समय और मजदूरों की कमी, महंगी मजदूरी, खरपतवारों में बेहिसाब इजाफा जैसी तमाम वजहों से खेती दिनबदिन खासी महंगी होती जा रही है. ऐसी तमाम दिक्कतों से निबटने के लिए अब यंत्रीकृत कृषि समय की जरूरत बन चुकी है. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजार में तमाम सुधरे हुए कृषि यंत्र मौजूद हैं. ऐसा ही एक कृषि यंत्र है रोटावेटर, जो ट्रैक्टरचालित व गैरट्रैक्टरचालित दोनों ही तरीके का होता है. पिछले 4-5 सालों से इस के इस्तेमाल में तेजी आई है, मगर सभी किसान इस की खासीयत को नहीं जान पाए हैं.
रोटावेटर की खूबी यह है कि यह अपनी खास तकनीकी बनावट के कारण 1 ही बार में खेत बोआई के लिए तैयार कर देता?है. इस के द्वारा ज्यादा ताकत से मिट्टी कटने से वह एकदम भुरभुरी हो जाती है और खरपतवारों का भी सफाया हो जाता है. इस से 75 फीसदी समय बचता है और जुताई की लागत में बचत के कारण करीब 3-4 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की बचत हो जाती है, जबकि कल्टीवेटर या दूसरे पुराने यंत्रों से 4 बार जुताई करने के बावजूद मिट्टी ठीक से भुरभुरी नहीं होती और खरपतवारों का भी सफाया नहीं होता.
सुधरा हुआ रोटावेटर यानी रोटोट्रिलड्रिल तो और भी कमाल का है. यह खेत को तैयार करने के साथसाथ सही मात्रा में उर्वरक व बीजों का छिड़काव सही गहराई में कर देता है. अच्छी बात यह?है कि इस समय केंद्र द्वारा संचालित नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत पूरे देश में इस पर अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा?है.
कई किस्म के हैं रोटावेटर : दशकों पहले रोटावेटर बहुत छोटे आकार के आते थे, जोकि केवल किचन गार्डेन और बगीचों के काम में आ पाते थे. लेकिन अब बड़े आकार के रोटावेटर आ रहे हैं और बड़े पैमाने पर इन का इस्तेमाल हो रहा?है.
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