रात 11 बजे मैं औनलाइन थी. तभी व्हाट्सऐप पर मैसेज आया, गुडनाइट. एक अजनबी का मैसेज था, इसलिए मैं ने उसे नजरअंदाज कर दिया. सुबह उठते ही फिर मैं ने देखा उसी का गुडमौर्निंग मैसेज. मुझे अच्छा लगा कि किसी ने तो मुझे विश किया. फिर लगातार 3 रात और 2 सुबह वही मैसेज देखने के बाद आज मेरा भी मन गुडमौर्निंग मैसेज का जवाब देने के लिए अनायास ही तैयार हुआ और मेरे हाथ कीपैड पर चले गए.
वह पहली चैटिंग थी हम दोनों के बीच. फिर, ‘‘मैडमजी, कैसे हो आप?’’ मैसेज भेज कर वह मेरे व्हाट्सऐप अकाउंट में एक मिठास लिए अंदर आ गया और शुरू हो गया बातचीत का सिलसिला.
‘‘मैं इस ब्लौक में अभीअभी आया हूं प्रमोट हो कर. मैं ने विभाग के कर्मचारियों का एक गु्रप बनाया है और आप को भी उस में शामिल किया है.’’
‘‘आप ने यह एक सराहनीय कार्य किया है. हम युवतियों को तो इस की सख्त जरूरत है, इस से घर बैठे विभाग की जानकारियां मिल जाती हैं. आप का यह प्रयास प्रशंसनीय है.’’
उसे एक और ऐडमिन की तलाश थी, इसलिए मेरे मना करने पर भी उस ने मुझे अपने गु्रप का ऐडमिन बना दिया. पता नहीं क्यों उस पहली चैटिंग से हम दोनों को एक अजीब सी खुशी मिली थी.
उस की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मैं गु्रप के लिए कहानीकिस्से, कविताएं लिखने लगी. वह मेरी हर पोस्ट की खुले दिल से तारीफ करता, तो गु्रप के अन्य सदस्य भी ऐसा ही करते. मैं पूरे आत्मविश्वास के साथ गु्रप चलाने में उस का सहयोग करने लगी. हम दोनों गु्रप की हर पोस्ट पर अपने पर्सनल अकाउंट में आ कर चर्चा करते, हंसते, मजाक करते.
एक दिन मैसेज आया, ‘‘हैलोजी, आप का स्वागत है फूलों की पिक के साथ.’’ उस के शहद घुले शब्द मुझ पर जादू बिखेर रहे थे. मुझे लगा वह मेरे नजदीक आ रहा है. न चाहते हुए भी मैं किसी चुंबक की भांति उस की ओर खिंचती चली जा रही थी. अपना इनबौक्स मैं दिन भर 20-25 बार चैक करती कि कहीं उस ने मुझे कोई मैसेज तो नहीं भेजा. वह औनलाइन होता तो मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती. एक दिन उस का एक मैसेज आया, ‘‘हैलोजी, कैसी हैें? आज तो बहुत प्यारी लग रही हैं और खुश भी.’’
मैं घबरा कर औफलाइन हो गई. उस ने कुछ और मैसेज भेजे. लेकिन मैं ने किसी का भी जवाब नहीं दिया तो वह झुंझला उठा, ‘‘आप मेरे मैसेज बारबार देख रही हैं पर जवाब क्यों नहीं देतीं?’’
‘‘आप पर इमोशंस हावी हो रहे हैं. अपने पर नियंत्रण रखिए.’’
‘‘अगर यही बात मैं आप से कहूं तो…’’
‘‘स्टौप, अपनी मर्यादा में रहिए और अपनी सीमा मत लांघिए,’’ मैं ने अपनी भावनाओं को छिपाते हुए सख्ती से कहा.
‘‘सच तो यह है कि आप भी मुझे फील करने लगी हैं. मुझ से बात करना पसंद करती हैं. मुझे महसूस करती हैं.’’
मैं निरुत्तर थी, क्योंकि उस की बातें बिलकुल सही थीं. मैं तुरंत औफलाइन हो गई. एक उलझन, बेचैनी, कशमकश मुझे घेरती जा रही थी, जिसे कभी देखा तक नहीं, उस के करीब जाना एक रोमांच पैदा कर रहा था. रातभर नींद नहीं आई. सुबह देखा तो वही मैसेज, ‘‘गुडमौर्निंगजी.’’ फिर जैसे एक सम्मोहन सा छाने लगा मुझ पर. उस का विश करना मुझे अच्छा लगता था, मगर पांव आगे बढ़ने से रुक रहे थे.
मैं ने संकेतस्वरूप उसे मैसेज किया, ‘‘दरवाजे खुले हैं, पर दहलीज पर पांव अचानक ठहर जाते हैं. मन रोकता है, सौ बार सोचता है कि कहीं ऐसा न हो कि ये जमीं भी न रहे पैरों तले उड़ने की चाह में.’’
पर शायद वह संकेत समझ नहीं सका या समझना नहीं चाहता था. दिनभर मुझे इधरउधर के मैसेज करता रहा, पर मैं ने किसी का जवाब नहीं दिया. वह बेचैन हो उठा. उस की बेचैनी मेरा डर बढ़ा रही थी. शाम होते ही मैं ने इस रिश्ते को खत्म करने का निर्णय ले लिया था. मैं ने मैसेज किया, ‘‘मेरे घर वालों को पता चल गया है कि मैं एक अजनबी से बात करती हूं. उन्हें यह पसंद नहीं, इसलिए मुझे आप का अकाउंट ब्लौक करना पड़ रहा है. सो आई एम सौरी.’’ और मैं ने उसे ब्लौक कर दिया लेकिन रात होते ही मैं व्याकुल हो उठी. लगा मैं ने गलत कर दिया. उस के गु्रप में मैसेज देखती रही. वह ऐडमिन गु्रप मैंबर्स को किसी हीरो की तरह कमांड कर रहा था. एकदम से मेरे दिल ने कहा कि इसे अनब्लौक कर दो.
वह मेरा ही इंतजार कर रहा था. मेरे अकाउंट अनब्लौक करते ही उस का मैसेज आया, ‘‘मुझे विश्वास था कि आप जरूर आओगी. मैं कभी किसी को ब्लौक नहीं करता अगर किसी ने मुझे ब्लौक किया तो उस से कभी बात नहीं करता. आप पहली हैं जिस से मैं बात कर रहा हूं. अगर आप ने दोबारा ऐसा किया तो मैं आप से कभी बात नहीं करूंगा.’’
‘‘क्यों शहद बन कर मुझे मक्खी बनने को मजबूर कर रहे हैं? मुझे लग रहा है जैसे आप के पास कोई चुंबक है जो मुझे आप की ओर ले जा रहा है. आप का मुझे रोज गुडमौर्निंग और गुडनाइट मैसेज करना बहुत अच्छा लगता है. जिस दिन न मिला तो मैं बेचैन हो जाती हूं.’’
‘‘मुझे भी आप जैसी आदत होती जा रही है. आप से बात न होने पर लगता है जैसे सब कुछ लुट गया. मैं भावनाओं में बहने लगता हूं. मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं.’’
मेरा भरोसा उस पर बढ़ता जा रहा था और उस से मिलने का मन हो रहा था. एक दिन मैं ने उसे अपने औफिस मिलने के लिए बुलाया. हम पहली बार मिल रहे थे.
वह आया तो औफिस में और भी लोग थे. वह बुरी तरह नर्वस व डरा हुआ था. उस के कपड़े पसीने से भीग गए थे. मेरी स्थिति भी कुछ ऐसी ही थी. मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी. लग रहा था सब हमें ही घूर रहे हैं. वह स्टाफ के अन्य लोगों के सामने औपचारिक बातचीत के बाद तेजी से चला गया.
घर आने पर मैं ने नैट औन किया तो वह औनलाइन था और बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहा था. पहली बार देखने पर मेरी प्रतिक्रिया जानना चाहता था.
‘‘आप बहुत खूबसूरत हैं. आज भी किसी टीनएजर को मात करती हैं. आप के चेहरे की मासूमियत किसी का भी दिल जीत सकती है. योग्यता और सुंदरता का अद्भुत संगम हैं आप,’’ उस ने तुरंत मैसेज किया.
‘‘पर मुझे आप की औनलाइन वाली पर्सनैलिटी से रियल लाइफ वाली पर्सनैलिटी बिलकुल अलग दिखी.’’
‘‘मतलब?’’
‘‘व्हाट्सऐप पर गु्रप में आप जितने कमांडिंग और बोल्ड नजर आते हैं, उतने हकीकत में नहीं दिखे. आप डरे हुए थे.’’
‘‘अच्छा….और आप? घिग्घी बंधी थी आप की, मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा.’’
‘‘अरे, तो आप को घूरती क्या? मैं खुद डरी हुई थी.’’
‘‘तो यही स्थिति मेरे साथ थी. मैं भी तो पहली बार मिल रहा था आप से. और मैं 2 नहीं 1 ही हूं. जो मोबाइल के अंदर वही बाहर अफसोस आप को संतुष्ट नहीं कर पाया.’’
मैं औफलाइन हो गई. मैं ने एक बोल्ड और हैंडसम ऐडमिन की कल्पना की थी. मगर सबकुछ इस के विपरीत था. लेकिन मुझे व्हाट्सऐप पर पिछली चैटिंग रहरह कर याद आ रही थी. मैं उस से दूर हो कर भी दूर नहीं जा पा रही थी. वह दुखी हो गया था. उसे दुखी कर के मुझे भी कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मैं उस के अकाउंट में खुद को जाने से रोक नहीं सकी. वह औनलाइन था.
‘‘हैलोजी.’’
‘‘जी.’’
‘‘आई एम सौरी. मैं गलत, आप सही.’’
‘‘आप की बातें सुनने के बाद मुझे लगा सब खत्म हो गया. मगर मुझे विश्वास था आप आएंगी. आज मैं आप से अपने दिल की बात कहूंगा. आप को चाहे अच्छा लगे या बुरा. आप मेरे मनमस्तिष्क में पूरी तरह समा चुकी हैं, दिल में गहराई तक उतर चुकी हैं. अब मैं किसी भी हालत में आप से दूर नहीं रह सकता. सच तो यह है कि मैं आप से प्यार करने लगा हूं.’’
‘‘यह मैसेज पढ़ते ही मैं औफलाइन हो गई. मेरी धड़कन तेज हो गई, दिमाग शून्य हो गया. घबराहट की वजह से दिनभर उस से बात नहीं की. बस, बारबार अपना इनबौक्स चैक करती रहती. रातभर नहीं सोई. सुबह औनलाइन होते ही जैसे ही मैं ने अपना इनबौक्स चैक किया तो उस में गुडमौर्निंग मैसेज नहीं था.
यह देख मैं तड़प उठी. मुझे उस के इस मैसेज की आदत जो पड़ गई थी. मेरी हालत बिन पानी की मछली के समान हो गई. अजीब सी कशमकश और दुविधा मुझे घेरे हुए थी. मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था. जब देखा कि दवा सिर्फ उसी के पास है तो मैं ने उसे मैसेज लिख दिया, ‘‘आप सही, मैं गलत. आप का प्यार सच्चा, शहद की तरह.’’
वह जैसे मेरे ही इंतजार में बैठा था. अगले ही पल औनलाइन था, ‘‘आप को नहीं लगता जब हम दोनों बात करते हैं तो एक लहर सी उठती है एक लय में, एक ताल में, एक सुर में, जैसे इठलाती हुई एक नदी सागर से मिलने के लिए बेताब हो.’’
‘‘जी, आप की सारी बातें 100त्न सही हैं.’’
‘‘आप जब भी आईं अपनी इच्छा से और गईं भी अपनी मरजी से पर मेरे तीन शब्द हमेशा बिना पढ़े छोड़ गईं.’’
‘‘आज मैं नहीं जाऊंगी आप कहिए.’’
‘‘नहीं रह सकता आप के बिना मैं. आप के दिल में वहां पहुंच चुका हूं जहां से वापस आना नामुमकिन है.’’
‘‘मुझ से क्या चाहते हैं?’’
‘‘सिर्फ और सिर्फ आप का प्यार.’’
‘‘और आप के अंतिम तीन शब्द?’’
‘‘आई लव यू.’’
2 मिनट सन्नाटा छा गया. फिर मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, फिर कांपते हाथ कीपैड पर चले गए और मैं ने भी मैसेज भेज दिया, ‘‘लव यू टू.’’