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कहीं आपके पास भी नकली नोट तो नहीं?

आपके पास जो नोट है, वह नकली भी हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर 10 लाख में 250 नोट नकली हैं, यानी कुल 400 करोड़ रुपये के नकली नोट लोगों के पास हैं. नकली नोटों पर हुए अध्ययन से पता चला है कि बाजार में हर साल 70 करोड़ रुपये के नकली नोटों को चलाया जाता है.

ये चौंकाने वाला खुलासा ‘नकली भारतीय करेंसी नोट के सर्कुलेशन की मात्रा के आकंलन’ के अध्ययन से हुआ है. यह अध्ययन भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) कोलकाता द्वारा किया गया है. अध्ययन में कहा गया है कि 100 और 500 के नकली नोट हजार रुपये के नकली नोट से जल्दी पकड़ में आते हैं.

अध्ययन के अनुसार, नकली नोटों की पहचान मुख्य रूप से वाणिज्यिक बैंकों द्वारा की जाती है. हालांकि, उनकी रिपोर्टिंग अनियमित है. तीन बैंक एक्सिस, एचडीएफसी व आईसीआईसीआई नियमित रिपोर्ट करते हैं. आईएसआई ने निष्कर्ष निकाला है कि जब्ती और पता लगाने का मौजूदा सिस्टम नकली नोटों का पता लगाने के लिए काफी है.

संस्थान कहती है कि नकली नोटों की खोज को सुधारा जा सकता है. नकली नोटों की मात्रा को हर साल 20 फीसदी घटाया जा सकता है. एनआइए की जांच के मुताबिक भारत में नकली नोट सबसे ज्यादा पाकिस्तान से आता है.

देश में आर्थिक आतंकवाद से निपटने के लिए मजबूत योजना बनाने का प्रस्ताव है. इसमें एनआइए, सीबीआई, आईबी, डीआईआई, रॉ के साथ राज्यों की पुलिस भी होगी.

सुरक्षा के लिए हजार के नोट में किये गये खास बदलाव

नकली नोटों से निजात पाने के लिए आरबीआई ने कुछ आवश्यक कदम उठाये हैं. जल्द ही दोनों संख्या पैनलों में अंगरेजी अक्षर ‘आर’ बने हुए 1,000 रुपये वर्ग के बैंक नोटों को जारी किये जायेंगे. इन नोटों पर सीधी तरफ सभी अन्य सुरक्षा विशेषताएं मौजूद होंगी, जिनमें अंकों का बढ़ता आकार, ब्लीड लाइनें और बड़ा पहचान चिह्न शामिल है.

सस्ती होने वाली हैं दवाईयां

फार्मा मूल्य नियामक ‘राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य प्राधिकरण’ (एनपीपीए) ने कैंसर, मधुमेह, गठिया, बैक्टीरिया संक्रमण तथा उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के इलाज में काम आने वाली 54 दवाओं की कीमतों की सीमा तय कर दी है.

इसके अलावा केंद्र ने 11 दवाओं के खुदरा मूल्य भी तय किए हैं. नियामक ने बयान में कहा, ‘एनपीपीए ने दवा (मूल्य नियंत्रण) संशोधन आदेश, 2016 की अनुसूची एक के तहत 54 दवाओं के दाम निश्चित या संशोधित किए हैं. इसके अलावा डीपीसीओ, 2013 के तहत 11 दवाओं का खुदरा मूल्य भी निर्धारित किया गया है.’ पिछले महीने सरकार ने कुछ दवाओं के पैक के मूल्य निर्धारित किए थे.

सरकार किसी एक इलाज खंड में सभी दवाओं के औसत के हिसाब से आवश्यक दवाओं का मूल्य तय करती है. इन दवाओं की बिक्री 1% से अधिक होनी चाहिए. कंपनियों को ऐसी दवाओं का दाम एक साल में 10% तक बढ़ाने की अनुमति होती है.

सरकार ने डीपीसीओ 2013 को अधिसूचित किया है. यह 15 मई, 2014 से प्रभावी है. इसके दायरे में 680 दवा फार्मूलेशन आते हैं. इसने 1995 के आदेश का स्थान लिया है जिसके दायरे में सिर्फ 74 थोक दवाएं आती थीं.

 

रौंगटे खड़े कर देगा फिल्म रमन राघव 2.0 का ट्रेलर

अनुराग कश्यप एक बार फिर थ्रीलर फिल्म 'रमन राघव 2.0' को लेकर आए हैं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया है. ट्रेलर देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. इस फिल्म में नवाज सीरियल किलर की भूमिका में नजर आने वाले हैं.

इस फिल्म के साथ अनुराग कश्यप और नवाजुद्दीन सिद्दिकी की जोड़ी एक बार फिर बड़े परदे पर नजर आने वाली है. क्रिमिनल के रोल में नवाजुद्दीन काफी प्रभावित करते आए हैं.

एक बात तो तय है बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हर बार ये साबित किया है कि वह किसी सुपरस्टार से कम नहीं. चाहें फिर फिल्म में हीरो का रोल हो या विलेन का वह हर रोल में अपने आपको ढाल ही लेते हैं.

अनुराग कश्यप निर्देशित यह फिल्म 24 जून को रिलीज होगी. फिल्म में 'मसान' से डेब्यू करने वाले एक्टर विक्की कौशल पुलिस ऑफिसर की भूमिका में नजर आएंगे. खबरों की मानें तो यह फिल्म 1960 के दशक में मुंबई में हत्याएं करने वाले सीरियल किलर रमन राघव पर आधारित है.

नवाजुद्दीन गैंग्स ऑफ वासेपुर, कहानी, बदलापुर, मांझी जैसी फिल्मों में काम कर चुके हैं.

 

एपीजे अब्दुल कलाम पर बनने वाली है बायोपिक

बॉलीवुड में यह साल बायोपिक के नाम लग रहा है. कुछ बायोपिक रिलीज हो चुकी हैं तो कुछ रिलीज होने के लिए तैयार हैं. अब सुनने में आ रहा है कि भारत के ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर भी एक फिल्म बनने जा रही है.

फिल्ममेकर प्रमोद गोरे यह फिल्म बनाएंगे. गोरे की मराठी फिल्म 'रेती" को बीते दिनों रिलीज होने के बाद सराहा गया था. अब वो डॉ एपीजे कलाम के जीवन को बड़े परदे पर लाने की तैयारियां कर रहे हैं. गोरे की योजना है कि इस रोल के लिए इरफान को साइन करें.

सूत्रों से पता चला है कि गोरे हाल ही में रामेश्वरम स्थित कलाम के घर गए थे. यहां उन्होंने डॉ कलाम के भाई से मुलाकात की. फिल्म का नाम ‘एपीजे’ होगा जिसकी शूटिंग जुलाई-अगस्त में शुरू होने की उम्मीद है.

मेकर्स इस फिल्म को अगले साल रिलीज करने की तैयारी कर रहे हैं. डायरेक्टर अभी तय नहीं किया गया है मगर कलाम के तौर पर उनकी पहली पसंद इरफान हैं.

गोरे ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा 'कलाम जी ने देश के लिए बहुत कुछ किया है. वो हम सभी के लिए एक प्रेरणा के समान हैं. मैंने रामेश्वरम की यात्रा की. मैं नहीं चाहता हूं कि इस कहानी को कहने में किसी तरह की गलती की जाए. हालांकि इस फिल्म पर आगे बढ़ने से पहले मैं उनके परिवार से परमिशन लेने की राह देख रहा था.’

उन्होंने आगे बताया कि, ‘मैंने उनके द्वारा लिखे गए सभी 22 किताबें और प्रोजेक्ट खरीदे हैं. इनमें 'इग्नाइटेड माइंड्स', 'विंग्स ऑफ फायर', 'इंडिया 2020' और 'द कलाम इफेक्ट' भी शामिल हैं. यह सब मैंने रिसर्च मटैरियल के तौर पर लिया है. दो-तीन घंटे की फिल्म में उनके पूरे जीवन और उनकी उपलब्धियों को बताना आसान बात नहीं है. मैं इस प्रोजेक्ट को बोर्ड पर लाने के लिए जिम्मेदार हाथों की तलाश कर रहा हूं. यही कारण है कि मैं लीड रोल के लिए इरफान को लेना चाहता हूं. मुझे लगता है कि वो इस रोल के साथ न्याय कर पाएंगे.'

रावत सरकार की मुसीबत ‘बागी विधायक’

न्यायलय से लेकर विधानसभा के अंदर बहुमत साबित करने तक उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार भले ही जंग जीत गई हो पर उसकी मुसीबतें कम न होगी. स्टिंग आपरेशन में सीबीआई जांच और कांग्रेस के बागी विधायको का मसला अभी चल रहा है. अगर बागी विधायको के पक्ष में फैसला जाता है और उनकी अयोग्यता रदद हो जाती है तो रावत सरकार को फिर से बहुमत साबित करना होगा. जिससे साफ हो रहा है कि नई विधानसभा के पहले के बचे समय में रावत सरकार विकास के कामों पर ध्यान देने की जगह पर अपनी सरकार को बचाने के दांवपेंच से उलझी रहेगी. बागी विधायको की सुनवाई 12 जुलाई को होगी. इसके अलावा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को स्टिंग आपरेशन प्रकरण में सीबीआई जांच का सामना करना पड़ सकता है. राजनीतिक जानकार कहतें है कि भाजपा ने जिस तरह से उत्तराखंड की लड़ाई में अपनी शाख गंवाई है उसके बाद वह रावत सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख रखेगी. ऐसे में रावत सरकार के लिये आने वाले दिन कठिन होगे.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने अदालत के फैसले के बाद बहुत ही नरम स्वर में अपनी बात रखी जिससे लगा कि वह अब इस मामले आगे किसी भी तरह के विवाद से बचना चाहते है. यह बात और है कि दिल्ली में कांग्रेस ने केन्द्र सरकार पर अपना हमला जारी रखा है. उत्तराखंड मसले पर कांग्रेस केद्र सरकार को घेर कर अपने खिलाफ लड़ाई को कमजोर करना चाह रही है. केन्द्र सरकार भी इस फजीहत पर बुरी तरह से खफा है. भारत के लोकतंत्र की यह पहली घटना है जहां पर केन्द्र सरकार को इतनी बुरी तरह से अपने कदम वापस खीचने पडे हो. उत्तराखंड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह से लोकसभा में वित्तमंत्री अरूण जेटली ने जीएसटी बिल पर चर्चा करते समय अदालतों के दखल की आलोचना की उससे साफ लग रहा था कि केन्द्र सरकार की सोंच क्या है ?

वित्त मंत्री ने तो वैसे यह बातें वित विधेयक पर चर्चा का जवाब देते कही. अरूण जेटली ने कहा कि अब सरकार के पास बजट बनाने और टैक्स लेने जैसे काम ही रह जायेगे. अरूण जेटली ने कहा कि राजनीति समस्याओ का समाधान न्यायपालिका को नहीं करना चाहिये. सरकारी काम में न्यायपालिका के दखल पर वित्तमंत्री के बयान को उत्तराखंड की लड़ाई से भी जोड़कर देखा जा सकता है. ऐसे में हरीश रावत के लिये आने वाले दिन चुनौतियों भरे होगे. केन्द्र सरकार से जिस सहयोग की आपेक्षा वह कर रहे है उसका मिलना मुश्किल है. उत्तराखंड में भाजपा खुद कई गुटों में बंटी है. हरीश रावत के लिये बेहतर विकल्प होगा कि वह नये चुनावों में जाये. बहुमत की सरकार बनाये जिससे वह उत्तराखंड के विकास के लिये बेहतर तरीके से काम कर सकेगे. 53 दिन के विवाद में उत्तराखंड में हरीश रावत के पक्ष में सहानूभुति की लहर है. कांग्रेस के बागी नेताओं के की छवि खराब हुई है. जिससे कांग्रेस के भीतर हरीश रावत के खिलाफ होने वाली गुटबाजी खत्म हो गई है. जिसका लाभ हरीश रावत सरकार को मिल सकता है. ऐसे में नया जनादेश ही हरीश रावत सरकार के लिये बेहतर विकल्प होगा.

आत्महत्या पर दूसरों को दोषी ठहराना गलत

युवा पत्नी की मृत्यु का दुख कितना होता है, इस का एक उदाहरण उस पति की आत्महत्या से मिला जिसे पत्नी की आत्महत्या के लिए जेल में डाला हुआ था. सेना में 14 साल से कार्यरत लांस नायक विनोद कुमार ने, जो जम्मूकश्मीर का रहने वाला था, 7-8 माह पूर्व घर वालों की मरजी के बिना प्रेमविवाह किया था. प्रेम का चक्कर तो ठीक था पर दोनों को वैवाहिक जीवन रास न आया. पारिवारिक झगड़ों के कारण पहले पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का मुकदमा कर दिया और फिर आत्महत्या कर ली. पत्नी के आत्महत्या करने पर बने सख्त कानून के अंतर्गत सैनिक जवान को जेल भेज दिया गया. सेना ने अदालत से उसे रिहा करने की प्रार्थना भी की पर अदालत ने नहीं सुनी. तनाव और निराशा में डूबे उस जवान ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली. उस की जेब से एक परची मिली, जिस में लिखा था, ‘मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं.’

दहेज कानून को समाज सुधार का तरीका मान कर नेताओं ने तो छुट्टी पा ली पर वे यह भूल गए कि पतिपत्नी का संबंध केवल पैसों का नहीं होता. हां, विवाह में सदियों से लड़की के मातापिता मोटा दहेज देते रहे हैं पर उसी की खातिर लोग विवाह नहीं करते. विवाह तो शारीरिक जरूरत, जीवनसाथी, घर चलाने और बच्चों के लिए किया जाता है. पैसा उस की जरूरी मांग है पर हर पति जानता है कि नाराज पत्नी कभी सुख नहीं दे सकती, न बिस्तर पर न ही घर में. पत्नी के घर वालों को नाराज कर के, पत्नी पर अत्याचार कर के पति सैक्स पा सकता है, घर की नौकरानी पा सकता है पर दिल लुटाने वाली पत्नी नहीं पा सकता.

विवाह में मतभेदों के बहुत से कारण होते हैं पर दहेज कानून केवल एक ही बात सुनता है, पैसे की. जहां विवाह मातापिता द्वारा नियोजित होते हैं वहां तो समझा जा सकता है कि अनमेल विवाह हों पर इन में भी जहां दोनों की सहमति हो गई हो और पिछले 25-30 सालों से बिना सहमति वाले विवाह न के बराबर हो रहे हों, वहां दहेज कानून को तो लगना ही नहीं चाहिए. जहां सुबूत पेश किए जा सकें कि विवाहपूर्व पतिपत्नी आपसी तौर पर एकदूसरे को जानते थे या जानने लगे थे, वहां न तो मामला दहेज हत्या या दहेज आत्महत्या का लगना चाहिए और न ही पत्नी प्रताड़ना का.

लांस नायक विनोद कुमार जैसे हजारों पति व उन के मातापिता देश की जेलों में बंद हैं जहां मामला असल में तलाक का है, क्योंकि पतिपत्नी में नहीं बनी. एक आत्महत्या के लिए दूसरों को दोषी ठहराना गलत है. वैवाहिक संबंधों में सुधार लाने के कार्यक्रम किए जाने चाहिए. जेलें इस काम के लिए गलत जगह हैं.

एक ऐडमिन की कहानी

रात 11 बजे मैं औनलाइन थी. तभी व्हाट्सऐप पर मैसेज आया, गुडनाइट.  एक अजनबी का मैसेज था, इसलिए मैं ने उसे नजरअंदाज कर दिया. सुबह उठते ही फिर मैं ने देखा उसी का गुडमौर्निंग मैसेज. मुझे अच्छा लगा कि किसी ने तो मुझे विश किया. फिर लगातार 3 रात और 2 सुबह वही मैसेज देखने के बाद आज मेरा भी मन गुडमौर्निंग मैसेज का जवाब देने के लिए अनायास ही तैयार हुआ और मेरे हाथ कीपैड पर चले गए.

वह पहली चैटिंग थी हम दोनों के बीच. फिर, ‘‘मैडमजी, कैसे हो आप?’’ मैसेज भेज कर वह मेरे व्हाट्सऐप अकाउंट में एक मिठास लिए अंदर आ गया और शुरू हो गया बातचीत का सिलसिला.

‘‘मैं इस ब्लौक में अभीअभी आया हूं प्रमोट हो कर. मैं ने विभाग के कर्मचारियों का एक गु्रप बनाया है और आप को भी उस में शामिल किया है.’’

‘‘आप ने यह एक सराहनीय कार्य किया है. हम युवतियों को तो इस की सख्त जरूरत है, इस से घर बैठे विभाग की जानकारियां मिल जाती हैं. आप का यह प्रयास प्रशंसनीय है.’’

उसे एक और ऐडमिन की तलाश थी, इसलिए मेरे मना करने पर भी उस ने मुझे अपने गु्रप का ऐडमिन बना दिया. पता नहीं क्यों उस पहली चैटिंग से हम दोनों को एक अजीब सी खुशी मिली थी.

उस की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मैं गु्रप के लिए कहानीकिस्से, कविताएं लिखने लगी. वह मेरी हर पोस्ट की खुले दिल से तारीफ करता, तो गु्रप के अन्य सदस्य भी ऐसा ही करते. मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ गु्रप चलाने में उस का सहयोग करने लगी. हम दोनों गु्रप की हर पोस्ट पर अपने पर्सनल अकाउंट में आ कर चर्चा करते, हंसते, मजाक करते.

एक दिन मैसेज आया, ‘‘हैलोजी, आप का स्वागत है फूलों की पिक के साथ.’’ उस के शहद घुले शब्द मुझ पर जादू बिखेर रहे थे. मुझे लगा वह मेरे नजदीक आ रहा है. न चाहते हुए भी मैं किसी चुंबक की भांति उस की ओर खिंचती चली जा रही थी. अपना इनबौक्स मैं दिन भर 20-25 बार चैक करती कि कहीं उस ने मुझे कोई मैसेज तो नहीं भेजा. वह औनलाइन होता तो मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती. एक दिन उस का एक मैसेज आया, ‘‘हैलोजी, कैसी हैें? आज तो बहुत प्यारी लग रही हैं और खुश भी.’’

मैं घबरा कर औफलाइन हो गई. उस ने कुछ और मैसेज भेजे. लेकिन मैं ने किसी का भी जवाब नहीं दिया तो वह झुंझला उठा, ‘‘आप मेरे मैसेज बारबार देख रही हैं पर जवाब क्यों नहीं देतीं?’’

‘‘आप पर इमोशंस हावी हो रहे हैं. अपने पर नियंत्रण रखिए.’’

‘‘अगर यही बात मैं आप से कहूं तो…’’

‘‘स्टौप, अपनी मर्यादा में रहिए और अपनी सीमा मत लांघिए,’’ मैं ने अपनी भावनाओं को छिपाते हुए सख्ती से कहा.

‘‘सच तो यह है कि आप भी मुझे फील करने लगी हैं. मुझ से बात करना पसंद करती हैं. मुझे महसूस करती हैं.’’

मैं निरुत्तर थी, क्योंकि उस की बातें बिलकुल सही थीं. मैं तुरंत औफलाइन हो गई. एक उलझन, बेचैनी, कशमकश मुझे घेरती जा रही थी, जिसे कभी देखा तक नहीं, उस के करीब जाना एक रोमांच पैदा कर रहा था. रातभर नींद नहीं आई. सुबह देखा तो वही मैसेज, ‘‘गुडमौर्निंगजी.’’ फिर जैसे एक सम्मोहन सा छाने लगा मुझ पर. उस का विश करना मुझे अच्छा लगता था, मगर पांव आगे बढ़ने से रुक रहे थे.

मैं ने संकेतस्वरूप उसे मैसेज किया, ‘‘दरवाजे खुले हैं, पर दहलीज पर पांव अचानक ठहर जाते हैं. मन रोकता है, सौ बार सोचता है कि कहीं ऐसा न हो कि ये जमीं भी न रहे पैरों तले उड़ने की चाह में.’’

पर शायद वह संकेत समझ नहीं सका या समझना नहीं चाहता था. दिनभर मुझे इधरउधर के मैसेज करता रहा, पर मैं ने किसी का जवाब नहीं दिया. वह बेचैन हो उठा. उस की बेचैनी मेरा डर बढ़ा रही थी. शाम होते ही मैं ने इस रिश्ते को खत्म करने का निर्णय ले लिया था. मैं ने मैसेज किया, ‘‘मेरे घर वालों को पता चल गया है कि मैं एक अजनबी से बात करती हूं. उन्हें यह पसंद नहीं, इसलिए मुझे आप का अकाउंट ब्लौक करना पड़ रहा है. सो आई एम सौरी.’’ और मैं ने उसे ब्लौक कर दिया लेकिन रात होते ही मैं व्याकुल हो उठी. लगा मैं ने गलत कर दिया. उस के गु्रप में मैसेज देखती रही. वह ऐडमिन गु्रप मैंबर्स को किसी हीरो की तरह कमांड कर रहा था. एकदम से मेरे दिल ने कहा कि इसे अनब्लौक कर दो.

वह मेरा ही इंतजार कर रहा था. मेरे अकाउंट अनब्लौक करते ही उस का मैसेज आया, ‘‘मुझे विश्वास था कि आप जरूर आओगी. मैं कभी किसी को ब्लौक नहीं करता अगर किसी ने मुझे ब्लौक किया तो उस से कभी बात नहीं करता. आप पहली हैं जिस से मैं बात कर रहा हूं. अगर आप ने दोबारा ऐसा किया तो मैं आप से कभी बात नहीं करूंगा.’’

‘‘क्यों शहद बन कर मुझे मक्खी बनने को मजबूर कर रहे हैं? मुझे लग रहा है जैसे आप के पास कोई चुंबक है जो मुझे आप की ओर ले जा रहा है. आप का मुझे रोज गुडमौर्निंग और गुडनाइट मैसेज करना बहुत अच्छा लगता है. जिस दिन न मिला तो मैं बेचैन हो जाती हूं.’’

‘‘मुझे भी आप जैसी आदत होती जा रही है. आप से बात न होने पर लगता है जैसे सब कुछ लुट गया. मैं भावनाओं में बहने लगता हूं. मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं.’’

मेरा भरोसा उस पर बढ़ता जा रहा था और उस से मिलने का मन हो रहा था. एक दिन मैं ने उसे अपने औफिस मिलने के लिए बुलाया. हम पहली बार मिल रहे थे.

वह आया तो औफिस में और भी लोग थे. वह बुरी तरह नर्वस व डरा हुआ था. उस के कपड़े पसीने से भीग गए थे. मेरी स्थिति भी कुछ ऐसी ही थी. मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी. लग रहा था सब हमें ही घूर रहे हैं. वह स्टाफ के अन्य लोगों के सामने औपचारिक बातचीत के बाद तेजी से चला गया.

घर आने पर मैं ने नैट औन किया तो वह औनलाइन था और बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहा था. पहली बार देखने पर मेरी प्रतिक्रिया जानना चाहता था.

‘‘आप बहुत खूबसूरत हैं. आज भी किसी टीनएजर को मात करती हैं. आप के चेहरे की मासूमियत किसी का भी दिल जीत सकती है. योग्यता और सुंदरता का अद्भुत संगम हैं आप,’’ उस ने तुरंत मैसेज किया.

‘‘पर मुझे आप की औनलाइन वाली पर्सनैलिटी से रियल लाइफ वाली पर्सनैलिटी बिलकुल अलग दिखी.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘व्हाट्सऐप पर गु्रप में आप जितने कमांडिंग और बोल्ड नजर आते हैं, उतने हकीकत में नहीं दिखे. आप डरे हुए थे.’’

‘‘अच्छा….और आप? घिग्घी बंधी थी आप की, मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा.’’

‘‘अरे, तो आप को घूरती क्या? मैं खुद डरी हुई थी.’’

‘‘तो यही स्थिति मेरे साथ थी. मैं भी तो पहली बार मिल रहा था आप से. और मैं 2 नहीं 1 ही हूं. जो मोबाइल के अंदर वही बाहर अफसोस आप को संतुष्ट नहीं कर पाया.’’

मैं औफलाइन हो गई. मैं ने एक बोल्ड और हैंडसम ऐडमिन की कल्पना की थी. मगर सबकुछ इस के विपरीत था. लेकिन मुझे व्हाट्सऐप पर पिछली चैटिंग रहरह कर याद आ रही थी. मैं उस से दूर हो कर भी दूर नहीं जा पा रही थी. वह दुखी हो गया था. उसे दुखी कर के मुझे भी कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मैं उस के अकाउंट में खुद को जाने से रोक नहीं सकी. वह औनलाइन था.

‘‘हैलोजी.’’

‘‘जी.’’

‘‘आई एम सौरी. मैं गलत, आप सही.’’

‘‘आप की बातें सुनने के बाद मुझे लगा सब खत्म हो गया. मगर मुझे विश्वास था आप आएंगी. आज मैं आप से अपने दिल की बात कहूंगा. आप को चाहे अच्छा लगे या बुरा. आप मेरे मनमस्तिष्क में पूरी तरह समा चुकी हैं, दिल में गहराई तक उतर चुकी हैं. अब मैं किसी भी हालत में आप से दूर नहीं रह सकता. सच तो यह है कि मैं आप से प्यार करने लगा हूं.’’

‘‘यह मैसेज पढ़ते ही मैं औफलाइन हो गई. मेरी धड़कन तेज हो गई, दिमाग शून्य हो गया. घबराहट की वजह से दिनभर उस से बात नहीं की. बस, बारबार अपना इनबौक्स चैक करती रहती. रातभर नहीं सोई. सुबह औनलाइन होते ही जैसे ही मैं ने अपना इनबौक्स चैक किया तो उस में गुडमौर्निंग मैसेज नहीं था.

यह देख मैं तड़प उठी. मुझे उस के इस मैसेज की आदत जो पड़ गई थी. मेरी हालत बिन पानी की मछली के समान हो गई. अजीब सी कशमकश और दुविधा मुझे घेरे हुए थी. मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था. जब देखा कि दवा सिर्फ उसी के पास है तो मैं ने उसे मैसेज लिख दिया, ‘‘आप सही, मैं गलत. आप का प्यार सच्चा, शहद की तरह.’’

वह जैसे मेरे ही इंतजार में बैठा था. अगले ही पल औनलाइन था, ‘‘आप को नहीं लगता जब हम दोनों बात करते हैं तो एक लहर सी उठती है एक लय में, एक ताल में, एक सुर में, जैसे इठलाती हुई एक नदी सागर से मिलने के लिए बेताब हो.’’

‘‘जी, आप की सारी बातें 100त्न सही हैं.’’

‘‘आप जब भी आईं अपनी इच्छा से और गईं भी अपनी मरजी से पर मेरे तीन शब्द हमेशा बिना पढ़े छोड़ गईं.’’

‘‘आज मैं नहीं जाऊंगी आप कहिए.’’

‘‘नहीं रह सकता आप के बिना मैं. आप के दिल में वहां पहुंच चुका हूं जहां से वापस आना नामुमकिन है.’’

‘‘मुझ से क्या चाहते हैं?’’

‘‘सिर्फ और सिर्फ आप का प्यार.’’

‘‘और आप के अंतिम तीन शब्द?’’

‘‘आई लव यू.’’

2 मिनट सन्नाटा छा गया. फिर मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, फिर कांपते हाथ कीपैड पर चले गए और मैं ने भी मैसेज भेज दिया, ‘‘लव यू टू.’’

ताकि मुसकराते रहें केश

फैशनेबल और स्टाइलिश दिखने की होड़ के चलते आजकल युवतियां केशों पर तरहतरह के ऐक्सपैरिमैंट करवाती रहती हैं. जैसे हेयर स्मूदनिंग, स्ट्रेटनिंग, रिबौंडिंग, पर्मिंग आदि. लेकिन इन्हें करवाने का नतीजा कई बार यह होता है कि अच्छेखासे दिखने वाले केश भी बेढंगे से दिखने लगते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस तरह के ऐक्सपैरिमैंट कराते वक्त वे कुछ बातों को अनदेखा कर जाती हैं. उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए यहां इसी संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारियां दे रही हैं हेयर ऐक्सपर्ट इंद्रजीत कौर.

स्ट्रेटनिंग, रिबौंडिग, पर्मिंग कराने के बाद भी मनचाहा लुक न मिले तो गौर फरमाएं कुछ खास टिप्स पर…

इंद्रजीत कहती हैं कि भारतीय युवतियों के केश रफ होने के साथ ही सिल्की भी नहीं होते. इसीलिए हमारे यहां की 95% युवतियां स्ट्रेटनिंग, रिबौंडिंग, स्मूदनिंग करवाती हैं जबकि 5% सिर्फ पर्मिंग. लेकिन इन्हें करवाते वक्त कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

रखें ध्यान

  1. टूट रहे केशों की स्ट्रेटनिंग हो सकती है, लेकिन रिबौंडिंग नहीं.
  2. ज्यादा रफ केशों की स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग नहीं हो सकती. इस से पहले कस्टमर को सप्ताह में 7-8 सिटिंग्स हेयर स्पा की लेनी होती हैं.
  3. केशों को कुनकुने या ठंडे पानी से ही धोएं.
  4. ज्यादा शैंपू करने से बचें, क्योंकि बहुत ज्यादा शैंपू केशों को ड्राई बनाता है.
  5. हेयरवाश के बाद कंडीशनर जरूर अप्लाई करें. बाद में केशों को ठंडे पानी से धो लें. इस से उन में चमक आएगी.
  6. केशों को धोने के बाद तौलिए से न , बल्कि हलके हाथों से सुखाएं.
  7. रोजाना केशों की ओपन मसाज करें. इस से रक्तसंचार बढ़ेगा और केशों को पोषण मिलेगा. हेयर मसाज के बाद केशों को गरम पानी में भिगोए तौलिए में लपेट कर स्टीम दें. इस से उन में चमक आएगी.
  8. कर्लिंग आयरन का इस्तेमाल कम करें और आयरनिंग हमेशा जड़ों से ही करें. अगर ऐसा नहीं करेंगी तो केश उड़ेउड़े से लगेंगे.
  9. ड्रायर इस्तेमाल करते वक्त ड्रायर का मुंह हमेशा नीचे की तरफ रखें और केशों को ड्राई ऊपर से नीचे की तरफ सहलाते हुए करें.

कैसे बचें हेयर फौल से

  1. गीले केशों में कंघी करने से वे ज्यादा टूटते हैं, इसलिए गीले केशों में कंघी न करें.
  2. स्कैल्प की रोजाना 10-15 मिनट नारियल या फिर बादाम के तेल से मसाज करें.
  3. खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक लें.

ऐक्सपर्ट की सलाह

इंद्रजीत कौर ने कुछ सवालों के जवाब कुछ इस तरह से दिए-

स्टे्रटनिंग या रिबौंडिंग किस मौसम में करवाएं? केशों को कैसे मैंटेन रखें?

केशों की स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग कराने के बाद उन्हें ज्यादा समय तक वैसा ही रखने के लिए शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से केश वैसे ही बने रहेंगे.

जुलाई से सितंबर तक मानसून सीजन की वजह से स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग अच्छा रिजल्ट नहीं दे पाती.

72 घंटों तक बरतें सावधानी

  1. रिबौंडिंग या स्टे्रटनिंग कराने के बाद 72 घंटों तक सावधानी बरतनी जरूरी है. ऐसा न करने से 100% रिजल्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती.
  2. केशों को कान के पीछे न करें. क्लिप, क्लच व हेयरबैंड, रबड़बैंड आदि भी न लगाएं.
  3. केशों को गीला न करें.
  4. 72 घंटों तक ऐक्सरसाइज, डांसिंग, जौगिंग आदि भी न करें.
  5. स्ट्रेटनिंग या रिबौंडिंग के बाद 1-2 महीने तक स्टीम न कराएं.

हेयर कट से पहले

  1. हेयर कट करवाते वक्त चेहरा सैंटर में होना चाहिए वरना हेयर कट गलत हो जाएगा. साथ ही ज्यादा सिर को भी न हिलाएं.
  2. केशों को धोने के बाद तौलिए से न ?ाड़ें, क्योंकि ऐसा करने पर केश टूटते तो हैं ही, साथ ही कमजोर भी होते हैं.
  3. केश औयली हो गए हों तो कूलमिंट शैंपू से इस समस्या को दूर भगाएं.

(दिल्ली प्रैस भवन में फेब मीटिंग के दौरान हेयर ऐक्सपर्ट इंद्रजीत कौर से गीतांजलि द्वारा की गई बातचीत पर आधारित

गुलाबी होंठ उड़ा दें होश

चेहरे की सुंदरता में होंठों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. होंठों की खूबसूरती को बढ़ा कर अपने व्यक्तित्व को आप और ज्यादा आकर्षक बना सकती हैं. प्राकृतिक तौर पर किसी के होंठ पतले होते हैं, तो किसी के मोटे, किसी का चेहरा भराभरा होता है, तो उस के होंठ चेहरे के अनुपात में काफी पतले होते हैं. इन कमियों को आप लिपस्टिक के जरीए दूर कर सकती हैं. लेकिन इस के लिए आप को लिपस्टिक के रंगों का चयन अपने व्यक्तित्व के हिसाब से करना आना जरूरी है.

लिपस्टिक के रंग का चुनाव चेहरे और होंठों की बनावट, शरीर और केशों का रंग, उम्र और किस तरह की ड्रैस आप पहन रही हैं, यह देख कर करना चाहिए. अगर आप को लिपस्टिक चुनने की समझ और उसे लगाने के तौरतरीकों के बारे में जानकारी नहीं है, तो लेने के देने पड़ सकते हैं. तब यह आप की सुंदरता को बढ़ाने के बजाय बिगाड़ भी सकती है. जब आप को लिपस्टिक लगानी हो तो उस से कुछ देर पहले थोड़ी सी रुई पर क्लींजिंग मिल्क लगा उस से होंठों को साफ करें. इस के बाद होंठों की आउटलाइन बना कर लिपस्टिक लगाएं.

अगर आप के होंठ पतले हैं और उन्हें सुडौल दिखाना है, तो उन्हें बाहर की तरफ से आउटलाइन करें और अगर आप के लिप्स मोटे हैं, तो अंदर की तरफ से लाइन खींचें. लिपस्टिक लिपब्रश से लगाना ही बेहतर रहता है, क्योंकि इस से उस के फैलने का डर नहीं रहता है और लिपस्टिक लगती भी एकसार है.

होंठों की सुंदरता

लिपस्टिक की मदद से न सिर्फ होंठों की सुंदरता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि इस से होंठों को मनपसंद आकार भी दिया जा सकता है. चेहरा छोटा होने पर ऊपर के होंठ पर गहरे रंग की लिपस्टिक तथा नीचे के होंठ पर थोड़े हलके रंग की लिपस्टिक लगानी चाहिए. इसी तरह चेहरा बड़ा होने पर ऊपर के होंठ पर हलके रंग की तथा निचले होंठ पर थोड़ी गहरी लिपस्टिक लगानी चाहिए. हलके और गहरे रंग की लिपस्टिक एकसाथ लगाने से भी चेहरे पर निखार आ जाता है. होंठों पर हलके रंग की लिपस्टिक लगा कर अतिरिक्त लिपस्टिक को टिशू पेपर से छुड़ा लें और फिर गहरे रंग की लिपस्टिक लगाने के बाद होंठों पर थोड़ी सी वैसलीन या लिपग्लौस लगा लेने से होंठों में चमक आ जाती है. इस के अलावा अगर आप रोजाना लिपस्टिक का इस्तेमाल करती हैं, तो रात को सोने से पहले होंठों पर वैसलीन लगाना न भूलें. इस के बाद सुबह उठने के बाद नियमित रूप से होंठों को अच्छी तरह साफ कर उन की घी, मलाई या जैतून के तेल से मालिश करें.

लिपस्टिक का प्रयोग अवसर के अनुसार करना चाहिए. अगर आप औफिस जा रही हैं, तो हलके रंग की लिपस्टिक तथा किसी पार्टी में जाना हो तो गहरे रंग की लिपस्टिक का प्रयोग करें. दिन के बजाय रात में गहरे रंग की लिपस्टिक अधिक अच्छी लगती है. लेकिन अधिक गहरे रंग की लिपस्टिक लगाने से पूर्व अपनी उम्र को भी ध्यान में रखना चाहिए. गहरे रंग की लिपस्टिक एक उम्र के बाद अच्छी नहीं लगती. इस के चुनाव में पहले परिधान पर भी ध्यान दें.

लिपस्टिक हमेशा अच्छे ब्रैंड की ही इस्तेमाल करें. सौंदर्य विशेषज्ञ पी.के. तलवार कहते हैं कि सस्ते ब्रैंड की लिपस्टिक से होंठ खराब हो जाते हैं. उन पर काले निशान पड़ जाते हैं और वे अपनी प्राकृतिक रंगत खो देते हैं. इस के अलावा रात को सोने से पहले लिपस्टिक को उतारना न भूलें. इस के लिए रुई में थोड़ा सा क्लींजिंग मिल्क लगा कर उस से होंठों को धीरेधीरे साफ करें. फिर थोड़ी सी मलाई में नीबू का रस मिला कर होंठों की धीमेधीमे मालिश करें.

इरफान खान क्यों नहीं करेेंगे कंगना के साथ काम?

इरफान खान और कंगना रानौट के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. सूत्रों की माने तो इरफान खान और कंगना रानौट एक साथ फिल्म ‘‘डिवाइन लवर्स’’ में काम करने वाले थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. सूत्रों की माने तो कंगना रानौट को जिस ढंग से सफलता हासिल हा रही है, उससे कई दूसरे अभिनेताआं की ही तरह इरफान खान को भी तकलीफ हो गयी है. मगर खुद इरफान खान,कंगना के संग किसी भी तरह के मनमुटाव या अनबन की खबरों को गलत बताते हुए यह भी स्पष्ट करते हैं कि अब कंगना रानौट के साथ फिल्म‘‘डिवाइन लवर्स’’में काम करना असंभव है.

खुद इरफान खान कहते हैं-‘‘आज की तारीख में फिल्म ‘डिवाइन लवर्स’में कंगना रानौट के साथ काम करना असंभव सा लग रहा है. इन दिनों कंगना के साथ काम करना कठिन होता जा रहा है. वह हर फिल्म में हीरो के किरदार मानती हैं. ऐसे में यदि किसी फिल्म में कंगना हीरो और मैं हीरोईन बन सकूं, तभी उनके साथ काम करना संभव होगा. ’’इधर इरफान ने कंगना के संग काम करने से इंकार किया, उधर खबर आयी है कि अब फिल्म‘‘डिवाइन लवर्स’’ में कंगना की जगह इरफान के साथ जरीन खान अभिनय करने वाली हैं. इस सारे विवाद के बीच बालीवुड में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

बालीवुड से जुड़े कुछ लोग इसे अहं की लड़ाई मानकर चल रहे हैं. तो कुछ लोगों की राय में इरफान खान अब किसी भी सशक्त अभिनेत्री के साथ काम करने से बचना चाहते हैं. इसीलिए वह ‘डिवाइन लवर्स’में जरीन खान के साथ काम करने के लिए राजी हुए होंगे,क्योंकि जरीन खान की अपनी कोई पहचान ही नहीं बनी है.जबकि कुछ सूत्र दावा करते हंै कि इरफान खान कभी भी एक हीरोईन के मुकाबले कमतर वाला किरदार नहीं निभा सकते..

सच तो इरफान ही जानते हैं,जिसे शायद वह खुलकर कबूल नहीं करना चाहते…

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