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तो ऐसे सीखी नरगिस और कृषिका ने मराठी भाषा

इरोस इंटरनेशनल की आगामी म्यूजिकल ड्रामा फिल्म "बैंजो" में अभिनेत्री नरगिस फाकरी न्यूयॉर्क स्थित ड़ीजे का किरदार निभा रही हैं, पर नरगिस के लिए मराठी समझ पाना बहुत ही मुश्किल था. रितेश इस फिल्म में अहम भूमिका में नज़र आएंगे.

फिल्म  के सेट पर मौजूद अभिनेता रितेश देशमुख, निर्देशक रवि जाधव, के साथ साथ क्रू मेंबर्स भी  मराठी में बात किया करते थे और नरगिस के लिए मराठी समझ पाना इतना आसान नहीं था. नरगिस के अलावा फिल्म के  सेट पर मौजूद फिल्म की प्रोड्यूसर कृषिका लुल्ला को भी मराठी समझने में  बहुत ही मुश्किल होती थी. पर सेट पर उपस्थित लोग जब मराठी में बात करते थे, तो कृषिका और नरगिस उनकी भाषा पर ध्यान देती थी, जिससे इन्हें मराठी सीखने में थोड़ी आसानी हुई.

इस बारे में नरगिस का कहना है की सेट पर रितेश और रवि सर के साथ साथ ज्यादातर लोग मराठी में ही बात करते थे, जिसकी वजह से मेरी मराठी सीखने की उत्सुकता और भी बढ़ गयी, इसीलिए जब भी कोई मराठी में बात करता था तो मैं प्रोडक्शन के लोगो से उसका मतलब पूछती थी, जिसकी वजह से मैंने मराठी के कुछ कॉमन वर्ड्स सीखे.

मोमल ने इस तरह किया पाकिस्तानी कलाकारों का बचाव

आनंद एल राय निर्मित और मुदस्सर अजीज निर्देशित हास्य फिल्म ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ से बौलीवुड में एक और पाकिस्तानी अदाकारा  मोमल शेख ने कदम रखा है. यूं तो मोमल शेख पाकिस्तानी टीवी सीरियलों में बहुत बड़ा नाम हैं. उनके पिता जावेद शेख भारत व पाकिस्तान दोनो ही देशों की फिल्मों व सीरियलों में अभिनय कर चुके हैं. उनका भाई भी अभिनेता है.

पर मोमल ने पहली बार बौलीवुड में कदम रखने के साथ साथ पहली बार फिल्म में अभिनय किया है. वह बौलीवुड में बहुत बडा मुकाम हासिल करने को लेकर उत्साहित हैं. जबकि हकीकत यह है कि उनसे पहले भी बौलीवुड से कई पाकिस्तानी कलाकार जुड़े. मगर मावरा होकाने, इमरान अब्बास व अली जफर जैसे कई कलाकार असफल रहे. मगर यह सच जानने के बावजूद मोमल का अपना आत्मविश्वास डगमगाता नहीं है. बल्कि वह तो पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में ही बात करती हैं.

जी हां! मोमल शेख साफ साफ कहती हैं-‘‘यह सब तकदीर की बात है. फवाद खान खूबसूरत होने के साथ साथ बेहतरीन कलाकार हैं. उनके प्रशंसक भारत व पाकिस्तान के अलावा कई देशों में काफी हैं, इसलिए वह सफल हैं. मावरा होकाने की पहली बौलीवुड फिल्म बाक्स आफिस पर भले ही असफल रही, मगर लोगों ने उसके काम को बहुत पसंद किया. मैने खुद उसकी फिल्म देखी और मुझे उसकी परफार्मेंस पसंद आयी. वह बहुत बेहतरीन अदाकारा है. उसके अभिनय में मुझे कहीं कोई कमी नजर नहीं आती. मेरी जानकारी के अनुसार उसके पास कुछ अच्छी फिल्में हैं. माहिरा खान भी अच्छी अदाकारा है, जिसने शाहरुख खान के साथ बौलीवुड फिल्म ‘रईस’ की है. मैं पूरे यकीन के साथ कह सकती हूं कि फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ के प्रदर्शन के बाद भारतीय दर्शक भी मेरी अभिनय प्रतिभा के मुरीद हो जाएंगे.’’

VIDEO: ‘मैरिटल रेप’ पर बनी ये फिल्म आपके रोंगटे खड़े कर देगी

‘वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति' इस बात से भी कुछ ऐसी ही ध्वनि आ रही है कि अगर कोई दूसरा व्यक्ति महिला की इच्छा के बिना उससे संभोग करता है तो वो बलात्कार है और अपराध है लेकिन अगर खुद का पति ऐसा करता है तो वो बलात्कार नहीं है.

डिजिटल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट कंपनी सिली मॉन्क्स की यूट्यूब पर नई लघु फिल्म 'नेनू आमे' (आई एम..शी!) काफी चर्चा बटोर रही है. फिल्म में कार्यस्थल और घर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार, दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न पर प्रकाश डाला गया है, जिसे देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

साउथ फिल्मों की अभिनेत्री  सौम्या बोलाप्रगादा ने इस फिल्म को बनाया है. इस शॉर्ट फिल्म को सौम्या ने लिखा भी है और निर्देशन भी किया है. इस फिल्म में कोई भी डायलॉग नहीं है, लेकिन इसमें शादी के बाद घर में एक महिला के साथ होने वाली हिंसा और दुष्कर्म को दिखाया गया है.

सौम्या ने बताया, "यह शिवानी द्वारा निभाई गई 12 मिनट 32 सेकंड की कहानी है. मैं महिलाओं के मुद्दे उठाना चाहती थी और मुझे लगता है कि यह फिल्म इसमें सक्षम है." इस लघु फिल्म में संजीत, भगत और बिनायक दास भी हैं.

यहां क्लिक कर देखें ये रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म…

watch a hard hitting short film on marital rape i am she is released

भारत में पति को परमेश्वर माना जाता है, इस बात की पुष्टि अब सरकार ने भी कर दी है. हाल ही में राज्यसभा में मैरिटल रेप यानि शादीशुदा रेप के बारे में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा था कि भारत में मैरिटल रेप की अवधारणा को लागू नहीं किया जा सकता है और सरकार का इसे अपराधों की श्रेणी में लाने का कोई इरादा नहीं है.

महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में कहा कि भले ही पश्चिमी देशों में मैरिटल रेप की अवधारणा प्रचलित हो लेकिन भारत में गरीबी, शिक्षा के स्तर और धार्मिक मान्यताओं के कारण शादीशुदा रेप की अवधारणा फिट नहीं बैठती, इसलिए इसे भारत में लागू नहीं किया जा सकता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि एक तरफ तो सरकारें रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं तो वहीं दूसरी और घर की चाहरदीवारी में किसी अपने द्वारा किए जाने वाले रेप के प्रति सरकार उदासीन क्यों बनीं हुई है? आखिर क्यों सरकार पतियों द्वारा की जाने वाली घरेलू यौन हिंसा को अपराध मानने को तैयार नहीं है?

पति परमेश्वर रेप नहीं करते? भले ही इस देश में सदियों से पतियों को परमेश्वर मानने की धारणा प्रचलित रही हो लेकिन व्यवहारिक तौर पर ये बात पूरी तरह सच नहीं है. बल्कि इससे सिर्फ महिला-पुरुष असमानता को बढ़ावा देने और पुरुष प्रधान समाज द्वारा महिलाओं को दोयम दर्जे का शामिल करने की कोशिशें दिखती हैं. खैर, सरकार इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती और इसलिए उसने भारत में शादीशुदा रेप की अवधारणा को मानने से इनकार कर दिया.

सरकार भले ही देश में शादीशुदा रेप की बात से इनकार करके अपना पल्ला झाड़ ले लेकिन इस देश में हर दिन होने वाले वैवाहिक रेप की हकीकत को छुपा पाना उसके वश की बात नहीं है. ऐसा भारत की एजेंसियां नहीं बल्कि खुद संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट कहती है, जिसके मुताबिक भारत में हर वर्ष शादीशुदा रेप के करीब 75 फीसदी मामले होते हैं.

सरकार शादी के जिस रिश्ते को पवित्र करार दे रही है, उसी की आड़ में घर की चाहरदीवारी के अंदर पत्नी के साथ होने वाले रेप के इतने बड़े आकंड़ें सच में डराने वाले हैं. लेकिन हैरानी की बात ये है कि यूएन द्वारा भारत को मैरिटल रेप को क्रिमिनल कैटिगरी में शामिल किए जाने की सलाह के बावजूद सरकार का रवैया जस का तस है. हमारे देश का कानून और संविधान दोनों ही इस मामले में महिलाओं की मदद करने के नाम पर हाथ खड़े कर देते है.

संविधान की धारा 375 अपवाद (2) के मुताबिक, 'किसी आदमी द्वारा अपनी पत्नी, पत्नी के 15 से कम उम्र की न होने पर, के साथ बनाया गया सेक्शुअल इंटरकोर्स रेप नहीं है.' संविधान की इस धारा को लेकर काफी विवाद है और इसे हटाए जाने की मांग उठ रही है. यह बड़ी अजीब बात है कि जिस देश में लड़की की शादी की उम्र 18 साल है और जहां नाबालिग लड़की द्वारा उसकी सहमति होने पर भी बनाया गया संबंध रेप की श्रेणी में आता है, उसी देश में शादी के नाम पर किसी पुरुष को अपनी नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने की इजाजत कानून क्यों और कैसे देता है, क्या यह कानून का दोहरा रवैया नहीं है?

पिछले साल अप्रैल में मैरिटल रेप के मामले में राज्यसभा में एक सांसद द्वारा दिए गए आंकड़ें चौंकाने वाला सच सामने लाते हैं. इसके मुताबिक देश के 5 में से एक पुरुष अपनी पत्नी को जबरन सेक्स के लिए मजबूर करते हैं और देश में कुल रेप में से करीब 9-15 फीसदी मैरिटल रेप के कारण होते हैं.

हाल ही में इस मामले में इंदिरा जयसिंह द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट में मैरिटल रेप के अपराधीकरण की सिफारिश की है. इतना ही नहीं जस्टिस वर्मा आयोग द्वारा मैरिटल रेप को अपराधों की श्रेणी में शामिल किए जाने की सिफारिशों के बावजूद सरकार ने इस मामले में अपना रुख नहीं बदला है. यानी सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की, मैरिटल रेप से निजात दिलाने में महिलाओं की मदद करने वाला कोई नहीं है.

मतलब आने वाले दिनों में भी शादी की पवित्रता के नाम पर पतियों द्वारा किया जाने वाला रेप पवित्र ही बना रहेगा!

दरअसल बलात्कार पितृसत्तात्मक उत्पीड़न और शोषण की निशानी है और यहीं ये सवाल भी उठता है कि क्या सेक्सुअलिटी की मुक्ति और औपचारिक विवाह संबंधों से आजादी से महिलाओं की आजादी संभव है. लेकिन वैवाहिक बलात्कार से पहले विवाह नामक संस्था पर बहस जरूरी है. आधुनिक आर्थिक और पेशेवर जीवन के दबाव ने नौजवान महिलाओं और पुरूषों को ये अधिकार दिया है कि वो सहजीवन या लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं. केवल समान रूप से आजाद महिला और पुरूष ही एक गैर दमनकारी और मुक्त यौन संबंधों का आधार बना सकते हैं. सवाल ये है कि इसे कैसे हासिल किया जाए. क्या सिर्फ राजनैतिक प्रस्ताव या कानून बना देने से ये संभव हो जाएगा. इसका एक ही जवाब हो सकता है- नहीं.

इसके लिये राजनैतिक प्रस्तावों या कानून से ज्यादा जरूरी है महिला सशक्तिकरण. जब एक महिला वैवाहिक जीवन में यौन संबंधों को स्वीकारती है तो वो समाज में स्वीकृत है भले ही वो अनिच्छा और अनमने ढंग से ऐसा कर रही हो. लेकिन अगर वो विवाह संबंधों के बाहर जाकर ऐसा करने का प्रयास करती है तो इसे अनैतिक और अपराध माना जाता है. ये सामंतवादी नजरिया है जो स्त्री को संपत्ति की दृष्टि से देखता है. हमें ये समझना होगा कि समाज में व्याप्त इस सामंतवादी पुरातनपंथी नजरिये को एक झटके में नहीं बदला जा सकता है.

रियो ओलंपिक: पोते की जीत की खुशी में दादी की मौत

रियो ओलंपिक 2016 में जश्न हादसे की वजह बन जाएगा ऐसा किसी ने शायद ही सोचा होगा. कांस्य पदक जीतने वाले एक खिलाड़ी की दादी मां जीत की खुशी बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उनकी मौत हो गई.

रियो ओलंपिक में थाइलैंड के आर्मी एथलीट सिन्फेट क्रुआएथॉन्ग ने 56 किलोग्राम वेटलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीता था. सिन्फेट की दादी उनका यह मुकाबला टीवी पर लाइव देख रही थीं. 20 वर्षीय सिन्फेट ने जैसे ही कांस्य पदक जीता तो उनके घर पर सेलिब्रेशन शुरू हो गया.

हालांकि, खुशियां ज्यादा देर तक नहीं टिकीं और दादी की मौत हो गई. सूत्रों की मानें तो शुरुआती चरण में तो लग रहा था कि दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ है. हालांकि, अस्पताल की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद ही पुलिस ने कुछ कह पाने की बात कही है.

एक पुलिस ऑफिसर ने बताया कि इस मामले में देखना होगा कि उनकी मौत, खुशी की वजह से ज्यादा उत्साहित होने की वजह से हुई है या फिर उनकी बीमारी इसकी वजह रही है. रियो में अपने पोते का गेम शुरू होने से पहले दादी ने कहा था कि मैं उसके लिए चीयर्स करती हूं.

मैं अपने पोते को लड़ने के लिए आशीर्वाद देती हूं. उनके आशीर्वाद की वजह से ही उनका पोता रियो ओलंपिक में पदक जीत सका.

सितंबर में होगी देश की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी

देश की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी 29 सितंबर से शुरू हो रही है. आधार मूल्य के हिसाब से इस नीलामी में 5.63 लाख करोड़ रुपये की रेडियो तरंगों को बिक्री के लिए पेश किया जाएगा.

4जी सेवाओं के लिए सभी बैंडों की नीलामी

दूरसंचार सचिव जेएस दीपक ने आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस (एनआईए) जारी करते हुए कहा, ‘बिखराव और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के मुद्दों को हल करने के लिए बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखा गया है और नियमों को बोलियां लगाने वालों के अनुकूल बनाया गया है.’ सरकार सभी बैंड, 700 मेगाहट्र्ज, 800 मेगाहट्र्ज, 900 मेगाहट्र्ज, 1800 मेगाहट्र्ज, 2100 मेगाहट्र्ज तथा 2300 मेगाहट्र्ज बैंड में कुल 2,354.55 मेगाहट्र्ज मोबाइल सेवा स्पेक्ट्रम बिक्री के लिए पेश करेगी.

30 दिन के भीतर स्पेक्ट्रम दे दिया जाएगा

नीलामी के लिए पेश किए जाने वाले कुल स्पेक्ट्रम में से 197 मेगाहट्र्ज 1800 मेगाहट्र्ज बैंड तथा 37.5 मेगाहट्र्ज 800 मेगाहट्र्ज (सीडीएमए) बैंड में होगा. सरकार को चालू वित्त वर्ष में 2,354.55 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी से 64,000 करोड़ रुपये तथा दूरसंचार सेवाओं पर विभिन्न शुल्कों और सेवाओं से 98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है. सरकार ने पहली बार वादा किया है कि सफल बोली दाताओं द्वारा अग्रिम भुगतान के 30 दिन के भीतर उन्हें स्पेक्ट्रम दे दिया जाएगा.

दस दिन के भीतर 25 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी

ऐसी दूरसंचार कंपनियां जो 700, 800 और 900 मेगाहट्र्ज में सफल बोली लगाएंगी उन्हें नीलामी समाप्त होने के 10 दिन के भीतर 25% राशि जमा करानी होगी. शेष भुगतान उन्हें दस सालाना किस्तों में करना होगा. इसमें पहले दो साल उन्हें कोई भुगतान नहीं करना होगा. शेष बैंडों में कम से कम 50% राशि का भुगतान करना होगा. सरकार ने किस्तों पर ब्याज को भी पहले के 10 प्रतिशत से घटाकर 9.3% कर दिया है.

700 मेगाहट्र्ज बैंड की नीलामी पहली बार 

यह पहली बार है जबकि 700 मेगाहट्र्ज बैंड स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रखा जा रहा है. इस बैंड को काफी महंगा माना जाता है. इसमें 3जी सेवाएं प्रदान करने की लागत 2100 मेगाहट्र्ज से एक-तिहाई बैठती है. यदि 700 मेगाहट्र्ज में समूचा स्पेक्ट्रम आधार मूल्य पर बिक जाता है तो इससे ही अकेले सरकार को चार लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. दूरसंचार विभाग 13 अगस्त को बोली पूर्व सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसमें एनआईए को लेकर चीजें साफ की जाएंगी.

गुडविल एम्बैसडर सलमान को नहीं पता जिमनास्ट दीपा का नाम

एक तरफ पूरा देश ऊपर वाले से प्रार्थना कर रहा है कि 14 अगस्त को भारतीय जिमनास्ट दीपा करमाकर को फाइनल मुकाबले में गोल्ड मेडल हासिल हो, वहीं दूसरी ओर भारतीय ओलंपिक संघ के गुडविल एम्बैसडर सलमान खान को देश की इस रीयल स्टार का सही नाम ही नहीं पता.

दीपा करमाकर  जिम्नास्टिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनीं हैं. अपने छोटे भाई सोहेल खान की फिल्म ‘फ्रीकी अली’ के ट्रेलर लॉन्चिंग के दौरान सलमान खान भारतीय जिमनास्ट को पहले दीपा की जगह 'दीपिका' बोल गये लेकिन जब मीडिया वालों ने उन्हें टोका तब वो दीपा को 'दीप्ति' करमाकर कह उठे.

सलमान को क्यों बनाया गया गुडविल एम्बैसडर

सलमान खान की ये गलती उन लोगों के लिए अब शोर मचाने के लिए काफी है जिन्हें सलमान खान के भारतीय ओलंपिक संघ का गुडविल एम्बैसडर बनाये जाने पर खासा एतराज था. जिनका कहना था कि जिस व्यक्ति को खेल की एबीसीडी नहीं पता वो भला गुडविल एम्बैसडर कैसे बन सकता है.

दीपा करमाकर ने रचा इतिहास

गौरतलब है कि 52 वर्षो के बाद ओलंपिक खेलों की जिम्नास्टिक स्पर्धा में पहली भारतीय महिला एथलीट के तौर पर प्रवेश करने वाली दीपा अब 14 अगस्त को इंडिया के लिए मेडल जीतने वाली पहली इंडियन भी बन सकती हैं.

पांच क्वालिफिकेशन सबडिवीजन स्पर्धा में 8वें स्थान पर दीपा

जिम्नास्टिक की सभी पांच क्वालिफिकेशन सबडिवीजन स्पर्धा के समापन के बाद वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं. दीपा ने क्वालिफाइंग स्पर्धा के वॉल्ट में 14.850 अंक हासिल किया.

जब हृतिक रोशन और पूजा हेगड़े दोनों हुए आश्चर्यचकित

आशुतोष गोवारीकर की 12 अगस्त को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘मोहनजो दाड़ो’’ में हृतिक रोशन व  पूजा हेगड़े की जोड़ी नजर आने वाली है. यूं तो पूजा हेगड़े तमिल व तेलगू की तीन सुपरहिट फिल्में कर चुकी हैं, मगर हिंदी में यह उनकी पहली फिल्म है.

हृतिक रोषन से पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए पूजा हेगड़े ने कहा-‘‘मैं बचपन से ही हृतिक रोशन की फैन रही हूं. वह मेरे पसंदीदा हीरो रहे हैं. जब उनकी पहली फिल्म ‘कहो ना प्यार है’, रिलीज हुई थी, तब तक मैने कभी फिल्में देखी नहीं थी. पर जब मैं अपनी कजिन के घर गयी थी, उसने कहा था कि यह हॉट हीरो है और इसका नाम हृतिक रोशन है. कजिन ने मुझे उनका पोस्टर दिखाया था. उसके बाद मैंने उनकी फिल्म देखी और मैं उनकी फैन बन गयी.

हृतिक से मिलने से पहले मेरी सोच यह थी कि वह जिस तरह से परदे पर नजर आते हैं, निजी जिंदगी में वह उससे हटकर होंगे, पर जब मिली तो कोई फर्क नहीं था. जबकि हृतिक रोशन ने सोच रखा था कि मैं दक्षिण भारत के किसी गांव से आयी हूं. जब पहली बार हमारी बातचीत हुई और मैंने बताया कि मैं मुंबई के बांद्रा इलाके में रहती हूं, तो उन्हें भी आश्चर्य हुआ था.’’

जीएसटी बिल पारित, डेवेलपर्स आशावान

पिछले हफ्ते राज्यसभा ने जीएसटी बिल के संशोधनों को पारित करते हुए लोकसभा के हाथों में सौंप दिया था और यही उम्मीद की जा रही थी कि लोकसभा में पेश होते ही यह पारित हो जायेगा. पूरे 443 सांसदों ने मंजूरी देकर जीएसटी पर हामी भरी. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी स्पीच में जीएसटी का मतलब ‘ग्रेट स्टेप्स टुवर्ड्स ट्रांसपेरेंसी’ बताते हुए इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा कदम बताया और कहा अब राज्यों की जीएसटी पर तत्परता से काम करने की बारी है.

जीएसटी के पारित होने पर जानिए क्या कहना है डेवलपर्स का-

1. राकेश यादव, चेयरमैन, अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप

राज्यसभा से पारित होने के बाद हर डेवलपर की नज़र लोकसभा पर ही टिकी हुई थी कि वह अंतिम फैसला कब तक सुनाती है और आखिरकार इस फैसले के बाद देश का ही नहीं बल्कि रियल्टी सेक्टर का भी विकास तेज़ी से देखने को मिलेगा.

2. विकास सहनी, सीएमडी, प्रॉपर्टी गुरु

जीएसटी के आने से देश के व्यापर में पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर बहुत जोर डाला. रियल्टी सेक्टर की वर्तमान हालत को देखें तो बेशक 1 अप्रैल 2017 से लागू होने वाले जीएसटी से पारदर्शिता बढ़ेगी जो सेक्टर के ग्राहकों के अन्दर भरोसा जगाने में सहायक साबित होगी.

3. राहुल चमोला, एमडी, वन लीफ ग्रुप

रियल एस्टेट में लगभग 17 प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लगते हैं, जिनके चलते कीमतें ज्यादा हो जाती है. जीएसटी की दर तय होना अभी बाकी है पर हमें उम्मीद है कि जीएसटी की दर संपत्ति की कीमतों में गिरावट लाएगी.

4. अशोक गुप्ता, सीएमडी, अजनारा इंडिया लिमिटेड

वर्ष के शुरुआत में रियल एस्टेट बिल के पारित होने के बाद अब यह रियल्टी सेक्टर के लिए दूसरी बड़ी खबर है. सरकार की नई नीतियां व पहल निश्चित ही रियल्टी सेक्टर के अन्दर जल्द ही बड़ा बदलवा लाने में सक्षम होगी, हालांकि सिंगल विंडो पर भी सरकार को जल्दी ही फैसला लेना चाहिए.

क्‍यों होता है आईफोन और आईपैड गर्म?

कई बार आपने देखा होगा कि अचानक से आपका आईफोन या आईपैड भयानक तरीके से गर्म हो जाता है. ऐसे में आपको उसे हैंडल करने में दिक्‍कत भी होती होगी. खासकर जब आप कोई जरूरी काम कर रहे हों.

कई बार ये डिवाइस इतनी ज्‍यादा हीट हो जाती हैं कि फट जाती हैं. ऐसे में आपको बेहद सावधानी बरतने की आवश्‍यकता है. जानिए कि किस प्रकार आप इस समस्‍या से निजात पा सकते हैं और अपनी डिवाइस को हीट होने से बचा सकते हैं:

एआरएम चिप

एप्‍पल की डिवाइस में एआरएम चिप होती है जो जल्‍दी से हीट हो जाती है और जिसकी वजह से पूरी डिवाइस गर्म हो जाती है.

कवर बेकार

अगर आप कवर निकाल कर उसे ठंडा करने की कोशिश करते हैं तो ऐसा करना बेकार है. इससे बेहतर कि फोन को चलाना बंद कर दें और उसे रख दें.

हैवी गेम यूजर

जी हां, फोन पर हाई प्रेशर यानि आपके द्वारा हैवी गेम खेले जाने की वजह से ऐसा होता है.

क्‍या करें

फोन को इस प्रकार बनाया जाता है कि 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उसका होने पर वह चल जाएगा. लेकिन अगर इससे ज्‍यादा होता है तो वह अपने आप काम करना बंद कर देगा और मैसेज शो कर देगा.

हमेशा गर्म

अगर फोन हमेशा गर्म रहता है तो उसे सर्विस सेंटर में दिखा लें. हो सकता है कि उसके हार्डवेयर या आईओएस में दिक्‍कत हो.

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