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मैंने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की. अब देवर जबरदस्ती करता है. क्या करूं.

सवाल

मैं 23 साल की हूं. शादी को 2 साल हुए हैं. मैंने 6 महीने पहले अपने देवर के साथ कई बार हमबिस्तरी की, पर अब नहीं करना चाहती. अब देवर जबरदस्ती करता है. मैं उसे कैसे रोकूं?

जवाब

आप ने अपनी मरजी से भूखे को लजीज खाने का चसका लगा दिया और अब उस के आगे से प्लेट हटा रही हैं. ऐसे में वह झपट्टा मारेगा ही. अब बेहतर यही है कि उसे ऐसा मौका ही न दें कि वह खींचातानी कर सके. उस से अकेले में कतई न मिलें. यकीनन वह खुद चोर है, इसलिए किसी से नहीं कहेगा.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.                 

बालों को दें जड़ से पोषण

काले, घने, खूबसूरत लहराते बाल हर किसी महिला की चाहत होती है, पर क्या आप को पता है बालों की सुंदरता उन की जड़ से जुड़ी होती है. इसलिए स्कैल्प केयर से उन्हें स्वस्थ व सुंदर बनाए रखा जा सकता है. स्कैल्प केयर कैसे करें. यह बता रही हैं कौस्मेटोलौजिस्ट एंड माइंड थेरेपिस्ट अवलीन खोखर.

स्कैल्प देखभाल से पहले जाने कि स्कैल्प की आम समस्या क्या होती है जो बालों को नुकसान पहुंचाती है.

स्कैल्प की आम समस्या

स्कैल्प की आम समस्या है हेयरफौल, थिन हेयर और स्लो हेयर ग्रोथ. जबकि डैंड्रफ, थिन हेयर और पीलिंग, सकैल्प की सीरियस कंडीशन है. अगर आप की स्कैल्प डैमेज्ड है तो इस में खुजली हो सकती है, कई परतें दिख सकती हैं, प्रौब्लम बढ़ने पर हेयर लौस के हालात भी बन सकते हैं.

स्कैल्प की सेहत करे प्रभावित

स्कैल्प की सेहत को आप की डाइट, हारर्मोनल फंक्शन, हेयर केयर प्रोडक्ट्स और वातावरण जैसी चीजें प्रभावित कर सकती है इसलिएअपने खानपान का विशेष खयाल रखें.

स्कैल्प ड्राई होने की वजह

जब आप बहुत गरम पानी से शैंपू करते हैं इस की वजह से स्किन के ऐसेंशियल औयल हट जाते हैं और ड्राईनैस आ जाती है, बेहतर होगा कि स्कैल्प के ऐसैंशियल औयल को बरकरार रखने के लिए आप ल्यूकवार्म वाटर से ही हेयर वाश करें.

हेयर कलरिंग

बालों में हेयर कलरिंग जैसे ट्रीटमैंट का भी स्कैल्प पर निगेटिव असर पड़ता है. दरअसल, आप बालों पर कोई भी कैमिकल ट्रीटमैंट करवाती हैं तो इस का सीधा असर स्कैल्प पर पड़ता है.

स्कैल्प केयर के उपाय

स्कैल्प केयर में, मसाज और डाइट का अहम रोल होता है, अगर स्कैल्प की साफसफाई पर ध्यान नहीं दिया गया तो डेड स्किन सैल्स बनने लगते हैं. यही नहीं इस में इंफैक्शन भी हो सकता है.

स्कैल्प के लिए लें हैल्दी डाइट

स्कैल्प को स्वस्थ रखने के लिए आप अपनी डाइट में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन को शामिल करें ये सब बालों की ग्रोथ के लिए जरूरी है. आप फ्रूट्स, वेजीटेबल्स, होल ग्रेंस और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स वाली बैलेंस्ड डाइट लें.

बालों की डाइट

अगर आप के बाल बहुत ज्यादा ड्राई हैं तो क्रीमी कंडीशनर के इस्तेमाल के बाद कोई प्रोटीन बेस्ड सीरम का प्रयोग करें. ऐसे में आप के किसी माइल्ड शैंपू का प्रयोग करना चाहिए.

डैंड्रफ

अगर बालों में डैंड्रफ अपने शुरुआती दौर में है तो आप किसी एंटी डैंड्रफ शैंपू के प्रयोग से इसे कंट्रोल कर सकती है. और अगर प्रौब्लम ज्यादा बढ़ जाएं तो किसी स्किन एक्सपर्ट को जरूर दिखाएं और इलाज कराएं.

स्कैल्प की अच्छी सेहत के लिए

अगर स्कैल्प को मजबूत बनाना चाहती हैं तो ऐलोवेरा जैल स्कैल्प पर लग सकती है, विटामिन ई औयल के कैपसूल लगाएं. जो स्कैल्प को स्वस्थ रखेंगे.

बालों को नियमित रूप से वाश करें ताकि उन में गंदगी न रहें.

फिंगर टिप से स्कैल्प की नियमित मसाज करें. इस से स्कैल्प में स्टिमुलेशन और सर्कुलेशन बना रहता है.

किसी भी हेयरकेयर प्रोडक्ट्स को डायरैक्ट स्कैल्प पर न लगाएं.

स्वीमिंग पूल से आने के बाद शैंपू करें ताकि बालों से क्लोरीन निकल जाएं.

हेयर ब्रश व कंघी का चुनाव सही तरीके से करें और दूसरे की कंघी, ब्रश प्रयोग न करें.

स्कैल्प और हेयर को तेज धूप से बचाने के लिए स्कार्फ, हैट्स या कैप्स का प्रयोग करें. इसे ज्यादा टाइट न पहनें. इस से ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ सकता है.

तनाव को दूर करें.

जब भी ब्लो ड्राई करना हो तो ब्लो ड्रायर को मिनिमम हीट पर सैट कर के रखें.

अगर औयली स्कैल्प है तो चिपचिपे तेल से बचे.

ड्राई हेयर के लिए मौइश्चराइजिंग शैंपू का प्रयोग करें.

स्कैल्प की मसाज कुछ इस तरह करें

बालों को जड़ों से मजबूती प्रदान करने के लिए सब से बेहतर उपाय मसाज है. मसाज से सिर की त्वचा स्वस्थ रहती है क्योंकि मसाज से सिर की कोशिकाओं में अतिरिक्त रक्त की आपूर्ति से बालों के फौलीकल में औक्सीजन तथा पोषक तत्त्व अधिक मात्रा तक पहुंच पाते हैं. रक्त की आपूर्ति बढ़ने से बाल और चमकदार बनते हैं. साथ ही बालों का झड़ना भी कम होता है. इस के अलावा स्कैल्प मसाज से जहां एक ओर सिरदर्द, तनाव से छुटकारा मिलता है वहीं दूसरी ओर बाल घने और लंबे होते हैं.

मसाज के लिए तेल का चुनाव

स्कैल्प की अच्छी सेहत के लिए जोजोबा औयल रोजमेरी औयल, औलिव औयल, नारियल, सरसों या बादाम के तेल की मसाज करें. रूखे बालों में हफ्ते में 2 बार और सामान्य बालों में हफ्ते में एक बार मसाज करें.

उंगलियों के पोरों द्वारा मसाज

स्कैल्प को पोषण देने के लिए मसाज का तरीका भी खास होना चाहिए. दोनों हाथों के अंगूठों को गर्दन के पिछले भाग के गड्ढे में टिकाएं, उंगलियों को माथे पर सामने फैला कर रखें. फिर उंगलियों को अपने माथे पर टिकाते हुए अंगूठे को गोला काट रूप में घुमाते हुए कनपटी तक लाएं फिर उंगलियों को सिर के बीच भाग में सीधा खिसकाते हुए कनपटी तक ले जाएं. इस प्रकार नीचे गर्दन से ले कर ऊपर सिर तक दबाव देते हुए मसाज करें.

स्टीम जरूर लें

बालों में मसाज करने के बाद स्टीम जरूर लें. इस के लिए टौवल को गरम पानी में भिगो कर हलका निचोड़ कर पानी निकाल दें. फिर उस टौवल को तेल लगे बालों में अच्छी तरह से लपेट दें ऐसा 10 मिनट तक करें. इस से तेल जड़ों तक पहुंच जाएगा.

इन उपायों को अपना कर आप के बाल भी बनेंगे रेशमी व हैल्दी.

वाराणसी बचाने के लिये अनुप्रिया का सहारा

नरेंद्र मोदी की कैबिनेट पर अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की चिन्ता साफ दिख रही है. उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ भाजपा पूर्वांचल और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी की सभी विधानसभा सीटे जीतना चाहती है. इसके कारण ही चंदौली के सांसद डाक्टर महेन्द्र नाथ पाडेंय और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल को केन्द्र सरकार में शामिल किया है. अनुप्रिया वाराणसी की रोहनियां विधानसभा सीट से 2012 में विधायक भी चुनी गई थी. मोदी के लिये 2014 की सफलता को दोहराने की चुनौती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कम से कम वाराणसी की हर सीट जीतना चाहते हैं. 

अनुप्रिया पटेल अपना दल से हैं, जो भाजपा का सहयोगी दल है. अनुप्रिया पटेल युवा, पढा लिखा और पिछडे वर्ग का चेहरा हैं. अनुप्रिया का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई कई शहरों में हुई. दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से पढ़ाई के बाद उन्होंने मास्टर इन बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की है. साल 2009 में उनकी शादी इंजीनियर आशीष सिंह से हुई. शादी के ठीक 12 दिन बाद पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल की अक्टूबर 2009 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी.

इसके बाद अनुप्रिया राजनीति में आईं और अपना दल की महासचिव बनीं. अनुप्रिया की कुर्मी वोटों पर अच्छी पकड़ है. इसी कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल से गठबंधन किया था. अपना दल के हालात भी 2014 के मुकाबले अब खराब हुये हैं. अपना दल 2 धडों में बंट गया है. अपना दल पारिवारिक लडाई में फंसा है. एक गुट अनुप्रिया पटेल के साथ है तो दूसरा गुट उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल के साथ है. ऐसे में वह भाजपा की कितनी मदद कर सकेगा देखने वाली बात होगी.

अब उनके मंत्री बनने से पूर्वांचल के साथ वाराणसी भी मजबूत होगा. वाराणसी के शहरी इलाके में भाजपा की पकड़ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी उसका जनाधार कमजोर है. ऐसे में अनुप्रिया भाजपा की मदद कर सकती हैं. वह 2012 में रोहनिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. रोहनियां वाराणसी जिले की प्रमुख विधानसभा सीट है.

वाराणसी और पूर्वांचल में भाजपा का जनाधार बढाने के लिये ही मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल की ही तरह डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को भी मंत्री बनाया गया है. डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय इस समय चंदौली से सांसद हैं. वह पूर्वांचल के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. भाजपा उत्तर प्रदेश चुनावों में ब्राह्मण वोट खींचने की कोशिश में है. इससे सवर्ण वोट पार्टी से जुड सकते है. वह चंदौली से सांसद हैं. उनके मंत्री बनने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वाराणसी किला मजबूत हो सकेगा.    

भाजपा ने दलित, पिछडा और ब्राहमण गठजोड का ध्यान रखा है. पूर्वाचल की ही तरह से भाजपा के उत्तर प्रदेश के रूहेलखंड इलाके को भी निशाने पर रखा है. इसके लिये शाहजहांपुर की सांसद कृष्णा राज को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. कृष्णा राज दलितों में पासी बिरादरी से आती है. कृष्णा राज दो बार लखीमपुर के मोहम्मदी से विधायक रह चुकी हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वह शाहजहांपुर से सांसद बनी हैं. भाजपा दलित और महिला होने के नाते उनका लाभ विधानसभा चुनाव में लेना चाहती है. भाजपा इससे  बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की योजना में है. 

‘सुल्तान’ की रिलीज से पहले ‘दंगल’ के पोस्टर का ये है सच

आमिर खान द्वारा अपनी 23 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘दंगल’ का पोस्टर एक भव्य समारोह में फिल्म ‘सुल्तान’ की रिलीज से दो दिन पहले जारी करने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. बालीवुड के बिचौलियों का दावा है कि आमिर खान ने ‘सुल्तान’ को पलीता लगाया है.

मगर आमिर खान ने साफ साफ इंकार करते हुए मीडिया से कहा -‘‘सलमान खान से मेरे झगड़ों की बात प्रचारित करना गलत है. सलमान खान से मेरा कोई झगड़ा नहीं है. हकीकत तो यह है कि चार साल पहले जब फिल्म ‘दंगल’ पर काम शुरू हुआ था, तो हमारे पास फिल्म का यह टाइटल नहीं था. फिल्म का यह टाइटल पुनीत इस्सर के पास था. मैंने सलमान खान से बात की. तो सलमान खान ने पुनीत इस्सर से बात करके हमें ‘दंगल’ टाइटल दिलवाया था.’’

आमिर खान ने आगे कहा-‘‘दूसरी बात मेरी फिल्म ‘दंगल’ और सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ दोनों की कहानी के केन्द्र में कुश्ती है. दोनों की कहानी कुश्तीबाज की है. इसके अलावा दोनों फिल्मों में कोई समानता नहीं है. मैंने ‘सुल्तान’ का ट्रेलर देखा है. बहुत अच्छा बना है. फिल्म के निर्देशक अली अब्बास जफर बेहतरीन निर्देशक हैं. इसलिए फिल्म भी बहुत अच्छी बनी होगी. मुझे पूरी उम्मीद है कि यह फिल्म बाक्स आफिस पर सफलता के नए रिकार्ड बनाएगी.’’

आमिर खान कुछ भी कहें पर बालीवुड के लोगों का मानना है कि बालीवुड में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. चार साल पहले जब सलमान खान ने आमिर खान को ‘दंगल’ टाइटल दिलवाया था, उस वक्त की परिस्थितियां अलग थी. उस वक्त कुश्ती पर ही फिल्म ‘सुल्तान’ नहीं बन रही थी. उस वक्त सलमान खान और शाहरूख खान के बीच अच्छे संबंध भी नही थे. जबकि चार चार साल के दौरान बहुत कुछ बदला है, कई समीकरण बदले हैं.

उधर आमिर खान भी स्वीकार करते हैं कि उनकी फिल्म ‘दंगल’ के बनने में चार साल का वक्त लगा. खुद आमिर खान ने इस फिल्म के लिए पूरे ढाई साल का वक्त दिया है. फिल्म के किरदार की जरूरत के अनुसार अपना वजन बढ़ाने के लिए छह माह का वक्त लिया. फिर शूटिंग की. उसके बाद फिल्म के दूसरे भाग के लिए पुनः अपना वजन घटाया, जिसके लिए उन्हें छह माह का समय लगा. पर इस बीच अचानक ‘यशराज फिल्मस’ और सलमान खान के बीच बातचीत हुई. महज एक साल के अंदर कुश्ती पर पर आधारित फिल्म ‘सुल्तान’ की शूटिंग हो गयी और अब 6 जुलाई को रिलीज हो रही है. दोनों कलाकार भले ही यह दावा करें कि इससे उनकी फिल्मों पर कोई असर नही होगा. पर एक विषय पर एक फिल्म के प्रदर्शित हो जाने का असर दूसरी फिल्म पर पड़ता ही है. तो यह बात कहीं न कहीं आमिर खान को अंदर से तकलीफ दे रही होगी.

पर आमिर खान ने इन सारी अटकलों को सिरे से खारिज कारते हुए मीडिया से कहा -‘‘मैंने फिल्म ‘सुल्तान’ की रिलीज से दो दिन पहले अपनी फिल्म ‘दंगल’ का पोस्टर यह सोच कर जारी किया. ‘सुल्तान’ को लेकर जो माहौल बना हुआ है, उसका कुछ फायदा मेरी फिल्म ‘दंगल’ को भी मिल जाए. इसके पीछे मेरी सोच सिर्फ दर्शकों का आकर्षण हासिल करना है. मुझे पता है कि करोड़ों लोग फिल्म ‘सुल्तान’ देखने वाले हैं. और मैं चाहता हूं कि ‘सुल्तान’ देखने वाले यह करोड़ों लोग मेरी फिल्म ‘दंगल’ का पोस्टर भी देख लें. हम सिर्फ लोगों को बताना चाहते हैं कि हमारी फिल्म ‘दंगल’ भी कुछ माह में आने वाली हैं. ‘सुल्तान’ को बहुत बड़ी सफलता मिलने वाली है, तो उसका कुछ फायदा हम अपनी फिल्म को दिलाना चाहते हैं.’’

आमिर खान ने आगे कहा-‘‘मैं एक बार फिर इस बात को साफ करना चाहता हूं कि मेरे व सलमान के बीच कोई झगड़ा नही है. कोई प्रतिद्वंदिता नहीं हैं. हकीकत यह है कि फिल्म ‘दंगल’ के लिए मुझे सलमान खान के ट्रेनर राकेश ही ट्रेनिंग दे रहे थे. जब फिल्म ‘सुल्तान’ की शूटिंग होनी थी, तब राकेश ने सलमान खान को ट्रेनिंग देनी षुरू की. उस वक्त मैंने राहुल भट्ट से ट्रेनिंग ली. ‘सुल्तान’ की शूटिंग खत्म होते ही फिर से राकेश ने मुझे ‘दंगल’ के लिए ट्रेनिंग देनी शुरू की. सभी जानते हैं कि राकेषश, सलमान खान के निजी ट्रेनर हैं.’’

आमिर खान ने शाहरूख खान से सलमान की दोस्ती पर कहा-‘‘मेरी राय में तो सलमान खान व शाहरूख खान की दोस्ती बहुत अच्छी बात है. यह कैसे कहा जा सकता है कि सलमान और शाहरूख कि दोस्ती होने पर मेरे व सलमान के बीच दोस्ती नही रही.’’

आमिर खान के अपने तर्क हैं. पर यदि हम आमिर खान की बात सच मान लें, तो सवाल उठता है कि आज छह माह पहले ‘सुल्तान’ देखने वाले दर्शकों का ध्यान अपनी फिल्म ‘दंगल’ की तरफ मोड़कर क्या आमिर 23 दिसंबर तक इन दर्शकों को अपने साथ जोडे़ रख पाएंगे? अब जो कुछ भी हुआ, उसका फायदा और नुकसान ‘सुल्तान’ और ‘दंगल’ में से किसे कितना होगा, यह तो वक्त बताएगा. 

‘अकीरा’ के ट्रेलर में देखें सोनाक्षी सिन्हा का दबंग अवतार

सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म 'अकीरा' का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. ट्रेलर में सोनाक्षी एक्शन पैक अवतार में नजर आ रही हैं. फिल्म में सोनाक्षी भ्रष्टाचारी पुलिस वालों से दो-दो हाथ करती नजर आयेंगी.

फिल्म 'अकीरा' में सोनाक्षी अकीरा नाम की ऐसी लड़की का किरदार अदा कर रही हैं जो जोधपुर से मुंबई पढ़ाई के लिए आती हैं लेकिन फिर अचानक कॉलेज के किसी सुसाइड केस में उसे फंसाने की कोशिश की जाती है लेकिन अकीरा सिस्टम और जो उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं उनका ना सिर्फ विरोध करती है बल्कि‍ उनकी जमकर धुलाई भी करती है.

इस ट्रेलर में एक सरपाइज एलिमेंट भी है, वो हैं अनुराग कश्यप. अनुराग फिल्म में एक भ्रष्ट पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं. अनुराग कश्यप के अलावा फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अतुल कुलकर्णी और अमित साध भी अहम किरदार कर रहे हैं. फिल्म 2 सितंबर को रिलीज होने जा रही है.

देखें 'अकीरा' का ट्रेलर:

छोटी महिला व्यवसायी भी हो रही हैं टेक्नो फ्रेंडली

व्यवसाय के क्षेत्र में महिलाओं की अच्छी भागीदारी को देखते हुए मुंबई में सिट्रस पेमेंट्स ने ‘सेल्फी’ नामक ऐप का विमोचन किया, इस ऐप को लाने का उद्देश्य छोटे स्तर पर व्यवसाय करने वाली महिलाओं को देश के छोटे बड़े शहरो के ग्राहकों के साथ जोड़ने का है.

इसके द्वारा अपने उत्पाद का फोटो क्लिक कर फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप के जरिये ग्राहकों को आसानी से पंहुचा दिया जाता है. पेमेंट हो जाने के बाद ग्राहक के सुविधानुसार सामान उन्हें पंहुचा दिया जाता है.

यहां उपस्थित मैनेजिंग डायरेक्टर अमरीश राव का कहना है कि तेजी से बढ़ते हुए व्यापार को देखते हुए इसे लाया गया है जिसका लाभ छोटे व्यवसायी भी उठा सकें. बिना किसी डॉक्यूमेंट के केवल 30 सेकेंड में वे अपने व्यवसाय को ऑनलाइन से जोड़ सकते है.  

ऑनलाइन जुड़ चुकी सोप्वर्क्स साबुन विक्रेता हरिनी शिवकुमार कहती हैं कि मैं गुडगांव की हूं और ‘सेल्फी’ ऐप से मैं मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई आदि कई शहरों से जुड़ चुकी हूं. ड्रेस विक्रेता एन बोनी को भी कई ग्राहकों से आर्डर मिलने शुरू हो गए है.

VIDEO: मोदी जी, आपके सांसद तो सरेआम लड़की की जींस उतरवा रहे हैं

पिछले कई महीनों से देश में जो उथल-पुथल मची हुई है, वो किसी से छुपी नहीं है. पर आंख बंद करके हम कुछ देखना ही नहीं चाहते. हमें तो बस इस बात से मतलब है कि लंदन के 'तुसाद म्यूजियम' में 'मोदी जी' का जो पुतला बनाया गया है, वो कितना सुंदर दिखता है?

मोदी जी की शख्सियत की तो दुनिया दीवानी बनती जा रही है. पर मोदी जी की नाक के नीचे क्या हो रहा है, उन्हें खुद खबर नहीं. या यूं कहें, कि सब कुछ जानने के बावजूद वो अंजान बने बैठे हैं.

'मैं न तो खुद खाऊंगा और न खाने दूंगा' जैसे जुमलों और अल्पसंखयकों को निशाना बना कर जनाब सत्ता में तो आ पहुंचे, पर खुद के देश और मंत्रिमंडल के लिए वक़्त ही नहीं निकाल पाएं. यही वजह है कि ऊपर से साफ़ दिखाई देने वाली इस पार्टी में ऐसे लोगों की भरमार है, जो सिर्फ 'नमो-नमो' करते हुए सत्ता के गलियारे तक पहुंच गए हैं.

अब जैसे साक्षी महाराज को ही लीजिए, साधु की छवि को धारण किये हुए ये नेता कभी साधु रहे हैं या नहीं, इनके कर्मों को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इन दिनों साक्षी महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. हालांकि यह वीडियो करीब दो महीने पुराना है, पर आज मोदी कैबिनेट में हुए फेरबदल के चलते यह फिर से वायरल हो रहा है.

वीडियो के अनुसार उन्नाव में एक भाजपा कार्यकर्ता मैदान सिंह पर एक परिवार को पीटने का आरोप था. परिवार की ही एक घायल हुई लड़की की चोट देखने के नाम पर साक्षी महाराज ने सबके सामने जींस उतरवाने की कोशिश की. आपको बता दें कि मैदान सिंह के संबंध लोकल शराब माफियाओं से भी रहे हैं.

वैसे एक बात तो तय है, कि मोदी जी तक तो यह वीडियो पहुंचने से रहा. अगर पहुंच भी गया तो, उन्हें विदेश घूमने और जुमले फेंकने से फुरसत ही कहां है? जो इस पर कार्यवाही हो…खैर इसे ही अगर अच्छे दिन कहा जाता है, तो न नहीं चाहिए ऐसे अच्छे दिन.

समान नागरिक संहिता बनाम हिन्दू राष्ट्र

चिंता अकेले एमआईएम के मुखिया असऊद्दीन ओवैसी की नहीं, बल्कि करोड़ों मुसलमानो की है, जो फिलवक्त रोजे से हैं इसलिए कई उसूलों के पाबंद भी हैं. इनमे से एक गुस्सा न करना भी है, पर तय है ईद के बाद सब ओवैसी की हां में हां मिलाते नजर आएंगे कि यूनिफ़ार्म सिविल कोड पर बहस भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मुहिम का एक हिस्सा है.

बक़ौल ओवैसी भाजपा आरएसएस के एजेंडे को लागू कर रही है, क्योंकि वह चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में नाकाम रही है. इस्लामिक स्टेट की भर्त्स्ना करते रहने बाले ओवैसी दरअसल में उतने ही कट्टर मुसलमान हैं, जितना संघ से जुड़ा कोई भी व्यक्ति कट्टर हिन्दू होता है. ये दोनों ही तरह के लोग नहीं चाहते कि पंडे मौलवियों का रोजगार बंद हो और समाज से कर्मकांड बंद हों, लोग जागरूक हों व अपना भला बुरा खुद समझते अपने विवेक से फैसले लें. इस लिहाज से ओवैसी की प्रतिक्रिया अनअपेक्षित नहीं थी, जिनका काम मुसलमानो को हिन्दू राष्ट्र के होव्वे से उसी तरह डराते रहना है जिस तरह कट्टर हिन्दू वादी हिंदुओं को यह कहते डराते रहते हैं कि अगर मुसलमानो की आबादी इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब वे तुम पर हुकूमत कर रहे होंगे.

भारत माता की जय की संघ की पेशकश पर गर्दन कटा लेने की हद तक तिलमिलाने बाले ओवैसी की चिंता बावजूद मुसलमानो का हितेषी या शुभचिंतक ना होने के एक हद तक गंभीर प्रश्न है, जिससे साफ यह होता है कि अधिकतर लोग अभी भी पंडो और कठमुल्लाओं के इशारों पर नाच रहे हैं. सब के लिए एक सा कानून हो यह बात हर्ज की नहीं, पर वह कानून कैसा हो इसका फैसला कौन करेगा, यह बड़ी दिक्कत बाली बात होगी. यूनिफ़ार्म सिविल कोड की गेंद सुप्रीम कोर्ट से निकलकर विधि आयोग और सरकार के पाले में है, लेकिन आम लोग बजाय कानून के अपने अपने धार्मिक सिद्धांतों को लेकर चिंता में हैं. धर्म के जानकार आयतें रिचाएं खंगाल रहे हैं, ताकि वक्त रहते बताया जा सके कि देखो हमारे यहां तो फलां मसले पर ढिकानी जगह साफ साफ यह लिखा है और हम इससे कोई समझौता नहीं करेंगे.

विवादित उदाहरण तलाक का लिया जाए तो ट्रिपल तलाक का तरीका फिर चर्चाओं में है कि यह औरतों के साथ ज्यादती है. मुमकिन है हो, पर उलट इसके हिन्दू पुरुष तलाक की प्रक्रिया में कानूनी देरी को लेकर परेशान हैं, कई मामलों में तो दूसरी शादी कर घर गृहस्थी बसाने और बच्चे पैदा करने की उम्र गुजर गई और कई रूमानी ख्वाहिशें अदालत की चौखट पर दम तोड़ते मर गईं, पर तलाक नहीं मिला. यही हाल पैतृक संपत्ति विवादों का है, यानि कानून कोई पूर्ण नहीं है, इसलिए लोग उन्हे लेकर संतुष्ट या खुश भी नहीं हैं. फिर हल्ला क्या है? हल्ला धर्म और और उसके दुकानदार हैं जो अपने ग्राहकों को समान नागरिक संहिता के अज्ञात खतरों से डरा रहे हैं.

किसी अदालत में तलाक के लिए पेशियों पर चक्कर काट रहे किसी हिन्दू पति से पूछिए तो वह बड़ी दर्दीली आवाज में कहेगा कि काश एक दिन के लिए यह सहूलियत मुझे मिल जाए तो ज़िंदगी का एक भीषण तनाव दूर हो. फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने तो हेमामालिनी से शादी करने इस्लाम कुबूल कर लिया था. यही पीड़ा उस मुस्लिम महिला की भी है जिसे 3 दफा तलाक कहकर मर्द अपनी ज़िंदगी और घर से दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकता है, मानो उसका कोई वजूद ही न हो. बी आर चोपड़ा निर्देशित फिल्म निकाह की नायिका सलमा आगा हर किसी को इसी वजह से याद है. जरूरत मौजूदा कानूनों  की खामियों को सुधारने की है न कि यूनिफ़ार्म सिविल कोड की आड़ में धर्म के ढ़ोल नगाड़े बजाने और पीटने  की.

ओलंपिक ऐथलीट्स की PM मोदी ने की हौसला अफजाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में होने वाले आगामी ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय ऐथलीट्स से सोमवार को मुलाकात की. खिलाड़ियों से अनौपचारिक रूप से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने उन्हें खेलों के लिए शुभकामनाएं दीं.

पीएम मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में मानेकशॉ सेंटर में ओलंपिक दल से मुलाकात की. अभी तक 13 खेल स्पर्धाओं में 100 से अधिक ऐथलीट्स ने रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाइ किया.

पीएम मोदी के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान खिलाड़ियों ने उनके साथ सेल्फी ली और उनके ऑटोग्राफ लिए. बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू और कंदाबी श्रीकांत ने अपने रैकिट पर पीएम के ऑटोग्राफ लिए.भारत ओलंपिक खेलों में अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है जिसमें 100 से ज्यादा खिलाड़ियों ने अभी तक 13 खेल स्पर्धाओं में क्वॉलिफाइ कर लिया है.

ओलंपिक में पिछला सबसे बड़ा दल 2012 लंदन ओलंपिक में था, जिसमें देश के 83 खिलाड़ियों ने भाग लिया था. आने वाले दिनों में और ऐथलीट्स के क्वॉलिफाइ करने की संभावना है. खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को खेलों में 110 से ज्यादा ऐथलीट्स के भाग लेने की उम्मीद है.

रियो के लिए क्वॉलिफाइ करने वाले कई ऐथलीट विदेशों में ट्रेनिंग कर रहे हैं इसी कारण सभी ऐथलीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिल पाए.

इस मुलाकात को खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें पीएम मोदी ने बड़े उत्साह के साथ सभी खिलाड़ियों से मुलाकात करते हुए उन्हें आगे के लिए शुभकामनाएं दीं.

किस घेरेबंदी को तोड़ना चाहते हैं साहिल आनंद

रियलिटी शो ‘‘एमटीवी रोडीज’’ के अलावा ‘मेरा नाम करेगी रोशन’, ‘रंग बदलती  ओढ़नी’ व ‘रोशनी’ जैसे टीवी सीरियलों तथा ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ व ‘‘बबलू हैप्पी है‘’ फिल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने के बाद मोंज्वाय मुखर्जी की फिल्म ‘‘है अपना दिल तो आवारा’’ में एक बार फिर पंजाबी लड़के का किरदार निभाकर चर्चा बटोर रहे साहिल आनंद का मानना है कि बालीवुड में गैर फिल्मी परिवार का होने की वजह से उनका करियर तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया. बौलीवुड में गैर फिल्मी परिवार से आने वालों को बाहरी ही माना जाता है. इसी वजह से उन्हे वह सफलता नहीं मिल पायी, जो मिलनी चाहिए थी.

हाल ही में जब साहिल आनंद से मुलाकात हुई, तो हमने उनसे सवाल किया कि करण जोहर की फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ में अभिनय कर आलिया भट्ट, सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरूण धवन का करियर बहुत बड़े मुकाम पर पहुंच गया, पर उनका करियर इनके मुकाबले पर क्यों नहीं है? इस पर साहिल आनंद ने कहा-‘‘बौलीवुड में करियर को आगे बढ़ाने के लिए इस इंडस्ट्री में आपका अपना कोई होना चाहिए, जो आपको पुश करता रहे. फिल्म ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ में आलिया भट्ट थी, जिनके पिता महेश भट्ट हैं. वरूण धवन थे, जिनके पिता जाने माने निर्देशक डेविड धवन हैं. सिद्धार्थ मल्होत्रा थे, जो कि मशहूर कास्ट्यूम डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के रिश्तेदार हैं. इस फिल्म में जिसने मोटू का किरदार निभाया था, वह बोमन इरानी का बेटा है. जबकि बौलीवुड में मेरा कोई रिश्तेदार नही है. बौलीवुड में मुझे जानने वाला भी कोई नही है और बौलीवुड में बिना गाड फादर या किसी रिश्तेदार के सफलता मिलना आसान नहीं है.

मैं तो ईश्वर का आभारी हूं कि वह मुझे इस इंडस्ट्री में जमाए हुए हैं. मैं फिल्म ‘है अपना दिल तो आवारा’ के निर्देषशक मोंज्वाय मुखर्जी का भी आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी इस फिल्म में अभिनय करने का मौका दिया. वह बहुत बड़े फिल्मी खानदान से हैं. ज्वाय मुखर्जी के बेटे हैं. इसके बावजूद उन्होंनेने नए कलाकाकारों को अपनी फिल्म से जोड़ा. आप यदि नजर दौड़ाएं, तो बालीवुड में नए कलाकारों में सारे लड़के बालीवुड में कार्यरत खानदान से ही हैं. सुशांत राजपूत को लोग गैर फिल्मी मानते हैं, पर मुझे पता है कि बौलीवुड के अंदर उसकी बहुत जान पहचान है.’’

साहिल आनंद ने आगे कहा-‘‘मुझे ‘स्टूडेंट आफ द ईअर’ जैसी फिल्म में ब्रेक मिला. मैंने अपनी अभिनय प्रतिभा को साबित किया. लोगों ने मेरे अभिनय की तारीफ भी की. पर फिल्मकारों ने इसे तवज्जो नहीं दी. तो इसमें मेरी क्या गलती है? करण जोहर हों या दूसरे फिल्मकार, सभी किसी न किसी स्टार के बेटे बेटी को ही लांच कर रहे हैं. अब करण जोहर ने कहा है कि वह श्रीदेवी की बेटी जान्हवी को लांच करेंगे. अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने लांच किया. तो बालीवुड के फिल्मकार गैर फिल्मी परिवार की प्रतिभाओं की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं. वास्तव में यह सभी लोग आपस में ही एक दूसरे पर अहसान करते रहते हैं. इन लोगों ने अपनी एक घेरे बंदी बना ली है, उसी में रहकर सारा काम करते हैं. मैं ईश्वर से हर दिन प्रार्थना करता हूं कि कोई ऐसा चमत्कार हो जाए कि मैं इस घेरे बंदी को तोड़कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाऊं. यही मेरा मकसद है.’’

जब हमने साहिल आनंद से कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि आप मानते हैं कि स्टार पुत्रों या बेटियों की वजह से नई  प्रतिभाओं को बालीवुड में काम नहीं मिलता? तो साहिल ने कहा-‘‘जी हां! ऐसा ही है. बालीवुड के लोग आपस में बातें करते हैं कि, ‘अरे गैर फिल्मी प्रतिभा को लांच करने की बजाए, अपने लोगों को लांच करो. अपने लोगों को बढ़ावा दो.’ यहां कलाकार अपने बेटे को कलाकार ही बनाना चाहता है, उसे दूसरा काम करने की छूट ही नहीं देता. बालीवुड एकमात्र ऐसी जगह है, जहां यह बात मायने रखती है कि आपके पिता क्या हैं? या आपकी मम्मी क्या हैं? जबकि दूसरे क्षेत्रों में ऐसा कोई नियम नहीं है. हर दिन हजारों लोग मुंबई फिल्म नगरी से जुड़ने के लिए आते हैं, पर कुछ दिनों में बैरंग लौट जाते हैं.’

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