबाइल की स्पीड में इंप्रूवमेंट की जा सकती है.

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